Very hot updateअध्याय 02
UPDATE 027
THE FANTASY MORNING 02
प्रतापपुर
रात में अपने ससुर के साथ गीता की दोहरी चुदाई कर रंगीलाल अपने कमरे में वापस आ गया था ।
सर्दियों की सुबह अब धुंधली सी अंगड़ाई लेने लगी थी , और रंगी ने जिस्म में भी सुबह सुबह मॉर्निंग इरेक्शन का अलार्म बज चुका था ।
फड़फड़ाहट तो कही और भी हो रही थी , उसके एक कमरे बाद एक किनारे वाले कमरे में सुबह सुबह बबीता अकेली अपने कमरे में सोई हुई थी किसी कामुक सपने में अपनी चूत में मोटे लंड से चुदने का अरमान लिए तकिए को अपनी जांघो में कसे हुए उसे अपनी बुर पर घिस रही थी ।
फिर एकदम से उसकी आंखे खुल गई और अपनी स्थिति देख कर वो उखड़ कर बैठ गई ।
रात में रंगी ने उसे धोखा दिया और सबसे बढ़ कर कि उसके दादू ने उसे छोड़कर गीता को चोदा, पहले भी दोनों बहनों में ज्यादा प्यार दुलार के लिए होड़ लगी रहती थी और उनके आपसी झगड़े होते थे लेकिन फिर भी एक लिहाज में कैसे वो अपने दादू से खुद से कहेगी कि उसे भी चोदो जैसे गीता को चोद रहे थे और उसपर पर दो दो लंड का सुख
दोहरे जलन से बबीता का जिस्म तप रहा था , वो वक्त एक आरामदायक शॉर्ट में थी जो रात में अकसर वो पहन लेती थी सोने के लिए,
कमरे से निकल कर उसकी निगाहे अपनी मां पर गई जो अपने कमरे से निकल कर अपने बिखरे बालों को जुड़ा करते हुए निकल रही थी । उसकी साड़ी पूरी ढीली थी , साफ पता चल रहा था कि उसने जल्दी बाजी में पहना है और बबीता ये भी समझ रही थी कि जबसे इधर उसके पापा ने दारू छोड़ी है , उसकी मां ने तो कैसे अपने पल्लू में बांध लिया है , कल तो सारा दिन उसके पापा को नहीं छोड़ा और अभी ये मौका अच्छा था उसके पास
सुबह सुबह उसकी बुर बहुत कुलबुला रही थी और जैसे ही उनकी मां आंगन में गई वो लपक कर अपने पापा के कमरे की ओर बरामदे से होकर बढ़ गई
सर्द मौसम की ठंडी फिजाओं ने उसके नंगे टांगों में सिहरन पैदा हुई और तेजी से लपक कर अपने पापा के कमरे घुस गई
कमरे में जाते ही उसकी नजर सामने गई थी तो देखा कि उसकी मां ने जाते हुए उसके पापा के आधे देह से चादर हटा दी थी और वो उसका अंडरवियर दिख रहा था । जिसमें उसका लंड भी सुबह की सलामी देते हुए टाइट हुआ जा रहा था ।
बबीता का मन मचल उठा और वो कमरे का दरवाजा भिड़का कर धीरे से अपने पापा के पास आ गई
पैरो के सुबह की सरसराहट थी लेकिन अंदर से उसके जिस्म में आग भड़क रही थी ,उसका रोम रोम खड़ा हो गया था और उसकी नजरे अपने पापा के खड़े लंड को देख रही थी ।
हौले से उसने हाथ आगे अपने पापा का लंड अंडरवियर के ऊपर से छूना शुरू कर दिया और वो उसके बदन में कंपकंपी शुरू हो गई
उसकी नाजुक हथेलियां अपने पापा के सुपाड़े को गर्म कर रही थी और राजेश का लंड सतर्क होकर टनटना रहा था
: उम्ममम ... गुड़िया तू तेरी मम्मी कहा है
: वो बाथरूम गई ( अपने पापा ने लंड पर उंगलियां फिरा कर वो बोली )
: सीईईई बदमाश लड़की ये तू .... अह्ह्ह्ह ( राजेश ने धुंधली आंखों से बबीता को देखा और टॉप में उसके उभरे हुए निप्पल देखकर वो अपने उंगलियों से उनसे खेलने लगा और बबीता मचल उठी )
: सीईईई अह्ह्ह्ह पापा कस कर पकड़ो न उम्ममम( बबीता ने अपने पापा का हाथ पकड़ कर सीने मौसमी जैसे कड़क चूचे पर दबा दिए )
उसकी इस हरकत से राजेश के पूरे बदन में खून का सैलाब उमड़ आया और वो उसके जिस्म की नस नस जोश से भर गई , एक झटके में उसने बबीता को उठा कर अपने बिस्तर में खींच लिया
: हीही ( बबीता खिलखिलाई )
राजेश ने उसको कंबल में उसके शॉर्ट के ऊपर से उसके चर्बीदार चूतड़ों को हथेली में भरते हुए उसके लिप्स चूसने लगा और बबीता भी अपने पापा के लंड को अंडर वियर के ऊपर से मसलने लगी और दोनों के बीच जबरजस्त कामुकता का संचार होने लगा
सुबह सुबह अपनी लाडली के नरम होठों और चर्बीदार चूतड़ों का स्पर्श पाकर राजेश का लंड फनकार मारने लगा और वो बबीता को कमर से खींच कर उसकी चूत को अपने अंडरवियर में बने तंबू पर सटाने लगा और बबीता का जोश दुगना हो गया और वो अपने पापा के लिस्प को चुस्ती हुई उसके आड़ को हथेली में कस ली
: ओह्ह्ह्ह गुड़िया उम्ममम सीईईई कितना गर्म है तू
: उम्मम आप मुझे छोड़ दिए थे न मम्मी को पाकर सीईईई अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह पापा उम्ममम पता है मै सुबह सुबह आपका सपना देख रही थी
: सीई क्या देखा तूने गुड़िया
बबीता ने हाथ राजेश के अंडरवियर में घुसाने लगी और राजेश के पैर अकड़ने लगे वो अपने लंड की नसे पूरी तान चुका था और बबीता की ठंडी उंगलियां उसके तपते लंड को छू रही थी।।
: उफ्फफ बता न गुड़िया उम्ममम
: मैने देखा न आप पेल रहे हो उम्मम पीछे से सीईईई ओह्ह्ह पापा कितना बड़ा है और जल रहा है ये तो
: हा बेटा , तूने छू कर इसकी आग भड़का दी उफ्फ तेरे नाखून अह्ह्ह्ह फट जायेगा ऐसा लग रहा है
: उफ्फ पापा कितना टाइट है सीईईई मन कर रहा है खा जाऊ , चूस लू पापा प्लीज न
: आह्ह्ह्ह बेटा तेरी मम्मी बाथरूम गई है , अभी आ जाएगी तो सीईईई ओह्ह्ह
: तबतक मै चूस लूंगी
ये बोलकर बबीता सरक कर कंबल में ही अपने पापा के पैरों में चली गई और उसने अपने पापा का लंड छूने लगी और राजेश इस उत्तेजना से फड़फड़ा उठा कि कही उसकी बीवी न आ जाए
एक तरफ बीवी का डर दूसरी ओर उसकी लड़की की कामुक शरारत और लंड चूसने की जिद
राजेश ने आंखे बंद कर गहरी सांस ली और सिसकने लगा , जैसे जैसे बबीता कम्बल के अपने पापा ने सुपाड़े की खोल उतार कर उसपर अपने नथुने रख कर सूंघने लगी और नीचे से सुपाड़े की गांठ पर अपने जीभ की टिप फिराई , राजेश पूरी तरह मचल उठा : ओह्ह्ह्ह गुड़िया उम्ममम सीईईई कितना तड़पा रही है अपने पापा को उम्मम ओह्ह्ह्ह
बबीता को तो जैसे कितना नशा हो गया था सुबह सुबह अपने पापा का सुपाड़ा सूंघ कर वो अपने पतले पतले होठों से उन्हें चूमने लगी और जीभ से नीचे से चाटने लगी , जिससे राजेश का लंड कंबल में खड़ा होने लगा था ,बबीता नीचे सरक कर अपने पापा के आड़ को मुंह में लेने लगी
: ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह गुड़िया उम्ममम कहा से सीख रही है ये सब तू उम्ममम अह्ह्ह्ह खा जा बेटी उम्मम और सुपाड़ा भी लेले न मेरी गुड़िया जल रहा है ओह्ह्ह्ह हा ऐसे ही ओह्ह्ह कितना मजा आ रहा है
घोंट जा मेरी गुड़िया मेरी लाडो ओह्ह्ह और चूस उम्मम्म अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
बबीता ने कम्बल में उठ कर अपने पापा का लंड चूसना शुरू कर दिया था और वो उसे गले तक ले जा रही थी जिससे राजेश का जोश और बढ़ने लगा और वो बबीता का सर पकड़ कर अपने लंड को उसके मुंह में गहरे घुसाने लगा : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह ले मेरी सोना अह्ह्ह्ह्ह मेरी गुड़िया घोंट जा पूरा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
तभी एकदम से दरवाजे पर हड़ाक से आहट हुई और बबीता ने लंड छोड़ कर कंबल में सीधा लेट गई और राजेश भी हड़बड़ा कर सीधा हो गए ओर पीछे हेडबोर्ड का सहारा लेकर बैठ गया
: अरे उठ गए आप
: उम्ममम हा अभी अभी ( राजेश पूरी कोशिश कर रहा था कि अपना लंड छुपाने की कम्बल में, लेकिन अपनी मां के आने के बाद भी बबीता राजेश के लंड से खेले जा रही थी उसे छुए जा रही थी और राजेश कुछ कर नहीं पा रहा था )
फिर एकदम से सुनीता को कुछ अजीब लगा बिस्तर में और कम्बल को देखकर वो समझ गई कि कोई और भी सोया है और कम्बल उठाने को आई : अरे ये कौन सोया है
राजेश एकदम से हड़बड़ा गया और बबीता भी डर गई
: अरे सोने दो न , गुड़िया आई है
: आप ही उसे बिगाड़ रहे हो ( ये बोलकर सुनीता आलमारी से कपड़े निकालने लगी )
राजेश बस मुस्कुरा कर रह गया क्योंकि कम्बल में बबीता उसका लंड छोड़ नहीं रही थी और राजेश की नजरे अपनी बीवी सुनीता के दूधिया पीठ पर थी जो उसके डीप बैक वाले ब्लाउज से झलक रही थी और साड़ी भी कूल्हे पर खुली थी , उसकी गुदाज कमर को देख कर उनकी आंखे ललचा गई और लंड अंदर और फनकार मारने लगा
आलमारी बंद करते हुए सुनीता की नजर आइने में अपना पति पर गई जो कामुक होकर उसे ही देखे जा रहा है
: क्या ? ऐसे क्या देख रहे है ?
राजेश ने कुछ नहीं कहा बस बबीता का हाथ हटा कर अपना लंड निकाल कर कंबल के बाहर कर दिया
एकदम से सुनीता की आंखे सन्न और चेहरे पर मुस्कुराहट , फिर थोड़ी हड़बड़ाई बबीता के कमरे में होने का सोच कर
वो आंखों से राजेश को डांट रही थी बिना कुछ बोले कि कमरे में बबीता सोई है और वो अपना लंड अंदर कर ले लेकिन राजेश को इस रोमांच में मजा आ रहा था और वो अपना लंड उसके सामने सहलाते हुए उसको अपने पास आने को कहने लगा , सुनीता शर्मा कर ना में सर हिलाने लगी और आंखों से उसे बबीता के होने की बात याद दिला रही थी
राजेश ने भी इशारे में कहा कि वो सो गई , जी तो सुनीता का भी ललचा गया था अपने पति के लंड की कसावट देख कर सुपाड़ा तो पहले ही बबीता ने चूस कर लाल कर रखा था
ना चाहते हुए भी सुनीता चल कर उसके पास आई और राजेश के पास बैठ कर उसका खड़ा लंड पकड़ लिया
: ठरकी हो आप पूरे , वो उठ गई तो ( सुनीता राजेश का तपता लंड थाम कर सिहर कर फुसफुसाई )
: वो सो रही है मेरी जान अह्ह्ह्ह्ह चूसो दो न थोड़ा
: उससे हो जाएगा क्या आपका उम्मम ( सुनीता उसका लंड हाथ के लेकर सहलाते हुए मदहोश हो रही थी ) सीई कितना तप रहा है जी
: तुम्हे देख कर गर्म हो रहा है मेरी जान ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी जीभ है तेरी ओह्ह्ह्ह
इधर राजेश ने सिसकना शुरू किया वही कम्बल में बबीता अपनी टांगे घिसने लगी उसकी बुर पनियाने लगी कि कैसे उसके साथ होते हुए उसके पापा झूठ बोल कर मम्मी से अपना लंड चुसवा रहे है , उसके निप्पल कड़क होने लगे
: ओह्ह्ह मेरी जान उम्मम और अंदर ले न ओह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह ( राजेश उसका सर पकड़ कर दबाने लगा और सुनीता उठा गई लार से लिभड़ाये अपने होठ साफ करती हुई
: अंदर डालना है न ( सुनीता खड़ी होकर बोली )
: हा मेरी जान
: श्शश्श चुप
ये बोलकर सुनीता ने राजेश के पैर पकड़ कर बिस्तर से लटका दिए और उसके सामने अपने चूतड़ मटका कर साड़ी उठाने लगी देखते ही देखते राजेश के सामने सुनीता ने अपने चूतड़ नंगे कर दिए और उन्हें राजेश के लंड के आगे नचाते हुए घूम कर उसे देखा , सुबह सुबह ये नजारा देख कर राजेश का लंड खुद से ही सर उठाने लगा और सुनीता ने हाथ बढ़ा कर उसे पकड़ कर सहलाने लगी : सीई ओह्ह्ह मेरी जान उम्मम ओह्ह्ह्ह अब बैठ जा न उम्मम
: बैठ जाऊं ( सुनीता मुस्कुरा कर उसके लंड को खींच रही थी )
: ओह्ह्ह हा उम्मम ( राजेश की तड़प बढ़ती जा रही थी )
फिर सुनीता ने उसका सुपाड़े को अपनी बुर के फांके पर लगाया और उसके लंड पर बैठ गई और खुद ही उछलने लगी
उसके चर्बीदार चूतड़ों की जांघों से टकराने से ठप्प ठप्प की आवाज कमरे में उठने लगी साथ ही राजेश की सिसकिया : ओह्ह्ह्ह मेरी रानी कितनी गर्म चूत है तेरी ओह्ह्ह्ह और ओह्ह्ह्ह सीईईई उफ्फ
: श्शश्श चुप करो उम्मम मेरे राजा ओह्ह्ह्ह कितना टाइट है आपका लंड ओह्ह्ह पूरा अंदर चोट कर रहा है ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई ओह्ह्ह
: हा मेरी जान ओह्ह्ह और और उछल ऐसे उम्मम
इधर दोनों चूत और लंड की ताल मिला रहा थे और वही बबीता को कम्बल में गर्मी होने लगी थी ,उसका बदन पूरी तरह से जल रहा था चूत पानी पानी हुई जा रही थी वो कम्बल से मुंह निकाल कर बाहर देखी तो उसकी आंखे फटी रह गई ,,उसकी मां उसके सामने उसके पापा के लंड पर अपनी गाड़ फेक रही थी तेजी से और पापा भी खूब सिसक रहे थे
: उम्मम ओह्ह्ह्ह मेरी रानी ओह ऐसे ही बस और और आयेगा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह आ रहा है ओह्ह्ह्ह
: उफ्फ मेरे राजा ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है उम्मम सीईईई अह भर दो मेरी बुर उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम
एक के बाद एक मोटी थक्केदार पिचकारियां राजेश सुनीता की बुर फेंकता रहा और दुनिया उसके गोद में बैठी हुई लंड को अपनी बुर के जड़ में लिए सारा रस निचोड़ती रही जब उसने महसूस किया कि राजेश का लंड फड़कना बंद हो गया तो वो खड़ी हो गई और राजेश का निचोड़ा हुआ लंड धीरे धीरे नीचे हो रहा था
: हीही , अब साफ कर लेना मै नहाने जा रही हूं
: अरे चूस तो दो
: धत्त अब करो खुद से हीही ( ये बोलकर सुनीता खिलखिला कर निकल गई कमरे से )
उसके जाते ही बबीता वापस कम्बल से निकली : ओह सॉरी बेटा वो तेरी मम्मी ने
बबीता थोड़ी उदास थी लेकिन थोड़ी उम्मीद के साथ : मै साफ कर दूं पापा
राजेश का दिल खुश हो गया और वो पैर उठा कर वापस बिस्तर पर आ गया और बबीता ने बिना हिचक के उसका वीर्य से सना हुआ लंड मुंह में लेकर चूसने लगी : सीई ओह्ह्ह बेटा चाट ले उम्मम ओह्ह्ह्ह इसमें तेरी मां के बुर की मलाई भी है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम
बबीता बिना किसी हिचक के अच्छे से अपने पापा का लंड चूस कर साफ किया और राजेश वापस सो गया
बबीता उठकर फ्रेश होने के लिए निकल गई ।
वही दूसरी ओर रंगी ने भी अंगड़ाई लेकर खड़ा हुआ और कमरे से बाहर गया और उसकी नजर सामने से आंगन की ओर आती बबीता पर गई । जिसे देखते ही उसके पजामे ने लंड और फौलादी होने लगा , उसने जैसे ही रंगी को देखा मुंह बना कर निकल गई बाथरूम की ओर और तभी पीछे से बनवारी ने उसे बबीता के लचीले चूतड़ों को निहारते देखा
: बड़ी तड़की लग रही है जमाई बाबू आपसे , कोई बात है क्या ?
एकदम से अपने ससुर को अपने पास खड़ा देख कर चौका और फिर मुस्कुरा उठा ।
: अरे बाउजी आप ? हाहाहाहा नहीं बस ऐसे ही देख रहा था कि गीता वाले गुण इसमें है या नहीं
: अरे क्यों नहीं होंगे , थोड़ा टटोल कर देखिए तो सही हाहाहाहा ( बनवारी खिल कर हंसा )
: अरे टटोला था बाउजी कल रात को
: हैं ? सच में !! कब कैसे
: अरे कल दुपहर को मैने इसे छत पर देखा और मुझे लगा कि इसमें कच्छी नहीं पहनी है तो मैने इसको डांटा और कहा कि पूरे कपड़े पहना कर और टॉप बड़े वाले पहने ताकि चूतड़ ढके रहे , आपको बताऊं बाउजी तबसे मेरे सामने खूब चूतड़ हिला हिला कर घूम रही थी , कसम से लौड़ा तो रात में इसी ने खड़ा किया था ।
: उफ्फ जमाई बाबू , सच कहूं तो इसके चर्बीदार चूतड़ों की लचक ने तो मुझे भी कई बार चौका दिया है । अब तो आप ही इसको सीधी करो जमाई बाबू , इसी बहाने मेरा भी कुछ कल्याण हो जाएगा हाहाहा
: सच में बाबूजी , आज तो मेरा घर जाने का प्लान था , लेकिन अब आपने कह दिया है तो इसकी गाड़ मसल कर जाऊंगा
: वाह ये हूं न बात , फिर डन करते है आइए चले टहलने बाहर
: जी चलिए हाहाहाह
फिर दोनों ससुर दामाद निकल गए खेतों की ओर
चमनपुरा
रागिनी नहा चुकी थी और किचन में खाना बना रही थी
इधर अनुज को भी कालेज जाना था और वो नहा धो कर तैयार होकर नीचे उतर रहा था कि जीने से आते हुए उसे कुछ फुसफुसाहट सी आई
उम्मम हट न बदमाश सीई ओहो राज मारूंगी अभी अह्ह्ह्ह धत्त पागल मत बन
अपनी मां के मुंह से ऐसे अलफाज सुनकर अनुज के कान खड़े हो गए और पैंट में लंड अपने पैर पसारने लगा सो अलग
धीरे धीरे दबे पांव वो नीचे आया
: उम्मम मैने कहा न उस बारे में बाद में बात करेंगे अह्ह्ह्ह राज मत तंग कर , नहाने जा न कपड़े निकाल कर खड़ा है
: उम्मम मम्मी कितना अच्छा लगता है आपको हग करना उफ्फ कितने गर्म हो आप
और अनुज ने झांक कर देखा तो राज ने रागिनी को पीछे से पकड़ रखा था
: हट जा , सब जान रही हूं तेरी चालाकी , मुझसे चिपक मत और जा कपड़े पहन ले
: अच्छा ठीक है एक किस्सीइ देखो उम्मम ( राज ने अपनी थूथ आगे कर अपनी मां का चेहरा पकड़ कर उसको चूमने लगा और रागिनी ने भी उसको लिप्स पर एक किस्स दीदी )
ये सब देख कर अनुज का लंड पैंट में पूरा टाइट हो गया
: अह्ह्ह्ह छोड़ अब और जो तुझे समझाया है उसे ध्यान रखा , जा अब
: ओके मेरी सेक्सी मम्मी हीही
जैस ही अनुज को लगा कि राज आने वाला वो दबे पाव पीछे होकर जीने की तरफ हो गया और राज मस्ती में खुश होकर अपने कमरे में जाने लगा था कि उसकी नजर अनुज पर गई और वो उसको आंख मारकर निकल गया अपने रूम में
अनुज की बेचैनी बढ़ गई थी कि अगर उसकी मम्मी राज भैया को समझाने की बात कर रही थी तो ये सब क्या था ?
अनुज रागिनी के पास गया जो खाना बना रही थी
: अरे आ गया तू , बैठ नाश्ता देती हूं
: जी मम्मी
अनुज की हिम्मत नहीं हो रही थी कि अभी जो उसने देखा उसके बारे में अपनी मां से बात करे , वो उलझा हुआ वही टेबल पर बैठ गया और रागिनी उसके लिए नाश्ता परोसने लगी ।
: मम्मी !! आपने भैया से बात की ?
एकदम से रागिनी के हड़बड़ाहट भरे हाथ शांत हो गई और उसने एक गहरी सांस ली
: हम्म्म , मै उसे समझाया तो लेकिन ...
: क्या लेकिन ?
: अरे तू तो उसकी शरारत जानता है , ऐसे भोला बन कर रहता है और इतना बेफिक्र होकर बातें करता है जैसे कुछ हुआ ही न हो
: हुआ क्या ?
: कुछ नहीं, मै उसका मोबाइल लेकर आई थी जब वो नहाने जा रहा था तो और नहाने के बाद वो उसे खोजते हुए आ गया मेरे पास , मैने उसे फोटो डिलीट करने को कहा तो कहने लगा क्यों करनी है ,इतनी .... सेक्सी लग रही हो पापा आएंगे तो दिखाएंगे उनको
: क्या ?
: हा , उसको तो तेरे पापा का भी डर नहीं , ना जाने किस दुनिया में मस्त रहता है और फिर मैने उसको कहा कि आगे वो सब हरकते मत करना जो सुबह बाथरुम में की थी तो कहने लगा कि जब मै किस्स मागूंगा तो देनी पड़ेगी । तो अब बता मै क्या करूं ? अभी भी वो मेरी चुम्मी लेकर गया है तेरी वजह से मेरा दीवाना बना घूम रहा है अब !!
मम्मी की बातें सुनकर अनुज एक एक करके सारी कड़ियां जोड़ने लगा और उसे अपने मा की बातों में सच्चाई तो दिखी ही लेकिन एक डर था कि उसने कही कुछ गलत तो नहीं कर दिया जिससे उसकी मां परेशान हो जाए और कही पापा के सामने भी राज भैया का यही व्यवहार रहा तो ?
: अब तू टेंशन न ले , देखती हूं इसको समझाऊगी दुकान पर जाकर और आज तू कालेज से जल्दी आ जाना
: जी ठीक है मम्मी
ये तो अनुज को और भी ज्यादा बेचैन करने वाली बात ही गई क्योंकि अगर वो दुकान पर अकेला रहेगा और मम्मी किचन राज भैया के पास जाएगी तो उसे कैसे पता चलेगा कि अकेले में उनकी क्या बाते हुई होंगी ।
खैर उसने नाश्ता किया और बैग लेकर निकल गया कालेज के लिए और रास्ते में उस पुल के पास कोई पहले से ही उसकी राह देख रहा था ।
: हाय अनुज ( फीकी मुस्कुराहट से लाली ने उसे ग्रिट किया)
: हाय .. अकेले ? पूजा कहा है ? (अनुज ने सवाल किया )
: वो ... मैने उससे फ्रेंडशिप तोड़ दी ( अनुज की ओर पीठ करते हुए बोली )
: तोड़ दी .. लेकिन क्यों ? मैने तो कहा था कि मुझे कोई दिक्कत नहीं ..( अनुज बोलते हुए चुप सा हो गया )
: लेकिन मुझे है .... मै इनसब से तंग आ गई हूं और छुटकारा चाहती हूं , प्लीज तुम मदद करो न
लाली घूम कर उसके पास आई और अनुज की सांसे बेचैन होने लगी उसकी धड़कने तेज हो गई
: कृतिका , यहां हमें कोई देख लेगा
: मुझे किसी का डर नहीं बस एक बार
: ओके ( अनुज ने अपने आप को भीतर से मजबूत करता हुआ एक गहरी सांस लेता हुआ अपनी बाहे खोल दिया )
बिना किसी हिचक कर लाली ने उसकी बाहों में अपनी बाह डाल कर उसके सीने से लग गई और अनुज ने भी उसके अपने पास कस लिया और उसके नरम मौसमी से दूध अनुज के सीने से हल्का हो दब गए जिसका अहसास दोनों को था ,मगर भीतर जो बिजली दौड़ रही थी एक दूसरे को हग करने के बाद वो फिलिंग से अनुज का लंड अकड़ रहा था ।
: आई लव यू अनुज आई लव यू ( लाली फफक पड़ी अनुज से चिपक कर )
: अरे ... आई लव यू टू न क्यों तो रहे हो ( अनुज ने उसको अपने सामने किया और उसके मासूम से चेहरे को अपने हाथों में भरा )
: प्लीज मुझे मेरी गलतियों के लिए छोड़ना मत , मै नहीं रह पाऊंगी तुम्हारे बिना , सच्ची मर जाऊंगी ।
: अरे ऐसा नहीं कहते, पता है मेरी मम्मी क्या कहती है ( अनुज वापस से उसको अपने सीने से लगाता हुआ बोला )
: क्या ? ( लाली ने सुबकते हुए कहा )
: वो कहती है कि हमें किसी को उसके अतीत से नहीं जज करना चाहिए ( अनुज ने वही बात दोहराई जो उसकी मां ने विमला की बहन अनीता को दुकान में कही थी जब वो अपने अतीत को लेकर शर्मिंदा थी )
: हम्ममम , सॉरी
: सॉरी क्यों ?
: वो ... गुस्सा नहीं करोगे न तुम , प्लीज और कई तुमसे कुछ भी छिपाना नहीं चाहती हूं अब
: हा कहो न
: वो कल रात पूजा आई थी
ये सुनते ही अनुज की धड़कने तेज होने लगी
: हा तो तुमने ग्रुप स्टडी की ( अनुज ने छेड़ा उसे , हालांकि भीतर से वो पोजेसिव नेस से भरा हुआ था लेकिन लाली को वो तकलीफ नहीं देना चाहता था )
: मजे मत लो अब तुम , वो कमीनी आई और आखिरी बार है बोलकर ....
: हा तो ठीक है कोई बात नहीं , अब से सब खत्म है न तो क्यों टेंशन ले रही हो छोड़ो उसे अपनी नई लाइफ पर ध्यान दो ( अनुज ने उसे समझाना चाहा ) देखो मुझे कोई दिक्कत नहीं है अगर तुम इसे आगे जारी रखती हो तो मेरे प्यार करने का मतलब ये नहीं कि मै तुम्हारी पसंद ना पसंद में दखल करूं
लाली बस अपने किए पर शर्मिंदा थी
: देखो तुम अभी तो आज़ाद हो अपनी लाइफ को अपने तरीके से जीने के लिए, पता है मेरी मम्मी कहती है कि अगर चीजें जोर जबरजस्ती से नहीं है तो उन्हें स्वीकार कर लेना चाहिए
: तुम अपनी मम्मी से ये सब बातें भी करते हो ( लाली ने मुस्कुरा कर कहा )
: अरे नहीं यार ( अनुज शर्मा गया और उसकी बातों से उसकी चोरी पकड़ी भी गई थी ) वो बस मै तुमको समझा रहा हूं उठो चलो अब यहां से , लेट हो जाएगा
: अरे कुछ नहीं होगा लेट , दीदी की क्लास खाली रहेगी आज
: तो ?
: तो चलो कालेज गार्डन में बैठेंगे हीही
: किसी ने देख लिया तो वहा ?
: हा जैसे किसी को हमारे बारे में पता नहीं है जैसे हाहाहा ( लाली ने हस कर अनुज को खींचा और लेकर कालेज की ओर चली गई )
वही इनसब से अलग रज्जो शिला के यहां से अपनी सवारी पकड़ चुकी थी अपने नए गंतव्य के लिए
उसने एक मोबाइल नंबर डायल किया
" हम्म्म मैने गाड़ी पकड़ ली है , तुम मिलोगे कहा ? , ठीक है मै पहुंच जाऊंगी "
मन में सपनो के कुछ अरमान सजाए बस की खिड़की से बाहर देखते हुए ठंडी हवाओ को अपने चेहरे महसूस करते हुए वो मुस्कुरा रही थी , उस रोमांच के लिए भीतर से थोड़ी बेचैन जिसकी तैयार उसने कल दोपहर को ही कर ली थी ।
जारी रहेगी
( कहानी की अगली कड़ी पोस्ट कर दी गई है , पढ़ कर कहानी को सपोर्ट जरूर करें )
Aah mast gaand hai sanki in me Lund bhi ghusa hota to aur majedar dikhti
Excellent update. Now waiting for next update eagerlyअध्याय 02
UPDATE 027
THE FANTASY MORNING 02
प्रतापपुर
रात में अपने ससुर के साथ गीता की दोहरी चुदाई कर रंगीलाल अपने कमरे में वापस आ गया था ।
सर्दियों की सुबह अब धुंधली सी अंगड़ाई लेने लगी थी , और रंगी ने जिस्म में भी सुबह सुबह मॉर्निंग इरेक्शन का अलार्म बज चुका था ।
फड़फड़ाहट तो कही और भी हो रही थी , उसके एक कमरे बाद एक किनारे वाले कमरे में सुबह सुबह बबीता अकेली अपने कमरे में सोई हुई थी किसी कामुक सपने में अपनी चूत में मोटे लंड से चुदने का अरमान लिए तकिए को अपनी जांघो में कसे हुए उसे अपनी बुर पर घिस रही थी ।
फिर एकदम से उसकी आंखे खुल गई और अपनी स्थिति देख कर वो उखड़ कर बैठ गई ।
रात में रंगी ने उसे धोखा दिया और सबसे बढ़ कर कि उसके दादू ने उसे छोड़कर गीता को चोदा, पहले भी दोनों बहनों में ज्यादा प्यार दुलार के लिए होड़ लगी रहती थी और उनके आपसी झगड़े होते थे लेकिन फिर भी एक लिहाज में कैसे वो अपने दादू से खुद से कहेगी कि उसे भी चोदो जैसे गीता को चोद रहे थे और उसपर पर दो दो लंड का सुख
दोहरे जलन से बबीता का जिस्म तप रहा था , वो वक्त एक आरामदायक शॉर्ट में थी जो रात में अकसर वो पहन लेती थी सोने के लिए,
कमरे से निकल कर उसकी निगाहे अपनी मां पर गई जो अपने कमरे से निकल कर अपने बिखरे बालों को जुड़ा करते हुए निकल रही थी । उसकी साड़ी पूरी ढीली थी , साफ पता चल रहा था कि उसने जल्दी बाजी में पहना है और बबीता ये भी समझ रही थी कि जबसे इधर उसके पापा ने दारू छोड़ी है , उसकी मां ने तो कैसे अपने पल्लू में बांध लिया है , कल तो सारा दिन उसके पापा को नहीं छोड़ा और अभी ये मौका अच्छा था उसके पास
सुबह सुबह उसकी बुर बहुत कुलबुला रही थी और जैसे ही उनकी मां आंगन में गई वो लपक कर अपने पापा के कमरे की ओर बरामदे से होकर बढ़ गई
सर्द मौसम की ठंडी फिजाओं ने उसके नंगे टांगों में सिहरन पैदा हुई और तेजी से लपक कर अपने पापा के कमरे घुस गई
कमरे में जाते ही उसकी नजर सामने गई थी तो देखा कि उसकी मां ने जाते हुए उसके पापा के आधे देह से चादर हटा दी थी और वो उसका अंडरवियर दिख रहा था । जिसमें उसका लंड भी सुबह की सलामी देते हुए टाइट हुआ जा रहा था ।
बबीता का मन मचल उठा और वो कमरे का दरवाजा भिड़का कर धीरे से अपने पापा के पास आ गई
पैरो के सुबह की सरसराहट थी लेकिन अंदर से उसके जिस्म में आग भड़क रही थी ,उसका रोम रोम खड़ा हो गया था और उसकी नजरे अपने पापा के खड़े लंड को देख रही थी ।
हौले से उसने हाथ आगे अपने पापा का लंड अंडरवियर के ऊपर से छूना शुरू कर दिया और वो उसके बदन में कंपकंपी शुरू हो गई
उसकी नाजुक हथेलियां अपने पापा के सुपाड़े को गर्म कर रही थी और राजेश का लंड सतर्क होकर टनटना रहा था
: उम्ममम ... गुड़िया तू तेरी मम्मी कहा है
: वो बाथरूम गई ( अपने पापा ने लंड पर उंगलियां फिरा कर वो बोली )
: सीईईई बदमाश लड़की ये तू .... अह्ह्ह्ह ( राजेश ने धुंधली आंखों से बबीता को देखा और टॉप में उसके उभरे हुए निप्पल देखकर वो अपने उंगलियों से उनसे खेलने लगा और बबीता मचल उठी )
: सीईईई अह्ह्ह्ह पापा कस कर पकड़ो न उम्ममम( बबीता ने अपने पापा का हाथ पकड़ कर सीने मौसमी जैसे कड़क चूचे पर दबा दिए )
उसकी इस हरकत से राजेश के पूरे बदन में खून का सैलाब उमड़ आया और वो उसके जिस्म की नस नस जोश से भर गई , एक झटके में उसने बबीता को उठा कर अपने बिस्तर में खींच लिया
: हीही ( बबीता खिलखिलाई )
राजेश ने उसको कंबल में उसके शॉर्ट के ऊपर से उसके चर्बीदार चूतड़ों को हथेली में भरते हुए उसके लिप्स चूसने लगा और बबीता भी अपने पापा के लंड को अंडर वियर के ऊपर से मसलने लगी और दोनों के बीच जबरजस्त कामुकता का संचार होने लगा
सुबह सुबह अपनी लाडली के नरम होठों और चर्बीदार चूतड़ों का स्पर्श पाकर राजेश का लंड फनकार मारने लगा और वो बबीता को कमर से खींच कर उसकी चूत को अपने अंडरवियर में बने तंबू पर सटाने लगा और बबीता का जोश दुगना हो गया और वो अपने पापा के लिस्प को चुस्ती हुई उसके आड़ को हथेली में कस ली
: ओह्ह्ह्ह गुड़िया उम्ममम सीईईई कितना गर्म है तू
: उम्मम आप मुझे छोड़ दिए थे न मम्मी को पाकर सीईईई अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह पापा उम्ममम पता है मै सुबह सुबह आपका सपना देख रही थी
: सीई क्या देखा तूने गुड़िया
बबीता ने हाथ राजेश के अंडरवियर में घुसाने लगी और राजेश के पैर अकड़ने लगे वो अपने लंड की नसे पूरी तान चुका था और बबीता की ठंडी उंगलियां उसके तपते लंड को छू रही थी।।
: उफ्फफ बता न गुड़िया उम्ममम
: मैने देखा न आप पेल रहे हो उम्मम पीछे से सीईईई ओह्ह्ह पापा कितना बड़ा है और जल रहा है ये तो
: हा बेटा , तूने छू कर इसकी आग भड़का दी उफ्फ तेरे नाखून अह्ह्ह्ह फट जायेगा ऐसा लग रहा है
: उफ्फ पापा कितना टाइट है सीईईई मन कर रहा है खा जाऊ , चूस लू पापा प्लीज न
: आह्ह्ह्ह बेटा तेरी मम्मी बाथरूम गई है , अभी आ जाएगी तो सीईईई ओह्ह्ह
: तबतक मै चूस लूंगी
ये बोलकर बबीता सरक कर कंबल में ही अपने पापा के पैरों में चली गई और उसने अपने पापा का लंड छूने लगी और राजेश इस उत्तेजना से फड़फड़ा उठा कि कही उसकी बीवी न आ जाए
एक तरफ बीवी का डर दूसरी ओर उसकी लड़की की कामुक शरारत और लंड चूसने की जिद
राजेश ने आंखे बंद कर गहरी सांस ली और सिसकने लगा , जैसे जैसे बबीता कम्बल के अपने पापा ने सुपाड़े की खोल उतार कर उसपर अपने नथुने रख कर सूंघने लगी और नीचे से सुपाड़े की गांठ पर अपने जीभ की टिप फिराई , राजेश पूरी तरह मचल उठा : ओह्ह्ह्ह गुड़िया उम्ममम सीईईई कितना तड़पा रही है अपने पापा को उम्मम ओह्ह्ह्ह
बबीता को तो जैसे कितना नशा हो गया था सुबह सुबह अपने पापा का सुपाड़ा सूंघ कर वो अपने पतले पतले होठों से उन्हें चूमने लगी और जीभ से नीचे से चाटने लगी , जिससे राजेश का लंड कंबल में खड़ा होने लगा था ,बबीता नीचे सरक कर अपने पापा के आड़ को मुंह में लेने लगी
: ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह गुड़िया उम्ममम कहा से सीख रही है ये सब तू उम्ममम अह्ह्ह्ह खा जा बेटी उम्मम और सुपाड़ा भी लेले न मेरी गुड़िया जल रहा है ओह्ह्ह्ह हा ऐसे ही ओह्ह्ह कितना मजा आ रहा है
घोंट जा मेरी गुड़िया मेरी लाडो ओह्ह्ह और चूस उम्मम्म अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
बबीता ने कम्बल में उठ कर अपने पापा का लंड चूसना शुरू कर दिया था और वो उसे गले तक ले जा रही थी जिससे राजेश का जोश और बढ़ने लगा और वो बबीता का सर पकड़ कर अपने लंड को उसके मुंह में गहरे घुसाने लगा : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह ले मेरी सोना अह्ह्ह्ह्ह मेरी गुड़िया घोंट जा पूरा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
तभी एकदम से दरवाजे पर हड़ाक से आहट हुई और बबीता ने लंड छोड़ कर कंबल में सीधा लेट गई और राजेश भी हड़बड़ा कर सीधा हो गए ओर पीछे हेडबोर्ड का सहारा लेकर बैठ गया
: अरे उठ गए आप
: उम्ममम हा अभी अभी ( राजेश पूरी कोशिश कर रहा था कि अपना लंड छुपाने की कम्बल में, लेकिन अपनी मां के आने के बाद भी बबीता राजेश के लंड से खेले जा रही थी उसे छुए जा रही थी और राजेश कुछ कर नहीं पा रहा था )
फिर एकदम से सुनीता को कुछ अजीब लगा बिस्तर में और कम्बल को देखकर वो समझ गई कि कोई और भी सोया है और कम्बल उठाने को आई : अरे ये कौन सोया है
राजेश एकदम से हड़बड़ा गया और बबीता भी डर गई
: अरे सोने दो न , गुड़िया आई है
: आप ही उसे बिगाड़ रहे हो ( ये बोलकर सुनीता आलमारी से कपड़े निकालने लगी )
राजेश बस मुस्कुरा कर रह गया क्योंकि कम्बल में बबीता उसका लंड छोड़ नहीं रही थी और राजेश की नजरे अपनी बीवी सुनीता के दूधिया पीठ पर थी जो उसके डीप बैक वाले ब्लाउज से झलक रही थी और साड़ी भी कूल्हे पर खुली थी , उसकी गुदाज कमर को देख कर उनकी आंखे ललचा गई और लंड अंदर और फनकार मारने लगा
आलमारी बंद करते हुए सुनीता की नजर आइने में अपना पति पर गई जो कामुक होकर उसे ही देखे जा रहा है
: क्या ? ऐसे क्या देख रहे है ?
राजेश ने कुछ नहीं कहा बस बबीता का हाथ हटा कर अपना लंड निकाल कर कंबल के बाहर कर दिया
एकदम से सुनीता की आंखे सन्न और चेहरे पर मुस्कुराहट , फिर थोड़ी हड़बड़ाई बबीता के कमरे में होने का सोच कर
वो आंखों से राजेश को डांट रही थी बिना कुछ बोले कि कमरे में बबीता सोई है और वो अपना लंड अंदर कर ले लेकिन राजेश को इस रोमांच में मजा आ रहा था और वो अपना लंड उसके सामने सहलाते हुए उसको अपने पास आने को कहने लगा , सुनीता शर्मा कर ना में सर हिलाने लगी और आंखों से उसे बबीता के होने की बात याद दिला रही थी
राजेश ने भी इशारे में कहा कि वो सो गई , जी तो सुनीता का भी ललचा गया था अपने पति के लंड की कसावट देख कर सुपाड़ा तो पहले ही बबीता ने चूस कर लाल कर रखा था
ना चाहते हुए भी सुनीता चल कर उसके पास आई और राजेश के पास बैठ कर उसका खड़ा लंड पकड़ लिया
: ठरकी हो आप पूरे , वो उठ गई तो ( सुनीता राजेश का तपता लंड थाम कर सिहर कर फुसफुसाई )
: वो सो रही है मेरी जान अह्ह्ह्ह्ह चूसो दो न थोड़ा
: उससे हो जाएगा क्या आपका उम्मम ( सुनीता उसका लंड हाथ के लेकर सहलाते हुए मदहोश हो रही थी ) सीई कितना तप रहा है जी
: तुम्हे देख कर गर्म हो रहा है मेरी जान ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी जीभ है तेरी ओह्ह्ह्ह
इधर राजेश ने सिसकना शुरू किया वही कम्बल में बबीता अपनी टांगे घिसने लगी उसकी बुर पनियाने लगी कि कैसे उसके साथ होते हुए उसके पापा झूठ बोल कर मम्मी से अपना लंड चुसवा रहे है , उसके निप्पल कड़क होने लगे
: ओह्ह्ह मेरी जान उम्मम और अंदर ले न ओह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह ( राजेश उसका सर पकड़ कर दबाने लगा और सुनीता उठा गई लार से लिभड़ाये अपने होठ साफ करती हुई
: अंदर डालना है न ( सुनीता खड़ी होकर बोली )
: हा मेरी जान
: श्शश्श चुप
ये बोलकर सुनीता ने राजेश के पैर पकड़ कर बिस्तर से लटका दिए और उसके सामने अपने चूतड़ मटका कर साड़ी उठाने लगी देखते ही देखते राजेश के सामने सुनीता ने अपने चूतड़ नंगे कर दिए और उन्हें राजेश के लंड के आगे नचाते हुए घूम कर उसे देखा , सुबह सुबह ये नजारा देख कर राजेश का लंड खुद से ही सर उठाने लगा और सुनीता ने हाथ बढ़ा कर उसे पकड़ कर सहलाने लगी : सीई ओह्ह्ह मेरी जान उम्मम ओह्ह्ह्ह अब बैठ जा न उम्मम
: बैठ जाऊं ( सुनीता मुस्कुरा कर उसके लंड को खींच रही थी )
: ओह्ह्ह हा उम्मम ( राजेश की तड़प बढ़ती जा रही थी )
फिर सुनीता ने उसका सुपाड़े को अपनी बुर के फांके पर लगाया और उसके लंड पर बैठ गई और खुद ही उछलने लगी
उसके चर्बीदार चूतड़ों की जांघों से टकराने से ठप्प ठप्प की आवाज कमरे में उठने लगी साथ ही राजेश की सिसकिया : ओह्ह्ह्ह मेरी रानी कितनी गर्म चूत है तेरी ओह्ह्ह्ह और ओह्ह्ह्ह सीईईई उफ्फ
: श्शश्श चुप करो उम्मम मेरे राजा ओह्ह्ह्ह कितना टाइट है आपका लंड ओह्ह्ह पूरा अंदर चोट कर रहा है ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई ओह्ह्ह
: हा मेरी जान ओह्ह्ह और और उछल ऐसे उम्मम
इधर दोनों चूत और लंड की ताल मिला रहा थे और वही बबीता को कम्बल में गर्मी होने लगी थी ,उसका बदन पूरी तरह से जल रहा था चूत पानी पानी हुई जा रही थी वो कम्बल से मुंह निकाल कर बाहर देखी तो उसकी आंखे फटी रह गई ,,उसकी मां उसके सामने उसके पापा के लंड पर अपनी गाड़ फेक रही थी तेजी से और पापा भी खूब सिसक रहे थे
: उम्मम ओह्ह्ह्ह मेरी रानी ओह ऐसे ही बस और और आयेगा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह आ रहा है ओह्ह्ह्ह
: उफ्फ मेरे राजा ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है उम्मम सीईईई अह भर दो मेरी बुर उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम
एक के बाद एक मोटी थक्केदार पिचकारियां राजेश सुनीता की बुर फेंकता रहा और दुनिया उसके गोद में बैठी हुई लंड को अपनी बुर के जड़ में लिए सारा रस निचोड़ती रही जब उसने महसूस किया कि राजेश का लंड फड़कना बंद हो गया तो वो खड़ी हो गई और राजेश का निचोड़ा हुआ लंड धीरे धीरे नीचे हो रहा था
: हीही , अब साफ कर लेना मै नहाने जा रही हूं
: अरे चूस तो दो
: धत्त अब करो खुद से हीही ( ये बोलकर सुनीता खिलखिला कर निकल गई कमरे से )
उसके जाते ही बबीता वापस कम्बल से निकली : ओह सॉरी बेटा वो तेरी मम्मी ने
बबीता थोड़ी उदास थी लेकिन थोड़ी उम्मीद के साथ : मै साफ कर दूं पापा
राजेश का दिल खुश हो गया और वो पैर उठा कर वापस बिस्तर पर आ गया और बबीता ने बिना हिचक के उसका वीर्य से सना हुआ लंड मुंह में लेकर चूसने लगी : सीई ओह्ह्ह बेटा चाट ले उम्मम ओह्ह्ह्ह इसमें तेरी मां के बुर की मलाई भी है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम
बबीता बिना किसी हिचक के अच्छे से अपने पापा का लंड चूस कर साफ किया और राजेश वापस सो गया
बबीता उठकर फ्रेश होने के लिए निकल गई ।
वही दूसरी ओर रंगी ने भी अंगड़ाई लेकर खड़ा हुआ और कमरे से बाहर गया और उसकी नजर सामने से आंगन की ओर आती बबीता पर गई । जिसे देखते ही उसके पजामे ने लंड और फौलादी होने लगा , उसने जैसे ही रंगी को देखा मुंह बना कर निकल गई बाथरूम की ओर और तभी पीछे से बनवारी ने उसे बबीता के लचीले चूतड़ों को निहारते देखा
: बड़ी तड़की लग रही है जमाई बाबू आपसे , कोई बात है क्या ?
एकदम से अपने ससुर को अपने पास खड़ा देख कर चौका और फिर मुस्कुरा उठा ।
: अरे बाउजी आप ? हाहाहाहा नहीं बस ऐसे ही देख रहा था कि गीता वाले गुण इसमें है या नहीं
: अरे क्यों नहीं होंगे , थोड़ा टटोल कर देखिए तो सही हाहाहाहा ( बनवारी खिल कर हंसा )
: अरे टटोला था बाउजी कल रात को
: हैं ? सच में !! कब कैसे
: अरे कल दुपहर को मैने इसे छत पर देखा और मुझे लगा कि इसमें कच्छी नहीं पहनी है तो मैने इसको डांटा और कहा कि पूरे कपड़े पहना कर और टॉप बड़े वाले पहने ताकि चूतड़ ढके रहे , आपको बताऊं बाउजी तबसे मेरे सामने खूब चूतड़ हिला हिला कर घूम रही थी , कसम से लौड़ा तो रात में इसी ने खड़ा किया था ।
: उफ्फ जमाई बाबू , सच कहूं तो इसके चर्बीदार चूतड़ों की लचक ने तो मुझे भी कई बार चौका दिया है । अब तो आप ही इसको सीधी करो जमाई बाबू , इसी बहाने मेरा भी कुछ कल्याण हो जाएगा हाहाहा
: सच में बाबूजी , आज तो मेरा घर जाने का प्लान था , लेकिन अब आपने कह दिया है तो इसकी गाड़ मसल कर जाऊंगा
: वाह ये हूं न बात , फिर डन करते है आइए चले टहलने बाहर
: जी चलिए हाहाहाह
फिर दोनों ससुर दामाद निकल गए खेतों की ओर
चमनपुरा
रागिनी नहा चुकी थी और किचन में खाना बना रही थी
इधर अनुज को भी कालेज जाना था और वो नहा धो कर तैयार होकर नीचे उतर रहा था कि जीने से आते हुए उसे कुछ फुसफुसाहट सी आई
उम्मम हट न बदमाश सीई ओहो राज मारूंगी अभी अह्ह्ह्ह धत्त पागल मत बन
अपनी मां के मुंह से ऐसे अलफाज सुनकर अनुज के कान खड़े हो गए और पैंट में लंड अपने पैर पसारने लगा सो अलग
धीरे धीरे दबे पांव वो नीचे आया
: उम्मम मैने कहा न उस बारे में बाद में बात करेंगे अह्ह्ह्ह राज मत तंग कर , नहाने जा न कपड़े निकाल कर खड़ा है
: उम्मम मम्मी कितना अच्छा लगता है आपको हग करना उफ्फ कितने गर्म हो आप
और अनुज ने झांक कर देखा तो राज ने रागिनी को पीछे से पकड़ रखा था
: हट जा , सब जान रही हूं तेरी चालाकी , मुझसे चिपक मत और जा कपड़े पहन ले
: अच्छा ठीक है एक किस्सीइ देखो उम्मम ( राज ने अपनी थूथ आगे कर अपनी मां का चेहरा पकड़ कर उसको चूमने लगा और रागिनी ने भी उसको लिप्स पर एक किस्स दीदी )
ये सब देख कर अनुज का लंड पैंट में पूरा टाइट हो गया
: अह्ह्ह्ह छोड़ अब और जो तुझे समझाया है उसे ध्यान रखा , जा अब
: ओके मेरी सेक्सी मम्मी हीही
जैस ही अनुज को लगा कि राज आने वाला वो दबे पाव पीछे होकर जीने की तरफ हो गया और राज मस्ती में खुश होकर अपने कमरे में जाने लगा था कि उसकी नजर अनुज पर गई और वो उसको आंख मारकर निकल गया अपने रूम में
अनुज की बेचैनी बढ़ गई थी कि अगर उसकी मम्मी राज भैया को समझाने की बात कर रही थी तो ये सब क्या था ?
अनुज रागिनी के पास गया जो खाना बना रही थी
: अरे आ गया तू , बैठ नाश्ता देती हूं
: जी मम्मी
अनुज की हिम्मत नहीं हो रही थी कि अभी जो उसने देखा उसके बारे में अपनी मां से बात करे , वो उलझा हुआ वही टेबल पर बैठ गया और रागिनी उसके लिए नाश्ता परोसने लगी ।
: मम्मी !! आपने भैया से बात की ?
एकदम से रागिनी के हड़बड़ाहट भरे हाथ शांत हो गई और उसने एक गहरी सांस ली
: हम्म्म , मै उसे समझाया तो लेकिन ...
: क्या लेकिन ?
: अरे तू तो उसकी शरारत जानता है , ऐसे भोला बन कर रहता है और इतना बेफिक्र होकर बातें करता है जैसे कुछ हुआ ही न हो
: हुआ क्या ?
: कुछ नहीं, मै उसका मोबाइल लेकर आई थी जब वो नहाने जा रहा था तो और नहाने के बाद वो उसे खोजते हुए आ गया मेरे पास , मैने उसे फोटो डिलीट करने को कहा तो कहने लगा क्यों करनी है ,इतनी .... सेक्सी लग रही हो पापा आएंगे तो दिखाएंगे उनको
: क्या ?
: हा , उसको तो तेरे पापा का भी डर नहीं , ना जाने किस दुनिया में मस्त रहता है और फिर मैने उसको कहा कि आगे वो सब हरकते मत करना जो सुबह बाथरुम में की थी तो कहने लगा कि जब मै किस्स मागूंगा तो देनी पड़ेगी । तो अब बता मै क्या करूं ? अभी भी वो मेरी चुम्मी लेकर गया है तेरी वजह से मेरा दीवाना बना घूम रहा है अब !!
मम्मी की बातें सुनकर अनुज एक एक करके सारी कड़ियां जोड़ने लगा और उसे अपने मा की बातों में सच्चाई तो दिखी ही लेकिन एक डर था कि उसने कही कुछ गलत तो नहीं कर दिया जिससे उसकी मां परेशान हो जाए और कही पापा के सामने भी राज भैया का यही व्यवहार रहा तो ?
: अब तू टेंशन न ले , देखती हूं इसको समझाऊगी दुकान पर जाकर और आज तू कालेज से जल्दी आ जाना
: जी ठीक है मम्मी
ये तो अनुज को और भी ज्यादा बेचैन करने वाली बात ही गई क्योंकि अगर वो दुकान पर अकेला रहेगा और मम्मी किचन राज भैया के पास जाएगी तो उसे कैसे पता चलेगा कि अकेले में उनकी क्या बाते हुई होंगी ।
खैर उसने नाश्ता किया और बैग लेकर निकल गया कालेज के लिए और रास्ते में उस पुल के पास कोई पहले से ही उसकी राह देख रहा था ।
: हाय अनुज ( फीकी मुस्कुराहट से लाली ने उसे ग्रिट किया)
: हाय .. अकेले ? पूजा कहा है ? (अनुज ने सवाल किया )
: वो ... मैने उससे फ्रेंडशिप तोड़ दी ( अनुज की ओर पीठ करते हुए बोली )
: तोड़ दी .. लेकिन क्यों ? मैने तो कहा था कि मुझे कोई दिक्कत नहीं ..( अनुज बोलते हुए चुप सा हो गया )
: लेकिन मुझे है .... मै इनसब से तंग आ गई हूं और छुटकारा चाहती हूं , प्लीज तुम मदद करो न
लाली घूम कर उसके पास आई और अनुज की सांसे बेचैन होने लगी उसकी धड़कने तेज हो गई
: कृतिका , यहां हमें कोई देख लेगा
: मुझे किसी का डर नहीं बस एक बार
: ओके ( अनुज ने अपने आप को भीतर से मजबूत करता हुआ एक गहरी सांस लेता हुआ अपनी बाहे खोल दिया )
बिना किसी हिचक कर लाली ने उसकी बाहों में अपनी बाह डाल कर उसके सीने से लग गई और अनुज ने भी उसके अपने पास कस लिया और उसके नरम मौसमी से दूध अनुज के सीने से हल्का हो दब गए जिसका अहसास दोनों को था ,मगर भीतर जो बिजली दौड़ रही थी एक दूसरे को हग करने के बाद वो फिलिंग से अनुज का लंड अकड़ रहा था ।
: आई लव यू अनुज आई लव यू ( लाली फफक पड़ी अनुज से चिपक कर )
: अरे ... आई लव यू टू न क्यों तो रहे हो ( अनुज ने उसको अपने सामने किया और उसके मासूम से चेहरे को अपने हाथों में भरा )
: प्लीज मुझे मेरी गलतियों के लिए छोड़ना मत , मै नहीं रह पाऊंगी तुम्हारे बिना , सच्ची मर जाऊंगी ।
: अरे ऐसा नहीं कहते, पता है मेरी मम्मी क्या कहती है ( अनुज वापस से उसको अपने सीने से लगाता हुआ बोला )
: क्या ? ( लाली ने सुबकते हुए कहा )
: वो कहती है कि हमें किसी को उसके अतीत से नहीं जज करना चाहिए ( अनुज ने वही बात दोहराई जो उसकी मां ने विमला की बहन अनीता को दुकान में कही थी जब वो अपने अतीत को लेकर शर्मिंदा थी )
: हम्ममम , सॉरी
: सॉरी क्यों ?
: वो ... गुस्सा नहीं करोगे न तुम , प्लीज और कई तुमसे कुछ भी छिपाना नहीं चाहती हूं अब
: हा कहो न
: वो कल रात पूजा आई थी
ये सुनते ही अनुज की धड़कने तेज होने लगी
: हा तो तुमने ग्रुप स्टडी की ( अनुज ने छेड़ा उसे , हालांकि भीतर से वो पोजेसिव नेस से भरा हुआ था लेकिन लाली को वो तकलीफ नहीं देना चाहता था )
: मजे मत लो अब तुम , वो कमीनी आई और आखिरी बार है बोलकर ....
: हा तो ठीक है कोई बात नहीं , अब से सब खत्म है न तो क्यों टेंशन ले रही हो छोड़ो उसे अपनी नई लाइफ पर ध्यान दो ( अनुज ने उसे समझाना चाहा ) देखो मुझे कोई दिक्कत नहीं है अगर तुम इसे आगे जारी रखती हो तो मेरे प्यार करने का मतलब ये नहीं कि मै तुम्हारी पसंद ना पसंद में दखल करूं
लाली बस अपने किए पर शर्मिंदा थी
: देखो तुम अभी तो आज़ाद हो अपनी लाइफ को अपने तरीके से जीने के लिए, पता है मेरी मम्मी कहती है कि अगर चीजें जोर जबरजस्ती से नहीं है तो उन्हें स्वीकार कर लेना चाहिए
: तुम अपनी मम्मी से ये सब बातें भी करते हो ( लाली ने मुस्कुरा कर कहा )
: अरे नहीं यार ( अनुज शर्मा गया और उसकी बातों से उसकी चोरी पकड़ी भी गई थी ) वो बस मै तुमको समझा रहा हूं उठो चलो अब यहां से , लेट हो जाएगा
: अरे कुछ नहीं होगा लेट , दीदी की क्लास खाली रहेगी आज
: तो ?
: तो चलो कालेज गार्डन में बैठेंगे हीही
: किसी ने देख लिया तो वहा ?
: हा जैसे किसी को हमारे बारे में पता नहीं है जैसे हाहाहा ( लाली ने हस कर अनुज को खींचा और लेकर कालेज की ओर चली गई )
वही इनसब से अलग रज्जो शिला के यहां से अपनी सवारी पकड़ चुकी थी अपने नए गंतव्य के लिए
उसने एक मोबाइल नंबर डायल किया
" हम्म्म मैने गाड़ी पकड़ ली है , तुम मिलोगे कहा ? , ठीक है मै पहुंच जाऊंगी "
मन में सपनो के कुछ अरमान सजाए बस की खिड़की से बाहर देखते हुए ठंडी हवाओ को अपने चेहरे महसूस करते हुए वो मुस्कुरा रही थी , उस रोमांच के लिए भीतर से थोड़ी बेचैन जिसकी तैयार उसने कल दोपहर को ही कर ली थी ।
जारी रहेगी
( कहानी की अगली कड़ी पोस्ट कर दी गई है , पढ़ कर कहानी को सपोर्ट जरूर करें )
Kholo aur ghusaaoAah mast gaand hai sanki in me Lund bhi ghusa hota to aur majedar dikhti
Bht ki mast update diya h bhai Rajesh ki morning to mast likli ek trf babita nai uske land ko chus ke khada kr diya to dusri trf sangeeta nai uske land ko apni chut ke pani se nehla diya maja aa gya is kamuk sean ko pad kr dekhte h ki rangi or Banwari kya ghul khilane mai lage hue hअध्याय 02
UPDATE 027
THE FANTASY MORNING 02
प्रतापपुर
रात में अपने ससुर के साथ गीता की दोहरी चुदाई कर रंगीलाल अपने कमरे में वापस आ गया था ।
सर्दियों की सुबह अब धुंधली सी अंगड़ाई लेने लगी थी , और रंगी ने जिस्म में भी सुबह सुबह मॉर्निंग इरेक्शन का अलार्म बज चुका था ।
फड़फड़ाहट तो कही और भी हो रही थी , उसके एक कमरे बाद एक किनारे वाले कमरे में सुबह सुबह बबीता अकेली अपने कमरे में सोई हुई थी किसी कामुक सपने में अपनी चूत में मोटे लंड से चुदने का अरमान लिए तकिए को अपनी जांघो में कसे हुए उसे अपनी बुर पर घिस रही थी ।
फिर एकदम से उसकी आंखे खुल गई और अपनी स्थिति देख कर वो उखड़ कर बैठ गई ।
रात में रंगी ने उसे धोखा दिया और सबसे बढ़ कर कि उसके दादू ने उसे छोड़कर गीता को चोदा, पहले भी दोनों बहनों में ज्यादा प्यार दुलार के लिए होड़ लगी रहती थी और उनके आपसी झगड़े होते थे लेकिन फिर भी एक लिहाज में कैसे वो अपने दादू से खुद से कहेगी कि उसे भी चोदो जैसे गीता को चोद रहे थे और उसपर पर दो दो लंड का सुख
दोहरे जलन से बबीता का जिस्म तप रहा था , वो वक्त एक आरामदायक शॉर्ट में थी जो रात में अकसर वो पहन लेती थी सोने के लिए,
कमरे से निकल कर उसकी निगाहे अपनी मां पर गई जो अपने कमरे से निकल कर अपने बिखरे बालों को जुड़ा करते हुए निकल रही थी । उसकी साड़ी पूरी ढीली थी , साफ पता चल रहा था कि उसने जल्दी बाजी में पहना है और बबीता ये भी समझ रही थी कि जबसे इधर उसके पापा ने दारू छोड़ी है , उसकी मां ने तो कैसे अपने पल्लू में बांध लिया है , कल तो सारा दिन उसके पापा को नहीं छोड़ा और अभी ये मौका अच्छा था उसके पास
सुबह सुबह उसकी बुर बहुत कुलबुला रही थी और जैसे ही उनकी मां आंगन में गई वो लपक कर अपने पापा के कमरे की ओर बरामदे से होकर बढ़ गई
सर्द मौसम की ठंडी फिजाओं ने उसके नंगे टांगों में सिहरन पैदा हुई और तेजी से लपक कर अपने पापा के कमरे घुस गई
कमरे में जाते ही उसकी नजर सामने गई थी तो देखा कि उसकी मां ने जाते हुए उसके पापा के आधे देह से चादर हटा दी थी और वो उसका अंडरवियर दिख रहा था । जिसमें उसका लंड भी सुबह की सलामी देते हुए टाइट हुआ जा रहा था ।
बबीता का मन मचल उठा और वो कमरे का दरवाजा भिड़का कर धीरे से अपने पापा के पास आ गई
पैरो के सुबह की सरसराहट थी लेकिन अंदर से उसके जिस्म में आग भड़क रही थी ,उसका रोम रोम खड़ा हो गया था और उसकी नजरे अपने पापा के खड़े लंड को देख रही थी ।
हौले से उसने हाथ आगे अपने पापा का लंड अंडरवियर के ऊपर से छूना शुरू कर दिया और वो उसके बदन में कंपकंपी शुरू हो गई
उसकी नाजुक हथेलियां अपने पापा के सुपाड़े को गर्म कर रही थी और राजेश का लंड सतर्क होकर टनटना रहा था
: उम्ममम ... गुड़िया तू तेरी मम्मी कहा है
: वो बाथरूम गई ( अपने पापा ने लंड पर उंगलियां फिरा कर वो बोली )
: सीईईई बदमाश लड़की ये तू .... अह्ह्ह्ह ( राजेश ने धुंधली आंखों से बबीता को देखा और टॉप में उसके उभरे हुए निप्पल देखकर वो अपने उंगलियों से उनसे खेलने लगा और बबीता मचल उठी )
: सीईईई अह्ह्ह्ह पापा कस कर पकड़ो न उम्ममम( बबीता ने अपने पापा का हाथ पकड़ कर सीने मौसमी जैसे कड़क चूचे पर दबा दिए )
उसकी इस हरकत से राजेश के पूरे बदन में खून का सैलाब उमड़ आया और वो उसके जिस्म की नस नस जोश से भर गई , एक झटके में उसने बबीता को उठा कर अपने बिस्तर में खींच लिया
: हीही ( बबीता खिलखिलाई )
राजेश ने उसको कंबल में उसके शॉर्ट के ऊपर से उसके चर्बीदार चूतड़ों को हथेली में भरते हुए उसके लिप्स चूसने लगा और बबीता भी अपने पापा के लंड को अंडर वियर के ऊपर से मसलने लगी और दोनों के बीच जबरजस्त कामुकता का संचार होने लगा
सुबह सुबह अपनी लाडली के नरम होठों और चर्बीदार चूतड़ों का स्पर्श पाकर राजेश का लंड फनकार मारने लगा और वो बबीता को कमर से खींच कर उसकी चूत को अपने अंडरवियर में बने तंबू पर सटाने लगा और बबीता का जोश दुगना हो गया और वो अपने पापा के लिस्प को चुस्ती हुई उसके आड़ को हथेली में कस ली
: ओह्ह्ह्ह गुड़िया उम्ममम सीईईई कितना गर्म है तू
: उम्मम आप मुझे छोड़ दिए थे न मम्मी को पाकर सीईईई अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह पापा उम्ममम पता है मै सुबह सुबह आपका सपना देख रही थी
: सीई क्या देखा तूने गुड़िया
बबीता ने हाथ राजेश के अंडरवियर में घुसाने लगी और राजेश के पैर अकड़ने लगे वो अपने लंड की नसे पूरी तान चुका था और बबीता की ठंडी उंगलियां उसके तपते लंड को छू रही थी।।
: उफ्फफ बता न गुड़िया उम्ममम
: मैने देखा न आप पेल रहे हो उम्मम पीछे से सीईईई ओह्ह्ह पापा कितना बड़ा है और जल रहा है ये तो
: हा बेटा , तूने छू कर इसकी आग भड़का दी उफ्फ तेरे नाखून अह्ह्ह्ह फट जायेगा ऐसा लग रहा है
: उफ्फ पापा कितना टाइट है सीईईई मन कर रहा है खा जाऊ , चूस लू पापा प्लीज न
: आह्ह्ह्ह बेटा तेरी मम्मी बाथरूम गई है , अभी आ जाएगी तो सीईईई ओह्ह्ह
: तबतक मै चूस लूंगी
ये बोलकर बबीता सरक कर कंबल में ही अपने पापा के पैरों में चली गई और उसने अपने पापा का लंड छूने लगी और राजेश इस उत्तेजना से फड़फड़ा उठा कि कही उसकी बीवी न आ जाए
एक तरफ बीवी का डर दूसरी ओर उसकी लड़की की कामुक शरारत और लंड चूसने की जिद
राजेश ने आंखे बंद कर गहरी सांस ली और सिसकने लगा , जैसे जैसे बबीता कम्बल के अपने पापा ने सुपाड़े की खोल उतार कर उसपर अपने नथुने रख कर सूंघने लगी और नीचे से सुपाड़े की गांठ पर अपने जीभ की टिप फिराई , राजेश पूरी तरह मचल उठा : ओह्ह्ह्ह गुड़िया उम्ममम सीईईई कितना तड़पा रही है अपने पापा को उम्मम ओह्ह्ह्ह
बबीता को तो जैसे कितना नशा हो गया था सुबह सुबह अपने पापा का सुपाड़ा सूंघ कर वो अपने पतले पतले होठों से उन्हें चूमने लगी और जीभ से नीचे से चाटने लगी , जिससे राजेश का लंड कंबल में खड़ा होने लगा था ,बबीता नीचे सरक कर अपने पापा के आड़ को मुंह में लेने लगी
: ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह गुड़िया उम्ममम कहा से सीख रही है ये सब तू उम्ममम अह्ह्ह्ह खा जा बेटी उम्मम और सुपाड़ा भी लेले न मेरी गुड़िया जल रहा है ओह्ह्ह्ह हा ऐसे ही ओह्ह्ह कितना मजा आ रहा है
घोंट जा मेरी गुड़िया मेरी लाडो ओह्ह्ह और चूस उम्मम्म अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
बबीता ने कम्बल में उठ कर अपने पापा का लंड चूसना शुरू कर दिया था और वो उसे गले तक ले जा रही थी जिससे राजेश का जोश और बढ़ने लगा और वो बबीता का सर पकड़ कर अपने लंड को उसके मुंह में गहरे घुसाने लगा : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह ले मेरी सोना अह्ह्ह्ह्ह मेरी गुड़िया घोंट जा पूरा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
तभी एकदम से दरवाजे पर हड़ाक से आहट हुई और बबीता ने लंड छोड़ कर कंबल में सीधा लेट गई और राजेश भी हड़बड़ा कर सीधा हो गए ओर पीछे हेडबोर्ड का सहारा लेकर बैठ गया
: अरे उठ गए आप
: उम्ममम हा अभी अभी ( राजेश पूरी कोशिश कर रहा था कि अपना लंड छुपाने की कम्बल में, लेकिन अपनी मां के आने के बाद भी बबीता राजेश के लंड से खेले जा रही थी उसे छुए जा रही थी और राजेश कुछ कर नहीं पा रहा था )
फिर एकदम से सुनीता को कुछ अजीब लगा बिस्तर में और कम्बल को देखकर वो समझ गई कि कोई और भी सोया है और कम्बल उठाने को आई : अरे ये कौन सोया है
राजेश एकदम से हड़बड़ा गया और बबीता भी डर गई
: अरे सोने दो न , गुड़िया आई है
: आप ही उसे बिगाड़ रहे हो ( ये बोलकर सुनीता आलमारी से कपड़े निकालने लगी )
राजेश बस मुस्कुरा कर रह गया क्योंकि कम्बल में बबीता उसका लंड छोड़ नहीं रही थी और राजेश की नजरे अपनी बीवी सुनीता के दूधिया पीठ पर थी जो उसके डीप बैक वाले ब्लाउज से झलक रही थी और साड़ी भी कूल्हे पर खुली थी , उसकी गुदाज कमर को देख कर उनकी आंखे ललचा गई और लंड अंदर और फनकार मारने लगा
आलमारी बंद करते हुए सुनीता की नजर आइने में अपना पति पर गई जो कामुक होकर उसे ही देखे जा रहा है
: क्या ? ऐसे क्या देख रहे है ?
राजेश ने कुछ नहीं कहा बस बबीता का हाथ हटा कर अपना लंड निकाल कर कंबल के बाहर कर दिया
एकदम से सुनीता की आंखे सन्न और चेहरे पर मुस्कुराहट , फिर थोड़ी हड़बड़ाई बबीता के कमरे में होने का सोच कर
वो आंखों से राजेश को डांट रही थी बिना कुछ बोले कि कमरे में बबीता सोई है और वो अपना लंड अंदर कर ले लेकिन राजेश को इस रोमांच में मजा आ रहा था और वो अपना लंड उसके सामने सहलाते हुए उसको अपने पास आने को कहने लगा , सुनीता शर्मा कर ना में सर हिलाने लगी और आंखों से उसे बबीता के होने की बात याद दिला रही थी
राजेश ने भी इशारे में कहा कि वो सो गई , जी तो सुनीता का भी ललचा गया था अपने पति के लंड की कसावट देख कर सुपाड़ा तो पहले ही बबीता ने चूस कर लाल कर रखा था
ना चाहते हुए भी सुनीता चल कर उसके पास आई और राजेश के पास बैठ कर उसका खड़ा लंड पकड़ लिया
: ठरकी हो आप पूरे , वो उठ गई तो ( सुनीता राजेश का तपता लंड थाम कर सिहर कर फुसफुसाई )
: वो सो रही है मेरी जान अह्ह्ह्ह्ह चूसो दो न थोड़ा
: उससे हो जाएगा क्या आपका उम्मम ( सुनीता उसका लंड हाथ के लेकर सहलाते हुए मदहोश हो रही थी ) सीई कितना तप रहा है जी
: तुम्हे देख कर गर्म हो रहा है मेरी जान ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी जीभ है तेरी ओह्ह्ह्ह
इधर राजेश ने सिसकना शुरू किया वही कम्बल में बबीता अपनी टांगे घिसने लगी उसकी बुर पनियाने लगी कि कैसे उसके साथ होते हुए उसके पापा झूठ बोल कर मम्मी से अपना लंड चुसवा रहे है , उसके निप्पल कड़क होने लगे
: ओह्ह्ह मेरी जान उम्मम और अंदर ले न ओह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह ( राजेश उसका सर पकड़ कर दबाने लगा और सुनीता उठा गई लार से लिभड़ाये अपने होठ साफ करती हुई
: अंदर डालना है न ( सुनीता खड़ी होकर बोली )
: हा मेरी जान
: श्शश्श चुप
ये बोलकर सुनीता ने राजेश के पैर पकड़ कर बिस्तर से लटका दिए और उसके सामने अपने चूतड़ मटका कर साड़ी उठाने लगी देखते ही देखते राजेश के सामने सुनीता ने अपने चूतड़ नंगे कर दिए और उन्हें राजेश के लंड के आगे नचाते हुए घूम कर उसे देखा , सुबह सुबह ये नजारा देख कर राजेश का लंड खुद से ही सर उठाने लगा और सुनीता ने हाथ बढ़ा कर उसे पकड़ कर सहलाने लगी : सीई ओह्ह्ह मेरी जान उम्मम ओह्ह्ह्ह अब बैठ जा न उम्मम
: बैठ जाऊं ( सुनीता मुस्कुरा कर उसके लंड को खींच रही थी )
: ओह्ह्ह हा उम्मम ( राजेश की तड़प बढ़ती जा रही थी )
फिर सुनीता ने उसका सुपाड़े को अपनी बुर के फांके पर लगाया और उसके लंड पर बैठ गई और खुद ही उछलने लगी
उसके चर्बीदार चूतड़ों की जांघों से टकराने से ठप्प ठप्प की आवाज कमरे में उठने लगी साथ ही राजेश की सिसकिया : ओह्ह्ह्ह मेरी रानी कितनी गर्म चूत है तेरी ओह्ह्ह्ह और ओह्ह्ह्ह सीईईई उफ्फ
: श्शश्श चुप करो उम्मम मेरे राजा ओह्ह्ह्ह कितना टाइट है आपका लंड ओह्ह्ह पूरा अंदर चोट कर रहा है ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई ओह्ह्ह
: हा मेरी जान ओह्ह्ह और और उछल ऐसे उम्मम
इधर दोनों चूत और लंड की ताल मिला रहा थे और वही बबीता को कम्बल में गर्मी होने लगी थी ,उसका बदन पूरी तरह से जल रहा था चूत पानी पानी हुई जा रही थी वो कम्बल से मुंह निकाल कर बाहर देखी तो उसकी आंखे फटी रह गई ,,उसकी मां उसके सामने उसके पापा के लंड पर अपनी गाड़ फेक रही थी तेजी से और पापा भी खूब सिसक रहे थे
: उम्मम ओह्ह्ह्ह मेरी रानी ओह ऐसे ही बस और और आयेगा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह आ रहा है ओह्ह्ह्ह
: उफ्फ मेरे राजा ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है उम्मम सीईईई अह भर दो मेरी बुर उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम
एक के बाद एक मोटी थक्केदार पिचकारियां राजेश सुनीता की बुर फेंकता रहा और दुनिया उसके गोद में बैठी हुई लंड को अपनी बुर के जड़ में लिए सारा रस निचोड़ती रही जब उसने महसूस किया कि राजेश का लंड फड़कना बंद हो गया तो वो खड़ी हो गई और राजेश का निचोड़ा हुआ लंड धीरे धीरे नीचे हो रहा था
: हीही , अब साफ कर लेना मै नहाने जा रही हूं
: अरे चूस तो दो
: धत्त अब करो खुद से हीही ( ये बोलकर सुनीता खिलखिला कर निकल गई कमरे से )
उसके जाते ही बबीता वापस कम्बल से निकली : ओह सॉरी बेटा वो तेरी मम्मी ने
बबीता थोड़ी उदास थी लेकिन थोड़ी उम्मीद के साथ : मै साफ कर दूं पापा
राजेश का दिल खुश हो गया और वो पैर उठा कर वापस बिस्तर पर आ गया और बबीता ने बिना हिचक के उसका वीर्य से सना हुआ लंड मुंह में लेकर चूसने लगी : सीई ओह्ह्ह बेटा चाट ले उम्मम ओह्ह्ह्ह इसमें तेरी मां के बुर की मलाई भी है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम
बबीता बिना किसी हिचक के अच्छे से अपने पापा का लंड चूस कर साफ किया और राजेश वापस सो गया
बबीता उठकर फ्रेश होने के लिए निकल गई ।
वही दूसरी ओर रंगी ने भी अंगड़ाई लेकर खड़ा हुआ और कमरे से बाहर गया और उसकी नजर सामने से आंगन की ओर आती बबीता पर गई । जिसे देखते ही उसके पजामे ने लंड और फौलादी होने लगा , उसने जैसे ही रंगी को देखा मुंह बना कर निकल गई बाथरूम की ओर और तभी पीछे से बनवारी ने उसे बबीता के लचीले चूतड़ों को निहारते देखा
: बड़ी तड़की लग रही है जमाई बाबू आपसे , कोई बात है क्या ?
एकदम से अपने ससुर को अपने पास खड़ा देख कर चौका और फिर मुस्कुरा उठा ।
: अरे बाउजी आप ? हाहाहाहा नहीं बस ऐसे ही देख रहा था कि गीता वाले गुण इसमें है या नहीं
: अरे क्यों नहीं होंगे , थोड़ा टटोल कर देखिए तो सही हाहाहाहा ( बनवारी खिल कर हंसा )
: अरे टटोला था बाउजी कल रात को
: हैं ? सच में !! कब कैसे
: अरे कल दुपहर को मैने इसे छत पर देखा और मुझे लगा कि इसमें कच्छी नहीं पहनी है तो मैने इसको डांटा और कहा कि पूरे कपड़े पहना कर और टॉप बड़े वाले पहने ताकि चूतड़ ढके रहे , आपको बताऊं बाउजी तबसे मेरे सामने खूब चूतड़ हिला हिला कर घूम रही थी , कसम से लौड़ा तो रात में इसी ने खड़ा किया था ।
: उफ्फ जमाई बाबू , सच कहूं तो इसके चर्बीदार चूतड़ों की लचक ने तो मुझे भी कई बार चौका दिया है । अब तो आप ही इसको सीधी करो जमाई बाबू , इसी बहाने मेरा भी कुछ कल्याण हो जाएगा हाहाहा
: सच में बाबूजी , आज तो मेरा घर जाने का प्लान था , लेकिन अब आपने कह दिया है तो इसकी गाड़ मसल कर जाऊंगा
: वाह ये हूं न बात , फिर डन करते है आइए चले टहलने बाहर
: जी चलिए हाहाहाह
फिर दोनों ससुर दामाद निकल गए खेतों की ओर
चमनपुरा
रागिनी नहा चुकी थी और किचन में खाना बना रही थी
इधर अनुज को भी कालेज जाना था और वो नहा धो कर तैयार होकर नीचे उतर रहा था कि जीने से आते हुए उसे कुछ फुसफुसाहट सी आई
उम्मम हट न बदमाश सीई ओहो राज मारूंगी अभी अह्ह्ह्ह धत्त पागल मत बन
अपनी मां के मुंह से ऐसे अलफाज सुनकर अनुज के कान खड़े हो गए और पैंट में लंड अपने पैर पसारने लगा सो अलग
धीरे धीरे दबे पांव वो नीचे आया
: उम्मम मैने कहा न उस बारे में बाद में बात करेंगे अह्ह्ह्ह राज मत तंग कर , नहाने जा न कपड़े निकाल कर खड़ा है
: उम्मम मम्मी कितना अच्छा लगता है आपको हग करना उफ्फ कितने गर्म हो आप
और अनुज ने झांक कर देखा तो राज ने रागिनी को पीछे से पकड़ रखा था
: हट जा , सब जान रही हूं तेरी चालाकी , मुझसे चिपक मत और जा कपड़े पहन ले
: अच्छा ठीक है एक किस्सीइ देखो उम्मम ( राज ने अपनी थूथ आगे कर अपनी मां का चेहरा पकड़ कर उसको चूमने लगा और रागिनी ने भी उसको लिप्स पर एक किस्स दीदी )
ये सब देख कर अनुज का लंड पैंट में पूरा टाइट हो गया
: अह्ह्ह्ह छोड़ अब और जो तुझे समझाया है उसे ध्यान रखा , जा अब
: ओके मेरी सेक्सी मम्मी हीही
जैस ही अनुज को लगा कि राज आने वाला वो दबे पाव पीछे होकर जीने की तरफ हो गया और राज मस्ती में खुश होकर अपने कमरे में जाने लगा था कि उसकी नजर अनुज पर गई और वो उसको आंख मारकर निकल गया अपने रूम में
अनुज की बेचैनी बढ़ गई थी कि अगर उसकी मम्मी राज भैया को समझाने की बात कर रही थी तो ये सब क्या था ?
अनुज रागिनी के पास गया जो खाना बना रही थी
: अरे आ गया तू , बैठ नाश्ता देती हूं
: जी मम्मी
अनुज की हिम्मत नहीं हो रही थी कि अभी जो उसने देखा उसके बारे में अपनी मां से बात करे , वो उलझा हुआ वही टेबल पर बैठ गया और रागिनी उसके लिए नाश्ता परोसने लगी ।
: मम्मी !! आपने भैया से बात की ?
एकदम से रागिनी के हड़बड़ाहट भरे हाथ शांत हो गई और उसने एक गहरी सांस ली
: हम्म्म , मै उसे समझाया तो लेकिन ...
: क्या लेकिन ?
: अरे तू तो उसकी शरारत जानता है , ऐसे भोला बन कर रहता है और इतना बेफिक्र होकर बातें करता है जैसे कुछ हुआ ही न हो
: हुआ क्या ?
: कुछ नहीं, मै उसका मोबाइल लेकर आई थी जब वो नहाने जा रहा था तो और नहाने के बाद वो उसे खोजते हुए आ गया मेरे पास , मैने उसे फोटो डिलीट करने को कहा तो कहने लगा क्यों करनी है ,इतनी .... सेक्सी लग रही हो पापा आएंगे तो दिखाएंगे उनको
: क्या ?
: हा , उसको तो तेरे पापा का भी डर नहीं , ना जाने किस दुनिया में मस्त रहता है और फिर मैने उसको कहा कि आगे वो सब हरकते मत करना जो सुबह बाथरुम में की थी तो कहने लगा कि जब मै किस्स मागूंगा तो देनी पड़ेगी । तो अब बता मै क्या करूं ? अभी भी वो मेरी चुम्मी लेकर गया है तेरी वजह से मेरा दीवाना बना घूम रहा है अब !!
मम्मी की बातें सुनकर अनुज एक एक करके सारी कड़ियां जोड़ने लगा और उसे अपने मा की बातों में सच्चाई तो दिखी ही लेकिन एक डर था कि उसने कही कुछ गलत तो नहीं कर दिया जिससे उसकी मां परेशान हो जाए और कही पापा के सामने भी राज भैया का यही व्यवहार रहा तो ?
: अब तू टेंशन न ले , देखती हूं इसको समझाऊगी दुकान पर जाकर और आज तू कालेज से जल्दी आ जाना
: जी ठीक है मम्मी
ये तो अनुज को और भी ज्यादा बेचैन करने वाली बात ही गई क्योंकि अगर वो दुकान पर अकेला रहेगा और मम्मी किचन राज भैया के पास जाएगी तो उसे कैसे पता चलेगा कि अकेले में उनकी क्या बाते हुई होंगी ।
खैर उसने नाश्ता किया और बैग लेकर निकल गया कालेज के लिए और रास्ते में उस पुल के पास कोई पहले से ही उसकी राह देख रहा था ।
: हाय अनुज ( फीकी मुस्कुराहट से लाली ने उसे ग्रिट किया)
: हाय .. अकेले ? पूजा कहा है ? (अनुज ने सवाल किया )
: वो ... मैने उससे फ्रेंडशिप तोड़ दी ( अनुज की ओर पीठ करते हुए बोली )
: तोड़ दी .. लेकिन क्यों ? मैने तो कहा था कि मुझे कोई दिक्कत नहीं ..( अनुज बोलते हुए चुप सा हो गया )
: लेकिन मुझे है .... मै इनसब से तंग आ गई हूं और छुटकारा चाहती हूं , प्लीज तुम मदद करो न
लाली घूम कर उसके पास आई और अनुज की सांसे बेचैन होने लगी उसकी धड़कने तेज हो गई
: कृतिका , यहां हमें कोई देख लेगा
: मुझे किसी का डर नहीं बस एक बार
: ओके ( अनुज ने अपने आप को भीतर से मजबूत करता हुआ एक गहरी सांस लेता हुआ अपनी बाहे खोल दिया )
बिना किसी हिचक कर लाली ने उसकी बाहों में अपनी बाह डाल कर उसके सीने से लग गई और अनुज ने भी उसके अपने पास कस लिया और उसके नरम मौसमी से दूध अनुज के सीने से हल्का हो दब गए जिसका अहसास दोनों को था ,मगर भीतर जो बिजली दौड़ रही थी एक दूसरे को हग करने के बाद वो फिलिंग से अनुज का लंड अकड़ रहा था ।
: आई लव यू अनुज आई लव यू ( लाली फफक पड़ी अनुज से चिपक कर )
: अरे ... आई लव यू टू न क्यों तो रहे हो ( अनुज ने उसको अपने सामने किया और उसके मासूम से चेहरे को अपने हाथों में भरा )
: प्लीज मुझे मेरी गलतियों के लिए छोड़ना मत , मै नहीं रह पाऊंगी तुम्हारे बिना , सच्ची मर जाऊंगी ।
: अरे ऐसा नहीं कहते, पता है मेरी मम्मी क्या कहती है ( अनुज वापस से उसको अपने सीने से लगाता हुआ बोला )
: क्या ? ( लाली ने सुबकते हुए कहा )
: वो कहती है कि हमें किसी को उसके अतीत से नहीं जज करना चाहिए ( अनुज ने वही बात दोहराई जो उसकी मां ने विमला की बहन अनीता को दुकान में कही थी जब वो अपने अतीत को लेकर शर्मिंदा थी )
: हम्ममम , सॉरी
: सॉरी क्यों ?
: वो ... गुस्सा नहीं करोगे न तुम , प्लीज और कई तुमसे कुछ भी छिपाना नहीं चाहती हूं अब
: हा कहो न
: वो कल रात पूजा आई थी
ये सुनते ही अनुज की धड़कने तेज होने लगी
: हा तो तुमने ग्रुप स्टडी की ( अनुज ने छेड़ा उसे , हालांकि भीतर से वो पोजेसिव नेस से भरा हुआ था लेकिन लाली को वो तकलीफ नहीं देना चाहता था )
: मजे मत लो अब तुम , वो कमीनी आई और आखिरी बार है बोलकर ....
: हा तो ठीक है कोई बात नहीं , अब से सब खत्म है न तो क्यों टेंशन ले रही हो छोड़ो उसे अपनी नई लाइफ पर ध्यान दो ( अनुज ने उसे समझाना चाहा ) देखो मुझे कोई दिक्कत नहीं है अगर तुम इसे आगे जारी रखती हो तो मेरे प्यार करने का मतलब ये नहीं कि मै तुम्हारी पसंद ना पसंद में दखल करूं
लाली बस अपने किए पर शर्मिंदा थी
: देखो तुम अभी तो आज़ाद हो अपनी लाइफ को अपने तरीके से जीने के लिए, पता है मेरी मम्मी कहती है कि अगर चीजें जोर जबरजस्ती से नहीं है तो उन्हें स्वीकार कर लेना चाहिए
: तुम अपनी मम्मी से ये सब बातें भी करते हो ( लाली ने मुस्कुरा कर कहा )
: अरे नहीं यार ( अनुज शर्मा गया और उसकी बातों से उसकी चोरी पकड़ी भी गई थी ) वो बस मै तुमको समझा रहा हूं उठो चलो अब यहां से , लेट हो जाएगा
: अरे कुछ नहीं होगा लेट , दीदी की क्लास खाली रहेगी आज
: तो ?
: तो चलो कालेज गार्डन में बैठेंगे हीही
: किसी ने देख लिया तो वहा ?
: हा जैसे किसी को हमारे बारे में पता नहीं है जैसे हाहाहा ( लाली ने हस कर अनुज को खींचा और लेकर कालेज की ओर चली गई )
वही इनसब से अलग रज्जो शिला के यहां से अपनी सवारी पकड़ चुकी थी अपने नए गंतव्य के लिए
उसने एक मोबाइल नंबर डायल किया
" हम्म्म मैने गाड़ी पकड़ ली है , तुम मिलोगे कहा ? , ठीक है मै पहुंच जाऊंगी "
मन में सपनो के कुछ अरमान सजाए बस की खिड़की से बाहर देखते हुए ठंडी हवाओ को अपने चेहरे महसूस करते हुए वो मुस्कुरा रही थी , उस रोमांच के लिए भीतर से थोड़ी बेचैन जिसकी तैयार उसने कल दोपहर को ही कर ली थी ।
जारी रहेगी
( कहानी की अगली कड़ी पोस्ट कर दी गई है , पढ़ कर कहानी को सपोर्ट जरूर करें )
Bht ki mast update diya h bhai Rajesh ki morning to mast likli ek trf babita nai uske land ko chus ke khada kr diya to dusri trf sangeeta nai uske land ko apni chut ke pani se nehla diya maja aa gya is kamuk sean ko pad kr dekhte h ki rangi or Banwari kya ghul khilane mai lage hue h
To wahi dusri trf anuj bhi apni maa ragini ke liye paglaya hua ghum rha h ki kab use bhi apni mummy ke sath kuch karne ko milega
Or raj or ragini ke man mai kya chal rha h ye to wahi bta sakte h dekte h aage kya hota h
Or rajjo kiske yha jaa rahi h apni badi badi Gand or kachori jaisi fuli or Pavroti jaisi mulayam chut ke kr but arun nai abhi tak na hi seela or na hi kammo ke sath kuch kiya h bhai uska bhi kuch karwao na aap
Vote toh humne raj k pariwar k gangbang k Liye kia hai lagta is Saal yeh hoga aishe Kahi bar hamare Dil tod diye gaye hai
Bohot pyara updateअध्याय 02
UPDATE 027
THE FANTASY MORNING 02
प्रतापपुर
रात में अपने ससुर के साथ गीता की दोहरी चुदाई कर रंगीलाल अपने कमरे में वापस आ गया था ।
सर्दियों की सुबह अब धुंधली सी अंगड़ाई लेने लगी थी , और रंगी ने जिस्म में भी सुबह सुबह मॉर्निंग इरेक्शन का अलार्म बज चुका था ।
फड़फड़ाहट तो कही और भी हो रही थी , उसके एक कमरे बाद एक किनारे वाले कमरे में सुबह सुबह बबीता अकेली अपने कमरे में सोई हुई थी किसी कामुक सपने में अपनी चूत में मोटे लंड से चुदने का अरमान लिए तकिए को अपनी जांघो में कसे हुए उसे अपनी बुर पर घिस रही थी ।
फिर एकदम से उसकी आंखे खुल गई और अपनी स्थिति देख कर वो उखड़ कर बैठ गई ।
रात में रंगी ने उसे धोखा दिया और सबसे बढ़ कर कि उसके दादू ने उसे छोड़कर गीता को चोदा, पहले भी दोनों बहनों में ज्यादा प्यार दुलार के लिए होड़ लगी रहती थी और उनके आपसी झगड़े होते थे लेकिन फिर भी एक लिहाज में कैसे वो अपने दादू से खुद से कहेगी कि उसे भी चोदो जैसे गीता को चोद रहे थे और उसपर पर दो दो लंड का सुख
दोहरे जलन से बबीता का जिस्म तप रहा था , वो वक्त एक आरामदायक शॉर्ट में थी जो रात में अकसर वो पहन लेती थी सोने के लिए,
कमरे से निकल कर उसकी निगाहे अपनी मां पर गई जो अपने कमरे से निकल कर अपने बिखरे बालों को जुड़ा करते हुए निकल रही थी । उसकी साड़ी पूरी ढीली थी , साफ पता चल रहा था कि उसने जल्दी बाजी में पहना है और बबीता ये भी समझ रही थी कि जबसे इधर उसके पापा ने दारू छोड़ी है , उसकी मां ने तो कैसे अपने पल्लू में बांध लिया है , कल तो सारा दिन उसके पापा को नहीं छोड़ा और अभी ये मौका अच्छा था उसके पास
सुबह सुबह उसकी बुर बहुत कुलबुला रही थी और जैसे ही उनकी मां आंगन में गई वो लपक कर अपने पापा के कमरे की ओर बरामदे से होकर बढ़ गई
सर्द मौसम की ठंडी फिजाओं ने उसके नंगे टांगों में सिहरन पैदा हुई और तेजी से लपक कर अपने पापा के कमरे घुस गई
कमरे में जाते ही उसकी नजर सामने गई थी तो देखा कि उसकी मां ने जाते हुए उसके पापा के आधे देह से चादर हटा दी थी और वो उसका अंडरवियर दिख रहा था । जिसमें उसका लंड भी सुबह की सलामी देते हुए टाइट हुआ जा रहा था ।
बबीता का मन मचल उठा और वो कमरे का दरवाजा भिड़का कर धीरे से अपने पापा के पास आ गई
पैरो के सुबह की सरसराहट थी लेकिन अंदर से उसके जिस्म में आग भड़क रही थी ,उसका रोम रोम खड़ा हो गया था और उसकी नजरे अपने पापा के खड़े लंड को देख रही थी ।
हौले से उसने हाथ आगे अपने पापा का लंड अंडरवियर के ऊपर से छूना शुरू कर दिया और वो उसके बदन में कंपकंपी शुरू हो गई
उसकी नाजुक हथेलियां अपने पापा के सुपाड़े को गर्म कर रही थी और राजेश का लंड सतर्क होकर टनटना रहा था
: उम्ममम ... गुड़िया तू तेरी मम्मी कहा है
: वो बाथरूम गई ( अपने पापा ने लंड पर उंगलियां फिरा कर वो बोली )
: सीईईई बदमाश लड़की ये तू .... अह्ह्ह्ह ( राजेश ने धुंधली आंखों से बबीता को देखा और टॉप में उसके उभरे हुए निप्पल देखकर वो अपने उंगलियों से उनसे खेलने लगा और बबीता मचल उठी )
: सीईईई अह्ह्ह्ह पापा कस कर पकड़ो न उम्ममम( बबीता ने अपने पापा का हाथ पकड़ कर सीने मौसमी जैसे कड़क चूचे पर दबा दिए )
उसकी इस हरकत से राजेश के पूरे बदन में खून का सैलाब उमड़ आया और वो उसके जिस्म की नस नस जोश से भर गई , एक झटके में उसने बबीता को उठा कर अपने बिस्तर में खींच लिया
: हीही ( बबीता खिलखिलाई )
राजेश ने उसको कंबल में उसके शॉर्ट के ऊपर से उसके चर्बीदार चूतड़ों को हथेली में भरते हुए उसके लिप्स चूसने लगा और बबीता भी अपने पापा के लंड को अंडर वियर के ऊपर से मसलने लगी और दोनों के बीच जबरजस्त कामुकता का संचार होने लगा
सुबह सुबह अपनी लाडली के नरम होठों और चर्बीदार चूतड़ों का स्पर्श पाकर राजेश का लंड फनकार मारने लगा और वो बबीता को कमर से खींच कर उसकी चूत को अपने अंडरवियर में बने तंबू पर सटाने लगा और बबीता का जोश दुगना हो गया और वो अपने पापा के लिस्प को चुस्ती हुई उसके आड़ को हथेली में कस ली
: ओह्ह्ह्ह गुड़िया उम्ममम सीईईई कितना गर्म है तू
: उम्मम आप मुझे छोड़ दिए थे न मम्मी को पाकर सीईईई अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह पापा उम्ममम पता है मै सुबह सुबह आपका सपना देख रही थी
: सीई क्या देखा तूने गुड़िया
बबीता ने हाथ राजेश के अंडरवियर में घुसाने लगी और राजेश के पैर अकड़ने लगे वो अपने लंड की नसे पूरी तान चुका था और बबीता की ठंडी उंगलियां उसके तपते लंड को छू रही थी।।
: उफ्फफ बता न गुड़िया उम्ममम
: मैने देखा न आप पेल रहे हो उम्मम पीछे से सीईईई ओह्ह्ह पापा कितना बड़ा है और जल रहा है ये तो
: हा बेटा , तूने छू कर इसकी आग भड़का दी उफ्फ तेरे नाखून अह्ह्ह्ह फट जायेगा ऐसा लग रहा है
: उफ्फ पापा कितना टाइट है सीईईई मन कर रहा है खा जाऊ , चूस लू पापा प्लीज न
: आह्ह्ह्ह बेटा तेरी मम्मी बाथरूम गई है , अभी आ जाएगी तो सीईईई ओह्ह्ह
: तबतक मै चूस लूंगी
ये बोलकर बबीता सरक कर कंबल में ही अपने पापा के पैरों में चली गई और उसने अपने पापा का लंड छूने लगी और राजेश इस उत्तेजना से फड़फड़ा उठा कि कही उसकी बीवी न आ जाए
एक तरफ बीवी का डर दूसरी ओर उसकी लड़की की कामुक शरारत और लंड चूसने की जिद
राजेश ने आंखे बंद कर गहरी सांस ली और सिसकने लगा , जैसे जैसे बबीता कम्बल के अपने पापा ने सुपाड़े की खोल उतार कर उसपर अपने नथुने रख कर सूंघने लगी और नीचे से सुपाड़े की गांठ पर अपने जीभ की टिप फिराई , राजेश पूरी तरह मचल उठा : ओह्ह्ह्ह गुड़िया उम्ममम सीईईई कितना तड़पा रही है अपने पापा को उम्मम ओह्ह्ह्ह
बबीता को तो जैसे कितना नशा हो गया था सुबह सुबह अपने पापा का सुपाड़ा सूंघ कर वो अपने पतले पतले होठों से उन्हें चूमने लगी और जीभ से नीचे से चाटने लगी , जिससे राजेश का लंड कंबल में खड़ा होने लगा था ,बबीता नीचे सरक कर अपने पापा के आड़ को मुंह में लेने लगी
: ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह गुड़िया उम्ममम कहा से सीख रही है ये सब तू उम्ममम अह्ह्ह्ह खा जा बेटी उम्मम और सुपाड़ा भी लेले न मेरी गुड़िया जल रहा है ओह्ह्ह्ह हा ऐसे ही ओह्ह्ह कितना मजा आ रहा है
घोंट जा मेरी गुड़िया मेरी लाडो ओह्ह्ह और चूस उम्मम्म अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
बबीता ने कम्बल में उठ कर अपने पापा का लंड चूसना शुरू कर दिया था और वो उसे गले तक ले जा रही थी जिससे राजेश का जोश और बढ़ने लगा और वो बबीता का सर पकड़ कर अपने लंड को उसके मुंह में गहरे घुसाने लगा : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह ले मेरी सोना अह्ह्ह्ह्ह मेरी गुड़िया घोंट जा पूरा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
तभी एकदम से दरवाजे पर हड़ाक से आहट हुई और बबीता ने लंड छोड़ कर कंबल में सीधा लेट गई और राजेश भी हड़बड़ा कर सीधा हो गए ओर पीछे हेडबोर्ड का सहारा लेकर बैठ गया
: अरे उठ गए आप
: उम्ममम हा अभी अभी ( राजेश पूरी कोशिश कर रहा था कि अपना लंड छुपाने की कम्बल में, लेकिन अपनी मां के आने के बाद भी बबीता राजेश के लंड से खेले जा रही थी उसे छुए जा रही थी और राजेश कुछ कर नहीं पा रहा था )
फिर एकदम से सुनीता को कुछ अजीब लगा बिस्तर में और कम्बल को देखकर वो समझ गई कि कोई और भी सोया है और कम्बल उठाने को आई : अरे ये कौन सोया है
राजेश एकदम से हड़बड़ा गया और बबीता भी डर गई
: अरे सोने दो न , गुड़िया आई है
: आप ही उसे बिगाड़ रहे हो ( ये बोलकर सुनीता आलमारी से कपड़े निकालने लगी )
राजेश बस मुस्कुरा कर रह गया क्योंकि कम्बल में बबीता उसका लंड छोड़ नहीं रही थी और राजेश की नजरे अपनी बीवी सुनीता के दूधिया पीठ पर थी जो उसके डीप बैक वाले ब्लाउज से झलक रही थी और साड़ी भी कूल्हे पर खुली थी , उसकी गुदाज कमर को देख कर उनकी आंखे ललचा गई और लंड अंदर और फनकार मारने लगा
आलमारी बंद करते हुए सुनीता की नजर आइने में अपना पति पर गई जो कामुक होकर उसे ही देखे जा रहा है
: क्या ? ऐसे क्या देख रहे है ?
राजेश ने कुछ नहीं कहा बस बबीता का हाथ हटा कर अपना लंड निकाल कर कंबल के बाहर कर दिया
एकदम से सुनीता की आंखे सन्न और चेहरे पर मुस्कुराहट , फिर थोड़ी हड़बड़ाई बबीता के कमरे में होने का सोच कर
वो आंखों से राजेश को डांट रही थी बिना कुछ बोले कि कमरे में बबीता सोई है और वो अपना लंड अंदर कर ले लेकिन राजेश को इस रोमांच में मजा आ रहा था और वो अपना लंड उसके सामने सहलाते हुए उसको अपने पास आने को कहने लगा , सुनीता शर्मा कर ना में सर हिलाने लगी और आंखों से उसे बबीता के होने की बात याद दिला रही थी
राजेश ने भी इशारे में कहा कि वो सो गई , जी तो सुनीता का भी ललचा गया था अपने पति के लंड की कसावट देख कर सुपाड़ा तो पहले ही बबीता ने चूस कर लाल कर रखा था
ना चाहते हुए भी सुनीता चल कर उसके पास आई और राजेश के पास बैठ कर उसका खड़ा लंड पकड़ लिया
: ठरकी हो आप पूरे , वो उठ गई तो ( सुनीता राजेश का तपता लंड थाम कर सिहर कर फुसफुसाई )
: वो सो रही है मेरी जान अह्ह्ह्ह्ह चूसो दो न थोड़ा
: उससे हो जाएगा क्या आपका उम्मम ( सुनीता उसका लंड हाथ के लेकर सहलाते हुए मदहोश हो रही थी ) सीई कितना तप रहा है जी
: तुम्हे देख कर गर्म हो रहा है मेरी जान ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी जीभ है तेरी ओह्ह्ह्ह
इधर राजेश ने सिसकना शुरू किया वही कम्बल में बबीता अपनी टांगे घिसने लगी उसकी बुर पनियाने लगी कि कैसे उसके साथ होते हुए उसके पापा झूठ बोल कर मम्मी से अपना लंड चुसवा रहे है , उसके निप्पल कड़क होने लगे
: ओह्ह्ह मेरी जान उम्मम और अंदर ले न ओह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह ( राजेश उसका सर पकड़ कर दबाने लगा और सुनीता उठा गई लार से लिभड़ाये अपने होठ साफ करती हुई
: अंदर डालना है न ( सुनीता खड़ी होकर बोली )
: हा मेरी जान
: श्शश्श चुप
ये बोलकर सुनीता ने राजेश के पैर पकड़ कर बिस्तर से लटका दिए और उसके सामने अपने चूतड़ मटका कर साड़ी उठाने लगी देखते ही देखते राजेश के सामने सुनीता ने अपने चूतड़ नंगे कर दिए और उन्हें राजेश के लंड के आगे नचाते हुए घूम कर उसे देखा , सुबह सुबह ये नजारा देख कर राजेश का लंड खुद से ही सर उठाने लगा और सुनीता ने हाथ बढ़ा कर उसे पकड़ कर सहलाने लगी : सीई ओह्ह्ह मेरी जान उम्मम ओह्ह्ह्ह अब बैठ जा न उम्मम
: बैठ जाऊं ( सुनीता मुस्कुरा कर उसके लंड को खींच रही थी )
: ओह्ह्ह हा उम्मम ( राजेश की तड़प बढ़ती जा रही थी )
फिर सुनीता ने उसका सुपाड़े को अपनी बुर के फांके पर लगाया और उसके लंड पर बैठ गई और खुद ही उछलने लगी
उसके चर्बीदार चूतड़ों की जांघों से टकराने से ठप्प ठप्प की आवाज कमरे में उठने लगी साथ ही राजेश की सिसकिया : ओह्ह्ह्ह मेरी रानी कितनी गर्म चूत है तेरी ओह्ह्ह्ह और ओह्ह्ह्ह सीईईई उफ्फ
: श्शश्श चुप करो उम्मम मेरे राजा ओह्ह्ह्ह कितना टाइट है आपका लंड ओह्ह्ह पूरा अंदर चोट कर रहा है ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई ओह्ह्ह
: हा मेरी जान ओह्ह्ह और और उछल ऐसे उम्मम
इधर दोनों चूत और लंड की ताल मिला रहा थे और वही बबीता को कम्बल में गर्मी होने लगी थी ,उसका बदन पूरी तरह से जल रहा था चूत पानी पानी हुई जा रही थी वो कम्बल से मुंह निकाल कर बाहर देखी तो उसकी आंखे फटी रह गई ,,उसकी मां उसके सामने उसके पापा के लंड पर अपनी गाड़ फेक रही थी तेजी से और पापा भी खूब सिसक रहे थे
: उम्मम ओह्ह्ह्ह मेरी रानी ओह ऐसे ही बस और और आयेगा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह आ रहा है ओह्ह्ह्ह
: उफ्फ मेरे राजा ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है उम्मम सीईईई अह भर दो मेरी बुर उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम
एक के बाद एक मोटी थक्केदार पिचकारियां राजेश सुनीता की बुर फेंकता रहा और दुनिया उसके गोद में बैठी हुई लंड को अपनी बुर के जड़ में लिए सारा रस निचोड़ती रही जब उसने महसूस किया कि राजेश का लंड फड़कना बंद हो गया तो वो खड़ी हो गई और राजेश का निचोड़ा हुआ लंड धीरे धीरे नीचे हो रहा था
: हीही , अब साफ कर लेना मै नहाने जा रही हूं
: अरे चूस तो दो
: धत्त अब करो खुद से हीही ( ये बोलकर सुनीता खिलखिला कर निकल गई कमरे से )
उसके जाते ही बबीता वापस कम्बल से निकली : ओह सॉरी बेटा वो तेरी मम्मी ने
बबीता थोड़ी उदास थी लेकिन थोड़ी उम्मीद के साथ : मै साफ कर दूं पापा
राजेश का दिल खुश हो गया और वो पैर उठा कर वापस बिस्तर पर आ गया और बबीता ने बिना हिचक के उसका वीर्य से सना हुआ लंड मुंह में लेकर चूसने लगी : सीई ओह्ह्ह बेटा चाट ले उम्मम ओह्ह्ह्ह इसमें तेरी मां के बुर की मलाई भी है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम
बबीता बिना किसी हिचक के अच्छे से अपने पापा का लंड चूस कर साफ किया और राजेश वापस सो गया
बबीता उठकर फ्रेश होने के लिए निकल गई ।
वही दूसरी ओर रंगी ने भी अंगड़ाई लेकर खड़ा हुआ और कमरे से बाहर गया और उसकी नजर सामने से आंगन की ओर आती बबीता पर गई । जिसे देखते ही उसके पजामे ने लंड और फौलादी होने लगा , उसने जैसे ही रंगी को देखा मुंह बना कर निकल गई बाथरूम की ओर और तभी पीछे से बनवारी ने उसे बबीता के लचीले चूतड़ों को निहारते देखा
: बड़ी तड़की लग रही है जमाई बाबू आपसे , कोई बात है क्या ?
एकदम से अपने ससुर को अपने पास खड़ा देख कर चौका और फिर मुस्कुरा उठा ।
: अरे बाउजी आप ? हाहाहाहा नहीं बस ऐसे ही देख रहा था कि गीता वाले गुण इसमें है या नहीं
: अरे क्यों नहीं होंगे , थोड़ा टटोल कर देखिए तो सही हाहाहाहा ( बनवारी खिल कर हंसा )
: अरे टटोला था बाउजी कल रात को
: हैं ? सच में !! कब कैसे
: अरे कल दुपहर को मैने इसे छत पर देखा और मुझे लगा कि इसमें कच्छी नहीं पहनी है तो मैने इसको डांटा और कहा कि पूरे कपड़े पहना कर और टॉप बड़े वाले पहने ताकि चूतड़ ढके रहे , आपको बताऊं बाउजी तबसे मेरे सामने खूब चूतड़ हिला हिला कर घूम रही थी , कसम से लौड़ा तो रात में इसी ने खड़ा किया था ।
: उफ्फ जमाई बाबू , सच कहूं तो इसके चर्बीदार चूतड़ों की लचक ने तो मुझे भी कई बार चौका दिया है । अब तो आप ही इसको सीधी करो जमाई बाबू , इसी बहाने मेरा भी कुछ कल्याण हो जाएगा हाहाहा
: सच में बाबूजी , आज तो मेरा घर जाने का प्लान था , लेकिन अब आपने कह दिया है तो इसकी गाड़ मसल कर जाऊंगा
: वाह ये हूं न बात , फिर डन करते है आइए चले टहलने बाहर
: जी चलिए हाहाहाह
फिर दोनों ससुर दामाद निकल गए खेतों की ओर
चमनपुरा
रागिनी नहा चुकी थी और किचन में खाना बना रही थी
इधर अनुज को भी कालेज जाना था और वो नहा धो कर तैयार होकर नीचे उतर रहा था कि जीने से आते हुए उसे कुछ फुसफुसाहट सी आई
उम्मम हट न बदमाश सीई ओहो राज मारूंगी अभी अह्ह्ह्ह धत्त पागल मत बन
अपनी मां के मुंह से ऐसे अलफाज सुनकर अनुज के कान खड़े हो गए और पैंट में लंड अपने पैर पसारने लगा सो अलग
धीरे धीरे दबे पांव वो नीचे आया
: उम्मम मैने कहा न उस बारे में बाद में बात करेंगे अह्ह्ह्ह राज मत तंग कर , नहाने जा न कपड़े निकाल कर खड़ा है
: उम्मम मम्मी कितना अच्छा लगता है आपको हग करना उफ्फ कितने गर्म हो आप
और अनुज ने झांक कर देखा तो राज ने रागिनी को पीछे से पकड़ रखा था
: हट जा , सब जान रही हूं तेरी चालाकी , मुझसे चिपक मत और जा कपड़े पहन ले
: अच्छा ठीक है एक किस्सीइ देखो उम्मम ( राज ने अपनी थूथ आगे कर अपनी मां का चेहरा पकड़ कर उसको चूमने लगा और रागिनी ने भी उसको लिप्स पर एक किस्स दीदी )
ये सब देख कर अनुज का लंड पैंट में पूरा टाइट हो गया
: अह्ह्ह्ह छोड़ अब और जो तुझे समझाया है उसे ध्यान रखा , जा अब
: ओके मेरी सेक्सी मम्मी हीही
जैस ही अनुज को लगा कि राज आने वाला वो दबे पाव पीछे होकर जीने की तरफ हो गया और राज मस्ती में खुश होकर अपने कमरे में जाने लगा था कि उसकी नजर अनुज पर गई और वो उसको आंख मारकर निकल गया अपने रूम में
अनुज की बेचैनी बढ़ गई थी कि अगर उसकी मम्मी राज भैया को समझाने की बात कर रही थी तो ये सब क्या था ?
अनुज रागिनी के पास गया जो खाना बना रही थी
: अरे आ गया तू , बैठ नाश्ता देती हूं
: जी मम्मी
अनुज की हिम्मत नहीं हो रही थी कि अभी जो उसने देखा उसके बारे में अपनी मां से बात करे , वो उलझा हुआ वही टेबल पर बैठ गया और रागिनी उसके लिए नाश्ता परोसने लगी ।
: मम्मी !! आपने भैया से बात की ?
एकदम से रागिनी के हड़बड़ाहट भरे हाथ शांत हो गई और उसने एक गहरी सांस ली
: हम्म्म , मै उसे समझाया तो लेकिन ...
: क्या लेकिन ?
: अरे तू तो उसकी शरारत जानता है , ऐसे भोला बन कर रहता है और इतना बेफिक्र होकर बातें करता है जैसे कुछ हुआ ही न हो
: हुआ क्या ?
: कुछ नहीं, मै उसका मोबाइल लेकर आई थी जब वो नहाने जा रहा था तो और नहाने के बाद वो उसे खोजते हुए आ गया मेरे पास , मैने उसे फोटो डिलीट करने को कहा तो कहने लगा क्यों करनी है ,इतनी .... सेक्सी लग रही हो पापा आएंगे तो दिखाएंगे उनको
: क्या ?
: हा , उसको तो तेरे पापा का भी डर नहीं , ना जाने किस दुनिया में मस्त रहता है और फिर मैने उसको कहा कि आगे वो सब हरकते मत करना जो सुबह बाथरुम में की थी तो कहने लगा कि जब मै किस्स मागूंगा तो देनी पड़ेगी । तो अब बता मै क्या करूं ? अभी भी वो मेरी चुम्मी लेकर गया है तेरी वजह से मेरा दीवाना बना घूम रहा है अब !!
मम्मी की बातें सुनकर अनुज एक एक करके सारी कड़ियां जोड़ने लगा और उसे अपने मा की बातों में सच्चाई तो दिखी ही लेकिन एक डर था कि उसने कही कुछ गलत तो नहीं कर दिया जिससे उसकी मां परेशान हो जाए और कही पापा के सामने भी राज भैया का यही व्यवहार रहा तो ?
: अब तू टेंशन न ले , देखती हूं इसको समझाऊगी दुकान पर जाकर और आज तू कालेज से जल्दी आ जाना
: जी ठीक है मम्मी
ये तो अनुज को और भी ज्यादा बेचैन करने वाली बात ही गई क्योंकि अगर वो दुकान पर अकेला रहेगा और मम्मी किचन राज भैया के पास जाएगी तो उसे कैसे पता चलेगा कि अकेले में उनकी क्या बाते हुई होंगी ।
खैर उसने नाश्ता किया और बैग लेकर निकल गया कालेज के लिए और रास्ते में उस पुल के पास कोई पहले से ही उसकी राह देख रहा था ।
: हाय अनुज ( फीकी मुस्कुराहट से लाली ने उसे ग्रिट किया)
: हाय .. अकेले ? पूजा कहा है ? (अनुज ने सवाल किया )
: वो ... मैने उससे फ्रेंडशिप तोड़ दी ( अनुज की ओर पीठ करते हुए बोली )
: तोड़ दी .. लेकिन क्यों ? मैने तो कहा था कि मुझे कोई दिक्कत नहीं ..( अनुज बोलते हुए चुप सा हो गया )
: लेकिन मुझे है .... मै इनसब से तंग आ गई हूं और छुटकारा चाहती हूं , प्लीज तुम मदद करो न
लाली घूम कर उसके पास आई और अनुज की सांसे बेचैन होने लगी उसकी धड़कने तेज हो गई
: कृतिका , यहां हमें कोई देख लेगा
: मुझे किसी का डर नहीं बस एक बार
: ओके ( अनुज ने अपने आप को भीतर से मजबूत करता हुआ एक गहरी सांस लेता हुआ अपनी बाहे खोल दिया )
बिना किसी हिचक कर लाली ने उसकी बाहों में अपनी बाह डाल कर उसके सीने से लग गई और अनुज ने भी उसके अपने पास कस लिया और उसके नरम मौसमी से दूध अनुज के सीने से हल्का हो दब गए जिसका अहसास दोनों को था ,मगर भीतर जो बिजली दौड़ रही थी एक दूसरे को हग करने के बाद वो फिलिंग से अनुज का लंड अकड़ रहा था ।
: आई लव यू अनुज आई लव यू ( लाली फफक पड़ी अनुज से चिपक कर )
: अरे ... आई लव यू टू न क्यों तो रहे हो ( अनुज ने उसको अपने सामने किया और उसके मासूम से चेहरे को अपने हाथों में भरा )
: प्लीज मुझे मेरी गलतियों के लिए छोड़ना मत , मै नहीं रह पाऊंगी तुम्हारे बिना , सच्ची मर जाऊंगी ।
: अरे ऐसा नहीं कहते, पता है मेरी मम्मी क्या कहती है ( अनुज वापस से उसको अपने सीने से लगाता हुआ बोला )
: क्या ? ( लाली ने सुबकते हुए कहा )
: वो कहती है कि हमें किसी को उसके अतीत से नहीं जज करना चाहिए ( अनुज ने वही बात दोहराई जो उसकी मां ने विमला की बहन अनीता को दुकान में कही थी जब वो अपने अतीत को लेकर शर्मिंदा थी )
: हम्ममम , सॉरी
: सॉरी क्यों ?
: वो ... गुस्सा नहीं करोगे न तुम , प्लीज और कई तुमसे कुछ भी छिपाना नहीं चाहती हूं अब
: हा कहो न
: वो कल रात पूजा आई थी
ये सुनते ही अनुज की धड़कने तेज होने लगी
: हा तो तुमने ग्रुप स्टडी की ( अनुज ने छेड़ा उसे , हालांकि भीतर से वो पोजेसिव नेस से भरा हुआ था लेकिन लाली को वो तकलीफ नहीं देना चाहता था )
: मजे मत लो अब तुम , वो कमीनी आई और आखिरी बार है बोलकर ....
: हा तो ठीक है कोई बात नहीं , अब से सब खत्म है न तो क्यों टेंशन ले रही हो छोड़ो उसे अपनी नई लाइफ पर ध्यान दो ( अनुज ने उसे समझाना चाहा ) देखो मुझे कोई दिक्कत नहीं है अगर तुम इसे आगे जारी रखती हो तो मेरे प्यार करने का मतलब ये नहीं कि मै तुम्हारी पसंद ना पसंद में दखल करूं
लाली बस अपने किए पर शर्मिंदा थी
: देखो तुम अभी तो आज़ाद हो अपनी लाइफ को अपने तरीके से जीने के लिए, पता है मेरी मम्मी कहती है कि अगर चीजें जोर जबरजस्ती से नहीं है तो उन्हें स्वीकार कर लेना चाहिए
: तुम अपनी मम्मी से ये सब बातें भी करते हो ( लाली ने मुस्कुरा कर कहा )
: अरे नहीं यार ( अनुज शर्मा गया और उसकी बातों से उसकी चोरी पकड़ी भी गई थी ) वो बस मै तुमको समझा रहा हूं उठो चलो अब यहां से , लेट हो जाएगा
: अरे कुछ नहीं होगा लेट , दीदी की क्लास खाली रहेगी आज
: तो ?
: तो चलो कालेज गार्डन में बैठेंगे हीही
: किसी ने देख लिया तो वहा ?
: हा जैसे किसी को हमारे बारे में पता नहीं है जैसे हाहाहा ( लाली ने हस कर अनुज को खींचा और लेकर कालेज की ओर चली गई )
वही इनसब से अलग रज्जो शिला के यहां से अपनी सवारी पकड़ चुकी थी अपने नए गंतव्य के लिए
उसने एक मोबाइल नंबर डायल किया
" हम्म्म मैने गाड़ी पकड़ ली है , तुम मिलोगे कहा ? , ठीक है मै पहुंच जाऊंगी "
मन में सपनो के कुछ अरमान सजाए बस की खिड़की से बाहर देखते हुए ठंडी हवाओ को अपने चेहरे महसूस करते हुए वो मुस्कुरा रही थी , उस रोमांच के लिए भीतर से थोड़ी बेचैन जिसकी तैयार उसने कल दोपहर को ही कर ली थी ।
जारी रहेगी
( कहानी की अगली कड़ी पोस्ट कर दी गई है , पढ़ कर कहानी को सपोर्ट जरूर करें )