• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery दिलवाले

park

Well-Known Member
13,140
15,508
228
#५

जीप में से सेठ का मेनेजर उतरा. उसके माथे का पसीना और अस्त व्यस्त हालत देख कर ही मैं समझ गया था की अच्छी खबर तो लाया नहीं होगा ये.

“तुम्हे चलना होगा मेरे साथ ” देवीलाल ने कहा

मैं- क्या हुआ

देवीलाल- सेठ को मार दिया लाला के गुंडों ने, शहर छोड़ कर भागना चाहता था था सेठ पर मुमकिन नहीं हो सका.

खबर सुनकर झटका सा लगा मुझे. सेठ के अहसान थे मुझ पर इस अजनबी शहर में काम दिया था उसने .

“और सेठानी. ” बड़ी मुस्किल से बोल सका मैं.

“मेरे साथ आओ ” देवीलाल ने कहा तो मैं जीप में बैठ गया. बहुत तेजी से गाडी चला रहा था वो और मेरा दिमाग जैसे एक जगह रुक गया था . मन जैसे सुन्न हो गया था . दिल में एक बोझ सा आ गया था , मन उचाट हो गया मैं अपने आप को गलत समझने लगा. अगर मैं लाला के गुंडों को नहीं पीटता तो शायद सेठ जिन्दा होता. आँखों के किसी कोने से आंसू बह पड़े. होश जब आया, जब गाड़ी के ब्रेक कानो से टकराए.

सेठ के घर की बस्ती थी ये , सेठ के घर के पास बहुत भीड़ जमा थी , कांपते हुए दिल को लिए मैंने कदम आगे बढ़ाये. भीड़ हटने लगी थी , घर के निचे मैंने गाड़ी के काले बोनट पर बैठे उसे देखा जो शान से सिगार का धुंआ उड़ा रहा था .

“ले आया शोएब बाबा मैं इसे, मुझे माफी दो ” दौड़ते हुए देवीलाल उसकी तरफ भागा पर पहुँच नहीं पाया क्योंकि शोएब की गोली ने उसके कदम रोक दिए.

“माफ़ी के लायक नहीं तू, धोखेबाज सिर्फ गोली खाते है.” बोनट पर बैठे बैठे ही बोला वो.

सेठ मर गया था, देवीलाल का जिस्म तडप रहा था . तभी मेरी नजर कोने में सर झुकाए सेठानी पर पड़ी जो निर्वस्त्र थी . सौ लोग तो होंगे ही वहां पर और उनके बीच में एक नारी नंगी बैठी थी . कांपती धडकन चीख कर कहने लगी थी की उस औरत की लाज नहीं बची थी.

“शोएब , ये ठीक नहीं किया तूने अंजाम भुगतेगा इसका. ” चिल्ला पड़ा मैं .

उसने बेफिक्री से सिगार का कश खींचा और उतर कर मेरे पास आया, इतने पास की सांसो का निकलना भी मुश्किल हो. उसने बन्दूक मेरे सर पर लगा दी और बोला- सिर्फ एक गोली और सब ख़तम पर ये तो आसान मौत होगी. अगर तुझे आसान मौत दी फिर खौफ क्या ही होगा शाहर के लोगो में . तुझे तड़पना होगा तेरी तड़प ही इस शहर को बता सकती है की हमारे सामने सर उठाने वालो का अंजाम क्या होता है .

“किस्मत बड़ी ख़राब है तेरी शोएब ,किस्मत सबको एक मौका देती है तूने गँवा दिया अपना मौका . सेठ की मौत के लिए तुझे शायद माफ़ी भी मिल जाती पर इस अबला औरत पर तूने जो जुल्म किया है न तू कोसेगा उस पल को जब तूने इसकी अस्मत लूटी. जिस मर्दानगी का गुमान है न तुझे, तू रोयेगा की तेरी माँ ने तुझे मर्द पैदा ही क्यों किया.कमजोरो पर वार करने वाले कभी मर्द नहीं होते,तेरी नसों में मर्द का खून बह रहा है तो आज और दिखा तेरा जोर मुझे .” कहते हुए मैंने खींच कर एक मुक्का शोएब के चेहरे पर जड़ दिया. दो कदम पीछे हुआ वो और अपने चेहरे को सहलाने लगा.

उस एक मुक्के ने जैसे आग ही तो लगा दी थी .

“अब साले ”शोएब के गुंडे मेरी तरफ आगे बढ़े पर शोएब ने अपना हाथ उठाते हुए उन्हें रोक दिया .

शोएब- दूर हो जाओ सब , जिदंगी में पहली बार कोई मिला है मजा आ गया. गोली मारी तो तौहीन होगी आ साले आया , देखे जरा , तुझे मार कर इसको फिर से चोदुंगा तेरी लाश पर लिटा कर

“जहाँगीर लाला को खबर कर दो जनाजे की तैयारी करे. उसके बेटा मरने वाला है ” मैंने जोर से बोला और हम जुट गए. शोएब हवा में उछला और मेरे कंधे पर वार किया. लगा की जैसे पत्थर ही तो दे मारा हो किसी ने . पीछे छोड़ आया था मैं ये सब पर आज नियति शायद ये ही चाहती थी की पाप का अंत हो जाये.

शोएब के कुछ वार मैंने रोके, कुछ उसने रोके. ताकत में वो कम नहीं था . उसने मेरे घुटने पर लात मारी .

“उठ , अभी से थक गया ” हँसते हुए बोला वो

मेरी नजर सेठानी पर पड़ी जिसकी मूक आँखे मुझ पर ही जमी थी . मैंने शोएब के हाथ को पकड़ा अपने कंधे को उसकी बगल से ले जाते हुए उसे उठा कर पटका वो गाड़ी के अगले हिस्से पर जाकर गिरा. “आह ” जिस तरह उसने अपनी पसलियों पर हाथ रखा मैं तभी समझ गया था की चोट गहरी लगी है , तुरंत मैंने उसी जगह पर लात जड़ दी.

“आह ” कराह पड़ा वो दोनों हाथ पसलियों पर रख लिए पर इतना आसान कहाँ था उसका निपट जाना. मेरे अगले वार को रोक कर उसने हवा में उछाल दिया मुझे उठ ही रहा था वो की मैंने उसके कुलहो पर लात मारी इस से पहले की वो संभलता मैंने पुरे जोर से उसे खिड़की पर दे मारा. शीशा तिडक गया. मैंने शोएब के हाथ को गाड़ी से लगाया और उसकी बीच वाली ऊँगली को तोड़ दिया.

“आहीईईईईई ” इस बार वो बुरी तरह चीखा जिन्दगी में पहली बार उसने दर्द महसूस किया .

“लाला को खबर हुई के नहीं, खबर करो पर अब ये कहना की जनाजे की तयारी ना करे, यही आ जाये इसकी लाश को कंधा देने जनाजे लायक कुछ बचेगा नहीं. ” चीखते हुए मैंने उसके सर को ऊपर किया और अगली ऊँगली तोड़ दी.

“गौर से देख शोएब ये गली तेरी , ये मोहल्ला तेरा, ये बाजार तेरा तेरे ही शहर में तेरी गांड तोड़ रहा हूँ मैं क्या बोला था तू मेरी लाश पर लिटा के चोदेगा सेठानी को तू . तुझे वास्ता है तेरी माँ की उस चूत का जिस से तू निकला है दम मत तोडियो . दर्द क्या होता है है आज जानेगा तू ” मैंने उसके सर को घुमाया और उसकी पीठ पर मुक्के मारने लगा.

“क्या कह रहा था तू भोसड़ी के, इस शहर को तेरा खौफ होना चाहिए, बहन के लंड मुझे गौर से देख, तेरे बेटे की गांड इसी तरह तोड़ी थी मैंने , उसकी आँखे और गांड दोनों एक साथ फट गयी थी जब मैंने उसके हाथ को उखाड़ा था . वो इतनी अकड़ में था की साला समझ ही नहीं रहा था मैंने बहुत कहा की टाल ले इस घडी को पर साले को चुल थी की शहर उसके बाप का है और देख उसके बाप की गांड भी तोड़ रहा हूँ . ” थोडा सा उसे आगे किया और फिर से एक लात मारी वो दर्द से बिलबिलाते हुए गाड़ी के दरवाजे से टकराया. मैंने उसकी बेल्ट खोल ली और उसकी गले में पहना दी.

“देख , तेरे ही शहर में कुत्ता बना दिया तुझे. कहाँ रह गया इसका बाप लाला, मर्द नहीं है क्या वो साला छुप गया क्या किसी के भोसड़े में जाकर. खबर करो उसे इस से पहले की मैं इसे मार दू लाला चाहिए मुझे यहाँ ” मैंने शोएब के हाथ को उठाया और एक झटके में तोड़ दिया.

“आअहीईईईइ ” उसकी सुलगती चीखे बहुत सकून दे रही थी . बस्ती के लोग, शोअब के गुंडे सबको जैसे लकवा मार गया था . मैंने उसे उठाया और गाड़ी में बोनट पर लिटाया. पेंट निचे सरकाई उसकी , उसके नंगे चुतड हवा में उठ गया.

“बहुत लोगो को नंगा किया तूने, आज ये दुनिया तेरी औकात और तेरी गांड देखेगी. तुझे मालूम है शोएब जब किसी औरत को जबरदस्ती चोदा जाता है तो कितना दर्द महसस करती है वो . तू अभी जान जायेगा. एक मिनट रुक बस एक मिनट तू भी देख साले गांड में कुछ जाता है तो कैसा दर्द होता है ” मैंने गाड़ी के वाईपर को उखाड़ा और शोएब की गांड में घुसा दिया.

“महसूस हुआ ” मैंने वाईपर को घुमाया शोएब के कुल्हे टाइट हो गए दर्द से ऐंठने लगा वो .

सांस अटकने लगी थी उसकी बदन झटके खा रहा था मैंने उसकी शर्ट को फाड़ दिया गाडी में मुझे नुकीली फरसी दिखी मैंने शोएब की पीठ पर कट लगाया इतना की मेरी उंगलिया उसके मांस में धंस सके.


“महसूस कर इस दर्द को , इस डर को की कोई था जो आया और तेरे सारे खौफ को तेरी गांड में घुसा के चला गया. ” चुन चुन कर मैं उसके मांस को हड्डियों से अलग करता रहा , बहुत दिनों बाद सुख महसूस किया था मैंने. और तारुफ़ देखिये इधर मैंने उसकी अंतिम हड्डी को मांस से अलग किया की ठीक तभी जहाँगीर लाला और पुलिस की गाडिया वहां आ पहुंची.......
Nice and superb update.....
 

Luckyloda

Well-Known Member
2,701
8,798
158
#6

लाला गाड़ी से उतरा और अगले ही पल उसने गाडी में से उसी लड़की को खीच लिया जिसकी वजह से ये सब शुरू हुआ था . अजीब सी सिचुएय्शन हो गयी थी , लाला भी था पुलिस भी थी और मैं भी था , बरिश की बूंदे गिरने अलगी थी शायद आसमान भी नहीं चाहता था की शोएब का खून धरती से पनाह मांगे.

“भैया ” लगभग चीख ही तो पड़ी थी वो लड़की

“लड़की को छोड़ लाला ” मैंने आगे बढ़ते हुए कहा

“दम है तो ले जा इसे ” सुर्ख लहजे में बोला लाला

“तू भी मरेगा लाला, काश थोड़ी देर पहले आता तू , शोएब की जान निकलते देखता बहुत मजेदार नजारा था ” मैंने कहा और लाला की तरफ लपका . लाला भी बढ़ा मेरी तरफ पर बीच में पुलिस आ आगयी . कुछ ने मुझे पकड़ा कुछ ने लाला को .

“हरामी जगदीश , बीच में पड़ , मामला मेरे और इसके बीच का है मेरे टुकडो पर पलने वाले खाकी कुत्तो की इतनी हिम्मत नहीं की शेर का रास्ता रोक सके ” लाला ने गुस्से से कहा

मैं- dsp , हट जा यहाँ से , इसके बेटे को मारा है इसे भी मारूंगा . बार बार मरूँगा जब तक मारूंगा की ये मर नहीं जाता , आज के बाद शहर में लाला का नाम कोई नहीं लेगा नाम लेने वालो को मारूंगा



“आ साले कसम है मिटटी नसीब नहीं होगी तेरी जिस्म को ” लाला ने अपने को पुलिस वालो से छुड़ाया और मेरी तरफ लपका . लाला के लोगो ने शोर मचाना शुरू किया . इस से पहले की मैं अपनी गिरफ्त से आजाद हो पाता लाला की हत्थी मेरे सर पर लगी और कसम से एक ही वार में सर घूम गया. लाला ने मुझे उठाया और शोएब की कार पर पटक दिया . कार पर बनी चील का एक हिस्सा मेरी पसलियों में घुस गया . दर्द को महसूस किया मैंने तभी लाला का घुटना मेरे सीने पर लगा और मुह से उलटी गिर गयी .

“इस शहर में एक ही मर्द है और वो है जहाँगीर लाला . तू अब तक जिन्दा सिर्फ इसलिए है की तेरी सूरत छिपी हुई है , मसीहा बनने का शौक है न तुझे . तेरी रूह तुझसे सिर्फ सवाल पूछेगी की किन नामर्दों का मसीहा बनने चला था , इस शहर में मेरा खौफ इसलिए नहीं है की मैं बुरा हूँ , यहाँ के लोग नामर्द है ” लाला ने फिर से हत्थी मारी और मैं जमीन पर गिर गया .

“उठ साले, किस्मत सबको मौका देती है , उठ और देख सामने खड़ी मौत को . तेरी किस्मत आज मौत है ” लाला ने मुझे लात मार. लाला में सांड जैसी ताकत थी .काबू ही नहीं आ रहा था .

“लड़की को लाओ रे ” लाला की बात सुनकर दो गुंडे लड़की को हमारे पास लेकर आये

“इस दुनिया में कीड़े मकौड़ो के माफिक भरे है लोग.रोज कितने लोग मरते है किसी को कोई हिसाब नहीं , क्या लगती है ये लडकी जिसके लिए तूने बहनचोद सब कुछ मिटटी में मिला दिया . ”लाला ने लड़की को थप्पड़ मारा

“सर पर हाथ रखा है इसके लाला, तू तो क्या कायनात तक इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती ” मैंने पसलियों पर हाथ रखते हुए खड़े होते हुए कहा

“अजीब इत्तेफाक है दुनिया की तमाम लड़ाइयाँ औरतो के लिए ही लड़ी गयी है ” लाला ने हँसते हुए कहा पर उसकी हंसी रुक गयी क्योंकि मैंने मुक्का मार दिया था उसको. आसमान दिन में ही काला हो चूका था बारिश अपने रौद्र रूप पर पहुँच गयी थी लाला कभी मुझ पर भारी पड़े और कभी मैं लाला पर . दरअसल अब ये लड़ाई ईगो की भी तो हो गयी थी .

सीने पर पड़ी लात से लाला निचे गिर गया उठने से पहले ही मैंने उसके घुटने पर मारा दर्द से तड़प उठा पर उस से उठा नहीं गया. मैं समझ गया था की बाज़ी मेरे हाथ में है . “खेल ख़तम लाला ” इस से पहले की मैं उसकी गर्दन तोड़ देता “धाएं ” गोलियों की आवाज गूंजने लगी . मेरी नजर ने सामने जो देखा फिर बस देखता ही रहा .

“बस यही तो नहीं चाहता था मैं ” मैंने आसमान से कहा .

ऐसा तो हरगिज नहीं था की उस से खूबसूरत लड़की मैंने और कही नहीं देखी थी पर ये भी सच था की जिन्दगी में जो भी थी बस वो ही थी . हाथो में पिस्तौल लिए वो हमारी तरफ ही बढ़ रही थी , पता नहीं वक्त थम सा गया था या मेरा अतीत दौड़ आया था मुझे गले से लगाने को . बरसो पहले एक बारिश आई थी जब उसे भीगते हुए देखा था बरसो बाद आज ये बारिश थी जब वो मेरे सामने थी .

“बंद करो ये तमाशा ” हांफते हुए उसने कहा . मेरी आँखे बस उसे ही देखे जा रही थी .

“गिरफ्तार करो लाला को और समेटो सब कुछ यहाँ से अभी के अभी ” चीखते हुए उसने अपनी कैप उतारी और मुझसे रूबरू हुई. कहने को बहुत कुछ था पर जुबान खामोश थी , वो मुझे देख रही थी और मैं उसे . “कबीर ”उसने कांपते होंठो से मेरा नाम लिया एक पल को लगा की सीने से लग जाएगी पर तभी वो पलट गयी . मुड़कर ना देखा उसने दुबारा. दिल की बुझी आग की राख में से कोई चिंगारी जैसे जी उठी.

“पानी पिला दो कोई ” मैंने कहा और गाड़ी से पीठ टिका कर बैठ गया. दूर खड़ी वो पुलिस वालो से ना जाने क्या कह रही थी पर भाग दौड़ बहुँत बढ़ गयी थी .

“पानी भैया ” उस लड़की ने मुझे जग दिया. घूँट मुह से लगाये मैं अतीत की गहराई में डूबने लगा था. कभी सोचा नहीं था की जिन्दगी के इस मोड़ पर वो यूँ मेरे सामने आकर खड़ी हो जाएगी बहुत मुश्किल से संभाला था खुद को समझ नही आ रहा था की ये खुश होने की घड़ी है या फिर रोने की .

“उठ, चल मेरे साथ ” dsp ने मेरे पास आकर कहा

“इस लड़की को सुरक्षित इसके घर पहुंचा दो ” मैंने कहा

Dsp- फ़िक्र मत कर इसकी , इसके लिए शहर जला दिया तूने किसकी मजाल जो नजर भी उठा सके

मैं- थाने ले जायेगा क्या

Dsp- गाड़ी में तो बैठ जा मेरे बाप.

मैंने उस लड़की के सर पर हाथ रखा और गाडी में बैठ गया. रस्ते में ठेका आया तो मैंने गाड़ी रुकवा कर बोतल ले ली , कडवा पानी हलक से निचे जाते ही चैन सा आया. आँखे भीग जाना चाहती थी . मैंने सर खिड़की से लगाया और आँखे बंद कर ली .

“कौन है भाई तू ” dsp ने पुछा मुझसे

“कोई नहीं ” मैंने बस इतना ही कहा ..........

अखिरकार कबीर के अतीत आकर मिल ही गया वर्तमान से......


कैसा होगा उसका अतीत और उसकी प्रेम कहानी जिस कारण से कबीर सालों से गुमनामी के साथ जी रहा हैं.



इंतजार रहेगा 1 और टूटी हुई दास्तां का.......
 

kas1709

Well-Known Member
11,673
12,431
213
#6

लाला गाड़ी से उतरा और अगले ही पल उसने गाडी में से उसी लड़की को खीच लिया जिसकी वजह से ये सब शुरू हुआ था . अजीब सी सिचुएय्शन हो गयी थी , लाला भी था पुलिस भी थी और मैं भी था , बरिश की बूंदे गिरने अलगी थी शायद आसमान भी नहीं चाहता था की शोएब का खून धरती से पनाह मांगे.

“भैया ” लगभग चीख ही तो पड़ी थी वो लड़की

“लड़की को छोड़ लाला ” मैंने आगे बढ़ते हुए कहा

“दम है तो ले जा इसे ” सुर्ख लहजे में बोला लाला

“तू भी मरेगा लाला, काश थोड़ी देर पहले आता तू , शोएब की जान निकलते देखता बहुत मजेदार नजारा था ” मैंने कहा और लाला की तरफ लपका . लाला भी बढ़ा मेरी तरफ पर बीच में पुलिस आ आगयी . कुछ ने मुझे पकड़ा कुछ ने लाला को .

“हरामी जगदीश , बीच में पड़ , मामला मेरे और इसके बीच का है मेरे टुकडो पर पलने वाले खाकी कुत्तो की इतनी हिम्मत नहीं की शेर का रास्ता रोक सके ” लाला ने गुस्से से कहा

मैं- dsp , हट जा यहाँ से , इसके बेटे को मारा है इसे भी मारूंगा . बार बार मरूँगा जब तक मारूंगा की ये मर नहीं जाता , आज के बाद शहर में लाला का नाम कोई नहीं लेगा नाम लेने वालो को मारूंगा



“आ साले कसम है मिटटी नसीब नहीं होगी तेरी जिस्म को ” लाला ने अपने को पुलिस वालो से छुड़ाया और मेरी तरफ लपका . लाला के लोगो ने शोर मचाना शुरू किया . इस से पहले की मैं अपनी गिरफ्त से आजाद हो पाता लाला की हत्थी मेरे सर पर लगी और कसम से एक ही वार में सर घूम गया. लाला ने मुझे उठाया और शोएब की कार पर पटक दिया . कार पर बनी चील का एक हिस्सा मेरी पसलियों में घुस गया . दर्द को महसूस किया मैंने तभी लाला का घुटना मेरे सीने पर लगा और मुह से उलटी गिर गयी .

“इस शहर में एक ही मर्द है और वो है जहाँगीर लाला . तू अब तक जिन्दा सिर्फ इसलिए है की तेरी सूरत छिपी हुई है , मसीहा बनने का शौक है न तुझे . तेरी रूह तुझसे सिर्फ सवाल पूछेगी की किन नामर्दों का मसीहा बनने चला था , इस शहर में मेरा खौफ इसलिए नहीं है की मैं बुरा हूँ , यहाँ के लोग नामर्द है ” लाला ने फिर से हत्थी मारी और मैं जमीन पर गिर गया .

“उठ साले, किस्मत सबको मौका देती है , उठ और देख सामने खड़ी मौत को . तेरी किस्मत आज मौत है ” लाला ने मुझे लात मार. लाला में सांड जैसी ताकत थी .काबू ही नहीं आ रहा था .

“लड़की को लाओ रे ” लाला की बात सुनकर दो गुंडे लड़की को हमारे पास लेकर आये

“इस दुनिया में कीड़े मकौड़ो के माफिक भरे है लोग.रोज कितने लोग मरते है किसी को कोई हिसाब नहीं , क्या लगती है ये लडकी जिसके लिए तूने बहनचोद सब कुछ मिटटी में मिला दिया . ”लाला ने लड़की को थप्पड़ मारा

“सर पर हाथ रखा है इसके लाला, तू तो क्या कायनात तक इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती ” मैंने पसलियों पर हाथ रखते हुए खड़े होते हुए कहा

“अजीब इत्तेफाक है दुनिया की तमाम लड़ाइयाँ औरतो के लिए ही लड़ी गयी है ” लाला ने हँसते हुए कहा पर उसकी हंसी रुक गयी क्योंकि मैंने मुक्का मार दिया था उसको. आसमान दिन में ही काला हो चूका था बारिश अपने रौद्र रूप पर पहुँच गयी थी लाला कभी मुझ पर भारी पड़े और कभी मैं लाला पर . दरअसल अब ये लड़ाई ईगो की भी तो हो गयी थी .

सीने पर पड़ी लात से लाला निचे गिर गया उठने से पहले ही मैंने उसके घुटने पर मारा दर्द से तड़प उठा पर उस से उठा नहीं गया. मैं समझ गया था की बाज़ी मेरे हाथ में है . “खेल ख़तम लाला ” इस से पहले की मैं उसकी गर्दन तोड़ देता “धाएं ” गोलियों की आवाज गूंजने लगी . मेरी नजर ने सामने जो देखा फिर बस देखता ही रहा .

“बस यही तो नहीं चाहता था मैं ” मैंने आसमान से कहा .

ऐसा तो हरगिज नहीं था की उस से खूबसूरत लड़की मैंने और कही नहीं देखी थी पर ये भी सच था की जिन्दगी में जो भी थी बस वो ही थी . हाथो में पिस्तौल लिए वो हमारी तरफ ही बढ़ रही थी , पता नहीं वक्त थम सा गया था या मेरा अतीत दौड़ आया था मुझे गले से लगाने को . बरसो पहले एक बारिश आई थी जब उसे भीगते हुए देखा था बरसो बाद आज ये बारिश थी जब वो मेरे सामने थी .

“बंद करो ये तमाशा ” हांफते हुए उसने कहा . मेरी आँखे बस उसे ही देखे जा रही थी .

“गिरफ्तार करो लाला को और समेटो सब कुछ यहाँ से अभी के अभी ” चीखते हुए उसने अपनी कैप उतारी और मुझसे रूबरू हुई. कहने को बहुत कुछ था पर जुबान खामोश थी , वो मुझे देख रही थी और मैं उसे . “कबीर ”उसने कांपते होंठो से मेरा नाम लिया एक पल को लगा की सीने से लग जाएगी पर तभी वो पलट गयी . मुड़कर ना देखा उसने दुबारा. दिल की बुझी आग की राख में से कोई चिंगारी जैसे जी उठी.

“पानी पिला दो कोई ” मैंने कहा और गाड़ी से पीठ टिका कर बैठ गया. दूर खड़ी वो पुलिस वालो से ना जाने क्या कह रही थी पर भाग दौड़ बहुँत बढ़ गयी थी .

“पानी भैया ” उस लड़की ने मुझे जग दिया. घूँट मुह से लगाये मैं अतीत की गहराई में डूबने लगा था. कभी सोचा नहीं था की जिन्दगी के इस मोड़ पर वो यूँ मेरे सामने आकर खड़ी हो जाएगी बहुत मुश्किल से संभाला था खुद को समझ नही आ रहा था की ये खुश होने की घड़ी है या फिर रोने की .

“उठ, चल मेरे साथ ” dsp ने मेरे पास आकर कहा

“इस लड़की को सुरक्षित इसके घर पहुंचा दो ” मैंने कहा

Dsp- फ़िक्र मत कर इसकी , इसके लिए शहर जला दिया तूने किसकी मजाल जो नजर भी उठा सके

मैं- थाने ले जायेगा क्या

Dsp- गाड़ी में तो बैठ जा मेरे बाप.

मैंने उस लड़की के सर पर हाथ रखा और गाडी में बैठ गया. रस्ते में ठेका आया तो मैंने गाड़ी रुकवा कर बोतल ले ली , कडवा पानी हलक से निचे जाते ही चैन सा आया. आँखे भीग जाना चाहती थी . मैंने सर खिड़की से लगाया और आँखे बंद कर ली .

“कौन है भाई तू ” dsp ने पुछा मुझसे

“कोई नहीं ” मैंने बस इतना ही कहा ..........
Nice update....
 

VillaNn00

New Member
56
127
49
#6

लाला गाड़ी से उतरा और अगले ही पल उसने गाडी में से उसी लड़की को खीच लिया जिसकी वजह से ये सब शुरू हुआ था . अजीब सी सिचुएय्शन हो गयी थी , लाला भी था पुलिस भी थी और मैं भी था , बरिश की बूंदे गिरने अलगी थी शायद आसमान भी नहीं चाहता था की शोएब का खून धरती से पनाह मांगे.

“भैया ” लगभग चीख ही तो पड़ी थी वो लड़की

“लड़की को छोड़ लाला ” मैंने आगे बढ़ते हुए कहा

“दम है तो ले जा इसे ” सुर्ख लहजे में बोला लाला

“तू भी मरेगा लाला, काश थोड़ी देर पहले आता तू , शोएब की जान निकलते देखता बहुत मजेदार नजारा था ” मैंने कहा और लाला की तरफ लपका . लाला भी बढ़ा मेरी तरफ पर बीच में पुलिस आ आगयी . कुछ ने मुझे पकड़ा कुछ ने लाला को .

“हरामी जगदीश , बीच में पड़ , मामला मेरे और इसके बीच का है मेरे टुकडो पर पलने वाले खाकी कुत्तो की इतनी हिम्मत नहीं की शेर का रास्ता रोक सके ” लाला ने गुस्से से कहा

मैं- dsp , हट जा यहाँ से , इसके बेटे को मारा है इसे भी मारूंगा . बार बार मरूँगा जब तक मारूंगा की ये मर नहीं जाता , आज के बाद शहर में लाला का नाम कोई नहीं लेगा नाम लेने वालो को मारूंगा



“आ साले कसम है मिटटी नसीब नहीं होगी तेरी जिस्म को ” लाला ने अपने को पुलिस वालो से छुड़ाया और मेरी तरफ लपका . लाला के लोगो ने शोर मचाना शुरू किया . इस से पहले की मैं अपनी गिरफ्त से आजाद हो पाता लाला की हत्थी मेरे सर पर लगी और कसम से एक ही वार में सर घूम गया. लाला ने मुझे उठाया और शोएब की कार पर पटक दिया . कार पर बनी चील का एक हिस्सा मेरी पसलियों में घुस गया . दर्द को महसूस किया मैंने तभी लाला का घुटना मेरे सीने पर लगा और मुह से उलटी गिर गयी .

“इस शहर में एक ही मर्द है और वो है जहाँगीर लाला . तू अब तक जिन्दा सिर्फ इसलिए है की तेरी सूरत छिपी हुई है , मसीहा बनने का शौक है न तुझे . तेरी रूह तुझसे सिर्फ सवाल पूछेगी की किन नामर्दों का मसीहा बनने चला था , इस शहर में मेरा खौफ इसलिए नहीं है की मैं बुरा हूँ , यहाँ के लोग नामर्द है ” लाला ने फिर से हत्थी मारी और मैं जमीन पर गिर गया .

“उठ साले, किस्मत सबको मौका देती है , उठ और देख सामने खड़ी मौत को . तेरी किस्मत आज मौत है ” लाला ने मुझे लात मार. लाला में सांड जैसी ताकत थी .काबू ही नहीं आ रहा था .

“लड़की को लाओ रे ” लाला की बात सुनकर दो गुंडे लड़की को हमारे पास लेकर आये

“इस दुनिया में कीड़े मकौड़ो के माफिक भरे है लोग.रोज कितने लोग मरते है किसी को कोई हिसाब नहीं , क्या लगती है ये लडकी जिसके लिए तूने बहनचोद सब कुछ मिटटी में मिला दिया . ”लाला ने लड़की को थप्पड़ मारा

“सर पर हाथ रखा है इसके लाला, तू तो क्या कायनात तक इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती ” मैंने पसलियों पर हाथ रखते हुए खड़े होते हुए कहा

“अजीब इत्तेफाक है दुनिया की तमाम लड़ाइयाँ औरतो के लिए ही लड़ी गयी है ” लाला ने हँसते हुए कहा पर उसकी हंसी रुक गयी क्योंकि मैंने मुक्का मार दिया था उसको. आसमान दिन में ही काला हो चूका था बारिश अपने रौद्र रूप पर पहुँच गयी थी लाला कभी मुझ पर भारी पड़े और कभी मैं लाला पर . दरअसल अब ये लड़ाई ईगो की भी तो हो गयी थी .

सीने पर पड़ी लात से लाला निचे गिर गया उठने से पहले ही मैंने उसके घुटने पर मारा दर्द से तड़प उठा पर उस से उठा नहीं गया. मैं समझ गया था की बाज़ी मेरे हाथ में है . “खेल ख़तम लाला ” इस से पहले की मैं उसकी गर्दन तोड़ देता “धाएं ” गोलियों की आवाज गूंजने लगी . मेरी नजर ने सामने जो देखा फिर बस देखता ही रहा .

“बस यही तो नहीं चाहता था मैं ” मैंने आसमान से कहा .

ऐसा तो हरगिज नहीं था की उस से खूबसूरत लड़की मैंने और कही नहीं देखी थी पर ये भी सच था की जिन्दगी में जो भी थी बस वो ही थी . हाथो में पिस्तौल लिए वो हमारी तरफ ही बढ़ रही थी , पता नहीं वक्त थम सा गया था या मेरा अतीत दौड़ आया था मुझे गले से लगाने को . बरसो पहले एक बारिश आई थी जब उसे भीगते हुए देखा था बरसो बाद आज ये बारिश थी जब वो मेरे सामने थी .

“बंद करो ये तमाशा ” हांफते हुए उसने कहा . मेरी आँखे बस उसे ही देखे जा रही थी .

“गिरफ्तार करो लाला को और समेटो सब कुछ यहाँ से अभी के अभी ” चीखते हुए उसने अपनी कैप उतारी और मुझसे रूबरू हुई. कहने को बहुत कुछ था पर जुबान खामोश थी , वो मुझे देख रही थी और मैं उसे . “कबीर ”उसने कांपते होंठो से मेरा नाम लिया एक पल को लगा की सीने से लग जाएगी पर तभी वो पलट गयी . मुड़कर ना देखा उसने दुबारा. दिल की बुझी आग की राख में से कोई चिंगारी जैसे जी उठी.

“पानी पिला दो कोई ” मैंने कहा और गाड़ी से पीठ टिका कर बैठ गया. दूर खड़ी वो पुलिस वालो से ना जाने क्या कह रही थी पर भाग दौड़ बहुँत बढ़ गयी थी .

“पानी भैया ” उस लड़की ने मुझे जग दिया. घूँट मुह से लगाये मैं अतीत की गहराई में डूबने लगा था. कभी सोचा नहीं था की जिन्दगी के इस मोड़ पर वो यूँ मेरे सामने आकर खड़ी हो जाएगी बहुत मुश्किल से संभाला था खुद को समझ नही आ रहा था की ये खुश होने की घड़ी है या फिर रोने की .

“उठ, चल मेरे साथ ” dsp ने मेरे पास आकर कहा

“इस लड़की को सुरक्षित इसके घर पहुंचा दो ” मैंने कहा

Dsp- फ़िक्र मत कर इसकी , इसके लिए शहर जला दिया तूने किसकी मजाल जो नजर भी उठा सके

मैं- थाने ले जायेगा क्या

Dsp- गाड़ी में तो बैठ जा मेरे बाप.

मैंने उस लड़की के सर पर हाथ रखा और गाडी में बैठ गया. रस्ते में ठेका आया तो मैंने गाड़ी रुकवा कर बोतल ले ली , कडवा पानी हलक से निचे जाते ही चैन सा आया. आँखे भीग जाना चाहती थी . मैंने सर खिड़की से लगाया और आँखे बंद कर ली .

“कौन है भाई तू ” dsp ने पुछा मुझसे

“कोई नहीं ” मैंने बस इतना ही कहा ..........

apne hero ka rola ho gaya pure sahar me
lagta ha hero ki heroine police me hai
 

dhparikh

Well-Known Member
12,220
13,996
228
#6

लाला गाड़ी से उतरा और अगले ही पल उसने गाडी में से उसी लड़की को खीच लिया जिसकी वजह से ये सब शुरू हुआ था . अजीब सी सिचुएय्शन हो गयी थी , लाला भी था पुलिस भी थी और मैं भी था , बरिश की बूंदे गिरने अलगी थी शायद आसमान भी नहीं चाहता था की शोएब का खून धरती से पनाह मांगे.

“भैया ” लगभग चीख ही तो पड़ी थी वो लड़की

“लड़की को छोड़ लाला ” मैंने आगे बढ़ते हुए कहा

“दम है तो ले जा इसे ” सुर्ख लहजे में बोला लाला

“तू भी मरेगा लाला, काश थोड़ी देर पहले आता तू , शोएब की जान निकलते देखता बहुत मजेदार नजारा था ” मैंने कहा और लाला की तरफ लपका . लाला भी बढ़ा मेरी तरफ पर बीच में पुलिस आ आगयी . कुछ ने मुझे पकड़ा कुछ ने लाला को .

“हरामी जगदीश , बीच में पड़ , मामला मेरे और इसके बीच का है मेरे टुकडो पर पलने वाले खाकी कुत्तो की इतनी हिम्मत नहीं की शेर का रास्ता रोक सके ” लाला ने गुस्से से कहा

मैं- dsp , हट जा यहाँ से , इसके बेटे को मारा है इसे भी मारूंगा . बार बार मरूँगा जब तक मारूंगा की ये मर नहीं जाता , आज के बाद शहर में लाला का नाम कोई नहीं लेगा नाम लेने वालो को मारूंगा



“आ साले कसम है मिटटी नसीब नहीं होगी तेरी जिस्म को ” लाला ने अपने को पुलिस वालो से छुड़ाया और मेरी तरफ लपका . लाला के लोगो ने शोर मचाना शुरू किया . इस से पहले की मैं अपनी गिरफ्त से आजाद हो पाता लाला की हत्थी मेरे सर पर लगी और कसम से एक ही वार में सर घूम गया. लाला ने मुझे उठाया और शोएब की कार पर पटक दिया . कार पर बनी चील का एक हिस्सा मेरी पसलियों में घुस गया . दर्द को महसूस किया मैंने तभी लाला का घुटना मेरे सीने पर लगा और मुह से उलटी गिर गयी .

“इस शहर में एक ही मर्द है और वो है जहाँगीर लाला . तू अब तक जिन्दा सिर्फ इसलिए है की तेरी सूरत छिपी हुई है , मसीहा बनने का शौक है न तुझे . तेरी रूह तुझसे सिर्फ सवाल पूछेगी की किन नामर्दों का मसीहा बनने चला था , इस शहर में मेरा खौफ इसलिए नहीं है की मैं बुरा हूँ , यहाँ के लोग नामर्द है ” लाला ने फिर से हत्थी मारी और मैं जमीन पर गिर गया .

“उठ साले, किस्मत सबको मौका देती है , उठ और देख सामने खड़ी मौत को . तेरी किस्मत आज मौत है ” लाला ने मुझे लात मार. लाला में सांड जैसी ताकत थी .काबू ही नहीं आ रहा था .

“लड़की को लाओ रे ” लाला की बात सुनकर दो गुंडे लड़की को हमारे पास लेकर आये

“इस दुनिया में कीड़े मकौड़ो के माफिक भरे है लोग.रोज कितने लोग मरते है किसी को कोई हिसाब नहीं , क्या लगती है ये लडकी जिसके लिए तूने बहनचोद सब कुछ मिटटी में मिला दिया . ”लाला ने लड़की को थप्पड़ मारा

“सर पर हाथ रखा है इसके लाला, तू तो क्या कायनात तक इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती ” मैंने पसलियों पर हाथ रखते हुए खड़े होते हुए कहा

“अजीब इत्तेफाक है दुनिया की तमाम लड़ाइयाँ औरतो के लिए ही लड़ी गयी है ” लाला ने हँसते हुए कहा पर उसकी हंसी रुक गयी क्योंकि मैंने मुक्का मार दिया था उसको. आसमान दिन में ही काला हो चूका था बारिश अपने रौद्र रूप पर पहुँच गयी थी लाला कभी मुझ पर भारी पड़े और कभी मैं लाला पर . दरअसल अब ये लड़ाई ईगो की भी तो हो गयी थी .

सीने पर पड़ी लात से लाला निचे गिर गया उठने से पहले ही मैंने उसके घुटने पर मारा दर्द से तड़प उठा पर उस से उठा नहीं गया. मैं समझ गया था की बाज़ी मेरे हाथ में है . “खेल ख़तम लाला ” इस से पहले की मैं उसकी गर्दन तोड़ देता “धाएं ” गोलियों की आवाज गूंजने लगी . मेरी नजर ने सामने जो देखा फिर बस देखता ही रहा .

“बस यही तो नहीं चाहता था मैं ” मैंने आसमान से कहा .

ऐसा तो हरगिज नहीं था की उस से खूबसूरत लड़की मैंने और कही नहीं देखी थी पर ये भी सच था की जिन्दगी में जो भी थी बस वो ही थी . हाथो में पिस्तौल लिए वो हमारी तरफ ही बढ़ रही थी , पता नहीं वक्त थम सा गया था या मेरा अतीत दौड़ आया था मुझे गले से लगाने को . बरसो पहले एक बारिश आई थी जब उसे भीगते हुए देखा था बरसो बाद आज ये बारिश थी जब वो मेरे सामने थी .

“बंद करो ये तमाशा ” हांफते हुए उसने कहा . मेरी आँखे बस उसे ही देखे जा रही थी .

“गिरफ्तार करो लाला को और समेटो सब कुछ यहाँ से अभी के अभी ” चीखते हुए उसने अपनी कैप उतारी और मुझसे रूबरू हुई. कहने को बहुत कुछ था पर जुबान खामोश थी , वो मुझे देख रही थी और मैं उसे . “कबीर ”उसने कांपते होंठो से मेरा नाम लिया एक पल को लगा की सीने से लग जाएगी पर तभी वो पलट गयी . मुड़कर ना देखा उसने दुबारा. दिल की बुझी आग की राख में से कोई चिंगारी जैसे जी उठी.

“पानी पिला दो कोई ” मैंने कहा और गाड़ी से पीठ टिका कर बैठ गया. दूर खड़ी वो पुलिस वालो से ना जाने क्या कह रही थी पर भाग दौड़ बहुँत बढ़ गयी थी .

“पानी भैया ” उस लड़की ने मुझे जग दिया. घूँट मुह से लगाये मैं अतीत की गहराई में डूबने लगा था. कभी सोचा नहीं था की जिन्दगी के इस मोड़ पर वो यूँ मेरे सामने आकर खड़ी हो जाएगी बहुत मुश्किल से संभाला था खुद को समझ नही आ रहा था की ये खुश होने की घड़ी है या फिर रोने की .

“उठ, चल मेरे साथ ” dsp ने मेरे पास आकर कहा

“इस लड़की को सुरक्षित इसके घर पहुंचा दो ” मैंने कहा

Dsp- फ़िक्र मत कर इसकी , इसके लिए शहर जला दिया तूने किसकी मजाल जो नजर भी उठा सके

मैं- थाने ले जायेगा क्या

Dsp- गाड़ी में तो बैठ जा मेरे बाप.

मैंने उस लड़की के सर पर हाथ रखा और गाडी में बैठ गया. रस्ते में ठेका आया तो मैंने गाड़ी रुकवा कर बोतल ले ली , कडवा पानी हलक से निचे जाते ही चैन सा आया. आँखे भीग जाना चाहती थी . मैंने सर खिड़की से लगाया और आँखे बंद कर ली .

“कौन है भाई तू ” dsp ने पुछा मुझसे

“कोई नहीं ” मैंने बस इतना ही कहा ..........
Nice update....
 

Naik

Well-Known Member
22,557
79,605
258
#५

जीप में से सेठ का मेनेजर उतरा. उसके माथे का पसीना और अस्त व्यस्त हालत देख कर ही मैं समझ गया था की अच्छी खबर तो लाया नहीं होगा ये.

“तुम्हे चलना होगा मेरे साथ ” देवीलाल ने कहा

मैं- क्या हुआ

देवीलाल- सेठ को मार दिया लाला के गुंडों ने, शहर छोड़ कर भागना चाहता था था सेठ पर मुमकिन नहीं हो सका.

खबर सुनकर झटका सा लगा मुझे. सेठ के अहसान थे मुझ पर इस अजनबी शहर में काम दिया था उसने .

“और सेठानी. ” बड़ी मुस्किल से बोल सका मैं.

“मेरे साथ आओ ” देवीलाल ने कहा तो मैं जीप में बैठ गया. बहुत तेजी से गाडी चला रहा था वो और मेरा दिमाग जैसे एक जगह रुक गया था . मन जैसे सुन्न हो गया था . दिल में एक बोझ सा आ गया था , मन उचाट हो गया मैं अपने आप को गलत समझने लगा. अगर मैं लाला के गुंडों को नहीं पीटता तो शायद सेठ जिन्दा होता. आँखों के किसी कोने से आंसू बह पड़े. होश जब आया, जब गाड़ी के ब्रेक कानो से टकराए.

सेठ के घर की बस्ती थी ये , सेठ के घर के पास बहुत भीड़ जमा थी , कांपते हुए दिल को लिए मैंने कदम आगे बढ़ाये. भीड़ हटने लगी थी , घर के निचे मैंने गाड़ी के काले बोनट पर बैठे उसे देखा जो शान से सिगार का धुंआ उड़ा रहा था .

“ले आया शोएब बाबा मैं इसे, मुझे माफी दो ” दौड़ते हुए देवीलाल उसकी तरफ भागा पर पहुँच नहीं पाया क्योंकि शोएब की गोली ने उसके कदम रोक दिए.

“माफ़ी के लायक नहीं तू, धोखेबाज सिर्फ गोली खाते है.” बोनट पर बैठे बैठे ही बोला वो.

सेठ मर गया था, देवीलाल का जिस्म तडप रहा था . तभी मेरी नजर कोने में सर झुकाए सेठानी पर पड़ी जो निर्वस्त्र थी . सौ लोग तो होंगे ही वहां पर और उनके बीच में एक नारी नंगी बैठी थी . कांपती धडकन चीख कर कहने लगी थी की उस औरत की लाज नहीं बची थी.

“शोएब , ये ठीक नहीं किया तूने अंजाम भुगतेगा इसका. ” चिल्ला पड़ा मैं .

उसने बेफिक्री से सिगार का कश खींचा और उतर कर मेरे पास आया, इतने पास की सांसो का निकलना भी मुश्किल हो. उसने बन्दूक मेरे सर पर लगा दी और बोला- सिर्फ एक गोली और सब ख़तम पर ये तो आसान मौत होगी. अगर तुझे आसान मौत दी फिर खौफ क्या ही होगा शाहर के लोगो में . तुझे तड़पना होगा तेरी तड़प ही इस शहर को बता सकती है की हमारे सामने सर उठाने वालो का अंजाम क्या होता है .

“किस्मत बड़ी ख़राब है तेरी शोएब ,किस्मत सबको एक मौका देती है तूने गँवा दिया अपना मौका . सेठ की मौत के लिए तुझे शायद माफ़ी भी मिल जाती पर इस अबला औरत पर तूने जो जुल्म किया है न तू कोसेगा उस पल को जब तूने इसकी अस्मत लूटी. जिस मर्दानगी का गुमान है न तुझे, तू रोयेगा की तेरी माँ ने तुझे मर्द पैदा ही क्यों किया.कमजोरो पर वार करने वाले कभी मर्द नहीं होते,तेरी नसों में मर्द का खून बह रहा है तो आज और दिखा तेरा जोर मुझे .” कहते हुए मैंने खींच कर एक मुक्का शोएब के चेहरे पर जड़ दिया. दो कदम पीछे हुआ वो और अपने चेहरे को सहलाने लगा.

उस एक मुक्के ने जैसे आग ही तो लगा दी थी .

“अब साले ”शोएब के गुंडे मेरी तरफ आगे बढ़े पर शोएब ने अपना हाथ उठाते हुए उन्हें रोक दिया .

शोएब- दूर हो जाओ सब , जिदंगी में पहली बार कोई मिला है मजा आ गया. गोली मारी तो तौहीन होगी आ साले आया , देखे जरा , तुझे मार कर इसको फिर से चोदुंगा तेरी लाश पर लिटा कर

“जहाँगीर लाला को खबर कर दो जनाजे की तैयारी करे. उसके बेटा मरने वाला है ” मैंने जोर से बोला और हम जुट गए. शोएब हवा में उछला और मेरे कंधे पर वार किया. लगा की जैसे पत्थर ही तो दे मारा हो किसी ने . पीछे छोड़ आया था मैं ये सब पर आज नियति शायद ये ही चाहती थी की पाप का अंत हो जाये.

शोएब के कुछ वार मैंने रोके, कुछ उसने रोके. ताकत में वो कम नहीं था . उसने मेरे घुटने पर लात मारी .

“उठ , अभी से थक गया ” हँसते हुए बोला वो

मेरी नजर सेठानी पर पड़ी जिसकी मूक आँखे मुझ पर ही जमी थी . मैंने शोएब के हाथ को पकड़ा अपने कंधे को उसकी बगल से ले जाते हुए उसे उठा कर पटका वो गाड़ी के अगले हिस्से पर जाकर गिरा. “आह ” जिस तरह उसने अपनी पसलियों पर हाथ रखा मैं तभी समझ गया था की चोट गहरी लगी है , तुरंत मैंने उसी जगह पर लात जड़ दी.

“आह ” कराह पड़ा वो दोनों हाथ पसलियों पर रख लिए पर इतना आसान कहाँ था उसका निपट जाना. मेरे अगले वार को रोक कर उसने हवा में उछाल दिया मुझे उठ ही रहा था वो की मैंने उसके कुलहो पर लात मारी इस से पहले की वो संभलता मैंने पुरे जोर से उसे खिड़की पर दे मारा. शीशा तिडक गया. मैंने शोएब के हाथ को गाड़ी से लगाया और उसकी बीच वाली ऊँगली को तोड़ दिया.

“आहीईईईईई ” इस बार वो बुरी तरह चीखा जिन्दगी में पहली बार उसने दर्द महसूस किया .

“लाला को खबर हुई के नहीं, खबर करो पर अब ये कहना की जनाजे की तयारी ना करे, यही आ जाये इसकी लाश को कंधा देने जनाजे लायक कुछ बचेगा नहीं. ” चीखते हुए मैंने उसके सर को ऊपर किया और अगली ऊँगली तोड़ दी.

“गौर से देख शोएब ये गली तेरी , ये मोहल्ला तेरा, ये बाजार तेरा तेरे ही शहर में तेरी गांड तोड़ रहा हूँ मैं क्या बोला था तू मेरी लाश पर लिटा के चोदेगा सेठानी को तू . तुझे वास्ता है तेरी माँ की उस चूत का जिस से तू निकला है दम मत तोडियो . दर्द क्या होता है है आज जानेगा तू ” मैंने उसके सर को घुमाया और उसकी पीठ पर मुक्के मारने लगा.

“क्या कह रहा था तू भोसड़ी के, इस शहर को तेरा खौफ होना चाहिए, बहन के लंड मुझे गौर से देख, तेरे बेटे की गांड इसी तरह तोड़ी थी मैंने , उसकी आँखे और गांड दोनों एक साथ फट गयी थी जब मैंने उसके हाथ को उखाड़ा था . वो इतनी अकड़ में था की साला समझ ही नहीं रहा था मैंने बहुत कहा की टाल ले इस घडी को पर साले को चुल थी की शहर उसके बाप का है और देख उसके बाप की गांड भी तोड़ रहा हूँ . ” थोडा सा उसे आगे किया और फिर से एक लात मारी वो दर्द से बिलबिलाते हुए गाड़ी के दरवाजे से टकराया. मैंने उसकी बेल्ट खोल ली और उसकी गले में पहना दी.

“देख , तेरे ही शहर में कुत्ता बना दिया तुझे. कहाँ रह गया इसका बाप लाला, मर्द नहीं है क्या वो साला छुप गया क्या किसी के भोसड़े में जाकर. खबर करो उसे इस से पहले की मैं इसे मार दू लाला चाहिए मुझे यहाँ ” मैंने शोएब के हाथ को उठाया और एक झटके में तोड़ दिया.

“आअहीईईईइ ” उसकी सुलगती चीखे बहुत सकून दे रही थी . बस्ती के लोग, शोअब के गुंडे सबको जैसे लकवा मार गया था . मैंने उसे उठाया और गाड़ी में बोनट पर लिटाया. पेंट निचे सरकाई उसकी , उसके नंगे चुतड हवा में उठ गया.

“बहुत लोगो को नंगा किया तूने, आज ये दुनिया तेरी औकात और तेरी गांड देखेगी. तुझे मालूम है शोएब जब किसी औरत को जबरदस्ती चोदा जाता है तो कितना दर्द महसस करती है वो . तू अभी जान जायेगा. एक मिनट रुक बस एक मिनट तू भी देख साले गांड में कुछ जाता है तो कैसा दर्द होता है ” मैंने गाड़ी के वाईपर को उखाड़ा और शोएब की गांड में घुसा दिया.

“महसूस हुआ ” मैंने वाईपर को घुमाया शोएब के कुल्हे टाइट हो गए दर्द से ऐंठने लगा वो .

सांस अटकने लगी थी उसकी बदन झटके खा रहा था मैंने उसकी शर्ट को फाड़ दिया गाडी में मुझे नुकीली फरसी दिखी मैंने शोएब की पीठ पर कट लगाया इतना की मेरी उंगलिया उसके मांस में धंस सके.


“महसूस कर इस दर्द को , इस डर को की कोई था जो आया और तेरे सारे खौफ को तेरी गांड में घुसा के चला गया. ” चुन चुन कर मैं उसके मांस को हड्डियों से अलग करता रहा , बहुत दिनों बाद सुख महसूस किया था मैंने. और तारुफ़ देखिये इधर मैंने उसकी अंतिम हड्डी को मांस से अलग किया की ठीक तभी जहाँगीर लाला और पुलिस की गाडिया वहां आ पहुंची.......
Zabardast khatarnaak
Yeh hota h Dard ise kehte h
Shoaib bhi marte huwe soch Raha Hoga kis shetan se oala pad gaya
Baherhal dekhte h jahangeer or police wale kia karte h
 

Naik

Well-Known Member
22,557
79,605
258
#6

लाला गाड़ी से उतरा और अगले ही पल उसने गाडी में से उसी लड़की को खीच लिया जिसकी वजह से ये सब शुरू हुआ था . अजीब सी सिचुएय्शन हो गयी थी , लाला भी था पुलिस भी थी और मैं भी था , बरिश की बूंदे गिरने अलगी थी शायद आसमान भी नहीं चाहता था की शोएब का खून धरती से पनाह मांगे.

“भैया ” लगभग चीख ही तो पड़ी थी वो लड़की

“लड़की को छोड़ लाला ” मैंने आगे बढ़ते हुए कहा

“दम है तो ले जा इसे ” सुर्ख लहजे में बोला लाला

“तू भी मरेगा लाला, काश थोड़ी देर पहले आता तू , शोएब की जान निकलते देखता बहुत मजेदार नजारा था ” मैंने कहा और लाला की तरफ लपका . लाला भी बढ़ा मेरी तरफ पर बीच में पुलिस आ आगयी . कुछ ने मुझे पकड़ा कुछ ने लाला को .

“हरामी जगदीश , बीच में पड़ , मामला मेरे और इसके बीच का है मेरे टुकडो पर पलने वाले खाकी कुत्तो की इतनी हिम्मत नहीं की शेर का रास्ता रोक सके ” लाला ने गुस्से से कहा

मैं- dsp , हट जा यहाँ से , इसके बेटे को मारा है इसे भी मारूंगा . बार बार मरूँगा जब तक मारूंगा की ये मर नहीं जाता , आज के बाद शहर में लाला का नाम कोई नहीं लेगा नाम लेने वालो को मारूंगा



“आ साले कसम है मिटटी नसीब नहीं होगी तेरी जिस्म को ” लाला ने अपने को पुलिस वालो से छुड़ाया और मेरी तरफ लपका . लाला के लोगो ने शोर मचाना शुरू किया . इस से पहले की मैं अपनी गिरफ्त से आजाद हो पाता लाला की हत्थी मेरे सर पर लगी और कसम से एक ही वार में सर घूम गया. लाला ने मुझे उठाया और शोएब की कार पर पटक दिया . कार पर बनी चील का एक हिस्सा मेरी पसलियों में घुस गया . दर्द को महसूस किया मैंने तभी लाला का घुटना मेरे सीने पर लगा और मुह से उलटी गिर गयी .

“इस शहर में एक ही मर्द है और वो है जहाँगीर लाला . तू अब तक जिन्दा सिर्फ इसलिए है की तेरी सूरत छिपी हुई है , मसीहा बनने का शौक है न तुझे . तेरी रूह तुझसे सिर्फ सवाल पूछेगी की किन नामर्दों का मसीहा बनने चला था , इस शहर में मेरा खौफ इसलिए नहीं है की मैं बुरा हूँ , यहाँ के लोग नामर्द है ” लाला ने फिर से हत्थी मारी और मैं जमीन पर गिर गया .

“उठ साले, किस्मत सबको मौका देती है , उठ और देख सामने खड़ी मौत को . तेरी किस्मत आज मौत है ” लाला ने मुझे लात मार. लाला में सांड जैसी ताकत थी .काबू ही नहीं आ रहा था .

“लड़की को लाओ रे ” लाला की बात सुनकर दो गुंडे लड़की को हमारे पास लेकर आये

“इस दुनिया में कीड़े मकौड़ो के माफिक भरे है लोग.रोज कितने लोग मरते है किसी को कोई हिसाब नहीं , क्या लगती है ये लडकी जिसके लिए तूने बहनचोद सब कुछ मिटटी में मिला दिया . ”लाला ने लड़की को थप्पड़ मारा

“सर पर हाथ रखा है इसके लाला, तू तो क्या कायनात तक इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती ” मैंने पसलियों पर हाथ रखते हुए खड़े होते हुए कहा

“अजीब इत्तेफाक है दुनिया की तमाम लड़ाइयाँ औरतो के लिए ही लड़ी गयी है ” लाला ने हँसते हुए कहा पर उसकी हंसी रुक गयी क्योंकि मैंने मुक्का मार दिया था उसको. आसमान दिन में ही काला हो चूका था बारिश अपने रौद्र रूप पर पहुँच गयी थी लाला कभी मुझ पर भारी पड़े और कभी मैं लाला पर . दरअसल अब ये लड़ाई ईगो की भी तो हो गयी थी .

सीने पर पड़ी लात से लाला निचे गिर गया उठने से पहले ही मैंने उसके घुटने पर मारा दर्द से तड़प उठा पर उस से उठा नहीं गया. मैं समझ गया था की बाज़ी मेरे हाथ में है . “खेल ख़तम लाला ” इस से पहले की मैं उसकी गर्दन तोड़ देता “धाएं ” गोलियों की आवाज गूंजने लगी . मेरी नजर ने सामने जो देखा फिर बस देखता ही रहा .

“बस यही तो नहीं चाहता था मैं ” मैंने आसमान से कहा .

ऐसा तो हरगिज नहीं था की उस से खूबसूरत लड़की मैंने और कही नहीं देखी थी पर ये भी सच था की जिन्दगी में जो भी थी बस वो ही थी . हाथो में पिस्तौल लिए वो हमारी तरफ ही बढ़ रही थी , पता नहीं वक्त थम सा गया था या मेरा अतीत दौड़ आया था मुझे गले से लगाने को . बरसो पहले एक बारिश आई थी जब उसे भीगते हुए देखा था बरसो बाद आज ये बारिश थी जब वो मेरे सामने थी .

“बंद करो ये तमाशा ” हांफते हुए उसने कहा . मेरी आँखे बस उसे ही देखे जा रही थी .

“गिरफ्तार करो लाला को और समेटो सब कुछ यहाँ से अभी के अभी ” चीखते हुए उसने अपनी कैप उतारी और मुझसे रूबरू हुई. कहने को बहुत कुछ था पर जुबान खामोश थी , वो मुझे देख रही थी और मैं उसे . “कबीर ”उसने कांपते होंठो से मेरा नाम लिया एक पल को लगा की सीने से लग जाएगी पर तभी वो पलट गयी . मुड़कर ना देखा उसने दुबारा. दिल की बुझी आग की राख में से कोई चिंगारी जैसे जी उठी.

“पानी पिला दो कोई ” मैंने कहा और गाड़ी से पीठ टिका कर बैठ गया. दूर खड़ी वो पुलिस वालो से ना जाने क्या कह रही थी पर भाग दौड़ बहुँत बढ़ गयी थी .

“पानी भैया ” उस लड़की ने मुझे जग दिया. घूँट मुह से लगाये मैं अतीत की गहराई में डूबने लगा था. कभी सोचा नहीं था की जिन्दगी के इस मोड़ पर वो यूँ मेरे सामने आकर खड़ी हो जाएगी बहुत मुश्किल से संभाला था खुद को समझ नही आ रहा था की ये खुश होने की घड़ी है या फिर रोने की .

“उठ, चल मेरे साथ ” dsp ने मेरे पास आकर कहा

“इस लड़की को सुरक्षित इसके घर पहुंचा दो ” मैंने कहा

Dsp- फ़िक्र मत कर इसकी , इसके लिए शहर जला दिया तूने किसकी मजाल जो नजर भी उठा सके

मैं- थाने ले जायेगा क्या

Dsp- गाड़ी में तो बैठ जा मेरे बाप.

मैंने उस लड़की के सर पर हाथ रखा और गाडी में बैठ गया. रस्ते में ठेका आया तो मैंने गाड़ी रुकवा कर बोतल ले ली , कडवा पानी हलक से निचे जाते ही चैन सा आया. आँखे भीग जाना चाहती थी . मैंने सर खिड़की से लगाया और आँखे बंद कर ली .

“कौन है भाई तू ” dsp ने पुछा मुझसे

“कोई नहीं ” मैंने बस इतना ही कहा ..........
Zabardast takkar huwi lala ne bhi achche dhoya kabeer ko Lekin aakhir me baji kabeer ke haath me thi Lekin yeh Kon madam h Jo beech me aakar Sara Maza kir kira kar dia
Baherhal dekhte DSP kaha laker jaa Raha h or aage kia hota h
Behtareen zabardast shaandar update
 

Naik

Well-Known Member
22,557
79,605
258
#6

लाला गाड़ी से उतरा और अगले ही पल उसने गाडी में से उसी लड़की को खीच लिया जिसकी वजह से ये सब शुरू हुआ था . अजीब सी सिचुएय्शन हो गयी थी , लाला भी था पुलिस भी थी और मैं भी था , बरिश की बूंदे गिरने अलगी थी शायद आसमान भी नहीं चाहता था की शोएब का खून धरती से पनाह मांगे.

“भैया ” लगभग चीख ही तो पड़ी थी वो लड़की

“लड़की को छोड़ लाला ” मैंने आगे बढ़ते हुए कहा

“दम है तो ले जा इसे ” सुर्ख लहजे में बोला लाला

“तू भी मरेगा लाला, काश थोड़ी देर पहले आता तू , शोएब की जान निकलते देखता बहुत मजेदार नजारा था ” मैंने कहा और लाला की तरफ लपका . लाला भी बढ़ा मेरी तरफ पर बीच में पुलिस आ आगयी . कुछ ने मुझे पकड़ा कुछ ने लाला को .

“हरामी जगदीश , बीच में पड़ , मामला मेरे और इसके बीच का है मेरे टुकडो पर पलने वाले खाकी कुत्तो की इतनी हिम्मत नहीं की शेर का रास्ता रोक सके ” लाला ने गुस्से से कहा

मैं- dsp , हट जा यहाँ से , इसके बेटे को मारा है इसे भी मारूंगा . बार बार मरूँगा जब तक मारूंगा की ये मर नहीं जाता , आज के बाद शहर में लाला का नाम कोई नहीं लेगा नाम लेने वालो को मारूंगा



“आ साले कसम है मिटटी नसीब नहीं होगी तेरी जिस्म को ” लाला ने अपने को पुलिस वालो से छुड़ाया और मेरी तरफ लपका . लाला के लोगो ने शोर मचाना शुरू किया . इस से पहले की मैं अपनी गिरफ्त से आजाद हो पाता लाला की हत्थी मेरे सर पर लगी और कसम से एक ही वार में सर घूम गया. लाला ने मुझे उठाया और शोएब की कार पर पटक दिया . कार पर बनी चील का एक हिस्सा मेरी पसलियों में घुस गया . दर्द को महसूस किया मैंने तभी लाला का घुटना मेरे सीने पर लगा और मुह से उलटी गिर गयी .

“इस शहर में एक ही मर्द है और वो है जहाँगीर लाला . तू अब तक जिन्दा सिर्फ इसलिए है की तेरी सूरत छिपी हुई है , मसीहा बनने का शौक है न तुझे . तेरी रूह तुझसे सिर्फ सवाल पूछेगी की किन नामर्दों का मसीहा बनने चला था , इस शहर में मेरा खौफ इसलिए नहीं है की मैं बुरा हूँ , यहाँ के लोग नामर्द है ” लाला ने फिर से हत्थी मारी और मैं जमीन पर गिर गया .

“उठ साले, किस्मत सबको मौका देती है , उठ और देख सामने खड़ी मौत को . तेरी किस्मत आज मौत है ” लाला ने मुझे लात मार. लाला में सांड जैसी ताकत थी .काबू ही नहीं आ रहा था .

“लड़की को लाओ रे ” लाला की बात सुनकर दो गुंडे लड़की को हमारे पास लेकर आये

“इस दुनिया में कीड़े मकौड़ो के माफिक भरे है लोग.रोज कितने लोग मरते है किसी को कोई हिसाब नहीं , क्या लगती है ये लडकी जिसके लिए तूने बहनचोद सब कुछ मिटटी में मिला दिया . ”लाला ने लड़की को थप्पड़ मारा

“सर पर हाथ रखा है इसके लाला, तू तो क्या कायनात तक इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती ” मैंने पसलियों पर हाथ रखते हुए खड़े होते हुए कहा

“अजीब इत्तेफाक है दुनिया की तमाम लड़ाइयाँ औरतो के लिए ही लड़ी गयी है ” लाला ने हँसते हुए कहा पर उसकी हंसी रुक गयी क्योंकि मैंने मुक्का मार दिया था उसको. आसमान दिन में ही काला हो चूका था बारिश अपने रौद्र रूप पर पहुँच गयी थी लाला कभी मुझ पर भारी पड़े और कभी मैं लाला पर . दरअसल अब ये लड़ाई ईगो की भी तो हो गयी थी .

सीने पर पड़ी लात से लाला निचे गिर गया उठने से पहले ही मैंने उसके घुटने पर मारा दर्द से तड़प उठा पर उस से उठा नहीं गया. मैं समझ गया था की बाज़ी मेरे हाथ में है . “खेल ख़तम लाला ” इस से पहले की मैं उसकी गर्दन तोड़ देता “धाएं ” गोलियों की आवाज गूंजने लगी . मेरी नजर ने सामने जो देखा फिर बस देखता ही रहा .

“बस यही तो नहीं चाहता था मैं ” मैंने आसमान से कहा .

ऐसा तो हरगिज नहीं था की उस से खूबसूरत लड़की मैंने और कही नहीं देखी थी पर ये भी सच था की जिन्दगी में जो भी थी बस वो ही थी . हाथो में पिस्तौल लिए वो हमारी तरफ ही बढ़ रही थी , पता नहीं वक्त थम सा गया था या मेरा अतीत दौड़ आया था मुझे गले से लगाने को . बरसो पहले एक बारिश आई थी जब उसे भीगते हुए देखा था बरसो बाद आज ये बारिश थी जब वो मेरे सामने थी .

“बंद करो ये तमाशा ” हांफते हुए उसने कहा . मेरी आँखे बस उसे ही देखे जा रही थी .

“गिरफ्तार करो लाला को और समेटो सब कुछ यहाँ से अभी के अभी ” चीखते हुए उसने अपनी कैप उतारी और मुझसे रूबरू हुई. कहने को बहुत कुछ था पर जुबान खामोश थी , वो मुझे देख रही थी और मैं उसे . “कबीर ”उसने कांपते होंठो से मेरा नाम लिया एक पल को लगा की सीने से लग जाएगी पर तभी वो पलट गयी . मुड़कर ना देखा उसने दुबारा. दिल की बुझी आग की राख में से कोई चिंगारी जैसे जी उठी.

“पानी पिला दो कोई ” मैंने कहा और गाड़ी से पीठ टिका कर बैठ गया. दूर खड़ी वो पुलिस वालो से ना जाने क्या कह रही थी पर भाग दौड़ बहुँत बढ़ गयी थी .

“पानी भैया ” उस लड़की ने मुझे जग दिया. घूँट मुह से लगाये मैं अतीत की गहराई में डूबने लगा था. कभी सोचा नहीं था की जिन्दगी के इस मोड़ पर वो यूँ मेरे सामने आकर खड़ी हो जाएगी बहुत मुश्किल से संभाला था खुद को समझ नही आ रहा था की ये खुश होने की घड़ी है या फिर रोने की .

“उठ, चल मेरे साथ ” dsp ने मेरे पास आकर कहा

“इस लड़की को सुरक्षित इसके घर पहुंचा दो ” मैंने कहा

Dsp- फ़िक्र मत कर इसकी , इसके लिए शहर जला दिया तूने किसकी मजाल जो नजर भी उठा सके

मैं- थाने ले जायेगा क्या

Dsp- गाड़ी में तो बैठ जा मेरे बाप.

मैंने उस लड़की के सर पर हाथ रखा और गाडी में बैठ गया. रस्ते में ठेका आया तो मैंने गाड़ी रुकवा कर बोतल ले ली , कडवा पानी हलक से निचे जाते ही चैन सा आया. आँखे भीग जाना चाहती थी . मैंने सर खिड़की से लगाया और आँखे बंद कर ली .

“कौन है भाई तू ” dsp ने पुछा मुझसे

“कोई नहीं ” मैंने बस इतना ही कहा ..........
Zabardast takkar huwi lala ne bhi achche dhoya kabeer ko Lekin aakhir me baji kabeer ke haath me thi Lekin yeh Kon madam h Jo beech me aakar Sara Maza kir kira kar dia
Baherhal dekhte DSP kaha laker jaa Raha h or aage kia hota h
Behtareen zabardast shaandar update
 

R_Raj

Engineering the Dream Life
158
534
109
#५

जीप में से सेठ का मेनेजर उतरा. उसके माथे का पसीना और अस्त व्यस्त हालत देख कर ही मैं समझ गया था की अच्छी खबर तो लाया नहीं होगा ये.

“तुम्हे चलना होगा मेरे साथ ” देवीलाल ने कहा

मैं- क्या हुआ

देवीलाल- सेठ को मार दिया लाला के गुंडों ने, शहर छोड़ कर भागना चाहता था था सेठ पर मुमकिन नहीं हो सका.

खबर सुनकर झटका सा लगा मुझे. सेठ के अहसान थे मुझ पर इस अजनबी शहर में काम दिया था उसने .

“और सेठानी. ” बड़ी मुस्किल से बोल सका मैं.

“मेरे साथ आओ ” देवीलाल ने कहा तो मैं जीप में बैठ गया. बहुत तेजी से गाडी चला रहा था वो और मेरा दिमाग जैसे एक जगह रुक गया था . मन जैसे सुन्न हो गया था . दिल में एक बोझ सा आ गया था , मन उचाट हो गया मैं अपने आप को गलत समझने लगा. अगर मैं लाला के गुंडों को नहीं पीटता तो शायद सेठ जिन्दा होता. आँखों के किसी कोने से आंसू बह पड़े. होश जब आया, जब गाड़ी के ब्रेक कानो से टकराए.

सेठ के घर की बस्ती थी ये , सेठ के घर के पास बहुत भीड़ जमा थी , कांपते हुए दिल को लिए मैंने कदम आगे बढ़ाये. भीड़ हटने लगी थी , घर के निचे मैंने गाड़ी के काले बोनट पर बैठे उसे देखा जो शान से सिगार का धुंआ उड़ा रहा था .

“ले आया शोएब बाबा मैं इसे, मुझे माफी दो ” दौड़ते हुए देवीलाल उसकी तरफ भागा पर पहुँच नहीं पाया क्योंकि शोएब की गोली ने उसके कदम रोक दिए.

“माफ़ी के लायक नहीं तू, धोखेबाज सिर्फ गोली खाते है.” बोनट पर बैठे बैठे ही बोला वो.

सेठ मर गया था, देवीलाल का जिस्म तडप रहा था . तभी मेरी नजर कोने में सर झुकाए सेठानी पर पड़ी जो निर्वस्त्र थी . सौ लोग तो होंगे ही वहां पर और उनके बीच में एक नारी नंगी बैठी थी . कांपती धडकन चीख कर कहने लगी थी की उस औरत की लाज नहीं बची थी.

“शोएब , ये ठीक नहीं किया तूने अंजाम भुगतेगा इसका. ” चिल्ला पड़ा मैं .

उसने बेफिक्री से सिगार का कश खींचा और उतर कर मेरे पास आया, इतने पास की सांसो का निकलना भी मुश्किल हो. उसने बन्दूक मेरे सर पर लगा दी और बोला- सिर्फ एक गोली और सब ख़तम पर ये तो आसान मौत होगी. अगर तुझे आसान मौत दी फिर खौफ क्या ही होगा शाहर के लोगो में . तुझे तड़पना होगा तेरी तड़प ही इस शहर को बता सकती है की हमारे सामने सर उठाने वालो का अंजाम क्या होता है .

“किस्मत बड़ी ख़राब है तेरी शोएब ,किस्मत सबको एक मौका देती है तूने गँवा दिया अपना मौका . सेठ की मौत के लिए तुझे शायद माफ़ी भी मिल जाती पर इस अबला औरत पर तूने जो जुल्म किया है न तू कोसेगा उस पल को जब तूने इसकी अस्मत लूटी. जिस मर्दानगी का गुमान है न तुझे, तू रोयेगा की तेरी माँ ने तुझे मर्द पैदा ही क्यों किया.कमजोरो पर वार करने वाले कभी मर्द नहीं होते,तेरी नसों में मर्द का खून बह रहा है तो आज और दिखा तेरा जोर मुझे .” कहते हुए मैंने खींच कर एक मुक्का शोएब के चेहरे पर जड़ दिया. दो कदम पीछे हुआ वो और अपने चेहरे को सहलाने लगा.

उस एक मुक्के ने जैसे आग ही तो लगा दी थी .

“अब साले ”शोएब के गुंडे मेरी तरफ आगे बढ़े पर शोएब ने अपना हाथ उठाते हुए उन्हें रोक दिया .

शोएब- दूर हो जाओ सब , जिदंगी में पहली बार कोई मिला है मजा आ गया. गोली मारी तो तौहीन होगी आ साले आया , देखे जरा , तुझे मार कर इसको फिर से चोदुंगा तेरी लाश पर लिटा कर

“जहाँगीर लाला को खबर कर दो जनाजे की तैयारी करे. उसके बेटा मरने वाला है ” मैंने जोर से बोला और हम जुट गए. शोएब हवा में उछला और मेरे कंधे पर वार किया. लगा की जैसे पत्थर ही तो दे मारा हो किसी ने . पीछे छोड़ आया था मैं ये सब पर आज नियति शायद ये ही चाहती थी की पाप का अंत हो जाये.

शोएब के कुछ वार मैंने रोके, कुछ उसने रोके. ताकत में वो कम नहीं था . उसने मेरे घुटने पर लात मारी .

“उठ , अभी से थक गया ” हँसते हुए बोला वो

मेरी नजर सेठानी पर पड़ी जिसकी मूक आँखे मुझ पर ही जमी थी . मैंने शोएब के हाथ को पकड़ा अपने कंधे को उसकी बगल से ले जाते हुए उसे उठा कर पटका वो गाड़ी के अगले हिस्से पर जाकर गिरा. “आह ” जिस तरह उसने अपनी पसलियों पर हाथ रखा मैं तभी समझ गया था की चोट गहरी लगी है , तुरंत मैंने उसी जगह पर लात जड़ दी.

“आह ” कराह पड़ा वो दोनों हाथ पसलियों पर रख लिए पर इतना आसान कहाँ था उसका निपट जाना. मेरे अगले वार को रोक कर उसने हवा में उछाल दिया मुझे उठ ही रहा था वो की मैंने उसके कुलहो पर लात मारी इस से पहले की वो संभलता मैंने पुरे जोर से उसे खिड़की पर दे मारा. शीशा तिडक गया. मैंने शोएब के हाथ को गाड़ी से लगाया और उसकी बीच वाली ऊँगली को तोड़ दिया.

“आहीईईईईई ” इस बार वो बुरी तरह चीखा जिन्दगी में पहली बार उसने दर्द महसूस किया .

“लाला को खबर हुई के नहीं, खबर करो पर अब ये कहना की जनाजे की तयारी ना करे, यही आ जाये इसकी लाश को कंधा देने जनाजे लायक कुछ बचेगा नहीं. ” चीखते हुए मैंने उसके सर को ऊपर किया और अगली ऊँगली तोड़ दी.

“गौर से देख शोएब ये गली तेरी , ये मोहल्ला तेरा, ये बाजार तेरा तेरे ही शहर में तेरी गांड तोड़ रहा हूँ मैं क्या बोला था तू मेरी लाश पर लिटा के चोदेगा सेठानी को तू . तुझे वास्ता है तेरी माँ की उस चूत का जिस से तू निकला है दम मत तोडियो . दर्द क्या होता है है आज जानेगा तू ” मैंने उसके सर को घुमाया और उसकी पीठ पर मुक्के मारने लगा.

“क्या कह रहा था तू भोसड़ी के, इस शहर को तेरा खौफ होना चाहिए, बहन के लंड मुझे गौर से देख, तेरे बेटे की गांड इसी तरह तोड़ी थी मैंने , उसकी आँखे और गांड दोनों एक साथ फट गयी थी जब मैंने उसके हाथ को उखाड़ा था . वो इतनी अकड़ में था की साला समझ ही नहीं रहा था मैंने बहुत कहा की टाल ले इस घडी को पर साले को चुल थी की शहर उसके बाप का है और देख उसके बाप की गांड भी तोड़ रहा हूँ . ” थोडा सा उसे आगे किया और फिर से एक लात मारी वो दर्द से बिलबिलाते हुए गाड़ी के दरवाजे से टकराया. मैंने उसकी बेल्ट खोल ली और उसकी गले में पहना दी.

“देख , तेरे ही शहर में कुत्ता बना दिया तुझे. कहाँ रह गया इसका बाप लाला, मर्द नहीं है क्या वो साला छुप गया क्या किसी के भोसड़े में जाकर. खबर करो उसे इस से पहले की मैं इसे मार दू लाला चाहिए मुझे यहाँ ” मैंने शोएब के हाथ को उठाया और एक झटके में तोड़ दिया.

“आअहीईईईइ ” उसकी सुलगती चीखे बहुत सकून दे रही थी . बस्ती के लोग, शोअब के गुंडे सबको जैसे लकवा मार गया था . मैंने उसे उठाया और गाड़ी में बोनट पर लिटाया. पेंट निचे सरकाई उसकी , उसके नंगे चुतड हवा में उठ गया.

“बहुत लोगो को नंगा किया तूने, आज ये दुनिया तेरी औकात और तेरी गांड देखेगी. तुझे मालूम है शोएब जब किसी औरत को जबरदस्ती चोदा जाता है तो कितना दर्द महसस करती है वो . तू अभी जान जायेगा. एक मिनट रुक बस एक मिनट तू भी देख साले गांड में कुछ जाता है तो कैसा दर्द होता है ” मैंने गाड़ी के वाईपर को उखाड़ा और शोएब की गांड में घुसा दिया.

“महसूस हुआ ” मैंने वाईपर को घुमाया शोएब के कुल्हे टाइट हो गए दर्द से ऐंठने लगा वो .

सांस अटकने लगी थी उसकी बदन झटके खा रहा था मैंने उसकी शर्ट को फाड़ दिया गाडी में मुझे नुकीली फरसी दिखी मैंने शोएब की पीठ पर कट लगाया इतना की मेरी उंगलिया उसके मांस में धंस सके.


“महसूस कर इस दर्द को , इस डर को की कोई था जो आया और तेरे सारे खौफ को तेरी गांड में घुसा के चला गया. ” चुन चुन कर मैं उसके मांस को हड्डियों से अलग करता रहा , बहुत दिनों बाद सुख महसूस किया था मैंने. और तारुफ़ देखिये इधर मैंने उसकी अंतिम हड्डी को मांस से अलग किया की ठीक तभी जहाँगीर लाला और पुलिस की गाडिया वहां आ पहुंची.......
Bete Ke Bad Bap Ko bhi dho diya
aur bc police bhi last me hi aayegi as expected !
 
Top