जोरू का गुलाम भाग २५७
मजा थ्रीसम का - निधि -छोटी साली
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बहुत शानदार प्रदर्शन.....गुड्डी का गाभिन होना और थोड़ा सा फ्लैशबैक
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और गुड्डी को गाभिन करें वाली बात मजाक में शुरू हुयी लेकिन सीरियस हो गयी,.... और अब तो पक्का,
बात पहली रात की थी, और घूंघट खोलने के बाद पहली शर्त जो मैंने इनसे मनवाई,
" पहले पांच साल तक केहाँ केहाँ नहीं होगा, पांच साल के बाद ही सोचेंगे और वो मान गए। मैं अभी भी टीन्स में थी और ये भी चार पांच साल ही तो बड़े थे मुझसे, दूसरी बात भी मान गए ये, दो के बाद बस "
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लेकिन फंसे ये अपनी सास को जुबान देके, उन्होंने सोचा मजाक
लेकिन सास से मजाक नहीं करते ये उन्हें कुछ दिन बाद अंदाज लगा। जब पहली बार उन्होंने नान वेज बनाया और बहुत अच्छा तो सास ने कहा बोल स्साले क्या चाहिए,
और उनके मुंह से निकल गया, पांच। और उनकी सास ने एवमस्तु वाले अंदाज में हाँ कर दिया और यह भी बोल दिया पहला साल भर के अंदर ही। आज तक इनकी सास ने इनकी किसी बात के लिए इनसे ना नहीं की।
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लेकिन मेरी तो रूह ही काँप गयी, पांच साल पूरा होने में अभी भी दो ढाई साल बचे थे और यहाँ,
और मैं मम्मी से खूब झगड़ी, लेकिन मम्मी मुस्कराती रहीं और जब चुप हुयी तो तो प्यार से बोलीं,
" संगत का असर। तू भी अपने मरद की तरह बेवकूफ हो गयी है, अरे बुद्धू मैंने वर तेरे मरद स्साले को दिया है पांच बच्चे और अभी इस साल में एक, तो तुझे तो नहीं दिया न ये कहा की तेरे कोख से होंगे। तो इस बहनचोद के घर में कौन लौंडियों औरतों की कमी है।.... कैसी भौजाई हो, अपनी ननद को ले आओ गाभिन करवाओ.,....
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और मंजू और गीता उनके पीछे पड़ गयी गुड्डी की फोटो देख के। माल तो है भी स्साली पटाखा, चेहरे से भोली, जुबना आग लगाते हैं
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गीता को दो तीन महीने ही हुआ था बच्चा जने और वो बच्चा अपनी सास को पकड़ा के आ गयी थी, अपनी माँ के पास।
थन खूब भरे रहते थे, दूध छलकता रहता था,
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ब्लाउज गीला, और जो गीता ने इन्हे पहलौठी के दूध का स्वाद चखाया, ये तो एकदम दीवाने और फिर पहलौठी के दूध की रोज जो मालिश करती थी इनके खूंटे पे, सच में लोहे का खम्भा हो गया, और दो बार तीन बार मैं झड़ जाती थी लेकिन वो खड़े का खड़ा, लम्बाई मोटाई भी एक डेढ़ इंच तो,
और गीता ने उन्हें भाई मान लिया था, मंजू उसकी माँ मुझे बहु जी कहती थी बस उस रिश्ते से, गीता बहन और ये भाई और नमबरी बहनचोद भाई। तो गीता ही पीछे पड़ी, गुड्डी की फोटो दिखा के,
" भैया इस पटाखा को ले आओ, बस ले आओ आगे का काम मेरा, इस माल को न तेरे नीचे ले आउंगी, बल्कि तुझसे गाभिन भी करवाउंगी आने के नौ महीने के अंदर, और फिर जब तक मैं बिसकुंगी ( दूध बंद होगा ) तब तक वो तैयार, पहलौठी का दूध भी पिलाएगी लंड पे मालिश भी करेगी, मैं सब सीखा दूंगी अपनी नई भौजाई को "
और जब गुड्डी आयी तो बस गीता और उसके बीच में वही रिश्ता, गीता ननद और गुड्डी नयी भौजाई
और जिस दिन गुड्डी रानी की इन्होने सील तोड़ी चददर पे ( भाग १७१ पृष्ठ ५४१ से भाग १७५ पृष्ठ ५७९ तक ) बस अगले दिन नेग में गीता ने गुड्डी से तीन बार हाँ करवा ली और इनसे भी, भतीजे के लिए, गुड्डी की कोख से साल भर के अंदर और अब गीता उनको और गुड्डी दोनों को याद दिलाती रहती है ,
'भतीजा चाहिए, भतीजा चाहिए, स्साली मायके की रंडी, बूआ का नेग देने से बचने के लिए गाभिन नहीं हो रही, बच्चा नहीं जन रही,...'
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हाँ और जब गुड्डी को मैं इनके साथ ले आयी थी तो ज़ूम पर इनकी सास प्रकट हुयी थीं और गुड्डी की लेने के पहले उन्होंने दो शर्ते रखी थी और उसमे एक ये थी की ये गुड्डी को न सिर्फ हचक के रगड़ के पेलेंगे, बल्कि उसे गाभिन भी करेंगे,
और डाकटर गिल के पास जब मैं गुड्डी को ले गयी थी तो अंदरूनी जांच के बाद उन्होंने बता दिया था की ये माल न सिर्फ चुदने के लिए तैयार है बल्कि बच्चा जनने के लिए भी तैयार है बच्चेदानी तो ऐसी है की एक बूँद पड़े और पेट फूलना शुरू हो जाएगा।
लेकिन मैंने कुछ और बोलना शुरू किया और उन्होंने रोक दिया, डाक्टर गिल को गीता के पहलौठी के दूध का किस्सा और असर मालूम था। वो बोलीं,
" इसकी चूँची की सोच रही हो न, बस जिस दिन प्रेग टेस्ट में दो लाइन आ जाये, अगले दिन ले आना, सीधे ब्रेस्ट में इंजेक्शन लगाउंगी और ये डबल डबल, गाय को जो इंजेक्शन लगाते हैं ज्यादा दूध के लिए बस उसी का एक फ़ार्म समझ ले, यहाँ तो मिलता नहीं मैं इम्पर्टड मंगवाती हूँ, बस हर तीन महीने में एक एक और बच्चा होने के समय में एक, इतना दूध देगी तेरा ननद की समझ ले तेरे मरद का पेट भर जाएगा और मालिश अलग।"
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मैंने भी ढेर सारे आसान सोच रखे थे शर्तिया गाभिन वाले, चूतड़ के नीचे चार पांच तकिया रख के दोनों टाँगे उठी, मेरे मरद के कंधे पे और सुपाड़ा सीधे बच्चेदानी से सटा रहेगा, जब माल गिरेगा या फिर निहुरा के चूतड़ खूब ऊपर उठा के, जिससे एक बूँद मलाई बाहर न आये
और गुड्डी इस बात से एकदम पीछे नहीं हटती थी। जब भी गीता चिढ़ाती तो गुड्डी उलटे उसे जवाब देती
" अपने भैया से कहो न,..... अरे वो तेरा भाई स्साला तो जब कहे तब मैं टांग फैला दूँ, मैं तो दर्जा नौ से तैयार थी लेकिन वही, और फिर उनसे ( मेरी ओर इशारा कर के ) बोलो न की अपनी सहेली डाक्टरनी से ताला खोलवा दें,.... मैं तो खुद कहूँगी,.... हाँ भैया गाभिन कर दे,...हाँ भैया गाभिन कर दे "
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तो बस ये कैम्प से आयी तो पक्का।
गुड्डी को फिर से kaccchi कली बना के भेजा है.....जो भी chodo उसे कुंवारी ladki मिले.... ग़ज़ब...और तैयारी गुड्डी की पार्टी की
( थोड़ा सा यादों का सफर)
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तब तक गुड्डी की काल ख़त्म हो गयी थी, बोली जावेद था, जावेद मतलब लम्बू, जिसके बम्बू का फोटो मैं भी देख चुकी थी, वास्तव में बांस था।
जावेद को तो मैं भी जानती थी, मिली नहीं थी, लेकिन फेसबुक पे जुडी थी, उसके बम्बू की पिक देख चुकी थी और रानी और गुड्डी दोनों से उसका बखान से सुन चुकी थी, गुड्डी से तो इस्तेमाल के पहले भी और इस्तेमाल के बाद भी, उस कोचिंग वाली पार्टी में सबसे पहले जावेद ने ही मेरी ननदिया की मारी थी, अगवाड़े भी पिछवाड़े भी।
और बात जावेद से कोचिंग वाली पार्टी की ओर मुड़ गयी,
उस दिन उसके भैया नहीं थे, बल्कि एक दो दिन पहले से नहीं थे और पार्टी के बाद अगले दिन जब वो बूट कैम्प जा रही थी तब आये थे, तो बस घर में मैं और गुड्डी,
हाँ दिन में आठ दस बार रानी का फोन आ जाता था, ....और रीनू मेरी कमीनी बहन का भी,
पार्टी के दो तीन दिन पहले जब पता चला, कोचिंग में से ही सबसे गुड्डी ने अपनी मीठी भाभी को, मेरी उस कमीनी बहन रीनू को ही फोन लगाया,
और रीनू ने उसे जबरदस्त इंस्ट्रक्शन दिए और कॉपी मुझे भी फारवर्ड कर दी।
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और एक से एक जबरदस्त इंस्ट्रक्शन जिसे फॉलो करना मेरे लिए भी मुश्किल और गुड्डी के लिए भी।
समझिये, भूख लगी हो, फ्रिज में खूब रसीले गुलाबजामुन रखे हों, लेकिन कोई चिट लगा दे, खाने के लिए नहीं है।
एक तो स्साला मेरा मरद, जीजू लोगो के जाने के बाद से ही, इधर उधर, गायब। चुनमुनिया में चींटी काट रही थी, बल्कि आग लगी थी, मरद नहीं रहता था तो उसकी बहन थी मेरी ज्वाला शांत करने वाली, पर
रीनू ने बोला था की पार्टी तक गुड्डी बाई के ( हाँ अब ये उसका परमानेंट नाम हो गया था, मेरे अलावा उसके भैया और उसकी पक्की सहेली रानी भी इसी नाम से बुलाते थे ) दोनों छेदों में कुछ नहीं जाएगा, एक पतली सींक तक नहीं, ऊँगली, वाइब्रेटर, डिलडो और बट प्लग का सवाल ही नहीं था।
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और उस दिन,
दिन भर मोटू बट्ट प्लग ( ढाई इंच वाला ) डालने के बाद जो 'टाइट अगेन' (वो इम्पोर्टेड क्रीम जो रीनू ले आयी थी और गुड्डी को दी थी, चार बच्चे निकाल चुके भोंसडे को कमसिन चूत बनाने वाली ) रीनू ने गुड्डी बाई की गांड में सील किया था फिर दस मिनट उसे भिंचवाने के बाद गुड्डी की तीन दिन में दर्जन भर से ज्यादा मारी गयी, गाँड़ चींटी के बिल ऐसी टाइट हो गयी थी की गुड्डी बाई के भंडुए भाई की ( जिसने आधी दर्जन से ज्यादा बार गुड्डी के एक ज़माने के 'सीधे सादे भैया ' ने मारी थी ) और पेलने में गुड्डी के भैया और रीनू के जीजू को अपनी पूरी ताकत लगा देनी पड़ी, लेकिन गीता के पहलौठी के दूध की मालिश का असर मेरे मरद का लंड स्टील के रॉड से भी कड़ा और क्या ड्रिलिंग मशीन खोदेगी,
तो रीनू बहन जी की हुकुम था की गुड्डी के दोनों छेदों में कुछ नहीं घुसना चाहिए
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और दो बार मैं अपने सामने अपने हाथों से दोनों छेदो में वो 'टाइट अगेन' वाली ट्यूब सीधे अंदर तक नोजल डाल के पिचकाऊँ ( एक बार रात को सोते समय और अगली बार कोचिंग में जाने से पहले।)
और उसके अलावा यही हिदायत गुड्डी के लिए भी, दो बार उसे खुद भी वो टाइट अगेन, और हर घंटे दोनों छेदो को निचोड़ के, भींच के यानी कुल चार बार।
गुड्डी के लिए तो और भी इंस्ट्रक्शन थे,
योग जो वो रोज २० मिनट करती थी बढ़ा के मेरी कमीनी बहन ने ४० मिनट करवा दिए और उसमें भी मार्जारी आसन या कैट पोज, जिससे वो घंटो निहुरी रह सकती थी,
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और कित्ते जोर के धक्के लगें, दोनों छेदो में एक साथ धक्के लगे, उसकी कमर, हिप और स्पाइन एकदम फ्लैक्सिबिल और रिलेक्स रहते, वो मजा भी ले सकती थी और जवाब भी दे सकती थी, धक्कों का धक्के से।
दूसरा आसन था सेतु आसन, जिसमे उसे नीचे से चूतड़ उठा के धक्के लगाने होते,
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और मेरी जिम्मेदारी चेक करने थी की उस जस्ट इंटर पास ननदिया जी के छोटे छोटे चूतड़, ९ इंच से लेकर एक फुट तक ऊपर उठें, चूँचिया भी कम से कम पांच छह इंच, लेकिन सर और कंधे फर्श से चिपके। यही नहीं, जब गुड्डी रानी अपने चूतड़ ऊपर उठायें, तो चूत को कस के भींच ले और नीचे लाएं तो धीरे धीरे ढीली करें।
कम से कम १०० बार और उसके बाद दो मिनट के रेस्ट के बाद, फिर से।
हाँ एक छूट रीनू ने मुझे दे दी थी, मैं उसके साथ मस्ती कर सकती हूँ, उससे करवा सकती हूँ, लेकिन नो पेन्ट्रेशन और उसे झड़ने भी नहीं देना है पार्टी तक, बस झड़ने के कगार पे ले के छोड़ देना है।
ड्रेस, मेकअप ये सब जिम्मेदारी मेरी थी
गुड्डी की तो मार्केट डिमांड बढ़ने वाली है..... अपने आप अपना हाल सुनाएगा तोगुड्डी और कोचिंग की पार्टी उर्फ़ किस्सा गुड्डी बाई के गैंगबैंग का
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लेकिन गुड्डी ने बात दूसरी पूछी,
" भैया को आपने मेरी पार्टी के डिटेल्स बताये, की नहीं "
मैं बड़ी जोर से हंसी,
" स्साली छिनार तेरी सात पुश्त को अपने मायके वालों से चुदवाउ, तेरे न रहने से मेरी वैसे ही डबल कुटाई हो रही है, तेरे हिस्से की भी और पार्टी का किस्सा सुना के अपनी और सांसत करवानी है क्या "
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लेकिन शैतान का नाम लो शैतान हाजिर,.
और गुड्डी के भैया, और मेरे सैंया इसी मौके पे दाखिल हो गए और फोन स्पीकर पर करते हुए मैं गुड्डी से बोली,
"ले तेरा यार आ गया अब तू खुद ही सुना दे, "
और फोन उनकी ओर बढ़ा दिया,
" तेरे बचपन का माल, और तेरे शहर की मशहूर रंडी, गुड्डी बाई,.... लो बात करो, बड़ी खुजली मच रही है तेरी बहिनिया को "
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और वो कुछ बोलते की उसके पहले उनके उस टीनेजर माल की मीठी मीठी आवाज गूंजी,
" भैया, आई मिस यू सो मच, और भाभी ने आपको मेरी पार्टी का हाल भी नहीं सुनाया, ....आपके लिए आने के पहले मैंने रिकार्ड कर के रख दिया था, "
तबतक गुड्डी के किसी दूसरे फोन पे मेसेज वाली घण्टी गूंजी।
वो लौंडिया क्या जिसके पास सिर्फ एक फ़ोन और सिर्फ चार पांच यार हों,
और गुड्डी का मूड बदल गया, " सॉरी भैया, स्साले मादरचोद कैम्प वाले, एक घंटे की छुट्टी थी, बाहर निकलने की लेकिन अभी मेसेज आ गया , दस मिनट में एक सरप्राइज टेस्ट शुरू होने वाला है वो भी ऑफलाइन, मुझे पांच मिनट में कोचिंग में पहुंचना है , भाभी आप को मेरी पार्टी का हाल सुना देंगी और उन्हें सुनाने की फ़ीस भी दे देना, थोड़ी एक्स्ट्रा। "
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और वो शोख, छू मंतर हो गयी।
हम दोनों एक दूसरे को देखते रहे।
थोड़ा सोचते रहे, और फिर मैं मुस्करायी, उन्ह बोली और,
सोच हम दोनों एक ही बात रहे थे,
चारो और इतने कीड़े लगे हैं, कैमरे भी, हमारी साँसों का आना जाना तक रिकार्ड हो रहा है तो गुड्डी की ये दो घंटे की रिकार्डिंग, ये सब सुनी भी जाएंगी, रिकार्ड भी की जाएंगी,
हम दोनों तो शादी शुदा है, जो मर्जी,...
लेकिन एक कुँवारी लड़की जिसने महीने दो महीने पहले इंटर पास किया है उसकी जुबान से ही सब बातें, ये कीड़े सुनेंगे भी रिकार्ड भी करेंगे और दस जगह जाएंगे भी, और फिर गुड्डी के बारे में इन कीड़ों को सब मालूम है। जब ये नहीं आये थे, गुड्डी थी तभी तो उन सबों ने फिट कर दिया था, उसका मोबाइल भी पक्का हैक होगा।
लेकिन मैं मुस्करायी,
"चल स्साली, इनकी सब छिनार मायकेवालियों के बारे में जितना दुनिया को मालूम हो उतना अच्छा, अब गुड्डी को बीस बाइस दिन के बाद ही आना है तो एक बार मिसेज मोइत्रा वाला प्रोग्राम हो जाए तो इनकी महतारी को भी बुलवाउंगी, देख ले ये कीड़े सब कर ले रिकार्डिंग।"
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और गुड्डी की आवाज चालू हो गयी, जी गुड्डी के गैंगबैंग का ये जिक्र गुड्डी की ही आवाज में,
अब उसके साथ मैं तो गयी नहीं थी और ये थे नहीं
तो बूट कैम्प में जाने के पहले ही गुड्डी ने अपनी आवाज में ही रिकार्ड कर दिया था पूरा खेल।
तो गुड्डी की आवाज में गुड्डी की पार्टी का पूरा हाल बस अगले पार्ट में
ये भी कोई कहने वाली बात है..... आप लिखते ही इतना जबरदस्त हो.....गुड्डी की इस कोचिंग की पार्टी का हाल अगले दो पार्ट्स में भी जारी रहेगा, अगर जल्दी से सुनना है,
तो ढेर सारे कमेंट्स, हर पार्ट्स पर कमेंट्स दे डालिये
Guddi humari honhaar hai.jarur clear kar legiभाग २५३
गुड्डी बेचारी पढ़ाई की मारी
३९,२९,२०३
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जब मैं घर पहुंची तो सच में एक डिलीवरी ब्वाय देसी कोल्हू का पांच लीटर का कडुआ तेल लेकर वेट कर रहा था, गीता घर के सामने गाजर वाले को लाइन मार रही थी, दरवाजे पे खड़ी खड़ी, और उस ने घर का सब काम करने के साथ रात के खाने की भी तैयारी पूरी कर दी थी।
गीता गयी और गुड्डी का फोन आ गया, बड़ी खुश खूब मस्तायी।
गुड्डी एकदम पहले की तरह खूब खुश और चहकती, लेकिन बीच बीच में उतनी, ही परेशान, दुखी, अपनी बात ठीक से कह भी नहीं पा रही थी।
रोज उसका फोन आता था बिना, नागा लेकिन रात को आज शाम को ही ये एक अलग बात थी और दूसरे पहले ही टाइम लिमिट बता देती थी, भाभी बस सात मिनट, और आज उसने टाइम लिमिट भी नहीं बतायी और लग रहा था कोचिंग के बाहर है, क्योंकि ट्रैफिक और रेस्टोरेंट्स की भी आवाजें आ रही थीं,
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मैं चालू हो गयी,
"स्साली छिनार रंडी,.... जिन तेरी गली के गदहों से चुदवा चुदवा के तेरी,....तेरी बूआ ने चुदवा चुदवा के तेरे भतार को, मेरे मरद को जना, उन्ही गदहों से तेरी, ..."
अब मैंने गलियों का लेवल ननद के साथ थोड़ा बढ़ा दिया था, उसकी बूआ यानी मेरे बाबू की महतारी से ही शुरुआत होती थी और पूरा खानदान,
और गुड्डी की मीठी खिलखिलाहट, कच्ची धूप की तरह घर में पसर गयी।
" भौजी यही सुनने के लिए तो सबेरे से कान तरस जाते हैं वरना वही फिजिक्स के इक्वेशन, केम्सिट्री के फार्मूले, "
और फिर उस ने वो बात बताई जिस से वो खुश भी थी और थोड़ी दुखी भी
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बूट कैम्प जो स्काई कोचिंग वालों का था वो पन्दरह दिन का था, जिसमे उस कोचिंग के हर सेंटर से टॉप ट्वेंटी आये थे, और सिर्फ क्लास वाले प्रोग्राम से नहीं, ऑनलाइन, करस्पांडेंस कोर्स और भी बाकी सब प्रोग्राम से,
और बहुत कड़ी मेहनत और उससे भी टफ डेली टेस्ट, और जबरदस्त पियर प्रेशर,
मुझे मिसेज मल्होत्रा ने बताया था की बूट प्रोग्राम के फाइनल एक्साम्स को अगर क्लियर भी कर ले तो टॉप टेन मेडिकल कालेज में एडमिशन पक्का,
लेकिन गुड्डी ने अभी जो बताया वो एक और टेढ़ी खीर थी,
इस बार रेगुलर टेस्ट के अलावा एक हर्डल रेस भी उन्होंने रखी थी, जिसमे पार्टीस्पेशन वालंटरी था। पांच टेस्ट होने थे और पेपर सेट करने वाले वही थे जो नीट के पेपर सेट कर चुके थे लेकिन पुराने पेपर्स की अनैलिसिस कर के उन्हें बताया गया था की पिछले दस साल के पेपर्स में जो टफेस्ट सवाल थे, जिन्हे या तो लड़कों ने छोड़ दिया था या गलत किया था उसी तरह के क्वेश्चन बनाने थे। नॉर्मली पेपर में इस तरह के क्वेस्चन दो चार ही होते थे पर अब तो पूरा पेपर और टाइम भी कम,
तो गुड्डी ने उसे ऑप्ट कर लिया था और पहले दो टेस्ट में वो टॉप टेन में थी अब दो दिन के ब्रेक के बाद बाकी तीन टेस्ट होने थे
और कहा यह जाता था की इस टेस्ट में जो टॉप ट्वेंटी में होंगे वो मेडिकल में ऑल इण्डिया टेस्ट मेंiटॉप फिफ्टी में तो पहुंचेंगे ही
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चहक गुड्डी रही थी और खुश मैं हो रही थी, मतलब यहाँ की ही स्काई कोचिंग में तो टॉप पर आ जाने से ही, ....
बड़े से बिल बोर्ड पर संगीता जी की फोटो साथ में एक जबरदस्त बाइक ( इनाम में २,५ लाख और बाइक था ) और अगर कहीं ऑल इण्डिया में टॉप टेन में आ गयी तो हर कोचिंग वाला और फिर इतनी मैगजीन,....कितनी कोचिंग वाली तो खाली अपने एडवर्टिजमेंट में फोटो दे देने के ही लाखों रूपये दे देते हैं और हर बड़े अखबार में खबर के भी पहले जाता है, और उसके शहर में भी जहाँ अभी भी लौंडे संगीता जी की फोटो देख कर मुट्ठ मारते हैं, और जेठानी जी भी अखबार में उसकी फोटो देख्नेगी
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सब की कॉपी मैं अपनी जेठानी को भेजूंगी, जिनकी हर कोशिश थी की गुड्डी के सपने न पूरे हों, क्या क्या जुगत न किये उन्होंने, जुगत तो उन्होंने मुझे भी इनके पास आने से रोकने की बहुत की, अपनी चुदी चुदाई, अपने भैया से गाभिन बहिनिया को देवरानी बना के मेरी सास की ऐसी की तैसी कराने की,
मैंने झटक के निगेटिव थॉट्स हटाए और गुड्डी से पूछा
" साली, इसमें तेरी क्या क्रेडिट है, अरे मेरी ननद है तो टॉप करेगी ही। जो मेरी ननद के आस पास भी आएगा तो मैं हूँ न उसकी गाँड़ मार लुंगी की दस दिन तक हिल नहीं पायेगा और ये तो अच्छी बात है, चल छिनार फोन पे ही एक पुच्ची दे , कुछ तो मीठा हो जाये "
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गुड्डी हँसते हुए लहालोट, उसके मन में शायद वही बात चल रही थी मेरी जेठानी वाली, बोली
" इसमें कोई शक नहीं, जैसे आपने मेरी बड़ी भाभी की गाँड़ मारी थी और मुझे फोन पे आधी रात को उनकी चीखती तड़पती आवाज सुनाई थी , ऐसी कलेजे में ठंडक पहुंची थी, और एक पुच्ची क्यों दस लीजिये "
और सच में मैथ अभी भी कमजोर थी इतनी कोचिंग के बाद, बोला था दस
लेकिन कम से कम १७-१८ बार फोन पे उसने पुच्च पुच्च
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Umda ....परेशानी गुड्डी रानी की -पन्दरह दिन और,
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" अच्छा ये बता परेशानी क्या है "मैं सीधे मुद्दे पे आयी, मैं समझ रही थी, स्साली भूमिका बना रही है, कुछ इसे चुभ रहा है जिसे बताने में ये हिचक रही है।
अब गुड्डी की करुण गाथा चालु हो गयी।
उसकी सबसे बड़ी परेशानी थी, वो मेरे पास ही रहना चाहती थी और अभी इतने दिन से, मैं उसे चिढ़ाती भी की शादी हो जायेगी तो मरद के साथ टाटा बाई करके चली जायेगी, भाभी को पूछेगी भी नहीं, तो वो हंस के बोलती,
" एकदम नहीं, आप को भी साथ ले चलूंगी। बहुत दिन भैया ने मेरी भाभी से मजा ले लिया अब आपके नन्दोई की बारी रहेगी, और आपके मरद को तो वैसे भी काम से फुर्सत नहीं रहती "
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गुड्डी ने परेशानी बता दी। वो चाहती थी टेस्ट क्लियर करना, टॉप टेन में आना, लेकिन असली बात उसके बाद थी। जो आज पता चली ।
जो टॉप ट्वेंटी होंगे, उनका बूट कैम्प पन्दरह दिन का और होगा, और अबकी स्काई कोचिंग ने साउथ इण्डिया के दो तीन कोचिंग वालों से टाई अप किया है जिनके रिजल्ट बहुत अच्छे होते हैं तो उनके टॉप टेन और ४०-५० स्टूडेंट्स का ये स्पेशल कैम्प, जिसमे आधा फोकस स्पीड और एक्जाम स्ट्रेटजी पर होगा और आधे में पढ़ने के साथ हर स्टूडेंट्स की स्ट्रेंथ पर फोकस करेंगे।
ये पहली बार हो रहा है। टेस्ट इसमें भी होंगे और कहा जा रहा है की इसमें जो टॉप ट्वेंटी होंगे वो ऑल इण्डिया मेडिकल में पक्का टॉप फिफ्टी में आयंगे।
मैं समझ गयी, पियर प्रेशर पर पियर प्रेशर, बढ़ती हुयी एक्सपेक्टेशन,
लेकिन गुड्डी की विल पावर बहुत तगड़ी थी कुछ तो जेठानी जी का योगदान था, उनसे बच के जो निकल आये और कुछ यहां उसके भैया और गीता की ट्रेनिंग।
मेरी तरह मेरी ननद पर भी पियर प्रेशर या इस तरह की बातों का कोई असर नहीं पड़ता था, ये मुझे मालूम था और गुड्डी ने हंस के बोला,
" स्साले उन सब लौंडो, लौंडियों से घबड़ाहट नहीं लगती। आप की ननद हूँ, साली सब नर्ड्स, चश्मिश की फाड़ के आउंगी, टॉप २० में आना ही है, .....इत्ती मुश्किल से मेरी रसीली भौजी मुझे ले आयी। "
उस की बात काट के उसी अंदाज में मैंने उसे और चढ़ाया,
" अरे छिनार, लौंडियों की तो फाड़ देगी,..... लेकिन स्साले नर्ड्स लौंडे भी तो होंगे, उनका क्या करेगी ? "
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" उन सबकी तो पक्की गाँड़ मारूंगी. स्साले सोचते हैं जो चीज दोनों टांगों के बीच में हैं खाली लटकने के लिए हैं या सिर्फ मूतने के लिए। उन सबकी परेशानी आपकी ननद को नहीं है, असली बात और है। मैं सोच रही थी, कुछ दिन में आपके और भैया के पास,.... लेकिन, भाभी बस एक मिनट जरा
मैं समझ रही थी अपनी ननद को मल्टी टास्किंग कर रही थी फोन पर मुझसे अपने दिल का हाल कह रही थी तो सामने टेबलेट पे कोई ऑनलाइन टेस्ट कर रही थी बस वही उसे क्लोज कर रही होगी।
और फिर वो चालू हो गयी,
'असली परेशानी है पंद्रह दिन वाली, अब इत्ते दिन, "एकदम से वो लड़की बोल के चुप हो गयी, वो चहकती, खनकती आवाज बुझ गयी,
उसकी आवाज एक बार और उदास हो गयी, "अब इत्ते दिन, सच में मन नहीं लगता। "
उदास तो मैं भी हो गयी लेकिन मैंने बात का ट्रैक बदला, उसे चिढ़ाते हुए सब गिनती जोड़ के मैंने छेड़ा,
" अरे यार ये कह तेरी चम्पाकली में खुजली मच रही है, लेकिन जो एक्सटेंडेड पंद्रह दिन में तो पांच दिन तो शुरू वाले तेरी पांच दिन वाली छुट्टी के होंगे, आ भी जाती तो, "
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वो बड़ी जोर से खिलखिलाई बोली,
" भौजी आप की यही सब बात तो, मुझसे ज्यादा मेरा ख्याल आप रखती हैं, एक एक दिन का हिसाब। आप की बात सही है लेकिन जिस दिन आंटी जी जाती हैं उस दिन जो खुजली मचती है, फिर उसके बाद दस दिन और,,.... भाभी बस एक मिनट"
वो दूसरे फोन से जूझ रही थी और मैं हिसाब जोड़ रही थी
और मेरा दिमाग तेजी से चल रहा था, मतलब किस दिन आएगी, पीरियड ख़तम होने के ग्याहरवें दिन, उसी दिन जाके डाकटर गिल से इसका ताला खुलवा दूंगी
वो उस लौंडे को हड़का रही थी, " अरे स्साले, अभी भाभी से बात कर रही हूँ, ज्यादा गर्मी चढ़ रही है तो अभी पिक भेजती हूँ, देख के मुठ मार लेना, वरना तेरी कोई सगी ममेरी बहन हो, उसकी शलवार का नाडा खोल ले, हाँ पिक भेज दे, बस करती हूँ थोड़ी देर में वीडियो काल "
मैं समझ गयी। मैंने ही उसे बोला था, भले दूर रहना लेकिन लौंडो को चारा डालना मत भूलना। हर दूसरे तीसरे कम से कम, पिक विक भी
और जब गुड्डी वापस लाइन पे आयी तो मैंने उसे चिढ़ाते हुए कहा,
" मान गयी मैं स्साली तेरा लम्बा उपवास चल रहा है, लेकिन जिस दिन आएगी न उस दिन से ही तेरा बचपन का यार तेरे हवाले, मेरी पांच दिन वाली छुट्टी उसी दिन शरू होगी तो बस तू बिन बांटे दिन रात घोंटना, "
" एकदम भौजी, सच में आप ऐसी भौजी कोई हो ही नहीं सकती, और वैसे भी यहाँ से लौटने के बाद मेरी पांच दिन की कम्प्लीट छुट्टी रहेगी, नो क्लास, नो टेस्ट तो आपकी छुट्टी में आप के मरद का ओवरटाइम,.... हाँ आप साथ रहिएगा, देखने का कोई टिकट पैसा नहीं "
हम दोनों खिलखिलाते रहे, और मैं सोच रही थी एक तरह से ये अच्छा ही है की गुड्डी का आना पन्दरह दिन और टल गया।
अब तीन चार दिन तक तो तीज, मिसेज मोइत्रा और उनकी दोनों कच्ची उम्र वाली बेटियां ये उन्ही का रस लेते रहेंगे। लेकिन असली परेशानी थी जगह जगह लगे कैमरे और बग्स, हम लोगो की एक एक बात का आडियो वीडियो, मेरे उनके साथ तो फर्क नहीं पड़ता लेकिन कोई और,
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और उस चक्कर में इनकी महतारी का आना मैंने खुद टाल दिया था और इनकी सास का भी। कहीं कैमरे में, और वो सब,
हाँ इन्होने बोला था की बस हफ्ते दस दिन की बात है,
तो मैं मान के बैठी थी की तीज के हफते भर बाद तक शायद उनकी परेशानियां, सामने जो गाजर वाला और वो फ़ूड ट्रक वाला, ये सब अपना बोरिया बिस्तर समेट के, और गुड्डी भी उसके बाद ही आती
लेकिन मामला अटक रहा था मेरी सास का, मैं नहीं चाहती थी की गुड्डी के सामने, और अब अगर पन्दरह दिन और उसकी कोचिंग बढ़ गयी तो बस उसी टाइम पे इन्हे इनकी महतारी पे चढ़ा दूंगी,
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इनका भी मन का एक कोना उसी में उलझा रहता है तो वो सब हफ्ते दस दिन में अगर ख़तम हो गया,
गुड्डी का आना भी पन्दरह दिन टल गया तो बस वो एकदम सही टाइम रहेगा,
और गुड्डी के आने के पहले
Bus aishe si pehlothi ka mili pe bhi try kijiye.गुड्डी के आने के बाद का प्रोग्राम
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और गुड्डी के आने के बाद क्या होना था ये भी मैंने तय कर लिया और गुड्डी को बता दिया, आखिर नन्द भाभी में क्या छिपाना,
" चल आजा, अबकी तेरे भैया से तुझे न सिर्फ चुदवा चुदवा के तेरी चूत का भोंसड़ा बनवाऊंगी, बल्कि तुझे गाभिन भी करवाउंगी, तेरे भैया से वो भी अपने सामने, पेट फुला के घूमना , "
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वो बड़ी जोर से खिलखिलाई फिर हंस के बोली,
" अरे भौजी आपके मुंह में घी गुड़ लेकिन जो डाक्टर भौजी से आपने ताला लगवा दिया है उसका क्या, ....और मेरा भी मन कर रहा है बहुत होगया ताला लगवाए,"
" आ तो तू, तुझे लेने तो मैं ही आउंगी। घर का ताला बाद में खुलेगा, रस्ते में पहले तेरा ताला तेरी डाक्टर भौजी के यहाँ से खुलवा के लाऊंगी उसी रात को गाभिन करवाउंगी, "मैंने अब खुल के अपना इरादा बता दिया, इतना तो सभी लड़कियां जानती हैं, पीरिएड ख़त्म होने के दस दिन के बाद के पांच दिन सबसे ज्यादा गाभिन होएं के चांस होते हैं और एकदम ठीक उसी समय आ रही थी, बस आते ही उसी रात उस के भाई से गाभिन करवाना , पक्का इरादा
" मंजूर"वो गौरेया चहकती बोली
लेकिन तभी उसके किसी यार का फोन घन्नाया और मैं फिर होल्ड पे हो गयी,
और मैं गुड्डी के गाभिन कराने के पीछे सोचने लगी, एक तो इनकी सास ने इनसे तिरबाचा भरवाया था, बहन चोदने के लिए तभी मिलेगी, जब उसे ये गाभिन भी करेंगे और वो भी मेरे सामने। और इन्होने पक्की हामी भरी थी,
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बेचारा आदमी, बहन के लिए क्या क्या नहीं करता, लेकिन स्साली उनकी रंडी बहन थी भी तो जिल्ला टॉप माल,
और सास से पहले और सास से ज्यादा उनके गुड्डी दोनों के पीछे पड़ी थी गीता,
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पहलौठी का दूध के चक्कर में,
और सच में मैंने खुद देखा था गीता के पहलौठी के दूध का असर इनके खूंटे पे, पहले भी अच्छा खासा था किसी से कम नहीं, लेकिन गीता जिस तरह से अपने पहलौठी के दूध की मालिश करती थी,
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अब एकदम स्टील का रॉड हो गया था, मेरी बहन रीनू भी अब उनका लोहा मान गयी। और दूसरा टाइम, अभी तो जब अजय और कमल जीजू आये थे, तो उन दोनों लोगों की पाली ख़तम हो जाती थी लेकिन ये चौके छक्के लगाते रहते थे।
गीता ने तो दसों बार जब हम दोनों इनके मायके गए थे, इन्हे चिढ़ाते, छेड़ते बोला था, गुड्डी को लाने को,
" हे अपने उस पटाखा को ले आओगे न ,.. तो कंडोम वन्डोम कुछ नहीं ,... अरे आते ही नहीं तो चलो ,एकाध महीना में पक्का गाभिन कर देना उसे ,... अरे नौ महीना साल भर मैं दूध का स्वाद चिखा रहीं हूँ , और वो रुकने के पहले तेरे लिए एक और पहलौठी के दूध का इंतजाम हो जाएगा।"
और एक बार नहीं गीता बार बार , जब अपने पहलौठी के दूध से मालिश करती थी , सीधे अपने थन से दूध की धार डालते हुए , उस ढूध को लन्ड पे मसलते रगड़ते बोली थी ,
" आएगी न वो छिनार , तेरी बहना ,जिस ने मेरे सीधे साधे भैय्या को इतना तड़पाया , पहली चुदाई में ही भैया से गाभिन करना , सारी मलाई सीधे उसकी बच्चेदानी में , बस नौ महीने में जब बियाएगी न तो बस , फिर तो दूध की कोई कमी नहीं ,और जब तक वो नहीं बियाएगी न मैं हूँ न भैया , अब मैं अपनी ससुराल नहीं जाने वाली , तेरा ख्याल रखूंगी। "
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मंजू बाई ने भी तड़का लगाया था ,
" और एक बात बताऊँ , पहलौठी का दूध और कुँवारी अनचुदी बुर के फटने का ,... एकदम जादू होता है "
गीता अपनी मुट्ठी में दूध ले के उनके अब जागे फुंफकारते लन्ड पे रगड़ते बोली ,
" जब तू जाओगे न उस के साथ सुहागरात मनाने , बस अपने हाथ से तैयार करुँगी मैं तुझे और जाने के पहले बजाय तेल के यही लगा के भेजूंगी ,पेल देना एक बार में। जब झिल्ली फटेगी तो सारे मुहल्ले में चीख सुनाई पड़नी चाहिए उसकी। बस ,हो जायेगा न पहलौठी का दूध और कुँवारी की झिल्ली फटने का ,.. क्यों माँ। "
और यहाँ तक की डाकटर गिल भी,
" वाह, यार अपनी ननदिया का यूटेरस गाभिन होने के लिए एकदम तैयार है इसकी साइज ये देखो नार्मल से थोड़ी ज्यादा ही है, ट्रांसफंडल एंडोमेट्रियल कैविटी ३० म म से ज्यादा ही होगी, और एंडोमेट्रियल लाइनिंग भी एकदम परफेक्ट है, और इसकी थिकनेस भी,ओके एकदम परफेक्ट है। ये देख कोमल अपनी ननद की ट्यूब्स भी एकदम परफेक्ट हैं ये स्साली बच्चा जनने के लिए ही बनी है रोज मैं दर्जनों देखती हूँ लेकिन ऐसी परफेट ट्यूब्स, यूटेरस ओवरी मुश्किल से देखने को मिलती है, पिक्चर परफेक्ट। ज़रा भी ब्लॉकेज नहीं है , एंडोमेट्रियम भी परफेक्ट। फाइब्रॉइड्स का सवाल ही नहीं। "
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और डाक्टर गिल ने अपना फैसला सब जांच के बाद सुना दिया था, " मेरी ये ननद पहली बार बिना किसी प्रोटेक्शन के जैसे ही चुदेगी, पक्का गाभिन होगी और नौ महीने बाद बियायेगी भी और वो भी इसी क्लिनिक में। "
तो बस अब जैसे ही २०-२२ दिन बाद आएगी, मैं उसे सीधे लेकर डाक्टर गिल की क्लिनिक, ताला खुलवाने और उसी रात बहिनिया भैया के बीज से गाभिन होगा
बहिनिया चोदने वाले भाई तो बहुत मिल जाएंगे, लेकिन चोद के गाभिन करने वाले कम ही होंगे
और मेरा वाला पक्का अपनी बहिनिया को गाभिन करेगा, और बहिनिया के आने के अगले दिन ही, करीब करीब महीने भर का उपवास रहेगा बेचारी का छनछनाई रहेगी, भैया के लंड के लिए, अब तक दर्जन भर से ज्यादा लंड घोंट चुकी हैं गुड्डी बाई, डेढ़ दो महीने के अंदर, लेकिन अभी भी कहती है, भौजी तेरे मरद जैसा कोई नहीं, स्साला रगड़ के कचर के रख देता है,
और में भी उसकी बात मानती हूँ, जोड़ती हूँ उसकी बात में अपनी बात, " सच्च में ननद रानी, तेरे भैया जैसा कोई नहीं "
और गुड्डी को गाभिन करें वाली बात मजाक में शुरू हुयी लेकिन सीरियस हो गयी और अब तो पक्का,
बात पहली रात की थी, और घूंघट खोलने के बाद पहली शर्त जो मैंने इनसे मनवाई, " पहले पांच साल तक केहाँ केहाँ नहीं होगा, पांच साल के बाद ही सोचेंगे और वो मान गए। मैं अभी भी टीन्स में थी और ये भी चार पांच साल ही तो बड़े थे मुझसे, दूसरी बात भी मान गए ये, दो के बाद बस "
Doodh ki puri taiyari chal rahi hai.haam kam nahi padni chahiye.गुड्डी का गाभिन होना और थोड़ा सा फ्लैशबैक
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और गुड्डी को गाभिन करें वाली बात मजाक में शुरू हुयी लेकिन सीरियस हो गयी,.... और अब तो पक्का,
बात पहली रात की थी, और घूंघट खोलने के बाद पहली शर्त जो मैंने इनसे मनवाई,
" पहले पांच साल तक केहाँ केहाँ नहीं होगा, पांच साल के बाद ही सोचेंगे और वो मान गए। मैं अभी भी टीन्स में थी और ये भी चार पांच साल ही तो बड़े थे मुझसे, दूसरी बात भी मान गए ये, दो के बाद बस "
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लेकिन फंसे ये अपनी सास को जुबान देके, उन्होंने सोचा मजाक
लेकिन सास से मजाक नहीं करते ये उन्हें कुछ दिन बाद अंदाज लगा। जब पहली बार उन्होंने नान वेज बनाया और बहुत अच्छा तो सास ने कहा बोल स्साले क्या चाहिए,
और उनके मुंह से निकल गया, पांच। और उनकी सास ने एवमस्तु वाले अंदाज में हाँ कर दिया और यह भी बोल दिया पहला साल भर के अंदर ही। आज तक इनकी सास ने इनकी किसी बात के लिए इनसे ना नहीं की।
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लेकिन मेरी तो रूह ही काँप गयी, पांच साल पूरा होने में अभी भी दो ढाई साल बचे थे और यहाँ,
और मैं मम्मी से खूब झगड़ी, लेकिन मम्मी मुस्कराती रहीं और जब चुप हुयी तो तो प्यार से बोलीं,
" संगत का असर। तू भी अपने मरद की तरह बेवकूफ हो गयी है, अरे बुद्धू मैंने वर तेरे मरद स्साले को दिया है पांच बच्चे और अभी इस साल में एक, तो तुझे तो नहीं दिया न ये कहा की तेरे कोख से होंगे। तो इस बहनचोद के घर में कौन लौंडियों औरतों की कमी है।.... कैसी भौजाई हो, अपनी ननद को ले आओ गाभिन करवाओ.,....
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और मंजू और गीता उनके पीछे पड़ गयी गुड्डी की फोटो देख के। माल तो है भी स्साली पटाखा, चेहरे से भोली, जुबना आग लगाते हैं
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गीता को दो तीन महीने ही हुआ था बच्चा जने और वो बच्चा अपनी सास को पकड़ा के आ गयी थी, अपनी माँ के पास।
थन खूब भरे रहते थे, दूध छलकता रहता था,
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ब्लाउज गीला, और जो गीता ने इन्हे पहलौठी के दूध का स्वाद चखाया, ये तो एकदम दीवाने और फिर पहलौठी के दूध की रोज जो मालिश करती थी इनके खूंटे पे, सच में लोहे का खम्भा हो गया, और दो बार तीन बार मैं झड़ जाती थी लेकिन वो खड़े का खड़ा, लम्बाई मोटाई भी एक डेढ़ इंच तो,
और गीता ने उन्हें भाई मान लिया था, मंजू उसकी माँ मुझे बहु जी कहती थी बस उस रिश्ते से, गीता बहन और ये भाई और नमबरी बहनचोद भाई। तो गीता ही पीछे पड़ी, गुड्डी की फोटो दिखा के,
" भैया इस पटाखा को ले आओ, बस ले आओ आगे का काम मेरा, इस माल को न तेरे नीचे ले आउंगी, बल्कि तुझसे गाभिन भी करवाउंगी आने के नौ महीने के अंदर, और फिर जब तक मैं बिसकुंगी ( दूध बंद होगा ) तब तक वो तैयार, पहलौठी का दूध भी पिलाएगी लंड पे मालिश भी करेगी, मैं सब सीखा दूंगी अपनी नई भौजाई को "
और जब गुड्डी आयी तो बस गीता और उसके बीच में वही रिश्ता, गीता ननद और गुड्डी नयी भौजाई
और जिस दिन गुड्डी रानी की इन्होने सील तोड़ी चददर पे ( भाग १७१ पृष्ठ ५४१ से भाग १७५ पृष्ठ ५७९ तक ) बस अगले दिन नेग में गीता ने गुड्डी से तीन बार हाँ करवा ली और इनसे भी, भतीजे के लिए, गुड्डी की कोख से साल भर के अंदर और अब गीता उनको और गुड्डी दोनों को याद दिलाती रहती है ,
'भतीजा चाहिए, भतीजा चाहिए, स्साली मायके की रंडी, बूआ का नेग देने से बचने के लिए गाभिन नहीं हो रही, बच्चा नहीं जन रही,...'
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हाँ और जब गुड्डी को मैं इनके साथ ले आयी थी तो ज़ूम पर इनकी सास प्रकट हुयी थीं और गुड्डी की लेने के पहले उन्होंने दो शर्ते रखी थी और उसमे एक ये थी की ये गुड्डी को न सिर्फ हचक के रगड़ के पेलेंगे, बल्कि उसे गाभिन भी करेंगे,
और डाकटर गिल के पास जब मैं गुड्डी को ले गयी थी तो अंदरूनी जांच के बाद उन्होंने बता दिया था की ये माल न सिर्फ चुदने के लिए तैयार है बल्कि बच्चा जनने के लिए भी तैयार है बच्चेदानी तो ऐसी है की एक बूँद पड़े और पेट फूलना शुरू हो जाएगा।
लेकिन मैंने कुछ और बोलना शुरू किया और उन्होंने रोक दिया, डाक्टर गिल को गीता के पहलौठी के दूध का किस्सा और असर मालूम था। वो बोलीं,
" इसकी चूँची की सोच रही हो न, बस जिस दिन प्रेग टेस्ट में दो लाइन आ जाये, अगले दिन ले आना, सीधे ब्रेस्ट में इंजेक्शन लगाउंगी और ये डबल डबल, गाय को जो इंजेक्शन लगाते हैं ज्यादा दूध के लिए बस उसी का एक फ़ार्म समझ ले, यहाँ तो मिलता नहीं मैं इम्पर्टड मंगवाती हूँ, बस हर तीन महीने में एक एक और बच्चा होने के समय में एक, इतना दूध देगी तेरा ननद की समझ ले तेरे मरद का पेट भर जाएगा और मालिश अलग।"
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मैंने भी ढेर सारे आसान सोच रखे थे शर्तिया गाभिन वाले, चूतड़ के नीचे चार पांच तकिया रख के दोनों टाँगे उठी, मेरे मरद के कंधे पे और सुपाड़ा सीधे बच्चेदानी से सटा रहेगा, जब माल गिरेगा या फिर निहुरा के चूतड़ खूब ऊपर उठा के, जिससे एक बूँद मलाई बाहर न आये
और गुड्डी इस बात से एकदम पीछे नहीं हटती थी। जब भी गीता चिढ़ाती तो गुड्डी उलटे उसे जवाब देती
" अपने भैया से कहो न,..... अरे वो तेरा भाई स्साला तो जब कहे तब मैं टांग फैला दूँ, मैं तो दर्जा नौ से तैयार थी लेकिन वही, और फिर उनसे ( मेरी ओर इशारा कर के ) बोलो न की अपनी सहेली डाक्टरनी से ताला खोलवा दें,.... मैं तो खुद कहूँगी,.... हाँ भैया गाभिन कर दे,...हाँ भैया गाभिन कर दे "
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तो बस ये कैम्प से आयी तो पक्का।
Interesting...और तैयारी गुड्डी की पार्टी की
( थोड़ा सा यादों का सफर)
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तब तक गुड्डी की काल ख़त्म हो गयी थी, बोली जावेद था, जावेद मतलब लम्बू, जिसके बम्बू का फोटो मैं भी देख चुकी थी, वास्तव में बांस था।
जावेद को तो मैं भी जानती थी, मिली नहीं थी, लेकिन फेसबुक पे जुडी थी, उसके बम्बू की पिक देख चुकी थी और रानी और गुड्डी दोनों से उसका बखान से सुन चुकी थी, गुड्डी से तो इस्तेमाल के पहले भी और इस्तेमाल के बाद भी, उस कोचिंग वाली पार्टी में सबसे पहले जावेद ने ही मेरी ननदिया की मारी थी, अगवाड़े भी पिछवाड़े भी।
और बात जावेद से कोचिंग वाली पार्टी की ओर मुड़ गयी,
उस दिन उसके भैया नहीं थे, बल्कि एक दो दिन पहले से नहीं थे और पार्टी के बाद अगले दिन जब वो बूट कैम्प जा रही थी तब आये थे, तो बस घर में मैं और गुड्डी,
हाँ दिन में आठ दस बार रानी का फोन आ जाता था, ....और रीनू मेरी कमीनी बहन का भी,
पार्टी के दो तीन दिन पहले जब पता चला, कोचिंग में से ही सबसे गुड्डी ने अपनी मीठी भाभी को, मेरी उस कमीनी बहन रीनू को ही फोन लगाया,
और रीनू ने उसे जबरदस्त इंस्ट्रक्शन दिए और कॉपी मुझे भी फारवर्ड कर दी।
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और एक से एक जबरदस्त इंस्ट्रक्शन जिसे फॉलो करना मेरे लिए भी मुश्किल और गुड्डी के लिए भी।
समझिये, भूख लगी हो, फ्रिज में खूब रसीले गुलाबजामुन रखे हों, लेकिन कोई चिट लगा दे, खाने के लिए नहीं है।
एक तो स्साला मेरा मरद, जीजू लोगो के जाने के बाद से ही, इधर उधर, गायब। चुनमुनिया में चींटी काट रही थी, बल्कि आग लगी थी, मरद नहीं रहता था तो उसकी बहन थी मेरी ज्वाला शांत करने वाली, पर
रीनू ने बोला था की पार्टी तक गुड्डी बाई के ( हाँ अब ये उसका परमानेंट नाम हो गया था, मेरे अलावा उसके भैया और उसकी पक्की सहेली रानी भी इसी नाम से बुलाते थे ) दोनों छेदों में कुछ नहीं जाएगा, एक पतली सींक तक नहीं, ऊँगली, वाइब्रेटर, डिलडो और बट प्लग का सवाल ही नहीं था।
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और उस दिन,
दिन भर मोटू बट्ट प्लग ( ढाई इंच वाला ) डालने के बाद जो 'टाइट अगेन' (वो इम्पोर्टेड क्रीम जो रीनू ले आयी थी और गुड्डी को दी थी, चार बच्चे निकाल चुके भोंसडे को कमसिन चूत बनाने वाली ) रीनू ने गुड्डी बाई की गांड में सील किया था फिर दस मिनट उसे भिंचवाने के बाद गुड्डी की तीन दिन में दर्जन भर से ज्यादा मारी गयी, गाँड़ चींटी के बिल ऐसी टाइट हो गयी थी की गुड्डी बाई के भंडुए भाई की ( जिसने आधी दर्जन से ज्यादा बार गुड्डी के एक ज़माने के 'सीधे सादे भैया ' ने मारी थी ) और पेलने में गुड्डी के भैया और रीनू के जीजू को अपनी पूरी ताकत लगा देनी पड़ी, लेकिन गीता के पहलौठी के दूध की मालिश का असर मेरे मरद का लंड स्टील के रॉड से भी कड़ा और क्या ड्रिलिंग मशीन खोदेगी,
तो रीनू बहन जी की हुकुम था की गुड्डी के दोनों छेदों में कुछ नहीं घुसना चाहिए
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और दो बार मैं अपने सामने अपने हाथों से दोनों छेदो में वो 'टाइट अगेन' वाली ट्यूब सीधे अंदर तक नोजल डाल के पिचकाऊँ ( एक बार रात को सोते समय और अगली बार कोचिंग में जाने से पहले।)
और उसके अलावा यही हिदायत गुड्डी के लिए भी, दो बार उसे खुद भी वो टाइट अगेन, और हर घंटे दोनों छेदो को निचोड़ के, भींच के यानी कुल चार बार।
गुड्डी के लिए तो और भी इंस्ट्रक्शन थे,
योग जो वो रोज २० मिनट करती थी बढ़ा के मेरी कमीनी बहन ने ४० मिनट करवा दिए और उसमें भी मार्जारी आसन या कैट पोज, जिससे वो घंटो निहुरी रह सकती थी,
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और कित्ते जोर के धक्के लगें, दोनों छेदो में एक साथ धक्के लगे, उसकी कमर, हिप और स्पाइन एकदम फ्लैक्सिबिल और रिलेक्स रहते, वो मजा भी ले सकती थी और जवाब भी दे सकती थी, धक्कों का धक्के से।
दूसरा आसन था सेतु आसन, जिसमे उसे नीचे से चूतड़ उठा के धक्के लगाने होते,
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और मेरी जिम्मेदारी चेक करने थी की उस जस्ट इंटर पास ननदिया जी के छोटे छोटे चूतड़, ९ इंच से लेकर एक फुट तक ऊपर उठें, चूँचिया भी कम से कम पांच छह इंच, लेकिन सर और कंधे फर्श से चिपके। यही नहीं, जब गुड्डी रानी अपने चूतड़ ऊपर उठायें, तो चूत को कस के भींच ले और नीचे लाएं तो धीरे धीरे ढीली करें।
कम से कम १०० बार और उसके बाद दो मिनट के रेस्ट के बाद, फिर से।
हाँ एक छूट रीनू ने मुझे दे दी थी, मैं उसके साथ मस्ती कर सकती हूँ, उससे करवा सकती हूँ, लेकिन नो पेन्ट्रेशन और उसे झड़ने भी नहीं देना है पार्टी तक, बस झड़ने के कगार पे ले के छोड़ देना है।
ड्रेस, मेकअप ये सब जिम्मेदारी मेरी थी
Par bug wale ko tharki hi dikhana tha na.गुड्डी और कोचिंग की पार्टी उर्फ़ किस्सा गुड्डी बाई के गैंगबैंग का
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लेकिन गुड्डी ने बात दूसरी पूछी,
" भैया को आपने मेरी पार्टी के डिटेल्स बताये, की नहीं "
मैं बड़ी जोर से हंसी,
" स्साली छिनार तेरी सात पुश्त को अपने मायके वालों से चुदवाउ, तेरे न रहने से मेरी वैसे ही डबल कुटाई हो रही है, तेरे हिस्से की भी और पार्टी का किस्सा सुना के अपनी और सांसत करवानी है क्या "
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लेकिन शैतान का नाम लो शैतान हाजिर,.
और गुड्डी के भैया, और मेरे सैंया इसी मौके पे दाखिल हो गए और फोन स्पीकर पर करते हुए मैं गुड्डी से बोली,
"ले तेरा यार आ गया अब तू खुद ही सुना दे, "
और फोन उनकी ओर बढ़ा दिया,
" तेरे बचपन का माल, और तेरे शहर की मशहूर रंडी, गुड्डी बाई,.... लो बात करो, बड़ी खुजली मच रही है तेरी बहिनिया को "
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और वो कुछ बोलते की उसके पहले उनके उस टीनेजर माल की मीठी मीठी आवाज गूंजी,
" भैया, आई मिस यू सो मच, और भाभी ने आपको मेरी पार्टी का हाल भी नहीं सुनाया, ....आपके लिए आने के पहले मैंने रिकार्ड कर के रख दिया था, "
तबतक गुड्डी के किसी दूसरे फोन पे मेसेज वाली घण्टी गूंजी।
वो लौंडिया क्या जिसके पास सिर्फ एक फ़ोन और सिर्फ चार पांच यार हों,
और गुड्डी का मूड बदल गया, " सॉरी भैया, स्साले मादरचोद कैम्प वाले, एक घंटे की छुट्टी थी, बाहर निकलने की लेकिन अभी मेसेज आ गया , दस मिनट में एक सरप्राइज टेस्ट शुरू होने वाला है वो भी ऑफलाइन, मुझे पांच मिनट में कोचिंग में पहुंचना है , भाभी आप को मेरी पार्टी का हाल सुना देंगी और उन्हें सुनाने की फ़ीस भी दे देना, थोड़ी एक्स्ट्रा। "
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और वो शोख, छू मंतर हो गयी।
हम दोनों एक दूसरे को देखते रहे।
थोड़ा सोचते रहे, और फिर मैं मुस्करायी, उन्ह बोली और,
सोच हम दोनों एक ही बात रहे थे,
चारो और इतने कीड़े लगे हैं, कैमरे भी, हमारी साँसों का आना जाना तक रिकार्ड हो रहा है तो गुड्डी की ये दो घंटे की रिकार्डिंग, ये सब सुनी भी जाएंगी, रिकार्ड भी की जाएंगी,
हम दोनों तो शादी शुदा है, जो मर्जी,...
लेकिन एक कुँवारी लड़की जिसने महीने दो महीने पहले इंटर पास किया है उसकी जुबान से ही सब बातें, ये कीड़े सुनेंगे भी रिकार्ड भी करेंगे और दस जगह जाएंगे भी, और फिर गुड्डी के बारे में इन कीड़ों को सब मालूम है। जब ये नहीं आये थे, गुड्डी थी तभी तो उन सबों ने फिट कर दिया था, उसका मोबाइल भी पक्का हैक होगा।
लेकिन मैं मुस्करायी,
"चल स्साली, इनकी सब छिनार मायकेवालियों के बारे में जितना दुनिया को मालूम हो उतना अच्छा, अब गुड्डी को बीस बाइस दिन के बाद ही आना है तो एक बार मिसेज मोइत्रा वाला प्रोग्राम हो जाए तो इनकी महतारी को भी बुलवाउंगी, देख ले ये कीड़े सब कर ले रिकार्डिंग।"
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और गुड्डी की आवाज चालू हो गयी, जी गुड्डी के गैंगबैंग का ये जिक्र गुड्डी की ही आवाज में,
अब उसके साथ मैं तो गयी नहीं थी और ये थे नहीं
तो बूट कैम्प में जाने के पहले ही गुड्डी ने अपनी आवाज में ही रिकार्ड कर दिया था पूरा खेल।
तो गुड्डी की आवाज में गुड्डी की पार्टी का पूरा हाल बस अगले पार्ट में