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Incest मेरी बीवियां, परिवार..…और बहुत लोग…

Should I include a thriller part in the story or continue with Romance only?

  • 1) Have a thriller part

    Votes: 30 44.8%
  • 2) Continue with Romance Only.

    Votes: 40 59.7%

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Super hot majedar update waiting for next
Bhai, latest update Pg 186 pe post kiya hai. Pls do read, like and comment. Look forward to it.

Skb21
 
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Dipu Ghar me openly chudai kare kitchen, dining hall,seeting hall me aur jab dipu apni maa aur massi ki Ghar me openly chudai kare to nisha bhi awashy dekhe
Ek request ho sake to Nisha ki bhi opening dipu hi kare phir uske bad Nisha ki Shaadi ho
Bhai, latest update Pg 186 pe post kiya hai. Pls do read, like and comment. Look forward to it.

Kumarshiva
 
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अरे वाह भाई


मजा आ गया........लिखते रहो और सौतन को जल्दी ले आओ.................
Madam, latest update Pg 186 pe post kiya hai. Pls do read, like and comment. Look forward to it.

Funlover
 
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Index also updated on Pg 1.
 

Funlover

I am here only for sex stories No personal contact
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20th Update:

वहीँ दूसरी तरफ मीना सोते हुए सोचती है की जब वो वहां जायेगी तो सब कैसे होगा... और कविता भी वसु के साथ बिठाये पल को याद करते हुए अपनी चूत मसलती है और सोचती है जब वो वहां जायेगी तो दीपू वसु और दिव्या से कैसे नज़रें मिलाएगी और क्या होगा....

अब आगे..

अगली सुबह वसु उठती है और एक अंगड़ाई लेती है. ठीक उसी वक़्त दिव्या भी उठ जाती है. वसु दिव्या को देखते हुए: तूने सही कहा रे.. कल रात इसने तो पूरी जान निकाल दी. पूरा बदन दर्द कर रहा है. तू तो थोड़ी देर तो सोई..लेकिन यह तो पूरे एक घंटे से मुझे चोद रहा था. पूरा बदन दर्द कर रहा है लेकिन मजा भी बहुत आया.

दिव्या: मैंने कहा था ना दीदी... कल रात तुम्हारी बारी आएगी. जब तुम माँ के घर गयी थी तो २ दिन उसने मुझे सोने नहीं दिया. चलो अच्छी बात है. फिर दोनों उठते है तो उतने में ही दीपू भी उठ जाता है.

दीपू वसु को देख कर: कहाँ जा रही हो जान... सुबह सुबह मुँह तो मीठा कर दो और उसे खींच कर बाहों में भर लेता है.

वसु: चल उठ.. सुबह सुबह फिर से तैयार हो गया. रात को तो तूने छोड़ा ही नहीं. मन नहीं भरा क्या?

दीपू: जब इतनी गदरायी माल हो तो मन कैसे भरेगा?

वसु: क्या तूने हमें माल कहा.. शर्म नहीं आती?

दीपू: क्यों तुम्हे अब भी शर्म आ रही है क्या? हाँ बोलो तो अभी तुम्हारी शर्म दूर कर देता हूँ और उसे चूमने की कोशिश करता है.

वसु: हस्ती है लेकिन अभी नहीं.. चल पहले फ्रेश हो जा.. नहीं तो कुछ नहीं मिलेगा और अपने आप को उससे छुड़ाते हुए बाथरूम के लिए अपनी गांड मटकाते हुए निकल जाती है. दिव्या उन दोनों को देख कर पहले ही वहां से खिसक गयी थी और दीपू को चिढ़ाते हुए वो भी अपनी गांड मटकाते हुए बाहर चली जाती है.

सब फ्रेश हो कर चाय पीने बैठते है लेकिन निशा नहीं आती. वसु निशा को बुलाने उसके कमरे में जाती है तो देखती है की निशा घोड़े बेच कर सो रही थी.

वसु निशा को देख कर मन में: ये लड़की भी ना.. पता नहीं कब सुधरेगी.. इतनी देर तक सोती है. वसु निशा को जगाती है तो निशा थोड़ी सुस्ती से..सोने दो ना माँ..

वसु: 8.00 बज गए है और तो अभी तक सोई है. उठ जा.

निशा: रात को देर से सोई थी तो अभी और थोड़ा सोने दो ना.

वसु: क्यों रात को इतनी देर से क्यों सोई?

निशा भी थोड़े ताने मारते हुए उठ कर.. रात भर आप सब लोग चिल्ला चिल्ला कर अपना काम करते हो तो मुझे कैसे नींद आएगी?

वसु ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है और कहती है.. जब तेरी शादी होगी और तू भी रात भर दीपक के साथ अपने काम में लगी रहोगी तो अपनी सास को भी ऐसे ही कहोगी क्या?

निशा भी ये बात सुनकर शर्मा जाती है तो वसु उसे बड़े प्यार से गले लगा कर... मेरी गुड़िया.. चल अब उठ जा... सब चाय पे तेरा इंतज़ार कर रहे है. निशा भी फिर उठकर फ्रेश होने बाथरूम चले जाती है और वसु अपने चेहरे पे हसी लाते हुए वो भी बहार आ जाती है.

फिर दीपू भी तैयार हो जाता है तो इतने में उसे दिनेश का फ़ोन आता है.

दिनेश: यार सुन आज मैं नहीं आऊँगा. माँ की तबियत थोड़ी खराब है. आज तू ही ऑफिस संभल ले.

दीपू: क्या हुआ आंटी को?

दिनेश: उसे कल से बुखार है और वो सो रही है. शायद डॉक्टर के पास लेकर जाना पड़ेगा.

दीपू: ठीक है, चिंता मत कर और आंटी का ख्याल रखना. मैं ऑफिस देख लेता हूँ.

दीपू फिर वसु से कहता है: माँ आंटी की तबियत ठीक नहीं है. हो सके तो एक बार देख आओ उन्हें. एक तो आपकी दोस्त है और २ महीने में हमारी समधन भी बन जायेगी.

वसु दीपू की बात सुनकर थोड़ा घबरा जाती है और कहती है की वो ज़रूर उनके घर जायेगी.

दीपू: अगर कुछ मदत की ज़रुरत हो तो मुझे कॉल कर देना. आज दिनेश ऑफिस नहीं आएगा तो मैं ही वहां रहूंगा.

वसु: ठीक है बेटा अगर ज़रुरत पड़ेगी तो मैं तुम्हे कॉल कर दूँगी.

दीपू फिर अपने काम के लिए ऑफिस चला जाता है और वसु भी तैयार हो कर दिनेश के घर के लिए जाने के लिए रेडी होती है.

निशा: माँ मैं भी आऊं क्या?

वसु: नहीं बेटी अभी नहीं. मैं अकेले ही जा रही हूँ. अगर ज़रुरत पड़ेगी तो मैं तुम्हे कॉल कर दूँगी. दिव्या भी जाना चाहती थी लेकिन वसु उसे भी मन कर देती है और कहती है की घर में रहे और घर का काम देख ले.

वसु दिनेश के घर जाती है तो देखती है की ऋतू बिस्तर पे सो रही है लेकिन उसे अब भी थोड़ा बुखार था.

वसु दिनेश से: क्या हुआ इसे बेटा?

दिनेश: पता नहीं आंटी कल से थोड़ी कमज़ोर थी लेकिन आज सुबह जब उठी नहीं तो देखा की इसका बदन जल रहा है. मैंने इसे दवाई दी है. अगर बुखार ठीक नहीं होता तो हॉस्पिटल लेकर जाना पड़ेगा.

वसु: हाँ ठीक कहा तुमने. वसु फिर कमरे में जाती है तो ऋतू कुछ देर बाद उठती है और वसु को देखती है.

ऋतू: अरे तुम यहाँ क्यों आ गयी? मुझे कुछ नहीं हुआ है.

वसु: चुप कर और आराम कर. तुम्हे बुखार है. ज़्यादा बात मत करो और आराम कर. ऋतू फिर दिनेश को देखती है तो पूछती है की वो ऑफिस क्यों नहीं गया.

दिनेश: तुम्हे इस हालत में छोड़ कर ऑफिस कैसे जा सकता?

वसु भी दिनेश की बात को आगे बढ़ाते हुए.. अच्छा किया दिनेश आज ऑफिस नहीं गया. अब तुम आराम करो. हम यहीं हाल में रहेंगे. अगर कुछ चाहिए तो बताना. फिर दोनों हॉल में आ जाते है. थोड़ी देर बाद वसु किचन में जाती है और तीनो के लिए चाय बना कर लाती है. ऋतू को उठाते है और फिर तीनो चाय पीते है. अब ऋतू को थोड़ा ठीक लग रहा था.

इतने में दीपू वसु को फ़ोन कर के पूछता है तो वसु कहती है की सब ठीक है और कुछ घबराने की बात नहीं है. दोपहर तक ऋतू थोड़ा ठीक हो जाती है तो वसु फिर दिनेश को बोल कर अपने घर के लिए निकल जाती है और कहती है की कुछ ज़रुरत पड़े तो फ़ोन कर देना. वो लोग तुरंत पहुंच जायेगे.

यहाँ मीना के घर..

सुबह कविता मीना से कहती है की वो भी अपने घर जायेगी तो मीना और उसकी सास उसे रोक लेते है की २ दिन और रुक जाओ. घर जा कर भी अकेली ही रहोगी तो बेहतर है की बेटी के पास ही २ दिन रहे. कविता ना नहीं कह पाती और मीना के घर में ही रह जाती है उस दिन.

दोपहर को खाने के बाद मीना के सास ससुर सो जाते है तो मीना भी किचन में अपना काम कर के अपने कमरे में चली जाती है सोने और कविता भी दुसरे कमरे में चली जाती है सोने. लेकिन उसे नींद नहीं आती क्यूंकि वो २ दिन पहले वसु के साथ बिताये पल को याद करके एकदम गरम हो जाती है और सोचती है की एक बार वो वसु से बात कर ले और वो वसु को फ़ोन करती है.

वसु तब तक घर आ जाती है और अपना काम करते रहती है. जब वो कविता का नंबर देखती है अपने फ़ोन पे तो वो अपने कमरे में चली जाती है उससे बात करने के लिए.

फ़ोन पे...

वसु: माँ जी... कैसे हो और क्या हाल है?

कविता: मुझे आज घर वापस जाना था तो मीना नहीं मानी और एक दिन और रुक गयी यहाँ. फिलहाल तो मैं कमरे में हूँ... कोई नहीं है..ये वसु के लिए इशारा था जो वो समझ गयी थी.

वसु: अकेले फिर क्या कर रही हो?

कविता: करना क्या है.. दो दिन पहले जो तेरे साथ पल बिताये थे उसे ही याद कर रही हूँ. उसको याद करते ही मेरी चूत गीली हो जाती है. मेरी पैंटी भी गीली हो गयी थी जो मुझे बदलना पड़ा.

वसु: सही है.. जब यहाँ आओगी तो कुछ करती हूँ तुम्हारा. धीरे से फ़ोन पे... लगता है जल्दी ही तुम्हारे लिए एक लंड का इंतज़ाम करना पड़ेगा. देखती हूँ क्या कर सकती हूँ.

कविता: चुप कर.. वहां कौन है तेरे अलावा जो मेरी प्यास बुझा सके?

वसु: तुम इसकी चिंता मत करो. ये दोनों बात कर रहे थे और कविता अपना एक हाथ साडी के अंदर दाल कर अपनी चूत मसल रही थी.

उसी वक़्त मीना को प्यास लगी थी तो वो किचन में जा कर पानी पीती है और सोचती है की वो उसकी माँ के पास जाकर उससे बात करेगी (वसु के घर जाने की)

जब वो कविता के कमरे में जाती है तो देखती है की उसका कमरा बंद है जो पहले कभी नहीं हुआ था. हमेशा उसका कमरा खुला ही रहता है. तो वो बगल में खिड़की से देखती है तो उसकी आँखें बड़ी हो जाती है. तो किसी से (वसु से) फ़ोन पे बात कर रही है और उसका एक हाथ उसकी चूत को सेहला रहा है.

मीना वो scene देख कर हड़बड़ी में वहां से निकलने की कोशिश करती है तो उसका हाथ खिड़की में फस जाता है और उसे दर्द होता है तो वो आह करके थोड़ा चिल्लाती है जिसकी आवाज़ कविता सुन लेती है. उसे अहसास होता है की वहां खिड़की पे मीना ही खड़ी है. वो जल्दी से फ़ोन बंद कर के अपने आप को ठीक कर के वो दरवाज़ा खोलती है तो उसे मीना नज़र आती है जो नज़रें झुकाये वहां खड़ी थी. कविता को समझ आता है और वो मीना को पकड़ कर अपने कमरे में ले जाती है और दरवाज़ा बंद कर देती है.

मीना: माँ क्या कर रही थी आप और किस्से फ़ोन पे बात कर रही थी? कोई मिल गया है क्या ..

कविता: नहीं बेटा जो तु सोच रही है वैसा कुछ नहीं है.

मीना: आप किसी से फ़ोन पे बात कर रही थी और आपका हाथ... इतना कहते हुए रुक जाती है क्यूंकि दोनों को पता था की मीना आगे क्या बात करने वाली थी.

कविता: नहीं बेटी..ऐसा कुछ नहीं है.

मीना: आप डरो मत... अगर कोई लड़का मिल गया है जिससे आप बात कर रही हो तो मुझे बता सकती हो. मैं किसी को नहीं कहूँगी.

कविता को लगता है की उसे अब सच बताना चाहिए.

कविता: नहीं मैं वसु से बात कर रही थी... और अगर तुझे अब भी विश्वास नहीं है तो मेरा फ़ोन देख ले. उसमें तुझे उसी का नंबर मिलेगा और कोई लड़के का नहीं.

मीना: ठीक है. आप कह रही है तो सही ही कह रही हो. लेकिन दीदी (वसु) से बात करने पर आपका हाथ... इस बात पर दोनों शर्मा जाते है और आगे कुछ कह नहीं पाते.

मीना: मुझे भी पता है की आप अपने जवानी के परम में हो और अगर आपको लगता है की एक मर्द की ज़रुरत है तो इसमें कोई गलत बात नहीं है. और आप वसु दीदी को ही देख लो... उनकी किस्मत अच्छी है की इस उम्र में भी उन्होंने दूसरी शादी कर ली है. अगर आप का भी कुछ ऐसे ही ख्याल है तो बताइये... मैं शायद कुछ मदत कर दूँ.

मीना: मैं भी अपनी जवानी के आग में जल रही हूँ और मैं नहीं चाहती की आप भी जलो. अगर लगता है की आप शादी कर के अच्छे से अपनी ज़िन्दगी गुज़र सकते हो तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी.

मीना की ये बात सुनकर कविता की आँखों में आंसूं आ जाते है और उसे बड़े प्यार से गले लगा कर...मेरी प्यारी बच्ची.. मेरे लिए कितना सोचती है तू. फिलहाल ऐसा कुछ नहीं है. तू चिंता मत कर.

कविता भी समझदारी से बात को पलटते हुए... मेरी वसु से बात हुई है और उसने तुम्हारे और मनोज के बारे में बताया है और ऐसा कहते हुए कविता रुक जाती है. मीना भी शर्म से अपनी आँखें नीचे कर लेती है जैसे कहना चाह रही हो की उसकी बात सही है.

कविता: तू चिंता मत कर. मैं तुम दोनों की बातों से सहमत हूँ. और उसको प्यार से गले लगाते हुए... जल्दी ही मैं तेरी गोद में एक नन्हा मुन्ना देखना चाहती हूँ और तू मुझे जल्दी से नानी बना दे और है देती है.

मीना: माँ आप भी ना... मुझे शर्म आ रही है.

कविता: चल जाकर चाय बना.. तुम्हारी सास और ससुर का भी उठने का समय हो गया है...

दीपू के ऑफिस में...

दीपू ये जान कर खुश हो जाता है की दिनेश की माँ अब ठीक है और ज़्यादा परेशानी नहीं है. वो अपना काम करते रहता है. वो कंपनी के एकाउंट्स देखता है तो वो आश्चर्य हो जाता है की एकाउंट्स में लाखों रुपयों का गड़बड़ है. उसे तो पहले समझ नहीं आता लेकिन फिर से वो एकाउंट्स चेक करता है पिछले ५- ६ महीने के एकाउंट्स तो पाता है की कुछ घोटाला है और उनको काफी नुक्सान भी हो रहा है. वो सोचता है की वो दिनेश को फ़ोन करे लेकिन रुक जाता है की आज वो घर में है और कल जब वो आएगा तो उससे इस बारे में बात करेगा.

बाकी का काम कर के वो दिनेश को फ़ोन कर के बता देता है की वो कल उससे एक ज़रूरी बात करेगा. दिनेश पूछता है तो दीपू कहता है की ये बात फ़ोन पे नहीं कर सकते और जब वो कल ऑफिस आएगा तो मिलकर बात करेगा. दिनेश भी कुछ नहीं कहता और फिर दीपू घर चले जाता है. दीपू जब घर जाता है तो उसके सर में बहुत दर्द हो रहा था.

दीपू के घर में...

दीपू जब घर आ जाता है तो सब अपना काम कर रहे थे. वो अपना सर पकड़ कर हॉल में ही बैठ जाता है. वसु उसे देख कर.. क्या हुआ? दीपू: नहीं माँ.. कुछ नहीं... बस सर में थोड़ा दर्द हो रहा है.

वसु थोड़ा परेशान हो जाती है और दिव्या को भी बुलाती है.

वसु: दिव्या यहाँ आना.. दीपू के सर पे दर्द हो रहा है. दिव्या भी जल्दी ही आ जाती है और दीपू से पूछती है तो दीपू भी ज़्यादा बात नहीं कर पाता

वसु: दिव्या इसे कमरे में ले जा... मैं उसे जल्दी ही गरम चाय लेकर आती हूँ. दीपू और दिव्या कमरे में चले जाते है और दिव्या दीपू का सर दबा कर उसे कुछ राहत देने की कोशिश करती है.

दिव्या: मैं सर दबा देती हूँ. जल्दी ही ठीक हो जाएगा. ५ Min तक दिव्या उसका सर दबाती है तो उसे कुछ राहत मिलती है. इतने में वसु भी उसके लिए चाय लेकर आती है. सब मिलकर चाय पीते है. चाय पीने के बाद जब वसु वहां से चली जाती है तो दीपू दिव्या से कहता है: मुझे तो दूध पीना का मन कर रहा है. दिव्या को समझ नहीं आता तो कहती है अभी तो तूने चाय पी है और फिर से दूध पीना का मन कर रहा है..

दीपू: अरे पगली और उसे अपने बाहों में भर कर.. वो वाला दूध नहीं जो तुम बात कर रही हो.. मुझे तो ये दूध पीना है और ऐसा कहते हुए उसकी एक चूची को ब्लाउज के ऊपर से ज़ोर से दबा देता है.

दिव्या: oouch…. अभी ऐसा कुछ नहीं मिलेगा. थोड़ा आराम कर लो और वो अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करती है लेकिन कर नहीं पाती. दीपू एकदम दुखी मुँह बनाते हुए कहता है.. क्या मुझे दूध नहीं पिलाओगी? अगर दूध पी लूँगा तो जल्दी ठीक हो जाऊँगा.. और उसे आँख मार देता है.

दिव्या: इसमें तो दूध नहीं आता है ना..

दीपू: उसको झुका कर कान में.. चिंता मत करो.. जल्दी ही इसमें दूध आ जाएगा.. अभी तो सिर्फ सूखा... बाद में पूरा.. दिव्या शर्मा जाती है और ब्लाउज निकल कर एक चूची उसके मुँह में देती है जो वो बड़ी शिद्दत से मुँह में लेकर पहले चूसता हैं और फिर धीरे से उसको काटता भी है. दीपू भी मजे में उसके सर को अपनी चूची पे दबा देती है.

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थोड़ी देर बाद दिव्या उसकी बगल में बैठ जाती है और उसे चूमती है. दीपू भी बड़ी मस्ती में उसको चूमता है और उसकी एक चूची को दबाने लगता है.

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दिव्या भी अब मस्त होने लगती है और उसे पता भी नहीं चलता जब दीपू उसके पूरे कपडे निकल कर उसे नंगा कर देता है, चूमता है और उसकी चूची को मुँह में लेकर चूसते रहता है. दिव्या भी अब आह आह...करते हुए सिसकारियां लेती रहती है. दीपू भी अब चूची दबाते हुए वो खुद भी नंगा हो जाता है और उसे चूमते हुए नीचे सरकता है.. पहले नाभि फिर जांघ को चूमते हुए उसकी रसीली चूत पे आता है जो पहले से ही गीली थी और अपना रस बहा रही थी.

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दीपू भी फिर मजे में उसकी चूत पे टूट पड़ता है और अपना पूरा जीभ उसकी लार टपकती चूत पे दाल कर एकदम खाने लगता है. दिव्या की तो एकदम जान ही निकल जाती है जब दीपू ऐसा करता है तो. दिव्या उसका सर अपनी चूत पे दबा देती है और ना जाने कितनी बार झाड़ जाती है.

5-10 min तक अच्छे से चूसने के बाद दीपू भी खड़ा हो जाता है और दिव्या को अपने सामने बिठा देता है और दीपू का खड़ा लंड उसके मुँह के सामने झूलता रहता है.

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उसे देख कर दिव्या से भी रहा नहीं जाता और उसके लंड को पूरा एक बार में ही मुँह में ले लेती हैं और दीपू भी अपना हाथ उसके सर के पीछे रख कर एक धक्का मारता है और दिव्या के गले में उसका लंड उसे महसूस होता है. वो पूरा अंदर तक चला गया था.

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दिव्या फिर बड़े मजे से उसका लंड चूसती रहती है और दीपू भी जैसे जन्नत में पहुँच गया था.

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10 min तक ऐसे ही दोनों जन्नत में रहते है और जब दीपू को लगता है की बिना दिव्या को चोदे ही वो झाड़ जाएगा तो वो उसे अलग करता है और फिर बिस्तर पे पटक के अपना गीला लंड उसकी चूत में जड़ तक एक बार में ही उतार देता है.

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5 min तक ऐसे ही चोदने के बाद उसे बिस्तर पे बिठा कर उसके चूमते हुए चोदने लगता है.

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आखिर में दिव्या भी पूरी थक जाती है और कहती है.. कितना देर और चलेगा.. मैं तो एकदम थक गयी हूँ.. अब जान भी नहीं बची है.. पिछले २- ३ दिन से तो तू मुझे छोड़ ही नहीं रहा है.

दीपू भी हस देता है और उसको चूमते हुए कहता है... क्यों तुम्हे माँ नहीं बनना है क्या?

दिव्या: हाँ जल्दी ही बनना है.

दीपू: फिर घर में सिर्फ काम करने से तो तू माँ नहीं बनेगी ना.. हम दोनों को ऐसे ही मेहनत करनी पड़ेगी ना... और आँख मार के हस देता है.

दिव्या: तू रोज़ बहुत बिगड़ रहा है और बेशरम भी हो रहा है लेकिन बहुत मजे भी दे रहा है. मेरी शादी भले ही थोड़ी देर से हुई है लेकिन तो रोज़ मुझे जन्नत दिखा रहा है भले ही मैं थक जाती हूँ. इस बार अपना माल मेरे अंदर ही गिरना. दीपू भी अब नज़दीक था तो वो 4-5 और झटके मारता है और अपना पूरा पानी दिव्या के अंदर ही छोड़ देता है.

दिव्या इस दौरान बहुत बार झाड़ जाती है और जब दीपू का पानी उसकी चूत में जाता है तो वो बहुत सुकून पाती है और दोनों थक जाते है तो एक दुसरे की बाहों में पड़े रहते है.

इतने में वसु किचन में थोड़ा काम कर के कमरे में आकर दोनों को देखती है और कहती है... काम हो गया है? क्यों दीपू अभी सर दर्द नहीं है क्या?

दीपू: दिव्या की तरफ देख कर उसको आँख मारते हुए दिव्या ने ही तो मेरा सर दर्द दूर कर दिया है. अब मैं एकदम फ्रेश लग रहा हूँ. चाहो तो तुम भी देख लो एक बार. वसु फिर उसको थोड़ा मज़ाकिया ढंग से चिढ़ाते हुए वहां से भाग जाती है किचन की तरफ. दोनों एक दुसरे को देख कर हस देते है और दीपू दिव्या से कहता है की तुम आराम करो... मैं अभी आता हूँ और वो किचन की तरफ चले जाता है. दिव्या दीपू को वहां जाते वक़्त मन में सोचती है.. अब तो दीदी भी गयी... और हस कर सो जाती है….
बहोत बढ़िया अपडेट रहा चुदाई के साथ आपने एक सस्पेंस भी रख दिया अब हमें दिनेश से क्या बात होती है उसमे ध्यान है
 
20th Update:

वहीँ दूसरी तरफ मीना सोते हुए सोचती है की जब वो वहां जायेगी तो सब कैसे होगा... और कविता भी वसु के साथ बिठाये पल को याद करते हुए अपनी चूत मसलती है और सोचती है जब वो वहां जायेगी तो दीपू वसु और दिव्या से कैसे नज़रें मिलाएगी और क्या होगा....

अब आगे..

अगली सुबह वसु उठती है और एक अंगड़ाई लेती है. ठीक उसी वक़्त दिव्या भी उठ जाती है. वसु दिव्या को देखते हुए: तूने सही कहा रे.. कल रात इसने तो पूरी जान निकाल दी. पूरा बदन दर्द कर रहा है. तू तो थोड़ी देर तो सोई..लेकिन यह तो पूरे एक घंटे से मुझे चोद रहा था. पूरा बदन दर्द कर रहा है लेकिन मजा भी बहुत आया.

दिव्या: मैंने कहा था ना दीदी... कल रात तुम्हारी बारी आएगी. जब तुम माँ के घर गयी थी तो २ दिन उसने मुझे सोने नहीं दिया. चलो अच्छी बात है. फिर दोनों उठते है तो उतने में ही दीपू भी उठ जाता है.

दीपू वसु को देख कर: कहाँ जा रही हो जान... सुबह सुबह मुँह तो मीठा कर दो और उसे खींच कर बाहों में भर लेता है.

वसु: चल उठ.. सुबह सुबह फिर से तैयार हो गया. रात को तो तूने छोड़ा ही नहीं. मन नहीं भरा क्या?

दीपू: जब इतनी गदरायी माल हो तो मन कैसे भरेगा?

वसु: क्या तूने हमें माल कहा.. शर्म नहीं आती?

दीपू: क्यों तुम्हे अब भी शर्म आ रही है क्या? हाँ बोलो तो अभी तुम्हारी शर्म दूर कर देता हूँ और उसे चूमने की कोशिश करता है.

वसु: हस्ती है लेकिन अभी नहीं.. चल पहले फ्रेश हो जा.. नहीं तो कुछ नहीं मिलेगा और अपने आप को उससे छुड़ाते हुए बाथरूम के लिए अपनी गांड मटकाते हुए निकल जाती है. दिव्या उन दोनों को देख कर पहले ही वहां से खिसक गयी थी और दीपू को चिढ़ाते हुए वो भी अपनी गांड मटकाते हुए बाहर चली जाती है.

सब फ्रेश हो कर चाय पीने बैठते है लेकिन निशा नहीं आती. वसु निशा को बुलाने उसके कमरे में जाती है तो देखती है की निशा घोड़े बेच कर सो रही थी.

वसु निशा को देख कर मन में: ये लड़की भी ना.. पता नहीं कब सुधरेगी.. इतनी देर तक सोती है. वसु निशा को जगाती है तो निशा थोड़ी सुस्ती से..सोने दो ना माँ..

वसु: 8.00 बज गए है और तो अभी तक सोई है. उठ जा.

निशा: रात को देर से सोई थी तो अभी और थोड़ा सोने दो ना.

वसु: क्यों रात को इतनी देर से क्यों सोई?

निशा भी थोड़े ताने मारते हुए उठ कर.. रात भर आप सब लोग चिल्ला चिल्ला कर अपना काम करते हो तो मुझे कैसे नींद आएगी?

वसु ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है और कहती है.. जब तेरी शादी होगी और तू भी रात भर दीपक के साथ अपने काम में लगी रहोगी तो अपनी सास को भी ऐसे ही कहोगी क्या?

निशा भी ये बात सुनकर शर्मा जाती है तो वसु उसे बड़े प्यार से गले लगा कर... मेरी गुड़िया.. चल अब उठ जा... सब चाय पे तेरा इंतज़ार कर रहे है. निशा भी फिर उठकर फ्रेश होने बाथरूम चले जाती है और वसु अपने चेहरे पे हसी लाते हुए वो भी बहार आ जाती है.

फिर दीपू भी तैयार हो जाता है तो इतने में उसे दिनेश का फ़ोन आता है.

दिनेश: यार सुन आज मैं नहीं आऊँगा. माँ की तबियत थोड़ी खराब है. आज तू ही ऑफिस संभल ले.

दीपू: क्या हुआ आंटी को?

दिनेश: उसे कल से बुखार है और वो सो रही है. शायद डॉक्टर के पास लेकर जाना पड़ेगा.

दीपू: ठीक है, चिंता मत कर और आंटी का ख्याल रखना. मैं ऑफिस देख लेता हूँ.

दीपू फिर वसु से कहता है: माँ आंटी की तबियत ठीक नहीं है. हो सके तो एक बार देख आओ उन्हें. एक तो आपकी दोस्त है और २ महीने में हमारी समधन भी बन जायेगी.

वसु दीपू की बात सुनकर थोड़ा घबरा जाती है और कहती है की वो ज़रूर उनके घर जायेगी.

दीपू: अगर कुछ मदत की ज़रुरत हो तो मुझे कॉल कर देना. आज दिनेश ऑफिस नहीं आएगा तो मैं ही वहां रहूंगा.

वसु: ठीक है बेटा अगर ज़रुरत पड़ेगी तो मैं तुम्हे कॉल कर दूँगी.

दीपू फिर अपने काम के लिए ऑफिस चला जाता है और वसु भी तैयार हो कर दिनेश के घर के लिए जाने के लिए रेडी होती है.

निशा: माँ मैं भी आऊं क्या?

वसु: नहीं बेटी अभी नहीं. मैं अकेले ही जा रही हूँ. अगर ज़रुरत पड़ेगी तो मैं तुम्हे कॉल कर दूँगी. दिव्या भी जाना चाहती थी लेकिन वसु उसे भी मन कर देती है और कहती है की घर में रहे और घर का काम देख ले.

वसु दिनेश के घर जाती है तो देखती है की ऋतू बिस्तर पे सो रही है लेकिन उसे अब भी थोड़ा बुखार था.

वसु दिनेश से: क्या हुआ इसे बेटा?

दिनेश: पता नहीं आंटी कल से थोड़ी कमज़ोर थी लेकिन आज सुबह जब उठी नहीं तो देखा की इसका बदन जल रहा है. मैंने इसे दवाई दी है. अगर बुखार ठीक नहीं होता तो हॉस्पिटल लेकर जाना पड़ेगा.

वसु: हाँ ठीक कहा तुमने. वसु फिर कमरे में जाती है तो ऋतू कुछ देर बाद उठती है और वसु को देखती है.

ऋतू: अरे तुम यहाँ क्यों आ गयी? मुझे कुछ नहीं हुआ है.

वसु: चुप कर और आराम कर. तुम्हे बुखार है. ज़्यादा बात मत करो और आराम कर. ऋतू फिर दिनेश को देखती है तो पूछती है की वो ऑफिस क्यों नहीं गया.

दिनेश: तुम्हे इस हालत में छोड़ कर ऑफिस कैसे जा सकता?

वसु भी दिनेश की बात को आगे बढ़ाते हुए.. अच्छा किया दिनेश आज ऑफिस नहीं गया. अब तुम आराम करो. हम यहीं हाल में रहेंगे. अगर कुछ चाहिए तो बताना. फिर दोनों हॉल में आ जाते है. थोड़ी देर बाद वसु किचन में जाती है और तीनो के लिए चाय बना कर लाती है. ऋतू को उठाते है और फिर तीनो चाय पीते है. अब ऋतू को थोड़ा ठीक लग रहा था.

इतने में दीपू वसु को फ़ोन कर के पूछता है तो वसु कहती है की सब ठीक है और कुछ घबराने की बात नहीं है. दोपहर तक ऋतू थोड़ा ठीक हो जाती है तो वसु फिर दिनेश को बोल कर अपने घर के लिए निकल जाती है और कहती है की कुछ ज़रुरत पड़े तो फ़ोन कर देना. वो लोग तुरंत पहुंच जायेगे.

यहाँ मीना के घर..

सुबह कविता मीना से कहती है की वो भी अपने घर जायेगी तो मीना और उसकी सास उसे रोक लेते है की २ दिन और रुक जाओ. घर जा कर भी अकेली ही रहोगी तो बेहतर है की बेटी के पास ही २ दिन रहे. कविता ना नहीं कह पाती और मीना के घर में ही रह जाती है उस दिन.

दोपहर को खाने के बाद मीना के सास ससुर सो जाते है तो मीना भी किचन में अपना काम कर के अपने कमरे में चली जाती है सोने और कविता भी दुसरे कमरे में चली जाती है सोने. लेकिन उसे नींद नहीं आती क्यूंकि वो २ दिन पहले वसु के साथ बिताये पल को याद करके एकदम गरम हो जाती है और सोचती है की एक बार वो वसु से बात कर ले और वो वसु को फ़ोन करती है.

वसु तब तक घर आ जाती है और अपना काम करते रहती है. जब वो कविता का नंबर देखती है अपने फ़ोन पे तो वो अपने कमरे में चली जाती है उससे बात करने के लिए.

फ़ोन पे...

वसु: माँ जी... कैसे हो और क्या हाल है?

कविता: मुझे आज घर वापस जाना था तो मीना नहीं मानी और एक दिन और रुक गयी यहाँ. फिलहाल तो मैं कमरे में हूँ... कोई नहीं है..ये वसु के लिए इशारा था जो वो समझ गयी थी.

वसु: अकेले फिर क्या कर रही हो?

कविता: करना क्या है.. दो दिन पहले जो तेरे साथ पल बिताये थे उसे ही याद कर रही हूँ. उसको याद करते ही मेरी चूत गीली हो जाती है. मेरी पैंटी भी गीली हो गयी थी जो मुझे बदलना पड़ा.

वसु: सही है.. जब यहाँ आओगी तो कुछ करती हूँ तुम्हारा. धीरे से फ़ोन पे... लगता है जल्दी ही तुम्हारे लिए एक लंड का इंतज़ाम करना पड़ेगा. देखती हूँ क्या कर सकती हूँ.

कविता: चुप कर.. वहां कौन है तेरे अलावा जो मेरी प्यास बुझा सके?

वसु: तुम इसकी चिंता मत करो. ये दोनों बात कर रहे थे और कविता अपना एक हाथ साडी के अंदर दाल कर अपनी चूत मसल रही थी.

उसी वक़्त मीना को प्यास लगी थी तो वो किचन में जा कर पानी पीती है और सोचती है की वो उसकी माँ के पास जाकर उससे बात करेगी (वसु के घर जाने की)

जब वो कविता के कमरे में जाती है तो देखती है की उसका कमरा बंद है जो पहले कभी नहीं हुआ था. हमेशा उसका कमरा खुला ही रहता है. तो वो बगल में खिड़की से देखती है तो उसकी आँखें बड़ी हो जाती है. तो किसी से (वसु से) फ़ोन पे बात कर रही है और उसका एक हाथ उसकी चूत को सेहला रहा है.

मीना वो scene देख कर हड़बड़ी में वहां से निकलने की कोशिश करती है तो उसका हाथ खिड़की में फस जाता है और उसे दर्द होता है तो वो आह करके थोड़ा चिल्लाती है जिसकी आवाज़ कविता सुन लेती है. उसे अहसास होता है की वहां खिड़की पे मीना ही खड़ी है. वो जल्दी से फ़ोन बंद कर के अपने आप को ठीक कर के वो दरवाज़ा खोलती है तो उसे मीना नज़र आती है जो नज़रें झुकाये वहां खड़ी थी. कविता को समझ आता है और वो मीना को पकड़ कर अपने कमरे में ले जाती है और दरवाज़ा बंद कर देती है.

मीना: माँ क्या कर रही थी आप और किस्से फ़ोन पे बात कर रही थी? कोई मिल गया है क्या ..

कविता: नहीं बेटा जो तु सोच रही है वैसा कुछ नहीं है.

मीना: आप किसी से फ़ोन पे बात कर रही थी और आपका हाथ... इतना कहते हुए रुक जाती है क्यूंकि दोनों को पता था की मीना आगे क्या बात करने वाली थी.

कविता: नहीं बेटी..ऐसा कुछ नहीं है.

मीना: आप डरो मत... अगर कोई लड़का मिल गया है जिससे आप बात कर रही हो तो मुझे बता सकती हो. मैं किसी को नहीं कहूँगी.

कविता को लगता है की उसे अब सच बताना चाहिए.

कविता: नहीं मैं वसु से बात कर रही थी... और अगर तुझे अब भी विश्वास नहीं है तो मेरा फ़ोन देख ले. उसमें तुझे उसी का नंबर मिलेगा और कोई लड़के का नहीं.

मीना: ठीक है. आप कह रही है तो सही ही कह रही हो. लेकिन दीदी (वसु) से बात करने पर आपका हाथ... इस बात पर दोनों शर्मा जाते है और आगे कुछ कह नहीं पाते.

मीना: मुझे भी पता है की आप अपने जवानी के परम में हो और अगर आपको लगता है की एक मर्द की ज़रुरत है तो इसमें कोई गलत बात नहीं है. और आप वसु दीदी को ही देख लो... उनकी किस्मत अच्छी है की इस उम्र में भी उन्होंने दूसरी शादी कर ली है. अगर आप का भी कुछ ऐसे ही ख्याल है तो बताइये... मैं शायद कुछ मदत कर दूँ.

मीना: मैं भी अपनी जवानी के आग में जल रही हूँ और मैं नहीं चाहती की आप भी जलो. अगर लगता है की आप शादी कर के अच्छे से अपनी ज़िन्दगी गुज़र सकते हो तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी.

मीना की ये बात सुनकर कविता की आँखों में आंसूं आ जाते है और उसे बड़े प्यार से गले लगा कर...मेरी प्यारी बच्ची.. मेरे लिए कितना सोचती है तू. फिलहाल ऐसा कुछ नहीं है. तू चिंता मत कर.

कविता भी समझदारी से बात को पलटते हुए... मेरी वसु से बात हुई है और उसने तुम्हारे और मनोज के बारे में बताया है और ऐसा कहते हुए कविता रुक जाती है. मीना भी शर्म से अपनी आँखें नीचे कर लेती है जैसे कहना चाह रही हो की उसकी बात सही है.

कविता: तू चिंता मत कर. मैं तुम दोनों की बातों से सहमत हूँ. और उसको प्यार से गले लगाते हुए... जल्दी ही मैं तेरी गोद में एक नन्हा मुन्ना देखना चाहती हूँ और तू मुझे जल्दी से नानी बना दे और है देती है.

मीना: माँ आप भी ना... मुझे शर्म आ रही है.

कविता: चल जाकर चाय बना.. तुम्हारी सास और ससुर का भी उठने का समय हो गया है...

दीपू के ऑफिस में...

दीपू ये जान कर खुश हो जाता है की दिनेश की माँ अब ठीक है और ज़्यादा परेशानी नहीं है. वो अपना काम करते रहता है. वो कंपनी के एकाउंट्स देखता है तो वो आश्चर्य हो जाता है की एकाउंट्स में लाखों रुपयों का गड़बड़ है. उसे तो पहले समझ नहीं आता लेकिन फिर से वो एकाउंट्स चेक करता है पिछले ५- ६ महीने के एकाउंट्स तो पाता है की कुछ घोटाला है और उनको काफी नुक्सान भी हो रहा है. वो सोचता है की वो दिनेश को फ़ोन करे लेकिन रुक जाता है की आज वो घर में है और कल जब वो आएगा तो उससे इस बारे में बात करेगा.

बाकी का काम कर के वो दिनेश को फ़ोन कर के बता देता है की वो कल उससे एक ज़रूरी बात करेगा. दिनेश पूछता है तो दीपू कहता है की ये बात फ़ोन पे नहीं कर सकते और जब वो कल ऑफिस आएगा तो मिलकर बात करेगा. दिनेश भी कुछ नहीं कहता और फिर दीपू घर चले जाता है. दीपू जब घर जाता है तो उसके सर में बहुत दर्द हो रहा था.

दीपू के घर में...

दीपू जब घर आ जाता है तो सब अपना काम कर रहे थे. वो अपना सर पकड़ कर हॉल में ही बैठ जाता है. वसु उसे देख कर.. क्या हुआ? दीपू: नहीं माँ.. कुछ नहीं... बस सर में थोड़ा दर्द हो रहा है.

वसु थोड़ा परेशान हो जाती है और दिव्या को भी बुलाती है.

वसु: दिव्या यहाँ आना.. दीपू के सर पे दर्द हो रहा है. दिव्या भी जल्दी ही आ जाती है और दीपू से पूछती है तो दीपू भी ज़्यादा बात नहीं कर पाता

वसु: दिव्या इसे कमरे में ले जा... मैं उसे जल्दी ही गरम चाय लेकर आती हूँ. दीपू और दिव्या कमरे में चले जाते है और दिव्या दीपू का सर दबा कर उसे कुछ राहत देने की कोशिश करती है.

दिव्या: मैं सर दबा देती हूँ. जल्दी ही ठीक हो जाएगा. ५ Min तक दिव्या उसका सर दबाती है तो उसे कुछ राहत मिलती है. इतने में वसु भी उसके लिए चाय लेकर आती है. सब मिलकर चाय पीते है. चाय पीने के बाद जब वसु वहां से चली जाती है तो दीपू दिव्या से कहता है: मुझे तो दूध पीना का मन कर रहा है. दिव्या को समझ नहीं आता तो कहती है अभी तो तूने चाय पी है और फिर से दूध पीना का मन कर रहा है..

दीपू: अरे पगली और उसे अपने बाहों में भर कर.. वो वाला दूध नहीं जो तुम बात कर रही हो.. मुझे तो ये दूध पीना है और ऐसा कहते हुए उसकी एक चूची को ब्लाउज के ऊपर से ज़ोर से दबा देता है.

दिव्या: oouch…. अभी ऐसा कुछ नहीं मिलेगा. थोड़ा आराम कर लो और वो अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करती है लेकिन कर नहीं पाती. दीपू एकदम दुखी मुँह बनाते हुए कहता है.. क्या मुझे दूध नहीं पिलाओगी? अगर दूध पी लूँगा तो जल्दी ठीक हो जाऊँगा.. और उसे आँख मार देता है.

दिव्या: इसमें तो दूध नहीं आता है ना..

दीपू: उसको झुका कर कान में.. चिंता मत करो.. जल्दी ही इसमें दूध आ जाएगा.. अभी तो सिर्फ सूखा... बाद में पूरा.. दिव्या शर्मा जाती है और ब्लाउज निकल कर एक चूची उसके मुँह में देती है जो वो बड़ी शिद्दत से मुँह में लेकर पहले चूसता हैं और फिर धीरे से उसको काटता भी है. दीपू भी मजे में उसके सर को अपनी चूची पे दबा देती है.

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थोड़ी देर बाद दिव्या उसकी बगल में बैठ जाती है और उसे चूमती है. दीपू भी बड़ी मस्ती में उसको चूमता है और उसकी एक चूची को दबाने लगता है.

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दिव्या भी अब मस्त होने लगती है और उसे पता भी नहीं चलता जब दीपू उसके पूरे कपडे निकल कर उसे नंगा कर देता है, चूमता है और उसकी चूची को मुँह में लेकर चूसते रहता है. दिव्या भी अब आह आह...करते हुए सिसकारियां लेती रहती है. दीपू भी अब चूची दबाते हुए वो खुद भी नंगा हो जाता है और उसे चूमते हुए नीचे सरकता है.. पहले नाभि फिर जांघ को चूमते हुए उसकी रसीली चूत पे आता है जो पहले से ही गीली थी और अपना रस बहा रही थी.

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दीपू भी फिर मजे में उसकी चूत पे टूट पड़ता है और अपना पूरा जीभ उसकी लार टपकती चूत पे दाल कर एकदम खाने लगता है. दिव्या की तो एकदम जान ही निकल जाती है जब दीपू ऐसा करता है तो. दिव्या उसका सर अपनी चूत पे दबा देती है और ना जाने कितनी बार झाड़ जाती है.

5-10 min तक अच्छे से चूसने के बाद दीपू भी खड़ा हो जाता है और दिव्या को अपने सामने बिठा देता है और दीपू का खड़ा लंड उसके मुँह के सामने झूलता रहता है.

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उसे देख कर दिव्या से भी रहा नहीं जाता और उसके लंड को पूरा एक बार में ही मुँह में ले लेती हैं और दीपू भी अपना हाथ उसके सर के पीछे रख कर एक धक्का मारता है और दिव्या के गले में उसका लंड उसे महसूस होता है. वो पूरा अंदर तक चला गया था.

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दिव्या फिर बड़े मजे से उसका लंड चूसती रहती है और दीपू भी जैसे जन्नत में पहुँच गया था.

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10 min तक ऐसे ही दोनों जन्नत में रहते है और जब दीपू को लगता है की बिना दिव्या को चोदे ही वो झाड़ जाएगा तो वो उसे अलग करता है और फिर बिस्तर पे पटक के अपना गीला लंड उसकी चूत में जड़ तक एक बार में ही उतार देता है.

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5 min तक ऐसे ही चोदने के बाद उसे बिस्तर पे बिठा कर उसके चूमते हुए चोदने लगता है.

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आखिर में दिव्या भी पूरी थक जाती है और कहती है.. कितना देर और चलेगा.. मैं तो एकदम थक गयी हूँ.. अब जान भी नहीं बची है.. पिछले २- ३ दिन से तो तू मुझे छोड़ ही नहीं रहा है.

दीपू भी हस देता है और उसको चूमते हुए कहता है... क्यों तुम्हे माँ नहीं बनना है क्या?

दिव्या: हाँ जल्दी ही बनना है.

दीपू: फिर घर में सिर्फ काम करने से तो तू माँ नहीं बनेगी ना.. हम दोनों को ऐसे ही मेहनत करनी पड़ेगी ना... और आँख मार के हस देता है.

दिव्या: तू रोज़ बहुत बिगड़ रहा है और बेशरम भी हो रहा है लेकिन बहुत मजे भी दे रहा है. मेरी शादी भले ही थोड़ी देर से हुई है लेकिन तो रोज़ मुझे जन्नत दिखा रहा है भले ही मैं थक जाती हूँ. इस बार अपना माल मेरे अंदर ही गिरना. दीपू भी अब नज़दीक था तो वो 4-5 और झटके मारता है और अपना पूरा पानी दिव्या के अंदर ही छोड़ देता है.

दिव्या इस दौरान बहुत बार झाड़ जाती है और जब दीपू का पानी उसकी चूत में जाता है तो वो बहुत सुकून पाती है और दोनों थक जाते है तो एक दुसरे की बाहों में पड़े रहते है.

इतने में वसु किचन में थोड़ा काम कर के कमरे में आकर दोनों को देखती है और कहती है... काम हो गया है? क्यों दीपू अभी सर दर्द नहीं है क्या?

दीपू: दिव्या की तरफ देख कर उसको आँख मारते हुए दिव्या ने ही तो मेरा सर दर्द दूर कर दिया है. अब मैं एकदम फ्रेश लग रहा हूँ. चाहो तो तुम भी देख लो एक बार. वसु फिर उसको थोड़ा मज़ाकिया ढंग से चिढ़ाते हुए वहां से भाग जाती है किचन की तरफ. दोनों एक दुसरे को देख कर हस देते है और दीपू दिव्या से कहता है की तुम आराम करो... मैं अभी आता हूँ और वो किचन की तरफ चले जाता है. दिव्या दीपू को वहां जाते वक़्त मन में सोचती है.. अब तो दीदी भी गयी... और हस कर सो जाती है….
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