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Romance भंवर (पूर्ण)

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साची:- तुम्हारे कहने का मतलब है कि तुम मुझसे भी प्यार करते हो और ऐमी से भी।

अपस्यु:- हम दोनों एक दूसरे से प्यार नहीं करते, बस हम दोनों कैज़ुअल रिलेशन में है।"….

साची:- अपस्यु, हम दोनों आज अपने सभी कन्फ्यूजन दूर करने बैठे है ना तो मेरे ज़िन्दगी का सबसे बड़ा कन्फ्यूजन अभी यहीं है… आखिर क्या है ये कैज़ुअल रिलेशनशिप। पहले इसे ही तुम क्लियर कर दो।


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12 जून 2011….


सुबह सुबह का वक़्त था… "खट खट खट"… अपस्यु ने जैसे ही दरवाजा खोला, सामने ऐमी खड़ी थी…. "ओह माय गॉड, ऐमी… वाउ"… अपस्यु के चेहरे पर खुशी और आश्चर्य के भाव साफ देखे जा सकते थे। ऐमी अपना सामान वहीं दरवाजे पर पटक दी और उछलकर अपस्यु के गले लगती…. "बहुत मिस की तुम्हे"… अपस्यु भी उसे अपने बाहों में समेटते हुए कहने लगा… "तुमने तो मुझे सरप्राइज ही कर दिया। नाचने को दिल कर रहा है।"

अपनी खुशियां जाहिर करते दोनों थोड़े देर तक गले लगे रहे। फिर ऐमी अलग होकर बाथरूम में चली गई फ्रेश होने, इधर जबतक अपस्यु नाश्ता बना चुका था। दोनों खाने कि टेबल पर साथ बैठे… "उम टेस्टी, क्या बनाया है सर खाने में, काफी लजीज है।"

अपस्यु::- दिख नहीं रहा है, फ्राइड आलू है।

ऐमी:- हां वो दिख रहा है लेकिन पहले तो कभी इतना टेस्टी नहीं लगा।

अपस्यु:- वो इसलिए क्योंकि पहले चीज के साथ फ्राई नहीं करता था। वैसे अचानक से मियामी (Miami, US) में क्या करने पहुंच गई, 18 जून को तो न्यूयॉर्क में तुम्हारे ग्रुप का शो है ना?

ऐमी:- उसकी बात मत करो, न्यूयॉर्क एयरपोर्ट पर ही डायरेक्टर के साथ झगड़ा हो गया और मै फ्लाइट पकड़कर इधर अा गई।

अपस्यु:- सबाश, वैसे झगड़ा हुआ किस बात पर था।

ऐमी:- इतनी डिटेल कौन पूछता है, ठीक से खाने भी नहीं दे रहे। मुझे बस यहां आना था सो मै अा गई।

अपस्यु:- अच्छा किया, वैसे भी मैं अब अकेला वापस नहीं जाऊंगा।

ऐमी खाना बीच में ही छोड़कर उठ गई और खुशी का इजहार करती वहीं उछलने लगी…. "सच में, वाउ, वाउ, वाउ। लेकिन ये तो गलत है अपस्यु, हमे बताया तक नहीं।

अपस्यु:- सोचा वहीं अाकर सरप्राइज दे दूं। भाई कैसा है?

ऐमी:- उस छछूंदर का नाम मत लो, मुझे बहुत तंग करता है।

अपस्यु:- हम्मम!

ऐमी:- बस, बस, बस .. इतनी गहरी सांसें लेकर अपनी फीलिंग दबाने की जरूरत नहीं है। काफी मस्त है और आज कल तो वो जिम्नास्टिक भी कर रहा है, वो भी युद्ध स्तर पर, तो काफी लचीला और फुर्तीला होते जा रहा है।

अपस्यु:- मै समझा नहीं?

ऐमी:- बुद्धू, मतलब वो मेरी फ्रेंड्स के बीच काफी मशहूर है, 3-4 गर्लफ्रेंड तो होगी ही लेकिन कुत्ता कुछ बताता नहीं है।

अपस्यु:- हाहाहा … और तुम्हारे कितने ब्वॉयफ्रैंड है।

ऐमी:- बस एक है, उसी से तो मिलने… मिलने नहीं मिलता आज कल…

अपस्यु:- पकड़ी गई हां। चलो अब पूरी कहानी बताओ…

ऐमी:- छिपाने जैसी कोई बात नहीं थी लेकिन तुम सवालों के पहाड़ खड़ा कर देते इसलिए मैं नहीं बताना चाह रही थी। फिलहाल मै एक चैन कि नींद लूंगी फिर आराम से शाम को सभी बातें बताऊंगी।

दिन के 1 बज रहे होंगे। अपस्यु अपना काम निपटाकर वापस पहुंचा था। जाकर देखा तो ऐमी अब भी सो रही थी। कुछ सोचते हुए उसने ऐमी का लैपटॉप निकला और उसे ऑन किया। सामने स्क्रीन पर पासवर्ड मांग रहा था और अपस्यु को पता था इसका पासवर्ड क्या होना चाहिए। 2 कोशिश और लैपटॉप खुल चुका था।

अब बस एक ही शंका थी वो भी ब्राउज़र खुलते ही दूर हो गई। एफबी पहले से लॉगिन था और अपस्यु फिर कुछ देर की छानबीन के बाद वहां भी पहुंचा, जिससे मिलने ऐमी पहुंची थी। 10 मिनट तक संदेशों का आदान प्रदान हुए, उसके पश्चात अपस्यु चैट को डिलीट करके, सबकुछ पहले जैसा वापस रख दिया।

शाम के तकरीबन 5 बजे ऐमी एक अच्छी नींद के बाद जाग रही थीं। फ्रेश होकर वो हॉल में पहुंची, जहां अपस्यु खुले बदन, नीचे लोअर पहन कर रस्सियां कूद रहा था। ऐमी को पहले के मुकाबले अपस्यु का बदन काफी आकर्षक लग रहा था। मेसोमोर्फ शरीर (mesomorph) जिसे किसी एथलीट के ढांचे में तैयार किया गया था। शरीर का आकार और उसका ढांचा अपस्यु को मनमोहक बना रहा था।

ऐमी उसके रूप आकर्षण में खींची हुई उसके साथ-साथ रस्सियां कूदने लगी। ऐमी उसके बदन को छूते हुए कहने लगी…. "काफी मेहनत कर रहे हो सर, सेक्सी बॉडी हां। देखकर मेरे होश उड़ रहे है।"

अपस्यु चुप-चाप अपनी रस्सियां कूदता रहा। ऐमी कुछ देर तक उसके साथ कूदती रही फिर उसकी सासें उखड़ने लगी और वो अाकर बैठ गई। कुछ देर बाद वो भी ऐमी के पास आकर बैठते हुए अपनी श्वास सामान्य करने लगा।

"इंप्रेसिव मिस्टर अपस्यु, 600 जंप की गिनती तो मैंने कर ली है।" ….. "कुल 3000 जंप 1000-1000 के 3 सेट सुबह शाम और रात।"…

"दोनों भाई एक जैसे ही हो, वैसे तुम्हारी यहां तो अनगिनत गर्लफ्रेंड होगी।"

अपस्यु:- और वो क्यों होगी भला…

ऐमी:- जब मै इतना अट्रैक्ट हो सकती हूं तो यहां की लड़कियां तो नोच डालती होंगी तुम्हे…

ऐमी अपनी बात कहकर जोड़-जोड़ से हंसने लगी। अपस्यु उसे हंसते हुए देखकर मुस्कुराने लगा। गम में लगातार रोती लड़की को यूं खुलकर हंसते देखने का अपना ही सुकून था।

दोनों 6 बजे के करीब शॉपिंग के लिए निकल रहे थे। ऐमी हल्के पीले रंग की शॉर्ट और उसपर टी शर्ट डाले हुई थी जो कंधे से पूरा खुला हुआ था। अपस्यु उसे देखते ही कहने लगा… "ये पहन कर अपने बॉयफ्रेंड पर बिजलियां गिराने जा रही है क्या?"

"खड़ूस मुझे देख कर ऐसा कह रहा है मतलब आज मै वाकई कमाल कि दिख रही हुं क्या?" .. और फिर से वही खिली सी मुस्कान को उसके चेहरे पर फ़ैल गई थी।

रात के तकरीबन 10 बजे ऐमी तैयार होकर हॉल में अाई। नीचे काले रंग की मिनी स्कर्ट, ऊपर व्हाइट कॉलर की टी-शर्ट और उसके ऊपर ब्लैक कलर की जैकेट। इन सब के अलावा जब वो इस परिधान के साथ आंखों पर हल्के पीले रंग की स्टाइलिश चस्मा लगा कर हॉल में अाई, अपस्यु खड़ा होकर उसे देखने लगा।

"क्यों होश उड़ गए ना।"… ऐमी अपने भृकुटी (eyebrow) चमकती हुई पूछने लगी।

अपस्यु उसके पास पहुंचकर उसके माथे को चूमते हुए उसे गले लगाते कहने लगा….. "मै बहुत खुश हूं, और हां तुम्हे ऐसे देखकर वाकई में मेरे होश उड़ गए। काफी प्यारी और खूबसूरत लग रही हो।"

ऐमी, अपने दोनो हाथ फैलाकर, अपने सिर को झुकाकर उसके तारीफों का अभिवादन की और अपने बॉयफ्रेंड से मिलने के लिए निकली। 10 बजे के करीब वो निकली और लगभग 10.30 बजे तक गुस्से में लाल-पीली होती हुई वो वापस अा रही थी। उसके पीछे-पीछे कोई लड़का भी चला अा रहा था। अपस्यु हॉल में ही बैठा हुआ था, ऐमी की हालत देख कर वो जोड़-जोड़ से हंसने लगा। वो आते ही सीधे अपने कमरे में घुस गई और उसके पीछे-पीछे वो लड़का भी अंदर जाने लगा…

"ओए खजूर, किधर जा रहा है।"… अपस्यु ने उसे रोकते हुए कहा..

लड़का:- Chill bro, she is my girlfriend.

अपस्यु, उसे ऊपर से नीचे तक देखा… "तू इंडियन है ना।

लड़का:- Yes bro

अपस्यु:- तू यहां जरा मेरे पास अा..

"Yo Bro" वो लड़का अपस्यु के पास आते हुए बोलने लगा। अपस्यु ने उसके बाल को पकड़ कर, उसके सर को गोल गोल घुमाते कहने लगा…. "साले निकम्मे, मै इधर बैठा हूं और तू उसके पीछे-पीछे उसके कमरे में जा रहा हैं। इतनी हिम्मत अाई कहां से अा गई बे।"

लड़का:- sorry bro, she misunderstood…

अपस्यु:- साले अंग्रेज, हिंदी ने बोल लेे.. वरना अभी सुताई कर दूंगा।

लड़का:- सॉरी ब्रो। वो थोड़ी सी मिसअंडरस्टैंडिंग हो गई है। वहीं समझाने जा रहा था।

अपस्यु उसे धीमे हाथ का एक थप्पड मारते हुए…. "वो पूरी गीली होकर अाई है। अंदर कपड़े बदल रही होगी और तू साला उसके पीछे पीछे जा रहा है। चल यहां मुझे अपनी सफाई दे, मै उसे समझा दूंगा।

लड़का:- वो पागल हो गई है ब्रो।

फिर से एक थप्पड… "अबे तू मेरे सामने उसे पागल बोल रहा है, इतनी हिम्मत।"

लड़का:- you both are fucking freak. You asshole, motherfucker… go fuck yourself…

इतने में ऐमी अपने कपड़े बदल कर हॉल में पहुंच चुकी थी और इस प्रकार से जब वो गाली देती सुनी, नजर इधर-उधर दौड़ा कर देखने लगी। पास में ही फर्श साफ करने वाला डंडा रखा हुआ था। फिर क्या था वो लड़का गालियां दे ही रहा था कि ऐमी ने डंडा बरसाना शुरू कर दी। इतनी तेज उसके पीठ पर डंडे पड़े की वो छटपटा कर वहां से भागना ही सही समझा।

ऐमी गुस्से में डंडा वहीं फेककर, वो अपना लैपटॉप निकली और दूसरी कोई आईडी ओपन करके अपना लास्ट लॉगिन टाइम देखने लगी। जैसे ही उसने अपना लास्ट लॉगिन टाइम देखी, वहीं डंडा लेकर अपस्यु के पीछे दौड़ गई।

10 मिनट के भाग दौड़ के बाद अपस्यु हॉल में अाकर सोफे पर बैठ गया और ऐमी उसे मारने लगी। वो ऐमी को देख कर जोड़-जोड़ से हंस रहा था और ऐमी मारते-मारते थककर वहीं बैठ गई..… "कितनी दूर से आई थी मै अपने इंटरनेशनल ब्वॉयफ्रैंड से मिलने। सब बर्बाद कार दिया तुमने अपस्यु।"

अपस्यु उसकी बात सुनकर फिर से जोड़-जोड़ से हसने लगा। उसे हंसते देखकर ऐमी की भी हंसी निकल आईं। ऐमी हंसती हुई, उसके सीने से अपने सर को टीकाकर अपनी आखें मूंद ली और अपस्यु उसके बालों में हाथ डाल कर उसके सर को हल्का हल्का दबाने लगा…. "क्या मैसेज किया था उस खजूर को"

अपस्यु:- ज्यादा नहीं बस इतना ही लिखा था…. I love pull side party, specially someone lift me and through in.

ऐमी, थोड़ी सिकुरकर अपस्यु के और उपर आती हुई… "तभी उस गधे ने मुझे सीधा पुल में फेक दिया। सब लोग हंस रहे थे।"

अपस्यु:- तुझे वहां कोई देसी लड़का नहीं मिला जो इन विदेशियों को पकड़ने चली आईं। और पसंद भी आया तो मियामी का ही लड़का, इतने बड़े देश में कहीं और ढूंढ लेती अपना इंटरनेशनल बॉयफ्रेंड।

ऐमी:- ना मियामी में ही ढूंढना था, तुम्हे देखे साल भर से ऊपर जो हो चुका था।

अपस्यु वहीं सोफे पर बैठे उसके सर पर धीरे-धीरे हाथ फेरता रहा और ऐमी सुकून से सो गई। सुबह जब उसकी आंख खुली तब अपस्यु कहीं बाहर निकल रहा था। ऐमी उसे पीछे से टोकती हुई पूछने लगी….. "मुझे छोड़ कर कहां चल दिए सर।"

अपस्यु:- यहां से वापस निकलने की तैयारी ऐमी… बस एक दो जगह बताना रह गया है कि आज से मै नहीं आऊंगा।

ऐमी:- कितना वक़्त लगेगा।

अपस्यु:- मुश्किल से 1 घंटा लगना है ऐमी, जबतक तुम नहा धोकर आराम से नस्ता का लुफ्त उठाव तबतक मै काम ख़त्म करके आया।

सुबह के 10 बज रहे थे, ऐमी किचेन में बर्तनों को साफ करके रख रही थी। अपस्यु उसे पीछे के गले लगाते हुए, उसके गालों पर किस्स करते हुए कहने लगा..… "इस काम को तुम्हे करने की जरूरत नहीं"

ऐमी घूमकर सीधी हो गई और किचेन सलब पर अपने हाथ टीका कर अपस्यु को ध्यान से देखने लगी… "क्या हुआ, ऐसे क्या देख रही हो"… अपस्यु ने पूछा।

ऐमी:- इतने साल हो गए तुम्हे देखते हुए, परिस्थिति कोई भी हो तुम्हारे चेहरे की मुस्कान कभी गई नहीं। ना कहो कुछ चंद दिनों को छोड़कर।

अपस्यु:- हाहाहा.. तुम भी ना ऐमी, मेरे चेहरे की बनावट ही ऐसी है।

ऐमी:- किस्स मी..

अपस्यु:- क्या ?

ऐमी:- आई सैड किस्स मी..

अपस्यु थोड़ा आगे बढ़कर उसके गालों को चूम कर अलग हो गया… ऐमी ने फिर से दोबारा कहा… "किस्स मी, और इस बार बिल्कुल वैसा होना चाहिए जैसा हमने अपनी पहली मूवी में देखा था।"

अपस्यु:- मज़ाक कर रही हो क्या?

ऐमी आगे बढ़ी और एरिया ऊंची करती हुई, उसने अपस्यु के होंठ से होंठ लगाकर चूमती हुई अलग हुई। अपस्यु का हाथ पकड़ कर उसने अपने सीने से लगाया… "मेहसूस करो इन बढ़ी धड़कनों को"… फिर उसका हाथ, उसी के सीने पर रखती… "तुम्हारा दिल भी ठीक वैसे ही धड़क रहा है कि नहीं देखो।"

अपस्यु:- तुम समझना क्या चाह रही हो ऐमी?

ऐमी:- यहीं की कुछ इंसानी स्वभाव भी होता है… इसलिए कभी-कभी एन्जॉय भी करना चाहिए। हर वक़्त ये मुस्कान वाला फेस मास्क तुम्हारे अंदर डिप्रेशन पैदा कर देगा।
 
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☑️Prince In Exile..☠️
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ऐमी आगे बढ़ी और एरिया ऊंची करती हुई, उसने अपस्यु के होंठ से होंठ लगाकर चूमती हुई अलग हुई। अपस्यु का हाथ पकड़ कर उसने अपने सीने से लगाया… "मेहसूस करो इन बढ़ी धड़कनों को"… फिर उसका हाथ, उसी के सीने पर रखती… "तुम्हारा दिल भी ठीक वैसे ही धड़क रहा है कि नहीं देखो।"

अपस्यु:- तुम समझना क्या चाह रही हो ऐमी?

ऐमी:- यहीं की कुछ इंसानी स्वभाव भी होता है… इसलिए कभी-कभी एन्जॉय भी करना चाहिए। हर वक़्त ये मुस्कान वाला फेस मास्क तुम्हारे अंदर डिप्रेशन पैदा कर देगा।

अपस्यु:- और तुम्हे किसने कह दिया कि मै एन्जॉय नहीं करता। बस मुझे ये गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड सब फालतू की बातें लगती है।

ऐमी:- और सेक्स

अपस्यु:- इस पर तो कभी ख्याल भी नहीं गया।

ऐमी:- अच्छा, सच-सच बताना मियामी में तुम्हारा किसी लड़की के साथ फिजिकल रिलेशन रहा है क्या?

अपस्यु:- बिल्कुल भी नहीं। जब मुझे किसी लड़की में इंट्रेस्ट ही नहीं, तो रीलनशन तो बहुत दूर की बात है।

ऐमी:- पक्का यहीं कारण होगा, मुझे यकीन है।

अपस्यु:- खुद से क्या बोल रही हो, मुझे भी बताओ।

ऐमी:- सर अपस्यु क्या आप बताएंगे की मियामी बीच आप कितनी बार गए हैं, जिसका व्यू आप के खिड़की से भी मिल रहा है। यहां के पब में कितनी बार गए हैं, डिस्को कितनी बार गए और कितनी पार्टियां की है?

अपस्यु:- एक यही काम बचा है क्या करने को।

ऐमी:- ओह हो तो ऐसी बातें है। कोई नहीं, इंसानी स्वभाव के नए रूप से आप को आज जरा दर्शन करवाया जाए चलिए, चलते है।

अपस्यु:- कहां जा रहे है हम।

ऐमी:- तैयार हो जाओ हम बीच जा रहे हैं। और सुनो अंदर अंडरवियर मत डालना।

अपस्यु:- हट ये कैसी शर्त है।

ऐमी:- मुझ पर यकीन है ना…

अपस्यु:- हां..

ऐमी:- ठीक है फिर वैसा ही करो जैसा मैंने कहा।

बीच पर जाने के हिसाब से दोनों ने हल्के-फुल्के कपड़े अपने ऊपर डाले और निकल लिए। अपस्यु, ऐमी की बात मानते हुए नीचे अंडरवीयर नहीं पहना था। दोनों पहुंचे बीच पर। वहां के बार से दोनों ने एक-एक बियर ली और बीच पर घूमने लगे। यूं तो अपस्यु का ध्यान बहुत ही केंद्रित हुआ करता है और कोई भी चीज उसे भ्रमा नहीं सकती थी।

लेकिन साथ चल रही ऐमी की कमेंट्री पर जब अपस्यु मियामी बीच का नजारा देखता तो उसके अंदर भी भावनाएं जागृत हो जाती। अभी 5 मिनट भी नहीं हुए थे आए की अपस्यु किसी तरह झुक कर और अपने जेब में हाथ डालकर वहां से तेजी के साथ भागा। उसे भागते देख ऐमी को जोड़-जोड़ से हंसी आने लगी और वो अपस्यु को चिढाती हुई कहने लगी…. "अरे कहां भाग लिए… थरक अरमान जाग ही गए ना।"…

सुबह के इस वाक्ए के बाद फिर दोनों के बीच इस विषय में कोई चर्चा नहीं हुई। दोनों किसी गहरे दोस्त की तरह पूरा दिन बात करते और घूमते-फिरते निकाल दिए। वैसे भी, जब भी दोनों साथ होते तब उनके पास विषयों कि कमी नहीं थी बात करने के लिए।

रात के 10 बज रहे होंगे, ऐमी और अपस्यु एक साथ बिस्तर पर लेटे हुए थे। दोनों चीत परे छत को देखते हुए काफी समय से बात किए जा रहे थे। उसी बीच अपस्यु धीमे से कहा…. "सुबह की वो किस्स"….

ऐमी, अपस्यु के ओर करवट लेती उसके चेहरे को देखती हुई पूछने लगी… "सुबह की वो किस्स क्या अपस्यु"

"कोई शब्द नहीं मिल रहे की क्या कहूं, मै अपना अनुभव साझा नहीं कर सकता लेकिन अलग ही वो फीलिंग थी"… अपस्यु भी करवट लेते हुए ऐमी के ओर चेहरा घुमा कर कहने लगा। दोनों की नजरों से नजरें टकरा रही थी, होंठ करीब आते चले गए और आखें बंद होती चली गई।

दोनों एक दूसरे को चूमते हुए तेज-तेज सासें लेे रहे थे। हाथ एक-दूसरे के बदन पर रेंग रही थी और दोनों उस चुम्बन में डूबते चले जा रहे थे। बेहताशा चूमते हुए दोनों की सासें उखाड़ने लगी थी, दोनों अलग हुए तेज-तेज श्वास अपने अंदर भरते, उखड़ी श्वासों को सामान्य करने में लग गए। दोनों की नजरें फिर एक दूसरे से मिली और ऐमी की खिल- खिलाती हंसी, तेज चलती शवसों के साथ आने लगी और एक बार फिर वो अपस्यु के होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगी।

दोनों चूमते हुए बैठ गए और चूमते हुए एक दूसरे को स्मूच करने लगे। दोनों अपने इस लंबे चले चुम्बन को एक बार फिर तोड़ते हुए अलग हुए, और बड़ी ही तेजी के साथ एक दूसरे की टी शर्ट को निकाल कर फेंक दिए। ऐमी, अपस्यु की आखों में देखती हुई, उसके हाथ को अपने स्तनों के ऊपर रख कर मस्ती में अपने होंठ को दातों तले दबा ली।

स्तन को हाथ में लेने का ये पहला अनुभव था और काफी रोमांचित करने वाला अनुभव था। अपने दोनो हाथों का दबाव स्तनों पर धीरे-धीरे बढ़ाते हुए अपस्यु एक बार फिर, ऐमी के होंठ से होंठ लगाकर चूमते हुए उसे लिटा दिया।

लेटने के साथ ही अपस्यु ने ऐमी के शॉर्ट का बटन खोला। फिर अपने हाथों से उसका चेन को नीचे करते हुए शोर्ट्स को पैन्टी के साथ खिसकते हुए घुटनों के नीचे तक लाते हुए उसे निकाल दिया और खड़े होकर अपने पैंट उतार कर वापस ऐमी के ऊपर अा गया।

दोनों की श्वास तेज-तेज चल रही थी। होंठ से होंठ जुड़े हुए थे। अपस्यु अपना एक हाथ से उसके स्तन को पूरा पकड़े उसे मसल रहा था और दूसरा हाथ की उंगलियां ऐमी के हाथों की उंगलियों में फसा कर सर के ऊपर रखा था। इस स्तिथि में, लिंग का योनि के ऊपर पड़ने वाला स्पर्श, वासना की अलग उन्माद पैदा कर रही थी।

ऐमी अपने हाथ नीचे ले जाकर लिंग को अपने हाथों में ली। ये उसके लिए भी पहला अनुभव था और वो उत्तेजित होती हुई लिंग को योनि के ऊपर लाकर बड़ी तेजी से उसे ऊपर-ऊपर रगड़ने लगी। दोनों की श्वास काफी तेज और उत्तेजना चरम पर थी। लिंग को अपने योनि के प्रवेश पटल के थोड़ा अंदर डालती उसने चुम्बन को तोड़ते हुए अपस्यु के कंधे पर एक लव बाइट दी और उसके कानों में उखड़ी श्वास के साथ कहने लगी…. "जरा धीमे"

इतना कहकर ऐमी ने अपस्यु के कान के नीचे हिस्से को अपने मुंह में लेकर उसे गीला करती हुई चूमने लगी। इधर अपस्यु इंच दर इंच, धीरे-धीरे लिंग को योनि के अंदर डालते जा रहा था। हल्के दर्द के तैरते उत्तेजना में ऐमी के होटों के "आह्ह" निकल गई। धीरे-धीरे माहौल और भी ज्यादा उत्तेजित होता चला गया। चढ़ती श्वास के साथ धीमी निकलती सिसकारियां चारो ओर मादक माहौल बना रही थी। दोनों पसीने से तर हो चुके थे और एक आखरी झटके के साथ दोनों ने पहली बार अपने संभोग के चरम का भी आनंद लिया।

बदन बिल्कुल हल्का पड़ चुका था। आस-पास लेटकर दोनों श्वास को सामान्य करते, एक दूसरे की आंखों में देखकर हंसने लगे। … "ये अनुभव बिल्कुल रोमांचित करने वाला था। बहुत मज़ा आया।".. अपस्यु ऐमी की आखों में आखें डाल कर बोलने लगा। ऐमी भी प्रतिक्रिया ने मुस्कुराती हुई कहने लगी…. "मुझे भी बहुत मज़ा आया। ऐसा लग रहा है पूरी हो गई मै आज।"

अपस्यु उसे अपने आलिंगन में भरकर, प्यार से उसके होंठ को चूमा और अपने आखें मूंद ली। ऐमी भी उसके बाहों मै अपना सर डाले सो गई। आधी रात के करीब ऐमी की आखें खुल गई। वो अपस्यु को एक नजर देखी और अपने कपड़े समेटकर वहां से अपने कमरे में चली गई।

अगली सुबह फिर से सामान्य थी। ना तो उसमे बीती रात कि कोई चर्चा और ना ही कोई भावनात्मक सोच। फिर से वहीं घंटो बैठ कर बातें, घूमना-फिरना और दोनों की खिल- खिलाती हंसी।

17 जून रात के 8.30 बजे, ऐमी किचेन में खड़ी सलाद काट रही थी। अपस्यु पीछे से उससे चिपकता हुआ उसके कानों के नीचे किस्स किया। अपने दोनो हाथ उसके स्ट्रिप के अंदर डालकर, उसके स्तन को अपने हाथों से मसलते हुए अपने हाथ धीरे धीरे चला रहा था…. "आह.. सीईईईईईईईईईईईई … मेरे स्तनों से खेलना बंद करोगे।" .... अपस्यु अपने हाथ बाहर निकालकर एक कदम पीछे हट गया। ऐमी घूम कर अपस्यु के सामने हुई और शरारती मुस्कान दिखाती, उंगली के इशारे से अपने पास बुलाई।

अपस्यु अपने कदम बढ़ाता हुआ उसके पास पहुंचा और होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगे। श्वास उखड़ी और हाथ पूरे बदन पर फिर रहे थे।वासना अपने पुरजोर पर थी और इसी क्रम मै ऐमी नीचे बैठकर, अपस्यु के लोअर को नीचे खिसका कर उसके लिंग को अपने हाथों में पकड़ ली। पहले तो उसने लिंग को अपने मुट्ठी में पकड़कर उसे आगे-पीछे, मस्ती में हिलाने लगी, फिर अपने मुंह में लेकर उत्तेजना से चूसने लगी।

अपस्यु की सासें पूर्ण रूप से चढ़ी हुई थी और उत्तेजना ऐसी हावी थी कि वो किचेन स्लैब को पकड़ कर अपनी आखें मूंद चुका था। कुछ ही पल बाद उसने ऐमी को बालों से पकड़ कर खड़ा किया और उसके होंठ से होंठ लगाकर उसके जीभ को चूसने लगा।

जल्द ही उसने ऐमी को कमर से पकड़ कर उठाया और किचेन स्लैब पर बिठाते हुए, उसके लोअर को खींच कर नीचे कर दिया और दोनों पाऊं को फैला कर योनि के बीच अपना सिर डाल दिया। वो योनि के किनारे से जीभ का पूरा स्पर्श देते हुए अपने जीभ को पूरा अन्दर तक डाल दिया।

जैसे ही अपस्यु जीभ से योनि के साथ खेलना शुरू किया, ऐमी के पूरे बदन में सुरसुरी दौड़ गई। वो अपस्यु के बालों को भींचती हुई, लंबी-लंबी सिसकारियां भड़ने लगी। कुछ ही देर में उसका बदन झटके खाने लगा। वो अपस्यु के बाल को खींचती उसके चेहरे को अपने चेहरे के करीब लेकर अाई। उसके होंठ को अपने दातों तले दबा कर काटती हुई उसे आखों से आगे बढ़ने का इशारा करने लगीं।

वो जिस्मों में उत्तेजना और जोश के उन झटकों का एहसास। हर झटके के साथ दोनों अलग ही रोमांच पर होते और पूरा बदन हिल जाता। दोनों अपने कामुक अवस्था का पूर्ण रोमांच उठाकर एक दूसरे से अलग हुए।

अगली सुबह दोनों में पहली बार इस विषय को लेकर बात हो रही थी। वो भी तब जब अपस्यु को लगा की "हम अपनी वासना में कुछ गलत तो नहीं कर रहे" इसलिए वो इस बदली परिस्थिति को रिश्ते का नाम देना चाहता था।

वहीं ऐमी अपने विचारों में स्पष्ट और उसकी सोच साफ थी।…. "कुछ शारीरिक जरूरतें और मन के अंदर छिपी वासना भी होती है जो जिस्म के भड़काव को स्थिर करती है। लोग इसे अफेयर का नाम देकर करते हैं। फिर ये अफेयर एक ही वक़्त में एक के साथ हो या अनेक के साथ, या फिर बदलते समय के साथ उनके पार्टनर बदल जाए। रिश्ते का नाम देकर भावना में तो किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं होता, रहेगी शारीरिक भूख ही और उसे मिटाना लक्ष्य। तो क्यों जरूरी है इस इसे कोई नाम देना। जिस वक़्त हमे अपना कभी जीवन साथी मिल जाए तो कम से कम हमे ब्रेकअप तो नहीं करना होगा।


अपस्यु, मुस्कुराते हुए उसके होटों को चूमते…. "थैंक्स, मैं थोड़ा बेचैन सा था कि कहीं छनिक सुख के लिए मै तुम्हे खो ना दू।"

ऐमी:- ऐसा भी होगा क्या इस जीवन में।

अपस्यु:- वो तो पता नहीं, लेकिन अब से ये तय रहा।

ऐमी:- क्या?

अपस्यु:- या तो कोई हमे ऐसा प्यार करने वाला मिल जाए जो हमारे रिश्ते को समझ सके और परख सके नहीं तो जब किसी अंजान से शादी करनी है तो हम आपस में बुरे है क्या?

इस बार ऐमी अपस्यु के होंठ चूमती…. वाउ, ये मुझे पसंद आया। लेकिन तुम्हे कोई भी प्यार करने वाली मिले, लेकिन मै तुम से लिपटना और तुम्हे चूमना नहीं छोड़ सकती, क्योंकि तुमसे खुशी के इजहार करते वक़्त मुझे भी पता ना मै तुम्हे कब चूम लूं।

अपस्यु:- ये तो मुझे भी पता है। सो आज से हम कैजुअल रीलेशन में रहेंगे।

ऐमी:- कैजुअल रिलेशन !!! ये कैजुअल रिलेशन क्या होता है ?
 
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इस बार ऐमी अपस्यु के होंठ चूमती…. वाउ, ये मुझे पसंद आया। लेकिन तुम्हे कोई भी प्यार करने वाली मिले, लेकिन मै तुम से लिपटना और तुम्हे चूमना नहीं छोड़ सकती, क्योंकि तुमसे खुशी के इजहार करते वक़्त मुझे भी पता ना मै तुम्हे कब चूम लूं।

अपस्यु:- ये तो मुझे भी पता है। सो आज से हम कैजुअल रीलेशन में रहेंगे।

ऐमी:- कैजुअल रिलेशन !!! ये कैजुअल रिलेशन क्या होता है ?

अपस्यु:- ऐसा रिलेशन जिसमे सच्चा चाहनेवाला या चाहनेवाली मिलने पर ब्रेकअप ना हो बस हम अपने दायरे कायम कर ले।

एक रिश्ता जो दोनों में उत्तेजना के कारण कायम हुए, और दूसरा रिश्ता जो लंबे वक़्त से इनका चला अा रहा था। दोनों रिश्तों के बीच की कड़ी को इन लोगों ने कैजुअल रिलेशन का नाम दिया। क्योंकि दिलों के बीच प्रेमी-प्रेमिका की भावनाएं थी नहीं, और गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बनना नहीं चाहते थे क्योंकि ब्रेकअप इन्हे चाहिए था नहीं।

खैर वक़्त अपने रफ्तार से ही चल रहा था। ऐमी और अपस्यु बिल्कुल पहले कि तरह ही अपना रिश्ता आगे बढ़ा रहे थे, एक गहरे दोस्त की भांति जो हर पल साथ निभाता चला जा रहा था। दोनों के बीच हुए फिजिकल रिलेशन के कारण इनके इस रिश्ते में रत्ती भर का भी बदलाव नहीं आया और ना ही ये कभी किसी रात के हुए सेक्स को सुबह चर्चा करते।

20 जून 2011…. अपस्यु और ऐमी दोनों साथ में भारत वापसी कर रहे थे। फ्लाइट टेक ऑफ किए लगभग 3 घंटे हो गए थे। ऐमी किसी गहरे ख्यालों में डूबी हुई थी…. "क्या हुआ अवनी को, आज इस प्रकार इतनी खामोश क्यों है।"

ऐमी फीकी मुस्कान अपने चेहरे पर लाती हुई कहने लगी…. "क्यों चिढ़ा रहे हो अपस्यु।"

अपस्यु:- अगर तुम्हे नहीं चिढ़ना है तो जरा बताओ कौन सी चिंता खाए जा रही है।

ऐमी, अपस्यु के ओर देखती गहरी श्वास ली और कहने लगी…. "किसी प्रकार की चिंता नहीं है, बस कुछ बातें दिमाग़ में अा रही थी, उसी बारे में सोच रही थी।

अपस्यु:- कौन सी बातें ऐमी।….

ऐमी…..

"जानते हो सर एक वक़्त था जब तुमने भी मौतें देखी और मैंने भी मौते देखी। देखा जाए तो मेरे सर पर मेरे डैड का हाथ था लेकिन तुम्हारे सर पर, उस विषय पर ना ही बात की जाए तो अच्छा है……. उस वक़्त हम सबकी दुनिया उजड़ी थी। मेरे पापा शराब में डूब गए थे, मै और आरव पूर्णतः सदमे में थे। कई रातों तक हम दोनों को तुमने अपने गोद में सुलाया था। कई बार जब रातों को मेरी नींद खुलती, तब तुम्हे वैसे ही बैठे-बैठे सोते हुए भी देखा है मैंने।

तुम्हारा तो कोई रिश्तेदार भी नहीं थे, या थे भी तो कभी सामने नहीं आए किंतु मेरे तो थे। कोई 2 दिन के लिए रुकते, तो पूछा करते थे ये लड़का कौन है जो हर वक्त अवनी के पास रहता है। उन्हें वो छोटी सी लड़की नहीं दिखती थी, जो सदमे में थी। बस सबको वो अंजान लड़का ही दिखता था। कोई दस दिन तक रुकता तो तुमसे नौकर की तरह काम करवाता। लेकिन किसी को भी यह नहीं दिखता की एक लड़का जो लगभग मेरी उम्र का था, वो हम दोनों बाप बेटी और अपने भाई का सहारा था। लोग आते रहे, तुम्हे ताने मारते रहे। तुम सबकी बातों को सुनकर भी अनसुना करते रहे, चेहरे पर वही चिर-परिचित मुस्कान।

खुद इतने दर्द में होते हुए भी हमे संभला, उस दर्द और सदमे से टूटे लोगों को उबड़ा। सर झुक जाता है सर.. आप के आगे ये सर झुक जाता है। अवनी को संभालने तो कोई रिश्तेदार नहीं आया लेकिन अवनी के साथ ये कौन लड़का है कह कह कर इस नाम से ही नफरत करवा दी उन लोगो ने।

अपस्यु:- बस रे बाबा बस। यूं समझ लो कि ज़िन्दगी एक साजिश है और आने वाला वक़्त उसका सस्पेंस। बीती बातें किसी कहानी की तरह होती है जिसमें दर्द, प्यार और ढेर सारे ड्रामा होते है। उन बीती कहानी को कभी कभी पढ़ लिया करो ताकि उनकी यादें धुंधली ना हो और ध्यान पूरा आने वाले वक़्त पर लगाओ। क्योंकि यदि हम अतीत में खोए रहे तो पता ना ज़िन्दगी कौन सी साजिश रच कर किस तरह का नया सस्पेंस हमारे सामने खोल दे। ये तो हो गई तुम्हारे उन ख्यालों का जवाब जिसमे तुम जबरदस्ती डूब रही थी लेकिन अब ये बात बताओ कि मुख्य मुद्दा क्या है, जो इतना सोचने पर तुम मजबुर हो गई।

ऐमी अपने चेहरे पर मुस्कान लाती…. चिंता सिर्फ इतनी है सर, एक लड़का उस लड़की से भी सच्चा प्यार कर लेता है जिसके 3-4 ब्वॉयफ्रैंड पहले से रहे हो। एक लड़के को इस बात से भी बहुत कम आपत्ति होती है कि उसकी लवर का कोई सच्चा दोस्त एक लड़का है। वो लड़का अपने प्रियसी को पूरे दिल से समझता है और उसके समझाए रिश्ते को वो पूरी ईमानदारी से निभाता है। लेकिन एक लड़की के साथ इसका उलट होता है। वो हर बात समझकर भी समझना नहीं चाहती। उसे पहले से यदि पता हो की उसके लवर का किसी लड़की के साथ ब्रेकअप हुआ है और वो किसी अन्य लड़की को देख भी ले, तो भी घूम फिर कर मुद्दा वही बनता है.. "तुम्हारी दूसरी लड़कियों के साथ चक्कर है।"… कितनी भी चाहने वाली लड़की क्यों ना मिले उसे अपने रिश्ते में कोई दूसरी ऐसी लड़की नहीं चाहिए जो उसके लवर टच भी करे। ऐसा नहीं को वो सच्चा प्रेम नहीं करती बस हम लड़कियों की भावना ही कुछ ऐसी होती है कि इन छोटी छोटी बातों से हर्ट कर जाती है।

"बस यही बातें खाए जा रही है, यदि तुम्हे कोई प्यार करने वाली मिल गई तो दायरे में फस कर कहीं मेरी कहानी सिसक कर ना रह जाए।"


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साल 2000 … नए मिलेनियम की शुरवात हो रही थी। बहुत ज्यादा तो याद नहीं उस वक़्त का, लेकिन हां लोग काफी हर्षित थे और चारो ओर न्यू ईयर से पहले की तैयारियां जोरों पर थी। मेरी प्यारी मां चाहती थी कि इस बार की मिलेनियम, हम सब एक साथ भारत में मनाएं।

मां की बात को मानकर हमारा पूरा परिवार यहां भारत आया हुआ था। पूरा एक महीना सब लोग रुके थे। मेरे माता पिता गुरु निशी के बहुत बड़े अनुयाई थे वो लोग अक्सर उनसे मिलने भारत आया करते थे। ये लम्हा मै कभी नहीं भूल सकता जब मेरे माता-पिता आश्रम पहुंचे थे और गुरुजी ने उनसे एक बेटा मांग लिया था।

मेरी मां राजी नहीं हुई, लेकिन पापा के समझाने पर वो मुझे यहीं छोड़ कर चले गए। साल 2000 के गर्मियों की बात होगी जब पहली बार ऐमी नैनीताल अपने पापा के साथ गुरुजी के आश्रम अाई थी। मै उस वक़्त तन्हा अकेला सा रहता था और तभी पहली बार मैंने ऐमी को देखा था। बहुत ही जिद्दी और हर बात पर नखरे करने वाली थी, जैसा मै अपने माता पिता के पास करता था।

लेकिन ये हमारी पहली मुलाकात नहीं थी। वो 2002 की गर्मियों की छुट्टी चल रही थी जब ऐमी यहां आश्रम अाई हुई थी। मै गुरु से छिपकर पहाड़ों पर चढ़कर, उजला और नीले रंग का बेहद लुभावना फूल तोड़ रहा था। ऐमी ने मुझे उस पहाड़ पर चढ़े देख लिया और वो इतनी तेज चिल्लाई की मै ऊपर से नीचे गिर गया।

इस झाड़ में फंसा, उस पत्थर से टकराया और आंख जब खुली तब दिए की रौशनी में पहली बार उसे मैंने अपने पास बैठे देखा। मेरी जब आंख खुली और मैंने कर्रहा, तब अवनी, हां उस वक़्त तक तो अवनी ही थी। तो जब मै कर्ररहा रहा था, तब अवनी को पहली बार सुना था…. "सुनो तुम जल्दी से वो फूल मुझे दे दो।"… हाहाहा.. तभी मैंने कहा था उस निशान कि अपनी एक फनी कहानी है।

यहां से हमारी बातें शुरू हुई। हालांकि बातें वही करती थी मै बस उसे सुनता रहता और "हां हूं" में जवाब दिया करता था। कभी-कभी तो ऐसा होता था कि वो मुझ से सवाल पूछती और मै उसपर भी "हां हूं" करता रहता। वो क्या हैं ना ऐमी 4 बातें बोला करती थी जिसमे से मुझे एक दो शब्द भी समझ में आ जाए तो बहुत बड़ी बात थी।

हर साल वो अपने छुट्टियों में आती और हम दोनों लगभग साथ ही रहा करते थे। ऐमी के साथ रहने का मुझे एक फायदा होता था, मुझे दिल्ली की भाषा सीखने के लिए मिल जाती। कमाल की बात तो ये थी कि उसी ने मुझे गाली देना भी सिखाया।

जैसा तुमने कहा था ना आज से हम दोस्त, या हम दोनों को प्यार है। शायद ही ऐसे शब्द हमने इस्तमाल किए होंगे कभी। इतने छोटे से मिल रहे थे और इतने लंबे समय से मिल रहे थे कि कभी इन बातों का ध्यान भी नहीं रहा।

2004 या 05 की बात है, ऐमी लैपटॉप का कीड़ा थी। तब मैंने मां से बोलकर एक लैपटॉप पैरिश से मंगवाया था। हुआ ये कि, जब मै उसे रैप किया हुआ लैपटॉप दे रहा था तब उसने भी मुझे लैपटॉप ही गिफ्ट किया था। हंसी तो तब अा गई जब दोनों एक ही मॉडल के लैपटॉप गिफ्ट कर रहे थे।

उन्हीं छुट्टियों में हम दोनों ने लैपटॉप पर साथ मे फिल्म देखा था। फिल्म के अंदर किसिंग सीन को देखकर हमने भी तय किया कि ये करके देखते है। हम दोनों ने एक दूसरे को किस्स किया। वो यक करती हुई मुझ से अलग हुई थी और कहने लगी… "कितना गन्दा था ये, कैसे करते हैं ये लोग फिल्म में।"

बस ऐसे ही हमारा वक़्त कट रहा था। कुछ खट्टी मीठी यादें हमने साथ में संजोए थे उन बचपन के, फिर शायद बचपन ही खत्म हो गया था। एक हादसे में हम दोनों की मां और ऐमी का छोटा भाई मर गया। ये 2007 की बात थी।

2007 से 2009 तक मै और ऐमी एक साथ सिन्हा सर के यहां ही रहे। चूंकि मै शुरू से ही अपने मां से दूर रहा था, शायद यह एक वजह थी की इस हादसे का असर मुझ पर से जल्दी ख़त्म हो गया, लेकिन आरव और ऐमी को उबरने में काफी समय लग गया। खैर वो दौड़ भी खत्म हो गया। हसी मज़ाक हमारे बीच फिर से शुरू होने लगी थी।

2009 के मध्य से लेकर शायद जून 2011 तक मै मियामी में रहा। फिर वापस भारत आया और अपने अध्यन के लिए भारतवर्ष के अन्य हिस्सों में मै भटकता रहा। इतने वर्षों में संपर्क के नाम पर मैंने बहुत कम ही उससे बात की होगी लेकिन बीच बीच में हम मिलते रहते थे। मै कहीं भी रहूं ऐमी को पता रहता था। गले लगाना और एक दूसरे को चूमना ये हमारे खुशी के इजहार करने का तरीका सा बन गया।

इन्हीं सब बातों को मध्य नजर रखते हुए हमने अपने रिश्ते को कैजुअल रिलेशन का नाम दिया। जब एक दूसरे के पास नहीं होते तो याद नहीं करते और जब पास होते है तो दिन कब बातों में निकल जाती पता भी नहीं चलता। उम्मीद है तुम हमारे रिश्ते को समझ चुकी होगी और शायद ये भी समझ में अा चुका होगा कि कैजुअल रिलेशन क्या होता है।

तुम कुछ निष्कर्ष पर पहुंचो, उससे पहले मै तुम्हे एक बात बता दूं। मै लगभग २-३ महीने से दिल्ली में हूं लेकिन उसे पता होने के बावजूद, ना तो वो मुझसे मिलने की कोशिश की और ना ही उसने फोन किया। इतने दिनों में केवल 2 मिनट की मुलाकात कुछ दिन पहले हुई थी, वो भी तब जब सिन्हा सर को मै कुछ जरूरी केस पेपर देने गया था। उसके बाद कल रात मुलाकात हुई थी। वो भी मुलाकात नहीं होती लेकिन मै और सिन्हा सर पिए हुए थे, तब वो अाई थी। और फिर आज सुबह मुलाकात हुई, जब मुझे लगा कि तुमसे किसी भी तरह का रिश्ता आगे बढ़ाने से पहले, मै तुम्हे अपने और ऐमी के रिश्ते के बीच की सच्चाई बता दूं।
 
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nain11ster

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Hum bhi comments ke Bhanvar me ulajh kar rah jayenge ya update bhi milega ?.?
ji aap sir ... aap ne to ab tgak pahla comment diya hai thread par .. hmmm .. matlab chupke chupke kahani padhat rahe hain ... aur kauno respond na karte rahe ... update aa gaye hain .. i will wait for your comment :yo:
 
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