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Incest मेरी बीवियां, परिवार..…और बहुत लोग…

Should I include a thriller part in the story or continue with Romance only?

  • 1) Have a thriller part

    Votes: 30 44.8%
  • 2) Continue with Romance Only.

    Votes: 40 59.7%

  • Total voters
    67

Sushil@10

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19th Update:

वसु: चलो मैं निकलती हूँ और अपनी nighty पेहेन के अपनी गांड मटकाते हुए और अपने चेहरे पे एक हसी के साथ अपने कमरे में चली जाती है मन में ये सोच के की जिस काम के लिए वो यहाँ आयी थी... वो काम हो गया है……

अब आगे..

अगली सुबह सब लोग फ्रेश हो कर अपना काम करते रहते है. मनोज ऑफिस चले जाता है लेकिन जाने से पहले वो वसु को कहता है की एक बार मीना से मिल ले. वसु भी मनोज से कहती है की वो ऑफिस से आने से पहले ही वो अपने घर चले जायेगी और सब का ख्याल रखना और उसे ये भी कहती है की अगले महीने होली है तो वो होली मनाने उसके घर आये.

मनोज: अभी मैं कह नहीं सकता. छूट मिलेगी तो ज़रूर आऊंगा.

वसु: देख लो... अगर तुम सब आओगे तो अच्छा लगेगा. वैसे भी शादी के बाद पहली होली रहेगी.

मनोज: ठीक है दीदी, मैं कोशिश करता हूँ..

वसु फिर सुबह नाश्ता करने के बाद अपने घर निकलने के लिए तैयार हो जाती है. और जैसे मनोज ने कहा था वो जाने से पहले मीना से मिलती है जो किचन में काम कर रही थी. मीना वसु को देख कर... दीदी आप एक बार मेरे कमरे में आना तो वसु भी मीना के साथ उसके कमरे में चली जाती है.

कमरे में पहुंच कर मीना बिस्तर पे बैठ जाती है और वसु भी उसके साथ बिस्तर पे बैठ जाती है और मीना की तरफ देखती है तो वो थोड़ा शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं कहती. वसु उससे पूछती है की उसने उसे वहां क्यों बुलाया है (वसु जानती थी की मीना ने उसे वहां क्यों बुलाया था) मीना थोड़ा हिचखिचाती है और धीरे से कहती है की कल रात हम दोनों ने बात की है और वो मान गए है. वसु भी समझ जाती है की ये थोड़ा नाज़ुक मामला है तो वो भी हाँ में सर हिला देती है लेकिन कहती है…

वसु: देखो मुझे पता है ये तुम दोनों के लिए पहले थोड़ा कठिन होगा लेकिन ऊपर वाले पे भरोसा रखो. सब ठीक हो जाएगा. मैं एक और बात कहना चाहती हूँ.

मीना क्या?

वसु: यही की कोशिश तुम्हे ही करनी है.

मीना मतलब?

वसु: मतलब ये की जब तुम वहां आओगी तो तुम्हे ही दीपू को अपनी अदाओं से रिझाना होगा और उसे अपने थोड़े करीब लाना होगा. ऐसा मत करना की आते ही तुम सीधा दीपू के ऊपर चढ़ जाओ. उसे बहुत झटका लगेगा और समझ में भी नहीं आएगा... क्यूंकि तुम उसकी मामी हो. जैसे तुम राज़ी हुई वैसे ही तुम उसे राज़ी करो और फिर तुम्हे भी वो ख़ुशी मिलेगी जो शायद मनोज ने ना दिया हो.

मीना मैं तो राज़ी हो गयी हूँ बूत माँ को कैसे समझाऊँ?

वसु: उनको समझाने की ज़रुरत नहीं है. मैंने कल उनसे बात कर ली है और वो भी बात मान गयी है मेरे समझाने से. तुम उनकी चिंता मत करो.

वसु फिर मीना को अपनी बाहों में लेकर उसके कान में धीरे से कहती है की वो भी जल्दी ही दादी बनना चाहती. मीना ये बात सुनकर शर्मा जाती है तो वसु भी प्यार से उसका माथा चूम लेती है और फिर दोनों कमरे से बाहर आ जाते है.

फिर वसु भी अपने घर जाने के लिए तैयार हो जाती है और अपने माँ बाप से बात कर के उनका आशीर्वाद लेकर जाने के लिए होती है तो वो देखती है की कविता बहुत दुखी थी जो वो समझ सकती थी. वसु उसको देखती है और कहती है

वसु: माँ जी एक बार कमरे में आना... मुझे आपसे कुछ बात करनी है. कविता को समझ नहीं आता तो वो भी वसु के साथ उसके कमरे में जाती है. दरवाज़ा बंद कर के वसु कविता को अपनी बाहों में लेकर उसकी आँखें में देखते हुए कहती है तुम दुखी क्यों हो??

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कविता: तू तो चली जा रही है ना..और रोज़ रात को खूब मस्ती करोगी मेरे दीपू के साथ. बुरा मत मानना की दीपू को मैंने “मेरे” कहा है. वसु ये बात सुनकर हस देती है लेकिन कुछ नहीं कहती.

वसु: इसमें क्या है... अगले महीने होली है ना तो तुम सब आ जाओ और फिर खूब मजे करेंगे और हाँ जाने से पहले तुम्हारे लिए मेरी तरफ से ये... और ऐसा कहते हुए अपने होंठ उसके होंठों से जोड़ देती है और एक हाथ से उसकी चूची दबाती है तो दुसरे हाथ से उसकी गांड को मसल देती है. कविता हहह करती है तो वसु उसकी जीभ को अपने मुँह में लेकर पूरा रस निचोड़ लेती है और अपना रस भी उसके मुँह में छोड़ देती है और २ मिन बाद अलग होती है.

वसु:अब ठीक. इसको याद करते हुए अपने आप को गरम रखना और उसको आँख मार देती है. अब अपने आंसूं पोछ लो और चलो बाहर .

कविता: सुन मैं देखना चाहती हूँ की जल्दी से तेरी गोद में एक नन्हा मुन्हा आ जाए. वसु ये बात सुनकर थोड़ा शर्मा जाती है लेकिन कहती है की उसका तो पता नहीं लेकिन मैं ये भी चाहती हूँ की तुम जल्दी ही नानी बन जाओ. ठीक है और दोनों फिर हस्ते हुए बाहर आ जाते है.

वसु फिर अपने घर निकल जाती है और दोनों मीना और कविता के मन में ढेर साड़ी बातें छोड़ के जाती है की आगे क्या और कैसे होने वाला है.

२- ३ घंटे बाद वसु अपने घर पहुँच जाती है. उस वक़्त दोपहर हो गया था. घर में दिव्या और निशा थे. दीपू अपने काम के लिए निकल गया था. वसु को वापस देख कर दोनों बहुत खुश हो जाते है.

निशा: क्यों माँ.. नानी के घर गयी थी लेकिन एक बार भी फ़ोन नहीं किया.

वसु: बेटा थोड़ा काम था तो मुझे समय नहीं मिला तो तुझे फ़ोन नहीं कर पायी. दिव्या: वैसे दीदी वहां क्यों गयी थी और क्या काम आ गया था?

निशा: क्या काम था? वसु को लगता है की वहां की बात अभी निशा को बताना सही है है तो वो कुछ बहाना बना कर उस बात को फिलहाल निशा से टाल देती है और फिर अपने कमरे में जाकर आराम करने लगती है.

वसु बिस्तर पे लेटी रहती है तो फिर वहां दिव्या भी आ जाती है और उसके बगल में सो जाती है. वसु दिव्या को देख कर तूने तो ये २ दिन बहुत मजे किये होंगे ना.

दिव्या:क्या दीदी तुम भी.. २ दिन से उसने ठीक से सोने भी नहीं दिया. खूब पेला मुझे. मैं थोड़ा मना करती भी रही लेकिन जनाब कहाँ सुनने वाला था. कल दोपहर को ऑफिस से जल्दी आ गया था तो दोपहर में ही १ घंटे खूब चोदा और फिर रात को तो तुम्हे भी पता चल गया ना. फ़ोन पे तुमसे बात कर रहा था और मेरी ले रहा था.

वसु: लेकिन तुझे मजा भी तो बहुत आया होगा ना.

दिव्या: हां दीदी दर्द के साथ बहुत मजा भी आया और उसी को याद करते हुए देखो ना.. और ऐसा कहते हुए वो वसु का हाथ अपने चूची पे रख कर देखो कैसे मेरे निप्पल भी तन गए है और मेरी पैंटी भी पूरी गीली हो गयी है. वसु भी दिव्या की तरफ देखती है तो उसकी आँखों में भी बहुत वासना नज़र आया तो वो झुक कर दिव्या के होंठ चूम लेती है जिसमें दिव्या भी उसका पूरा साथ देती है.

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दोनों एक दुसरे के होंठ चूसते हुए अपने हाथ को भी काम में लाते है और फिर दोनों ही जल्दी ही नंगी हो कर एक दुसरे को मजा देते है. दोनों से रहा नहीं जाता तो दोनों ही जल्दी से 69 पोजीशन में आकर दोनों एक दुसरे की चूत चाटते हुए दोनों एक दुसरे को थोड़ा शांत करते है और दोनों जल्दी ही झड जाते है.

दिव्या: अच्छा किया जो तुमने मेरा अभी पानी निकल दिया. आज रात को तो मैं जल्दी ही सो जाऊँगी. तुम ही अपने पति को संभाल लेना आज और हस देती है और फिर थोड़ी देर बाद दोनों ऐसी ही घर की बातें करते है.

वसु: अच्छा सुन तुझे एक बात बतानी है.

दिव्या: बोलो ना दीदी क्या बात है.

वसु: बात ये है की शायद तेरी एक और सौतन आने वाली है.

दिव्या ये बात सुनकर एकदम चक्र जाती है और पूछती है की कौन?

वसु: मैं अभी तो बता नहीं सकती लेकिन कुछ दिनों में तुझे ही पता चल जाएगा. अगले महीने होली है तो मैंने उन सब को यहां आने को कहा है तो शायद वो लोग यहां आएंगे.

दिव्या: फिर भी बताओ ना..

वसु: अरे थोड़ा सबर रख. जैसे मैंने कहा तुझे ही पता चल जाएगा. अब और ज़्यादा बात नहीं. दोनों थक गए है तो आराम करते है.. वैसे भी रात को आज सोने में समय लग जाएगा. वसु उसे आँख मार देती है और फिर दोनों सो जाते है.

वहीँ दीपू और दिनेश अपने काम में थोड़ा बिजी रहते है और अपने दूकान में क्या कमी है और क्या चाहिए और अपने बिज़नेस को कैसे आगे बढ़ाना है यही सब सोचते हुए काम करते है और ऋतू से भी इस बारे में बात करते है.

दीपू आज थोड़ा जल्दी घर जाना चाहता था क्यूंकि वसु जो घर आ गयी थी. दीपू: यार दिनेश आज मैं थोड़ा जल्दी घर जा रहा हूँ... माँ आ गयी है नानी के घर से. दिनेश उसकी टांग खींचते हुए.. बोल ना बीवी घर आ गयी है तो जाना है और हस देता है. दीपू: दीपू भी उसी लय में जवाब देते हुए..साले जब तेरी शादी तो तू तो अपना बिज़नेस भी भूल जाएगा और बीवी के साथ ही चिपका रहेगा.. और वो भी हस देता है. दोनों ही ऐसी मजाक बातें करते रहते है और फिर दीपू भी आज जल्दी घर निकल जाता है.

दीपू जब घर आता है तो तब तक वसु भी उठ जाती है लेकिन दीपू वसु को देख कर एक मस्त सीटी मारता है क्यूंकि वो इतनी सेक्सी लग रही थी की उसको देख सीटी मारे बिना नहीं रह सका.

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होठों पे लाल लिपस्टिक, एकदम टाइट ब्लाउज जिसमें से उसकी चूचियां बाहर आने को तड़प रही हो. साडी इतना नीचे बाँधा की उसकी गोल और गहरी नाभि भी नज़र आ रही थी और उसे देख कर कहता है की रात तक रहना मुश्किल है और वो देखता है की फिलहाल वहां पर कोई नहीं है तो जाकर वसु को अपनी बाहों में लेकर एक ज़बरदस्त किस उसके होंठों पे करता है जिसमें वसु भी उसका साथ देती है. २ min बाद दोनों अलग होते है तो वसु कहती है.. क्या कर रहा है.. दिव्या और निशा भी घर में ही है. इतने में निशा भी आ जाती है और कहती है क्या चल रहा है..

दीपू: तू देख नहीं रही है... मैं अपनी बीवी के साथ हूँ. जब तेरी शादी होगी ना तो तू दिनेश को शायद ऑफिस भी नहीं आने देगी.. रोज़ उसे अपने बाहों में छुपा रखेगी और हस देता है तो निशा भी ये बात सुनकर शर्मा जाती है. वसु भी इस बात पे हस देती है और दीपू को अलग कर देती है.

फिर सब मिलकर चाय पीते है तो दीपू वसु से पूछता है की वो नानी के घर क्यों गया था.

निशा: मैंने भी माँ से पुछा था तो कुछ नहीं बताया.

वसु: अरे ऐसे ही कुछ छोटा मोटा काम था तो बुलाया था मुझे. इस बात पे और ज़्यादा बात नहीं होता और फिर पूरा शाम और रात ऐसे ही गुज़र जाता है.

रात को खाना खाने के बाद वसु और दिव्या किचन और घर साफ़ कर के कमरे में आते है तो दीपू उनका ही इंतज़ार कर रहा था. दिव्या दीपू को देख कर कहती है की आज उसे परेशान ना करे और २ दिन से उसका मूसल वो झेल रही है और बहुत थक भी गयी है. दीपू हस देता है और कहता है की थका देता है लेकिन मजे भी तो देता है ना. दिव्या भी हाँ कहती है लेकिन आज उसे बक्शने को कहती है.

इतने में वसु भी अपनी गांड मटकाते हुए बिस्तर पे दीपू के पास आती है और कहती है की आज दिव्या को सो जाने दो. दीपू उसे बाहों में भर लेता है और कहता है की शाम से तुमने मेरा लंड खड़ा कर के रखा है. आज तो तुम्हारी पूरी कसरत निकाल दूंगा. क्यों क्या कहती हो?

वसु: ठीक है और फिर दिव्या को देख कर उसे भी दीपू के पास बुलाती है तो दिव्या भी दीपू से सात के सो जाती है. वसु दोनों से: सुनो मुझे तुम दोनों से कुछ बात करनी है जो मैं निशा के सामने नहीं करना चाहती थी. वसु की सीरियस tone सुन कर दोनों उसकी तरफ देखते है की शायद मामला कुछ गड़बड़ है.

दीपू: क्या हुआ?

वसु: यही की मैं वहाँ क्यों गयी थी बताना चाहती हूँ और उससे ज़्यादा की उसने वहां क्या कहा है...

वसु फिर दोनों को वहाँ जाने की बात बताती है और कैसे मीना को लोगों ने insult किया है बाँझ बोल कर और वो कितना दुखी है.

दीपू: हम्म्म... बात तो सही है. उसके साथ अच्छा नहीं हुआ है.

वसु: मैंने उन्हें इस बात को सुलझाने के लिए उपाय भी बताया है.

दिव्या: क्या उपाय?

वसु दीपू की तरफ देखती है और उसके लंड को पकड़ कर.. इस मूसल को काम पे लगा और बताना की ये क्या क्या कर सकता है. दीपू को थोड़ा एहसास होता है की वसु क्या कहना चा रही है लेकिन फिर भी पूछता है की उसे क्या करना है.

वसु: अरे मेरे बुद्धू पतिदेव तुझे ही मीना को वो सुख देना है जो मनोज नहीं दे पा रहा है और तुझे ही उसे माँ बनाना है.

वसु की ये बात सुनकर दोनों चकरा जाते है ख़ास कर के दिव्या जो अपने मुँह पे हाथ रख कर कहती है... क्या कह रही हो दीदी? ये कैसे हो सकता है? मनोज कैसे मानेगा?

वसु: ये वैसे ही हो सकता है जैसे की उसने हम दोनों से शादी कर के अपनी बीवियां बनाया है. रिश्ते में तो हम इसके माँ और मौसी है लेकिन अब इसकी पत्नियां है.

दीपू हस देता है और कहता है की मनोज कैसे मानेगा?

वसु: मैंने दोनों से बात की है और फिर आज सुबह यहां आने से पहले मीना ने बताया की उन दोनों ने इस बात पे बात की है और वो भी तैयार है और उसे आँख मार देती है.

वसु: एक और बात.. मैंने मीना से कह दिया है की पहल उसको ही करना है और वो ही तुझे रिझाये. ऐसा मर करना की मैंने तुम्हे ये बात बतायी है तो उसे देखते ही उस पर छड़ जाओ. वो फिर वासना का खेल जो जाएगा जो मैं नहीं चाहती. ठीक है?

दीपू: हम्म्म... बात तो तुम्हारी सही है.

वसु: वैसे भी मैंने तुझे बताया था ना की जब तू छोटा था तो बाबा ने क्या कहा था? तू बहुत बच्चों का बाप बनने वाला है और तेरी और भी बीवियां होगी. शायद उनकी बात सच हो रही है. वो लोग अगले महीने होली पे शायद यहां आएंगे. देखते है फिर क्या होता है.

दिव्या दीपू के छाती पे एक मुक्का मार कर.. तेरे तो मजे ही मजे है. वैसे तू मुझे कब माँ बना रहा है?

दीपू: तुम कहो तो आज ही करता हूँ. तुम ही कहती हो की थक जाती हो तो मैं क्या करून और दिव्या के होंठ चूम लेता है. दीपू दोनों को देख कर.. जल्दी ही मुझे बाप बनना है. तुम लोगों को माँ नहीं बनना है क्या?

दोनों वसु और दिव्या एक साथ: हाँ.

वसु: मैं चाहती हूँ की पहले दिव्या पेट से हो जाए. क्यूंकि अगर दोनों एक साथ हो गए तो फिर तेरे इस मूसल को कौन संभालेगा? दोनों पेट से एक साथ हो गए तो तुझे काफी दिन सूखा रहना पड़ेगा.

दीपू: दोनों की तरफ देख कर.. अगर चूत नहीं है तो क्या हुआ? दोनों की गांड तो मैं मार ही सकता हूँ ना. दोनों ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाते है.

वसु: वैसे दिव्या के साथ मीना भी पेट से हो जायेगी तो उसे भी अच्छा लगेगा.

दिव्या: उसको फिर से प्यार से मारते हुए.. तू बहुत बिगड़ रहा है. दीपू दिव्या का हाथ पकड़ कर अपने लंड पे रखते हुए.. अगर ये बिगड़ गया है तो इसे संभालना तुम्हारा ही काम है ना...

दिव्या: आज तो दीदी ही इसे संभालेगी. मैं तो सो रही हूँ और वो हट कर बगल में सोने की कोशिश करती है. दीपू वसु को अपनी गोद में बिठा लेता है और कहता है दिव्या से पहले तुझे कर दूँ तो... और ऐसा कहते हुए दीपू वसु के होंठ चूमता है तो वसु भी उसका साथ देती है.

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५ मं तक दोनों एक दुसरे का रस निचोड़ कर आदान प्रदान करते है. जब दोनों अलग होते है तो गहरी सांसें लेने लगते है.

दीपू वसु की आँखों में देख कर: मुझे तुम्हारे दूध पीना है.

वसु: फिलहाल तो इसमें दूध नहीं आता लेकिन ये लो और अपना ब्लाउज निकल कर अपना एक चूची उसके मुँह में दे देती है जिसे दीपू बड़े चाव से पीना लगता है.

दीपू एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसते रहता है तो दुसरे हाथ से दुसरे चूची को ज़ोर से दबाता है. वसु को भी बहुत मजा आ रहा था और आंहें भरते हुए ही अपना पानी छोड़ देती है और पहली बार झड जाती है. और फिर थोड़ी देर बाद दीपू वसु को पूरा नंगा कर के बिस्तर पे लिटा था है और फिर उसकी कमर नाभि जांघ को चूमते हुए एकदम गीली और रसीली चूत पे आता है जो पहले से ही पानी बहा रही थी.

दीपू: आज तो पूरा पानी पी जाऊँगा...

वसु: पी जाओ ना... तुम्हारे लिए ही तो ये पानी बह रहा है. और फिर दीपू भी बड़ी शिददत से वसु की चूत चाटता है ऊपर से नीचे तक और जब वो अपनी जीब उसकी गांड की छेद पे लाता है तो वसु को एकदम से झुरझुरी होती है और अपना हाथ वसु के सर के ऊपर रख कर उसे अपनी चूत पे पूरा दबा देती है. दीपू भी मस्त हो कर उसकी चूत को चूसते रहता है और एक हाथ से उसकी चूची को भी दबाते रहता है.

५- ७ min तक दीपू वसु को बहुत मजा देता है जिसमें वसु पता नहीं कितना पानी निकालती है जिसे दीपू पूरा पी जाता है. दीपू: चलो अब अपने मूसल को तैयार करो ताकि अभी तुम्हारी सेवा कर सके और जैसा तुमने कहा था आगे जा कर मीना की भी सेवा करने वाला है और आँख मार देता है.

वसु भी फिर बड़ी शिददत से दीपू का पूरा लंड एक बार में ही पूरा जड़ तक ले लेती है और दीपू तो मानो जन्नत में पहुँच गया था. वसु भी लंड को मस्त चूसती है और अपने थूक से उसे पूरा गीला कर देती है जो एक सांप की तरह पूरा खडा हो गया था और पूरे जोश में दिख रहा था. ऐसा सांप जिसे अब बिल में घुसने के सिवा और कोई चारा नहीं था. वसु दीपू के खड़े लंड को देख कर वो भी थोड़ा दर जाती है की इतना बड़ा और खतरनाक लग रहा है.

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दीपू फिर बिस्तर पे लेटते हुए ही वसु को अपने लंड पे बिठा लेता है और एक फक की आवाज़ से उसका लंड पूरा एक ही बार में चूत की जड़ तक घुसा देता है. वसु भी आह्ह आह्ह करते हुए लंड पे बैठ जाती है और फिर ऊपर नीचे होने लगती है और दीपू भी उसकी मस्त और तानी हुई चूचियां को पकड़ कर दबाते हुए उसे चोदते रहता है. वसु को भी इसमें बहुत मजा आ रहा था और वो भी ज़ोर ज़ोर से आंहें भर्ती रहती है.

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काफी देर तक उसे ऐसे चोदने के बाद उसे घोड़ी बना देता है और पूरा लंड फिर से एक बार में ही पूरा घुसा देता है. वसु की तो जैसे जान ही निकल गयी थी.

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दीपू झुक कर उसकी चुकी दबाते हुए चोदने लगता है. इस चुदाई में अब बिस्तर पे भी हलचल होती है जिससे दिव्या की नींद टूट जाती है और वो पलट कर दोनों को देखती है तो वो भी उत्तेजित हो जाती है.

दिव्या दीपू से: क्यों रे अब तक लगे हो.. तकरीबन एक घंटा हो गया है और तू तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है.

वसु को देखते हुए... दीदी बताया था ना आज तुम्हारी हड्डी पसली एक कर देगा. वसु भी अब पूरे पसीने में थी और दिव्या को देख कर कहती है.. चुप कर.. ये एक घंटे से लगा हुआ है और तुझे मजा आ रहा है. चल इधर एक बार मेरे पास आ.. दिव्या उठ कर वसु के पास जाती है तो वसु उसको पकड़ कर उसके होंठ चूमती है और उसकी जीभ को लेकर अपने मुँह में ले लेती है. अब दिव्या भी गरम हो रही थी और वो भी वसु का साथ देती है. दीपू उन दोनों को देख कर और बावला हो जाता है और तेज़ तेज़ वसु को चोदने लगता है. वसु की तो अब जैसे जान ही निकल रही थी.

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वसु भी थक जाती है तो इस बार दीपू दिव्या को अपने नीचे लेता है और अब वो उसे चोदने लग जाता है. वसु बेचारी बगल में लेट कर अपनी सांसें संभालने में लगी रहती है. १० मं तक दिव्या को मस्त चोदने में ना जाने कितनी बार दिव्या भी झड जाती है और फिर दीपू भी नज़दीक आ जाता है और कहता है की उसका भी होने वाला है. दिव्या: हमें आज तुम्हारा रस पीना है. कुछ दिन और ठहर जाओ... हम दोनों के अंदर डालने के लिए. फिर दोनों वसु और दिव्या दीपू का लंड मुँह में लेकर चूसते है और देखते ही देखते दीपू भी अपना पानी निकाल लेता है और दोनों के मुँह में भर देता है जिसे वो बड़ी चाव से पी लेते है. कुछ बूंदे उनकी चूचियों भी गिर जाता है तो दोनों एक दुसरे की चुकी को चूसते हुए वो भी निगल लेते है और फिर तीनो थक हार के बिस्तर पे लुढ़क जाते है.

उनको पता नहीं होता लेकिन निशा भी बाहर दरवाज़े पे खड़ी हो कर उनकी आवाज़ें सुनती है और अपनी चूत मसलते हुए सोचती है... जल्दी ही मेरी शादी भी हो जाए और दिनेश भी मुझे ऐसे ही चोदे....

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वहीँ दूसरी तरफ मीना सोते हुए सोचती है की जब वो वहां जायेगी तो सब कैसे होगा... और कविता भी वसु के साथ बिताये पल को याद करते हुए अपनी चूत मसलती है और सोचती है जब वो वहां जायेगी तो दीपू, वसु और दिव्या से कैसे नज़रें मिलाएगी और क्या होगा....
Super hot update and nice story
 
19th Update:

वसु: चलो मैं निकलती हूँ और अपनी nighty पेहेन के अपनी गांड मटकाते हुए और अपने चेहरे पे एक हसी के साथ अपने कमरे में चली जाती है मन में ये सोच के की जिस काम के लिए वो यहाँ आयी थी... वो काम हो गया है……

अब आगे..

अगली सुबह सब लोग फ्रेश हो कर अपना काम करते रहते है. मनोज ऑफिस चले जाता है लेकिन जाने से पहले वो वसु को कहता है की एक बार मीना से मिल ले. वसु भी मनोज से कहती है की वो ऑफिस से आने से पहले ही वो अपने घर चले जायेगी और सब का ख्याल रखना और उसे ये भी कहती है की अगले महीने होली है तो वो होली मनाने उसके घर आये.

मनोज: अभी मैं कह नहीं सकता. छूट मिलेगी तो ज़रूर आऊंगा.

वसु: देख लो... अगर तुम सब आओगे तो अच्छा लगेगा. वैसे भी शादी के बाद पहली होली रहेगी.

मनोज: ठीक है दीदी, मैं कोशिश करता हूँ..

वसु फिर सुबह नाश्ता करने के बाद अपने घर निकलने के लिए तैयार हो जाती है. और जैसे मनोज ने कहा था वो जाने से पहले मीना से मिलती है जो किचन में काम कर रही थी. मीना वसु को देख कर... दीदी आप एक बार मेरे कमरे में आना तो वसु भी मीना के साथ उसके कमरे में चली जाती है.

कमरे में पहुंच कर मीना बिस्तर पे बैठ जाती है और वसु भी उसके साथ बिस्तर पे बैठ जाती है और मीना की तरफ देखती है तो वो थोड़ा शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं कहती. वसु उससे पूछती है की उसने उसे वहां क्यों बुलाया है (वसु जानती थी की मीना ने उसे वहां क्यों बुलाया था) मीना थोड़ा हिचखिचाती है और धीरे से कहती है की कल रात हम दोनों ने बात की है और वो मान गए है. वसु भी समझ जाती है की ये थोड़ा नाज़ुक मामला है तो वो भी हाँ में सर हिला देती है लेकिन कहती है…

वसु: देखो मुझे पता है ये तुम दोनों के लिए पहले थोड़ा कठिन होगा लेकिन ऊपर वाले पे भरोसा रखो. सब ठीक हो जाएगा. मैं एक और बात कहना चाहती हूँ.

मीना क्या?

वसु: यही की कोशिश तुम्हे ही करनी है.

मीना मतलब?

वसु: मतलब ये की जब तुम वहां आओगी तो तुम्हे ही दीपू को अपनी अदाओं से रिझाना होगा और उसे अपने थोड़े करीब लाना होगा. ऐसा मत करना की आते ही तुम सीधा दीपू के ऊपर चढ़ जाओ. उसे बहुत झटका लगेगा और समझ में भी नहीं आएगा... क्यूंकि तुम उसकी मामी हो. जैसे तुम राज़ी हुई वैसे ही तुम उसे राज़ी करो और फिर तुम्हे भी वो ख़ुशी मिलेगी जो शायद मनोज ने ना दिया हो.

मीना मैं तो राज़ी हो गयी हूँ बूत माँ को कैसे समझाऊँ?

वसु: उनको समझाने की ज़रुरत नहीं है. मैंने कल उनसे बात कर ली है और वो भी बात मान गयी है मेरे समझाने से. तुम उनकी चिंता मत करो.

वसु फिर मीना को अपनी बाहों में लेकर उसके कान में धीरे से कहती है की वो भी जल्दी ही दादी बनना चाहती. मीना ये बात सुनकर शर्मा जाती है तो वसु भी प्यार से उसका माथा चूम लेती है और फिर दोनों कमरे से बाहर आ जाते है.

फिर वसु भी अपने घर जाने के लिए तैयार हो जाती है और अपने माँ बाप से बात कर के उनका आशीर्वाद लेकर जाने के लिए होती है तो वो देखती है की कविता बहुत दुखी थी जो वो समझ सकती थी. वसु उसको देखती है और कहती है

वसु: माँ जी एक बार कमरे में आना... मुझे आपसे कुछ बात करनी है. कविता को समझ नहीं आता तो वो भी वसु के साथ उसके कमरे में जाती है. दरवाज़ा बंद कर के वसु कविता को अपनी बाहों में लेकर उसकी आँखें में देखते हुए कहती है तुम दुखी क्यों हो??

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कविता: तू तो चली जा रही है ना..और रोज़ रात को खूब मस्ती करोगी मेरे दीपू के साथ. बुरा मत मानना की दीपू को मैंने “मेरे” कहा है. वसु ये बात सुनकर हस देती है लेकिन कुछ नहीं कहती.

वसु: इसमें क्या है... अगले महीने होली है ना तो तुम सब आ जाओ और फिर खूब मजे करेंगे और हाँ जाने से पहले तुम्हारे लिए मेरी तरफ से ये... और ऐसा कहते हुए अपने होंठ उसके होंठों से जोड़ देती है और एक हाथ से उसकी चूची दबाती है तो दुसरे हाथ से उसकी गांड को मसल देती है. कविता हहह करती है तो वसु उसकी जीभ को अपने मुँह में लेकर पूरा रस निचोड़ लेती है और अपना रस भी उसके मुँह में छोड़ देती है और २ मिन बाद अलग होती है.

वसु:अब ठीक. इसको याद करते हुए अपने आप को गरम रखना और उसको आँख मार देती है. अब अपने आंसूं पोछ लो और चलो बाहर .

कविता: सुन मैं देखना चाहती हूँ की जल्दी से तेरी गोद में एक नन्हा मुन्हा आ जाए. वसु ये बात सुनकर थोड़ा शर्मा जाती है लेकिन कहती है की उसका तो पता नहीं लेकिन मैं ये भी चाहती हूँ की तुम जल्दी ही नानी बन जाओ. ठीक है और दोनों फिर हस्ते हुए बाहर आ जाते है.

वसु फिर अपने घर निकल जाती है और दोनों मीना और कविता के मन में ढेर साड़ी बातें छोड़ के जाती है की आगे क्या और कैसे होने वाला है.

२- ३ घंटे बाद वसु अपने घर पहुँच जाती है. उस वक़्त दोपहर हो गया था. घर में दिव्या और निशा थे. दीपू अपने काम के लिए निकल गया था. वसु को वापस देख कर दोनों बहुत खुश हो जाते है.

निशा: क्यों माँ.. नानी के घर गयी थी लेकिन एक बार भी फ़ोन नहीं किया.

वसु: बेटा थोड़ा काम था तो मुझे समय नहीं मिला तो तुझे फ़ोन नहीं कर पायी. दिव्या: वैसे दीदी वहां क्यों गयी थी और क्या काम आ गया था?

निशा: क्या काम था? वसु को लगता है की वहां की बात अभी निशा को बताना सही है है तो वो कुछ बहाना बना कर उस बात को फिलहाल निशा से टाल देती है और फिर अपने कमरे में जाकर आराम करने लगती है.

वसु बिस्तर पे लेटी रहती है तो फिर वहां दिव्या भी आ जाती है और उसके बगल में सो जाती है. वसु दिव्या को देख कर तूने तो ये २ दिन बहुत मजे किये होंगे ना.

दिव्या:क्या दीदी तुम भी.. २ दिन से उसने ठीक से सोने भी नहीं दिया. खूब पेला मुझे. मैं थोड़ा मना करती भी रही लेकिन जनाब कहाँ सुनने वाला था. कल दोपहर को ऑफिस से जल्दी आ गया था तो दोपहर में ही १ घंटे खूब चोदा और फिर रात को तो तुम्हे भी पता चल गया ना. फ़ोन पे तुमसे बात कर रहा था और मेरी ले रहा था.

वसु: लेकिन तुझे मजा भी तो बहुत आया होगा ना.

दिव्या: हां दीदी दर्द के साथ बहुत मजा भी आया और उसी को याद करते हुए देखो ना.. और ऐसा कहते हुए वो वसु का हाथ अपने चूची पे रख कर देखो कैसे मेरे निप्पल भी तन गए है और मेरी पैंटी भी पूरी गीली हो गयी है. वसु भी दिव्या की तरफ देखती है तो उसकी आँखों में भी बहुत वासना नज़र आया तो वो झुक कर दिव्या के होंठ चूम लेती है जिसमें दिव्या भी उसका पूरा साथ देती है.

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दोनों एक दुसरे के होंठ चूसते हुए अपने हाथ को भी काम में लाते है और फिर दोनों ही जल्दी ही नंगी हो कर एक दुसरे को मजा देते है. दोनों से रहा नहीं जाता तो दोनों ही जल्दी से 69 पोजीशन में आकर दोनों एक दुसरे की चूत चाटते हुए दोनों एक दुसरे को थोड़ा शांत करते है और दोनों जल्दी ही झड जाते है.

दिव्या: अच्छा किया जो तुमने मेरा अभी पानी निकल दिया. आज रात को तो मैं जल्दी ही सो जाऊँगी. तुम ही अपने पति को संभाल लेना आज और हस देती है और फिर थोड़ी देर बाद दोनों ऐसी ही घर की बातें करते है.

वसु: अच्छा सुन तुझे एक बात बतानी है.

दिव्या: बोलो ना दीदी क्या बात है.

वसु: बात ये है की शायद तेरी एक और सौतन आने वाली है.

दिव्या ये बात सुनकर एकदम चक्र जाती है और पूछती है की कौन?

वसु: मैं अभी तो बता नहीं सकती लेकिन कुछ दिनों में तुझे ही पता चल जाएगा. अगले महीने होली है तो मैंने उन सब को यहां आने को कहा है तो शायद वो लोग यहां आएंगे.

दिव्या: फिर भी बताओ ना..

वसु: अरे थोड़ा सबर रख. जैसे मैंने कहा तुझे ही पता चल जाएगा. अब और ज़्यादा बात नहीं. दोनों थक गए है तो आराम करते है.. वैसे भी रात को आज सोने में समय लग जाएगा. वसु उसे आँख मार देती है और फिर दोनों सो जाते है.

वहीँ दीपू और दिनेश अपने काम में थोड़ा बिजी रहते है और अपने दूकान में क्या कमी है और क्या चाहिए और अपने बिज़नेस को कैसे आगे बढ़ाना है यही सब सोचते हुए काम करते है और ऋतू से भी इस बारे में बात करते है.

दीपू आज थोड़ा जल्दी घर जाना चाहता था क्यूंकि वसु जो घर आ गयी थी. दीपू: यार दिनेश आज मैं थोड़ा जल्दी घर जा रहा हूँ... माँ आ गयी है नानी के घर से. दिनेश उसकी टांग खींचते हुए.. बोल ना बीवी घर आ गयी है तो जाना है और हस देता है. दीपू: दीपू भी उसी लय में जवाब देते हुए..साले जब तेरी शादी तो तू तो अपना बिज़नेस भी भूल जाएगा और बीवी के साथ ही चिपका रहेगा.. और वो भी हस देता है. दोनों ही ऐसी मजाक बातें करते रहते है और फिर दीपू भी आज जल्दी घर निकल जाता है.

दीपू जब घर आता है तो तब तक वसु भी उठ जाती है लेकिन दीपू वसु को देख कर एक मस्त सीटी मारता है क्यूंकि वो इतनी सेक्सी लग रही थी की उसको देख सीटी मारे बिना नहीं रह सका.

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होठों पे लाल लिपस्टिक, एकदम टाइट ब्लाउज जिसमें से उसकी चूचियां बाहर आने को तड़प रही हो. साडी इतना नीचे बाँधा की उसकी गोल और गहरी नाभि भी नज़र आ रही थी और उसे देख कर कहता है की रात तक रहना मुश्किल है और वो देखता है की फिलहाल वहां पर कोई नहीं है तो जाकर वसु को अपनी बाहों में लेकर एक ज़बरदस्त किस उसके होंठों पे करता है जिसमें वसु भी उसका साथ देती है. २ min बाद दोनों अलग होते है तो वसु कहती है.. क्या कर रहा है.. दिव्या और निशा भी घर में ही है. इतने में निशा भी आ जाती है और कहती है क्या चल रहा है..

दीपू: तू देख नहीं रही है... मैं अपनी बीवी के साथ हूँ. जब तेरी शादी होगी ना तो तू दिनेश को शायद ऑफिस भी नहीं आने देगी.. रोज़ उसे अपने बाहों में छुपा रखेगी और हस देता है तो निशा भी ये बात सुनकर शर्मा जाती है. वसु भी इस बात पे हस देती है और दीपू को अलग कर देती है.

फिर सब मिलकर चाय पीते है तो दीपू वसु से पूछता है की वो नानी के घर क्यों गया था.

निशा: मैंने भी माँ से पुछा था तो कुछ नहीं बताया.

वसु: अरे ऐसे ही कुछ छोटा मोटा काम था तो बुलाया था मुझे. इस बात पे और ज़्यादा बात नहीं होता और फिर पूरा शाम और रात ऐसे ही गुज़र जाता है.

रात को खाना खाने के बाद वसु और दिव्या किचन और घर साफ़ कर के कमरे में आते है तो दीपू उनका ही इंतज़ार कर रहा था. दिव्या दीपू को देख कर कहती है की आज उसे परेशान ना करे और २ दिन से उसका मूसल वो झेल रही है और बहुत थक भी गयी है. दीपू हस देता है और कहता है की थका देता है लेकिन मजे भी तो देता है ना. दिव्या भी हाँ कहती है लेकिन आज उसे बक्शने को कहती है.

इतने में वसु भी अपनी गांड मटकाते हुए बिस्तर पे दीपू के पास आती है और कहती है की आज दिव्या को सो जाने दो. दीपू उसे बाहों में भर लेता है और कहता है की शाम से तुमने मेरा लंड खड़ा कर के रखा है. आज तो तुम्हारी पूरी कसरत निकाल दूंगा. क्यों क्या कहती हो?

वसु: ठीक है और फिर दिव्या को देख कर उसे भी दीपू के पास बुलाती है तो दिव्या भी दीपू से सात के सो जाती है. वसु दोनों से: सुनो मुझे तुम दोनों से कुछ बात करनी है जो मैं निशा के सामने नहीं करना चाहती थी. वसु की सीरियस tone सुन कर दोनों उसकी तरफ देखते है की शायद मामला कुछ गड़बड़ है.

दीपू: क्या हुआ?

वसु: यही की मैं वहाँ क्यों गयी थी बताना चाहती हूँ और उससे ज़्यादा की उसने वहां क्या कहा है...

वसु फिर दोनों को वहाँ जाने की बात बताती है और कैसे मीना को लोगों ने insult किया है बाँझ बोल कर और वो कितना दुखी है.

दीपू: हम्म्म... बात तो सही है. उसके साथ अच्छा नहीं हुआ है.

वसु: मैंने उन्हें इस बात को सुलझाने के लिए उपाय भी बताया है.

दिव्या: क्या उपाय?

वसु दीपू की तरफ देखती है और उसके लंड को पकड़ कर.. इस मूसल को काम पे लगा और बताना की ये क्या क्या कर सकता है. दीपू को थोड़ा एहसास होता है की वसु क्या कहना चा रही है लेकिन फिर भी पूछता है की उसे क्या करना है.

वसु: अरे मेरे बुद्धू पतिदेव तुझे ही मीना को वो सुख देना है जो मनोज नहीं दे पा रहा है और तुझे ही उसे माँ बनाना है.

वसु की ये बात सुनकर दोनों चकरा जाते है ख़ास कर के दिव्या जो अपने मुँह पे हाथ रख कर कहती है... क्या कह रही हो दीदी? ये कैसे हो सकता है? मनोज कैसे मानेगा?

वसु: ये वैसे ही हो सकता है जैसे की उसने हम दोनों से शादी कर के अपनी बीवियां बनाया है. रिश्ते में तो हम इसके माँ और मौसी है लेकिन अब इसकी पत्नियां है.

दीपू हस देता है और कहता है की मनोज कैसे मानेगा?

वसु: मैंने दोनों से बात की है और फिर आज सुबह यहां आने से पहले मीना ने बताया की उन दोनों ने इस बात पे बात की है और वो भी तैयार है और उसे आँख मार देती है.

वसु: एक और बात.. मैंने मीना से कह दिया है की पहल उसको ही करना है और वो ही तुझे रिझाये. ऐसा मर करना की मैंने तुम्हे ये बात बतायी है तो उसे देखते ही उस पर छड़ जाओ. वो फिर वासना का खेल जो जाएगा जो मैं नहीं चाहती. ठीक है?

दीपू: हम्म्म... बात तो तुम्हारी सही है.

वसु: वैसे भी मैंने तुझे बताया था ना की जब तू छोटा था तो बाबा ने क्या कहा था? तू बहुत बच्चों का बाप बनने वाला है और तेरी और भी बीवियां होगी. शायद उनकी बात सच हो रही है. वो लोग अगले महीने होली पे शायद यहां आएंगे. देखते है फिर क्या होता है.

दिव्या दीपू के छाती पे एक मुक्का मार कर.. तेरे तो मजे ही मजे है. वैसे तू मुझे कब माँ बना रहा है?

दीपू: तुम कहो तो आज ही करता हूँ. तुम ही कहती हो की थक जाती हो तो मैं क्या करून और दिव्या के होंठ चूम लेता है. दीपू दोनों को देख कर.. जल्दी ही मुझे बाप बनना है. तुम लोगों को माँ नहीं बनना है क्या?

दोनों वसु और दिव्या एक साथ: हाँ.

वसु: मैं चाहती हूँ की पहले दिव्या पेट से हो जाए. क्यूंकि अगर दोनों एक साथ हो गए तो फिर तेरे इस मूसल को कौन संभालेगा? दोनों पेट से एक साथ हो गए तो तुझे काफी दिन सूखा रहना पड़ेगा.

दीपू: दोनों की तरफ देख कर.. अगर चूत नहीं है तो क्या हुआ? दोनों की गांड तो मैं मार ही सकता हूँ ना. दोनों ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाते है.

वसु: वैसे दिव्या के साथ मीना भी पेट से हो जायेगी तो उसे भी अच्छा लगेगा.

दिव्या: उसको फिर से प्यार से मारते हुए.. तू बहुत बिगड़ रहा है. दीपू दिव्या का हाथ पकड़ कर अपने लंड पे रखते हुए.. अगर ये बिगड़ गया है तो इसे संभालना तुम्हारा ही काम है ना...

दिव्या: आज तो दीदी ही इसे संभालेगी. मैं तो सो रही हूँ और वो हट कर बगल में सोने की कोशिश करती है. दीपू वसु को अपनी गोद में बिठा लेता है और कहता है दिव्या से पहले तुझे कर दूँ तो... और ऐसा कहते हुए दीपू वसु के होंठ चूमता है तो वसु भी उसका साथ देती है.

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५ मं तक दोनों एक दुसरे का रस निचोड़ कर आदान प्रदान करते है. जब दोनों अलग होते है तो गहरी सांसें लेने लगते है.

दीपू वसु की आँखों में देख कर: मुझे तुम्हारे दूध पीना है.

वसु: फिलहाल तो इसमें दूध नहीं आता लेकिन ये लो और अपना ब्लाउज निकल कर अपना एक चूची उसके मुँह में दे देती है जिसे दीपू बड़े चाव से पीना लगता है.

दीपू एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसते रहता है तो दुसरे हाथ से दुसरे चूची को ज़ोर से दबाता है. वसु को भी बहुत मजा आ रहा था और आंहें भरते हुए ही अपना पानी छोड़ देती है और पहली बार झड जाती है. और फिर थोड़ी देर बाद दीपू वसु को पूरा नंगा कर के बिस्तर पे लिटा था है और फिर उसकी कमर नाभि जांघ को चूमते हुए एकदम गीली और रसीली चूत पे आता है जो पहले से ही पानी बहा रही थी.

दीपू: आज तो पूरा पानी पी जाऊँगा...

वसु: पी जाओ ना... तुम्हारे लिए ही तो ये पानी बह रहा है. और फिर दीपू भी बड़ी शिददत से वसु की चूत चाटता है ऊपर से नीचे तक और जब वो अपनी जीब उसकी गांड की छेद पे लाता है तो वसु को एकदम से झुरझुरी होती है और अपना हाथ वसु के सर के ऊपर रख कर उसे अपनी चूत पे पूरा दबा देती है. दीपू भी मस्त हो कर उसकी चूत को चूसते रहता है और एक हाथ से उसकी चूची को भी दबाते रहता है.

५- ७ min तक दीपू वसु को बहुत मजा देता है जिसमें वसु पता नहीं कितना पानी निकालती है जिसे दीपू पूरा पी जाता है. दीपू: चलो अब अपने मूसल को तैयार करो ताकि अभी तुम्हारी सेवा कर सके और जैसा तुमने कहा था आगे जा कर मीना की भी सेवा करने वाला है और आँख मार देता है.

वसु भी फिर बड़ी शिददत से दीपू का पूरा लंड एक बार में ही पूरा जड़ तक ले लेती है और दीपू तो मानो जन्नत में पहुँच गया था. वसु भी लंड को मस्त चूसती है और अपने थूक से उसे पूरा गीला कर देती है जो एक सांप की तरह पूरा खडा हो गया था और पूरे जोश में दिख रहा था. ऐसा सांप जिसे अब बिल में घुसने के सिवा और कोई चारा नहीं था. वसु दीपू के खड़े लंड को देख कर वो भी थोड़ा दर जाती है की इतना बड़ा और खतरनाक लग रहा है.

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दीपू फिर बिस्तर पे लेटते हुए ही वसु को अपने लंड पे बिठा लेता है और एक फक की आवाज़ से उसका लंड पूरा एक ही बार में चूत की जड़ तक घुसा देता है. वसु भी आह्ह आह्ह करते हुए लंड पे बैठ जाती है और फिर ऊपर नीचे होने लगती है और दीपू भी उसकी मस्त और तानी हुई चूचियां को पकड़ कर दबाते हुए उसे चोदते रहता है. वसु को भी इसमें बहुत मजा आ रहा था और वो भी ज़ोर ज़ोर से आंहें भर्ती रहती है.

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काफी देर तक उसे ऐसे चोदने के बाद उसे घोड़ी बना देता है और पूरा लंड फिर से एक बार में ही पूरा घुसा देता है. वसु की तो जैसे जान ही निकल गयी थी.

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दीपू झुक कर उसकी चुकी दबाते हुए चोदने लगता है. इस चुदाई में अब बिस्तर पे भी हलचल होती है जिससे दिव्या की नींद टूट जाती है और वो पलट कर दोनों को देखती है तो वो भी उत्तेजित हो जाती है.

दिव्या दीपू से: क्यों रे अब तक लगे हो.. तकरीबन एक घंटा हो गया है और तू तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है.

वसु को देखते हुए... दीदी बताया था ना आज तुम्हारी हड्डी पसली एक कर देगा. वसु भी अब पूरे पसीने में थी और दिव्या को देख कर कहती है.. चुप कर.. ये एक घंटे से लगा हुआ है और तुझे मजा आ रहा है. चल इधर एक बार मेरे पास आ.. दिव्या उठ कर वसु के पास जाती है तो वसु उसको पकड़ कर उसके होंठ चूमती है और उसकी जीभ को लेकर अपने मुँह में ले लेती है. अब दिव्या भी गरम हो रही थी और वो भी वसु का साथ देती है. दीपू उन दोनों को देख कर और बावला हो जाता है और तेज़ तेज़ वसु को चोदने लगता है. वसु की तो अब जैसे जान ही निकल रही थी.

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वसु भी थक जाती है तो इस बार दीपू दिव्या को अपने नीचे लेता है और अब वो उसे चोदने लग जाता है. वसु बेचारी बगल में लेट कर अपनी सांसें संभालने में लगी रहती है. १० मं तक दिव्या को मस्त चोदने में ना जाने कितनी बार दिव्या भी झड जाती है और फिर दीपू भी नज़दीक आ जाता है और कहता है की उसका भी होने वाला है. दिव्या: हमें आज तुम्हारा रस पीना है. कुछ दिन और ठहर जाओ... हम दोनों के अंदर डालने के लिए. फिर दोनों वसु और दिव्या दीपू का लंड मुँह में लेकर चूसते है और देखते ही देखते दीपू भी अपना पानी निकाल लेता है और दोनों के मुँह में भर देता है जिसे वो बड़ी चाव से पी लेते है. कुछ बूंदे उनकी चूचियों भी गिर जाता है तो दोनों एक दुसरे की चुकी को चूसते हुए वो भी निगल लेते है और फिर तीनो थक हार के बिस्तर पे लुढ़क जाते है.

उनको पता नहीं होता लेकिन निशा भी बाहर दरवाज़े पे खड़ी हो कर उनकी आवाज़ें सुनती है और अपनी चूत मसलते हुए सोचती है... जल्दी ही मेरी शादी भी हो जाए और दिनेश भी मुझे ऐसे ही चोदे....

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वहीँ दूसरी तरफ मीना सोते हुए सोचती है की जब वो वहां जायेगी तो सब कैसे होगा... और कविता भी वसु के साथ बिताये पल को याद करते हुए अपनी चूत मसलती है और सोचती है जब वो वहां जायेगी तो दीपू, वसु और दिव्या से कैसे नज़रें मिलाएगी और क्या होगा....
Damdaar
 

Mass

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Mass bhai next update kab tak aayega?
Thanks man...jaldi hi dene ki koshish karta hoon. Hope aur log vote karenge to thoda clarifty bhi aayega aur accordingly update bhi shayad change ho jaaye. Jaisa tumne dekha hoga, abhi to almost 50-50 hai...for both the options...but update jaldi hi dene ki koshish karta hoon.

parkas
 

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Premkumar65

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19th Update:

वसु: चलो मैं निकलती हूँ और अपनी nighty पेहेन के अपनी गांड मटकाते हुए और अपने चेहरे पे एक हसी के साथ अपने कमरे में चली जाती है मन में ये सोच के की जिस काम के लिए वो यहाँ आयी थी... वो काम हो गया है……

अब आगे..

अगली सुबह सब लोग फ्रेश हो कर अपना काम करते रहते है. मनोज ऑफिस चले जाता है लेकिन जाने से पहले वो वसु को कहता है की एक बार मीना से मिल ले. वसु भी मनोज से कहती है की वो ऑफिस से आने से पहले ही वो अपने घर चले जायेगी और सब का ख्याल रखना और उसे ये भी कहती है की अगले महीने होली है तो वो होली मनाने उसके घर आये.

मनोज: अभी मैं कह नहीं सकता. छूट मिलेगी तो ज़रूर आऊंगा.

वसु: देख लो... अगर तुम सब आओगे तो अच्छा लगेगा. वैसे भी शादी के बाद पहली होली रहेगी.

मनोज: ठीक है दीदी, मैं कोशिश करता हूँ..

वसु फिर सुबह नाश्ता करने के बाद अपने घर निकलने के लिए तैयार हो जाती है. और जैसे मनोज ने कहा था वो जाने से पहले मीना से मिलती है जो किचन में काम कर रही थी. मीना वसु को देख कर... दीदी आप एक बार मेरे कमरे में आना तो वसु भी मीना के साथ उसके कमरे में चली जाती है.

कमरे में पहुंच कर मीना बिस्तर पे बैठ जाती है और वसु भी उसके साथ बिस्तर पे बैठ जाती है और मीना की तरफ देखती है तो वो थोड़ा शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं कहती. वसु उससे पूछती है की उसने उसे वहां क्यों बुलाया है (वसु जानती थी की मीना ने उसे वहां क्यों बुलाया था) मीना थोड़ा हिचखिचाती है और धीरे से कहती है की कल रात हम दोनों ने बात की है और वो मान गए है. वसु भी समझ जाती है की ये थोड़ा नाज़ुक मामला है तो वो भी हाँ में सर हिला देती है लेकिन कहती है…

वसु: देखो मुझे पता है ये तुम दोनों के लिए पहले थोड़ा कठिन होगा लेकिन ऊपर वाले पे भरोसा रखो. सब ठीक हो जाएगा. मैं एक और बात कहना चाहती हूँ.

मीना क्या?

वसु: यही की कोशिश तुम्हे ही करनी है.

मीना मतलब?

वसु: मतलब ये की जब तुम वहां आओगी तो तुम्हे ही दीपू को अपनी अदाओं से रिझाना होगा और उसे अपने थोड़े करीब लाना होगा. ऐसा मत करना की आते ही तुम सीधा दीपू के ऊपर चढ़ जाओ. उसे बहुत झटका लगेगा और समझ में भी नहीं आएगा... क्यूंकि तुम उसकी मामी हो. जैसे तुम राज़ी हुई वैसे ही तुम उसे राज़ी करो और फिर तुम्हे भी वो ख़ुशी मिलेगी जो शायद मनोज ने ना दिया हो.

मीना मैं तो राज़ी हो गयी हूँ बूत माँ को कैसे समझाऊँ?

वसु: उनको समझाने की ज़रुरत नहीं है. मैंने कल उनसे बात कर ली है और वो भी बात मान गयी है मेरे समझाने से. तुम उनकी चिंता मत करो.

वसु फिर मीना को अपनी बाहों में लेकर उसके कान में धीरे से कहती है की वो भी जल्दी ही दादी बनना चाहती. मीना ये बात सुनकर शर्मा जाती है तो वसु भी प्यार से उसका माथा चूम लेती है और फिर दोनों कमरे से बाहर आ जाते है.

फिर वसु भी अपने घर जाने के लिए तैयार हो जाती है और अपने माँ बाप से बात कर के उनका आशीर्वाद लेकर जाने के लिए होती है तो वो देखती है की कविता बहुत दुखी थी जो वो समझ सकती थी. वसु उसको देखती है और कहती है

वसु: माँ जी एक बार कमरे में आना... मुझे आपसे कुछ बात करनी है. कविता को समझ नहीं आता तो वो भी वसु के साथ उसके कमरे में जाती है. दरवाज़ा बंद कर के वसु कविता को अपनी बाहों में लेकर उसकी आँखें में देखते हुए कहती है तुम दुखी क्यों हो??

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कविता: तू तो चली जा रही है ना..और रोज़ रात को खूब मस्ती करोगी मेरे दीपू के साथ. बुरा मत मानना की दीपू को मैंने “मेरे” कहा है. वसु ये बात सुनकर हस देती है लेकिन कुछ नहीं कहती.

वसु: इसमें क्या है... अगले महीने होली है ना तो तुम सब आ जाओ और फिर खूब मजे करेंगे और हाँ जाने से पहले तुम्हारे लिए मेरी तरफ से ये... और ऐसा कहते हुए अपने होंठ उसके होंठों से जोड़ देती है और एक हाथ से उसकी चूची दबाती है तो दुसरे हाथ से उसकी गांड को मसल देती है. कविता हहह करती है तो वसु उसकी जीभ को अपने मुँह में लेकर पूरा रस निचोड़ लेती है और अपना रस भी उसके मुँह में छोड़ देती है और २ मिन बाद अलग होती है.

वसु:अब ठीक. इसको याद करते हुए अपने आप को गरम रखना और उसको आँख मार देती है. अब अपने आंसूं पोछ लो और चलो बाहर .

कविता: सुन मैं देखना चाहती हूँ की जल्दी से तेरी गोद में एक नन्हा मुन्हा आ जाए. वसु ये बात सुनकर थोड़ा शर्मा जाती है लेकिन कहती है की उसका तो पता नहीं लेकिन मैं ये भी चाहती हूँ की तुम जल्दी ही नानी बन जाओ. ठीक है और दोनों फिर हस्ते हुए बाहर आ जाते है.

वसु फिर अपने घर निकल जाती है और दोनों मीना और कविता के मन में ढेर साड़ी बातें छोड़ के जाती है की आगे क्या और कैसे होने वाला है.

२- ३ घंटे बाद वसु अपने घर पहुँच जाती है. उस वक़्त दोपहर हो गया था. घर में दिव्या और निशा थे. दीपू अपने काम के लिए निकल गया था. वसु को वापस देख कर दोनों बहुत खुश हो जाते है.

निशा: क्यों माँ.. नानी के घर गयी थी लेकिन एक बार भी फ़ोन नहीं किया.

वसु: बेटा थोड़ा काम था तो मुझे समय नहीं मिला तो तुझे फ़ोन नहीं कर पायी. दिव्या: वैसे दीदी वहां क्यों गयी थी और क्या काम आ गया था?

निशा: क्या काम था? वसु को लगता है की वहां की बात अभी निशा को बताना सही है है तो वो कुछ बहाना बना कर उस बात को फिलहाल निशा से टाल देती है और फिर अपने कमरे में जाकर आराम करने लगती है.

वसु बिस्तर पे लेटी रहती है तो फिर वहां दिव्या भी आ जाती है और उसके बगल में सो जाती है. वसु दिव्या को देख कर तूने तो ये २ दिन बहुत मजे किये होंगे ना.

दिव्या:क्या दीदी तुम भी.. २ दिन से उसने ठीक से सोने भी नहीं दिया. खूब पेला मुझे. मैं थोड़ा मना करती भी रही लेकिन जनाब कहाँ सुनने वाला था. कल दोपहर को ऑफिस से जल्दी आ गया था तो दोपहर में ही १ घंटे खूब चोदा और फिर रात को तो तुम्हे भी पता चल गया ना. फ़ोन पे तुमसे बात कर रहा था और मेरी ले रहा था.

वसु: लेकिन तुझे मजा भी तो बहुत आया होगा ना.

दिव्या: हां दीदी दर्द के साथ बहुत मजा भी आया और उसी को याद करते हुए देखो ना.. और ऐसा कहते हुए वो वसु का हाथ अपने चूची पे रख कर देखो कैसे मेरे निप्पल भी तन गए है और मेरी पैंटी भी पूरी गीली हो गयी है. वसु भी दिव्या की तरफ देखती है तो उसकी आँखों में भी बहुत वासना नज़र आया तो वो झुक कर दिव्या के होंठ चूम लेती है जिसमें दिव्या भी उसका पूरा साथ देती है.

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दोनों एक दुसरे के होंठ चूसते हुए अपने हाथ को भी काम में लाते है और फिर दोनों ही जल्दी ही नंगी हो कर एक दुसरे को मजा देते है. दोनों से रहा नहीं जाता तो दोनों ही जल्दी से 69 पोजीशन में आकर दोनों एक दुसरे की चूत चाटते हुए दोनों एक दुसरे को थोड़ा शांत करते है और दोनों जल्दी ही झड जाते है.

दिव्या: अच्छा किया जो तुमने मेरा अभी पानी निकल दिया. आज रात को तो मैं जल्दी ही सो जाऊँगी. तुम ही अपने पति को संभाल लेना आज और हस देती है और फिर थोड़ी देर बाद दोनों ऐसी ही घर की बातें करते है.

वसु: अच्छा सुन तुझे एक बात बतानी है.

दिव्या: बोलो ना दीदी क्या बात है.

वसु: बात ये है की शायद तेरी एक और सौतन आने वाली है.

दिव्या ये बात सुनकर एकदम चक्र जाती है और पूछती है की कौन?

वसु: मैं अभी तो बता नहीं सकती लेकिन कुछ दिनों में तुझे ही पता चल जाएगा. अगले महीने होली है तो मैंने उन सब को यहां आने को कहा है तो शायद वो लोग यहां आएंगे.

दिव्या: फिर भी बताओ ना..

वसु: अरे थोड़ा सबर रख. जैसे मैंने कहा तुझे ही पता चल जाएगा. अब और ज़्यादा बात नहीं. दोनों थक गए है तो आराम करते है.. वैसे भी रात को आज सोने में समय लग जाएगा. वसु उसे आँख मार देती है और फिर दोनों सो जाते है.

वहीँ दीपू और दिनेश अपने काम में थोड़ा बिजी रहते है और अपने दूकान में क्या कमी है और क्या चाहिए और अपने बिज़नेस को कैसे आगे बढ़ाना है यही सब सोचते हुए काम करते है और ऋतू से भी इस बारे में बात करते है.

दीपू आज थोड़ा जल्दी घर जाना चाहता था क्यूंकि वसु जो घर आ गयी थी. दीपू: यार दिनेश आज मैं थोड़ा जल्दी घर जा रहा हूँ... माँ आ गयी है नानी के घर से. दिनेश उसकी टांग खींचते हुए.. बोल ना बीवी घर आ गयी है तो जाना है और हस देता है. दीपू: दीपू भी उसी लय में जवाब देते हुए..साले जब तेरी शादी तो तू तो अपना बिज़नेस भी भूल जाएगा और बीवी के साथ ही चिपका रहेगा.. और वो भी हस देता है. दोनों ही ऐसी मजाक बातें करते रहते है और फिर दीपू भी आज जल्दी घर निकल जाता है.

दीपू जब घर आता है तो तब तक वसु भी उठ जाती है लेकिन दीपू वसु को देख कर एक मस्त सीटी मारता है क्यूंकि वो इतनी सेक्सी लग रही थी की उसको देख सीटी मारे बिना नहीं रह सका.

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होठों पे लाल लिपस्टिक, एकदम टाइट ब्लाउज जिसमें से उसकी चूचियां बाहर आने को तड़प रही हो. साडी इतना नीचे बाँधा की उसकी गोल और गहरी नाभि भी नज़र आ रही थी और उसे देख कर कहता है की रात तक रहना मुश्किल है और वो देखता है की फिलहाल वहां पर कोई नहीं है तो जाकर वसु को अपनी बाहों में लेकर एक ज़बरदस्त किस उसके होंठों पे करता है जिसमें वसु भी उसका साथ देती है. २ min बाद दोनों अलग होते है तो वसु कहती है.. क्या कर रहा है.. दिव्या और निशा भी घर में ही है. इतने में निशा भी आ जाती है और कहती है क्या चल रहा है..

दीपू: तू देख नहीं रही है... मैं अपनी बीवी के साथ हूँ. जब तेरी शादी होगी ना तो तू दिनेश को शायद ऑफिस भी नहीं आने देगी.. रोज़ उसे अपने बाहों में छुपा रखेगी और हस देता है तो निशा भी ये बात सुनकर शर्मा जाती है. वसु भी इस बात पे हस देती है और दीपू को अलग कर देती है.

फिर सब मिलकर चाय पीते है तो दीपू वसु से पूछता है की वो नानी के घर क्यों गया था.

निशा: मैंने भी माँ से पुछा था तो कुछ नहीं बताया.

वसु: अरे ऐसे ही कुछ छोटा मोटा काम था तो बुलाया था मुझे. इस बात पे और ज़्यादा बात नहीं होता और फिर पूरा शाम और रात ऐसे ही गुज़र जाता है.

रात को खाना खाने के बाद वसु और दिव्या किचन और घर साफ़ कर के कमरे में आते है तो दीपू उनका ही इंतज़ार कर रहा था. दिव्या दीपू को देख कर कहती है की आज उसे परेशान ना करे और २ दिन से उसका मूसल वो झेल रही है और बहुत थक भी गयी है. दीपू हस देता है और कहता है की थका देता है लेकिन मजे भी तो देता है ना. दिव्या भी हाँ कहती है लेकिन आज उसे बक्शने को कहती है.

इतने में वसु भी अपनी गांड मटकाते हुए बिस्तर पे दीपू के पास आती है और कहती है की आज दिव्या को सो जाने दो. दीपू उसे बाहों में भर लेता है और कहता है की शाम से तुमने मेरा लंड खड़ा कर के रखा है. आज तो तुम्हारी पूरी कसरत निकाल दूंगा. क्यों क्या कहती हो?

वसु: ठीक है और फिर दिव्या को देख कर उसे भी दीपू के पास बुलाती है तो दिव्या भी दीपू से सात के सो जाती है. वसु दोनों से: सुनो मुझे तुम दोनों से कुछ बात करनी है जो मैं निशा के सामने नहीं करना चाहती थी. वसु की सीरियस tone सुन कर दोनों उसकी तरफ देखते है की शायद मामला कुछ गड़बड़ है.

दीपू: क्या हुआ?

वसु: यही की मैं वहाँ क्यों गयी थी बताना चाहती हूँ और उससे ज़्यादा की उसने वहां क्या कहा है...

वसु फिर दोनों को वहाँ जाने की बात बताती है और कैसे मीना को लोगों ने insult किया है बाँझ बोल कर और वो कितना दुखी है.

दीपू: हम्म्म... बात तो सही है. उसके साथ अच्छा नहीं हुआ है.

वसु: मैंने उन्हें इस बात को सुलझाने के लिए उपाय भी बताया है.

दिव्या: क्या उपाय?

वसु दीपू की तरफ देखती है और उसके लंड को पकड़ कर.. इस मूसल को काम पे लगा और बताना की ये क्या क्या कर सकता है. दीपू को थोड़ा एहसास होता है की वसु क्या कहना चा रही है लेकिन फिर भी पूछता है की उसे क्या करना है.

वसु: अरे मेरे बुद्धू पतिदेव तुझे ही मीना को वो सुख देना है जो मनोज नहीं दे पा रहा है और तुझे ही उसे माँ बनाना है.

वसु की ये बात सुनकर दोनों चकरा जाते है ख़ास कर के दिव्या जो अपने मुँह पे हाथ रख कर कहती है... क्या कह रही हो दीदी? ये कैसे हो सकता है? मनोज कैसे मानेगा?

वसु: ये वैसे ही हो सकता है जैसे की उसने हम दोनों से शादी कर के अपनी बीवियां बनाया है. रिश्ते में तो हम इसके माँ और मौसी है लेकिन अब इसकी पत्नियां है.

दीपू हस देता है और कहता है की मनोज कैसे मानेगा?

वसु: मैंने दोनों से बात की है और फिर आज सुबह यहां आने से पहले मीना ने बताया की उन दोनों ने इस बात पे बात की है और वो भी तैयार है और उसे आँख मार देती है.

वसु: एक और बात.. मैंने मीना से कह दिया है की पहल उसको ही करना है और वो ही तुझे रिझाये. ऐसा मर करना की मैंने तुम्हे ये बात बतायी है तो उसे देखते ही उस पर छड़ जाओ. वो फिर वासना का खेल जो जाएगा जो मैं नहीं चाहती. ठीक है?

दीपू: हम्म्म... बात तो तुम्हारी सही है.

वसु: वैसे भी मैंने तुझे बताया था ना की जब तू छोटा था तो बाबा ने क्या कहा था? तू बहुत बच्चों का बाप बनने वाला है और तेरी और भी बीवियां होगी. शायद उनकी बात सच हो रही है. वो लोग अगले महीने होली पे शायद यहां आएंगे. देखते है फिर क्या होता है.

दिव्या दीपू के छाती पे एक मुक्का मार कर.. तेरे तो मजे ही मजे है. वैसे तू मुझे कब माँ बना रहा है?

दीपू: तुम कहो तो आज ही करता हूँ. तुम ही कहती हो की थक जाती हो तो मैं क्या करून और दिव्या के होंठ चूम लेता है. दीपू दोनों को देख कर.. जल्दी ही मुझे बाप बनना है. तुम लोगों को माँ नहीं बनना है क्या?

दोनों वसु और दिव्या एक साथ: हाँ.

वसु: मैं चाहती हूँ की पहले दिव्या पेट से हो जाए. क्यूंकि अगर दोनों एक साथ हो गए तो फिर तेरे इस मूसल को कौन संभालेगा? दोनों पेट से एक साथ हो गए तो तुझे काफी दिन सूखा रहना पड़ेगा.

दीपू: दोनों की तरफ देख कर.. अगर चूत नहीं है तो क्या हुआ? दोनों की गांड तो मैं मार ही सकता हूँ ना. दोनों ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाते है.

वसु: वैसे दिव्या के साथ मीना भी पेट से हो जायेगी तो उसे भी अच्छा लगेगा.

दिव्या: उसको फिर से प्यार से मारते हुए.. तू बहुत बिगड़ रहा है. दीपू दिव्या का हाथ पकड़ कर अपने लंड पे रखते हुए.. अगर ये बिगड़ गया है तो इसे संभालना तुम्हारा ही काम है ना...

दिव्या: आज तो दीदी ही इसे संभालेगी. मैं तो सो रही हूँ और वो हट कर बगल में सोने की कोशिश करती है. दीपू वसु को अपनी गोद में बिठा लेता है और कहता है दिव्या से पहले तुझे कर दूँ तो... और ऐसा कहते हुए दीपू वसु के होंठ चूमता है तो वसु भी उसका साथ देती है.

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५ मं तक दोनों एक दुसरे का रस निचोड़ कर आदान प्रदान करते है. जब दोनों अलग होते है तो गहरी सांसें लेने लगते है.

दीपू वसु की आँखों में देख कर: मुझे तुम्हारे दूध पीना है.

वसु: फिलहाल तो इसमें दूध नहीं आता लेकिन ये लो और अपना ब्लाउज निकल कर अपना एक चूची उसके मुँह में दे देती है जिसे दीपू बड़े चाव से पीना लगता है.

दीपू एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसते रहता है तो दुसरे हाथ से दुसरे चूची को ज़ोर से दबाता है. वसु को भी बहुत मजा आ रहा था और आंहें भरते हुए ही अपना पानी छोड़ देती है और पहली बार झड जाती है. और फिर थोड़ी देर बाद दीपू वसु को पूरा नंगा कर के बिस्तर पे लिटा था है और फिर उसकी कमर नाभि जांघ को चूमते हुए एकदम गीली और रसीली चूत पे आता है जो पहले से ही पानी बहा रही थी.

दीपू: आज तो पूरा पानी पी जाऊँगा...

वसु: पी जाओ ना... तुम्हारे लिए ही तो ये पानी बह रहा है. और फिर दीपू भी बड़ी शिददत से वसु की चूत चाटता है ऊपर से नीचे तक और जब वो अपनी जीब उसकी गांड की छेद पे लाता है तो वसु को एकदम से झुरझुरी होती है और अपना हाथ वसु के सर के ऊपर रख कर उसे अपनी चूत पे पूरा दबा देती है. दीपू भी मस्त हो कर उसकी चूत को चूसते रहता है और एक हाथ से उसकी चूची को भी दबाते रहता है.

५- ७ min तक दीपू वसु को बहुत मजा देता है जिसमें वसु पता नहीं कितना पानी निकालती है जिसे दीपू पूरा पी जाता है. दीपू: चलो अब अपने मूसल को तैयार करो ताकि अभी तुम्हारी सेवा कर सके और जैसा तुमने कहा था आगे जा कर मीना की भी सेवा करने वाला है और आँख मार देता है.

वसु भी फिर बड़ी शिददत से दीपू का पूरा लंड एक बार में ही पूरा जड़ तक ले लेती है और दीपू तो मानो जन्नत में पहुँच गया था. वसु भी लंड को मस्त चूसती है और अपने थूक से उसे पूरा गीला कर देती है जो एक सांप की तरह पूरा खडा हो गया था और पूरे जोश में दिख रहा था. ऐसा सांप जिसे अब बिल में घुसने के सिवा और कोई चारा नहीं था. वसु दीपू के खड़े लंड को देख कर वो भी थोड़ा दर जाती है की इतना बड़ा और खतरनाक लग रहा है.

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दीपू फिर बिस्तर पे लेटते हुए ही वसु को अपने लंड पे बिठा लेता है और एक फक की आवाज़ से उसका लंड पूरा एक ही बार में चूत की जड़ तक घुसा देता है. वसु भी आह्ह आह्ह करते हुए लंड पे बैठ जाती है और फिर ऊपर नीचे होने लगती है और दीपू भी उसकी मस्त और तानी हुई चूचियां को पकड़ कर दबाते हुए उसे चोदते रहता है. वसु को भी इसमें बहुत मजा आ रहा था और वो भी ज़ोर ज़ोर से आंहें भर्ती रहती है.

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काफी देर तक उसे ऐसे चोदने के बाद उसे घोड़ी बना देता है और पूरा लंड फिर से एक बार में ही पूरा घुसा देता है. वसु की तो जैसे जान ही निकल गयी थी.

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दीपू झुक कर उसकी चुकी दबाते हुए चोदने लगता है. इस चुदाई में अब बिस्तर पे भी हलचल होती है जिससे दिव्या की नींद टूट जाती है और वो पलट कर दोनों को देखती है तो वो भी उत्तेजित हो जाती है.

दिव्या दीपू से: क्यों रे अब तक लगे हो.. तकरीबन एक घंटा हो गया है और तू तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है.

वसु को देखते हुए... दीदी बताया था ना आज तुम्हारी हड्डी पसली एक कर देगा. वसु भी अब पूरे पसीने में थी और दिव्या को देख कर कहती है.. चुप कर.. ये एक घंटे से लगा हुआ है और तुझे मजा आ रहा है. चल इधर एक बार मेरे पास आ.. दिव्या उठ कर वसु के पास जाती है तो वसु उसको पकड़ कर उसके होंठ चूमती है और उसकी जीभ को लेकर अपने मुँह में ले लेती है. अब दिव्या भी गरम हो रही थी और वो भी वसु का साथ देती है. दीपू उन दोनों को देख कर और बावला हो जाता है और तेज़ तेज़ वसु को चोदने लगता है. वसु की तो अब जैसे जान ही निकल रही थी.

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वसु भी थक जाती है तो इस बार दीपू दिव्या को अपने नीचे लेता है और अब वो उसे चोदने लग जाता है. वसु बेचारी बगल में लेट कर अपनी सांसें संभालने में लगी रहती है. १० मं तक दिव्या को मस्त चोदने में ना जाने कितनी बार दिव्या भी झड जाती है और फिर दीपू भी नज़दीक आ जाता है और कहता है की उसका भी होने वाला है. दिव्या: हमें आज तुम्हारा रस पीना है. कुछ दिन और ठहर जाओ... हम दोनों के अंदर डालने के लिए. फिर दोनों वसु और दिव्या दीपू का लंड मुँह में लेकर चूसते है और देखते ही देखते दीपू भी अपना पानी निकाल लेता है और दोनों के मुँह में भर देता है जिसे वो बड़ी चाव से पी लेते है. कुछ बूंदे उनकी चूचियों भी गिर जाता है तो दोनों एक दुसरे की चुकी को चूसते हुए वो भी निगल लेते है और फिर तीनो थक हार के बिस्तर पे लुढ़क जाते है.

उनको पता नहीं होता लेकिन निशा भी बाहर दरवाज़े पे खड़ी हो कर उनकी आवाज़ें सुनती है और अपनी चूत मसलते हुए सोचती है... जल्दी ही मेरी शादी भी हो जाए और दिनेश भी मुझे ऐसे ही चोदे....

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वहीँ दूसरी तरफ मीना सोते हुए सोचती है की जब वो वहां जायेगी तो सब कैसे होगा... और कविता भी वसु के साथ बिताये पल को याद करते हुए अपनी चूत मसलती है और सोचती है जब वो वहां जायेगी तो दीपू, वसु और दिव्या से कैसे नज़रें मिलाएगी और क्या होगा....
Dipu to aish kar raha hai hai. har taraf koi na koi ready hai uske upar chadhne ke liye.
 

Mass

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Friends, Thanks for voting on the poll that I had created. The votes are almost equal (atleast not one sided for one option). Will try to add some thrill elements while continuing with the Romance.

Writing the new update (based on the voting). Should post in a day or two.
 

Mass

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Mass bhai
क्या गजब का लिखते हो यार
सच मे आप एक एकदम बेहतरीन लेखक हो
Thank you for your kind words.

numdev
 

Mass

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20th Update:

वहीँ दूसरी तरफ मीना सोते हुए सोचती है की जब वो वहां जायेगी तो सब कैसे होगा... और कविता भी वसु के साथ बिठाये पल को याद करते हुए अपनी चूत मसलती है और सोचती है जब वो वहां जायेगी तो दीपू वसु और दिव्या से कैसे नज़रें मिलाएगी और क्या होगा....

अब आगे..

अगली सुबह वसु उठती है और एक अंगड़ाई लेती है. ठीक उसी वक़्त दिव्या भी उठ जाती है. वसु दिव्या को देखते हुए: तूने सही कहा रे.. कल रात इसने तो पूरी जान निकाल दी. पूरा बदन दर्द कर रहा है. तू तो थोड़ी देर तो सोई..लेकिन यह तो पूरे एक घंटे से मुझे चोद रहा था. पूरा बदन दर्द कर रहा है लेकिन मजा भी बहुत आया.

दिव्या: मैंने कहा था ना दीदी... कल रात तुम्हारी बारी आएगी. जब तुम माँ के घर गयी थी तो २ दिन उसने मुझे सोने नहीं दिया. चलो अच्छी बात है. फिर दोनों उठते है तो उतने में ही दीपू भी उठ जाता है.

दीपू वसु को देख कर: कहाँ जा रही हो जान... सुबह सुबह मुँह तो मीठा कर दो और उसे खींच कर बाहों में भर लेता है.

वसु: चल उठ.. सुबह सुबह फिर से तैयार हो गया. रात को तो तूने छोड़ा ही नहीं. मन नहीं भरा क्या?

दीपू: जब इतनी गदरायी माल हो तो मन कैसे भरेगा?

वसु: क्या तूने हमें माल कहा.. शर्म नहीं आती?

दीपू: क्यों तुम्हे अब भी शर्म आ रही है क्या? हाँ बोलो तो अभी तुम्हारी शर्म दूर कर देता हूँ और उसे चूमने की कोशिश करता है.

वसु: हस्ती है लेकिन अभी नहीं.. चल पहले फ्रेश हो जा.. नहीं तो कुछ नहीं मिलेगा और अपने आप को उससे छुड़ाते हुए बाथरूम के लिए अपनी गांड मटकाते हुए निकल जाती है. दिव्या उन दोनों को देख कर पहले ही वहां से खिसक गयी थी और दीपू को चिढ़ाते हुए वो भी अपनी गांड मटकाते हुए बाहर चली जाती है.

सब फ्रेश हो कर चाय पीने बैठते है लेकिन निशा नहीं आती. वसु निशा को बुलाने उसके कमरे में जाती है तो देखती है की निशा घोड़े बेच कर सो रही थी.

वसु निशा को देख कर मन में: ये लड़की भी ना.. पता नहीं कब सुधरेगी.. इतनी देर तक सोती है. वसु निशा को जगाती है तो निशा थोड़ी सुस्ती से..सोने दो ना माँ..

वसु: 8.00 बज गए है और तो अभी तक सोई है. उठ जा.

निशा: रात को देर से सोई थी तो अभी और थोड़ा सोने दो ना.

वसु: क्यों रात को इतनी देर से क्यों सोई?

निशा भी थोड़े ताने मारते हुए उठ कर.. रात भर आप सब लोग चिल्ला चिल्ला कर अपना काम करते हो तो मुझे कैसे नींद आएगी?

वसु ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है और कहती है.. जब तेरी शादी होगी और तू भी रात भर दीपक के साथ अपने काम में लगी रहोगी तो अपनी सास को भी ऐसे ही कहोगी क्या?

निशा भी ये बात सुनकर शर्मा जाती है तो वसु उसे बड़े प्यार से गले लगा कर... मेरी गुड़िया.. चल अब उठ जा... सब चाय पे तेरा इंतज़ार कर रहे है. निशा भी फिर उठकर फ्रेश होने बाथरूम चले जाती है और वसु अपने चेहरे पे हसी लाते हुए वो भी बहार आ जाती है.

फिर दीपू भी तैयार हो जाता है तो इतने में उसे दिनेश का फ़ोन आता है.

दिनेश: यार सुन आज मैं नहीं आऊँगा. माँ की तबियत थोड़ी खराब है. आज तू ही ऑफिस संभल ले.

दीपू: क्या हुआ आंटी को?

दिनेश: उसे कल से बुखार है और वो सो रही है. शायद डॉक्टर के पास लेकर जाना पड़ेगा.

दीपू: ठीक है, चिंता मत कर और आंटी का ख्याल रखना. मैं ऑफिस देख लेता हूँ.

दीपू फिर वसु से कहता है: माँ आंटी की तबियत ठीक नहीं है. हो सके तो एक बार देख आओ उन्हें. एक तो आपकी दोस्त है और २ महीने में हमारी समधन भी बन जायेगी.

वसु दीपू की बात सुनकर थोड़ा घबरा जाती है और कहती है की वो ज़रूर उनके घर जायेगी.

दीपू: अगर कुछ मदत की ज़रुरत हो तो मुझे कॉल कर देना. आज दिनेश ऑफिस नहीं आएगा तो मैं ही वहां रहूंगा.

वसु: ठीक है बेटा अगर ज़रुरत पड़ेगी तो मैं तुम्हे कॉल कर दूँगी.

दीपू फिर अपने काम के लिए ऑफिस चला जाता है और वसु भी तैयार हो कर दिनेश के घर के लिए जाने के लिए रेडी होती है.

निशा: माँ मैं भी आऊं क्या?

वसु: नहीं बेटी अभी नहीं. मैं अकेले ही जा रही हूँ. अगर ज़रुरत पड़ेगी तो मैं तुम्हे कॉल कर दूँगी. दिव्या भी जाना चाहती थी लेकिन वसु उसे भी मन कर देती है और कहती है की घर में रहे और घर का काम देख ले.

वसु दिनेश के घर जाती है तो देखती है की ऋतू बिस्तर पे सो रही है लेकिन उसे अब भी थोड़ा बुखार था.

वसु दिनेश से: क्या हुआ इसे बेटा?

दिनेश: पता नहीं आंटी कल से थोड़ी कमज़ोर थी लेकिन आज सुबह जब उठी नहीं तो देखा की इसका बदन जल रहा है. मैंने इसे दवाई दी है. अगर बुखार ठीक नहीं होता तो हॉस्पिटल लेकर जाना पड़ेगा.

वसु: हाँ ठीक कहा तुमने. वसु फिर कमरे में जाती है तो ऋतू कुछ देर बाद उठती है और वसु को देखती है.

ऋतू: अरे तुम यहाँ क्यों आ गयी? मुझे कुछ नहीं हुआ है.

वसु: चुप कर और आराम कर. तुम्हे बुखार है. ज़्यादा बात मत करो और आराम कर. ऋतू फिर दिनेश को देखती है तो पूछती है की वो ऑफिस क्यों नहीं गया.

दिनेश: तुम्हे इस हालत में छोड़ कर ऑफिस कैसे जा सकता?

वसु भी दिनेश की बात को आगे बढ़ाते हुए.. अच्छा किया दिनेश आज ऑफिस नहीं गया. अब तुम आराम करो. हम यहीं हाल में रहेंगे. अगर कुछ चाहिए तो बताना. फिर दोनों हॉल में आ जाते है. थोड़ी देर बाद वसु किचन में जाती है और तीनो के लिए चाय बना कर लाती है. ऋतू को उठाते है और फिर तीनो चाय पीते है. अब ऋतू को थोड़ा ठीक लग रहा था.

इतने में दीपू वसु को फ़ोन कर के पूछता है तो वसु कहती है की सब ठीक है और कुछ घबराने की बात नहीं है. दोपहर तक ऋतू थोड़ा ठीक हो जाती है तो वसु फिर दिनेश को बोल कर अपने घर के लिए निकल जाती है और कहती है की कुछ ज़रुरत पड़े तो फ़ोन कर देना. वो लोग तुरंत पहुंच जायेगे.

यहाँ मीना के घर..

सुबह कविता मीना से कहती है की वो भी अपने घर जायेगी तो मीना और उसकी सास उसे रोक लेते है की २ दिन और रुक जाओ. घर जा कर भी अकेली ही रहोगी तो बेहतर है की बेटी के पास ही २ दिन रहे. कविता ना नहीं कह पाती और मीना के घर में ही रह जाती है उस दिन.

दोपहर को खाने के बाद मीना के सास ससुर सो जाते है तो मीना भी किचन में अपना काम कर के अपने कमरे में चली जाती है सोने और कविता भी दुसरे कमरे में चली जाती है सोने. लेकिन उसे नींद नहीं आती क्यूंकि वो २ दिन पहले वसु के साथ बिताये पल को याद करके एकदम गरम हो जाती है और सोचती है की एक बार वो वसु से बात कर ले और वो वसु को फ़ोन करती है.

वसु तब तक घर आ जाती है और अपना काम करते रहती है. जब वो कविता का नंबर देखती है अपने फ़ोन पे तो वो अपने कमरे में चली जाती है उससे बात करने के लिए.

फ़ोन पे...

वसु: माँ जी... कैसे हो और क्या हाल है?

कविता: मुझे आज घर वापस जाना था तो मीना नहीं मानी और एक दिन और रुक गयी यहाँ. फिलहाल तो मैं कमरे में हूँ... कोई नहीं है..ये वसु के लिए इशारा था जो वो समझ गयी थी.

वसु: अकेले फिर क्या कर रही हो?

कविता: करना क्या है.. दो दिन पहले जो तेरे साथ पल बिताये थे उसे ही याद कर रही हूँ. उसको याद करते ही मेरी चूत गीली हो जाती है. मेरी पैंटी भी गीली हो गयी थी जो मुझे बदलना पड़ा.

वसु: सही है.. जब यहाँ आओगी तो कुछ करती हूँ तुम्हारा. धीरे से फ़ोन पे... लगता है जल्दी ही तुम्हारे लिए एक लंड का इंतज़ाम करना पड़ेगा. देखती हूँ क्या कर सकती हूँ.

कविता: चुप कर.. वहां कौन है तेरे अलावा जो मेरी प्यास बुझा सके?

वसु: तुम इसकी चिंता मत करो. ये दोनों बात कर रहे थे और कविता अपना एक हाथ साडी के अंदर दाल कर अपनी चूत मसल रही थी.

उसी वक़्त मीना को प्यास लगी थी तो वो किचन में जा कर पानी पीती है और सोचती है की वो उसकी माँ के पास जाकर उससे बात करेगी (वसु के घर जाने की)

जब वो कविता के कमरे में जाती है तो देखती है की उसका कमरा बंद है जो पहले कभी नहीं हुआ था. हमेशा उसका कमरा खुला ही रहता है. तो वो बगल में खिड़की से देखती है तो उसकी आँखें बड़ी हो जाती है. तो किसी से (वसु से) फ़ोन पे बात कर रही है और उसका एक हाथ उसकी चूत को सेहला रहा है.

मीना वो scene देख कर हड़बड़ी में वहां से निकलने की कोशिश करती है तो उसका हाथ खिड़की में फस जाता है और उसे दर्द होता है तो वो आह करके थोड़ा चिल्लाती है जिसकी आवाज़ कविता सुन लेती है. उसे अहसास होता है की वहां खिड़की पे मीना ही खड़ी है. वो जल्दी से फ़ोन बंद कर के अपने आप को ठीक कर के वो दरवाज़ा खोलती है तो उसे मीना नज़र आती है जो नज़रें झुकाये वहां खड़ी थी. कविता को समझ आता है और वो मीना को पकड़ कर अपने कमरे में ले जाती है और दरवाज़ा बंद कर देती है.

मीना: माँ क्या कर रही थी आप और किस्से फ़ोन पे बात कर रही थी? कोई मिल गया है क्या ..

कविता: नहीं बेटा जो तु सोच रही है वैसा कुछ नहीं है.

मीना: आप किसी से फ़ोन पे बात कर रही थी और आपका हाथ... इतना कहते हुए रुक जाती है क्यूंकि दोनों को पता था की मीना आगे क्या बात करने वाली थी.

कविता: नहीं बेटी..ऐसा कुछ नहीं है.

मीना: आप डरो मत... अगर कोई लड़का मिल गया है जिससे आप बात कर रही हो तो मुझे बता सकती हो. मैं किसी को नहीं कहूँगी.

कविता को लगता है की उसे अब सच बताना चाहिए.

कविता: नहीं मैं वसु से बात कर रही थी... और अगर तुझे अब भी विश्वास नहीं है तो मेरा फ़ोन देख ले. उसमें तुझे उसी का नंबर मिलेगा और कोई लड़के का नहीं.

मीना: ठीक है. आप कह रही है तो सही ही कह रही हो. लेकिन दीदी (वसु) से बात करने पर आपका हाथ... इस बात पर दोनों शर्मा जाते है और आगे कुछ कह नहीं पाते.

मीना: मुझे भी पता है की आप अपने जवानी के परम में हो और अगर आपको लगता है की एक मर्द की ज़रुरत है तो इसमें कोई गलत बात नहीं है. और आप वसु दीदी को ही देख लो... उनकी किस्मत अच्छी है की इस उम्र में भी उन्होंने दूसरी शादी कर ली है. अगर आप का भी कुछ ऐसे ही ख्याल है तो बताइये... मैं शायद कुछ मदत कर दूँ.

मीना: मैं भी अपनी जवानी के आग में जल रही हूँ और मैं नहीं चाहती की आप भी जलो. अगर लगता है की आप शादी कर के अच्छे से अपनी ज़िन्दगी गुज़र सकते हो तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी.

मीना की ये बात सुनकर कविता की आँखों में आंसूं आ जाते है और उसे बड़े प्यार से गले लगा कर...मेरी प्यारी बच्ची.. मेरे लिए कितना सोचती है तू. फिलहाल ऐसा कुछ नहीं है. तू चिंता मत कर.

कविता भी समझदारी से बात को पलटते हुए... मेरी वसु से बात हुई है और उसने तुम्हारे और मनोज के बारे में बताया है और ऐसा कहते हुए कविता रुक जाती है. मीना भी शर्म से अपनी आँखें नीचे कर लेती है जैसे कहना चाह रही हो की उसकी बात सही है.

कविता: तू चिंता मत कर. मैं तुम दोनों की बातों से सहमत हूँ. और उसको प्यार से गले लगाते हुए... जल्दी ही मैं तेरी गोद में एक नन्हा मुन्ना देखना चाहती हूँ और तू मुझे जल्दी से नानी बना दे और है देती है.

मीना: माँ आप भी ना... मुझे शर्म आ रही है.

कविता: चल जाकर चाय बना.. तुम्हारी सास और ससुर का भी उठने का समय हो गया है...

दीपू के ऑफिस में...

दीपू ये जान कर खुश हो जाता है की दिनेश की माँ अब ठीक है और ज़्यादा परेशानी नहीं है. वो अपना काम करते रहता है. वो कंपनी के एकाउंट्स देखता है तो वो आश्चर्य हो जाता है की एकाउंट्स में लाखों रुपयों का गड़बड़ है. उसे तो पहले समझ नहीं आता लेकिन फिर से वो एकाउंट्स चेक करता है पिछले ५- ६ महीने के एकाउंट्स तो पाता है की कुछ घोटाला है और उनको काफी नुक्सान भी हो रहा है. वो सोचता है की वो दिनेश को फ़ोन करे लेकिन रुक जाता है की आज वो घर में है और कल जब वो आएगा तो उससे इस बारे में बात करेगा.

बाकी का काम कर के वो दिनेश को फ़ोन कर के बता देता है की वो कल उससे एक ज़रूरी बात करेगा. दिनेश पूछता है तो दीपू कहता है की ये बात फ़ोन पे नहीं कर सकते और जब वो कल ऑफिस आएगा तो मिलकर बात करेगा. दिनेश भी कुछ नहीं कहता और फिर दीपू घर चले जाता है. दीपू जब घर जाता है तो उसके सर में बहुत दर्द हो रहा था.

दीपू के घर में...

दीपू जब घर आ जाता है तो सब अपना काम कर रहे थे. वो अपना सर पकड़ कर हॉल में ही बैठ जाता है. वसु उसे देख कर.. क्या हुआ? दीपू: नहीं माँ.. कुछ नहीं... बस सर में थोड़ा दर्द हो रहा है.

वसु थोड़ा परेशान हो जाती है और दिव्या को भी बुलाती है.

वसु: दिव्या यहाँ आना.. दीपू के सर पे दर्द हो रहा है. दिव्या भी जल्दी ही आ जाती है और दीपू से पूछती है तो दीपू भी ज़्यादा बात नहीं कर पाता

वसु: दिव्या इसे कमरे में ले जा... मैं उसे जल्दी ही गरम चाय लेकर आती हूँ. दीपू और दिव्या कमरे में चले जाते है और दिव्या दीपू का सर दबा कर उसे कुछ राहत देने की कोशिश करती है.

दिव्या: मैं सर दबा देती हूँ. जल्दी ही ठीक हो जाएगा. ५ Min तक दिव्या उसका सर दबाती है तो उसे कुछ राहत मिलती है. इतने में वसु भी उसके लिए चाय लेकर आती है. सब मिलकर चाय पीते है. चाय पीने के बाद जब वसु वहां से चली जाती है तो दीपू दिव्या से कहता है: मुझे तो दूध पीना का मन कर रहा है. दिव्या को समझ नहीं आता तो कहती है अभी तो तूने चाय पी है और फिर से दूध पीना का मन कर रहा है..

दीपू: अरे पगली और उसे अपने बाहों में भर कर.. वो वाला दूध नहीं जो तुम बात कर रही हो.. मुझे तो ये दूध पीना है और ऐसा कहते हुए उसकी एक चूची को ब्लाउज के ऊपर से ज़ोर से दबा देता है.

दिव्या: oouch…. अभी ऐसा कुछ नहीं मिलेगा. थोड़ा आराम कर लो और वो अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करती है लेकिन कर नहीं पाती. दीपू एकदम दुखी मुँह बनाते हुए कहता है.. क्या मुझे दूध नहीं पिलाओगी? अगर दूध पी लूँगा तो जल्दी ठीक हो जाऊँगा.. और उसे आँख मार देता है.

दिव्या: इसमें तो दूध नहीं आता है ना..

दीपू: उसको झुका कर कान में.. चिंता मत करो.. जल्दी ही इसमें दूध आ जाएगा.. अभी तो सिर्फ सूखा... बाद में पूरा.. दिव्या शर्मा जाती है और ब्लाउज निकल कर एक चूची उसके मुँह में देती है जो वो बड़ी शिद्दत से मुँह में लेकर पहले चूसता हैं और फिर धीरे से उसको काटता भी है. दीपू भी मजे में उसके सर को अपनी चूची पे दबा देती है.

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थोड़ी देर बाद दिव्या उसकी बगल में बैठ जाती है और उसे चूमती है. दीपू भी बड़ी मस्ती में उसको चूमता है और उसकी एक चूची को दबाने लगता है.

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दिव्या भी अब मस्त होने लगती है और उसे पता भी नहीं चलता जब दीपू उसके पूरे कपडे निकल कर उसे नंगा कर देता है, चूमता है और उसकी चूची को मुँह में लेकर चूसते रहता है. दिव्या भी अब आह आह...करते हुए सिसकारियां लेती रहती है. दीपू भी अब चूची दबाते हुए वो खुद भी नंगा हो जाता है और उसे चूमते हुए नीचे सरकता है.. पहले नाभि फिर जांघ को चूमते हुए उसकी रसीली चूत पे आता है जो पहले से ही गीली थी और अपना रस बहा रही थी.

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दीपू भी फिर मजे में उसकी चूत पे टूट पड़ता है और अपना पूरा जीभ उसकी लार टपकती चूत पे दाल कर एकदम खाने लगता है. दिव्या की तो एकदम जान ही निकल जाती है जब दीपू ऐसा करता है तो. दिव्या उसका सर अपनी चूत पे दबा देती है और ना जाने कितनी बार झाड़ जाती है.

5-10 min तक अच्छे से चूसने के बाद दीपू भी खड़ा हो जाता है और दिव्या को अपने सामने बिठा देता है और दीपू का खड़ा लंड उसके मुँह के सामने झूलता रहता है.

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उसे देख कर दिव्या से भी रहा नहीं जाता और उसके लंड को पूरा एक बार में ही मुँह में ले लेती हैं और दीपू भी अपना हाथ उसके सर के पीछे रख कर एक धक्का मारता है और दिव्या के गले में उसका लंड उसे महसूस होता है. वो पूरा अंदर तक चला गया था.

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दिव्या फिर बड़े मजे से उसका लंड चूसती रहती है और दीपू भी जैसे जन्नत में पहुँच गया था.

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10 min तक ऐसे ही दोनों जन्नत में रहते है और जब दीपू को लगता है की बिना दिव्या को चोदे ही वो झाड़ जाएगा तो वो उसे अलग करता है और फिर बिस्तर पे पटक के अपना गीला लंड उसकी चूत में जड़ तक एक बार में ही उतार देता है.

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5 min तक ऐसे ही चोदने के बाद उसे बिस्तर पे बिठा कर उसके चूमते हुए चोदने लगता है.

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आखिर में दिव्या भी पूरी थक जाती है और कहती है.. कितना देर और चलेगा.. मैं तो एकदम थक गयी हूँ.. अब जान भी नहीं बची है.. पिछले २- ३ दिन से तो तू मुझे छोड़ ही नहीं रहा है.

दीपू भी हस देता है और उसको चूमते हुए कहता है... क्यों तुम्हे माँ नहीं बनना है क्या?

दिव्या: हाँ जल्दी ही बनना है.

दीपू: फिर घर में सिर्फ काम करने से तो तू माँ नहीं बनेगी ना.. हम दोनों को ऐसे ही मेहनत करनी पड़ेगी ना... और आँख मार के हस देता है.

दिव्या: तू रोज़ बहुत बिगड़ रहा है और बेशरम भी हो रहा है लेकिन बहुत मजे भी दे रहा है. मेरी शादी भले ही थोड़ी देर से हुई है लेकिन तो रोज़ मुझे जन्नत दिखा रहा है भले ही मैं थक जाती हूँ. इस बार अपना माल मेरे अंदर ही गिरना. दीपू भी अब नज़दीक था तो वो 4-5 और झटके मारता है और अपना पूरा पानी दिव्या के अंदर ही छोड़ देता है.

दिव्या इस दौरान बहुत बार झाड़ जाती है और जब दीपू का पानी उसकी चूत में जाता है तो वो बहुत सुकून पाती है और दोनों थक जाते है तो एक दुसरे की बाहों में पड़े रहते है.

इतने में वसु किचन में थोड़ा काम कर के कमरे में आकर दोनों को देखती है और कहती है... काम हो गया है? क्यों दीपू अभी सर दर्द नहीं है क्या?

दीपू: दिव्या की तरफ देख कर उसको आँख मारते हुए दिव्या ने ही तो मेरा सर दर्द दूर कर दिया है. अब मैं एकदम फ्रेश लग रहा हूँ. चाहो तो तुम भी देख लो एक बार. वसु फिर उसको थोड़ा मज़ाकिया ढंग से चिढ़ाते हुए वहां से भाग जाती है किचन की तरफ. दोनों एक दुसरे को देख कर हस देते है और दीपू दिव्या से कहता है की तुम आराम करो... मैं अभी आता हूँ और वो किचन की तरफ चले जाता है. दिव्या दीपू को वहां जाते वक़्त मन में सोचती है.. अब तो दीदी भी गयी... और हस कर सो जाती है….
 

Mass

Well-Known Member
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Mass bhai
क्या गजब का लिखते हो यार
सच मे आप एक एकदम बेहतरीन लेखक हो
Bhai, latest update Pg 186 pe post kiya hai. Pls do read, like and comment.

numdev
 
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