घर के पीछे का माहौल पूरी तरह से गरमा चुका था, मां बेटे दोनों पूरी तरह से मत हुए जा रहे थे ठंडे-ठंडे पानी में होने के बावजूद भी दोनों के बदन में अत्यधिक गर्मी का एहसास हो रहा था,,, अंकित इस अद्भुत और रोमांचक पल में पूरी तरह से डूबने लगा था यह वह पल था जिसे जीने के लिए शायद हर एक बेटा केवल अपने मन में कल्पना कर सकता है लेकिन ऐसा पल वह वास्तविक रूप से जी नहीं सकता,, और ऐसा तभी संभव हो सकता है जब मां बेटे दोनों के बीच किसी तरह का आकर्षक हो दोनों के बीच अत्यधिक शारीरिक आकर्षण के साथ-साथ शारीरिक संबंध स्थापित हो या फिर शारीरिक संबंध स्थापित होने की संभावना हो, इसलिए अंकित अपने आप को पूर्ण रूप से भाग्यशाली समझ रहा था बचपन में तो सभी लड़के अपनी मां के हाथों से नहाते हैं लेकिन जवानी का हाल ही कुछ और होता है,,, जवानी में बेटा पूरी तरह से मर्द बन चुका होता है उसके अंगों का उभार उसकी शारीरिक क्षमता को दर्शाता है,,, जवान होने पर वह किसी भी औरत को अपनी तरफ आकर्षित करने में सक्षम होता है और इन सब में सबसे अहम भूमिका होती है उसकी दोनों टांगों के बीच के लटकते हथियार की जिसके बारे में औरतें अत्यधिक सोच विचार करती हैं,,, और इसीलिएअंकित अपने आप को भाग्यशाली समझ रहा था क्योंकि अब वह पूरी तरह से जमाना चुका थाउसके शारीरिक विकास पूरी तरह से उसे मर्द साबित कर रहे थे और साथ ही उसका लंडजिसे सिवा किसी भी औरत को संतुष्ट करने की क्षमता रखता था वह पूरी तरह से अपने उफान पर था,,।

ऐसे में उसकी मां उसे नहलाते हुए उसकी चड्डी में हाथ डालकर साबुन लगा रही थी जिससे जाहिर सी बात थी कि उसकी उंगलियों और हथेलियों का स्पर्श उसके मोटे तगड़े लंड पर होना लाजिमी था,, और ऐसा हो भी रहा था जिसके चलते मां बेटे दोनों पूरी तरह से गर्म हो चुके थे दोनों की हालत खराब होती चली जा रही थी,,,अंकित अपनी आंखों को बंद कर लिया था क्योंकि वह जानता था कि वह इसे अत्यधिक उत्तेजना को बर्दाश्त नहीं कर पाएगा और उसे इस बात का डर था कि कहीं उसका लंड पानी न छोड़ दे,,,लेकिन इन सबके बावजूद तो वह अपनी मर्दाना ताकत को आजमाना चाहता था वह देखना चाहता था कि इतनी अत्यधिक उत्तेजना ऊर्जा का संचार लंड के इर्द-गिर्द होने से उसका लंड कितनी देर तक टिक पाता है, और वास्तविक रूप यही अपने आप को देर तक टिका पानी की क्षमता को ही औरतों पसंद करती है वरना तो बुरे में लंड कोई भी सामान्यमर्द भी डालकर अपनी कमर हिला सकता है लेकिन सबसे ज्यादा अहम भूमिका इस मर्द की होती है औरत इस मर्द की गुलाम बन जाती है जो अत्यधिक देर तक धक्के पर धक्का लगाकर औरत को बुरी तरह से झाड़ देता है और वह भी बिना झड़े, और अंकित अपनी मर्दाना अंग पर पूरा विश्वास रखता थाउसे पूरा यकीन था कि वह किसी भी औरत को संपूर्ण रूप से संतुष्ट करने की क्षमता रखता है जिसका एहसास उसे दो औरतों की चुदाई करके हो चुका था एक अपनी ही नानी की और सुमन की मां की उनकी चुदाई करते समयएक क्षण के लिए भी अंकित को नहीं लगा था कि उसकी चुदाई से वह दोनों औरतें संतुष्ट नहीं है दोनों के चेहरे पर संतुष्टि के भाव एकदम साफ दिखाई देते थे और यह देखकर अंकित भी पूरी तरह से गदगद हो जाता था,,,,।
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इसी तरह से साबुन लगाता है ना अंकित तु,,,,।
हां मम्मी,,,(मदहोशी भरे श्वर में हालांकि अभी भी उसकी आंखें बंद थी, और यह देखकर सुगंधा के चेहरे पर मुस्कान तैर रही थी,,,) बिल्कुल ऐसे ही रगड़ रगड़कर साबुन लगाना पड़ता है मुझे क्योंकि अगर इस जगह की सफाई ना करो तो पसीने की वजह से खुजली हो जाती है और खुजली हो जाती है तो परेशानी हो जाती है इसलिए मैं इस जगह को बराबर और रोज साफ करता हूं,,,।
अच्छा हुआ तूने मुझे बता दिया वरना मैं तो ऐसे ही तुझे नहलाने वाली थी,,,,(ऐसा कहते हुए सुगंधा की हालत खराब होती चली जा रही थीबार-बार उसकी उंगलियों से उसकी हथेलियां से उसके बेटे का लंड पूरी तरह से स्पर्श खा जाता था रगड़ खा जाता था और तो और लंड की लंबाई इतनी थी कि चड्डी की इलास्टिक आगे की तरफ खींच जाती थी जिसकी वजह से लंड की जड़ एकदम साफ नजर आती थी जिसे देखकर सुगंधा की बुर पानी पानी हो रही थी,,,, सुगंधा अच्छी तरह से जांघों के ऊपरी हिस्से पर कोने की तरफ साबुन लगा लगा कर झाग से तर-बतर कर दी थी,,,,,सुगंधा का मन तो कर रहा था कि इसी समय अपने हाथों से अपने बेटे की चड्डी उतार कर उसे पूरी तरह से नंगा करके उसके मोटे तगड़े लंड से खेलना शुरू कर दे क्योंकिइस तरह की उत्तेजना सुगंधा से भी बर्दाश्त नहीं हो रही थी उसे अपनी बुर फुलती हुई पिचकती हुई महसूस हो रही थी,,लेकिन फिर भी साबुन लगाते हुए वह अपने बेटे से इस बारे में जानकारी ले लेना चाहती थी इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोली,,,)
इस पर भी साबुन लगाता है क्या,,,,?(इतना कहकर वहां अंकित की तरफ देखने लगी जो की मदहोशी में अपनी आंखें बंद करके आनंद लूट रहा था,,, अपनी मां की बात सुनकर वह आंखों को खोले बिना ही बोला,,,)
किस पर,,,,(आंखों को बंद किए हुए ही बोला)
अरे इस पर,,,(अपने बेटे की चड्डी में हाथ डाले हुए ही सुगंधा बोली,,,,)

अरे किस पर बोल रही हो बताओ तो सही,,,(अंकित समझ गया था कि उसकी मां किस बारे में बात कर रही है लेकिन फिर भी वह अपनी मां के मुंह से सुनना चाहता था जो कि अपने बेटे की बातें सुनकर बोली,,,)
अरे इसी पर समझ में नहीं आ रहा है क्या तुझे इस पर भी साबुन लगाता है कि नहीं,,,, आंखें खोल कर देखेगा तब ना तुझे समझ में आएगा,,,,।
मेरी आंख में साबुन लगा हुआ है मेरी आंखें नहीं खुल पाएंगी तुम थोड़ा खुल कर बताओ सब जगह तो साबुन लगा ली हो अब किस पर लगाना बाकी रह गया है,,,।
अरे बुद्धू मुझे भी मालूम है कि मैं पूरे बदन पर साबुन लगा दी हूं लेकिन,,,,(चड्डी में हाथ डाले हुए ही अपने अंगूठे और उंगली के सहारे से अपने बेटे के लंड की जड़ को पकड़ कर हल्के से हिलाते हुए,,,) इस पर भी साबुन लगाता है कि नहीं,,,,।
(इस हरकत को करते हुए सुगंधा के तन बदन में अजीब सी लहर उठ रही थी वह पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी,,,, और तो और सुगंधा से भी ज्यादा हालत खराब अंकीत की हो गई थी अपनी मां की हरकत से अंकित पूरी तरह से आश्चर्यचकित हो गया था,,,जिस तरह से उसने अपनी उंगलियों का सहारा लेकर उसके लंड को पकड़ कर हल्के से हिला कर पूछी थी अपनी मां की हरकत पर अंकित पूरी तरह से चारों खाने चित हो गया था उसका दिमाग काम करना बंद हो गया था पल भर के लिए उसे ऐसा लगा कि उसके लंड से पानी की पिचकारी फुट पड़ेगी । उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दे,,,, वह अपने मन में बन चुका था कि हां बोल दे लेकिन न जाने कैसे उसके मुंह से निकल गया,,,)
नहीं इस पर नहीं लगाता,,,,,(अंकित यह शब्द बोलकरबुरी तरह से पछता रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके मुंह से यह शब्द कैसे निकल गए शब्दों के बाण उसके मुंह से निकलते ही वह अपने आप पर ही गुस्सा हो गया था,,,मुंह से निकलने वाला शब्द भी किसी बाण से कम नहीं होता एक बार निकल गया तो उसे वापस नहीं लिया जा सकता,,,, एक पल कोअंकित को लगा कि वह बोल दे कि हां इस पर भी साबुन लगता है लेकिन वह इस समय ऐसा कहना उचित नहीं समझ रहा था क्योंकि उसकी मां ऐसा ही समझे कि जानबूझकर वह पकडाने के लिए उसे ऐसा बोल रहा है,,,, इसलिए वह मन होने के बावजूद भी नहीं बोल पाया,,, ऐसा नहीं था कि अंकित की बात से उसकी मां को निराशा नहीं हुई थी,,उसे लगा था कि उसका बेटा हां बोलेगा लेकिन उसे भी बड़ा दुख हुआ जब उसके बेटे ने उसे पर साबुन लगाने से इनकार कर दिया थाऔर अंकित की तरह उसके मन में भी हुआ था कि वह अपने मुंह से बोल दे कि इस पर भी साबुन लगाकर में साफ कर देता हूं लेकिन ऐसा करना वह भी उचित नहीं समझ रही थी क्योंकि उसके मन में भी ऐसा हो रहा था कि अगर वह ऐसा बोलेगी तो उसका बेटा यही समझेगा कि उसकी मां उसका लंड पकड़ने के लिए ऐसा बोल रही है,,, इसलिए वह भी अपने मन में आए इस ख्याल को जाने दे और थोड़ी देर इस तरह से साबुन लगाने का मेकअप करते हुए अपने बेटे के लंड की रगड़ को अपनी हथेली पर महसूस करके अपनी बुर से पानी बहाती रही,,,, और फिर थोड़ी देर बाद अपना हाथ अपने बेटे की चड्डी में से बाहर निकाल ली,,,।
देख तुझसे भी बढ़िया में साबुन लगा दी हुं,,,,।
मुझे भी ऐसा ही लग रहा है,,,(इस दौरान भी चड्डी में तंबू बना हुआ था उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में खड़ा था और उसके चड्डी की इलास्टिक आगे को तनी हुई थी जिसमें से उसके लंड की जड़ एकदम साफ दिखाई दे रही थी जिसे देखकर सुगंधा पानी पानी हो रही थी,,,,पल भर के लिए सुगंधा के मन में यह ख्याल आता था कि वह किस लिए रुकी है किस लिए अपने आप पर इतना काबू करके बैठी है आखिरकार अपने आप पर संयम रखने में उसे क्या मिल जाएगा उसकी आंखों के सामने कुएं का ठंडा पानी है और वह प्यासी तड़प रही है,,, इतना कुछ तो हो चुका है दोनों के बीच बस लंड को बुर में जाने की दे रही है,,,, फिर उसके बाद जो अद्भुत सुख प्राप्त होगा जो कलेजे को ठंडक मिलेगी उसका वर्णन करना संभव हो जाएगाऔर उसके बाद सब कुछ सामान्य तौर पर चलता रहेगा किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा चार दिवारी के अंदर मां बेटे के बीच क्या हो रहा है भला किसी दूसरे को कैसे पता चल सकता है,,,,लेकिन कैसे शुरुआत की जाए कैसे मैं अपने बेटे को कह दूं कि अब अपने लंड को मेरी बुर में डाल दीसाला यह भी तो निकम्मा है इतना कुछ होने के बावजूद भी नहीं समझ पा रहा है अगर उसकी जगह कोई और लड़का होता तो अब तक शायद मुझे पटक कर मेरी चुदाई कर दिया होता,,, सब कुछ तो उसकी आंखों के सामने हैएक जवान लड़के को भला एक खूबसूरत मां इस तरह से क्यों नहीं लेगी क्यों उसकी चड्डी में हाथ डालेगी क्यों उसे इस तरह की असलियत सवाल पूछे कि यह सब भी तो यह निकम्मा बिल्कुल भी नहीं समझ रहा है,,, हाय रे मेरी फुटी किस्मत,,,, अपने हाथ को अपने बेटे की चड्डी में से बाहर निकालते हुए सुगंधायह सब सो रही थी और अपने आप पर भी और अपने बेटे पर भी मन ही मन क्रोधित हो रही थी,,,,।
अंकित की आंखें अभी भी बंद थी चड्डी में बना तंबू उसके मन में क्या चल रहा है सब कुछ बयां कर रहा था,,, बस उसके मन की बात उसकी तरफ से किसी भी प्रकार की हरकत में नहीं बदल रही थी हालांकिवह इतना तो बेशर्म हो चुका था कि अपनी चड्डी में बने तंबू को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था इतना तो उसे एहसास ही हो रहा था कि जब उसकी मां उसे सब कुछ दिखाने पर आतुर है तो वह भला अपनी तरफ से मर्यादा में रहने का ढोंग क्यों करें,,, घर के पीछे कुछ पल के लिए पूरी तरह से सन्नाटा छा चुका था दोपहर का समय था आज पड़ोस में भी सन्नाटा छाया हुआ था दीवार के पीछे की तरफ मैदान ही मैदान था दोपहर में वहां से किसी के गुजरने की भी आशंका नहीं थी इसलिए मां बेटे पूरी तरह से निश्चिंत थे,,,,गहरी सांस लेते हुए अपनी बेटी के चड्डी में बने तंबू को और उसके लंड की जड़ को जो की चड्डी में से एकदम साफ तौर पर बाहर की तरफ झलक रहा था उसे देखकर वह कुछ सोच कर बोली,,,,।
अब तेरी बारी है,,,,।
(इतना सुनते ही अंकित के तन बदन में ससुराल सी तोड़ने लगी उसे अपनी मां की बात का मतलब अच्छी तरह से समझ में आ रहा था लेकिन फिर भी उसे अपने कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था इसलिए वह फिर से तसल्ली करने के लिए अपनी मां से बोला,,)
मेरी बारी मतलब मे कुछ समझा नहीं,,,,,,!
अरे बुद्धू जिस तरह से मैं तुझे साबुन लगाई इस तरह से तू भी मेरे बदन पर साबुन लगा,,,।
सच में,,,(एकदम उत्साहित होता हुआ वह बोला,,)
हां सच में,,,,(सुगंधा जानती थी कि उसका बेटा ऐसा क्यों पूछ रहा था और वह अपने बेटे की मनुस्थिति को भी अच्छी तरह से समझ रही थी उसके चेहरे की रौनक उसके चेहरे पर आए बदलाव उसके मन कीबातों को बयां कर रहे थे वह समझ गई थी कि एक औरत के बदन पर साबुन लगाने की खुशीसे उसका चेहरा कितना लाल हो चुका है उसके मन में कितनी उमंगे उठ रही हैं इसलिए अपने बेटे की हालत को देखकर वह भी खुश हो रही थी और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)
चल अब जल्दी से साबुन ले और मेरे बदन पर लगा अच्छी तरह से लगाना जैसा मैंने तेरे बदन पर लगाई हूं एक भी कोना बाकी नहीं रहना चाहिए,,, तेरी ही तरह मुझे भी सफाई पसंद है,,,,।(इतना कहते हुए सुगंधा लकड़ी की पाटी पर गांड रख कर बैठ गई,,,, और अंकित एकदम उत्साहित होकरजल्दी से पानी के छिंटे अपनी आंख पर मरने लगा क्योंकि साबुन के लगने की वजह से उसकी आंख में जलन हो रही थी और वह इस समय अपनी मां के बदन के हर एक कोने को देखना चाहता था हर एक कोने पर अपना हाथ फिराकर उसपर साबुन लगाना चाहता था,,, अंकित का उत्साह एकदम से बढ़ गया था अभी भी उसके बदन पर साबुन का झाग लगा हुआ था और वह इस समय अपने बदन पर पानी बिल्कुल भी डालना नहीं चाहता था,,,, और ना ही समय गंवाना चाहता थाक्योंकि वह नहीं चाहता था कि उसकी मां अगले ही पल कुछ सोच कर उसे ऐसा करने से रोक देइसलिए वह तुरंत अपने हाथ में साबुन ले लिया था और अपनी आंखों को साफ करके वह ठीक अपनी मां के पीछे खड़ा हो गया था जहां से उसकी मां की मदमस्त कर देने वाली चूचियां एकदम से दिखाई दे रही थी उसे पर बनी हुई डोरी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी मां की बेलगाम जवानी पर लगाम कसे हुए हैं,,,, और इसी लगाम को उसे छुड़ाना था,,,, हाथ में साबुन लिए हुए वह अपनी मां की मदमस्त कर देने वाली चूचियों को देखकर वह धीरे से अपनी मां के कंधों पर साबुन लगाना शुरू कर दिया,,,।
लगभग यह उसका दूसरा मौका था जब वह अपनी मां के बदन पर साबुन लगा रहा थाइस तरह से वह अपनी मां के बदन पर पहले भी साबुन लगा चुका था जब उसकी मां की तबीयत खराब थी लेकिन आज का यह दिन और उसे दिन में जमीन आसमान का फरक था,,,उसे दिन की बात उसे दिन का माहौल कुछ और था और आज का माहौल पूरी तरह से मदहोश कर देने वाला था,,,, उस दिन उसकी मां की तबीयत खराब थी,,,, इसलिए अंकित चाह कर भी उस अवसर का लाभ नहीं ले सकता था,,, लेकिन आज की बात कुछ और थी आज मौका भी था और दस्तूर भी था आज उसकी मां पूरी तरह से होशो हवास में थी और अपने ओशो हवास में होने के बावजूद भी उसे बदहवास कर रही थी अपने ही बेटे का होश उड़ा रही थी,,,,अंकित अपनी मां की कंधों पर धीरे-धीरे साबुन लगा रहा था और उसकी तेज नजरे पेटिकोट की डोरी से अंदर की तरफ झांक रही थी पानी में भीग जाने की वजह से च की निप्पलतने हुए भाले की नोक की तरह पेटिकोट फाड़कर बाहर आने के लिए आतुर नजर आ रही थी,,,, और इस मादकता भरे नजारे को देखकर खुद अंकित का लंड अंडरवियर फाड़ कर बाहर आने के लिए मचल रहा था।
अंकित बार-बार अपनी मां की चूचियों की तरफ और अपने चड्डी में बने तंबू की तरफ देख रहा था जिस तरह से उसकी मां अपनी चुचियों का भर उसके सर पर लादकर उसे साबुन लगा रही थी उसी तरह से वह अंडरवियर में तने हुई अपने लंड को अपनी मां की पीठ पर रगड़ते हुए उसे साबुन लगाना चाहता था ताकि उसकी मां को भी एहसास हो कि उसके बेटे पर क्या गुजर रही है,,,, सुगंधा मदहोश हो रही थी अपने जवान बेटे के हाथों से अपने बदन पर साबुन लगवा कर वह पूरी तरह से उत्तेजना के चरम शिखर पर विराजमान हो चुकी थी,,, वह अपने मन में यही सोच रही थी कि शायद वहपहली ऐसी मां है जो अपने जवान बेटे से अपने नंगे बदन पर साबुन लगा रही है और उसे अपने बदन का हर एक अंग देखने की पूरी छूट दे रही है,, ऐसा करने में उसे शर्म भी महसूस हो रही थी,,,,रह रहे कर उसके मन में यही ख्याल आता था कि यह वह क्या कर रही है अपने ही जवान बेटे के साथ उसे ऐसा नहीं करना चाहिए अपने बेटे को इस तरह से नहीं लुभाना चाहिए और वह भी अपना ही बदन दिखाकर,,, उसके जेहन मेंरह रहे कर यही सवाल पूछता रहता था कि क्या ऐसा करना उचित हैकहीं यह सब के दौरान उसका बेटा पूरी तरह से मदहोश होकर जवानी के जोश में उसके साथ कुछ कर बैठा और उसे पछतावा होने लगा तो वह क्या करेगी,,, भले ही उसे भी एक पुरुष संसर्ग की जरूरत है लेकिन हद से गुजरने के बाद जब होश में आएगी तो क्या वह अपने आप से नजर मिल पाएगी अपने बेटे से नजर मिल पाएगी।
इस तरह के सवाल से उसका खुद का मन उसे झकझोर देता थाकुछ देर के लिए बस सोचने पर मजबूर हो जाती थी कि क्या वाकई में वह कुछ गलत कर रही हैएक मां होने की नाते वह एक मां की मर्यादा से निकलकर अपने बेटे के सामने पूरी तरह से निर्लज्ज वेश्या की हरकत क्यों कर रही है क्यों अपने बेटे की मां ना बनकर उसके सामने एक औरत बन जा रही है,,, क्या हर एक मां मे एक औरत होती है जो अपने ही अक्स से बाहर निकल कर अपनी जरूरतों को पूरा करती हैक्या उसकी तरह दूसरी भी औरतें ऐसा करती होगी अपने ही बेटे के साथ इस तरह की हरकत करके उन्हें मस्त करती होगी और उन्हें मजबूर करती होगी अपनी ही मां के साथ संबंध बनाने के लिए,,,, यह सब सवाल उसके मन में चल ही रहा था कि तभी उसे नूपुर की याद आ गई और तुरंत उसकी आंखों में चमक वापस लौट आई,,,पर अपने आप से ही बोली नूपुर भी तो ऐसा करती है अपने ही बेटे के साथ सारी संबंध बनाकर अपनी जरूरत को पूरा कर रही है अपनी संतुष्टि को भोग रही है जब वह ऐसा कर सकती है तो मैं क्यों नहीं कर सकतीउसके पास तो उसका पति भी है लेकिन उसके पास कौन है बरसों से वह इसी तरह क्या जीवन तो जी रही है अगर वह अपने बेटे के साथ सारी संबंध बनाना चाहती है और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाकर अपनी जरूरत को पूरा करना चाहती है तो इसमें हर्ज ही क्या है,,,,,। और भला किसी को क्या पता चलने वाला है की मां बेटे के बीच किस तरह का रिश्ता है,,,,,,, बहुत कुछ सोचने के बाद वह फिर से आगे बढ़ाने को अपने आप को तैयार कर ली और मन ही मन प्रसन्न होते हुए अपने बेटे से बोली,,,।
देख अंकित अच्छी तरह से साबुन लगाना मुझे अच्छी तरह से साबुन लगाकर नहाना पसंद है,,,।
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मम्मी मैं शिकायत का मौका नहीं दूंगा,,,(अपने हाथों को धीरे-धीरे कंधों से नीचे की तरफ ले जाते हुए अंकित बोला)