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Romance Three Idiot's

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,634
117,518
354
Shuruaat gajab he aur inki low grade planning ke kya he kehne :bow:
Aisa lagta hai ju un teeno ke alla dimag ka loha maan gaye ho :D
Kher he Shubham bhai jab aap ko lage ab sahi he tab Pyar ka sabut start karna :approve: yu to me jab likhta hu tab 10-12 review/comments ko enough samaz ke next update deta hu par har kisi ka apna apna expectation he view he. Keep rocking
These sabko apne jaisa samajhne wale log :sigh:

Filhaal to abhi door door tak usko start karne ka vichaar nahi hai. Haan ye zarur hai ki jab bhi time milta hai uske update likhta hu kyoki wo story aisi hargiz nahi hai jise apan khud nazarandaz kar sake. Well let's see
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,634
117,518
354
:rolrun: gajab he matlab pakade gaye to sahi se pel diya Choudhary ne upar se fokat ke majdur bhi mil gaye. Par story he romance genre ki to humko bski characters ka intezar he.
Inki kismat me hoga to romance bhi karne ko milega inhe warna isi tarah pichhwada ghiste rahenge aur har koi bajata rahega inki :D
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,634
117,518
354
Update - 03
━━━━━━━━━━━━━━

"चल अब बातें मत बना और काम कर।" उसने मुस्कुराते हुए कहा____"कुछ देर में कमला भी आ जाएगी। उसके आने से पहले तुझे सारे बर्तन धो डालने हैं।"

मोहन ने सहमति में सिर हिलाया और झोपड़े के अंदर चला गया। इधर वो मुस्टंडा मन ही मन जाने क्या सोचते हुए पलटा और चला गया। अभी वो कुछ ही दूर गया होगा कि तभी मोहन झट से झोपड़े के दरवाज़े के पास आया और धीमें से बोला____"तू और अपन का गुरु? अबे चल हट।"


अब आगे......

झोपड़े के अंदर से दूध के सारे बर्तन निकाल कर मोहन ट्यूब वेल के पास उन्हें धुलने में लगा हुआ था कि तभी किसी के आने की आहट से उसने गर्दन ऊपर उठा कर देखा। उसके सामने उसकी ही उमर का एक लड़का आ कर खड़ा हो गया था। मोहन ने उसे देखते हुए अपने जहन पर ज़ोर डाला तो अगले ही पल वो ये जान कर चौंका कि ये वही लड़का है जो तीन दिन पहले तबेले के पीछे किसी औरत की चूचियां दबा रहा था। हालाकि मोहन को पहले पता नहीं था लेकिन अब वो जान चुका था कि वो औरत जोगिंदर के तबेले में काम करने वाली उसकी रखैल थी जिसका नाम कमला है और वो अपनी ही जेठानी के लड़के के साथ मज़े कर रही थी।

"कौन हो तुम?" उस लड़के ने मोहन को बर्तन धोते देख हैरानी से पूछा____"और यहां क्या कर रहे हो?"

"अबे अंधा है क्या?" मोहन अपनी आदत के अनुसार उस पर मानों चढ़ दौड़ा____"दिख नहीं रहा क्या तेरे को कि अपन भी तेरी तरह एक लड़का है और इधर काम कर रेला है?"

वो लड़का मोहन की ये बात सुन कर एकदम से सकपका गया किंतु जल्दी ही सम्हल कर बोला____"ज़ुबान सम्हाल कर बात करो वरना ठीक नहीं होगा।"

"अबे चल हट।" मोहन एकदम से खड़ा हो कर उसे घुड़की दी____"तू क्या कहीं का नवाब है जो अपन तेरे से ज़ुबान सम्हाल के बात करे?"

"तू अभी जानता नहीं है कि मैं कौन हूं।" उस लड़के ने जैसे उसे धमकी देते हुए कहा____"अगर जान जाएगा तो डर के मारे मूत निकल जाएगा तेरा, समझा?"

"अबे चल, तेरी इस धमकी से लंड डरने वाला नहीं है अपन।" मोहन ने हाथ को झटकते हुए कहा____"और हां अपन जानता है तेरे को, वो भी अच्छे तरीके से। तू वही है न जो तीन दिन पहले तबेले के पीछे अपनी ही चाची की चूचियां दबा रहा था और तेरी छिनाल चाची मस्ती में आहें भर रही थी।"

लड़का मोहन की ये बात सुन कर बुरी तरह हकबका गया। पलक झपकते ही उसके चेहरे का रंग उड़ गया। वो घबराए हुए अंदाज़ में मोहन को इस तरह देखने लगा था जैसे मोहन कोई भूत हो।

"क्या हुआ?" उसे एकदम से चुप हो गया देख मोहन मुस्कुराते हुए बोला____"गांड़ फट के हाथ में आ गई ना तेरी?"

"त...त...तुम ये क्या कह रहे हो?" लड़का बुरी तरह हकलाते हुए मोहन से बोला। अब वो तू से तुम पर आ गया था। उसके चेहरे पर ढेर सारा पसीना उभर आया था जिसे उसने अपने गमछे से पोंछा।

"अपन अंतर्यामी है लौड़े।" मोहन सीना चौड़ा करते हुए बोला____"अपन को तो ये भी पता है कि तेरी छिनाल चाची तबेले के मालिक जोगिंदर चौधरी की रखैल है।"

"य...ये क्या बकवास कर रहे हो तुम?" लड़का बुरी तरह चकरा कर बोल पड़ा____"रुको अभी मालिक से तुम्हारी शिकायत करता हूं मैं।"

"जा कर दे बे लौड़े।" मोहन ने बेख़ौफ अंदाज़ में कहा____"अपन घंटा किसी से नहीं डरता। वैसे रुक अपन भी तेरे साथ तेरे मालिक के पास चलता है। अपन भी बताएगा कि उसकी रण्डी के साथ तीन दिन पहले तू क्या कर रहा था। सोच लौड़े, जब उसको पता चलेगा कि तू अपनी ही चाची की चूचियां दबा रहा था तो क्या करेगा वो तेरे साथ। अपन को यकीन है कि ये सब सुनते ही वो तेरी गांड़ फाड़ देगा। चल जल्दी चल बे लौड़े।"

मोहन कहने के साथ ही उसका हाथ पकड़ कर जब उसे खींचने लगा तो वो घबरा कर एकदम से मोहन के पैरों को ही पकड़ लिया। मोहन ने देखा कि लड़के की हालत बेहद ख़राब हो गई थी।

"भाई ऐसा गज़ब मत करना।" लड़का मोहन के पैर पकड़ कर बोला___"ये बात अगर किसी को पता चल गई तो मेरी और मेरी चाची की बहुत बदनामी होगी। इतना ही नहीं मेरा चाचा मेरी चाची को घर से निकाल देगा। भगवान के लिए भाई ये बात किसी को मत बताना।"

"क्यों, सारी हेकड़ी निकल गई तेरी?" मोहन अपनी जीत पर फूला नहीं समा रहा था। खुद को तीस मार खां समझते हुए बोला____"पहले तो बड़ा अपन को धमकी दे रहा था तू। अब क्या हुआ?"

"भाई ग़लती हो गई।" लड़का बुरी तरह मिन्नतें करते हुए बोला____"भगवान के लिए माफ़ कर दो मुझे। क़सम खाता हूं कि आज के बाद कभी तुमसे ऐसी बात नहीं करूंगा।"

"माफ़ तो कर देगा अपन तेरे को।" मोहन के ज़हन में अचानक से कोई विचार आ गया था, जिसे सोचते हुए बोला____"पर अपन की एक शर्त है।"

"भाई मुझे तुम्हारी हर शर्त मंज़ूर है।" लड़का मोहन का पैर छोड़ जल्दी से खड़े होते हुए बोला____"बस ये बात तुम किसी को मत बताना।"

"सोच ले।" मोहन ने जैसे उसको परखना चाहा, बोला____"अगर तूने अपन की शर्त नहीं मानी तो बहुत बुरा हो जाएगा तेरे साथ।"

"नहीं भाई।" लड़का मरता क्या न करता वाली हालत में था, बोला___"मैं तुम्हारी हर शर्त मानूंगा। तुम बस अपनी शर्त बताओ।"

"चल ठीक है फिर।" मोहन की धड़कनें जाने क्यों तेज़ तेज़ धडकनें लगीं थी, बोला____"अपन तेरी और चाची वाली बात एक ही शर्त पर किसी को नहीं बताएगा कि तू अपन को भी अपनी चाची की चूचियां दबाने का मौका देगा।"

"य...ये क्या कह रहे हो तुम?" लड़का बुरी तरह हैरान परेशान हो कर बोला____"नहीं नहीं, मैं ये नहीं कर सकता।"
"तो फिर गांड़ मरा भोसड़ी के।" मोहन को गुस्सा आ गया____"अपन अब सबको बताएगा कि तू अपनी मां समान चाची के साथ क्या क्या कांड करता है।"

मोहन की बात सुन कर लड़का बुरी तरह घबरा कर एक बार फिर से मोहन के पैरों को पकड़ बैठा। फिर हाथ जोड़ कर हताश भाव से बोला____"भाई ऐसा मत करना, मैं तुम्हारे पैर पड़ता हूं। भगवान के लिए भाई मुझ पर रहम करो।"

"अबे तू खुद ही अपने आप पर रहम नहीं करना चाहता तो अपन क्या करे?" मोहन एक बार फिर से उस पर हावी हो कर बोला___"जब अपन ने कह दिया कि अपन को भी तू अपनी चाची की चूचियां दबाने का मौका दे तो तुझे देना चाहिए न। साला कौन सा उसकी चूची दबाने से घिस जाएगी। जोगिंदर तो जाने क्या क्या दबाता होगा उसकी और तो और जाने कहां कहां लंड डालता होगा उसके।"

"ठीक है भाई।" लड़के ने बेबस भाव से कहा____"मुझे तुम्हारी ये शर्त मंज़ूर है पर भाई इसके लिए थोड़ा समय लगेगा।"

"न अपन को तो आज ही तेरी चाची की खरबूजे जैसी चूचियों को दबाने का है।" मोहन ने स्पष्ट भाव से कहा____"अब ये तू देख कि तू कैसे इतना जल्दी अपन का काम करेगा। अगर नहीं किया तो अपन सबको तेरे कांड के बार में बता देगा।"

"भाई कुछ तो टाइम दे दो।" लड़का फिर से मिन्नतें करते हुए बोला____"तुम खुद ही सोचो कि मैं इतना जल्दी कैसे अपनी चाची को इस काम के लिए मना पाऊंगा?"

"चल ठीक है।" मोहन को भी लगा कि उसे थोड़ा समय देना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि जल्दबाजी के चक्कर में काम बिगड़ जाए। ये सोचते हुए बोला____"अपन तेरे को आज रात तक का समय देता है पर कल तू अपनी चाची को ले के खुद आएगा अपन के पास और उसको बोलेगा कि वो अपन को अपनी चूचियां दबाने दे।"

लड़के ने मोहन की बात सुन कर हां में सिर हिला दिया। मोहन ने उसे जाने को बोल दिया तो वो चला गया। उसके जाने के बाद मोहन ये सोच कर मन ही मन खुश हो गया कि कल कमला की चूचियों को वो जैसे चाहे दबाएगा और मसलेगा। उसकी आंखों के सामने पलक झपकते ही कमला की बड़ी बड़ी चूचियां एकदम से नज़र आने लगीं।

[][][][][][]

जोगिंदर चौधरी की बीवी साल भर पहले उसे छोड़ कर अपने मायके चली गई थी। उसके पास सब कुछ था। उसका दूध बेचने का व्यापार अच्छा खासा चलता था। रुपिया पैसा भी उसकी ज़रूरतों से कहीं अधिक ही था लेकिन इस सबके बावजूद उसकी ज़िंदगी में एक बहुत बड़ी कमी थी। एक तो उसका ब्याह काफी सालों बाद हुआ था और जब हुआ भी तो काफी सालों तक उसको कोई औलाद नहीं हुई। हालाकि वो रंगीन मिजाज़ का आदमी था और जीवन में हर चीज़ के मज़े लेता था। उसे औलाद न होने का इतना ज़्यादा दुख नहीं था लेकिन उसकी बीवी को ज़रूर था। वो हर रोज़ उसको बच्चा ना पैदा कर पाने की वजह से उस पर गुस्सा करती थी और न जाने कैसे कैसे ताने मारती रहती थी।

जोगिंदर की अपनी परिवार वालों से ज़्यादा नहीं बनती थी। वो मस्त मौला आदमी था जिसे सिर्फ़ ज़िंदगी में मज़े लेने से मतलब था। कुछ सालों तक तो बीवी ने उसको झेला और जब उससे न झेला गया तो वो उसको छोड़ कर अपने मायके चली गई। जोगिंदर को हर महीने अपनी बीवी को खर्च के लिए रुपिया भेजना पड़ता है। इसके बावजूद सच तो ये था कि बीवी के चले जाने से जोगिंदर बड़े चैन से और बड़े मज़े से रहता था। हर महीने अपनी बीवी को रुपिया भेजने में उसे कोई समस्या नहीं थी।

जब से उसकी ज़िंदगी में कमला आई थी तब से उसकी हर ज़रूरत पूरी होने लगी थी। कमला एक तरह से उसकी रखैल थी लेकिन वो उसे मानता भी बहुत था। इधर कमला भी उसके साथ खुश थी। ये अलग बात है कि उसके मन में जोगिंदर के लिए कोई मोहब्बत नहीं थी। वो तो बस अपनी बुर दे कर उससे मनचाहा रुपिया वसूलती रहती थी। इतना ही नहीं उसने तो जोगिंदर से अपने लिए सोने चांदी के गहने तक बनवा लिए थे।

कमला एक ग़रीब तथा निचले वर्ग की औरत थी। उसके दो बच्चे थे जिनमें सबसे बड़ी बेटी थी जो कि अठारह साल की थी और दूसरा बेटा जो अभी नाबालिग ही था। कमला का पति महेश शराबी था और कोई काम धंधा नहीं करता था। अकेले कमला ही घर को सम्हाले हुए थी। महेश का एक बड़ा भाई था जिसका नाम दिनेश था किंतु दो साल पहले एक्सीडेंट में उसकी मौत हो गई थी। उसकी भौजाई निर्मला को एक बेटा है जिसका नाम रवि है और वो अपनी चाची के साथ जोगिंदर के तबेले में ही काम करता है। असल में कमला ने ही जोगिंदर से कह कर रवि को काम दिलाया था। इसके उसे दो फ़ायदे थे, एक तो अपनी जेठानी के लड़के के साथ यहां काम करने से उसे किसी बदनामी का डर नहीं था दूसरे रवि को काम दिलवा कर वो अपनी जेठानी निर्मला पर भी हुकुम चला सकती थी और ऐसा हो भी रहा था।

सब कुछ बढ़िया चल रहा था लेकिन एक दिन रवि ने कमला को जोगिंदर के साथ चुदवाते हुए देख लिया था जिसके चलते कमला बहुत डर गई थी। उसने इस बता को छुपाने के लिए रवि से हाथ जोड़ कर मिन्नतें की थी। रवि मान तो गया लेकिन अपनी चाची के नंगे जिस्म को देख कर उसका दिमाग़ ख़राब सा हो गया था इस लिए अब वो भी अपनी चाची के साथ मज़ा करना चाहता था। इसके लिए उसने एक दिन हिम्मत कर के अपनी चाची कमला से बोल भी दिया। कमला उसकी ये बात सुन कर बड़ा हैरान हुई थी किंतु फिर वो ये सोच कर राज़ी हो गई कि उसे रवि के रूप में एक जवान लंड तो मिलेगा ही साथ में अब वो खुल कर जोगिंदर के साथ मज़ा भी कर सकेगी।

कमला की एक बेटी है जिसका नाम शालू है और वो भी अब जवानी की दहलीज़ पर क़दम रख चुकी है। कमला कभी कभी उसे भी अपने साथ ले आया करती है जिसके चलते एक दिन जोगिंदर के तबेले में काम करने वाले नौकर बबलू की नज़र शालू पर पड़ गई। उसके बाद उसने भोली भाली शालू को जल्दी ही अपने जाल में फांस लिया और उसके साथ मज़े करने लगा। कमला को इस बात की भनक भी नहीं है कि उसकी भोली भाली बेटी उसी की राह पर चल पड़ी है।

"आह! ऐसे ही ज़ोर ज़ोर से चोदो मुझे।" जोगिंदर के कमरे में बिस्तर पर नंगी लेटी कमला अपनी दोनों टांगों को फैलाए मज़े से आहें भरते हुए बोली____"हाए! कितना मज़ा आता है जब तुम्हारा ये मूसल मेरी बुर के पूरा अंदर तक जाता है।"

"तेरी ये बुर भी तो बहुत मस्त है मेरी राण्ड कमला।" जोगिंदर ने ज़ोर का धक्का मारते हुए कहा____"मन करता है दिन रात तुझे ऐसे ही चोदता रहूं।"

"तो चोदो ना जग्गू।" कमला जोगिंदर को जान बूझ कर जग्गू बोलती थी ताकि वो यही समझे कि वो उससे बहुत प्रेम करती है, बोली____"मैं तो कहती हूं कि हमेशा के लिए तुम मुझे अपने घर में ही बुला लो। उसके बाद जितना मन करे चोदते रहना मुझे।"

"अरे! मैं तो चाहता हूं कमला कि तू हर वक्त मेरे पास ही रहे।" जोगिंदर ने कहा___"मगर तू भी जानती है कि ये संभव नहीं है। एक तो तेरा पति तुझे हमेशा के लिए मेरे पास रहने नहीं देगा और दूसरे मेरी वो मादरचोद बीवी मुझे ऐसा करने नहीं देगी। खुद तो अपनी बुर लिए आज साल भर से अपने मायके में बैठी है और यहां मेरी उसे कोई फिकर ही नहीं है। साली ने केस करने के साथ साथ मुझे बदनाम करने की धमकी भी दे रखी है इस लिए मजबूरन मुझे उसका मुंह बंद करने के लिए हर महीने रुपिया भेजना पड़ता है।"

"आह! थोड़ा जल्दी जल्दी धक्के मारो ना मेरे जग्गू।" कमला मस्ती में बोली____"अच्छा मैं ये कह रही हूं कि अगर तुम अपनी बीवी से इतना ही परेशान हो तो उसको तलाक़ क्यों नहीं दे देते? तलाक़ के बाद तुम किसी और से ब्याह कर लेना।"

"अरे! अब इस उमर में मुझे कौन अपनी बेटी देगा कमला।" जोगिंदर उसके कहे अनुसार ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाते हुए बोला____"तू ही बता क्या तू अपनी बेटी का ब्याह मुझसे कर सकती है?"

जोगिंदर की बात सुन कर कमला का सारा मज़ा पलक झपकते ही हवा हो गया। उसे बड़ा तेज़ झटका लगा था। उसके ज़हन में तो दूर दूर तक ये नहीं था कि वो अपनी फूल जैसी बेटी का ब्याह जोगिंदर जैसे बुड्ढे आदमी से करेगी।

"देखा।" कमला को चुप देख जोगिंदर ने एक ज़ोर का धक्का मार कर कहा____"अपनी बेटी का सुन कर तेरी ज़ुबान पर एकदम से ताला ही लग गया। मैं अच्छी तरह जानता हूं कि तू अपनी बेटी का ब्याह मुझसे नहीं कर सकती क्योंकि तेरी नज़र में मैं बूढ़ा हो चुका हूं। तेरी जगह मैं होता तो मैं भी यही सोचता, इसमें तेरी कोई ग़लती नहीं है। ख़ैर छोड़ ये सब, जब तक तू मेरे पास है मुझे किसी और की ज़रूरत भी नहीं है।"

"अच्छा ये तो बताओ कि उन तीन नमूनों को कब तक रखोगे अपने तबेले में?" कमला ने मन ही मन राहत की सांस लेने के बाद पूछा____"मैंने कल देखा था बेचारों का काम कर कर के बहुत बुरा हाल हो गया था। कुछ तो रहम दिखाओ उन पर।"

"अरे! तू उन नमूनों को नहीं जानती अभी।" जोगिंदर कुछ पल रुकने के बाद फिर से धक्का लगाते हुए बोला____"साले एक नंबर के बदमाश हैं। जब तक सालों का काम कर कर के गांड़ से गू नहीं निकल जाएगा तब तक ऐसे ही काम करवाऊंगा तीनों से।"

"आह! और तेज़ करो जग्गू।" कमला मस्ती में सिसकारियां भरते हुए बोली_____"मैं झड़ने वाली हूं। आह! और ज़ोर से आह।"
"ले मेरी रांड।" जोगिंदर खुद भी अपने चरम पर था इस लिए उसने धक्कों की रफ्तार तेज़ कर दी।

कुछ ही देर में पहले कमला झटके खाते हुए झड़ी और फिर जोगिंदर। दोनों बुरी तरह हांफते हुए बिस्तर पर पसर गए। थोड़ी देर आराम करने के बाद कमला उठी और अपने कपड़े पहनने लगी।

"कहां जा रही है?" जोगिंदर ने बिस्तर में पड़े पड़े ही पूछा____"अभी तो तेरे जाने का समय नहीं हुआ ना?"
"आज घर जल्दी निकलना है मुझे।" कमला ने अपने कपड़े पहनते हुए कहा____"शालू को बुखार आया हुआ है। इस लिए यहां का काम जल्दी से निपटा कर निकल जाऊंगी मैं।"

"कोई ज़रूरत नहीं है तुझे आज यहां काम करने की।" जोगिंदर ने उठते हुए कहा____"तू पहले अपनी बेटी शालू को किसी डॉक्टर को दिखा। पैसे हैं कि नहीं तेरे पास?"

"थोड़े से छुपा के रखे हुए थे मैने।" कमला ने झूठ बोलते हुए कहा____"लेकिन मेरा मरद ले गया शराब में उड़ाने के लिए। नासपीटा काम तो कुछ करता नहीं है ऊपर से जो कुछ मैं कमाती हूं उसे भी शराब में बहा देता है। पता नहीं ऊपर वाला कब सुनेगा मेरी?"

"तू ही मना करती है मुझे।" जोगिंदर ने सख़्त भाव से कहा____"वरना उस हरमखोर को तो मैं एक दिन में सुधार दूं। ख़ैर छोड़, मैं देता हूं कुछ पैसे तुझे। शालू को किसी अच्छे डॉक्टर को दिखा देना जल्दी।"

कहने के साथ ही जोगिंदर ने अपने कुर्ते की जेब से कुछ पैसे निकाले और कमला की तरफ बढ़ा दिए। कमला ने खुशी मन से पैसे लिए और उन्हें अपने ब्लाउज में ठूंस लिया।

"अरे! मेरे लंड को तो साफ करती जा।" जोगिंदर ने मुस्कुराते हुए कहा तो कमला ने बड़ी कुटिलता से देखा उसे और फिर उसके मुरझाए हुए लंड की तरफ बढ़ी।

"मेरे मुंह में अपना ये लौड़ा डालने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते तुम।" कमला ने मुस्कुराते हुए शिकायत की____"बहुत कमीने हो तुम।"
"क्या करूं।" जोगिंदर धीरे से हंसा____"तू चूसती ही इतना ज़बरदस्त है कि बार बार मन करता है कि तेरे मुंह में ही डाले रहूं।"

कमला ने बेमन से जोगिंदर के लौड़े को मुंह में लिया और फिर चाट पोंछ कर उसे साफ कर दिया। उसके बाद वो अपनी भारी गांड़ को मटकाते हुए कमरे से बाहर निकल गई। इस बात से अंजान कि खुली हुई खिड़की से तबेले में काम करने वाला जोगिंदर का एक नौकर पूरी रासलीला देख चुका था।

[][][][][][]

"तुझे पूरा यकीन है न कि हमारे इस तरह काम करने से।" तबेले में भैंसों का गोबर उठाते हुए जगन ने संपत से पूछा____"वो मुछाड़िया जल्द ही हम पर भरोसा करने लगेगा और फिर अपन लोग को इधर से चंपत हो जाने में कोई समस्या नहीं होगी?"

"हां बे अपन को पूरा यकीन है।" संपत ने उठाए हुए गोबर को एक छोटे से झाल में रखते हुए कहा____"लेकिन अगर तू ये सोचता है कि आज ही उसे यकीन हो जाएगा तो ऐसा नहीं होगा। यानि इसके लिए अपन लोग को कम से कम दो तीन दिन का समय तो पक्का लगेगा।"

"अबे भोसड़ी के दो तीन दिन?" जगन ने आंखें फैला कर उसकी तरफ देखा____"अबे दो तीन दिन में तो अपन लोग की गांड़ फट के हाथ में ही आ जाएगी।"

"अब चाहे गांड़ फट के हाथ में आए या वो वापस अपनी जगह पे फिक्स रहे।" संपत ने उसकी तरफ देखते हुए कहा____"काम तो करना ही पड़ेगा जगन, वो भी पूरी ईमानदारी से। एक बात और, उस मुछाड़िए के सामने तो और भी गांड़ का ज़ोर लगा के काम करना होगा अपन लोग को।"

"ऐसा क्यों?" जगन को जैसे समझ न आया।
"अबे अकल के दुश्मन।" संपत ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा____"उसको ही तो दिखाना है कि अपन लोग कितनी ईमानदार से और मेहनत से उसके तबेले का हर काम कर रेले हैं। अगर वो अपन लोग को काम करते हुए नहीं देखेगा तो उसे कैसे पता चलेगा कि अपन लोग किस तरह से काम करते हैं?"

"तो लौड़े अभी तो वो इधर है ही नहीं।" जगन ने गोबर को वहीं फेंक कर कहा____"तो क्यों कर रहे अपन लोग काम? जब वो आएगा तब करेंगे न।"

"अबे अपन लोग उसके न रहने पर भी इस लिए काम कर रहे हैं।" संपत ने जैसे उसे समझाते हुए कहा____"ताकि उसके आने से पहले ही अपन लोग काम फिनिश कर डालें। जब वो देखेगा कि बाकी दिनों के मुकाबले अपन लोग ने आज टाइम से पहले ही काम निपटा दियेला है तो वो खुश हो जाएगा।"

"मतलब तू उसे खुश करना चाहता है?" जगन के चेहरे पर नाराज़गी उभर आई, बोला____"अबे उसे खुश करने की तुझे इतनी ही फिकर है तो साले अपनी गांड़ खोल के रख दे उसके सामने। साला खुश करेगा उसे।"

"तू भी साले मोहन की तरह ही है।" संपत ने मानो अपना सिर पीटते हुए कहा____"ना उसके पास धेले भर का भेजा है और न ही तेरे पास।"

"तेरे पास तो है न।" जगन ने गुस्से से उसे घूरा____"तभी उस मुछाड़िए को खुश करने की बात कह रहा है। साला बात करता है।"

"अबे अपन के कहने का मतलब तू समझता क्यों नही बे?" संपत ने भी गुस्से से उसे घूरते हुए कहा____"अपन का मतलब है कि जब अपन लोग हर काम टाइम से पहले कर के दिखा देंगे तो वो मुछाड़िया जोगिंदर अपने आप ही खुश हो जाएगा। जब वो खुश होगा तभी वो सोचेगा कि अपन लोग कितनी ईमानदारी और मेहनत से इधर काम कर रेले हैं। जब तक वो ऐसा सोचेगा नहीं तब तक वो अपन लोग पर यकीन नहीं करेगा और जब यकीन ही नहीं करेगा तो वो अपने मुस्टंडों को भी नहीं कहेगा कि वो अपन लोग पर नज़र ना रखें। और लौड़े जब तक वो मुस्टंडे अपन लोग पर नज़र रखेंगे तब तक अपन लोग इधर से घंटा चंपत नहीं हो पाएंगे। अभी समझ में आया या गांड़ में दूं एक लात?"

"भोसड़ी के इस तरह पहले नहीं समझा सकता था अपन को?" जगन वापस ज़मीन से गोबर उठाते हुए बोला____"खाली पीली टाइम खोटी कर दिया अपन का।"

"हां तू तो जैसे ताजमहल बना रहा था लौड़े।" संपत धीमें से बड़बड़ाया और गोबर से भरी झाल ले कर उसे फेंकने बाहर निकल गया।

तबेले के बाहर कुछ ही दूरी पर तीनों मुस्टंडे अपने अपने लट्ठ को साइड में रख कर बीड़ी फूंक रहे थे। संपत को झाल में गोबर ले जाते देख तीनों हंसने लगे जबकि संपत उनके यूं हंसने पर मन ही मन गालियां देते हुए बोला____'हंस लो लौड़ो। जल्दी ही ये गोबर उठाने का नंबर लगेगा तुम लोगों का भी।"

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Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
Prime
3,278
6,851
159

Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
Prime
3,278
6,851
159
Update - 03
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"चल अब बातें मत बना और काम कर।" उसने मुस्कुराते हुए कहा____"कुछ देर में कमला भी आ जाएगी। उसके आने से पहले तुझे सारे बर्तन धो डालने हैं।"

मोहन ने सहमति में सिर हिलाया और झोपड़े के अंदर चला गया। इधर वो मुस्टंडा मन ही मन जाने क्या सोचते हुए पलटा और चला गया। अभी वो कुछ ही दूर गया होगा कि तभी मोहन झट से झोपड़े के दरवाज़े के पास आया और धीमें से बोला____"तू और अपन का गुरु? अबे चल हट।"


अब आगे......

झोपड़े के अंदर से दूध के सारे बर्तन निकाल कर मोहन ट्यूब वेल के पास उन्हें धुलने में लगा हुआ था कि तभी किसी के आने की आहट से उसने गर्दन ऊपर उठा कर देखा। उसके सामने उसकी ही उमर का एक लड़का आ कर खड़ा हो गया था। मोहन ने उसे देखते हुए अपने जहन पर ज़ोर डाला तो अगले ही पल वो ये जान कर चौंका कि ये वही लड़का है जो तीन दिन पहले तबेले के पीछे किसी औरत की चूचियां दबा रहा था। हालाकि मोहन को पहले पता नहीं था लेकिन अब वो जान चुका था कि वो औरत जोगिंदर के तबेले में काम करने वाली उसकी रखैल थी जिसका नाम कमला है और वो अपनी ही जेठानी के लड़के के साथ मज़े कर रही थी।

"कौन हो तुम?" उस लड़के ने मोहन को बर्तन धोते देख हैरानी से पूछा____"और यहां क्या कर रहे हो?"

"अबे अंधा है क्या?" मोहन अपनी आदत के अनुसार उस पर मानों चढ़ दौड़ा____"दिख नहीं रहा क्या तेरे को कि अपन भी तेरी तरह एक लड़का है और इधर काम कर रेला है?"

वो लड़का मोहन की ये बात सुन कर एकदम से सकपका गया किंतु जल्दी ही सम्हल कर बोला____"ज़ुबान सम्हाल कर बात करो वरना ठीक नहीं होगा।"

"अबे चल हट।" मोहन एकदम से खड़ा हो कर उसे घुड़की दी____"तू क्या कहीं का नवाब है जो अपन तेरे से ज़ुबान सम्हाल के बात करे?"

"तू अभी जानता नहीं है कि मैं कौन हूं।" उस लड़के ने जैसे उसे धमकी देते हुए कहा____"अगर जान जाएगा तो डर के मारे मूत निकल जाएगा तेरा, समझा?"

"अबे चल, तेरी इस धमकी से लंड डरने वाला नहीं है अपन।" मोहन ने हाथ को झटकते हुए कहा____"और हां अपन जानता है तेरे को, वो भी अच्छे तरीके से। तू वही है न जो तीन दिन पहले तबेले के पीछे अपनी ही चाची की चूचियां दबा रहा था और तेरी छिनाल चाची मस्ती में आहें भर रही थी।"

लड़का मोहन की ये बात सुन कर बुरी तरह हकबका गया। पलक झपकते ही उसके चेहरे का रंग उड़ गया। वो घबराए हुए अंदाज़ में मोहन को इस तरह देखने लगा था जैसे मोहन कोई भूत हो।

"क्या हुआ?" उसे एकदम से चुप हो गया देख मोहन मुस्कुराते हुए बोला____"गांड़ फट के हाथ में आ गई ना तेरी?"

"त...त...तुम ये क्या कह रहे हो?" लड़का बुरी तरह हकलाते हुए मोहन से बोला। अब वो तू से तुम पर आ गया था। उसके चेहरे पर ढेर सारा पसीना उभर आया था जिसे उसने अपने गमछे से पोंछा।

"अपन अंतर्यामी है लौड़े।" मोहन सीना चौड़ा करते हुए बोला____"अपन को तो ये भी पता है कि तेरी छिनाल चाची तबेले के मालिक जोगिंदर चौधरी की रखैल है।"

"य...ये क्या बकवास कर रहे हो तुम?" लड़का बुरी तरह चकरा कर बोल पड़ा____"रुको अभी मालिक से तुम्हारी शिकायत करता हूं मैं।"

"जा कर दे बे लौड़े।" मोहन ने बेख़ौफ अंदाज़ में कहा____"अपन घंटा किसी से नहीं डरता। वैसे रुक अपन भी तेरे साथ तेरे मालिक के पास चलता है। अपन भी बताएगा कि उसकी रण्डी के साथ तीन दिन पहले तू क्या कर रहा था। सोच लौड़े, जब उसको पता चलेगा कि तू अपनी ही चाची की चूचियां दबा रहा था तो क्या करेगा वो तेरे साथ। अपन को यकीन है कि ये सब सुनते ही वो तेरी गांड़ फाड़ देगा। चल जल्दी चल बे लौड़े।"

मोहन कहने के साथ ही उसका हाथ पकड़ कर जब उसे खींचने लगा तो वो घबरा कर एकदम से मोहन के पैरों को ही पकड़ लिया। मोहन ने देखा कि लड़के की हालत बेहद ख़राब हो गई थी।

"भाई ऐसा गज़ब मत करना।" लड़का मोहन के पैर पकड़ कर बोला___"ये बात अगर किसी को पता चल गई तो मेरी और मेरी चाची की बहुत बदनामी होगी। इतना ही नहीं मेरा चाचा मेरी चाची को घर से निकाल देगा। भगवान के लिए भाई ये बात किसी को मत बताना।"

"क्यों, सारी हेकड़ी निकल गई तेरी?" मोहन अपनी जीत पर फूला नहीं समा रहा था। खुद को तीस मार खां समझते हुए बोला____"पहले तो बड़ा अपन को धमकी दे रहा था तू। अब क्या हुआ?"

"भाई ग़लती हो गई।" लड़का बुरी तरह मिन्नतें करते हुए बोला____"भगवान के लिए माफ़ कर दो मुझे। क़सम खाता हूं कि आज के बाद कभी तुमसे ऐसी बात नहीं करूंगा।"

"माफ़ तो कर देगा अपन तेरे को।" मोहन के ज़हन में अचानक से कोई विचार आ गया था, जिसे सोचते हुए बोला____"पर अपन की एक शर्त है।"

"भाई मुझे तुम्हारी हर शर्त मंज़ूर है।" लड़का मोहन का पैर छोड़ जल्दी से खड़े होते हुए बोला____"बस ये बात तुम किसी को मत बताना।"

"सोच ले।" मोहन ने जैसे उसको परखना चाहा, बोला____"अगर तूने अपन की शर्त नहीं मानी तो बहुत बुरा हो जाएगा तेरे साथ।"

"नहीं भाई।" लड़का मरता क्या न करता वाली हालत में था, बोला___"मैं तुम्हारी हर शर्त मानूंगा। तुम बस अपनी शर्त बताओ।"

"चल ठीक है फिर।" मोहन की धड़कनें जाने क्यों तेज़ तेज़ धडकनें लगीं थी, बोला____"अपन तेरी और चाची वाली बात एक ही शर्त पर किसी को नहीं बताएगा कि तू अपन को भी अपनी चाची की चूचियां दबाने का मौका देगा।"

"य...ये क्या कह रहे हो तुम?" लड़का बुरी तरह हैरान परेशान हो कर बोला____"नहीं नहीं, मैं ये नहीं कर सकता।"
"तो फिर गांड़ मरा भोसड़ी के।" मोहन को गुस्सा आ गया____"अपन अब सबको बताएगा कि तू अपनी मां समान चाची के साथ क्या क्या कांड करता है।"

मोहन की बात सुन कर लड़का बुरी तरह घबरा कर एक बार फिर से मोहन के पैरों को पकड़ बैठा। फिर हाथ जोड़ कर हताश भाव से बोला____"भाई ऐसा मत करना, मैं तुम्हारे पैर पड़ता हूं। भगवान के लिए भाई मुझ पर रहम करो।"

"अबे तू खुद ही अपने आप पर रहम नहीं करना चाहता तो अपन क्या करे?" मोहन एक बार फिर से उस पर हावी हो कर बोला___"जब अपन ने कह दिया कि अपन को भी तू अपनी चाची की चूचियां दबाने का मौका दे तो तुझे देना चाहिए न। साला कौन सा उसकी चूची दबाने से घिस जाएगी। जोगिंदर तो जाने क्या क्या दबाता होगा उसकी और तो और जाने कहां कहां लंड डालता होगा उसके।"

"ठीक है भाई।" लड़के ने बेबस भाव से कहा____"मुझे तुम्हारी ये शर्त मंज़ूर है पर भाई इसके लिए थोड़ा समय लगेगा।"

"न अपन को तो आज ही तेरी चाची की खरबूजे जैसी चूचियों को दबाने का है।" मोहन ने स्पष्ट भाव से कहा____"अब ये तू देख कि तू कैसे इतना जल्दी अपन का काम करेगा। अगर नहीं किया तो अपन सबको तेरे कांड के बार में बता देगा।"

"भाई कुछ तो टाइम दे दो।" लड़का फिर से मिन्नतें करते हुए बोला____"तुम खुद ही सोचो कि मैं इतना जल्दी कैसे अपनी चाची को इस काम के लिए मना पाऊंगा?"

"चल ठीक है।" मोहन को भी लगा कि उसे थोड़ा समय देना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि जल्दबाजी के चक्कर में काम बिगड़ जाए। ये सोचते हुए बोला____"अपन तेरे को आज रात तक का समय देता है पर कल तू अपनी चाची को ले के खुद आएगा अपन के पास और उसको बोलेगा कि वो अपन को अपनी चूचियां दबाने दे।"

लड़के ने मोहन की बात सुन कर हां में सिर हिला दिया। मोहन ने उसे जाने को बोल दिया तो वो चला गया। उसके जाने के बाद मोहन ये सोच कर मन ही मन खुश हो गया कि कल कमला की चूचियों को वो जैसे चाहे दबाएगा और मसलेगा। उसकी आंखों के सामने पलक झपकते ही कमला की बड़ी बड़ी चूचियां एकदम से नज़र आने लगीं।

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जोगिंदर चौधरी की बीवी साल भर पहले उसे छोड़ कर अपने मायके चली गई थी। उसके पास सब कुछ था। उसका दूध बेचने का व्यापार अच्छा खासा चलता था। रुपिया पैसा भी उसकी ज़रूरतों से कहीं अधिक ही था लेकिन इस सबके बावजूद उसकी ज़िंदगी में एक बहुत बड़ी कमी थी। एक तो उसका ब्याह काफी सालों बाद हुआ था और जब हुआ भी तो काफी सालों तक उसको कोई औलाद नहीं हुई। हालाकि वो रंगीन मिजाज़ का आदमी था और जीवन में हर चीज़ के मज़े लेता था। उसे औलाद न होने का इतना ज़्यादा दुख नहीं था लेकिन उसकी बीवी को ज़रूर था। वो हर रोज़ उसको बच्चा ना पैदा कर पाने की वजह से उस पर गुस्सा करती थी और न जाने कैसे कैसे ताने मारती रहती थी।

जोगिंदर की अपनी परिवार वालों से ज़्यादा नहीं बनती थी। वो मस्त मौला आदमी था जिसे सिर्फ़ ज़िंदगी में मज़े लेने से मतलब था। कुछ सालों तक तो बीवी ने उसको झेला और जब उससे न झेला गया तो वो उसको छोड़ कर अपने मायके चली गई। जोगिंदर को हर महीने अपनी बीवी को खर्च के लिए रुपिया भेजना पड़ता है। इसके बावजूद सच तो ये था कि बीवी के चले जाने से जोगिंदर बड़े चैन से और बड़े मज़े से रहता था। हर महीने अपनी बीवी को रुपिया भेजने में उसे कोई समस्या नहीं थी।

जब से उसकी ज़िंदगी में कमला आई थी तब से उसकी हर ज़रूरत पूरी होने लगी थी। कमला एक तरह से उसकी रखैल थी लेकिन वो उसे मानता भी बहुत था। इधर कमला भी उसके साथ खुश थी। ये अलग बात है कि उसके मन में जोगिंदर के लिए कोई मोहब्बत नहीं थी। वो तो बस अपनी बुर दे कर उससे मनचाहा रुपिया वसूलती रहती थी। इतना ही नहीं उसने तो जोगिंदर से अपने लिए सोने चांदी के गहने तक बनवा लिए थे।

कमला एक ग़रीब तथा निचले वर्ग की औरत थी। उसके दो बच्चे थे जिनमें सबसे बड़ी बेटी थी जो कि अठारह साल की थी और दूसरा बेटा जो अभी नाबालिग ही था। कमला का पति महेश शराबी था और कोई काम धंधा नहीं करता था। अकेले कमला ही घर को सम्हाले हुए थी। महेश का एक बड़ा भाई था जिसका नाम दिनेश था किंतु दो साल पहले एक्सीडेंट में उसकी मौत हो गई थी। उसकी भौजाई निर्मला को एक बेटा है जिसका नाम रवि है और वो अपनी चाची के साथ जोगिंदर के तबेले में ही काम करता है। असल में कमला ने ही जोगिंदर से कह कर रवि को काम दिलाया था। इसके उसे दो फ़ायदे थे, एक तो अपनी जेठानी के लड़के के साथ यहां काम करने से उसे किसी बदनामी का डर नहीं था दूसरे रवि को काम दिलवा कर वो अपनी जेठानी निर्मला पर भी हुकुम चला सकती थी और ऐसा हो भी रहा था।

सब कुछ बढ़िया चल रहा था लेकिन एक दिन रवि ने कमला को जोगिंदर के साथ चुदवाते हुए देख लिया था जिसके चलते कमला बहुत डर गई थी। उसने इस बता को छुपाने के लिए रवि से हाथ जोड़ कर मिन्नतें की थी। रवि मान तो गया लेकिन अपनी चाची के नंगे जिस्म को देख कर उसका दिमाग़ ख़राब सा हो गया था इस लिए अब वो भी अपनी चाची के साथ मज़ा करना चाहता था। इसके लिए उसने एक दिन हिम्मत कर के अपनी चाची कमला से बोल भी दिया। कमला उसकी ये बात सुन कर बड़ा हैरान हुई थी किंतु फिर वो ये सोच कर राज़ी हो गई कि उसे रवि के रूप में एक जवान लंड तो मिलेगा ही साथ में अब वो खुल कर जोगिंदर के साथ मज़ा भी कर सकेगी।

कमला की एक बेटी है जिसका नाम शालू है और वो भी अब जवानी की दहलीज़ पर क़दम रख चुकी है। कमला कभी कभी उसे भी अपने साथ ले आया करती है जिसके चलते एक दिन जोगिंदर के तबेले में काम करने वाले नौकर बबलू की नज़र शालू पर पड़ गई। उसके बाद उसने भोली भाली शालू को जल्दी ही अपने जाल में फांस लिया और उसके साथ मज़े करने लगा। कमला को इस बात की भनक भी नहीं है कि उसकी भोली भाली बेटी उसी की राह पर चल पड़ी है।

"आह! ऐसे ही ज़ोर ज़ोर से चोदो मुझे।" जोगिंदर के कमरे में बिस्तर पर नंगी लेटी कमला अपनी दोनों टांगों को फैलाए मज़े से आहें भरते हुए बोली____"हाए! कितना मज़ा आता है जब तुम्हारा ये मूसल मेरी बुर के पूरा अंदर तक जाता है।"

"तेरी ये बुर भी तो बहुत मस्त है मेरी राण्ड कमला।" जोगिंदर ने ज़ोर का धक्का मारते हुए कहा____"मन करता है दिन रात तुझे ऐसे ही चोदता रहूं।"

"तो चोदो ना जग्गू।" कमला जोगिंदर को जान बूझ कर जग्गू बोलती थी ताकि वो यही समझे कि वो उससे बहुत प्रेम करती है, बोली____"मैं तो कहती हूं कि हमेशा के लिए तुम मुझे अपने घर में ही बुला लो। उसके बाद जितना मन करे चोदते रहना मुझे।"

"अरे! मैं तो चाहता हूं कमला कि तू हर वक्त मेरे पास ही रहे।" जोगिंदर ने कहा___"मगर तू भी जानती है कि ये संभव नहीं है। एक तो तेरा पति तुझे हमेशा के लिए मेरे पास रहने नहीं देगा और दूसरे मेरी वो मादरचोद बीवी मुझे ऐसा करने नहीं देगी। खुद तो अपनी बुर लिए आज साल भर से अपने मायके में बैठी है और यहां मेरी उसे कोई फिकर ही नहीं है। साली ने केस करने के साथ साथ मुझे बदनाम करने की धमकी भी दे रखी है इस लिए मजबूरन मुझे उसका मुंह बंद करने के लिए हर महीने रुपिया भेजना पड़ता है।"

"आह! थोड़ा जल्दी जल्दी धक्के मारो ना मेरे जग्गू।" कमला मस्ती में बोली____"अच्छा मैं ये कह रही हूं कि अगर तुम अपनी बीवी से इतना ही परेशान हो तो उसको तलाक़ क्यों नहीं दे देते? तलाक़ के बाद तुम किसी और से ब्याह कर लेना।"

"अरे! अब इस उमर में मुझे कौन अपनी बेटी देगा कमला।" जोगिंदर उसके कहे अनुसार ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाते हुए बोला____"तू ही बता क्या तू अपनी बेटी का ब्याह मुझसे कर सकती है?"

जोगिंदर की बात सुन कर कमला का सारा मज़ा पलक झपकते ही हवा हो गया। उसे बड़ा तेज़ झटका लगा था। उसके ज़हन में तो दूर दूर तक ये नहीं था कि वो अपनी फूल जैसी बेटी का ब्याह जोगिंदर जैसे बुड्ढे आदमी से करेगी।

"देखा।" कमला को चुप देख जोगिंदर ने एक ज़ोर का धक्का मार कर कहा____"अपनी बेटी का सुन कर तेरी ज़ुबान पर एकदम से ताला ही लग गया। मैं अच्छी तरह जानता हूं कि तू अपनी बेटी का ब्याह मुझसे नहीं कर सकती क्योंकि तेरी नज़र में मैं बूढ़ा हो चुका हूं। तेरी जगह मैं होता तो मैं भी यही सोचता, इसमें तेरी कोई ग़लती नहीं है। ख़ैर छोड़ ये सब, जब तक तू मेरे पास है मुझे किसी और की ज़रूरत भी नहीं है।"

"अच्छा ये तो बताओ कि उन तीन नमूनों को कब तक रखोगे अपने तबेले में?" कमला ने मन ही मन राहत की सांस लेने के बाद पूछा____"मैंने कल देखा था बेचारों का काम कर कर के बहुत बुरा हाल हो गया था। कुछ तो रहम दिखाओ उन पर।"

"अरे! तू उन नमूनों को नहीं जानती अभी।" जोगिंदर कुछ पल रुकने के बाद फिर से धक्का लगाते हुए बोला____"साले एक नंबर के बदमाश हैं। जब तक सालों का काम कर कर के गांड़ से गू नहीं निकल जाएगा तब तक ऐसे ही काम करवाऊंगा तीनों से।"

"आह! और तेज़ करो जग्गू।" कमला मस्ती में सिसकारियां भरते हुए बोली_____"मैं झड़ने वाली हूं। आह! और ज़ोर से आह।"
"ले मेरी रांड।" जोगिंदर खुद भी अपने चरम पर था इस लिए उसने धक्कों की रफ्तार तेज़ कर दी।

कुछ ही देर में पहले कमला झटके खाते हुए झड़ी और फिर जोगिंदर। दोनों बुरी तरह हांफते हुए बिस्तर पर पसर गए। थोड़ी देर आराम करने के बाद कमला उठी और अपने कपड़े पहनने लगी।

"कहां जा रही है?" जोगिंदर ने बिस्तर में पड़े पड़े ही पूछा____"अभी तो तेरे जाने का समय नहीं हुआ ना?"
"आज घर जल्दी निकलना है मुझे।" कमला ने अपने कपड़े पहनते हुए कहा____"शालू को बुखार आया हुआ है। इस लिए यहां का काम जल्दी से निपटा कर निकल जाऊंगी मैं।"

"कोई ज़रूरत नहीं है तुझे आज यहां काम करने की।" जोगिंदर ने उठते हुए कहा____"तू पहले अपनी बेटी शालू को किसी डॉक्टर को दिखा। पैसे हैं कि नहीं तेरे पास?"

"थोड़े से छुपा के रखे हुए थे मैने।" कमला ने झूठ बोलते हुए कहा____"लेकिन मेरा मरद ले गया शराब में उड़ाने के लिए। नासपीटा काम तो कुछ करता नहीं है ऊपर से जो कुछ मैं कमाती हूं उसे भी शराब में बहा देता है। पता नहीं ऊपर वाला कब सुनेगा मेरी?"

"तू ही मना करती है मुझे।" जोगिंदर ने सख़्त भाव से कहा____"वरना उस हरमखोर को तो मैं एक दिन में सुधार दूं। ख़ैर छोड़, मैं देता हूं कुछ पैसे तुझे। शालू को किसी अच्छे डॉक्टर को दिखा देना जल्दी।"

कहने के साथ ही जोगिंदर ने अपने कुर्ते की जेब से कुछ पैसे निकाले और कमला की तरफ बढ़ा दिए। कमला ने खुशी मन से पैसे लिए और उन्हें अपने ब्लाउज में ठूंस लिया।

"अरे! मेरे लंड को तो साफ करती जा।" जोगिंदर ने मुस्कुराते हुए कहा तो कमला ने बड़ी कुटिलता से देखा उसे और फिर उसके मुरझाए हुए लंड की तरफ बढ़ी।

"मेरे मुंह में अपना ये लौड़ा डालने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते तुम।" कमला ने मुस्कुराते हुए शिकायत की____"बहुत कमीने हो तुम।"
"क्या करूं।" जोगिंदर धीरे से हंसा____"तू चूसती ही इतना ज़बरदस्त है कि बार बार मन करता है कि तेरे मुंह में ही डाले रहूं।"

कमला ने बेमन से जोगिंदर के लौड़े को मुंह में लिया और फिर चाट पोंछ कर उसे साफ कर दिया। उसके बाद वो अपनी भारी गांड़ को मटकाते हुए कमरे से बाहर निकल गई। इस बात से अंजान कि खुली हुई खिड़की से तबेले में काम करने वाला जोगिंदर का एक नौकर पूरी रासलीला देख चुका था।

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"तुझे पूरा यकीन है न कि हमारे इस तरह काम करने से।" तबेले में भैंसों का गोबर उठाते हुए जगन ने संपत से पूछा____"वो मुछाड़िया जल्द ही हम पर भरोसा करने लगेगा और फिर अपन लोग को इधर से चंपत हो जाने में कोई समस्या नहीं होगी?"

"हां बे अपन को पूरा यकीन है।" संपत ने उठाए हुए गोबर को एक छोटे से झाल में रखते हुए कहा____"लेकिन अगर तू ये सोचता है कि आज ही उसे यकीन हो जाएगा तो ऐसा नहीं होगा। यानि इसके लिए अपन लोग को कम से कम दो तीन दिन का समय तो पक्का लगेगा।"

"अबे भोसड़ी के दो तीन दिन?" जगन ने आंखें फैला कर उसकी तरफ देखा____"अबे दो तीन दिन में तो अपन लोग की गांड़ फट के हाथ में ही आ जाएगी।"

"अब चाहे गांड़ फट के हाथ में आए या वो वापस अपनी जगह पे फिक्स रहे।" संपत ने उसकी तरफ देखते हुए कहा____"काम तो करना ही पड़ेगा जगन, वो भी पूरी ईमानदारी से। एक बात और, उस मुछाड़िए के सामने तो और भी गांड़ का ज़ोर लगा के काम करना होगा अपन लोग को।"

"ऐसा क्यों?" जगन को जैसे समझ न आया।
"अबे अकल के दुश्मन।" संपत ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा____"उसको ही तो दिखाना है कि अपन लोग कितनी ईमानदार से और मेहनत से उसके तबेले का हर काम कर रेले हैं। अगर वो अपन लोग को काम करते हुए नहीं देखेगा तो उसे कैसे पता चलेगा कि अपन लोग किस तरह से काम करते हैं?"

"तो लौड़े अभी तो वो इधर है ही नहीं।" जगन ने गोबर को वहीं फेंक कर कहा____"तो क्यों कर रहे अपन लोग काम? जब वो आएगा तब करेंगे न।"

"अबे अपन लोग उसके न रहने पर भी इस लिए काम कर रहे हैं।" संपत ने जैसे उसे समझाते हुए कहा____"ताकि उसके आने से पहले ही अपन लोग काम फिनिश कर डालें। जब वो देखेगा कि बाकी दिनों के मुकाबले अपन लोग ने आज टाइम से पहले ही काम निपटा दियेला है तो वो खुश हो जाएगा।"

"मतलब तू उसे खुश करना चाहता है?" जगन के चेहरे पर नाराज़गी उभर आई, बोला____"अबे उसे खुश करने की तुझे इतनी ही फिकर है तो साले अपनी गांड़ खोल के रख दे उसके सामने। साला खुश करेगा उसे।"

"तू भी साले मोहन की तरह ही है।" संपत ने मानो अपना सिर पीटते हुए कहा____"ना उसके पास धेले भर का भेजा है और न ही तेरे पास।"

"तेरे पास तो है न।" जगन ने गुस्से से उसे घूरा____"तभी उस मुछाड़िए को खुश करने की बात कह रहा है। साला बात करता है।"

"अबे अपन के कहने का मतलब तू समझता क्यों नही बे?" संपत ने भी गुस्से से उसे घूरते हुए कहा____"अपन का मतलब है कि जब अपन लोग हर काम टाइम से पहले कर के दिखा देंगे तो वो मुछाड़िया जोगिंदर अपने आप ही खुश हो जाएगा। जब वो खुश होगा तभी वो सोचेगा कि अपन लोग कितनी ईमानदारी और मेहनत से इधर काम कर रेले हैं। जब तक वो ऐसा सोचेगा नहीं तब तक वो अपन लोग पर यकीन नहीं करेगा और जब यकीन ही नहीं करेगा तो वो अपने मुस्टंडों को भी नहीं कहेगा कि वो अपन लोग पर नज़र ना रखें। और लौड़े जब तक वो मुस्टंडे अपन लोग पर नज़र रखेंगे तब तक अपन लोग इधर से घंटा चंपत नहीं हो पाएंगे। अभी समझ में आया या गांड़ में दूं एक लात?"

"भोसड़ी के इस तरह पहले नहीं समझा सकता था अपन को?" जगन वापस ज़मीन से गोबर उठाते हुए बोला____"खाली पीली टाइम खोटी कर दिया अपन का।"

"हां तू तो जैसे ताजमहल बना रहा था लौड़े।" संपत धीमें से बड़बड़ाया और गोबर से भरी झाल ले कर उसे फेंकने बाहर निकल गया।

तबेले के बाहर कुछ ही दूरी पर तीनों मुस्टंडे अपने अपने लट्ठ को साइड में रख कर बीड़ी फूंक रहे थे। संपत को झाल में गोबर ले जाते देख तीनों हंसने लगे जबकि संपत उनके यूं हंसने पर मन ही मन गालियां देते हुए बोला____'हंस लो लौड़ो। जल्दी ही ये गोबर उठाने का नंबर लगेगा तुम लोगों का भी।"


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Update badhiya he guru par concept normal se alag he to apane gale ke niche nahi ja raha asani se.
Story shayad 30 updates se upar jayegi.
 

Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
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Aisa lagta hai ju un teeno ke alla dimag ka loha maan gaye ho :D

These sabko apne jaisa samajhne wale log :sigh:

Filhaal to abhi door door tak usko start karne ka vichaar nahi hai. Haan ye zarur hai ki jab bhi time milta hai uske update likhta hu kyoki wo story aisi hargiz nahi hai jise apan khud nazarandaz kar sake. Well let's see
Aisa he ke me readers ki cheap mentality ko closely dekh chuka hu :roll3: aur unke liye story likhna jo aapke samay, kaushal, gyan ki kadar na kare dukhdayak hota he :verysad:
Isiliye muze jo readers mile he jo sahi se padhke achhe se reviews dete he unhi ko me behtar response samaz ke aage jata hu kyonki baki jagah khali bina thik se padhe aand khali karne wale he bhare he jinhen quality se matlab nahi he :sigh: .
Kher enogh of that , jab man kare likhio.
 

park

Well-Known Member
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Update - 03
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"चल अब बातें मत बना और काम कर।" उसने मुस्कुराते हुए कहा____"कुछ देर में कमला भी आ जाएगी। उसके आने से पहले तुझे सारे बर्तन धो डालने हैं।"

मोहन ने सहमति में सिर हिलाया और झोपड़े के अंदर चला गया। इधर वो मुस्टंडा मन ही मन जाने क्या सोचते हुए पलटा और चला गया। अभी वो कुछ ही दूर गया होगा कि तभी मोहन झट से झोपड़े के दरवाज़े के पास आया और धीमें से बोला____"तू और अपन का गुरु? अबे चल हट।"


अब आगे......

झोपड़े के अंदर से दूध के सारे बर्तन निकाल कर मोहन ट्यूब वेल के पास उन्हें धुलने में लगा हुआ था कि तभी किसी के आने की आहट से उसने गर्दन ऊपर उठा कर देखा। उसके सामने उसकी ही उमर का एक लड़का आ कर खड़ा हो गया था। मोहन ने उसे देखते हुए अपने जहन पर ज़ोर डाला तो अगले ही पल वो ये जान कर चौंका कि ये वही लड़का है जो तीन दिन पहले तबेले के पीछे किसी औरत की चूचियां दबा रहा था। हालाकि मोहन को पहले पता नहीं था लेकिन अब वो जान चुका था कि वो औरत जोगिंदर के तबेले में काम करने वाली उसकी रखैल थी जिसका नाम कमला है और वो अपनी ही जेठानी के लड़के के साथ मज़े कर रही थी।

"कौन हो तुम?" उस लड़के ने मोहन को बर्तन धोते देख हैरानी से पूछा____"और यहां क्या कर रहे हो?"

"अबे अंधा है क्या?" मोहन अपनी आदत के अनुसार उस पर मानों चढ़ दौड़ा____"दिख नहीं रहा क्या तेरे को कि अपन भी तेरी तरह एक लड़का है और इधर काम कर रेला है?"

वो लड़का मोहन की ये बात सुन कर एकदम से सकपका गया किंतु जल्दी ही सम्हल कर बोला____"ज़ुबान सम्हाल कर बात करो वरना ठीक नहीं होगा।"

"अबे चल हट।" मोहन एकदम से खड़ा हो कर उसे घुड़की दी____"तू क्या कहीं का नवाब है जो अपन तेरे से ज़ुबान सम्हाल के बात करे?"

"तू अभी जानता नहीं है कि मैं कौन हूं।" उस लड़के ने जैसे उसे धमकी देते हुए कहा____"अगर जान जाएगा तो डर के मारे मूत निकल जाएगा तेरा, समझा?"

"अबे चल, तेरी इस धमकी से लंड डरने वाला नहीं है अपन।" मोहन ने हाथ को झटकते हुए कहा____"और हां अपन जानता है तेरे को, वो भी अच्छे तरीके से। तू वही है न जो तीन दिन पहले तबेले के पीछे अपनी ही चाची की चूचियां दबा रहा था और तेरी छिनाल चाची मस्ती में आहें भर रही थी।"

लड़का मोहन की ये बात सुन कर बुरी तरह हकबका गया। पलक झपकते ही उसके चेहरे का रंग उड़ गया। वो घबराए हुए अंदाज़ में मोहन को इस तरह देखने लगा था जैसे मोहन कोई भूत हो।

"क्या हुआ?" उसे एकदम से चुप हो गया देख मोहन मुस्कुराते हुए बोला____"गांड़ फट के हाथ में आ गई ना तेरी?"

"त...त...तुम ये क्या कह रहे हो?" लड़का बुरी तरह हकलाते हुए मोहन से बोला। अब वो तू से तुम पर आ गया था। उसके चेहरे पर ढेर सारा पसीना उभर आया था जिसे उसने अपने गमछे से पोंछा।

"अपन अंतर्यामी है लौड़े।" मोहन सीना चौड़ा करते हुए बोला____"अपन को तो ये भी पता है कि तेरी छिनाल चाची तबेले के मालिक जोगिंदर चौधरी की रखैल है।"

"य...ये क्या बकवास कर रहे हो तुम?" लड़का बुरी तरह चकरा कर बोल पड़ा____"रुको अभी मालिक से तुम्हारी शिकायत करता हूं मैं।"

"जा कर दे बे लौड़े।" मोहन ने बेख़ौफ अंदाज़ में कहा____"अपन घंटा किसी से नहीं डरता। वैसे रुक अपन भी तेरे साथ तेरे मालिक के पास चलता है। अपन भी बताएगा कि उसकी रण्डी के साथ तीन दिन पहले तू क्या कर रहा था। सोच लौड़े, जब उसको पता चलेगा कि तू अपनी ही चाची की चूचियां दबा रहा था तो क्या करेगा वो तेरे साथ। अपन को यकीन है कि ये सब सुनते ही वो तेरी गांड़ फाड़ देगा। चल जल्दी चल बे लौड़े।"

मोहन कहने के साथ ही उसका हाथ पकड़ कर जब उसे खींचने लगा तो वो घबरा कर एकदम से मोहन के पैरों को ही पकड़ लिया। मोहन ने देखा कि लड़के की हालत बेहद ख़राब हो गई थी।

"भाई ऐसा गज़ब मत करना।" लड़का मोहन के पैर पकड़ कर बोला___"ये बात अगर किसी को पता चल गई तो मेरी और मेरी चाची की बहुत बदनामी होगी। इतना ही नहीं मेरा चाचा मेरी चाची को घर से निकाल देगा। भगवान के लिए भाई ये बात किसी को मत बताना।"

"क्यों, सारी हेकड़ी निकल गई तेरी?" मोहन अपनी जीत पर फूला नहीं समा रहा था। खुद को तीस मार खां समझते हुए बोला____"पहले तो बड़ा अपन को धमकी दे रहा था तू। अब क्या हुआ?"

"भाई ग़लती हो गई।" लड़का बुरी तरह मिन्नतें करते हुए बोला____"भगवान के लिए माफ़ कर दो मुझे। क़सम खाता हूं कि आज के बाद कभी तुमसे ऐसी बात नहीं करूंगा।"

"माफ़ तो कर देगा अपन तेरे को।" मोहन के ज़हन में अचानक से कोई विचार आ गया था, जिसे सोचते हुए बोला____"पर अपन की एक शर्त है।"

"भाई मुझे तुम्हारी हर शर्त मंज़ूर है।" लड़का मोहन का पैर छोड़ जल्दी से खड़े होते हुए बोला____"बस ये बात तुम किसी को मत बताना।"

"सोच ले।" मोहन ने जैसे उसको परखना चाहा, बोला____"अगर तूने अपन की शर्त नहीं मानी तो बहुत बुरा हो जाएगा तेरे साथ।"

"नहीं भाई।" लड़का मरता क्या न करता वाली हालत में था, बोला___"मैं तुम्हारी हर शर्त मानूंगा। तुम बस अपनी शर्त बताओ।"

"चल ठीक है फिर।" मोहन की धड़कनें जाने क्यों तेज़ तेज़ धडकनें लगीं थी, बोला____"अपन तेरी और चाची वाली बात एक ही शर्त पर किसी को नहीं बताएगा कि तू अपन को भी अपनी चाची की चूचियां दबाने का मौका देगा।"

"य...ये क्या कह रहे हो तुम?" लड़का बुरी तरह हैरान परेशान हो कर बोला____"नहीं नहीं, मैं ये नहीं कर सकता।"
"तो फिर गांड़ मरा भोसड़ी के।" मोहन को गुस्सा आ गया____"अपन अब सबको बताएगा कि तू अपनी मां समान चाची के साथ क्या क्या कांड करता है।"

मोहन की बात सुन कर लड़का बुरी तरह घबरा कर एक बार फिर से मोहन के पैरों को पकड़ बैठा। फिर हाथ जोड़ कर हताश भाव से बोला____"भाई ऐसा मत करना, मैं तुम्हारे पैर पड़ता हूं। भगवान के लिए भाई मुझ पर रहम करो।"

"अबे तू खुद ही अपने आप पर रहम नहीं करना चाहता तो अपन क्या करे?" मोहन एक बार फिर से उस पर हावी हो कर बोला___"जब अपन ने कह दिया कि अपन को भी तू अपनी चाची की चूचियां दबाने का मौका दे तो तुझे देना चाहिए न। साला कौन सा उसकी चूची दबाने से घिस जाएगी। जोगिंदर तो जाने क्या क्या दबाता होगा उसकी और तो और जाने कहां कहां लंड डालता होगा उसके।"

"ठीक है भाई।" लड़के ने बेबस भाव से कहा____"मुझे तुम्हारी ये शर्त मंज़ूर है पर भाई इसके लिए थोड़ा समय लगेगा।"

"न अपन को तो आज ही तेरी चाची की खरबूजे जैसी चूचियों को दबाने का है।" मोहन ने स्पष्ट भाव से कहा____"अब ये तू देख कि तू कैसे इतना जल्दी अपन का काम करेगा। अगर नहीं किया तो अपन सबको तेरे कांड के बार में बता देगा।"

"भाई कुछ तो टाइम दे दो।" लड़का फिर से मिन्नतें करते हुए बोला____"तुम खुद ही सोचो कि मैं इतना जल्दी कैसे अपनी चाची को इस काम के लिए मना पाऊंगा?"

"चल ठीक है।" मोहन को भी लगा कि उसे थोड़ा समय देना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि जल्दबाजी के चक्कर में काम बिगड़ जाए। ये सोचते हुए बोला____"अपन तेरे को आज रात तक का समय देता है पर कल तू अपनी चाची को ले के खुद आएगा अपन के पास और उसको बोलेगा कि वो अपन को अपनी चूचियां दबाने दे।"

लड़के ने मोहन की बात सुन कर हां में सिर हिला दिया। मोहन ने उसे जाने को बोल दिया तो वो चला गया। उसके जाने के बाद मोहन ये सोच कर मन ही मन खुश हो गया कि कल कमला की चूचियों को वो जैसे चाहे दबाएगा और मसलेगा। उसकी आंखों के सामने पलक झपकते ही कमला की बड़ी बड़ी चूचियां एकदम से नज़र आने लगीं।

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जोगिंदर चौधरी की बीवी साल भर पहले उसे छोड़ कर अपने मायके चली गई थी। उसके पास सब कुछ था। उसका दूध बेचने का व्यापार अच्छा खासा चलता था। रुपिया पैसा भी उसकी ज़रूरतों से कहीं अधिक ही था लेकिन इस सबके बावजूद उसकी ज़िंदगी में एक बहुत बड़ी कमी थी। एक तो उसका ब्याह काफी सालों बाद हुआ था और जब हुआ भी तो काफी सालों तक उसको कोई औलाद नहीं हुई। हालाकि वो रंगीन मिजाज़ का आदमी था और जीवन में हर चीज़ के मज़े लेता था। उसे औलाद न होने का इतना ज़्यादा दुख नहीं था लेकिन उसकी बीवी को ज़रूर था। वो हर रोज़ उसको बच्चा ना पैदा कर पाने की वजह से उस पर गुस्सा करती थी और न जाने कैसे कैसे ताने मारती रहती थी।

जोगिंदर की अपनी परिवार वालों से ज़्यादा नहीं बनती थी। वो मस्त मौला आदमी था जिसे सिर्फ़ ज़िंदगी में मज़े लेने से मतलब था। कुछ सालों तक तो बीवी ने उसको झेला और जब उससे न झेला गया तो वो उसको छोड़ कर अपने मायके चली गई। जोगिंदर को हर महीने अपनी बीवी को खर्च के लिए रुपिया भेजना पड़ता है। इसके बावजूद सच तो ये था कि बीवी के चले जाने से जोगिंदर बड़े चैन से और बड़े मज़े से रहता था। हर महीने अपनी बीवी को रुपिया भेजने में उसे कोई समस्या नहीं थी।

जब से उसकी ज़िंदगी में कमला आई थी तब से उसकी हर ज़रूरत पूरी होने लगी थी। कमला एक तरह से उसकी रखैल थी लेकिन वो उसे मानता भी बहुत था। इधर कमला भी उसके साथ खुश थी। ये अलग बात है कि उसके मन में जोगिंदर के लिए कोई मोहब्बत नहीं थी। वो तो बस अपनी बुर दे कर उससे मनचाहा रुपिया वसूलती रहती थी। इतना ही नहीं उसने तो जोगिंदर से अपने लिए सोने चांदी के गहने तक बनवा लिए थे।

कमला एक ग़रीब तथा निचले वर्ग की औरत थी। उसके दो बच्चे थे जिनमें सबसे बड़ी बेटी थी जो कि अठारह साल की थी और दूसरा बेटा जो अभी नाबालिग ही था। कमला का पति महेश शराबी था और कोई काम धंधा नहीं करता था। अकेले कमला ही घर को सम्हाले हुए थी। महेश का एक बड़ा भाई था जिसका नाम दिनेश था किंतु दो साल पहले एक्सीडेंट में उसकी मौत हो गई थी। उसकी भौजाई निर्मला को एक बेटा है जिसका नाम रवि है और वो अपनी चाची के साथ जोगिंदर के तबेले में ही काम करता है। असल में कमला ने ही जोगिंदर से कह कर रवि को काम दिलाया था। इसके उसे दो फ़ायदे थे, एक तो अपनी जेठानी के लड़के के साथ यहां काम करने से उसे किसी बदनामी का डर नहीं था दूसरे रवि को काम दिलवा कर वो अपनी जेठानी निर्मला पर भी हुकुम चला सकती थी और ऐसा हो भी रहा था।

सब कुछ बढ़िया चल रहा था लेकिन एक दिन रवि ने कमला को जोगिंदर के साथ चुदवाते हुए देख लिया था जिसके चलते कमला बहुत डर गई थी। उसने इस बता को छुपाने के लिए रवि से हाथ जोड़ कर मिन्नतें की थी। रवि मान तो गया लेकिन अपनी चाची के नंगे जिस्म को देख कर उसका दिमाग़ ख़राब सा हो गया था इस लिए अब वो भी अपनी चाची के साथ मज़ा करना चाहता था। इसके लिए उसने एक दिन हिम्मत कर के अपनी चाची कमला से बोल भी दिया। कमला उसकी ये बात सुन कर बड़ा हैरान हुई थी किंतु फिर वो ये सोच कर राज़ी हो गई कि उसे रवि के रूप में एक जवान लंड तो मिलेगा ही साथ में अब वो खुल कर जोगिंदर के साथ मज़ा भी कर सकेगी।

कमला की एक बेटी है जिसका नाम शालू है और वो भी अब जवानी की दहलीज़ पर क़दम रख चुकी है। कमला कभी कभी उसे भी अपने साथ ले आया करती है जिसके चलते एक दिन जोगिंदर के तबेले में काम करने वाले नौकर बबलू की नज़र शालू पर पड़ गई। उसके बाद उसने भोली भाली शालू को जल्दी ही अपने जाल में फांस लिया और उसके साथ मज़े करने लगा। कमला को इस बात की भनक भी नहीं है कि उसकी भोली भाली बेटी उसी की राह पर चल पड़ी है।

"आह! ऐसे ही ज़ोर ज़ोर से चोदो मुझे।" जोगिंदर के कमरे में बिस्तर पर नंगी लेटी कमला अपनी दोनों टांगों को फैलाए मज़े से आहें भरते हुए बोली____"हाए! कितना मज़ा आता है जब तुम्हारा ये मूसल मेरी बुर के पूरा अंदर तक जाता है।"

"तेरी ये बुर भी तो बहुत मस्त है मेरी राण्ड कमला।" जोगिंदर ने ज़ोर का धक्का मारते हुए कहा____"मन करता है दिन रात तुझे ऐसे ही चोदता रहूं।"

"तो चोदो ना जग्गू।" कमला जोगिंदर को जान बूझ कर जग्गू बोलती थी ताकि वो यही समझे कि वो उससे बहुत प्रेम करती है, बोली____"मैं तो कहती हूं कि हमेशा के लिए तुम मुझे अपने घर में ही बुला लो। उसके बाद जितना मन करे चोदते रहना मुझे।"

"अरे! मैं तो चाहता हूं कमला कि तू हर वक्त मेरे पास ही रहे।" जोगिंदर ने कहा___"मगर तू भी जानती है कि ये संभव नहीं है। एक तो तेरा पति तुझे हमेशा के लिए मेरे पास रहने नहीं देगा और दूसरे मेरी वो मादरचोद बीवी मुझे ऐसा करने नहीं देगी। खुद तो अपनी बुर लिए आज साल भर से अपने मायके में बैठी है और यहां मेरी उसे कोई फिकर ही नहीं है। साली ने केस करने के साथ साथ मुझे बदनाम करने की धमकी भी दे रखी है इस लिए मजबूरन मुझे उसका मुंह बंद करने के लिए हर महीने रुपिया भेजना पड़ता है।"

"आह! थोड़ा जल्दी जल्दी धक्के मारो ना मेरे जग्गू।" कमला मस्ती में बोली____"अच्छा मैं ये कह रही हूं कि अगर तुम अपनी बीवी से इतना ही परेशान हो तो उसको तलाक़ क्यों नहीं दे देते? तलाक़ के बाद तुम किसी और से ब्याह कर लेना।"

"अरे! अब इस उमर में मुझे कौन अपनी बेटी देगा कमला।" जोगिंदर उसके कहे अनुसार ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाते हुए बोला____"तू ही बता क्या तू अपनी बेटी का ब्याह मुझसे कर सकती है?"

जोगिंदर की बात सुन कर कमला का सारा मज़ा पलक झपकते ही हवा हो गया। उसे बड़ा तेज़ झटका लगा था। उसके ज़हन में तो दूर दूर तक ये नहीं था कि वो अपनी फूल जैसी बेटी का ब्याह जोगिंदर जैसे बुड्ढे आदमी से करेगी।

"देखा।" कमला को चुप देख जोगिंदर ने एक ज़ोर का धक्का मार कर कहा____"अपनी बेटी का सुन कर तेरी ज़ुबान पर एकदम से ताला ही लग गया। मैं अच्छी तरह जानता हूं कि तू अपनी बेटी का ब्याह मुझसे नहीं कर सकती क्योंकि तेरी नज़र में मैं बूढ़ा हो चुका हूं। तेरी जगह मैं होता तो मैं भी यही सोचता, इसमें तेरी कोई ग़लती नहीं है। ख़ैर छोड़ ये सब, जब तक तू मेरे पास है मुझे किसी और की ज़रूरत भी नहीं है।"

"अच्छा ये तो बताओ कि उन तीन नमूनों को कब तक रखोगे अपने तबेले में?" कमला ने मन ही मन राहत की सांस लेने के बाद पूछा____"मैंने कल देखा था बेचारों का काम कर कर के बहुत बुरा हाल हो गया था। कुछ तो रहम दिखाओ उन पर।"

"अरे! तू उन नमूनों को नहीं जानती अभी।" जोगिंदर कुछ पल रुकने के बाद फिर से धक्का लगाते हुए बोला____"साले एक नंबर के बदमाश हैं। जब तक सालों का काम कर कर के गांड़ से गू नहीं निकल जाएगा तब तक ऐसे ही काम करवाऊंगा तीनों से।"

"आह! और तेज़ करो जग्गू।" कमला मस्ती में सिसकारियां भरते हुए बोली_____"मैं झड़ने वाली हूं। आह! और ज़ोर से आह।"
"ले मेरी रांड।" जोगिंदर खुद भी अपने चरम पर था इस लिए उसने धक्कों की रफ्तार तेज़ कर दी।

कुछ ही देर में पहले कमला झटके खाते हुए झड़ी और फिर जोगिंदर। दोनों बुरी तरह हांफते हुए बिस्तर पर पसर गए। थोड़ी देर आराम करने के बाद कमला उठी और अपने कपड़े पहनने लगी।

"कहां जा रही है?" जोगिंदर ने बिस्तर में पड़े पड़े ही पूछा____"अभी तो तेरे जाने का समय नहीं हुआ ना?"
"आज घर जल्दी निकलना है मुझे।" कमला ने अपने कपड़े पहनते हुए कहा____"शालू को बुखार आया हुआ है। इस लिए यहां का काम जल्दी से निपटा कर निकल जाऊंगी मैं।"

"कोई ज़रूरत नहीं है तुझे आज यहां काम करने की।" जोगिंदर ने उठते हुए कहा____"तू पहले अपनी बेटी शालू को किसी डॉक्टर को दिखा। पैसे हैं कि नहीं तेरे पास?"

"थोड़े से छुपा के रखे हुए थे मैने।" कमला ने झूठ बोलते हुए कहा____"लेकिन मेरा मरद ले गया शराब में उड़ाने के लिए। नासपीटा काम तो कुछ करता नहीं है ऊपर से जो कुछ मैं कमाती हूं उसे भी शराब में बहा देता है। पता नहीं ऊपर वाला कब सुनेगा मेरी?"

"तू ही मना करती है मुझे।" जोगिंदर ने सख़्त भाव से कहा____"वरना उस हरमखोर को तो मैं एक दिन में सुधार दूं। ख़ैर छोड़, मैं देता हूं कुछ पैसे तुझे। शालू को किसी अच्छे डॉक्टर को दिखा देना जल्दी।"

कहने के साथ ही जोगिंदर ने अपने कुर्ते की जेब से कुछ पैसे निकाले और कमला की तरफ बढ़ा दिए। कमला ने खुशी मन से पैसे लिए और उन्हें अपने ब्लाउज में ठूंस लिया।

"अरे! मेरे लंड को तो साफ करती जा।" जोगिंदर ने मुस्कुराते हुए कहा तो कमला ने बड़ी कुटिलता से देखा उसे और फिर उसके मुरझाए हुए लंड की तरफ बढ़ी।

"मेरे मुंह में अपना ये लौड़ा डालने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते तुम।" कमला ने मुस्कुराते हुए शिकायत की____"बहुत कमीने हो तुम।"
"क्या करूं।" जोगिंदर धीरे से हंसा____"तू चूसती ही इतना ज़बरदस्त है कि बार बार मन करता है कि तेरे मुंह में ही डाले रहूं।"

कमला ने बेमन से जोगिंदर के लौड़े को मुंह में लिया और फिर चाट पोंछ कर उसे साफ कर दिया। उसके बाद वो अपनी भारी गांड़ को मटकाते हुए कमरे से बाहर निकल गई। इस बात से अंजान कि खुली हुई खिड़की से तबेले में काम करने वाला जोगिंदर का एक नौकर पूरी रासलीला देख चुका था।

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"तुझे पूरा यकीन है न कि हमारे इस तरह काम करने से।" तबेले में भैंसों का गोबर उठाते हुए जगन ने संपत से पूछा____"वो मुछाड़िया जल्द ही हम पर भरोसा करने लगेगा और फिर अपन लोग को इधर से चंपत हो जाने में कोई समस्या नहीं होगी?"

"हां बे अपन को पूरा यकीन है।" संपत ने उठाए हुए गोबर को एक छोटे से झाल में रखते हुए कहा____"लेकिन अगर तू ये सोचता है कि आज ही उसे यकीन हो जाएगा तो ऐसा नहीं होगा। यानि इसके लिए अपन लोग को कम से कम दो तीन दिन का समय तो पक्का लगेगा।"

"अबे भोसड़ी के दो तीन दिन?" जगन ने आंखें फैला कर उसकी तरफ देखा____"अबे दो तीन दिन में तो अपन लोग की गांड़ फट के हाथ में ही आ जाएगी।"

"अब चाहे गांड़ फट के हाथ में आए या वो वापस अपनी जगह पे फिक्स रहे।" संपत ने उसकी तरफ देखते हुए कहा____"काम तो करना ही पड़ेगा जगन, वो भी पूरी ईमानदारी से। एक बात और, उस मुछाड़िए के सामने तो और भी गांड़ का ज़ोर लगा के काम करना होगा अपन लोग को।"

"ऐसा क्यों?" जगन को जैसे समझ न आया।
"अबे अकल के दुश्मन।" संपत ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा____"उसको ही तो दिखाना है कि अपन लोग कितनी ईमानदार से और मेहनत से उसके तबेले का हर काम कर रेले हैं। अगर वो अपन लोग को काम करते हुए नहीं देखेगा तो उसे कैसे पता चलेगा कि अपन लोग किस तरह से काम करते हैं?"

"तो लौड़े अभी तो वो इधर है ही नहीं।" जगन ने गोबर को वहीं फेंक कर कहा____"तो क्यों कर रहे अपन लोग काम? जब वो आएगा तब करेंगे न।"

"अबे अपन लोग उसके न रहने पर भी इस लिए काम कर रहे हैं।" संपत ने जैसे उसे समझाते हुए कहा____"ताकि उसके आने से पहले ही अपन लोग काम फिनिश कर डालें। जब वो देखेगा कि बाकी दिनों के मुकाबले अपन लोग ने आज टाइम से पहले ही काम निपटा दियेला है तो वो खुश हो जाएगा।"

"मतलब तू उसे खुश करना चाहता है?" जगन के चेहरे पर नाराज़गी उभर आई, बोला____"अबे उसे खुश करने की तुझे इतनी ही फिकर है तो साले अपनी गांड़ खोल के रख दे उसके सामने। साला खुश करेगा उसे।"

"तू भी साले मोहन की तरह ही है।" संपत ने मानो अपना सिर पीटते हुए कहा____"ना उसके पास धेले भर का भेजा है और न ही तेरे पास।"

"तेरे पास तो है न।" जगन ने गुस्से से उसे घूरा____"तभी उस मुछाड़िए को खुश करने की बात कह रहा है। साला बात करता है।"

"अबे अपन के कहने का मतलब तू समझता क्यों नही बे?" संपत ने भी गुस्से से उसे घूरते हुए कहा____"अपन का मतलब है कि जब अपन लोग हर काम टाइम से पहले कर के दिखा देंगे तो वो मुछाड़िया जोगिंदर अपने आप ही खुश हो जाएगा। जब वो खुश होगा तभी वो सोचेगा कि अपन लोग कितनी ईमानदारी और मेहनत से इधर काम कर रेले हैं। जब तक वो ऐसा सोचेगा नहीं तब तक वो अपन लोग पर यकीन नहीं करेगा और जब यकीन ही नहीं करेगा तो वो अपने मुस्टंडों को भी नहीं कहेगा कि वो अपन लोग पर नज़र ना रखें। और लौड़े जब तक वो मुस्टंडे अपन लोग पर नज़र रखेंगे तब तक अपन लोग इधर से घंटा चंपत नहीं हो पाएंगे। अभी समझ में आया या गांड़ में दूं एक लात?"

"भोसड़ी के इस तरह पहले नहीं समझा सकता था अपन को?" जगन वापस ज़मीन से गोबर उठाते हुए बोला____"खाली पीली टाइम खोटी कर दिया अपन का।"

"हां तू तो जैसे ताजमहल बना रहा था लौड़े।" संपत धीमें से बड़बड़ाया और गोबर से भरी झाल ले कर उसे फेंकने बाहर निकल गया।

तबेले के बाहर कुछ ही दूरी पर तीनों मुस्टंडे अपने अपने लट्ठ को साइड में रख कर बीड़ी फूंक रहे थे। संपत को झाल में गोबर ले जाते देख तीनों हंसने लगे जबकि संपत उनके यूं हंसने पर मन ही मन गालियां देते हुए बोला____'हंस लो लौड़ो। जल्दी ही ये गोबर उठाने का नंबर लगेगा तुम लोगों का भी।"


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Nice and superb update.....
 

kas1709

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Update - 03
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"चल अब बातें मत बना और काम कर।" उसने मुस्कुराते हुए कहा____"कुछ देर में कमला भी आ जाएगी। उसके आने से पहले तुझे सारे बर्तन धो डालने हैं।"

मोहन ने सहमति में सिर हिलाया और झोपड़े के अंदर चला गया। इधर वो मुस्टंडा मन ही मन जाने क्या सोचते हुए पलटा और चला गया। अभी वो कुछ ही दूर गया होगा कि तभी मोहन झट से झोपड़े के दरवाज़े के पास आया और धीमें से बोला____"तू और अपन का गुरु? अबे चल हट।"


अब आगे......

झोपड़े के अंदर से दूध के सारे बर्तन निकाल कर मोहन ट्यूब वेल के पास उन्हें धुलने में लगा हुआ था कि तभी किसी के आने की आहट से उसने गर्दन ऊपर उठा कर देखा। उसके सामने उसकी ही उमर का एक लड़का आ कर खड़ा हो गया था। मोहन ने उसे देखते हुए अपने जहन पर ज़ोर डाला तो अगले ही पल वो ये जान कर चौंका कि ये वही लड़का है जो तीन दिन पहले तबेले के पीछे किसी औरत की चूचियां दबा रहा था। हालाकि मोहन को पहले पता नहीं था लेकिन अब वो जान चुका था कि वो औरत जोगिंदर के तबेले में काम करने वाली उसकी रखैल थी जिसका नाम कमला है और वो अपनी ही जेठानी के लड़के के साथ मज़े कर रही थी।

"कौन हो तुम?" उस लड़के ने मोहन को बर्तन धोते देख हैरानी से पूछा____"और यहां क्या कर रहे हो?"

"अबे अंधा है क्या?" मोहन अपनी आदत के अनुसार उस पर मानों चढ़ दौड़ा____"दिख नहीं रहा क्या तेरे को कि अपन भी तेरी तरह एक लड़का है और इधर काम कर रेला है?"

वो लड़का मोहन की ये बात सुन कर एकदम से सकपका गया किंतु जल्दी ही सम्हल कर बोला____"ज़ुबान सम्हाल कर बात करो वरना ठीक नहीं होगा।"

"अबे चल हट।" मोहन एकदम से खड़ा हो कर उसे घुड़की दी____"तू क्या कहीं का नवाब है जो अपन तेरे से ज़ुबान सम्हाल के बात करे?"

"तू अभी जानता नहीं है कि मैं कौन हूं।" उस लड़के ने जैसे उसे धमकी देते हुए कहा____"अगर जान जाएगा तो डर के मारे मूत निकल जाएगा तेरा, समझा?"

"अबे चल, तेरी इस धमकी से लंड डरने वाला नहीं है अपन।" मोहन ने हाथ को झटकते हुए कहा____"और हां अपन जानता है तेरे को, वो भी अच्छे तरीके से। तू वही है न जो तीन दिन पहले तबेले के पीछे अपनी ही चाची की चूचियां दबा रहा था और तेरी छिनाल चाची मस्ती में आहें भर रही थी।"

लड़का मोहन की ये बात सुन कर बुरी तरह हकबका गया। पलक झपकते ही उसके चेहरे का रंग उड़ गया। वो घबराए हुए अंदाज़ में मोहन को इस तरह देखने लगा था जैसे मोहन कोई भूत हो।

"क्या हुआ?" उसे एकदम से चुप हो गया देख मोहन मुस्कुराते हुए बोला____"गांड़ फट के हाथ में आ गई ना तेरी?"

"त...त...तुम ये क्या कह रहे हो?" लड़का बुरी तरह हकलाते हुए मोहन से बोला। अब वो तू से तुम पर आ गया था। उसके चेहरे पर ढेर सारा पसीना उभर आया था जिसे उसने अपने गमछे से पोंछा।

"अपन अंतर्यामी है लौड़े।" मोहन सीना चौड़ा करते हुए बोला____"अपन को तो ये भी पता है कि तेरी छिनाल चाची तबेले के मालिक जोगिंदर चौधरी की रखैल है।"

"य...ये क्या बकवास कर रहे हो तुम?" लड़का बुरी तरह चकरा कर बोल पड़ा____"रुको अभी मालिक से तुम्हारी शिकायत करता हूं मैं।"

"जा कर दे बे लौड़े।" मोहन ने बेख़ौफ अंदाज़ में कहा____"अपन घंटा किसी से नहीं डरता। वैसे रुक अपन भी तेरे साथ तेरे मालिक के पास चलता है। अपन भी बताएगा कि उसकी रण्डी के साथ तीन दिन पहले तू क्या कर रहा था। सोच लौड़े, जब उसको पता चलेगा कि तू अपनी ही चाची की चूचियां दबा रहा था तो क्या करेगा वो तेरे साथ। अपन को यकीन है कि ये सब सुनते ही वो तेरी गांड़ फाड़ देगा। चल जल्दी चल बे लौड़े।"

मोहन कहने के साथ ही उसका हाथ पकड़ कर जब उसे खींचने लगा तो वो घबरा कर एकदम से मोहन के पैरों को ही पकड़ लिया। मोहन ने देखा कि लड़के की हालत बेहद ख़राब हो गई थी।

"भाई ऐसा गज़ब मत करना।" लड़का मोहन के पैर पकड़ कर बोला___"ये बात अगर किसी को पता चल गई तो मेरी और मेरी चाची की बहुत बदनामी होगी। इतना ही नहीं मेरा चाचा मेरी चाची को घर से निकाल देगा। भगवान के लिए भाई ये बात किसी को मत बताना।"

"क्यों, सारी हेकड़ी निकल गई तेरी?" मोहन अपनी जीत पर फूला नहीं समा रहा था। खुद को तीस मार खां समझते हुए बोला____"पहले तो बड़ा अपन को धमकी दे रहा था तू। अब क्या हुआ?"

"भाई ग़लती हो गई।" लड़का बुरी तरह मिन्नतें करते हुए बोला____"भगवान के लिए माफ़ कर दो मुझे। क़सम खाता हूं कि आज के बाद कभी तुमसे ऐसी बात नहीं करूंगा।"

"माफ़ तो कर देगा अपन तेरे को।" मोहन के ज़हन में अचानक से कोई विचार आ गया था, जिसे सोचते हुए बोला____"पर अपन की एक शर्त है।"

"भाई मुझे तुम्हारी हर शर्त मंज़ूर है।" लड़का मोहन का पैर छोड़ जल्दी से खड़े होते हुए बोला____"बस ये बात तुम किसी को मत बताना।"

"सोच ले।" मोहन ने जैसे उसको परखना चाहा, बोला____"अगर तूने अपन की शर्त नहीं मानी तो बहुत बुरा हो जाएगा तेरे साथ।"

"नहीं भाई।" लड़का मरता क्या न करता वाली हालत में था, बोला___"मैं तुम्हारी हर शर्त मानूंगा। तुम बस अपनी शर्त बताओ।"

"चल ठीक है फिर।" मोहन की धड़कनें जाने क्यों तेज़ तेज़ धडकनें लगीं थी, बोला____"अपन तेरी और चाची वाली बात एक ही शर्त पर किसी को नहीं बताएगा कि तू अपन को भी अपनी चाची की चूचियां दबाने का मौका देगा।"

"य...ये क्या कह रहे हो तुम?" लड़का बुरी तरह हैरान परेशान हो कर बोला____"नहीं नहीं, मैं ये नहीं कर सकता।"
"तो फिर गांड़ मरा भोसड़ी के।" मोहन को गुस्सा आ गया____"अपन अब सबको बताएगा कि तू अपनी मां समान चाची के साथ क्या क्या कांड करता है।"

मोहन की बात सुन कर लड़का बुरी तरह घबरा कर एक बार फिर से मोहन के पैरों को पकड़ बैठा। फिर हाथ जोड़ कर हताश भाव से बोला____"भाई ऐसा मत करना, मैं तुम्हारे पैर पड़ता हूं। भगवान के लिए भाई मुझ पर रहम करो।"

"अबे तू खुद ही अपने आप पर रहम नहीं करना चाहता तो अपन क्या करे?" मोहन एक बार फिर से उस पर हावी हो कर बोला___"जब अपन ने कह दिया कि अपन को भी तू अपनी चाची की चूचियां दबाने का मौका दे तो तुझे देना चाहिए न। साला कौन सा उसकी चूची दबाने से घिस जाएगी। जोगिंदर तो जाने क्या क्या दबाता होगा उसकी और तो और जाने कहां कहां लंड डालता होगा उसके।"

"ठीक है भाई।" लड़के ने बेबस भाव से कहा____"मुझे तुम्हारी ये शर्त मंज़ूर है पर भाई इसके लिए थोड़ा समय लगेगा।"

"न अपन को तो आज ही तेरी चाची की खरबूजे जैसी चूचियों को दबाने का है।" मोहन ने स्पष्ट भाव से कहा____"अब ये तू देख कि तू कैसे इतना जल्दी अपन का काम करेगा। अगर नहीं किया तो अपन सबको तेरे कांड के बार में बता देगा।"

"भाई कुछ तो टाइम दे दो।" लड़का फिर से मिन्नतें करते हुए बोला____"तुम खुद ही सोचो कि मैं इतना जल्दी कैसे अपनी चाची को इस काम के लिए मना पाऊंगा?"

"चल ठीक है।" मोहन को भी लगा कि उसे थोड़ा समय देना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि जल्दबाजी के चक्कर में काम बिगड़ जाए। ये सोचते हुए बोला____"अपन तेरे को आज रात तक का समय देता है पर कल तू अपनी चाची को ले के खुद आएगा अपन के पास और उसको बोलेगा कि वो अपन को अपनी चूचियां दबाने दे।"

लड़के ने मोहन की बात सुन कर हां में सिर हिला दिया। मोहन ने उसे जाने को बोल दिया तो वो चला गया। उसके जाने के बाद मोहन ये सोच कर मन ही मन खुश हो गया कि कल कमला की चूचियों को वो जैसे चाहे दबाएगा और मसलेगा। उसकी आंखों के सामने पलक झपकते ही कमला की बड़ी बड़ी चूचियां एकदम से नज़र आने लगीं।

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जोगिंदर चौधरी की बीवी साल भर पहले उसे छोड़ कर अपने मायके चली गई थी। उसके पास सब कुछ था। उसका दूध बेचने का व्यापार अच्छा खासा चलता था। रुपिया पैसा भी उसकी ज़रूरतों से कहीं अधिक ही था लेकिन इस सबके बावजूद उसकी ज़िंदगी में एक बहुत बड़ी कमी थी। एक तो उसका ब्याह काफी सालों बाद हुआ था और जब हुआ भी तो काफी सालों तक उसको कोई औलाद नहीं हुई। हालाकि वो रंगीन मिजाज़ का आदमी था और जीवन में हर चीज़ के मज़े लेता था। उसे औलाद न होने का इतना ज़्यादा दुख नहीं था लेकिन उसकी बीवी को ज़रूर था। वो हर रोज़ उसको बच्चा ना पैदा कर पाने की वजह से उस पर गुस्सा करती थी और न जाने कैसे कैसे ताने मारती रहती थी।

जोगिंदर की अपनी परिवार वालों से ज़्यादा नहीं बनती थी। वो मस्त मौला आदमी था जिसे सिर्फ़ ज़िंदगी में मज़े लेने से मतलब था। कुछ सालों तक तो बीवी ने उसको झेला और जब उससे न झेला गया तो वो उसको छोड़ कर अपने मायके चली गई। जोगिंदर को हर महीने अपनी बीवी को खर्च के लिए रुपिया भेजना पड़ता है। इसके बावजूद सच तो ये था कि बीवी के चले जाने से जोगिंदर बड़े चैन से और बड़े मज़े से रहता था। हर महीने अपनी बीवी को रुपिया भेजने में उसे कोई समस्या नहीं थी।

जब से उसकी ज़िंदगी में कमला आई थी तब से उसकी हर ज़रूरत पूरी होने लगी थी। कमला एक तरह से उसकी रखैल थी लेकिन वो उसे मानता भी बहुत था। इधर कमला भी उसके साथ खुश थी। ये अलग बात है कि उसके मन में जोगिंदर के लिए कोई मोहब्बत नहीं थी। वो तो बस अपनी बुर दे कर उससे मनचाहा रुपिया वसूलती रहती थी। इतना ही नहीं उसने तो जोगिंदर से अपने लिए सोने चांदी के गहने तक बनवा लिए थे।

कमला एक ग़रीब तथा निचले वर्ग की औरत थी। उसके दो बच्चे थे जिनमें सबसे बड़ी बेटी थी जो कि अठारह साल की थी और दूसरा बेटा जो अभी नाबालिग ही था। कमला का पति महेश शराबी था और कोई काम धंधा नहीं करता था। अकेले कमला ही घर को सम्हाले हुए थी। महेश का एक बड़ा भाई था जिसका नाम दिनेश था किंतु दो साल पहले एक्सीडेंट में उसकी मौत हो गई थी। उसकी भौजाई निर्मला को एक बेटा है जिसका नाम रवि है और वो अपनी चाची के साथ जोगिंदर के तबेले में ही काम करता है। असल में कमला ने ही जोगिंदर से कह कर रवि को काम दिलाया था। इसके उसे दो फ़ायदे थे, एक तो अपनी जेठानी के लड़के के साथ यहां काम करने से उसे किसी बदनामी का डर नहीं था दूसरे रवि को काम दिलवा कर वो अपनी जेठानी निर्मला पर भी हुकुम चला सकती थी और ऐसा हो भी रहा था।

सब कुछ बढ़िया चल रहा था लेकिन एक दिन रवि ने कमला को जोगिंदर के साथ चुदवाते हुए देख लिया था जिसके चलते कमला बहुत डर गई थी। उसने इस बता को छुपाने के लिए रवि से हाथ जोड़ कर मिन्नतें की थी। रवि मान तो गया लेकिन अपनी चाची के नंगे जिस्म को देख कर उसका दिमाग़ ख़राब सा हो गया था इस लिए अब वो भी अपनी चाची के साथ मज़ा करना चाहता था। इसके लिए उसने एक दिन हिम्मत कर के अपनी चाची कमला से बोल भी दिया। कमला उसकी ये बात सुन कर बड़ा हैरान हुई थी किंतु फिर वो ये सोच कर राज़ी हो गई कि उसे रवि के रूप में एक जवान लंड तो मिलेगा ही साथ में अब वो खुल कर जोगिंदर के साथ मज़ा भी कर सकेगी।

कमला की एक बेटी है जिसका नाम शालू है और वो भी अब जवानी की दहलीज़ पर क़दम रख चुकी है। कमला कभी कभी उसे भी अपने साथ ले आया करती है जिसके चलते एक दिन जोगिंदर के तबेले में काम करने वाले नौकर बबलू की नज़र शालू पर पड़ गई। उसके बाद उसने भोली भाली शालू को जल्दी ही अपने जाल में फांस लिया और उसके साथ मज़े करने लगा। कमला को इस बात की भनक भी नहीं है कि उसकी भोली भाली बेटी उसी की राह पर चल पड़ी है।

"आह! ऐसे ही ज़ोर ज़ोर से चोदो मुझे।" जोगिंदर के कमरे में बिस्तर पर नंगी लेटी कमला अपनी दोनों टांगों को फैलाए मज़े से आहें भरते हुए बोली____"हाए! कितना मज़ा आता है जब तुम्हारा ये मूसल मेरी बुर के पूरा अंदर तक जाता है।"

"तेरी ये बुर भी तो बहुत मस्त है मेरी राण्ड कमला।" जोगिंदर ने ज़ोर का धक्का मारते हुए कहा____"मन करता है दिन रात तुझे ऐसे ही चोदता रहूं।"

"तो चोदो ना जग्गू।" कमला जोगिंदर को जान बूझ कर जग्गू बोलती थी ताकि वो यही समझे कि वो उससे बहुत प्रेम करती है, बोली____"मैं तो कहती हूं कि हमेशा के लिए तुम मुझे अपने घर में ही बुला लो। उसके बाद जितना मन करे चोदते रहना मुझे।"

"अरे! मैं तो चाहता हूं कमला कि तू हर वक्त मेरे पास ही रहे।" जोगिंदर ने कहा___"मगर तू भी जानती है कि ये संभव नहीं है। एक तो तेरा पति तुझे हमेशा के लिए मेरे पास रहने नहीं देगा और दूसरे मेरी वो मादरचोद बीवी मुझे ऐसा करने नहीं देगी। खुद तो अपनी बुर लिए आज साल भर से अपने मायके में बैठी है और यहां मेरी उसे कोई फिकर ही नहीं है। साली ने केस करने के साथ साथ मुझे बदनाम करने की धमकी भी दे रखी है इस लिए मजबूरन मुझे उसका मुंह बंद करने के लिए हर महीने रुपिया भेजना पड़ता है।"

"आह! थोड़ा जल्दी जल्दी धक्के मारो ना मेरे जग्गू।" कमला मस्ती में बोली____"अच्छा मैं ये कह रही हूं कि अगर तुम अपनी बीवी से इतना ही परेशान हो तो उसको तलाक़ क्यों नहीं दे देते? तलाक़ के बाद तुम किसी और से ब्याह कर लेना।"

"अरे! अब इस उमर में मुझे कौन अपनी बेटी देगा कमला।" जोगिंदर उसके कहे अनुसार ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाते हुए बोला____"तू ही बता क्या तू अपनी बेटी का ब्याह मुझसे कर सकती है?"

जोगिंदर की बात सुन कर कमला का सारा मज़ा पलक झपकते ही हवा हो गया। उसे बड़ा तेज़ झटका लगा था। उसके ज़हन में तो दूर दूर तक ये नहीं था कि वो अपनी फूल जैसी बेटी का ब्याह जोगिंदर जैसे बुड्ढे आदमी से करेगी।

"देखा।" कमला को चुप देख जोगिंदर ने एक ज़ोर का धक्का मार कर कहा____"अपनी बेटी का सुन कर तेरी ज़ुबान पर एकदम से ताला ही लग गया। मैं अच्छी तरह जानता हूं कि तू अपनी बेटी का ब्याह मुझसे नहीं कर सकती क्योंकि तेरी नज़र में मैं बूढ़ा हो चुका हूं। तेरी जगह मैं होता तो मैं भी यही सोचता, इसमें तेरी कोई ग़लती नहीं है। ख़ैर छोड़ ये सब, जब तक तू मेरे पास है मुझे किसी और की ज़रूरत भी नहीं है।"

"अच्छा ये तो बताओ कि उन तीन नमूनों को कब तक रखोगे अपने तबेले में?" कमला ने मन ही मन राहत की सांस लेने के बाद पूछा____"मैंने कल देखा था बेचारों का काम कर कर के बहुत बुरा हाल हो गया था। कुछ तो रहम दिखाओ उन पर।"

"अरे! तू उन नमूनों को नहीं जानती अभी।" जोगिंदर कुछ पल रुकने के बाद फिर से धक्का लगाते हुए बोला____"साले एक नंबर के बदमाश हैं। जब तक सालों का काम कर कर के गांड़ से गू नहीं निकल जाएगा तब तक ऐसे ही काम करवाऊंगा तीनों से।"

"आह! और तेज़ करो जग्गू।" कमला मस्ती में सिसकारियां भरते हुए बोली_____"मैं झड़ने वाली हूं। आह! और ज़ोर से आह।"
"ले मेरी रांड।" जोगिंदर खुद भी अपने चरम पर था इस लिए उसने धक्कों की रफ्तार तेज़ कर दी।

कुछ ही देर में पहले कमला झटके खाते हुए झड़ी और फिर जोगिंदर। दोनों बुरी तरह हांफते हुए बिस्तर पर पसर गए। थोड़ी देर आराम करने के बाद कमला उठी और अपने कपड़े पहनने लगी।

"कहां जा रही है?" जोगिंदर ने बिस्तर में पड़े पड़े ही पूछा____"अभी तो तेरे जाने का समय नहीं हुआ ना?"
"आज घर जल्दी निकलना है मुझे।" कमला ने अपने कपड़े पहनते हुए कहा____"शालू को बुखार आया हुआ है। इस लिए यहां का काम जल्दी से निपटा कर निकल जाऊंगी मैं।"

"कोई ज़रूरत नहीं है तुझे आज यहां काम करने की।" जोगिंदर ने उठते हुए कहा____"तू पहले अपनी बेटी शालू को किसी डॉक्टर को दिखा। पैसे हैं कि नहीं तेरे पास?"

"थोड़े से छुपा के रखे हुए थे मैने।" कमला ने झूठ बोलते हुए कहा____"लेकिन मेरा मरद ले गया शराब में उड़ाने के लिए। नासपीटा काम तो कुछ करता नहीं है ऊपर से जो कुछ मैं कमाती हूं उसे भी शराब में बहा देता है। पता नहीं ऊपर वाला कब सुनेगा मेरी?"

"तू ही मना करती है मुझे।" जोगिंदर ने सख़्त भाव से कहा____"वरना उस हरमखोर को तो मैं एक दिन में सुधार दूं। ख़ैर छोड़, मैं देता हूं कुछ पैसे तुझे। शालू को किसी अच्छे डॉक्टर को दिखा देना जल्दी।"

कहने के साथ ही जोगिंदर ने अपने कुर्ते की जेब से कुछ पैसे निकाले और कमला की तरफ बढ़ा दिए। कमला ने खुशी मन से पैसे लिए और उन्हें अपने ब्लाउज में ठूंस लिया।

"अरे! मेरे लंड को तो साफ करती जा।" जोगिंदर ने मुस्कुराते हुए कहा तो कमला ने बड़ी कुटिलता से देखा उसे और फिर उसके मुरझाए हुए लंड की तरफ बढ़ी।

"मेरे मुंह में अपना ये लौड़ा डालने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते तुम।" कमला ने मुस्कुराते हुए शिकायत की____"बहुत कमीने हो तुम।"
"क्या करूं।" जोगिंदर धीरे से हंसा____"तू चूसती ही इतना ज़बरदस्त है कि बार बार मन करता है कि तेरे मुंह में ही डाले रहूं।"

कमला ने बेमन से जोगिंदर के लौड़े को मुंह में लिया और फिर चाट पोंछ कर उसे साफ कर दिया। उसके बाद वो अपनी भारी गांड़ को मटकाते हुए कमरे से बाहर निकल गई। इस बात से अंजान कि खुली हुई खिड़की से तबेले में काम करने वाला जोगिंदर का एक नौकर पूरी रासलीला देख चुका था।

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"तुझे पूरा यकीन है न कि हमारे इस तरह काम करने से।" तबेले में भैंसों का गोबर उठाते हुए जगन ने संपत से पूछा____"वो मुछाड़िया जल्द ही हम पर भरोसा करने लगेगा और फिर अपन लोग को इधर से चंपत हो जाने में कोई समस्या नहीं होगी?"

"हां बे अपन को पूरा यकीन है।" संपत ने उठाए हुए गोबर को एक छोटे से झाल में रखते हुए कहा____"लेकिन अगर तू ये सोचता है कि आज ही उसे यकीन हो जाएगा तो ऐसा नहीं होगा। यानि इसके लिए अपन लोग को कम से कम दो तीन दिन का समय तो पक्का लगेगा।"

"अबे भोसड़ी के दो तीन दिन?" जगन ने आंखें फैला कर उसकी तरफ देखा____"अबे दो तीन दिन में तो अपन लोग की गांड़ फट के हाथ में ही आ जाएगी।"

"अब चाहे गांड़ फट के हाथ में आए या वो वापस अपनी जगह पे फिक्स रहे।" संपत ने उसकी तरफ देखते हुए कहा____"काम तो करना ही पड़ेगा जगन, वो भी पूरी ईमानदारी से। एक बात और, उस मुछाड़िए के सामने तो और भी गांड़ का ज़ोर लगा के काम करना होगा अपन लोग को।"

"ऐसा क्यों?" जगन को जैसे समझ न आया।
"अबे अकल के दुश्मन।" संपत ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा____"उसको ही तो दिखाना है कि अपन लोग कितनी ईमानदार से और मेहनत से उसके तबेले का हर काम कर रेले हैं। अगर वो अपन लोग को काम करते हुए नहीं देखेगा तो उसे कैसे पता चलेगा कि अपन लोग किस तरह से काम करते हैं?"

"तो लौड़े अभी तो वो इधर है ही नहीं।" जगन ने गोबर को वहीं फेंक कर कहा____"तो क्यों कर रहे अपन लोग काम? जब वो आएगा तब करेंगे न।"

"अबे अपन लोग उसके न रहने पर भी इस लिए काम कर रहे हैं।" संपत ने जैसे उसे समझाते हुए कहा____"ताकि उसके आने से पहले ही अपन लोग काम फिनिश कर डालें। जब वो देखेगा कि बाकी दिनों के मुकाबले अपन लोग ने आज टाइम से पहले ही काम निपटा दियेला है तो वो खुश हो जाएगा।"

"मतलब तू उसे खुश करना चाहता है?" जगन के चेहरे पर नाराज़गी उभर आई, बोला____"अबे उसे खुश करने की तुझे इतनी ही फिकर है तो साले अपनी गांड़ खोल के रख दे उसके सामने। साला खुश करेगा उसे।"

"तू भी साले मोहन की तरह ही है।" संपत ने मानो अपना सिर पीटते हुए कहा____"ना उसके पास धेले भर का भेजा है और न ही तेरे पास।"

"तेरे पास तो है न।" जगन ने गुस्से से उसे घूरा____"तभी उस मुछाड़िए को खुश करने की बात कह रहा है। साला बात करता है।"

"अबे अपन के कहने का मतलब तू समझता क्यों नही बे?" संपत ने भी गुस्से से उसे घूरते हुए कहा____"अपन का मतलब है कि जब अपन लोग हर काम टाइम से पहले कर के दिखा देंगे तो वो मुछाड़िया जोगिंदर अपने आप ही खुश हो जाएगा। जब वो खुश होगा तभी वो सोचेगा कि अपन लोग कितनी ईमानदारी और मेहनत से इधर काम कर रेले हैं। जब तक वो ऐसा सोचेगा नहीं तब तक वो अपन लोग पर यकीन नहीं करेगा और जब यकीन ही नहीं करेगा तो वो अपने मुस्टंडों को भी नहीं कहेगा कि वो अपन लोग पर नज़र ना रखें। और लौड़े जब तक वो मुस्टंडे अपन लोग पर नज़र रखेंगे तब तक अपन लोग इधर से घंटा चंपत नहीं हो पाएंगे। अभी समझ में आया या गांड़ में दूं एक लात?"

"भोसड़ी के इस तरह पहले नहीं समझा सकता था अपन को?" जगन वापस ज़मीन से गोबर उठाते हुए बोला____"खाली पीली टाइम खोटी कर दिया अपन का।"

"हां तू तो जैसे ताजमहल बना रहा था लौड़े।" संपत धीमें से बड़बड़ाया और गोबर से भरी झाल ले कर उसे फेंकने बाहर निकल गया।

तबेले के बाहर कुछ ही दूरी पर तीनों मुस्टंडे अपने अपने लट्ठ को साइड में रख कर बीड़ी फूंक रहे थे। संपत को झाल में गोबर ले जाते देख तीनों हंसने लगे जबकि संपत उनके यूं हंसने पर मन ही मन गालियां देते हुए बोला____'हंस लो लौड़ो। जल्दी ही ये गोबर उठाने का नंबर लगेगा तुम लोगों का भी।"


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Nice update....
 

Ajju Landwalia

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Update - 03
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"चल अब बातें मत बना और काम कर।" उसने मुस्कुराते हुए कहा____"कुछ देर में कमला भी आ जाएगी। उसके आने से पहले तुझे सारे बर्तन धो डालने हैं।"

मोहन ने सहमति में सिर हिलाया और झोपड़े के अंदर चला गया। इधर वो मुस्टंडा मन ही मन जाने क्या सोचते हुए पलटा और चला गया। अभी वो कुछ ही दूर गया होगा कि तभी मोहन झट से झोपड़े के दरवाज़े के पास आया और धीमें से बोला____"तू और अपन का गुरु? अबे चल हट।"


अब आगे......

झोपड़े के अंदर से दूध के सारे बर्तन निकाल कर मोहन ट्यूब वेल के पास उन्हें धुलने में लगा हुआ था कि तभी किसी के आने की आहट से उसने गर्दन ऊपर उठा कर देखा। उसके सामने उसकी ही उमर का एक लड़का आ कर खड़ा हो गया था। मोहन ने उसे देखते हुए अपने जहन पर ज़ोर डाला तो अगले ही पल वो ये जान कर चौंका कि ये वही लड़का है जो तीन दिन पहले तबेले के पीछे किसी औरत की चूचियां दबा रहा था। हालाकि मोहन को पहले पता नहीं था लेकिन अब वो जान चुका था कि वो औरत जोगिंदर के तबेले में काम करने वाली उसकी रखैल थी जिसका नाम कमला है और वो अपनी ही जेठानी के लड़के के साथ मज़े कर रही थी।

"कौन हो तुम?" उस लड़के ने मोहन को बर्तन धोते देख हैरानी से पूछा____"और यहां क्या कर रहे हो?"

"अबे अंधा है क्या?" मोहन अपनी आदत के अनुसार उस पर मानों चढ़ दौड़ा____"दिख नहीं रहा क्या तेरे को कि अपन भी तेरी तरह एक लड़का है और इधर काम कर रेला है?"

वो लड़का मोहन की ये बात सुन कर एकदम से सकपका गया किंतु जल्दी ही सम्हल कर बोला____"ज़ुबान सम्हाल कर बात करो वरना ठीक नहीं होगा।"

"अबे चल हट।" मोहन एकदम से खड़ा हो कर उसे घुड़की दी____"तू क्या कहीं का नवाब है जो अपन तेरे से ज़ुबान सम्हाल के बात करे?"

"तू अभी जानता नहीं है कि मैं कौन हूं।" उस लड़के ने जैसे उसे धमकी देते हुए कहा____"अगर जान जाएगा तो डर के मारे मूत निकल जाएगा तेरा, समझा?"

"अबे चल, तेरी इस धमकी से लंड डरने वाला नहीं है अपन।" मोहन ने हाथ को झटकते हुए कहा____"और हां अपन जानता है तेरे को, वो भी अच्छे तरीके से। तू वही है न जो तीन दिन पहले तबेले के पीछे अपनी ही चाची की चूचियां दबा रहा था और तेरी छिनाल चाची मस्ती में आहें भर रही थी।"

लड़का मोहन की ये बात सुन कर बुरी तरह हकबका गया। पलक झपकते ही उसके चेहरे का रंग उड़ गया। वो घबराए हुए अंदाज़ में मोहन को इस तरह देखने लगा था जैसे मोहन कोई भूत हो।

"क्या हुआ?" उसे एकदम से चुप हो गया देख मोहन मुस्कुराते हुए बोला____"गांड़ फट के हाथ में आ गई ना तेरी?"

"त...त...तुम ये क्या कह रहे हो?" लड़का बुरी तरह हकलाते हुए मोहन से बोला। अब वो तू से तुम पर आ गया था। उसके चेहरे पर ढेर सारा पसीना उभर आया था जिसे उसने अपने गमछे से पोंछा।

"अपन अंतर्यामी है लौड़े।" मोहन सीना चौड़ा करते हुए बोला____"अपन को तो ये भी पता है कि तेरी छिनाल चाची तबेले के मालिक जोगिंदर चौधरी की रखैल है।"

"य...ये क्या बकवास कर रहे हो तुम?" लड़का बुरी तरह चकरा कर बोल पड़ा____"रुको अभी मालिक से तुम्हारी शिकायत करता हूं मैं।"

"जा कर दे बे लौड़े।" मोहन ने बेख़ौफ अंदाज़ में कहा____"अपन घंटा किसी से नहीं डरता। वैसे रुक अपन भी तेरे साथ तेरे मालिक के पास चलता है। अपन भी बताएगा कि उसकी रण्डी के साथ तीन दिन पहले तू क्या कर रहा था। सोच लौड़े, जब उसको पता चलेगा कि तू अपनी ही चाची की चूचियां दबा रहा था तो क्या करेगा वो तेरे साथ। अपन को यकीन है कि ये सब सुनते ही वो तेरी गांड़ फाड़ देगा। चल जल्दी चल बे लौड़े।"

मोहन कहने के साथ ही उसका हाथ पकड़ कर जब उसे खींचने लगा तो वो घबरा कर एकदम से मोहन के पैरों को ही पकड़ लिया। मोहन ने देखा कि लड़के की हालत बेहद ख़राब हो गई थी।

"भाई ऐसा गज़ब मत करना।" लड़का मोहन के पैर पकड़ कर बोला___"ये बात अगर किसी को पता चल गई तो मेरी और मेरी चाची की बहुत बदनामी होगी। इतना ही नहीं मेरा चाचा मेरी चाची को घर से निकाल देगा। भगवान के लिए भाई ये बात किसी को मत बताना।"

"क्यों, सारी हेकड़ी निकल गई तेरी?" मोहन अपनी जीत पर फूला नहीं समा रहा था। खुद को तीस मार खां समझते हुए बोला____"पहले तो बड़ा अपन को धमकी दे रहा था तू। अब क्या हुआ?"

"भाई ग़लती हो गई।" लड़का बुरी तरह मिन्नतें करते हुए बोला____"भगवान के लिए माफ़ कर दो मुझे। क़सम खाता हूं कि आज के बाद कभी तुमसे ऐसी बात नहीं करूंगा।"

"माफ़ तो कर देगा अपन तेरे को।" मोहन के ज़हन में अचानक से कोई विचार आ गया था, जिसे सोचते हुए बोला____"पर अपन की एक शर्त है।"

"भाई मुझे तुम्हारी हर शर्त मंज़ूर है।" लड़का मोहन का पैर छोड़ जल्दी से खड़े होते हुए बोला____"बस ये बात तुम किसी को मत बताना।"

"सोच ले।" मोहन ने जैसे उसको परखना चाहा, बोला____"अगर तूने अपन की शर्त नहीं मानी तो बहुत बुरा हो जाएगा तेरे साथ।"

"नहीं भाई।" लड़का मरता क्या न करता वाली हालत में था, बोला___"मैं तुम्हारी हर शर्त मानूंगा। तुम बस अपनी शर्त बताओ।"

"चल ठीक है फिर।" मोहन की धड़कनें जाने क्यों तेज़ तेज़ धडकनें लगीं थी, बोला____"अपन तेरी और चाची वाली बात एक ही शर्त पर किसी को नहीं बताएगा कि तू अपन को भी अपनी चाची की चूचियां दबाने का मौका देगा।"

"य...ये क्या कह रहे हो तुम?" लड़का बुरी तरह हैरान परेशान हो कर बोला____"नहीं नहीं, मैं ये नहीं कर सकता।"
"तो फिर गांड़ मरा भोसड़ी के।" मोहन को गुस्सा आ गया____"अपन अब सबको बताएगा कि तू अपनी मां समान चाची के साथ क्या क्या कांड करता है।"

मोहन की बात सुन कर लड़का बुरी तरह घबरा कर एक बार फिर से मोहन के पैरों को पकड़ बैठा। फिर हाथ जोड़ कर हताश भाव से बोला____"भाई ऐसा मत करना, मैं तुम्हारे पैर पड़ता हूं। भगवान के लिए भाई मुझ पर रहम करो।"

"अबे तू खुद ही अपने आप पर रहम नहीं करना चाहता तो अपन क्या करे?" मोहन एक बार फिर से उस पर हावी हो कर बोला___"जब अपन ने कह दिया कि अपन को भी तू अपनी चाची की चूचियां दबाने का मौका दे तो तुझे देना चाहिए न। साला कौन सा उसकी चूची दबाने से घिस जाएगी। जोगिंदर तो जाने क्या क्या दबाता होगा उसकी और तो और जाने कहां कहां लंड डालता होगा उसके।"

"ठीक है भाई।" लड़के ने बेबस भाव से कहा____"मुझे तुम्हारी ये शर्त मंज़ूर है पर भाई इसके लिए थोड़ा समय लगेगा।"

"न अपन को तो आज ही तेरी चाची की खरबूजे जैसी चूचियों को दबाने का है।" मोहन ने स्पष्ट भाव से कहा____"अब ये तू देख कि तू कैसे इतना जल्दी अपन का काम करेगा। अगर नहीं किया तो अपन सबको तेरे कांड के बार में बता देगा।"

"भाई कुछ तो टाइम दे दो।" लड़का फिर से मिन्नतें करते हुए बोला____"तुम खुद ही सोचो कि मैं इतना जल्दी कैसे अपनी चाची को इस काम के लिए मना पाऊंगा?"

"चल ठीक है।" मोहन को भी लगा कि उसे थोड़ा समय देना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि जल्दबाजी के चक्कर में काम बिगड़ जाए। ये सोचते हुए बोला____"अपन तेरे को आज रात तक का समय देता है पर कल तू अपनी चाची को ले के खुद आएगा अपन के पास और उसको बोलेगा कि वो अपन को अपनी चूचियां दबाने दे।"

लड़के ने मोहन की बात सुन कर हां में सिर हिला दिया। मोहन ने उसे जाने को बोल दिया तो वो चला गया। उसके जाने के बाद मोहन ये सोच कर मन ही मन खुश हो गया कि कल कमला की चूचियों को वो जैसे चाहे दबाएगा और मसलेगा। उसकी आंखों के सामने पलक झपकते ही कमला की बड़ी बड़ी चूचियां एकदम से नज़र आने लगीं।

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जोगिंदर चौधरी की बीवी साल भर पहले उसे छोड़ कर अपने मायके चली गई थी। उसके पास सब कुछ था। उसका दूध बेचने का व्यापार अच्छा खासा चलता था। रुपिया पैसा भी उसकी ज़रूरतों से कहीं अधिक ही था लेकिन इस सबके बावजूद उसकी ज़िंदगी में एक बहुत बड़ी कमी थी। एक तो उसका ब्याह काफी सालों बाद हुआ था और जब हुआ भी तो काफी सालों तक उसको कोई औलाद नहीं हुई। हालाकि वो रंगीन मिजाज़ का आदमी था और जीवन में हर चीज़ के मज़े लेता था। उसे औलाद न होने का इतना ज़्यादा दुख नहीं था लेकिन उसकी बीवी को ज़रूर था। वो हर रोज़ उसको बच्चा ना पैदा कर पाने की वजह से उस पर गुस्सा करती थी और न जाने कैसे कैसे ताने मारती रहती थी।

जोगिंदर की अपनी परिवार वालों से ज़्यादा नहीं बनती थी। वो मस्त मौला आदमी था जिसे सिर्फ़ ज़िंदगी में मज़े लेने से मतलब था। कुछ सालों तक तो बीवी ने उसको झेला और जब उससे न झेला गया तो वो उसको छोड़ कर अपने मायके चली गई। जोगिंदर को हर महीने अपनी बीवी को खर्च के लिए रुपिया भेजना पड़ता है। इसके बावजूद सच तो ये था कि बीवी के चले जाने से जोगिंदर बड़े चैन से और बड़े मज़े से रहता था। हर महीने अपनी बीवी को रुपिया भेजने में उसे कोई समस्या नहीं थी।

जब से उसकी ज़िंदगी में कमला आई थी तब से उसकी हर ज़रूरत पूरी होने लगी थी। कमला एक तरह से उसकी रखैल थी लेकिन वो उसे मानता भी बहुत था। इधर कमला भी उसके साथ खुश थी। ये अलग बात है कि उसके मन में जोगिंदर के लिए कोई मोहब्बत नहीं थी। वो तो बस अपनी बुर दे कर उससे मनचाहा रुपिया वसूलती रहती थी। इतना ही नहीं उसने तो जोगिंदर से अपने लिए सोने चांदी के गहने तक बनवा लिए थे।

कमला एक ग़रीब तथा निचले वर्ग की औरत थी। उसके दो बच्चे थे जिनमें सबसे बड़ी बेटी थी जो कि अठारह साल की थी और दूसरा बेटा जो अभी नाबालिग ही था। कमला का पति महेश शराबी था और कोई काम धंधा नहीं करता था। अकेले कमला ही घर को सम्हाले हुए थी। महेश का एक बड़ा भाई था जिसका नाम दिनेश था किंतु दो साल पहले एक्सीडेंट में उसकी मौत हो गई थी। उसकी भौजाई निर्मला को एक बेटा है जिसका नाम रवि है और वो अपनी चाची के साथ जोगिंदर के तबेले में ही काम करता है। असल में कमला ने ही जोगिंदर से कह कर रवि को काम दिलाया था। इसके उसे दो फ़ायदे थे, एक तो अपनी जेठानी के लड़के के साथ यहां काम करने से उसे किसी बदनामी का डर नहीं था दूसरे रवि को काम दिलवा कर वो अपनी जेठानी निर्मला पर भी हुकुम चला सकती थी और ऐसा हो भी रहा था।

सब कुछ बढ़िया चल रहा था लेकिन एक दिन रवि ने कमला को जोगिंदर के साथ चुदवाते हुए देख लिया था जिसके चलते कमला बहुत डर गई थी। उसने इस बता को छुपाने के लिए रवि से हाथ जोड़ कर मिन्नतें की थी। रवि मान तो गया लेकिन अपनी चाची के नंगे जिस्म को देख कर उसका दिमाग़ ख़राब सा हो गया था इस लिए अब वो भी अपनी चाची के साथ मज़ा करना चाहता था। इसके लिए उसने एक दिन हिम्मत कर के अपनी चाची कमला से बोल भी दिया। कमला उसकी ये बात सुन कर बड़ा हैरान हुई थी किंतु फिर वो ये सोच कर राज़ी हो गई कि उसे रवि के रूप में एक जवान लंड तो मिलेगा ही साथ में अब वो खुल कर जोगिंदर के साथ मज़ा भी कर सकेगी।

कमला की एक बेटी है जिसका नाम शालू है और वो भी अब जवानी की दहलीज़ पर क़दम रख चुकी है। कमला कभी कभी उसे भी अपने साथ ले आया करती है जिसके चलते एक दिन जोगिंदर के तबेले में काम करने वाले नौकर बबलू की नज़र शालू पर पड़ गई। उसके बाद उसने भोली भाली शालू को जल्दी ही अपने जाल में फांस लिया और उसके साथ मज़े करने लगा। कमला को इस बात की भनक भी नहीं है कि उसकी भोली भाली बेटी उसी की राह पर चल पड़ी है।

"आह! ऐसे ही ज़ोर ज़ोर से चोदो मुझे।" जोगिंदर के कमरे में बिस्तर पर नंगी लेटी कमला अपनी दोनों टांगों को फैलाए मज़े से आहें भरते हुए बोली____"हाए! कितना मज़ा आता है जब तुम्हारा ये मूसल मेरी बुर के पूरा अंदर तक जाता है।"

"तेरी ये बुर भी तो बहुत मस्त है मेरी राण्ड कमला।" जोगिंदर ने ज़ोर का धक्का मारते हुए कहा____"मन करता है दिन रात तुझे ऐसे ही चोदता रहूं।"

"तो चोदो ना जग्गू।" कमला जोगिंदर को जान बूझ कर जग्गू बोलती थी ताकि वो यही समझे कि वो उससे बहुत प्रेम करती है, बोली____"मैं तो कहती हूं कि हमेशा के लिए तुम मुझे अपने घर में ही बुला लो। उसके बाद जितना मन करे चोदते रहना मुझे।"

"अरे! मैं तो चाहता हूं कमला कि तू हर वक्त मेरे पास ही रहे।" जोगिंदर ने कहा___"मगर तू भी जानती है कि ये संभव नहीं है। एक तो तेरा पति तुझे हमेशा के लिए मेरे पास रहने नहीं देगा और दूसरे मेरी वो मादरचोद बीवी मुझे ऐसा करने नहीं देगी। खुद तो अपनी बुर लिए आज साल भर से अपने मायके में बैठी है और यहां मेरी उसे कोई फिकर ही नहीं है। साली ने केस करने के साथ साथ मुझे बदनाम करने की धमकी भी दे रखी है इस लिए मजबूरन मुझे उसका मुंह बंद करने के लिए हर महीने रुपिया भेजना पड़ता है।"

"आह! थोड़ा जल्दी जल्दी धक्के मारो ना मेरे जग्गू।" कमला मस्ती में बोली____"अच्छा मैं ये कह रही हूं कि अगर तुम अपनी बीवी से इतना ही परेशान हो तो उसको तलाक़ क्यों नहीं दे देते? तलाक़ के बाद तुम किसी और से ब्याह कर लेना।"

"अरे! अब इस उमर में मुझे कौन अपनी बेटी देगा कमला।" जोगिंदर उसके कहे अनुसार ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाते हुए बोला____"तू ही बता क्या तू अपनी बेटी का ब्याह मुझसे कर सकती है?"

जोगिंदर की बात सुन कर कमला का सारा मज़ा पलक झपकते ही हवा हो गया। उसे बड़ा तेज़ झटका लगा था। उसके ज़हन में तो दूर दूर तक ये नहीं था कि वो अपनी फूल जैसी बेटी का ब्याह जोगिंदर जैसे बुड्ढे आदमी से करेगी।

"देखा।" कमला को चुप देख जोगिंदर ने एक ज़ोर का धक्का मार कर कहा____"अपनी बेटी का सुन कर तेरी ज़ुबान पर एकदम से ताला ही लग गया। मैं अच्छी तरह जानता हूं कि तू अपनी बेटी का ब्याह मुझसे नहीं कर सकती क्योंकि तेरी नज़र में मैं बूढ़ा हो चुका हूं। तेरी जगह मैं होता तो मैं भी यही सोचता, इसमें तेरी कोई ग़लती नहीं है। ख़ैर छोड़ ये सब, जब तक तू मेरे पास है मुझे किसी और की ज़रूरत भी नहीं है।"

"अच्छा ये तो बताओ कि उन तीन नमूनों को कब तक रखोगे अपने तबेले में?" कमला ने मन ही मन राहत की सांस लेने के बाद पूछा____"मैंने कल देखा था बेचारों का काम कर कर के बहुत बुरा हाल हो गया था। कुछ तो रहम दिखाओ उन पर।"

"अरे! तू उन नमूनों को नहीं जानती अभी।" जोगिंदर कुछ पल रुकने के बाद फिर से धक्का लगाते हुए बोला____"साले एक नंबर के बदमाश हैं। जब तक सालों का काम कर कर के गांड़ से गू नहीं निकल जाएगा तब तक ऐसे ही काम करवाऊंगा तीनों से।"

"आह! और तेज़ करो जग्गू।" कमला मस्ती में सिसकारियां भरते हुए बोली_____"मैं झड़ने वाली हूं। आह! और ज़ोर से आह।"
"ले मेरी रांड।" जोगिंदर खुद भी अपने चरम पर था इस लिए उसने धक्कों की रफ्तार तेज़ कर दी।

कुछ ही देर में पहले कमला झटके खाते हुए झड़ी और फिर जोगिंदर। दोनों बुरी तरह हांफते हुए बिस्तर पर पसर गए। थोड़ी देर आराम करने के बाद कमला उठी और अपने कपड़े पहनने लगी।

"कहां जा रही है?" जोगिंदर ने बिस्तर में पड़े पड़े ही पूछा____"अभी तो तेरे जाने का समय नहीं हुआ ना?"
"आज घर जल्दी निकलना है मुझे।" कमला ने अपने कपड़े पहनते हुए कहा____"शालू को बुखार आया हुआ है। इस लिए यहां का काम जल्दी से निपटा कर निकल जाऊंगी मैं।"

"कोई ज़रूरत नहीं है तुझे आज यहां काम करने की।" जोगिंदर ने उठते हुए कहा____"तू पहले अपनी बेटी शालू को किसी डॉक्टर को दिखा। पैसे हैं कि नहीं तेरे पास?"

"थोड़े से छुपा के रखे हुए थे मैने।" कमला ने झूठ बोलते हुए कहा____"लेकिन मेरा मरद ले गया शराब में उड़ाने के लिए। नासपीटा काम तो कुछ करता नहीं है ऊपर से जो कुछ मैं कमाती हूं उसे भी शराब में बहा देता है। पता नहीं ऊपर वाला कब सुनेगा मेरी?"

"तू ही मना करती है मुझे।" जोगिंदर ने सख़्त भाव से कहा____"वरना उस हरमखोर को तो मैं एक दिन में सुधार दूं। ख़ैर छोड़, मैं देता हूं कुछ पैसे तुझे। शालू को किसी अच्छे डॉक्टर को दिखा देना जल्दी।"

कहने के साथ ही जोगिंदर ने अपने कुर्ते की जेब से कुछ पैसे निकाले और कमला की तरफ बढ़ा दिए। कमला ने खुशी मन से पैसे लिए और उन्हें अपने ब्लाउज में ठूंस लिया।

"अरे! मेरे लंड को तो साफ करती जा।" जोगिंदर ने मुस्कुराते हुए कहा तो कमला ने बड़ी कुटिलता से देखा उसे और फिर उसके मुरझाए हुए लंड की तरफ बढ़ी।

"मेरे मुंह में अपना ये लौड़ा डालने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते तुम।" कमला ने मुस्कुराते हुए शिकायत की____"बहुत कमीने हो तुम।"
"क्या करूं।" जोगिंदर धीरे से हंसा____"तू चूसती ही इतना ज़बरदस्त है कि बार बार मन करता है कि तेरे मुंह में ही डाले रहूं।"

कमला ने बेमन से जोगिंदर के लौड़े को मुंह में लिया और फिर चाट पोंछ कर उसे साफ कर दिया। उसके बाद वो अपनी भारी गांड़ को मटकाते हुए कमरे से बाहर निकल गई। इस बात से अंजान कि खुली हुई खिड़की से तबेले में काम करने वाला जोगिंदर का एक नौकर पूरी रासलीला देख चुका था।

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"तुझे पूरा यकीन है न कि हमारे इस तरह काम करने से।" तबेले में भैंसों का गोबर उठाते हुए जगन ने संपत से पूछा____"वो मुछाड़िया जल्द ही हम पर भरोसा करने लगेगा और फिर अपन लोग को इधर से चंपत हो जाने में कोई समस्या नहीं होगी?"

"हां बे अपन को पूरा यकीन है।" संपत ने उठाए हुए गोबर को एक छोटे से झाल में रखते हुए कहा____"लेकिन अगर तू ये सोचता है कि आज ही उसे यकीन हो जाएगा तो ऐसा नहीं होगा। यानि इसके लिए अपन लोग को कम से कम दो तीन दिन का समय तो पक्का लगेगा।"

"अबे भोसड़ी के दो तीन दिन?" जगन ने आंखें फैला कर उसकी तरफ देखा____"अबे दो तीन दिन में तो अपन लोग की गांड़ फट के हाथ में ही आ जाएगी।"

"अब चाहे गांड़ फट के हाथ में आए या वो वापस अपनी जगह पे फिक्स रहे।" संपत ने उसकी तरफ देखते हुए कहा____"काम तो करना ही पड़ेगा जगन, वो भी पूरी ईमानदारी से। एक बात और, उस मुछाड़िए के सामने तो और भी गांड़ का ज़ोर लगा के काम करना होगा अपन लोग को।"

"ऐसा क्यों?" जगन को जैसे समझ न आया।
"अबे अकल के दुश्मन।" संपत ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा____"उसको ही तो दिखाना है कि अपन लोग कितनी ईमानदार से और मेहनत से उसके तबेले का हर काम कर रेले हैं। अगर वो अपन लोग को काम करते हुए नहीं देखेगा तो उसे कैसे पता चलेगा कि अपन लोग किस तरह से काम करते हैं?"

"तो लौड़े अभी तो वो इधर है ही नहीं।" जगन ने गोबर को वहीं फेंक कर कहा____"तो क्यों कर रहे अपन लोग काम? जब वो आएगा तब करेंगे न।"

"अबे अपन लोग उसके न रहने पर भी इस लिए काम कर रहे हैं।" संपत ने जैसे उसे समझाते हुए कहा____"ताकि उसके आने से पहले ही अपन लोग काम फिनिश कर डालें। जब वो देखेगा कि बाकी दिनों के मुकाबले अपन लोग ने आज टाइम से पहले ही काम निपटा दियेला है तो वो खुश हो जाएगा।"

"मतलब तू उसे खुश करना चाहता है?" जगन के चेहरे पर नाराज़गी उभर आई, बोला____"अबे उसे खुश करने की तुझे इतनी ही फिकर है तो साले अपनी गांड़ खोल के रख दे उसके सामने। साला खुश करेगा उसे।"

"तू भी साले मोहन की तरह ही है।" संपत ने मानो अपना सिर पीटते हुए कहा____"ना उसके पास धेले भर का भेजा है और न ही तेरे पास।"

"तेरे पास तो है न।" जगन ने गुस्से से उसे घूरा____"तभी उस मुछाड़िए को खुश करने की बात कह रहा है। साला बात करता है।"

"अबे अपन के कहने का मतलब तू समझता क्यों नही बे?" संपत ने भी गुस्से से उसे घूरते हुए कहा____"अपन का मतलब है कि जब अपन लोग हर काम टाइम से पहले कर के दिखा देंगे तो वो मुछाड़िया जोगिंदर अपने आप ही खुश हो जाएगा। जब वो खुश होगा तभी वो सोचेगा कि अपन लोग कितनी ईमानदारी और मेहनत से इधर काम कर रेले हैं। जब तक वो ऐसा सोचेगा नहीं तब तक वो अपन लोग पर यकीन नहीं करेगा और जब यकीन ही नहीं करेगा तो वो अपने मुस्टंडों को भी नहीं कहेगा कि वो अपन लोग पर नज़र ना रखें। और लौड़े जब तक वो मुस्टंडे अपन लोग पर नज़र रखेंगे तब तक अपन लोग इधर से घंटा चंपत नहीं हो पाएंगे। अभी समझ में आया या गांड़ में दूं एक लात?"

"भोसड़ी के इस तरह पहले नहीं समझा सकता था अपन को?" जगन वापस ज़मीन से गोबर उठाते हुए बोला____"खाली पीली टाइम खोटी कर दिया अपन का।"

"हां तू तो जैसे ताजमहल बना रहा था लौड़े।" संपत धीमें से बड़बड़ाया और गोबर से भरी झाल ले कर उसे फेंकने बाहर निकल गया।

तबेले के बाहर कुछ ही दूरी पर तीनों मुस्टंडे अपने अपने लट्ठ को साइड में रख कर बीड़ी फूंक रहे थे। संपत को झाल में गोबर ले जाते देख तीनों हंसने लगे जबकि संपत उनके यूं हंसने पर मन ही मन गालियां देते हुए बोला____'हंस लो लौड़ो। जल्दी ही ये गोबर उठाने का नंबर लगेगा तुम लोगों का भी।"


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Bahut hi behtareen update he TheBlackBlood Shubham Bhai,

Maja aa gaya padh kar.........

Keep posting Bhai
 
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