• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance भंवर (पूर्ण)

Rahul

Kingkong
60,514
70,690
354
update 20 tak padh liya shandaar story hai maja aa gaya do premi do premika dono awesome..vodka bhi pilaya dar nikal gaya sara ab pitai hogi ashiq ki..bahut badhiya mast kahani hai
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
31,619
92,350
304
Kahin kahan gaya tha .. kapde hi badlne gaya tha .. main kahin aur ki nahi soch raha tha :D

Bawa re bawa grih klesh dekhne me ise kitna maza aata hai .. hey bhawgwan .. ab to saas bahu aur sazia ka bhi jamana na raha fir bhi .. itna domestic violenece pasand hai :dazed:

Crazy boy always behind the moti ... Don't forget it :declare:

Yes meeting rakhi gayi to hai aur khulasa meeting me hi hoga jo saam ke 7 baje hai aur abhi subaha hai ... Keep the thing into mind :hint:

Meri tarif karne ka tha na .. wo maine ki thi :( .. sachi kai ko karne lagi tarif ... :itsme:

Thanks foe such a beautiful comment ..
agar sakaratmak sameeksha chahiye toh aap ishq, risk kahani jald se jald restart kijiye... :smile:
 

nain11ster

Prime
23,612
80,748
259
Update:-39 (A)



कॉल डिस्कनेक्ट होने के बाद अपस्यु अपनी मां में पास आया और उसकी गोद में सर रखकर आखें मूंद लिया। नंदनी उसके बालों में हाथ फेरती हुई सभी लोगों से बात करने लगी। चर्चाओं का विषय आगे बढ़ रहा था इसी क्रम में नंदनी अपस्यु को जगाती हुई पूछने लगी, "क्या ये सच है?"

अपस्यु:- क्या मां मैं समझा नहीं।
अनुपमा:- तुमने हमारी एक भी बात नहीं सुनी क्या?
अपस्यु :- माफ़ कीजियेगा आंटी, मेरी आंख लग गई थी।
राजीव:- सुनकर अनजान बन रहा है। इसने केवल कहानी गढ़ी होगी। साची ने मुझसे कहा था और मैंने आफिस में यह बात उठाई थी। इसलिए सर ने अपने लड़के को उस कॉलेज से निकालकर कहीं और एडमिशन करवा दिया।
सुलेखा:- बिल्कुल सही कहे है जी, ये तो वही बात हो गई करे कोई और, और श्रेय कोई और लूट लेे। वैसे भी वो कहां इतने बड़े आदमी, इन जैसों की सुनेगे।
नंदनी:- हां शायद आप ने सही कहा।

अनुपमा:-:सब आपस में ही बोले जा रहे हैं कोई उसकी भी सुनेगा। बेटा हमे ये जानना है कि तुमने उस होम मिनिस्टर के बेटे को कैसे उस कॉलेज से और हमारे बच्चियों से दूर किया?

अपस्यु :- जाने भी दो ना आंटी, अंकल को अगर लगता है कि उन्होंने अपने ऑफिस में बात करके इस मामले को सुलझा दिया, तो ऐसा ही सही।

राजीव:- नहीं क्या मतलब है तुम्हारा, तुमने ये मामला निपटाया हैं। जानते भी हो वो कौन है। सेंट्रल होम मिनिस्टर। उनका रूतवा, उनकी पॉवर, और पूरे देश पर उनका कितना स्ट्रोंग होल्ड है तुम्हे पता भी है। गली के नेता नहीं है वो समझे।

अपस्यु :-:हां ठीक है ना अंकल मैं कहां कुछ बोल रहा हूं।
सुलेखा:- देखा दीदी कितना चालक बन रहा है ये। अभी इसने बोला था इनको (राजीव को) ताने मार कर, "इन्हे ऐसा लगता है तो यही सही।" कैसे पलटी मार गया अभी। बदतमीज है ये भी।
नंदनी:- अपस्यु चल मुझे बता क्या है पूरा मामला और एक भी शब्द झूट नहीं।

फिर से राजीव कुछ बोलना चाह रहा था इसपर अनुपमा उसे रोकती हुई कहने लगी…. "आप ही आप बोलते रहेंगे देवर जी, तो कैसे बात समझ में आएगी। उसे भी थोड़ा सुनते है। तुम बोलो बेटा।

अपस्यु :- कुछ नहीं आंटी, बस मैंने होम मिनिस्टर सर से एक मुलाकात किया। उन्हें पूरा मामला बताया। बहुत ही सरल और अच्छे इंसान है, उन्होंने भी मेरी बात को सुना और आश्वासन दिया कि अब दोबारा कोई समस्या नहीं होगी। और उन्होंने जो बोला वो किया।

राजीव:- झूट बोल रहा है ये। मै मान ही नहीं सकता।
सुलेखा:- इसे तो वहां के गेट आगे खड़ा ना होने दे, और कहता है मिलकर आया।
राजीव:- अभी दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। बोलो इससे अपनी बात साबित करे।

अपस्यु को हंसी अा गई इस बात पर और वो हंसते हुए कहने लगा…. "जी अंकल मैंने मां लिया, आप सही और मै गलत। यहां कोई अदालत चल रहा है क्या? अब मैं उनसे एक बार मिला हूं और मिलकर ये मामला निपटाया। वो कोई आम इंसान तो है नहीं की अभी के अभी आप को लेकर पहुंच जाऊं या फिर उन्हें कॉल ही लगा कर सच्चाई सामने रख दूं।

नंदनी जो अपने ही घर में शुरू से बेइज्जाती की घूंट पर घूंट पीए जा रही थी, उसको राजीव और सुलेखा का ऐसा रवाय्या बहुत खला। उन्होंने अपस्यु को गुस्से से देखती हुई कहने लगी…. "जब तुम कहते हो कि तुमने ये सब किया है तो फिर साबित करने में क्या परेशानी है?"

राजीव चुटकी लेते हुए…. रहने दीजिए बहन जी ये आज कल के लड़कों की यही समस्या है काम काम और डिंगे ज़्यादा।

अपस्यु:- ठीक है मुझे साबित करना है ना अभी हो जाएगा। राजीव अंकल उन्हीं के ऑफिस में है ना। तो उनसे कहिए कॉल लगाए गृह मंत्री आवास के किसी भी कर्मचारी या अधिकारी से जिनसे इनकी बात होती होगी। इनसे कहिए फोन स्पीकर पर डालकर पूछने… "कुछ दिन पहले कोई लड़का गृह मंत्री आवास में अाकर, होम मिनिस्टर के बेटे को उसी के सामने थप्पड भी लगाया था क्या… कहिए पूछने। लेकिन अभी मै एक बात बता देता हूं, वो होम मिनिस्टर है। और उन्हें यदि पता चला कि उनके बेटे के मार खाने की बात मैंने बाहर बताई है, तो वो मेरी इंक्वायरी करेंगे और मैं राजीव अंकल का नाम बोल दूंगा कि "इन्हे ही यकीन नहीं था और इनको ही कन्फर्मेशन चाहिए था, इसलिए मजबूरन मुझे ये सब बताना पड़ा।"

अनुपमा:- देवर जी अपस्यु कह रहा है मारकर आया है वो आप की बेटी और मेरी बेटी को परेशान करने वाले लड़के को, वो भी उसके बाप के सामने… और आप दोनों मियां बीवी को ये तक यकीन नहीं की वो होम मिनिस्टर से मिला भी है। अब आप की बारी है.. मैं भी आप का कलेजा देख लेती हूं कि आप ये बात उनके घर से पता लगा सकते है या नहीं।

राजीव पूरे विश्वास के साथ अपना फोन निकलते हुए अपस्यु को झूठा कहा और फोन स्पीकर पर डाल कर उसने कॉल लगा दिया। नाम था शुक्ला जी (पी ए)…

"कैसे है मिश्रा जी, बहुत दिनों के बाद याद किए"
"कुछ नहीं शुक्ला जी, मुझे कुछ जानकारी चाहिए थी"
"कैसी जानकारी मिश्रा जी, पूछिए ना। हम तो हमेशा है आप की सेवा में।"
"शुक्ला जी अभी कुछ दिन पहले, वहां सर के निवास पर कोई कांड हुए था क्या?"
"कैसी बात आप कर रहे है मिश्रा जी। सेंट्रल होम मिनिस्टर के दरवाजे तक कोई कांड करने वाला नहीं पहुंच सकता आप तो घर के अंदर के कांड के बारे में पूछ रहे है। आज दिन में ही चढ़ा लिए है क्या?"
राजीव अपस्यु के ओर देखते, जैसे विजई मुस्कान दे रहा हो…. "अरे ऐसी कोई बात नहीं है शुक्ला जी बस ऐसे ही पूछ रहा था। उड़ती-उड़ती खबर थी कि कोई 22-23 साल का लड़का सर के बेटे को उन्हीं के सामने थप्पड मार कर गया है।"
"धीरे बोलिए मिश्रा जी, कहीं किसी ने सुन लिया ना तो सर हम दोनों की नौकरी खा जाएंगे। इस बात को यहीं खत्म कीजिए। दोबारा चर्चा भी नहीं कीजिएगा।"

राजीव की शक्ल देखने लायक थी। खुद की बे इज्जति करवाना किसे कहते हैं उसका प्रत्यक्ष उदहारण सामने था। नंदनी और अनुपमा मंद-मंद मुस्कुरा रही थी और उन्हें जैसे गर्व मेहसूस हो रहा हो… "साबाश बेटा क्या काम किया है।" इधर राजीव और सुलेखा अपना मुंह छिपा रहे थे। राजीव ने तुरंत लावणी और साची को आवाज़ लगाया और बड़े ही प्यार से नंदनी से जाने की इजाज़त भी मांगी।

लावणी तो दौड़ कर चली आई लेकिन साची अब भी कुंजल के साथ शायद बातें कर रही थी। अनुपमा ने राजीव से कहा रहने दो वो अा जाएगी और सब वहां से चलने लगे। जाते-जाते अनुपमा, अपस्यु के बालों में हाथ फेरती उसे दिल से धन्यवाद कहीं और अपने घर लौट आई।


________________________________________________


यूं तो बुरे हम भी नहीं, बस वक़्त बुरा हुआ कुछ इस कदर
अब तो गर रोते भी है तो, उसमें भी ज़हर नजर आता है ।

कुंजल के बढ़ते कदम रुक गए वो पलट कर वापस आयी और साची के पास बैठ गई। थोड़ी देर दोनों के बीच खामोशी रही फिर साची ने बोलना शुरू किया…. "लगता है मुझ से मेरी खुश नाराज हो गई है या फिर मैं ही दिल बहलाने के लिए उसे नाराज समझ रही हूं। क्योंकि अगर कोई नाराज हो तो मनाया भी का सकता है लेकिन मुझ से तो मेरी खुशी ही दूर हो गई है।"

कुंजल:- इतनी मायूस नहीं होते साची वक़्त हर मरहम की दवा है। समय के साथ सब ठीक हो जाता है।

साची:- वक़्त !! हाहाहाहाहा … हर बीते वक़्त के साथ तो मैं उसके लिए कोई आम सी लड़की होती जा रही हूं। एक अनजान जिसके बारे में ना सोचते हैं ना बात करते है। सड़क पर इधर से उधर करते जैसे कई इंसान दिख जाते है जिनके लिए क्या फीलिंग हो।

कुंजल:- क्या हुआ है तुम्हे साची। अभी कुछ देर पहले तो कितनी खिली सी थी बस कुछ ही पल में इतनी डिप्रेस कैसे हो सकती हो।

साची:- उसकी हर अदा निराली है। पास होकर भी मेरे पास नहीं। बात भी करता है और दिल भी नहीं दुखाता, लेकिन फिर भी पिरा दे जाता है। वो मुझ से ना ही नफरत करता है और ना ही प्यार। कोई तो भावना दिखाता। नफरत करता तो नफरत को प्यार में बदलने कि कोशिश करती। प्यार करता तो प्यार की बरिशें ऐसी करती की फिर कोई गिला शिकवा न होता। कुछ तो भावना होती उसकी मेरे लिए…

कुंजल:- साची प्लीज तुम रोना बंद करो और पूरी बात बताओ।

साची, अपने आशु पोछती… "सॉरी कुंजल, मैं शायद भावनाओ में बह गई थी। चलती हूं, सब बाहर इंतजार कर रहे होंगे…

कुंजल अपनी आखें दिखाती….. बैठी रहो चुपचाप। अब आराम से अपनी पूरी बात कहो। कभी-कभी दिल के दर्द को सुना देना चाहिए, अच्छा लगेगा। मुझे लगता नहीं तुम्हारी कोई अच्छी दोस्त यहां है इसलिए तुम्हारी हालत ऐसी है। अब बताओ भी…

साची कुंजल की बात पर अपनी चुप्पी साधे रही… वो बात तो करना चाहती थी लेकिन हाल-ए-दिल साझा करने का मन नहीं था। बहुत पूछने के बाद भी जब साची चुप ही रही। कुंजल को उसकी दशा पर बहुत ही तरस आने लगा। वजह भले अलग हो, लेकिन जिस तरह का तनाव और अकेलापन कभी कुंजल ने झेला था उसे वो साची में देख रही थी।

वो उस मनोदशा को भांप रही थी जिससे कभी कुंजल कभी गुजर चुकी थी। इसलिए कुंजल ने अपनी कहानी उसे बताना शुरू किया। पारिवारिक आंतरिक मामला क्या था वो तो नहीं बताई लेकिन उसके इस तनाव ने किस मोड़ पर उसे लाकर खड़ा कर दिया सब बयां कर गई। साची बड़े ध्यान से कुंजल को सुन रही थी और जैसे-जैसे उसके बारे में पता चलता जा रहा था वो हैरानी से बस कुंजल को ही देखती रही….

पूरी बात सुनने के बाद साची को भी अपना वर्तमान कुंजल के अतीत जैसा लगने लगा। उसने भी अपनी चुप्पी तोड़ी और अपना हाल-ए-दिल बयान करना शुरू किया….


किस्सा मै क्या बताऊं तुम्हे हाल-ए-दिल का
अपने ही नजरिए ने मुझे अपने नजरों में गिरा दिया।

कहां से शुरू करूं पता नहीं, लेकिन जो भी मेरे साथ हो रहा है वो अच्छा ही हो रहा है। मै इसी योग्य हूं। कुछ दिन पहले की ही तो बात है.. मेरे अरमानों के पंख लगने शुरू हुए थे और वो खुले आसमानों में उड़ने को भी तैयार थे।


यह वो दिन था जब मुझे अपस्यु सरप्राइज देने वाला था। इससे पहले हम दोनों यहीं नीचे हॉल में मिला करते थे। कई हसीन लम्हे और कई सारी प्यारी बातें थी। शायद अपस्यु मेरे मन की भावना को जानता था, उसे मेरे दिल का हाल भी पता था। वो जनता था मै उससे पहल कि उम्मीद लगाए बैठी हूं और मेरी भावनाओ को ध्यान में रखकर उसने रात में संदेश भेजा था.. "कल तुम्हारे लिए सरप्राइज है।"

रात आखों में ही बीती, ये शायद मेरी पहली भूल थी क्योंकि ठीक से सोती तो शायद मेरी बुद्धि भी ठीक से काम करती लेकिन दिल के हाथों मजबुर और आने वाले दिन के सरप्राइज को मै अपने दिमाग में संजोने लगी। वो रात बहुत प्यारी थी और अरमान अपने पंख लगाए उड़ रहे थे। मैं अकेले में खुद से ही बात कर रही थी…

कल मुझे बाहों में भर कर वो मेरी आखों में आखें डाल कर मेरे होठों को चूमते हुए सरप्राइज देगा जिसमे आखों से इजहार होगा। या फिर वो थ्री पीस सूट पहने होगा। मैंने तो सूट का रंग भी सोच रखा था गहरे नीले रंग का सूट, अपस्यु के प्रेसनलीटी पर खूब जचता। हाथो में फूलों का गुलदस्ता लिए जिसमे गुलाब मोग्रा और तरह-तरह के फूल होते। वो अपने घुटने पर बैठकर इजहार करता।

प्यार समा था वो भी। सुबह तक सबकुछ प्यारा था। उसमे चार चांद तब लग गया जब पता चला अपस्यु बिल्कुल ठीक है। मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा। मुझे लगा अब शायद घुटनों पर बैठकर, वाला इजहार होगा। लेकिन तभी दिल में टीस लगी और सोची की ऐसा कुछ माहौल बना तो उसे मै किस वाले सीन में कन्वर्ट करूंगी। अभी-अभी तो उसकी चोट ठीक हुई थी कैसे वो घुटनों पर बैठ जाता।

सुबह का वक़्त नहीं कट रहा था और मै उन्हें रिझाने के लिए दिल से तैयार हो रही थी। यहां तक सब कुछ प्यारा चल रहा था। हमारी सुबह कि मुलाकात हुई और आखों में सपने लिए मैं, अपस्यु के साथ नए उड़ान भरने के लिए तैयार थी। लेकिन पहला ही घटना कॉलेज के मुख्य द्वार पर हो गई।
 

nain11ster

Prime
23,612
80,748
259
Update:-39 (B)




अपस्यु की कोई गलती नहीं थी। किसी लड़की ने अाकर उसे टोका, उसने अपस्यु को छलावा दिया और दे भी क्यों ना उसकी बात ही जुदा है। मेरी तरह कोई भी लड़की उसे पहली नजर में देख कर मर मिटे। किंतु मै जलन के मारे अपस्यु को ही उल्टा सीधा सुना दी।

जानती हो कमाल कि बात, इतना सुनने के बाद भी वो मुस्कुराता रहा और चंद शब्द के अलावा उसने बहुत ज्यादा कोशिश भी नहीं की सफाई देने की। वो मुकुरता रहा और मेरी बचपना को वो मेरा प्यार समझकर भूल गया। और एक मैं थी, मुंह फुलाकर बैठी थी इस उम्मीद में कि वो मुझसे माफी मांगे।

क्या करूं लड़की हूं ना दिल के किसी कोने में ऐसी भावना छिपी ही रहती है। ईर्ष्या जो किसी भी अनचाहे मामले में हो जाए और जान-बूझ कर रूठ जाना ताकि कोई हमे भी मानने आए, और बात यहीं से बिगड़ती चली गई। अपस्यु का पूरा फोकस शायद तुम पर था, इसलिए उसने मेहसूस तो किया मेरी भावनाओ को, लेकिन टाल सिर्फ इस वजह से दिया क्योंकि अभी उसे अपने परिवार की चिंता थी।

इसी क्रम में मेरी जलन और अंधी भावना, ये भी ना देख पाई कि अपस्यु किस के पीछे है। वो अपनी बहन को मानने आया था और मै कुछ और ही समझ बैठी। एक बार फिर उसे गलत समझी और अकेले ही फैसला कर लिया की वो मुझे धोका दे रहा है।

अब ये भी तो प्यार की ही भावना थी। उसे खोने के डर ने मुझे इस कदर पागल किया कि मैंने जिसे प्यार किया उसे है गलत समझ बैठी। लेकिन उसे गलत समझते - समझते कब मेरी सोच ही गलत हो गई मुझे खुद भी पता ना चला।

वो पूरी रात मै नफरत में जली, नफरत ने इतना अंधा किया कि मेरे एक दोस्त ने मेरे बताए कुछ तथ्यों के आधार पर अपस्यु को धोखेबाज साबित कर दिया। हालांकि वो भी गलत नहीं था क्योंकि उसे सारी बातें तो मैंने ही बताई थी और उसने अपनी जिम्मेदारी समझी और मुझे सच से अवगत करवाया। लेकिन मैं ही बेवकूफ थी जो केवल एकतरफा बात सोची, उसे सच माना। शायद अपस्यु से पहले बात करती तब उस दोस्त की बातें मेरे दिमाग में घर नहीं करती और ना ही मैं अपस्यु को ऐसा लड़का समझने कि भूल करती जो मेरा केवल इस्तमाल करना चाह रहा था।

लेकिन क्या ही कर सकते हैं, जब अपनी ही बुद्धि पर ताला लगा हो। अगले दिन उसी जली-बुझी भावना के साथ मै अपस्यु से मिली। मेरे दिल और दिमाग में उसकी धोखेबाज वाली छवि ऐसी छाई, की मेरे अंदर का प्यार कहीं मर सा गया और नफरत ही नफरत में, जो जी में आया कहती चली गई। ऐसा भी नहीं था कि उसे मैंने अकेले में सुनाया था। तुम और आरव भी तो थे वहां। उसके साथ-साथ कैंटीन में ना जाने कितने लोगों ने सुना होगा।

वो तब भी मुस्कुराता ही रहा। उसे अंदाजा था शायद मेरी पिरा और जलन का। वो तो यही मान कर चल रहा था कि सरप्राइज वाले दिन मुझे ना समय दे कर पूरा समय तुम्हारे पास लग गया तो कुछ गलतफहमियां मुझे हुई है। जबकि अभी तो बातें हम दोनों के दिल में ही थी, ना कोई इजहार हुआ था और ना ही कोई इनकार, फिर भी वो मुस्कुराता रहा। भरी महफ़िल की बेइज्जती झेलता रहा।

कमाल की बात पता है क्या है। जब उसने परिवार को पा लिया ना तब बीती सारी बातों को, मेरी सारी गलतियों को नज़रंदाज़ करते, मुझे मनाने भी पहुंचा अपस्यु। मेरे पास बैठा, मुझ से बातें करने की कोशिश भी किया। और मैंने क्या किया उसकी कोशिश पर पहला तमाचा मैंने अपने हाथों से मेरा।

इतनी अंधी हो गई की उसको थप्पड मारा। मैंने अपने अपस्यु पर हाथ उठाया। तुम्हे पता है उसका लेवेल हम लोगों जैसा नहीं है, बिल्कुल भी नहीं। वो तो अपने आप में प्रतिष्ठावान है, जिसकी ना तो किसी के साथ तुलना की जा सकती है और ना ही समानता। उसको थप्पड मारना मतलब उसकी आत्मा पर हाथ उठाना है क्योंकि उसका कैरेक्टर ही इतना ऊंचा है। मैंने उसके गाल पर नहीं बल्कि उसके आत्मसम्मान पर थप्पड मारा था।

और जानती हो कुंजल उसने क्या किया, अपने चारो ओर देखा कि कहीं किसी ने देखा तो नहीं और अपमान का ये घूंट पीकर मुस्कुराता रहा। और मैं पागल, मुझे अब भी एहसास नहीं हुआ की मैं ये क्या कर चुकी थी। काश यहां पर भी रुक जाति तो भी वो इतने समझदार है कि मेरे लिए प्यार भी रहता और मुझे एहसास भी करवा जाते की मैंने क्या गलती किया था।

पर मैं रुकने को तैयार कहां थी। भरी महफिल में उनके चेहरे पर काफी फेकी मैंने। ये मेरा गुस्सा नहीं था, ये मेरा अपस्यु को गलत समझकर उठाया गया कदम भी नहीं था। ये मेरा अहंकार था, बस मैं सही हूं और वो धोखेबाज, और धोखेबाज के साथ कुछ भी किया जा सकता है। बस इसी अहंकार ने मुझे बाजारू बनने पर मजबूर कर दिया।

हां सही सुना कुंजल, बाजारू हरकतें। रील लाइफ में चलने वाले नजारे जिसका सभ्य समाज में दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं वो हरकत मै अपस्यु के साथ कर बैठी। मैंने पूरे कैंटीन के सामने उसके मुंह पर कॉफी से भरा कप उड़ेल दिया। इतनी घटिया हरकत।

और मज़े कि बात जानती हो क्या है, ये मेरा वहीं अपस्यु है जो मुझे दिन रात अपने बालकनी से खड़ा देखा करता था। मैं बेवकूफ, अपनी होशियारी दिखाने के लिए एक दिन जानबुझ कर अपस्यु के साथ बाइक में बैठी थी, पता है क्यों। क्योंकि मुझे लगा ये मुझ पर फिदा है तो मैं इसे अपने झासे में फसा कर अपना काम निकलवा लूंगी।

मै बेवकूफ उसे किस कैटिगरी का आंक रही थी और ये भी एक सबूत है मेरे निचले स्तर के सोच का। मैं कितना घटिया सोच रखती थी। और उस दिन भी हुआ क्या था। मैं उसे रिझाने के लिए बातो का जाल बुन रही थी और उसने सीधा पूछ लिया काम क्या है। वो जान रहा था कि मैं बस नखरे कर रही हूं कि, कोई काम नहीं, लेकिन फिर भी जोड़ डालकर पूछता रहा।

मेरे पापा और मेरे चाचा दोनों बहुत बड़े सरकारी अधिकारी हैं। लेकिन मेरे चचा ने जब होम मिनिस्टर के बेटे का नाम सुना तो उनकी कपकपी निकल गई। उन्हें अपने बच्चों के साथ क्या बुरा सुलूक हुआ, वो जानने की कोशिश भी नहीं किए। बस ये चिंता थी कि होम मिनिस्टर से उलझे, तो वो क्या-क्या कर सकता है और इसी डर कि वजह से उन्होंने यहां तक कह दिया कि कॉलेज बदल लो।

वो अपस्यु ही था जिसे मै झांसा देकर होम मिनिस्टर से उलझाने कि कोशिश कर रही थी। ताकि प्यार में पागल एक अंधा मेरे जाल में फसकर बस उससे उलझ जाए और उसका सारा फोकस फिर अपस्यु पर हो और मैं निकल जाऊं। बात एक लड़की के स्वाभिमान की थी इसलिए अपस्यु को इसमें कोई बुराई नहीं लगी जबकि उसे पता था वो किस से भिड़ने को सोच रहा है।

एक ही दिन में सरा मामला सुलझा भी दिया और मुझ से कभी इस बारे में सवाल तक नहीं किया, "की मैं खुद की जान बचाने के लिए किसी को कैसे फसा सकती हूं।" इतना स्वार्थी कोई कैसे हो सकता है। लेकिन उसका जवाब है ना .. वो मैं हूं। जिसने मेरे आत्मसम्मान की रक्षा की उसके है आत्मसम्मान हनन मैंने कर दिया।

थोड़ी अक्ल तब ठिकाने अाई, जब उसने मुझसे कहा…. "कभी कभी हम गलत जगह दिल लगा लेते है।" वो चाहता तो वो मेरे इस बाजारू हरकत पर अच्छे से जवाब दे देता लेकिन उसने इस गम को भी पी लिया।

जानती हो कुंजल जब अपस्यु ने कहा ना "कभी कभी हम गलत जगह दिल लगा लेते हैं।" तब मै इसका मतलब नहीं समझ पाई। मै अब भी अपने ही अहंकार में थी। लेकिन कोई अपने कर्मा से कब तक भाग पाया है, अपस्यु नहीं तमाचा मरेगा तो वो ऊपरवाला तो तमाचा मरेगा ही। और विश्वास मानो कुंजल, वो जब तमाचा मारता है ना तो गाल पर नहीं बल्कि सीधा रूह पर पड़ती है।

पहला तमाचा वहीं के वहीं पड़ा, जब अपस्यु पर मैंने कॉफी फेकी और वो चुपचाप जा रहा था। वहां वो एक लड़की से मिला। काफी खूबसूरत और कुछ खुले गले के कपड़े भी पहन कर अाई थी। अपस्यु की ना तो नजरें बेईमान और ना ही उसकी नज़रों में खोंट। उसकी आंख से आंख मिला कर अपस्यु काम की बात करता रहा। दूसरा तमाचा भी उसी वक़्त पड़ा जब पता चला कि मशहूर वकील सिन्हा अपस्यु को उसके 1 केस का मेहनताना 40 लाख रुपया देते है।

ना तो सिन्हा के पास कोई केस की कमी है और अपस्यु जैसे फोकस इंसान के लिए काम आने कभी कम नहीं वाले। वो एक महंगी कार क्या अपने दम पर 10 मंहगी कर खरीद सकता था।

अब तो जैसे मेरी रूह सिहर रही थी। वहीं पीछे मुड़ कर मैंने कैंटीन को देखा जहां पर सभी स्टूडेंट हमारी वीडियो बना रहे थे… पहली बार पूरा एहसास हुआ, ये मैंने क्या कर दिया। मेरी रूह सिहर गईं। माफी मांगने की कोशिश में लग गई पर किस मुंह से माफी मांगती। हिम्मत ही टूट गई थी।

पछतावा हो रहा था पर पश्चाताप करना अभी बाकी था। इसलिए मैंने सोच लिया था, आज जब कॉलेज जाऊंगी और अपस्यु से बातें करूंगी तो खुद में संयम रखकर, बिना किसी भाव के ये जानने की कोशिश करूंगी, कि अपस्यु मुझसे कितना नाराज हैं? उससे एक बार बात करने के लिए भले ही उसके पीछे मुझे लगना क्यों ना पड़े, लेकिन बात करना ही है।

मै क्लास में थी और अपस्यु को डरती हुई पूछने लगी "हम कहीं बात कर सकते है क्या?" मुझे लगा नाराज है तो घुरेगा थोड़ा चिल्लाएगा और माना कर देगा बात करने से। लेकिन मै फिर गलत थी। बिना किसी भी किंतु-परन्तु के वो राजी हो गया।

अपस्यु और मै बात करने के लिए कॉलेज के बाहर वाले कैंटीन में गए। मेरी विडम्बना देखो कुंजल जिस कॉलेज के कैंटीन में मैंने अपस्यु को इतना अपमानित किया, मुझे डर था कहीं अपस्यु का गुस्सा फूटा तो मुझे वहां कैसा मेहसूस होगा। वाह री इंसानी फितरत और कमाल की सोच। मुझे माफी मांगनी थी, अपनी भूल का पश्चाताप करना था और दिल में ये ख्याल भी साथ चल रहा था कि कहीं अपस्यु वहां बेईज्जत ना कर दे।

मेरी एकतरफा सोच मुझे एक बार फिर झटका देने वाली थी। उस कैंटीन के मुलाकात के बाद तो जैसे लगा की मेरी दुनिया ही उजड़ गई है। अपस्यु के दिल में मेरे लिए ना तो नफरत थी और ना ही प्यार। कोई भावना ही नहीं बची उसके पास मेरे लिए जो वो मुझे नफरत में या प्यार में याद कर सके। मैं बस उसकी एक क्लासमेट बन कर रह गई। बात करती हूं तो बात कर लेता है और मज़ाक करती हूं तो हंस लेता है। उसके बाद वो अपने रास्ते चल देता है।

उस दिन में बाद जब भी कॉलेज में वो मुझे दिखा, हमेशा हंसते हुए ही दिखा। मैं उसके दिल, दिमाग और जिंदगी से गायब हो चुकी थी। यूं तो वो हंस के ही बात करता है मुझसे, और ना ही कभी भी मुझे घुमा-फिरा कर कभी तना मारा । बस उसके बात करने का ढंग ही बदल गया। पहले जब बात करता तो लगता मैं क्लोज हूं उसके अब सिर्फ अनजान बनकर रह गई हूं।

पिछले 13-14 दिनों में मैं जिस दौड़ से गुजरी हूं शायद वहीं मेरी सजा है। अपने प्यार को अपने नजरों के सामने देखना और उसकी नज़रों में एक मामूली लड़की बनकर रह जाना, जैस कॉलेज की अन्य लड़कियां जिससे वो वैसे ही बात करता है जैसा कि मुझसे।

अभी जो तुम मेरा खिला रूप देख रही थी और अपस्यु के साथ जोड़-जबरदस्ती करना, वो मात्र एक छलावा था। 3-4 दिन पहले भी मैंने ऐसा किया था। अपने रूप से उसे मोहने की कोशिश की थी, हां कुछ पल के लिए अपस्यु भी फिसला था, लेकिन वो प्यार नहीं बल्कि उकसाती भावना की एक वासना थी जिसके मद में वो थोड़ा बहका और मै तो गई ही थी उसी इरादे से।

आज भी मै उसे उकसा ही रही थी। मामला ये नहीं की शारीरिक सुख भोग कर मै आंतरिक प्यार की उम्मीद रख रही हूं। या तो वो मेरे छलावे को समझ कर मुझे बाजारू ही समझ ले और एक थप्पड मार कर निकाल जाए। नहीं तो मुझसे कुछ सूख ही भोग ले, मेरे द्वारा किए गए उसके आत्मसम्मान के ठेस पहुंचने की एक छोटी सी कीमत… फिर मै आराम से कहीं दूर जा सकती हूं । फिर ना तो कोई सिकवा रहेगा और ना ही कोई मलाल।
 

nain11ster

Prime
23,612
80,748
259
agar sakaratmak sameeksha chahiye toh aap ishq, risk kahani jald se jald restart kijiye... :smile:

Ise bkackmaling kahte hain ... Wais kisne kaha mujhe sakaratmak Samiksha chahiye :) .. ye jyada pyara lagta hai...

Rahi baat ishq risk to .. main nahi chahta uske update ke liye aap ko intzar karna pade .. bus isliye use nahi dal raha ... Bus jahan itne din ruke hain thode din aur ...
 

-:AARAV143:-

☑️Prince In Exile..☠️
4,422
4,152
158
*Thankoo thankoo thankoo
*Mujhe to bilkul samjh me na aaya :D
*Sachi jasi hi kisi ne tumhare sath bhi kiya hai kya Anuj ... Post dekh kar to lag raha hai.. bada hi gahra anubhaw hai :D
*Tum na sikh paoge coading :laughing:

Game ke pace aur momentum par depend karta hai jaldi khelna hai ya khunchna hai .. ju don't worry :D
kiya to na hai..bahuto ke kisse jarur sune hai.. :D
waise ye anuj kon hai ?
 

nain11ster

Prime
23,612
80,748
259
update 20 tak padh liya shandaar story hai maja aa gaya do premi do premika dono awesome..vodka bhi pilaya dar nikal gaya sara ab pitai hogi ashiq ki..bahut badhiya mast kahani hai
:hug: kya baat hai rahul bhaiya :yikes: aap to chha gaye dost :bow:...

Acha laga .. dekh kar aise hi apne vichar dete rahiyega :)
 
Top