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Incest तू लौट के आजा मेरे लाल

sumedh19

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( chapter 8 )

( मे प्यार से उन कुछ लोगो से केहना चाहता जिन्हें अपने हिसाब से सब चाहिये देखो मेरी स्टोरी है और मेने जैसा सोचा है वैसा ही एंड भी होगा जिन लोगो को पसंद नही आ रही प्लेस इंस्टा रील की तरह स्क्रोल कर आगे बढ़ जाये मे हर किसी को खुश नही कर सकता मेरी भी कुछ पसन्दीदा स्टोरी है जिसमे मुझे कई सीन कई चीजे पसंद नही आई लेकिन मे किया कर सकता हु मर्ज़ी मेरी थी पढु या ना पढु xforum मे हर एक स्टोरी मे मेने देखा कोई ना कोई होता है जिन्हें स्टोरी मे सब अपने हिसाब से चाहिये होता है तो भाई xforum पे कई स्टोरी है जाके पढ़ो अगर मेरी स्टोरी पसंद नही आ रही तो प्लेस )
बाकी सभी का थैंक्स
🙏🙏🙏🙏🙏🙏



घर पे आसा अभय के लिये परेसान थी अभय के गये 1 घंटे होने वाले थे अभय के साथ हुई घटना आसा के अंदर डर पैदा कर चुकी थी यही वजह थी आसा अभय के लिये परेसान थी लेकिन दिशा के समझाने पे आसा सांत हो चुकी की लेकिन दिल के अंदर बेटे के लिये चिंता कभी खतम नही हो सकती खास कर एक मा के लिये

( स्कूल)

वही अभय अदिति के सामने घुटनों पे बैठ अपनी ओरिजनल आवाज मे परपोस् करता है उसी के साथ अपने चेहरे से मास्क भी निकाल देता है

अदिति अभय के चेहरे को देख जम जाती है कोई शब्द नही निकल रहे थे ना सरीर कोई मोमेंट कर पा रहा था ना आखे की पलके झपक रही थी लेकिन आखे सिर्फ अभय को देखे जा रही थी

अमर आरोही अदिति को कुछ ना बोलता देख पथर् के तरह खरा देख समझ नही पा रहे थे आखिर अदिति को किया हो गया है लेकिन तभी दोनों और हैरान हो जाते है और कंफ्यूज भी कियुंकी अदिति का पूरा सरीर हिल नही रहा था कोई मोमेंट नही कर रहा था लेकिन अदिति के आखो से भर भर के आसु निकल तप तप कर नीचे गिरे जा रहे थे जो अमर आरोही हो हैरान के साथ सोचने पे मजबूर कर रहे थे

वही अभय अदिति के आखो से आसु निकल नीचे गिरते हुवे देखता तो अपना हाथ आगे लेजाकर अदिति के आसु जो गिर रहे थे अपने हाथो मे जमा करते हुवे अदिति को देख

अभय - गुरिया तेरे एक एक आसु की कीमत मेरे लिये बहोत जायदा है तो ऐसे अपने आसु बहाया मत कर

गुरिया ये शब्द अमर आरोही के कान मे जाते है तो दोनों को बहोत बरा झटका लगता है दोनों हैरानी से अभय को देखने लगते है लेकिन अभी भी अमर आरोही समझ नही पा रहे थे अभय कोन है अदिति से किया रिस्ता है उसका

अदिति जो अभय के चेहरे को देख रोये जा रही थी कुछ बोल रही रही थी जम सी गई थी लेकिन अब अदिति का सिर्फ होठ मोमेंट करता है अदिति कापते होठों से अभय की आखो मे देख

अदिति - किया आप मेरे अभय भाई है
( असल मे अदिति को यकीन था सामने घुटनों पे बैठा उसका भाई है लेकिन 4 साल बाद अचानक अभय आ गया था तो 4 साल मे थोरा बदलाव सॉरी थोरा से ज्यादा बदलाव आये थे अभय मे बस अदिति को बिस्वास नही हो रहा था इसी लिये अदिति ने ये सवाल पूछा )

अभय खरा होता है और अदिति की आखो मे देख बाहें फैलाते हुवे हा गुरिया मे तेरा भाई अभय हु मे लौट आया गुरिया तेरे पास अपनो के पास बस यही सुनना था अदिति को अदिति बिना देरी किये रोते हुवे भईया केहते हुवे जाके अभय के बाहो मे समा जाती है अभय भी अदिति को अपनी बहो मे पूरा समा लेता है


U9tP
एक बेहन जिसके लिये उसका भाई सब कुछ था एक भाई जिसकी एक लाडली बेहन जिसके लिये पूरी दुनिया से लर सकता है कहे तो दोनों भाई बेहन की जान एक दूसरे मे बस्ती है आखिर कार आज एक बेहन एक भाई दोनों मिल ही गये सीन बहोत प्यारा लेकिन इमोसनल भी था

अमर आरोही के मूल खुले आखे फटे रेह जाते है ये जान की अभय अदिति का वही भाई है जिसे चार साल पेहले किंडनैपर किडनैप कर के ले गये थे

अदिति अपने भाई के सीने से लगी हुई रोते हुवे - भाई आप कहा चले गये थे आप को पता भी है आपकी गुरिया कैसे आप के बिना एक एक पल दिन रात गुजार रही थी मुझे आप की बहोत याद आती थी भाई हर पल मेरा दिल आपकी आवाज आपको देखने के लिये तरपता रेहता था रात को नींद नही आती थी खाना गले से उतर नही रहा था घर मुझे काटने को दोरते थे ( अभय अदिति के सर को सेहलाते हुवे अदिति को बोलने दे रहा था अभय को पता था बहोत सारी बाते केहनी होगी अदिति को )


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अदिति- जब भी स्कूल से घर जाती थी तो लगता था आप घर पे होगे लेकिन जब अंदर जाती थी तो नही होते थे तो मेरा दिल रो परता था भाई मेरा दिल रो परता था मे उपर वाले से दुवा करती थी आप लौट आये मेरे पास अपनी गुरिया के पास और आज आप लौट आये मेने भाई आपको बहोत मिस किया बहोत हर पल मेरा दिल आप को याद करता था मेरी हर एक सासे भी

अभय अदिति के चेहरे को पकर आखो मे देख - मुझे पता है मेरी गुरिया ने मुझे बहोत मिस किया बहोत दर्द सहा है लेकिन गुरिया सेम मेरा भी वही हाल था ये तो मा तेरा प्यार ही है जिसने मुझे हिम्मत दी


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और आज मे तेरे पास आ गया लेकिन अब रोने की जरूरत नही है तेरा भाई अब आ गया है और फिर कभी भी तुझे छोर कर कही नही जायेगा ये मेरा तुझसे वादा है गुरिया

अदिति आखो मे आसु लिये सिसक सिसक कर रोते हुवे अभय को देख - भाई आप सच केह रहे है ना आप फिर मुझे छोर कर नही जायेंगे ना अगर इस बार मुझे फिर छोर कर चले गये तो मे जी ( अभय बीच मे अदिति को रोकते हुवे)


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अभय - नही जाउंगा और ना मे अपनी मर्ज़ी से गया था लेकिन इस बार कोई भी मुझे तुमसे जुदा नही कर सकता और अगर किसी ने कोसिस भी कि तो मे उसे चिर कर रख दूंगा

अभय की बात सुन अदिति अभय के गले लगते हुवे - आप न केह दिया यही मेरे लिये बहोत है अदिति फ़िर अभय के बहो मे समा जाती है अभय भी अदिति को बाहो मे समा लेता है आज दोनों के दिल को सुकून मिल रहा था और ऐसा हो भी कियु ना दोनों की जान जो एक दूसरे मे बस्ती है दोनों भाई बेहन गले लगे रेहते लोगो से बेखबर

अमर आरोही हैरान लेकिन खुश भी थे अदिति के लिये कि उसका भाई आ गया वापस


3 मिनट बाद अभय - अदिति सी गुरिया कब तक गले लगी रहोगी घर भी जाना है


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अदिति - दिल नही कर रहा आपको छोराने का दिल कर रहा है आपके बाहो मे युही रहु कियुंकी आपकी बाहो मे मुझे बहोत सुकून मिल रहा है
अभय - हस्ते हुवे समझ गया लेकिन अभी हमे जाना भी है मे हु ना तेरे पास जितना मेरी बाहो मे रेहना है रेह लेना ठीक है


अभय के केहने पे अदिति अभय से अलग होती है लेकिन अभय के एक बाहो को जोर से पकर लेती है अभय ये देख मुस्कुरा देता है


( दोनों भाई बेहन का मिलन 4 साल बाद पुरा हुवा )

अभय अमर आरोही को देखता है फिर अभय अमर आरोही के पास जाके खरा हो जाता है

अभय अदिति को देख - गुरिया तूने मेरे प्यार को कबूल किया
अदिति अपने भाई की बात सुन अभय को प्यार से देखते हुवे
अदिति - भाई मेरे दिल मे आप तो सुरु से ही है ( कबूल है)
अभय अमर को देख - किया तुम अमर को छोर दोगी मेरे केहने पे
अदिति अमर को देखते हुवे - आपने कहा मेने छोर दिया

अमर ये सुनते ही अभय के पैर पे गिरते हुवे - भाई मे अदिति से बहोत प्यार करता हु प्लेस मुझे अदिति से दूर मत कीजिये

अदिति अमर को ये सब करता देख नही थी लेकिन कुछ नही बोलती है आरोही भी चुप रेहती है

अभय अमर को देख - मेरे पैर पे गिरना बंद करो और खरे होके मेरी बात ध्यान से सुनो

अभय की बात सुन अमर खरा हो जाता है और अभय को देखने लगता है

अभय - देखो अमर मेरी गुरिया मेरे लिये मेरी जान है और मे अपनी गुरिया को ऐसे ही किसी के हाथो मे नही दे सकता मुझे इस बारे मे बहोत सोचना होगा कियुंकी मे अभी आया हु तुम्हे अच्छे से नही जानता तुम दोनों मे दोस्ती प्यार जो है उसके बारे मे भी पता नही है तो मुझे समय चाहिये तुम्हे जानने की चीजो को समझने के लिये मेने देखा तुमने हिम्मत दिखाई लेकिन तुम हालात को समझ नही पाये टीनू तुम्हे जान से मारने वाला था लेकिन तुम मार खाते रहे सोचा है उसके बाद अदिति आरोही का किया होता अगर लराइ आर पार की हो रही है तो उसमे अपनी पूरी जान लगा देनी चाहिये खैर अगर मुझे लगा तुम उसके लायक हो तो ठीक है नही तो अदिति को भूल जाना ( अभय अदिति को देख ) गुरिया तुम्हे कोई दिकत है तो केह सकती हो

अदिति अभय के बाहो को पकरे अपना सर अभय के सीने पे रख - मे आपकी गुरिया भी और हमेसा रहूगी आप को कहेगे करुगी

अभय अमर को देख - तुम समझ गये होगे

अमर बहोत कुछ बोलना चाहता था लेकिन बोल नही पाता

अभय कुछ पैसे निकाल अमर को देते हुवे - ये लो जाके इलाज करवा लेना

अभय पैसे देकर अदिति को प्यार से देख - चले गुरिया
अदिति अभय को प्यार से देख - जी भाई

अभय अदिति को लेकर बाइक की तरफ निकल परता है

अमर अदिति अभय को जाते देख आरोही से - आरोही तुम्हे किया लगता है अदिति की सादी उसका भाई मुझसे करायेगा

आरोही अदिति अभय को जाते देखते हुवे - मे कुछ केह नही सकती चीजे बदल गई है अदिति का भाई अदिति से बहोत प्यार परता है इतना की अदिति के लिये अपनी जान देख सकता किसी का ले भी सकता है और उसका देबो हम ने देख ही लिया है

आरोही अमर को देख - भाई बुरा मत मानना लेकिन तुम 2 लोगो को एक मुक्का भी मार नही पाये अगर अदिति का भाई नही होता हो चीजे बिगर सकती थी बहोत बुरा हो सकता था तो आप समझ रहे होगे अब तो अदिति के भाई के ऊपर है कियुंकी अदिति वही करेगी जो उसका भाई कहेगा अब हमे चलना चाहिये

अमर अदिति को जाते देख - ठीक है हम चलते है

अमर आरोही अपने रास्ते निकल परते है

अभय अदिति के साथ अपनी बाइक के पास आ जाता है अदिति बाइक को देख हैरान होते हुवे अभय को देखते हुवे
-
अदिति - भाई ये नया बाइक आप की है
अभय अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - मे अपनी गुरिया को थोरी ही पैदल या रिस्का मे लेकर जाउंगा इस लिये आते ही खरीद ली
अदिति हैरान होते हुवे बाइक को देख फिर अभय को देख
अदिति - भाई आप सच केह रहे है ये हमारी बाइक है
अभय - मुस्कुराते हुवे हा गुरिया हमारी बाइक है
अदिति खुशी के मारे अभय को गले लगते हुवे - भाई मे कई बार ये सोचती थी की भाई के साथ बाइक पे बैठ कर घूमने जाउंगी कितना मजा आयेगा लेकिन आप नही थे लेकिन आज मेरी ये खवाइज भी पूरी हो जायेगी

अभय अदिति के चेहरे को पकर आखो मे प्यार से देख

अभय - मेरी गुरिया की खुवाइज मेरी खुवाइस है और मे अपनी गुरिया की हर खोवाइस पूरी करुगा

अदिति अपने भाई की बात सुन इमोसनल होते हुवे - आई लोव यू भाई
अभय अदिति के माथे पे किस करते हुवे आई लोव यू तु मेरी गुरिया

अभय फिर अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - मेने सर्त जीती है पता है ना हारने मे तुम्हे किया देना था


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अदिति अभय को देख मुस्कुराते हुवे अभय के गालो पे अपने गुलाबी होठो से किस करते हुवे मुझे पता है भाई मे भूलि नही थी

अभय अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - गालो के किस लेकिन बहोत मीठी किस लगी मुझे
अदिति सर्म से लाल होते हुवे - भाई आप भी ना

अभय हस्ते हुवे - चलो चलते हो
अदिति - ठीक है

अभय बाइक पे बैठ बाइक चालू करता है और अदिति पीछे दोनों तरफ पैर कर बैठ जाती है लेकिन अदिति पुरा अभय से सत् अभय के कमर को दोनों हाथो से कस के पकर अपना सर अभय से कंधे पे रख देती है


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अभय का ये पहली बार था जो कोई लरकी उससे पुरा चिपक कर बाइक पे बैठी है अभय को अदिति के शरीर कि गर्मी के साथ अदिति के बरे गोल टाइट लेकिन उतने ही मुलायम चुचे अपने सरीर से चिपके साफ फिल हो रहा था लेकिन अभय अपने दिमाग सिर्फ अदिति के लिये प्यार था ( पर ये अनुभव फीलिंग अलग थी अभय के लिये)


( सायद इस लिये कियुंकी अभय 15 का था तक अभय का किंड्नैप हुवा था तो उस समय अभय एक बच्चा ही था अदिति भी लेकिन आज दोनों भाई बेहन जवानी मे कदम रख चुके थे)


अदिति बहोत खुश थी आज और अभय को बाहो मे पकरे बैठी हुई थी आज अदिति के चेहरे के खुशी एक अलग ही नेवल पे थी

अभय -अदिति को देख चले गुरिया
अदिति खुशी से - हा भाई चलिये


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अदिति के केहते ही अभय बाइक लेकर निकल परता है और अदिति अपने भाई को पकरे उसे एक अलग ही सुकून मिल रहा था

अभय बाइक लेकर तेजी से जा रहा था और फ़िर 5 मिनट बाद अभय मार्केट आ जाता है और बाइक रोक देता है

अदिति हैरान बाइक से नीचे उतरते हुवे अभय को देख - भाई हम घर जा रहे थे ना तो यहा कियु आये है

अभय अदिति को देख - गुरिया भाभी की मुहदिखाई मे मेने कुछ नही दिया है तो इसी लिये भाभी के लिये गिफ्ट लेने आया हुई

अदिति अभय के बाहो को पकर् खुश होते हुवे - अच्छा ये बात हो तो आप किया लेने वाले हो गिफ्ट भाभी के लिये


अभय सोचते हुवे - भाभी बहोत खूबसूरत है तो उनके गले मे लॉकेट बहोत अच्छा लगेगा

अदिति अभय को घूर के गुस्से से देख - किया मे खूबसूरत नही हु
अभय घबराते हुवे अदिति को देख - मेरी गुरिया को दुनिया की सब से खूबसूरत है
अदिति - मुह बनाते हुवे ठीक है चलिये लॉकेट ले लेते है

अभय अदिति अंदर जाते है अभय दो खूबसूरत लॉकेट लेता है

अभय एक लॉकेट खुद अदिति के गले पे पेहना देता है
अभय - गुरिया पसंद आया लॉकेट


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अदिति लॉकेट को देखते हुवे - बहोत ही खूबसूरत है और मेरे प्यारे भाई का पेहला गिफ्ट भी है तो ये मेरे बहोत खास हो गया है और बहोत कीमती भी जिसे मे अपने दिल के पास हमेसा रखुंगी
अभय - मुस्कुराते हुवे अदिति को देख हा तुम पे बहोत अच्छा लग रहा है

अदिति - खुश होते हुवे मेरे भाई ने जो पसंद की है
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है चलो चलते है

दोनों बाहर बाइक के पास आ जाते है

अभय - गुरिया तुम खाओगी

अदिति अभय की बात सुन इधर उधर देखने लगती है तो अदिति को पानीपुरी वाला दिखाई देता है

अदिति अभय को देख - भाई मुझे पानी पूरी खानी है
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है चलो फिर

अदिति खुशी खुशी पानीपुरी वाले की तरफ जाने लगती है दोनों पानीपुरी वाले के पास पहुँच जाते है

अभय पानीपुरी वाले से - अंकल पानीपुरी लगा दो

अभय अदिति मन भर पानीपुरी खाते है और अभय मा भाभी के लिये भी पैक करवा लेता है फिर बाइक पे बैठ जाता है अदिति भी पानीपुरी हाथ मे लिये बैठ जाती है

अभय - गुरिया चले फिर
अदिति - जी भाई

अभय बाइक लेकर घर पहुँच जाता है बाइक की आवाज सुन आसा दिशा भागते हुवे बाहर आके देखती है तो अदिति बाइक से उतर रही होती है और अभय बाइक पर ही होता है


आसा दिशा हैरान और कंफ्यूज भी थे बाइक को देख कर
अदिति नीचे उतर अपनी मा भाभी को देखते हुवे

अदिति - खुशी से मा भाभी देखो हम आ गये आज बहोत मजा आया भाई के साथ बाइक पे बैठ कर
अभय भी बाइक साइड मे लगा के अदिति के सामने खरा हो जाता है

आसा बाइक को देखते हुवे - ठीक है लेकिन ये बाइक किसकी है और तुम लोग इतनी देरी से कियु आ रहे हो हा जवाब दो पता भी है मे कितने देर से तुम दोनों का इंतज़ार कर रही हु

अभय आसा को गले लगाते हुवे - मेरी खूबसूरत मा कियु आप चिंता कर रही थी मे आ गया ना अब

आसा अभय को बाहो मे भर - अब मेरे दिल को सुकून मिला
अभय आसा के गाल पे किस करते हुवे - मुझे भी

दिशा अभय को देख - लेकिन देवर जी आपने बताया नही ये नई बाइक किसकी है
अभय के बताने से पेहले
अदिति - हमारी बाइक है भाभी भाई ने नई की है

अदिति की बात सुन आसा दिशा हैरानी से अभय को देखने लगते है

अभय आसा दिशा को देख चलिये अंदर बाते करते है

सभी अंदर आते है और आगन मे खटिये पे बैठ जाते है अभय से सत् कर अभय के बाहो को पकरे हुवे अदिति बैठी हुई थी

आसा अभय को देख - अब बताओ बाइक कहा से ली और कितनी की है बाइक
अभय आसा भाभी को देख - जायदा नही 93 हजार की है बस

आसा दिशा के साथ अदिति भी हैरान होते हुवे अभय को देखने लगते है
दिशा अभय को देख - देवर 93 हजार कोई कम पैसे नही है और आप आराम से केह रहे है
आसा अभय को देख - और नही तू किया लेकिन इतना पैसा आया कहा से तुम्हारे पास
अभय आसा दिशा को देख - अरे मा जहा कैद मे था वहा काम करने के पैसे भी देते थे ( अभय सच नही बताता आगे बतायेगा )

आसा - चल छोर जो भी है खैर अब तु आ गया इतना काफी है मेरे लिये

अदिति दिशा को पानीपुरी देते हुवे - भाभी ये लीजिये पानीपुरी भाई मा आप के लिये लेकर आये है

दिशा पानीपुरी लेते हुवे अभय को देख - वाह देवर जी आज तो मजा आ गया पानीपुरी खाने को मिल रहा है
अभय दिशा को देख मुस्कुराते हुवे - अरे मेरी न ही तो खूबसूरत भाभी है तो उनका ख्याल तो रखना पड़ेगा ही ना
दिशा मुस्कुराते हुवे - थैंक्स देवर जी पानीपुरी मुझे बहोत पसंद है
अभय - थैंक्स मत कहिये आप मेरी अपनी है इस घर का हिस्सा ही
दिशा अभय को प्यार से देखते हुवे - ठीक है नही कहूगी

अभय मुस्कुरा देता है

दिशा अदिति को देख हस्ते हुवे - ननद जी कब तक ऐसे ही अपने भाई को पकर कर बैठने का इरादा है.
अदिति अभय के कंडे पर सर रख मुस्कुराते हुवे - मेरा दिल करेगा तब तक भाभी

दिशा हस्ते हुवे - ठीक है ठीक है लगी रहो
आसा अदिति अभय को देख इमोसनल होते हुवे अदिति के पास जाके अदिति के गाल को प्यार से सेहलाते हुवे

आसा - मेरी बच्ची की जान उसके भाई मे बस्ती है ( अभय को देख) इस 4 चार साल मे मेरे लाल के बिना कभी मेने हस्ते नही देखा मस्ती करते नही देखा जैसे मेरी बच्ची जीना ही भूल गई हो बस मेरे सामने खुश रहने का दिखावा करती थी लेकिन ऐसा था नही

आसा अभय के गाल को सेहलाते हुवे - मेरा लाल हमारे लिये सब से लर कर आया है मुझे गर्व है मेने एक मर्द को जन्म दिया है

अभय अपनी मा के आसु साफ करते हुवे - आना ही था आप जैसी खूबसूरत मा ( अदिति को देख) मेरी प्यारी गुरिया ( अदिति खूबसूरत गुरिया भाई ) अभय हस्ते हुवे खूबसूरत गुरिया अब ठीक है ( अदिति मुस्कुराते हुवे हा) तो मुझे आना ही था

अभय दिशा के पास जाके खरा होते हुवे - मुझे एक भाभी चाहिये थी मे हमेसा सोचता था जब हम बरे होगे मेरी भाई की सादी होगी फिर हमारे घर मे भाभी आयेगी जिनके साथ खुब मस्ती करुगा भाभी के हाथो से खाना खाऊगा आज हम बरे हो गये भाई की सादी हो गई भाभी भी आ गई लेकिन ( अभय के आखो मे आसु आ जाते है) लेकिन भाई नही है हमारे बीच
अभय दिशा के हाथ को पकर - भाभी आप मुझे खुदगर्ज़ कहेगी चलेगा लेकिन मे ये कहुंगा आप का सुकिया भाभी इस घर को छोर कर ना जाने के किये अगर आप चली जाती तो मेरा सपना कभी पुरा नही होता मे अपनी भाभी के साथ मस्ती मजाक नही कर पाता मे आपके हाथो से बना खाना नही खा पता इस लिये दिल से सुक्रिया भाभी


अभय की बात दिशा की दिल पे लगती हो अभय के लिये दिशा के दिल मे और प्यार बढ़ जाता है दिशा के आखो से आखु झलक परते परते है आसा अदिति भी भाभी देवर का प्यार देख इमोसनल हो जाते है

दिशा अभय के गालो पे प्यार से हाथ फेरते हुवे अभय को देख

दिशा - जब मे इस घर मे आई तो आपके भाई सासु मा अदिति आप के बारे मे बहोत सारी बाते करते थे तो मे समझ गई मे ऐसे परिवार का हिस्सा बनी हु जहा हर किसी के दिल मे एक दूसरे के लिये प्यार है सब के मुह से सुन मे समझ गई थी की आप बहोत अच्छे होगे लेकिन आज मे गलत साबित हुई आप अच्छे नही बहोत अच्छे है देवर जी और मे एक ऐसे घर को छोर कर कैसे जा सकती थी जिस घर मे इतना परिवार है अगर मे चली गई होती तो बहोत पछताती कियुंकी आज जैसा देवर मे खो देती मुझे भी एक प्यारा नटखट देवर चाहिये था जो मुझे मिल चुका है बस कमी रहेगी इस जिंदगी में आपके भाई की

अभय घुघट बिना हटाये अंदर से ही दिशा के आसु साफ करते हुवे

अभय - भाई की कमी मे पूरी नही कर सकता लेकिन एक वादा है मे आप सब को हर खुशी दूगा
दिशा - अभय का हाथ पकर मुझे यकीन है अपने देवर जी पे

आसा - चलो हो गया इमोसनल ड्रामा अब खाना भी बनाना है

आसा की बात सुन अदिति दिशा अभय मुस्कुरा देते है

आसा दिशा खाना बनाने मे लग जाते है और अदिति अभय बहोत सारी बाते करने मे


( रात 8 बजे )

खाना बन चुका था आगन मे चटाइ बिछा दी गई थी सभी नीचे चटाई पे बैठे हुवे थे आसा अदिति दिशा की नजर अभय पे थी

आसा अभय को देख - मेरे लाल अब पता तुम्हे कोन ले गया था कहा ले गया था 4 साल कैसे रहे वहा पे किया करते थे सब कुछ मुझे जानना है
दिशा अभय को देख - हा देवर जी हमे भी जानना है आप कैसे वहा से भाग कर आये

अदिति तो अभी भी अभय से चिपकी हुई थी

अदिति - मुझे भी जानना है भाई सब कुछ

अभय आसा दिशा अदिति को देख एक बरी सास छोराते हुवे ठीक है बताता हु

तभी कोई चिल्लाते हुवे घर के अंदर आता है मेरा बेटा बेटा कहा है करते हुवे

अभय आवाज सुन समझ जाता है ये कोन होगी अभय अपना सर पकर मन मे - साले को कहा था मेरे साथ चल लेकिन नही नही साले को घूमना था बुवा के पास जाना था अब मुझे ऑन्टी को समझाना पड़ेगा

हा अभय का सोचना सही था ये विजय की मा ही थी मिनिता

मिनिता को पता चल चुका था अभय वापस आ गया है तो भागते हुवे आ गई अभय के घर


मिनिता आखो मे आसु लिये अंदर आती है मिनिता की नजर अभय पी जाती है मिनिता अभय के पास आके घुटनों पे बैठ अभय का हाथ पकर रोते हुवे

मिनिता रोते हुवे - मेरा बेटा मेरा लाल कहा है अभय किया वो तेरे साथ था अगर था तो वो कहा है प्लेस बेटा बता है मुझे चार

बीच मे ही अभय मिनिता के मुह को बंद करते हुवे मिनिता को देख

अभय - वो कमीना ठीक है हम साथ मे ही वहा से भाग के आये थे लेकिन कमीने को कहा मेरे साथ चल लेकिन उसके कहा मे घूमते हुवे बुवा के यहा से होते हुवे कल आ जाउंगा मा को बता देना तो अब जान गई रोना बंद कीजिये और आराम से बैठ जाइये वहा किया हुवा हम कैसे भाग कर आये वही मे सभी को बताने जा रहा था

अभय मिनिता को देख अब चुप रहेगी ना

मिनिता गर्दन हिलाते हुवे - हा

अभय फिर छोर देता है

मिनिता अभय को देख प्यार से - बेटा जरा विजय को फोन लगा ला किया करू जिगर का टुकरा है मेरा 4 साल टरपि हु उस के लिये उसको देखने के लिये उसकी आवाजे सुनने के लिये

अभय मिनिता को देखता है फिर फोन निकाल विजय को फोन लगा के मिनिता को दे देता है

मिनिता फोन पकर देती है विजय फोन उठाते हुवे बोलिये बॉस

तभी मिनिता का रुद्र रूप सामने आता है

मिनिता- चिलाते हुवे कमीने मे तेरी मा बोल रही हु मे यहा 4 साल से मेरा लाल मेरा लाल कहा है करते हुवे तुझे ढुंढ रही थी तरप रही थी लेकिन तु बाहर आया तो तुझे अपनी मा से जायदा बुवा की याद आई ठीक है मेरे लाल वही रेह बुवा के पास घर आने की जरूरत नही है

विजय कापते हुवे - मा अरे सुनो तो जैसा आप

तभी मिनिका फोन कट करते हुवे मुस्कुराते हुवे फोन अभय को दे देती है

मिनिका - कमीना जिंदा है सही सलामत है ये जान कर ही मे बहोत खुश हु

पर भाई आसा दिशा अभय तू मुह फारे मिनिका को ही देखे जा रहे थे
आसा दिशा अभय की दिमाग एक ही बात चल रही थी
अभी अभी उन्होंने किया देखा इतनी जल्दी तो गिरगिट भी अपना रंग नही बदलती

( विजय के बुवा के घर )

विजय अपनी बुवा के गोद मे सर रख लेता हुवा था

विजय बुवा को देख डरते हुवे - सुना ना हुवा मा कितने गुस्से मे है पक्का घर जाउंगा तो मा मुझे बहोत मारेगी
बुवा - अरे चिंता कियु करता है मे हु ना कल तेरे साथ चलुंगी टिक है
विजय खुश होते हुवे - तब तो टिक है बुवा

( अभय के के घर )

सभी हैरान मिनिका को देख ही रहे थे की मिनिका अचानक फिर रोने लगती है

मिनिका - मेरा लाल सही सलामत है मे खुश हुई मेरा लाल अपनी बुवा से भी बहोत प्यार करता है उसका बचपन जायदा बुवा के साथ ही गुजरा है इस लिये मुझे बात नही उसका जब दिल करे आ जायेगा

अभय मिनिका को देख मन मे - हर मा एक जैसी होती है हर मा को अपने बेटे की फिकर होती है बेटा कही भी हो सही सलामत है ये जान ही खुश रेहती है

मिनिका अपने आसु साफ करते हुवे अभय को देख - बेटा तुम बताने वाले थे ना तुम सब कहा थे कैसे भाग कर आये अच्छा हुवा सही समय पे मुझे पता चला मे आ गई मुझे भी जानना है सब कुछ

अभय सभी को देख ठीक है तो सुनिये
आसा दिशा अदिति मिनिका सांत अभय पे फोकस किये थे

अभय - हम सभी एक बहोत बरे जंगल के अंदर कैद थे और वहा हमारे अलावा भी कई बच्चे थे हमे रोज काम करने के लिये कहा जाता था पता नही किया था हमे मालूम नही सब पैक रेहता था और हमे उस पैकेट जो एक kg का होता था हमे बरे से बॉक्स मे पैक करना होता था बस रही हम रोज करते थे और हमे उसके पैसे भी मिलते थे जगह बहोत बरी थी वहा सब कुछ मिलता था लेकिन मुझे अपनी मा भाई गुरिया की बहोत याद आती तो मेरे अंदर हिम्मत आ गई फिर मेने विजय और हमारे साथ 2 लरके और थे उन सब को बताया की मे यहा से भागने वाला हु पेहले तो सभी बहोत डर गये लेकिन उन्हें भी घर जाना था तो मान गये फिर मेने प्लान बनाया और 4 साल बाद हमे मोक्का मिला अब चारों वहा से भाग आये बस यही है कहानी

( अभय ने सच किसी को नही पताया कियुंकी अभय नही चाहता था सभी दुखी हो और वहा घिनोने राज के बारे पे पता चले )


अभय की कहानी सुन सभी इमोसनल हो जाते है

मिनिका अभय के हाथ पकर - बेटा तेरा मे कर्ज दार हो गई हु मेरा एक ही लाल था तुम नही होते तो मेरा लाल का किया होता

अभय मिनिका को देख - इसकी कोई जरूरत नही ऑन्टी ( अभय अपना गाल आगे कर) एक किस से काम चल जायेगा

मिनिका मुस्कुराते हुवे अभय के गालो पे किस करते हुवे थैंक्स बेटा

आसा अभय को घूर की देखती है तो अभय डर के मारे नजरे नीचे कर लेता है वही दिशा सब देख अंदर ही अंदर हसे जा रही थी

अभय ने झूठी कहानी बता देता कर बात खतम कर देता है

लेकिन आसा दिशा अदिति मिनिका सब को एक बात का अच्छे से एहसास था 4 साल कैद मे रेह कर सभी ने बहोत मुश्किल दुख dard झेला होगा

सभी के बीच बाते होती है 30 मिनट तक फिर मिनिका जाते हुवे अभय को देख

मिनिका - अभय बेटा मे ये मरते दम तक नही भुलुगी मेरा तेरा अगर सही सलामत है तो तेरी वजह से

मिनिका ये केह चली जाती है

आसा अभय को देख - एक मा ये कभी भूल ही नही सकती अगर किसी ने उसके बेटे को बचाया है तो
अभय आसा को देख - जानता हु मा समझ भी सकता हु

दिशा सभी को देख - बाते हो गई तो खाना भी खा लिया जाये

दिशा खाना लगा देती है फिर सभी बैठ जाते है

आसा अभय को देख - बेटा आज सब तेरे पसंद का बनाया है और इसे बनाने में बहु ने बहोत मदद की है

अभय को देख लार चुवाते हुवे - मा मुझे आप के हाथो से बने खाना को भी बहोत मिस किया है आज जी भर कर खाऊगा

आसा - मुस्कुराते हुवे हा मेरे लाल सब तेरे लिये है मेने भी बहोत मिस किया इस पल के लिये

आसा अपने हाथो से निवाला बना के अभय को खिलाते हुवे - ये ले मेरे लाल खा ले

अभय भी बरे प्यार से आ करता है बच्चो की तरह आसा भी मुस्कुराते हुवे अभय को खिला देती है

अभय खाना खाते हुवे - मा बहोत स्वादिस्ट बना है हमेसा कि तरह मजा आ गया पुराने पल याद आ गये

अदिति एक निवाला बना के अभय की तरफ कर - भाई अपनी गुरिया के हाथो से भी खा लीजिये

अभय अदिति की तरफ देख प्यार से आ करते हुवे - जरूर खाऊगा
अदिति निवाला अभय को खुशी से खिला देती है
अभय खाते हुवे अदिति को देख - वाह तुम्हारे हाथो से खाने पे खाने का स्वाद और बढ़ गया है गुरिया

अदिति खुश होते हुवे - सच्ची भाई
अभय अदिति के सर पे हाथ फेरते हुवे - सच्ची मेरी गुरिया
आसा अदिति अभय को देख मन मे - कितना प्यार है दोनों मे ऐसा हो भी कियु ना बचपन से दोनों का रिस्ता बहोत करीबी रहा है दोनों एक पल एक दूसरे के बगैर रेह नही पाते थे किसी की नजर ना लगे मेरे बच्चो को

दिशा अभय अदिति को देख - सुक्रिया उपर वाले देवर जी को वापस भेजने के लिये इस सुने घर मे फिर से रोनक आ गई ये

अभय की नजर दिशा पे जाती है अभय दिशा को देख

अभय - भाभी आप नही खिलायेगी मुझे अपने हाथो से
दिशा जैसे इसी पल का इंतज़ार कर रही थी
दिशा - जरूर खिलाऊँगी अपने प्यारे देवर जी को
दिशा एक निवाला अभय को खिला देती है
अभय खाते हुवे - भाभी सच कहु तो मा अदिति आप के हाथो से खाना खाने का मुझे अलग स्वाद मिल रहा है मा के हाथो से मा के प्यार का स्वाद गुरिया के हाथो से एक छोटी बेहन के प्यार का स्वाद आप की हाथो से एक प्यारी भाभी के प्यार का स्वाद मुझे मिल रहा है लेकिन अब मेरी बारी

अभय एक निवाला आसा को खिलता है आसा भी आखो मे खुशी के आसु लिये खा लेती है
अभय आसा की आखो मे देख - मा रोना बंद करो मुझे अच्छा नही लगता आपके आखो मे आसु देख

आसा अपने आखो से आसु साफ करते हुवे - पगले ये तो खुशी के आसु है
अभय - ठीक है फिर तो

अभय फिर अदिति को एक निवाला खिलाता है तो अदिति अभय के हाथो पे काट देती है अभय आउच करते हुवे अदिति को देख - जंगली बिल्ली कही की

अदिति अभय को देख हस्ते हुवे - हा हु जंगली बिल्ली
अभय हसने लगता है

अभय दिशा को खिलाता है दिशा भी प्यार से अभय के हाथो से खाना खा लेती है

सभी मिल कर प्यार से एक दूसरे को खाना खिलाते है खाते है खाना पीना होने के बाद सभी बैठे हुवे थे और अदिति अभय के पास

अभय अदिति को देख - गुरिया ये अमर तेरा किया है जरा अच्छे से बताओगी

अभय की बात सुन आसा दिशा अभय को देखते है तो वही अदिति नजरे नीचे करते हुवे

अदिति - भाई आप जैसा सोच रहे है वैसा कुछ नही है असल में अमर मेरे बेस्ट फ्रेंड का भाई है आप को बरे भाई को खोने की बाद मे प्यार के चक्कर मे परना तो बिल्कुल नही चाहती थी आप बरे भाई होते तो भी मे तो मा आपकी पसंद से ही सादी करुगी ये ही मेरा निर्णय था मे लरको से दूर रेहती आई हु सुरु से ही लेकिन अमर मुझसे बाते करने की कोसिस करता था दोस्त का भाई था इस लिये थोरा बहोत बाते कर लेती थी मेरे दिल मे उसके लिये प्यार था ही नही लेकिन अमर मुझसे प्यार करने लगा फिर एक दिन मुझे परपोस् किया तो मेने बना कर दिया आरोही भी मुझसे बार बार केहने लगी मे उसके भाई से सादी कर लू लेकिन मेने दोनों की नही सुनी लेकिन फिर मा ने मुझे एक दिन कहा की वो जल्दी ही मेरी सादी करवा देगी मुझे मा की चिंता थी तो मेने सोचा किसी अंजान जिसे मे जानती नही हु पता नही वो कैसा होगा यही सोच एंड मे मेने अमर को हा कर दिया बस यही बात है हमारे बीच कुछ नही हुवा है बस सिर्फ दो बार किस वो भी उपर से
वो भी मेने उसके दिल को रखने के लिये करने दिया मेने कभी उसे प्यार की नजर से देखा ही नही तो कहा से मेरे दिल मे उसके लिये प्यार होगा हा भाभी को भी मेने बात बताई थी भाभी ने भी मुझसे कहा भले ही प्यार नही लेकिन अच्छा लरका है जानती हुई तो हा कर देना चाहिये तब मेने हा करी थी

अभय दिशा को देखता है तो दिशा अभय को देख - देवर जी अदिति सही केह रही है आप को भी सायद ये पता होगा की अदिति बाकी लरकियो की तरह नही है जो प्यार के चक्कर मे परे उपर से दोनों भाई के खोने के बाद तो बिल्कुल नही लेकिन मेने कहा सासु मा भी हा कही तब अदिति ने हा करा था

अभय अदिति को बाहो मे लेके - मुझे भी हैरानी हुई थी ये जान की मेरी गुरिया किसी से प्यार करती है लेकिन आज के हमारे जनरेशन मे यही होता है लेकिन ये प्यार का चक्कर बहोत खतरनाक होता है आज के समय मे सच्चा प्यार घास मे सुई दूधने के बराबर है खैर मे आया गया हु तो अब मे सब देख लुगा

अदिति अभय को देख रोते हुवे - भाई आप मुझे बाकी लरकियो की तरह गिरी हुई लरकी तो नही समझ रहे ना जो सादी से पेहले

अभय अदिति के आसु साफ कर आखो मे देख - ना मेरी बेहना सच किया है तूने मुझे पता दिया और रही बात अगर तुम सच मे किसी के प्यार मे होती तो भी मुझे कोई दिकत नही थी प्यार को मे गलत नही सकता प्यार तो किसी को कभी भी किसी से हो सकता है मुझे भी हो सकता है दो लोगो के बीच अगर सच्चा प्यार है दोनों के बीच मर्ज़ी से सब होता है तो इसमें कोई बुरी बात नही है बस मुझे आज के प्यार से डर लगता है और लोगो से भी कियुंकी कोन कैसा है अंदर से किया पता मे ऐसे ही अपनी गुरिया को किसी के हाथो मे नही दे सकता कियुंकी गलती से भी किसी ने तेरी आखो से एक आसु भी गिराये तो कसम से मे अच्छे के साथ बहोत बुरा भी हु खैर अब मे हु ना

अदिति - अभय जी भाई
आसा अभय अदिति को देख - चलो तेरा भाई है तो मेरी टेंसन खतम हुई
दिशा हस्ते हुवे अभय को देख - सही कहा आप.ने सासु मा

अभय सब थोरी देर और बाते करने के बाद

आसा अभय को देख- ठीक है मेरे लाल आज मेरे साथ सोयेगा अपनी मा के साथ

अदिति अभय को पकर आसा को देख- मा ये गलत है मुझे भाई के साथ सोना है

आसा - तुम दोनों बच्चे नही रहे समझ गई
अदिति मुह बनाते हुवे - मुझे भाई के साथ सोना है सोना है सोना है
आसा सर पकर - ठीक है लेकिन कल आज मेरा लाल आज मेरे साथ सोयेगा ठीक है
अदिति सोचते हुवे - ठीक है चलेगा

फिर दिशा अपने कमरे मे अदिति अपने कमरे मे आसा अभयके को लेकर अपने कमरे मे आ जाती है

अभय आसा को देख - मा भाभी से कुछ बात कर के आता हु मेने उन्हें गिफ्ट देना है

आसा अभय को देख मुस्कुराते हुवे- ठीक है जा

अभय कमरे से निकल दिशा के कमरे की तरफ जाने लगता है

आसा अपने सारी निकाल नाइटी पेहन बिस्तर पे लेट जाती है और अभय का इंतज़ार करने लगती है

अभय दिशा के कमरे के आप आ जाता है

( आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏 )
Awesome update ❤️❤️ very nice, Waiting for next update...
 

sandy4hotgirls

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Behad rochak aur madhur kahani hai..Aasha ka laal laut aaya, Aaditika bhai vapis aaya...tohh ek bete aur ek bhai ko maa-bahan milkar behad khaas pyar se bharpur kamuk gift dena toh banataa hai..intexaar hai garma garam mazedaar updates ka..
 

Naik

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( chapter 8 )

( मे प्यार से उन कुछ लोगो से केहना चाहता जिन्हें अपने हिसाब से सब चाहिये देखो मेरी स्टोरी है और मेने जैसा सोचा है वैसा ही एंड भी होगा जिन लोगो को पसंद नही आ रही प्लेस इंस्टा रील की तरह स्क्रोल कर आगे बढ़ जाये मे हर किसी को खुश नही कर सकता मेरी भी कुछ पसन्दीदा स्टोरी है जिसमे मुझे कई सीन कई चीजे पसंद नही आई लेकिन मे किया कर सकता हु मर्ज़ी मेरी थी पढु या ना पढु xforum मे हर एक स्टोरी मे मेने देखा कोई ना कोई होता है जिन्हें स्टोरी मे सब अपने हिसाब से चाहिये होता है तो भाई xforum पे कई स्टोरी है जाके पढ़ो अगर मेरी स्टोरी पसंद नही आ रही तो प्लेस )
बाकी सभी का थैंक्स
🙏🙏🙏🙏🙏🙏



घर पे आसा अभय के लिये परेसान थी अभय के गये 1 घंटे होने वाले थे अभय के साथ हुई घटना आसा के अंदर डर पैदा कर चुकी थी यही वजह थी आसा अभय के लिये परेसान थी लेकिन दिशा के समझाने पे आसा सांत हो चुकी की लेकिन दिल के अंदर बेटे के लिये चिंता कभी खतम नही हो सकती खास कर एक मा के लिये

( स्कूल)

वही अभय अदिति के सामने घुटनों पे बैठ अपनी ओरिजनल आवाज मे परपोस् करता है उसी के साथ अपने चेहरे से मास्क भी निकाल देता है

अदिति अभय के चेहरे को देख जम जाती है कोई शब्द नही निकल रहे थे ना सरीर कोई मोमेंट कर पा रहा था ना आखे की पलके झपक रही थी लेकिन आखे सिर्फ अभय को देखे जा रही थी

अमर आरोही अदिति को कुछ ना बोलता देख पथर् के तरह खरा देख समझ नही पा रहे थे आखिर अदिति को किया हो गया है लेकिन तभी दोनों और हैरान हो जाते है और कंफ्यूज भी कियुंकी अदिति का पूरा सरीर हिल नही रहा था कोई मोमेंट नही कर रहा था लेकिन अदिति के आखो से भर भर के आसु निकल तप तप कर नीचे गिरे जा रहे थे जो अमर आरोही हो हैरान के साथ सोचने पे मजबूर कर रहे थे

वही अभय अदिति के आखो से आसु निकल नीचे गिरते हुवे देखता तो अपना हाथ आगे लेजाकर अदिति के आसु जो गिर रहे थे अपने हाथो मे जमा करते हुवे अदिति को देख

अभय - गुरिया तेरे एक एक आसु की कीमत मेरे लिये बहोत जायदा है तो ऐसे अपने आसु बहाया मत कर

गुरिया ये शब्द अमर आरोही के कान मे जाते है तो दोनों को बहोत बरा झटका लगता है दोनों हैरानी से अभय को देखने लगते है लेकिन अभी भी अमर आरोही समझ नही पा रहे थे अभय कोन है अदिति से किया रिस्ता है उसका

अदिति जो अभय के चेहरे को देख रोये जा रही थी कुछ बोल रही रही थी जम सी गई थी लेकिन अब अदिति का सिर्फ होठ मोमेंट करता है अदिति कापते होठों से अभय की आखो मे देख

अदिति - किया आप मेरे अभय भाई है
( असल मे अदिति को यकीन था सामने घुटनों पे बैठा उसका भाई है लेकिन 4 साल बाद अचानक अभय आ गया था तो 4 साल मे थोरा बदलाव सॉरी थोरा से ज्यादा बदलाव आये थे अभय मे बस अदिति को बिस्वास नही हो रहा था इसी लिये अदिति ने ये सवाल पूछा )

अभय खरा होता है और अदिति की आखो मे देख बाहें फैलाते हुवे हा गुरिया मे तेरा भाई अभय हु मे लौट आया गुरिया तेरे पास अपनो के पास बस यही सुनना था अदिति को अदिति बिना देरी किये रोते हुवे भईया केहते हुवे जाके अभय के बाहो मे समा जाती है अभय भी अदिति को अपनी बहो मे पूरा समा लेता है


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एक बेहन जिसके लिये उसका भाई सब कुछ था एक भाई जिसकी एक लाडली बेहन जिसके लिये पूरी दुनिया से लर सकता है कहे तो दोनों भाई बेहन की जान एक दूसरे मे बस्ती है आखिर कार आज एक बेहन एक भाई दोनों मिल ही गये सीन बहोत प्यारा लेकिन इमोसनल भी था

अमर आरोही के मूल खुले आखे फटे रेह जाते है ये जान की अभय अदिति का वही भाई है जिसे चार साल पेहले किंडनैपर किडनैप कर के ले गये थे

अदिति अपने भाई के सीने से लगी हुई रोते हुवे - भाई आप कहा चले गये थे आप को पता भी है आपकी गुरिया कैसे आप के बिना एक एक पल दिन रात गुजार रही थी मुझे आप की बहोत याद आती थी भाई हर पल मेरा दिल आपकी आवाज आपको देखने के लिये तरपता रेहता था रात को नींद नही आती थी खाना गले से उतर नही रहा था घर मुझे काटने को दोरते थे ( अभय अदिति के सर को सेहलाते हुवे अदिति को बोलने दे रहा था अभय को पता था बहोत सारी बाते केहनी होगी अदिति को )


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अदिति- जब भी स्कूल से घर जाती थी तो लगता था आप घर पे होगे लेकिन जब अंदर जाती थी तो नही होते थे तो मेरा दिल रो परता था भाई मेरा दिल रो परता था मे उपर वाले से दुवा करती थी आप लौट आये मेरे पास अपनी गुरिया के पास और आज आप लौट आये मेने भाई आपको बहोत मिस किया बहोत हर पल मेरा दिल आप को याद करता था मेरी हर एक सासे भी

अभय अदिति के चेहरे को पकर आखो मे देख - मुझे पता है मेरी गुरिया ने मुझे बहोत मिस किया बहोत दर्द सहा है लेकिन गुरिया सेम मेरा भी वही हाल था ये तो मा तेरा प्यार ही है जिसने मुझे हिम्मत दी


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और आज मे तेरे पास आ गया लेकिन अब रोने की जरूरत नही है तेरा भाई अब आ गया है और फिर कभी भी तुझे छोर कर कही नही जायेगा ये मेरा तुझसे वादा है गुरिया

अदिति आखो मे आसु लिये सिसक सिसक कर रोते हुवे अभय को देख - भाई आप सच केह रहे है ना आप फिर मुझे छोर कर नही जायेंगे ना अगर इस बार मुझे फिर छोर कर चले गये तो मे जी ( अभय बीच मे अदिति को रोकते हुवे)


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अभय - नही जाउंगा और ना मे अपनी मर्ज़ी से गया था लेकिन इस बार कोई भी मुझे तुमसे जुदा नही कर सकता और अगर किसी ने कोसिस भी कि तो मे उसे चिर कर रख दूंगा

अभय की बात सुन अदिति अभय के गले लगते हुवे - आप न केह दिया यही मेरे लिये बहोत है अदिति फ़िर अभय के बहो मे समा जाती है अभय भी अदिति को बाहो मे समा लेता है आज दोनों के दिल को सुकून मिल रहा था और ऐसा हो भी कियु ना दोनों की जान जो एक दूसरे मे बस्ती है दोनों भाई बेहन गले लगे रेहते लोगो से बेखबर

अमर आरोही हैरान लेकिन खुश भी थे अदिति के लिये कि उसका भाई आ गया वापस


3 मिनट बाद अभय - अदिति सी गुरिया कब तक गले लगी रहोगी घर भी जाना है


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अदिति - दिल नही कर रहा आपको छोराने का दिल कर रहा है आपके बाहो मे युही रहु कियुंकी आपकी बाहो मे मुझे बहोत सुकून मिल रहा है
अभय - हस्ते हुवे समझ गया लेकिन अभी हमे जाना भी है मे हु ना तेरे पास जितना मेरी बाहो मे रेहना है रेह लेना ठीक है


अभय के केहने पे अदिति अभय से अलग होती है लेकिन अभय के एक बाहो को जोर से पकर लेती है अभय ये देख मुस्कुरा देता है


( दोनों भाई बेहन का मिलन 4 साल बाद पुरा हुवा )

अभय अमर आरोही को देखता है फिर अभय अमर आरोही के पास जाके खरा हो जाता है

अभय अदिति को देख - गुरिया तूने मेरे प्यार को कबूल किया
अदिति अपने भाई की बात सुन अभय को प्यार से देखते हुवे
अदिति - भाई मेरे दिल मे आप तो सुरु से ही है ( कबूल है)
अभय अमर को देख - किया तुम अमर को छोर दोगी मेरे केहने पे
अदिति अमर को देखते हुवे - आपने कहा मेने छोर दिया

अमर ये सुनते ही अभय के पैर पे गिरते हुवे - भाई मे अदिति से बहोत प्यार करता हु प्लेस मुझे अदिति से दूर मत कीजिये

अदिति अमर को ये सब करता देख नही थी लेकिन कुछ नही बोलती है आरोही भी चुप रेहती है

अभय अमर को देख - मेरे पैर पे गिरना बंद करो और खरे होके मेरी बात ध्यान से सुनो

अभय की बात सुन अमर खरा हो जाता है और अभय को देखने लगता है

अभय - देखो अमर मेरी गुरिया मेरे लिये मेरी जान है और मे अपनी गुरिया को ऐसे ही किसी के हाथो मे नही दे सकता मुझे इस बारे मे बहोत सोचना होगा कियुंकी मे अभी आया हु तुम्हे अच्छे से नही जानता तुम दोनों मे दोस्ती प्यार जो है उसके बारे मे भी पता नही है तो मुझे समय चाहिये तुम्हे जानने की चीजो को समझने के लिये मेने देखा तुमने हिम्मत दिखाई लेकिन तुम हालात को समझ नही पाये टीनू तुम्हे जान से मारने वाला था लेकिन तुम मार खाते रहे सोचा है उसके बाद अदिति आरोही का किया होता अगर लराइ आर पार की हो रही है तो उसमे अपनी पूरी जान लगा देनी चाहिये खैर अगर मुझे लगा तुम उसके लायक हो तो ठीक है नही तो अदिति को भूल जाना ( अभय अदिति को देख ) गुरिया तुम्हे कोई दिकत है तो केह सकती हो

अदिति अभय के बाहो को पकरे अपना सर अभय के सीने पे रख - मे आपकी गुरिया भी और हमेसा रहूगी आप को कहेगे करुगी

अभय अमर को देख - तुम समझ गये होगे

अमर बहोत कुछ बोलना चाहता था लेकिन बोल नही पाता

अभय कुछ पैसे निकाल अमर को देते हुवे - ये लो जाके इलाज करवा लेना

अभय पैसे देकर अदिति को प्यार से देख - चले गुरिया
अदिति अभय को प्यार से देख - जी भाई

अभय अदिति को लेकर बाइक की तरफ निकल परता है

अमर अदिति अभय को जाते देख आरोही से - आरोही तुम्हे किया लगता है अदिति की सादी उसका भाई मुझसे करायेगा

आरोही अदिति अभय को जाते देखते हुवे - मे कुछ केह नही सकती चीजे बदल गई है अदिति का भाई अदिति से बहोत प्यार परता है इतना की अदिति के लिये अपनी जान देख सकता किसी का ले भी सकता है और उसका देबो हम ने देख ही लिया है

आरोही अमर को देख - भाई बुरा मत मानना लेकिन तुम 2 लोगो को एक मुक्का भी मार नही पाये अगर अदिति का भाई नही होता हो चीजे बिगर सकती थी बहोत बुरा हो सकता था तो आप समझ रहे होगे अब तो अदिति के भाई के ऊपर है कियुंकी अदिति वही करेगी जो उसका भाई कहेगा अब हमे चलना चाहिये

अमर अदिति को जाते देख - ठीक है हम चलते है

अमर आरोही अपने रास्ते निकल परते है

अभय अदिति के साथ अपनी बाइक के पास आ जाता है अदिति बाइक को देख हैरान होते हुवे अभय को देखते हुवे
-
अदिति - भाई ये नया बाइक आप की है
अभय अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - मे अपनी गुरिया को थोरी ही पैदल या रिस्का मे लेकर जाउंगा इस लिये आते ही खरीद ली
अदिति हैरान होते हुवे बाइक को देख फिर अभय को देख
अदिति - भाई आप सच केह रहे है ये हमारी बाइक है
अभय - मुस्कुराते हुवे हा गुरिया हमारी बाइक है
अदिति खुशी के मारे अभय को गले लगते हुवे - भाई मे कई बार ये सोचती थी की भाई के साथ बाइक पे बैठ कर घूमने जाउंगी कितना मजा आयेगा लेकिन आप नही थे लेकिन आज मेरी ये खवाइज भी पूरी हो जायेगी

अभय अदिति के चेहरे को पकर आखो मे प्यार से देख

अभय - मेरी गुरिया की खुवाइज मेरी खुवाइस है और मे अपनी गुरिया की हर खोवाइस पूरी करुगा

अदिति अपने भाई की बात सुन इमोसनल होते हुवे - आई लोव यू भाई
अभय अदिति के माथे पे किस करते हुवे आई लोव यू तु मेरी गुरिया

अभय फिर अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - मेने सर्त जीती है पता है ना हारने मे तुम्हे किया देना था


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अदिति अभय को देख मुस्कुराते हुवे अभय के गालो पे अपने गुलाबी होठो से किस करते हुवे मुझे पता है भाई मे भूलि नही थी

अभय अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - गालो के किस लेकिन बहोत मीठी किस लगी मुझे
अदिति सर्म से लाल होते हुवे - भाई आप भी ना

अभय हस्ते हुवे - चलो चलते हो
अदिति - ठीक है

अभय बाइक पे बैठ बाइक चालू करता है और अदिति पीछे दोनों तरफ पैर कर बैठ जाती है लेकिन अदिति पुरा अभय से सत् अभय के कमर को दोनों हाथो से कस के पकर अपना सर अभय से कंधे पे रख देती है


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अभय का ये पहली बार था जो कोई लरकी उससे पुरा चिपक कर बाइक पे बैठी है अभय को अदिति के शरीर कि गर्मी के साथ अदिति के बरे गोल टाइट लेकिन उतने ही मुलायम चुचे अपने सरीर से चिपके साफ फिल हो रहा था लेकिन अभय अपने दिमाग सिर्फ अदिति के लिये प्यार था ( पर ये अनुभव फीलिंग अलग थी अभय के लिये)


( सायद इस लिये कियुंकी अभय 15 का था तक अभय का किंड्नैप हुवा था तो उस समय अभय एक बच्चा ही था अदिति भी लेकिन आज दोनों भाई बेहन जवानी मे कदम रख चुके थे)


अदिति बहोत खुश थी आज और अभय को बाहो मे पकरे बैठी हुई थी आज अदिति के चेहरे के खुशी एक अलग ही नेवल पे थी

अभय -अदिति को देख चले गुरिया
अदिति खुशी से - हा भाई चलिये


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अदिति के केहते ही अभय बाइक लेकर निकल परता है और अदिति अपने भाई को पकरे उसे एक अलग ही सुकून मिल रहा था

अभय बाइक लेकर तेजी से जा रहा था और फ़िर 5 मिनट बाद अभय मार्केट आ जाता है और बाइक रोक देता है

अदिति हैरान बाइक से नीचे उतरते हुवे अभय को देख - भाई हम घर जा रहे थे ना तो यहा कियु आये है

अभय अदिति को देख - गुरिया भाभी की मुहदिखाई मे मेने कुछ नही दिया है तो इसी लिये भाभी के लिये गिफ्ट लेने आया हुई

अदिति अभय के बाहो को पकर् खुश होते हुवे - अच्छा ये बात हो तो आप किया लेने वाले हो गिफ्ट भाभी के लिये


अभय सोचते हुवे - भाभी बहोत खूबसूरत है तो उनके गले मे लॉकेट बहोत अच्छा लगेगा

अदिति अभय को घूर के गुस्से से देख - किया मे खूबसूरत नही हु
अभय घबराते हुवे अदिति को देख - मेरी गुरिया को दुनिया की सब से खूबसूरत है
अदिति - मुह बनाते हुवे ठीक है चलिये लॉकेट ले लेते है

अभय अदिति अंदर जाते है अभय दो खूबसूरत लॉकेट लेता है

अभय एक लॉकेट खुद अदिति के गले पे पेहना देता है
अभय - गुरिया पसंद आया लॉकेट


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अदिति लॉकेट को देखते हुवे - बहोत ही खूबसूरत है और मेरे प्यारे भाई का पेहला गिफ्ट भी है तो ये मेरे बहोत खास हो गया है और बहोत कीमती भी जिसे मे अपने दिल के पास हमेसा रखुंगी
अभय - मुस्कुराते हुवे अदिति को देख हा तुम पे बहोत अच्छा लग रहा है

अदिति - खुश होते हुवे मेरे भाई ने जो पसंद की है
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है चलो चलते है

दोनों बाहर बाइक के पास आ जाते है

अभय - गुरिया तुम खाओगी

अदिति अभय की बात सुन इधर उधर देखने लगती है तो अदिति को पानीपुरी वाला दिखाई देता है

अदिति अभय को देख - भाई मुझे पानी पूरी खानी है
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है चलो फिर

अदिति खुशी खुशी पानीपुरी वाले की तरफ जाने लगती है दोनों पानीपुरी वाले के पास पहुँच जाते है

अभय पानीपुरी वाले से - अंकल पानीपुरी लगा दो

अभय अदिति मन भर पानीपुरी खाते है और अभय मा भाभी के लिये भी पैक करवा लेता है फिर बाइक पे बैठ जाता है अदिति भी पानीपुरी हाथ मे लिये बैठ जाती है

अभय - गुरिया चले फिर
अदिति - जी भाई

अभय बाइक लेकर घर पहुँच जाता है बाइक की आवाज सुन आसा दिशा भागते हुवे बाहर आके देखती है तो अदिति बाइक से उतर रही होती है और अभय बाइक पर ही होता है


आसा दिशा हैरान और कंफ्यूज भी थे बाइक को देख कर
अदिति नीचे उतर अपनी मा भाभी को देखते हुवे

अदिति - खुशी से मा भाभी देखो हम आ गये आज बहोत मजा आया भाई के साथ बाइक पे बैठ कर
अभय भी बाइक साइड मे लगा के अदिति के सामने खरा हो जाता है

आसा बाइक को देखते हुवे - ठीक है लेकिन ये बाइक किसकी है और तुम लोग इतनी देरी से कियु आ रहे हो हा जवाब दो पता भी है मे कितने देर से तुम दोनों का इंतज़ार कर रही हु

अभय आसा को गले लगाते हुवे - मेरी खूबसूरत मा कियु आप चिंता कर रही थी मे आ गया ना अब

आसा अभय को बाहो मे भर - अब मेरे दिल को सुकून मिला
अभय आसा के गाल पे किस करते हुवे - मुझे भी

दिशा अभय को देख - लेकिन देवर जी आपने बताया नही ये नई बाइक किसकी है
अभय के बताने से पेहले
अदिति - हमारी बाइक है भाभी भाई ने नई की है

अदिति की बात सुन आसा दिशा हैरानी से अभय को देखने लगते है

अभय आसा दिशा को देख चलिये अंदर बाते करते है

सभी अंदर आते है और आगन मे खटिये पे बैठ जाते है अभय से सत् कर अभय के बाहो को पकरे हुवे अदिति बैठी हुई थी

आसा अभय को देख - अब बताओ बाइक कहा से ली और कितनी की है बाइक
अभय आसा भाभी को देख - जायदा नही 93 हजार की है बस

आसा दिशा के साथ अदिति भी हैरान होते हुवे अभय को देखने लगते है
दिशा अभय को देख - देवर 93 हजार कोई कम पैसे नही है और आप आराम से केह रहे है
आसा अभय को देख - और नही तू किया लेकिन इतना पैसा आया कहा से तुम्हारे पास
अभय आसा दिशा को देख - अरे मा जहा कैद मे था वहा काम करने के पैसे भी देते थे ( अभय सच नही बताता आगे बतायेगा )

आसा - चल छोर जो भी है खैर अब तु आ गया इतना काफी है मेरे लिये

अदिति दिशा को पानीपुरी देते हुवे - भाभी ये लीजिये पानीपुरी भाई मा आप के लिये लेकर आये है

दिशा पानीपुरी लेते हुवे अभय को देख - वाह देवर जी आज तो मजा आ गया पानीपुरी खाने को मिल रहा है
अभय दिशा को देख मुस्कुराते हुवे - अरे मेरी न ही तो खूबसूरत भाभी है तो उनका ख्याल तो रखना पड़ेगा ही ना
दिशा मुस्कुराते हुवे - थैंक्स देवर जी पानीपुरी मुझे बहोत पसंद है
अभय - थैंक्स मत कहिये आप मेरी अपनी है इस घर का हिस्सा ही
दिशा अभय को प्यार से देखते हुवे - ठीक है नही कहूगी

अभय मुस्कुरा देता है

दिशा अदिति को देख हस्ते हुवे - ननद जी कब तक ऐसे ही अपने भाई को पकर कर बैठने का इरादा है.
अदिति अभय के कंडे पर सर रख मुस्कुराते हुवे - मेरा दिल करेगा तब तक भाभी

दिशा हस्ते हुवे - ठीक है ठीक है लगी रहो
आसा अदिति अभय को देख इमोसनल होते हुवे अदिति के पास जाके अदिति के गाल को प्यार से सेहलाते हुवे

आसा - मेरी बच्ची की जान उसके भाई मे बस्ती है ( अभय को देख) इस 4 चार साल मे मेरे लाल के बिना कभी मेने हस्ते नही देखा मस्ती करते नही देखा जैसे मेरी बच्ची जीना ही भूल गई हो बस मेरे सामने खुश रहने का दिखावा करती थी लेकिन ऐसा था नही

आसा अभय के गाल को सेहलाते हुवे - मेरा लाल हमारे लिये सब से लर कर आया है मुझे गर्व है मेने एक मर्द को जन्म दिया है

अभय अपनी मा के आसु साफ करते हुवे - आना ही था आप जैसी खूबसूरत मा ( अदिति को देख) मेरी प्यारी गुरिया ( अदिति खूबसूरत गुरिया भाई ) अभय हस्ते हुवे खूबसूरत गुरिया अब ठीक है ( अदिति मुस्कुराते हुवे हा) तो मुझे आना ही था

अभय दिशा के पास जाके खरा होते हुवे - मुझे एक भाभी चाहिये थी मे हमेसा सोचता था जब हम बरे होगे मेरी भाई की सादी होगी फिर हमारे घर मे भाभी आयेगी जिनके साथ खुब मस्ती करुगा भाभी के हाथो से खाना खाऊगा आज हम बरे हो गये भाई की सादी हो गई भाभी भी आ गई लेकिन ( अभय के आखो मे आसु आ जाते है) लेकिन भाई नही है हमारे बीच
अभय दिशा के हाथ को पकर - भाभी आप मुझे खुदगर्ज़ कहेगी चलेगा लेकिन मे ये कहुंगा आप का सुकिया भाभी इस घर को छोर कर ना जाने के किये अगर आप चली जाती तो मेरा सपना कभी पुरा नही होता मे अपनी भाभी के साथ मस्ती मजाक नही कर पाता मे आपके हाथो से बना खाना नही खा पता इस लिये दिल से सुक्रिया भाभी


अभय की बात दिशा की दिल पे लगती हो अभय के लिये दिशा के दिल मे और प्यार बढ़ जाता है दिशा के आखो से आखु झलक परते परते है आसा अदिति भी भाभी देवर का प्यार देख इमोसनल हो जाते है

दिशा अभय के गालो पे प्यार से हाथ फेरते हुवे अभय को देख

दिशा - जब मे इस घर मे आई तो आपके भाई सासु मा अदिति आप के बारे मे बहोत सारी बाते करते थे तो मे समझ गई मे ऐसे परिवार का हिस्सा बनी हु जहा हर किसी के दिल मे एक दूसरे के लिये प्यार है सब के मुह से सुन मे समझ गई थी की आप बहोत अच्छे होगे लेकिन आज मे गलत साबित हुई आप अच्छे नही बहोत अच्छे है देवर जी और मे एक ऐसे घर को छोर कर कैसे जा सकती थी जिस घर मे इतना परिवार है अगर मे चली गई होती तो बहोत पछताती कियुंकी आज जैसा देवर मे खो देती मुझे भी एक प्यारा नटखट देवर चाहिये था जो मुझे मिल चुका है बस कमी रहेगी इस जिंदगी में आपके भाई की

अभय घुघट बिना हटाये अंदर से ही दिशा के आसु साफ करते हुवे

अभय - भाई की कमी मे पूरी नही कर सकता लेकिन एक वादा है मे आप सब को हर खुशी दूगा
दिशा - अभय का हाथ पकर मुझे यकीन है अपने देवर जी पे

आसा - चलो हो गया इमोसनल ड्रामा अब खाना भी बनाना है

आसा की बात सुन अदिति दिशा अभय मुस्कुरा देते है

आसा दिशा खाना बनाने मे लग जाते है और अदिति अभय बहोत सारी बाते करने मे


( रात 8 बजे )

खाना बन चुका था आगन मे चटाइ बिछा दी गई थी सभी नीचे चटाई पे बैठे हुवे थे आसा अदिति दिशा की नजर अभय पे थी

आसा अभय को देख - मेरे लाल अब पता तुम्हे कोन ले गया था कहा ले गया था 4 साल कैसे रहे वहा पे किया करते थे सब कुछ मुझे जानना है
दिशा अभय को देख - हा देवर जी हमे भी जानना है आप कैसे वहा से भाग कर आये

अदिति तो अभी भी अभय से चिपकी हुई थी

अदिति - मुझे भी जानना है भाई सब कुछ

अभय आसा दिशा अदिति को देख एक बरी सास छोराते हुवे ठीक है बताता हु

तभी कोई चिल्लाते हुवे घर के अंदर आता है मेरा बेटा बेटा कहा है करते हुवे

अभय आवाज सुन समझ जाता है ये कोन होगी अभय अपना सर पकर मन मे - साले को कहा था मेरे साथ चल लेकिन नही नही साले को घूमना था बुवा के पास जाना था अब मुझे ऑन्टी को समझाना पड़ेगा

हा अभय का सोचना सही था ये विजय की मा ही थी मिनिता

मिनिता को पता चल चुका था अभय वापस आ गया है तो भागते हुवे आ गई अभय के घर


मिनिता आखो मे आसु लिये अंदर आती है मिनिता की नजर अभय पी जाती है मिनिता अभय के पास आके घुटनों पे बैठ अभय का हाथ पकर रोते हुवे

मिनिता रोते हुवे - मेरा बेटा मेरा लाल कहा है अभय किया वो तेरे साथ था अगर था तो वो कहा है प्लेस बेटा बता है मुझे चार

बीच मे ही अभय मिनिता के मुह को बंद करते हुवे मिनिता को देख

अभय - वो कमीना ठीक है हम साथ मे ही वहा से भाग के आये थे लेकिन कमीने को कहा मेरे साथ चल लेकिन उसके कहा मे घूमते हुवे बुवा के यहा से होते हुवे कल आ जाउंगा मा को बता देना तो अब जान गई रोना बंद कीजिये और आराम से बैठ जाइये वहा किया हुवा हम कैसे भाग कर आये वही मे सभी को बताने जा रहा था

अभय मिनिता को देख अब चुप रहेगी ना

मिनिता गर्दन हिलाते हुवे - हा

अभय फिर छोर देता है

मिनिता अभय को देख प्यार से - बेटा जरा विजय को फोन लगा ला किया करू जिगर का टुकरा है मेरा 4 साल टरपि हु उस के लिये उसको देखने के लिये उसकी आवाजे सुनने के लिये

अभय मिनिता को देखता है फिर फोन निकाल विजय को फोन लगा के मिनिता को दे देता है

मिनिता फोन पकर देती है विजय फोन उठाते हुवे बोलिये बॉस

तभी मिनिता का रुद्र रूप सामने आता है

मिनिता- चिलाते हुवे कमीने मे तेरी मा बोल रही हु मे यहा 4 साल से मेरा लाल मेरा लाल कहा है करते हुवे तुझे ढुंढ रही थी तरप रही थी लेकिन तु बाहर आया तो तुझे अपनी मा से जायदा बुवा की याद आई ठीक है मेरे लाल वही रेह बुवा के पास घर आने की जरूरत नही है

विजय कापते हुवे - मा अरे सुनो तो जैसा आप

तभी मिनिका फोन कट करते हुवे मुस्कुराते हुवे फोन अभय को दे देती है

मिनिका - कमीना जिंदा है सही सलामत है ये जान कर ही मे बहोत खुश हु

पर भाई आसा दिशा अभय तू मुह फारे मिनिका को ही देखे जा रहे थे
आसा दिशा अभय की दिमाग एक ही बात चल रही थी
अभी अभी उन्होंने किया देखा इतनी जल्दी तो गिरगिट भी अपना रंग नही बदलती

( विजय के बुवा के घर )

विजय अपनी बुवा के गोद मे सर रख लेता हुवा था

विजय बुवा को देख डरते हुवे - सुना ना हुवा मा कितने गुस्से मे है पक्का घर जाउंगा तो मा मुझे बहोत मारेगी
बुवा - अरे चिंता कियु करता है मे हु ना कल तेरे साथ चलुंगी टिक है
विजय खुश होते हुवे - तब तो टिक है बुवा

( अभय के के घर )

सभी हैरान मिनिका को देख ही रहे थे की मिनिका अचानक फिर रोने लगती है

मिनिका - मेरा लाल सही सलामत है मे खुश हुई मेरा लाल अपनी बुवा से भी बहोत प्यार करता है उसका बचपन जायदा बुवा के साथ ही गुजरा है इस लिये मुझे बात नही उसका जब दिल करे आ जायेगा

अभय मिनिका को देख मन मे - हर मा एक जैसी होती है हर मा को अपने बेटे की फिकर होती है बेटा कही भी हो सही सलामत है ये जान ही खुश रेहती है

मिनिका अपने आसु साफ करते हुवे अभय को देख - बेटा तुम बताने वाले थे ना तुम सब कहा थे कैसे भाग कर आये अच्छा हुवा सही समय पे मुझे पता चला मे आ गई मुझे भी जानना है सब कुछ

अभय सभी को देख ठीक है तो सुनिये
आसा दिशा अदिति मिनिका सांत अभय पे फोकस किये थे

अभय - हम सभी एक बहोत बरे जंगल के अंदर कैद थे और वहा हमारे अलावा भी कई बच्चे थे हमे रोज काम करने के लिये कहा जाता था पता नही किया था हमे मालूम नही सब पैक रेहता था और हमे उस पैकेट जो एक kg का होता था हमे बरे से बॉक्स मे पैक करना होता था बस रही हम रोज करते थे और हमे उसके पैसे भी मिलते थे जगह बहोत बरी थी वहा सब कुछ मिलता था लेकिन मुझे अपनी मा भाई गुरिया की बहोत याद आती तो मेरे अंदर हिम्मत आ गई फिर मेने विजय और हमारे साथ 2 लरके और थे उन सब को बताया की मे यहा से भागने वाला हु पेहले तो सभी बहोत डर गये लेकिन उन्हें भी घर जाना था तो मान गये फिर मेने प्लान बनाया और 4 साल बाद हमे मोक्का मिला अब चारों वहा से भाग आये बस यही है कहानी

( अभय ने सच किसी को नही पताया कियुंकी अभय नही चाहता था सभी दुखी हो और वहा घिनोने राज के बारे पे पता चले )


अभय की कहानी सुन सभी इमोसनल हो जाते है

मिनिका अभय के हाथ पकर - बेटा तेरा मे कर्ज दार हो गई हु मेरा एक ही लाल था तुम नही होते तो मेरा लाल का किया होता

अभय मिनिका को देख - इसकी कोई जरूरत नही ऑन्टी ( अभय अपना गाल आगे कर) एक किस से काम चल जायेगा

मिनिका मुस्कुराते हुवे अभय के गालो पे किस करते हुवे थैंक्स बेटा

आसा अभय को घूर की देखती है तो अभय डर के मारे नजरे नीचे कर लेता है वही दिशा सब देख अंदर ही अंदर हसे जा रही थी

अभय ने झूठी कहानी बता देता कर बात खतम कर देता है

लेकिन आसा दिशा अदिति मिनिका सब को एक बात का अच्छे से एहसास था 4 साल कैद मे रेह कर सभी ने बहोत मुश्किल दुख dard झेला होगा

सभी के बीच बाते होती है 30 मिनट तक फिर मिनिका जाते हुवे अभय को देख

मिनिका - अभय बेटा मे ये मरते दम तक नही भुलुगी मेरा तेरा अगर सही सलामत है तो तेरी वजह से

मिनिका ये केह चली जाती है

आसा अभय को देख - एक मा ये कभी भूल ही नही सकती अगर किसी ने उसके बेटे को बचाया है तो
अभय आसा को देख - जानता हु मा समझ भी सकता हु

दिशा सभी को देख - बाते हो गई तो खाना भी खा लिया जाये

दिशा खाना लगा देती है फिर सभी बैठ जाते है

आसा अभय को देख - बेटा आज सब तेरे पसंद का बनाया है और इसे बनाने में बहु ने बहोत मदद की है

अभय को देख लार चुवाते हुवे - मा मुझे आप के हाथो से बने खाना को भी बहोत मिस किया है आज जी भर कर खाऊगा

आसा - मुस्कुराते हुवे हा मेरे लाल सब तेरे लिये है मेने भी बहोत मिस किया इस पल के लिये

आसा अपने हाथो से निवाला बना के अभय को खिलाते हुवे - ये ले मेरे लाल खा ले

अभय भी बरे प्यार से आ करता है बच्चो की तरह आसा भी मुस्कुराते हुवे अभय को खिला देती है

अभय खाना खाते हुवे - मा बहोत स्वादिस्ट बना है हमेसा कि तरह मजा आ गया पुराने पल याद आ गये

अदिति एक निवाला बना के अभय की तरफ कर - भाई अपनी गुरिया के हाथो से भी खा लीजिये

अभय अदिति की तरफ देख प्यार से आ करते हुवे - जरूर खाऊगा
अदिति निवाला अभय को खुशी से खिला देती है
अभय खाते हुवे अदिति को देख - वाह तुम्हारे हाथो से खाने पे खाने का स्वाद और बढ़ गया है गुरिया

अदिति खुश होते हुवे - सच्ची भाई
अभय अदिति के सर पे हाथ फेरते हुवे - सच्ची मेरी गुरिया
आसा अदिति अभय को देख मन मे - कितना प्यार है दोनों मे ऐसा हो भी कियु ना बचपन से दोनों का रिस्ता बहोत करीबी रहा है दोनों एक पल एक दूसरे के बगैर रेह नही पाते थे किसी की नजर ना लगे मेरे बच्चो को

दिशा अभय अदिति को देख - सुक्रिया उपर वाले देवर जी को वापस भेजने के लिये इस सुने घर मे फिर से रोनक आ गई ये

अभय की नजर दिशा पे जाती है अभय दिशा को देख

अभय - भाभी आप नही खिलायेगी मुझे अपने हाथो से
दिशा जैसे इसी पल का इंतज़ार कर रही थी
दिशा - जरूर खिलाऊँगी अपने प्यारे देवर जी को
दिशा एक निवाला अभय को खिला देती है
अभय खाते हुवे - भाभी सच कहु तो मा अदिति आप के हाथो से खाना खाने का मुझे अलग स्वाद मिल रहा है मा के हाथो से मा के प्यार का स्वाद गुरिया के हाथो से एक छोटी बेहन के प्यार का स्वाद आप की हाथो से एक प्यारी भाभी के प्यार का स्वाद मुझे मिल रहा है लेकिन अब मेरी बारी

अभय एक निवाला आसा को खिलता है आसा भी आखो मे खुशी के आसु लिये खा लेती है
अभय आसा की आखो मे देख - मा रोना बंद करो मुझे अच्छा नही लगता आपके आखो मे आसु देख

आसा अपने आखो से आसु साफ करते हुवे - पगले ये तो खुशी के आसु है
अभय - ठीक है फिर तो

अभय फिर अदिति को एक निवाला खिलाता है तो अदिति अभय के हाथो पे काट देती है अभय आउच करते हुवे अदिति को देख - जंगली बिल्ली कही की

अदिति अभय को देख हस्ते हुवे - हा हु जंगली बिल्ली
अभय हसने लगता है

अभय दिशा को खिलाता है दिशा भी प्यार से अभय के हाथो से खाना खा लेती है

सभी मिल कर प्यार से एक दूसरे को खाना खिलाते है खाते है खाना पीना होने के बाद सभी बैठे हुवे थे और अदिति अभय के पास

अभय अदिति को देख - गुरिया ये अमर तेरा किया है जरा अच्छे से बताओगी

अभय की बात सुन आसा दिशा अभय को देखते है तो वही अदिति नजरे नीचे करते हुवे

अदिति - भाई आप जैसा सोच रहे है वैसा कुछ नही है असल में अमर मेरे बेस्ट फ्रेंड का भाई है आप को बरे भाई को खोने की बाद मे प्यार के चक्कर मे परना तो बिल्कुल नही चाहती थी आप बरे भाई होते तो भी मे तो मा आपकी पसंद से ही सादी करुगी ये ही मेरा निर्णय था मे लरको से दूर रेहती आई हु सुरु से ही लेकिन अमर मुझसे बाते करने की कोसिस करता था दोस्त का भाई था इस लिये थोरा बहोत बाते कर लेती थी मेरे दिल मे उसके लिये प्यार था ही नही लेकिन अमर मुझसे प्यार करने लगा फिर एक दिन मुझे परपोस् किया तो मेने बना कर दिया आरोही भी मुझसे बार बार केहने लगी मे उसके भाई से सादी कर लू लेकिन मेने दोनों की नही सुनी लेकिन फिर मा ने मुझे एक दिन कहा की वो जल्दी ही मेरी सादी करवा देगी मुझे मा की चिंता थी तो मेने सोचा किसी अंजान जिसे मे जानती नही हु पता नही वो कैसा होगा यही सोच एंड मे मेने अमर को हा कर दिया बस यही बात है हमारे बीच कुछ नही हुवा है बस सिर्फ दो बार किस वो भी उपर से
वो भी मेने उसके दिल को रखने के लिये करने दिया मेने कभी उसे प्यार की नजर से देखा ही नही तो कहा से मेरे दिल मे उसके लिये प्यार होगा हा भाभी को भी मेने बात बताई थी भाभी ने भी मुझसे कहा भले ही प्यार नही लेकिन अच्छा लरका है जानती हुई तो हा कर देना चाहिये तब मेने हा करी थी

अभय दिशा को देखता है तो दिशा अभय को देख - देवर जी अदिति सही केह रही है आप को भी सायद ये पता होगा की अदिति बाकी लरकियो की तरह नही है जो प्यार के चक्कर मे परे उपर से दोनों भाई के खोने के बाद तो बिल्कुल नही लेकिन मेने कहा सासु मा भी हा कही तब अदिति ने हा करा था

अभय अदिति को बाहो मे लेके - मुझे भी हैरानी हुई थी ये जान की मेरी गुरिया किसी से प्यार करती है लेकिन आज के हमारे जनरेशन मे यही होता है लेकिन ये प्यार का चक्कर बहोत खतरनाक होता है आज के समय मे सच्चा प्यार घास मे सुई दूधने के बराबर है खैर मे आया गया हु तो अब मे सब देख लुगा

अदिति अभय को देख रोते हुवे - भाई आप मुझे बाकी लरकियो की तरह गिरी हुई लरकी तो नही समझ रहे ना जो सादी से पेहले

अभय अदिति के आसु साफ कर आखो मे देख - ना मेरी बेहना सच किया है तूने मुझे पता दिया और रही बात अगर तुम सच मे किसी के प्यार मे होती तो भी मुझे कोई दिकत नही थी प्यार को मे गलत नही सकता प्यार तो किसी को कभी भी किसी से हो सकता है मुझे भी हो सकता है दो लोगो के बीच अगर सच्चा प्यार है दोनों के बीच मर्ज़ी से सब होता है तो इसमें कोई बुरी बात नही है बस मुझे आज के प्यार से डर लगता है और लोगो से भी कियुंकी कोन कैसा है अंदर से किया पता मे ऐसे ही अपनी गुरिया को किसी के हाथो मे नही दे सकता कियुंकी गलती से भी किसी ने तेरी आखो से एक आसु भी गिराये तो कसम से मे अच्छे के साथ बहोत बुरा भी हु खैर अब मे हु ना

अदिति - अभय जी भाई
आसा अभय अदिति को देख - चलो तेरा भाई है तो मेरी टेंसन खतम हुई
दिशा हस्ते हुवे अभय को देख - सही कहा आप.ने सासु मा

अभय सब थोरी देर और बाते करने के बाद

आसा अभय को देख- ठीक है मेरे लाल आज मेरे साथ सोयेगा अपनी मा के साथ

अदिति अभय को पकर आसा को देख- मा ये गलत है मुझे भाई के साथ सोना है

आसा - तुम दोनों बच्चे नही रहे समझ गई
अदिति मुह बनाते हुवे - मुझे भाई के साथ सोना है सोना है सोना है
आसा सर पकर - ठीक है लेकिन कल आज मेरा लाल आज मेरे साथ सोयेगा ठीक है
अदिति सोचते हुवे - ठीक है चलेगा

फिर दिशा अपने कमरे मे अदिति अपने कमरे मे आसा अभयके को लेकर अपने कमरे मे आ जाती है

अभय आसा को देख - मा भाभी से कुछ बात कर के आता हु मेने उन्हें गिफ्ट देना है

आसा अभय को देख मुस्कुराते हुवे- ठीक है जा

अभय कमरे से निकल दिशा के कमरे की तरफ जाने लगता है

आसा अपने सारी निकाल नाइटी पेहन बिस्तर पे लेट जाती है और अभय का इंतज़ार करने लगती है

अभय दिशा के कमरे के आप आ जाता है

( आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏 )
Bahot badhiya shaandar update
Emotional se bharpoor shaandar
Ab dekhte h aage Kahani kia mod leti h
Aditi ne saaf kar dia woh Amar se Pyar nahi Karti bas Ghar me Shaadi ki BAAT ki wajah se usne qadam aage badhaya
Ab dekhte Abhay kia karta h
Behtareen shaandar update
 

ajay bhai

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( chapter 9 )

अभय दिशा के कमरे के दरवाजे पे खरा होकर दिशा को आवाज देता है

अभय - भाभी दरवाजा खोलिये मुझे आपसे कुछ बात करनी है

दिशा बिस्तर पे लेती हुई थी अभय की आवाज सुन दिशा सर पे घुघट दाल दरवाजा खोल अभय को देखते हुवे

दिशा - अरे देवर आइये ना अंदर आराम से बैठ कर बाते करते है
अभय दिशा को देख - मेने आप को परेसान तो नही किया ना भाभी
दिशा - कैसी बाते करते है देवर जी दुबारा ऐसा मत बोलियेगा आइये अंदर

( नोट गरीबी के कारन घर मे सभी नीचे ही सोते है सिर्फ एक खाट है जो आगन मे रेहता है किसी के बैठने के लिये )

दिशा बिस्तर पे जाके बैठ जाती है अभय भी दिशा के पास बैठ जाता ही

अभय दिशा को देखता है तो घुघट की वजह से दिशा का चेहरा दिख नही रहा था

अभय दिशा से - भाभी पेहले आप मेरी तरफ होके बैठिये फिर बाते करेगे

दिशा अभय को देख हस्ते हुवे - ठीक है जैसा आप कहे

दिशा अभय की तरफ घूम कर बैठ जाती है अभय भी दिशा की तरफ घूम बैठ जाता है अब दोनों आमने सामने थे चेहरा भी आमने सामने था दोनों एक दूसरे को देख रहे थे

दिशा अभय को देख मुस्कुराते हुवे - अब ठीक है देवर जी
अभय - जी भाभी अब ठीक है
दिशा - तो बताइये किया बात करनी थी मुझसे
अभय - आपसे मुझे एक सिकायत है भाभी
दिशा अभय की बात सुन हैरान परेसान होते हुवे
दिशा - देवर जी मुझसे कोई गलती हुई है किया
अभय - नही आपने कोई गलती नही की बस मुझे आपसे एक विनती करनी है
दिशा अभय को कंफ्यूज नजर से देख - वो किया है देवर जी
अभय दिशा को देख - भाभी आप बहोत अच्छी है खूबसूरत है उसी के साथ बहोत संस्कारी भी हमारे इस जनरेशन ने लरकिया बॉडी दिखाती फिरती है बाहर छोटे कमरे पेहन कर लेकिन आप घर मे रेह कर भी हमेसा घुघट दाल कर रेहती है ( अभय भोला सा चेहरा बना के बच्चो की तरह ) लेकिन मुझे आप का खूबसूरत चाँद सा चेहरा देखने को नही मिलता

अभय की बात सुन दिशा पूरी तरफ से हैरान हो जाती है उसी के साथ अभय के बात सुन भोला चेहरा देख दिशा को हसी आ जाती है दिशा मुह पे हाथ रख अभय को हसने लगती है

अभय दिशा को देख मुह बनाते हुवे - आप हस कियु रही है मेने तो अपनी दिल कि बात कही है
दिशा अपने आप को सांत करते हुवे अभय को देख
दिशा - अच्छा ये शिकायत थी आप को मुझसे
अभय - मुह फुलाते हुवे हा
दिशा को फिर हसी आ जाती है अभय का फुला चेहरा देख
दिशा हस्ते हुवे - अच्छा तो मे समझ ये बताइये मेरे प्यारे देवर जी मुझसे किया चाहते है

अभय दिशा की आखो मे देख - मे चाहता हुई आप घुघट मे रहे नही मेरे सामने आप घुघट मे नही रहेगी कियुंकी मुझे आपका चाँद सा चेहरा देखने के लिये नही मिलता

अभय की मसुमियत् भोलि बाते भोलि सूरत देख दिशा को अभय पे प्यार आने लगता है दिशा अभय को देख

दिशा - मेरे अक्लोटे प्यारे देवर जी पेहली बार मुझसे कुछ मांगा है तो मे कैसे मना कर सकती हु ठीक है आपके सामने मे बिना घुघट के रहूगी
दिशा ये केह अपना घुघट हटा देती है और अभय के सामने दिशा कि खूबसूरत चाँद सा चेहरा आ जाता है अभय फिर दिशा कि खूबसूरत चेहरे मे खो जाता है दिशा अभय को ऐसे अपने को देखता देख शर्मा जाती है
दिशा - काहा खो गये देवर जी
अभय होस मे आते हुवे हरबारा के दिशा को देख
अभय - किया बोलू भाभी आप है हि इतनी खूबसूरत कि मे देख खो जाता हु
दिशा सर्म से नजरे नीचे कर - आप भी ना देवर जी
अभय अपना हाथ आगे बढ़ा के दिशा के चेहरे को उपर करते हुवे दिशा के चेहरे के पास अपना चेहरा ले जाके दिशा की आखो मे देख

अभय - मे किस्मत वाला हु आप जैसी भाभी पाके
दिशा अभय के गाल को सेहलाते हुवे - मे भी आप जैसे देवर को पाके बहोत खुश हु

अभय फिर दिशा को छोर पीछे बैठ जाता है दिशा का दिल अभय के पास आने से रुक सा गया था

अभय दिशा को देख - भाभी आप अपनी आखे बंद कीजिये
दिशा हैरानी से - कियु देवर जी
अभय भोला चेहरा बना के - प्लेस भाभी
दिशा अभय के भोले चेहरे को देख हस्ते हुवे - आप के इस भोले चेहरे मे किया कोई भी बच नही सकता है

दिशा आखे बंद करते हुवे - लो कर ली आखे बंद

अभय दिशा के पास जाके लॉकेट निकाल दिशा के गले मे पेहना देता है दिशा को एहसास हो जाता है अभय ने उसके गले मे कुछ तो पेहनाया है


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अभय - अब आखे खोल कर देखिये भाभी
दिशा अपनी आखे खोल गले मे देखती है तो एक खूबसूरत लॉकेट दिखाई देता है दिशा लॉकेट को पकर अभय की तरफ देखती है

अभय दिशा के दोनों हाथ पकर के दिशा को देख

अभय - आपके देवर की तरफ से मूहदेखाई गिफ्ट है मुझे पता है भाई के जाने के बाद आपके जिंदगी से रंग भी गायेब हो गये है लेकिन मे चाहता हुई की मेरी प्यारी भाभी अपनी लाइफ मे थोरे रंग भरे दुनिया किया कहेगी सोचेगी मुझे परवाह नही लेकिन भाभी आप नोर्मल सज़ धज कर रहे क्या आप अपने देवर के लिये इतना करेगी

अभय की बाते सुन दिशा अपना मुह बंद कर रोने लगती है अभय ये देख दिशा को गले से लगा देता है दिशा अभय के गले लग रोने लगती है अभय दिशा के सर को सेहलाने लगता है


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दिशा रोते हुवे - एक बीवी अपने पति के लिये सजती सवरति है आपके भाई के जाते ही मेरे जिंदगी से रंग चला गया लेकिन आप ने कहा है तो मे जरूर अपनी जिंदगी मे थोरा रंग लाऊँगी

अभय दिशा के आसु साफ करते हुवे - थैंक्स भाभी आप बहोत अच्छी है

दिशा अभय को प्यार से देख - आप भी बहोत अच्छे है देवर जी
अभय - मुस्कुराते हुवे तो ये बताइये मेरा गिफ्ट कैसा लगा
दिशा लॉकेट को हाथो मे लेके देखते हुवे - बहोत हि खूबसूरत और मेरे देवर जि जैसा प्यारा है

अभय अपना गाल आगे करते - हुवे मेरा गिफ्ट
दिशा अभय को ऐसा करता देख सर्म से लाल हो जाती है


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दिशा सर्माते हुवे अभय के गालो पे अपने गुलाबी नरम होठो से किस कर सर्म से नजरे नीचे कर लेती है

अभय हस्ते हुवे - बहोत मिठा लगा आपका किस
दिशा सर्म से अभय से अभय के सीने पे प्यार से मारते हुवे - आप भी ना देवर जी

अभय खरा होते हुवे दिशा को देख - भाभी आप ऐसे ही हस्ते रहिये मुझे अच्छा लगेगा अब मे जाता हु

दिशा - ठीक है देवर जी

अभय फिर कमरे से निकल अदिति के कमरे कि तरफ जाता है

वही दिशा बिस्तर पे लेट अभय का दिया लॉकेट को देखे जा रही थी


अभय अदिति की कमरे के पास आके दरवाजे पे खरा होकर

गुरिया तुम सो गई किया अदिति बिस्तर पे लेती हुई थी लेकिन गई हुई थी अभय की आवाज सुन अदिति जल्दी से दरवाजा खोलती है और बिना देरी किये अभय को देख भईया करते हुवे कूद परती है

अभय जल्दी से अदिति के बाहर बरे निकले हुवे गांड के नीचे से दोनों हाथो से अदिति को पकर उपर उठा लेता है अब अदिति अभय की बाहो मे थी अदिति अभय को देख - भाई मुझे लगा आप अपनी गुरिया को गुड नाईट बोलने नही आओगे


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अभय प्यार से अदिति को देख मेरी एक हि तो प्यारी गुरिया है तो भला मे कैसे अपनी गुरिया को गुड नाईट बोलने नही आता

अभय अदिति को नीचे उतार दोनों अंदर जाते है अभय बिस्तर पे लेत जाता है तो अदिति अभय के उपर आके अभय के सीने पे सर रख लेत जाती है अभय भी प्यार से अदिति को बाहो मे भर सर को सेहलाने लगता है


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अदिति - भाई इस पल के लिये 4 साल से बहोत तरपि हु मुझे आप बहोत याद आते थे और वो पल भी जब मे आपके सीने पे सर रख सोती थी और आप प्यार से मुझे बाहो मे लेके मेरा सर सेहलाते थे लेकिन आज वो पल वापस आ गया कियुंकी मेरा भाई मेरे पास है


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अभय अदिति के गालो पे किस करते हुवे अदिति को देख
अभय - गुरिया मेने भी हर एक पल जो मेने तुम्हारे साथ बिताये थे मुझे बहोत याद आती थी मा भाई सब की पर भाई से मिल नही पाया उपर वाले ने मुझे उनसे मिलने नही दिया ( अभय इमोसनल हो जाता है)

अदिति मुझे भी बरे भाई की बहोत याद आती है

अभय बात को बदलते हुवे माहौल को हल्का करने के लिये

अभय - वैसे गुरिया कल हम शोपिंग पे चलेंगे तुम्हे जो चाहिये ले लेना कियुंकी मे नही चाहता मेरी गुरिया पुराने कपड़े मे रहे

शॉपिंग की बात सुन अदिति जोर से खुशी से चिलाते हुवे - सच्ची भाई हम शोपिंग करने जायेंगे पेहली बार मे शोपिंग पे जाउंगी बहोत मजा आयेगा

अदिति की चिल्लाने की आवाज आसा दिशा के कान मे जाती है

दिशा मन मे - दोनों भाई भी ना लेकिन मे बहोत खुश हु देवर जी के आने से और ननद जी को खुश देख नही तो बेचारी छुप छुप कर बहोत रोती थी

आसा मन मे - फिर सुरु हो गई दोनों की मस्तिया ( आसा अपना हाथ जोर आखे बंद कर उपर वाले से दुवा करते हुवे ) मेने ये पल दोनों भाई बेहन की मस्तिया बहोत मिस की है अपने दोनों बच्चो को फिर से साथ मे खुश देख मे बहोत खुश हु उपर वाले हमपे कृपा बनाये रखना बस कमी खल रही है मेरे बरे लाल की काश वो भी जिंदा होता


वही अभय अदिति को देख - अरे इतना मत चिला मा गुस्सा करेगी
अदिति मुह बनाते हुवे - मे तो करुगी कियुंकी मे बहोत खुश जो हु
अभय हस्ते हुवे - तुम बरी हो गई लेकिन अभी भी बच्ची ही हो
अदिति अभय को देख - भाई मे आपके लिये बच्ची हि बन कर रेहना चाहती हु
अभय अदिति को देख प्यार से - तुम मेरे लिये मेरी प्यारी नटखट गुरिया ही रहोगी वैसे इन चार सालों मे बहोत खूबसूरत हो गई है मेरी गुरिया

अपने भाई की बात सुन अदिति को सर्म आने लगती है अदिति सर्माते हुवे अभय को देख - आपको ऐसा लगता है भाई


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अभय अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - बिल्कुल मेरी गुरिया तो चाँद की तरह खूबसूरत हो गई है


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अदिति सर्म से अपने दोनों हाथो से अपना चेहरा छुपाते हुवे भाई आप भी ना मुझे सर्म आ रही है

अभय हस्ते हुवे - अच्छा अब मेरी गुरिया को सर्म भी आने लगी है
अदिति अभय को प्यार से देख - आई लोव यू भाई आप मेरी जान है
अभय - आई लोव यू 2 गुरिया तुम भी मेरी जान हो


अभय अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - चलो अब तुम सो जाओ मा मेरा इंतज़ार कर रही होगी

अभय बिस्तर से उठ जाता है

अदिति अभय को देख भोला चेहरा बना के - भाई मेरा गुड नाईट किस कोन देगा आप भूल तो नही गये

अभय अदिति के गाल पे अपना होठ सता के हटाते हुवे
अभय - मे कैसे भूल सकता हु गुड नाईट मेरी प्यारी गुरिया
अदिति अभय को देख - गुड नाईट भाई

अभय फिर अपनी मा के के पास जाने लगता है

अदिति अपना तकिया बाहो मे लेके - कल भाई के साथ शोपिंग पे पेहली बार जाउंगी मजा आयेगा अब तो रहा नही जाता


अभय अपनी मा के कमरे मे जाता है तो देखता है आसा पेट के बल बिस्तर पे लेती हुई है कसम से सीन बहोत कामुक् था आसा के बरे बाहर निकले गांड पाहार् की तरह खरे है गांड के उभार साफ नजर आ रहे थे उसी के साथ आसा के दूध जैसी बरे मोटे जांघे भी दिख रहे थे


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आसा लेती हुई थी लेकिन अभय के अंदर आने का एहसास आसा को हो जाता है तो आसा पलट कर अभय को मुस्कुराते हुवे देख
आसा - मेरा लाल आ गया भाभी अपनी गुरिया से मिल के


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आसा के पलटने से नाइटी और उपर हो जाती है और आसा मे मोटे दूध जैसे जांघे और दिखने लगते है आसा कयामत दिख रही थी
लेकिन अभय ने कई बार आसा को इस रूप के हालत मे देखा था अभय के किडनैप होने से पेहले अभय कभी कभी आसा के साथ सो जाता था बोले तो हस्ते मे 2 या 3 बार तो जरूर मा के साथ सोता था इस लिये अभय के लिये सब नॉर्मल था अभय के अंदर मा को लेकर कोई गन्दी फीलिंग नही आती

अभय आसा को देख मुस्कुराते हुवे - हा मा आ गया
आसा - अपनी बाहे फैलाते हुवे - आजा मेरे लाल 4 साल से मेरी बाहे तेरे लिये तरस रही थी

अभय आसा के पास जाके लेत जाता है आसा अभय को बाहो मे घर लेती है अभय को 4 साल बाद अपनी मा के बाहो मे आकर बहोत हि सुकून मिलता है आसा अभय के सर कोई प्यार से सेहलाते हुवे

आसा - 4 साल से तुझे बाहो मे भरने के लिये तरसी हु मेरे लाल रात को जब सोती थी तो कभी कभी ऐसा लगता था तुम मेरे बाहो मे सोये हुवे हो लेकिन जब आखे खोल देखती थी तुम नही होते थे तो ( आसा की आखो से आसु निकल आते है)

अभय आसा के आसु साफ करते हुवे - मा मेरा भी सेम हाल था मे भी आपकी बाहो मे आपके साथ सोने के लिये बहोत तरसा हु लेकिन अब आपके बाहो मे सुकून मिल रहा है मुझे

आसा अभय को देख - मुझे भी मेरे लाल
अभय आसा को देख प्यार से - मा एक किस्सी दो ना होंठो पे

( नोट अभय के किडनैप होने से पेहले आसा अभय को प्यार से होंठो पे किस करते आई है इस लिये अभय ने आसा को किस देने को कहा)

आसा अभय को देख हस्ते हुवे - अब तु बच्चा नही रहा बरा हो गया है अब होंठो पे किस्सी नही मिलेगी

अभय अपनी मा की बात सुन मुह फुला के दूसरी तरफ करवट बदल लेटते हुवे - मे बरा हो गया हु तो मा अब मुझे किस्सी नही देगी अब मा मुझे पेहले जैसा प्यार नही करती है

अभय का नाटक देख आसा जोर जोर से हसने लगती है

आसा हस्ते हुवे - मेरे लाल अपना ये नाटक बंद कर

आसा अभय को पकर अपनी तरफ कर अभय के आखो मे देख प्यार से अभय के होंठो पे अपने रसीले होंठो को सता के हटा लेती है


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आसा - अब खुश कितना नाटक करता है किस्सी के लिये मेरा लाल
अभय आसा के सीने मे समाते हुवे - आपकी किस्सी को भी बहोत मिस करता था मा

आसा अभय के गाल पे प्यार से हाथ फेरते हुवे - मे भी मिस करती थी लेकिन अब तु आ गया दिल को सुकून मिल गया मेरे लाल

दोनों मा बेटे बाते करने के बाद एक दुसरे की बाहो मे समा के सो जाते है


( सुबह हो जाती है )

ये सुबह 4 साल के दर्द भरी सुबह नही बल्कि सभी के लिये 4 साल बाद खुसियो वाली सुकून वाली सुबह थी

अभय के जाने के बाद फिर विनय के जाने के बाद आसा अदिति दिशा कोई चैन से सो नही पाया था लेकिन आज की रात सभी सुकून से सो पाये थे

दिशा सबसे पेहले उठती है और अपने काम पे लग जाती है

आसा की भी नींद खुलती है आसा जब अपनी आखे खोलती है तो उसके आखो के सामने अभय का प्यारा चेहरा था जिसे देख आसा के चेहरे पे इस्माइल आ जाती है आसा अभय के होंठो पे किस करने के बाद उठ कर अपने काम मे लग जाती है

अभय सोता रेहता है अदिति भी सोई हुई थी

आसा नहाने के बाद रेडी होने के बाद रेडी होने के बाद अभय के पास जाके अभय के कानों मे अपनी मीठी आवाज में - उठ जा मेरे लाल

अभय अपनी मा की मीठी आवाज सुन आखे खोल देखता है तो अभय को अपनी मा का प्यारा खूबसूरत चेहरा दिखाई देता है

अभय अपनी मा को देख जल्दी से गले लगा के रोते हुवे - मा ये सपना तो नही है ना आप ही है ना

आसा अभय बाहो मे लेके प्यार से - नही बेटा मे ही हु तुम्हारी मा ये सपना नही है

( अभय 4 साल इसी पल के लिये बहोत तरसा था आसा ही सुबह रोज अभय को प्यार से उठाती थी तभी अभय उठता था अभय को ये सपना लग रहा था)

अभय अपनी मा को देख - मुझे लगा सपना है
आसा अपने बेटे के दर्द को अच्छे से समझ सकती थी कियुंकी उसे भी आसा सब उठी तो सपना लग रहा था

आसा अभय के चेहरे को पकर अभय के आसु साफ करते हुवे - मेरे लाल ये सपना नही सच है

अभय चारो तरफ देख हा


आसा - जा अब रेडी हो जा
अभय - ठीक है मा

अभय कमरे से बाहर निकल आता है

आसा अभय को जाते देख मन मे - मेरे लाल तुम्हारे दर्द को मे समझ सकती हु हमारा भी वही हाल था

अभय सीधा अदिति के कमरे मे जाता है दरवाजा खुला था अभय अंदर जाता है तो देखता है अदिति नाईट गाउन पेहले आराम से सो रही थी अदिति के गाउन भी उपर उठे हुवे था


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अदिति के खूबसूरत दूध जैसे जांघे साफ दिख रही थी अदिति कमाल की कयामत लग रही था हो भी कियु ना हो आसा ने जो निकाला है खूबसूरती बॉडी सब कुछ आसा से ही तो अदिति को मिला है

अभय अदिति के खूबसूरत चेहरे को देखते हुवे मन मे - मेरी गुरिया कितने आराम से सो रही है कितनी खूबसूरत लग रही है सोते हुवे
अभय जाके अदिति के पास बैठ गालो पे किस करते हुवे


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अभय - उठ जा मेरी प्यारी गुरिया सुबह हो गई है
अपने भाई की आवाज सुन अदिति मुस्कुराते हुवे आखे खोल अभय को देखती है

अभय मुस्कुराते हुवे - जान बुझ कर सोने का नाटक कर रही थी
अदिति अभय को देख - भाई आपको पता है ना आप हि मुझे रोज सुबह जगाते थे तभी मे उठती थी जैसे मा आपको जगाती है तब आप उठते है

( हा आसा के जगाने पे हि अभय उठता था और अभय के जागने पे अदिति यही होता आ रहा था जब तक अभय का किडनैप नही हुवा लेकिन अभय के आने के बाद ये सिलसिला फिर सुरु हो चुका हो )

अभय - हस्ते हुवे चल उठ जा मुझे भी रेडी होने जाना है

अदिति उठ कर अभय के गालो पे किस करते हुवे - उठ गई मे

दोनों बाहर आते है अदिति अपने काम पे लग जाती है अभय दिशा के कमरे के दरवाजे पे जाके खरा होते हुवे

अभय - भाभी किया कर रही है आप
अंदर से दिशा - देवर जी रेडी हो रही हु
अभय हस्ते हुवे - मे आ जाऊ आपको रेडी करवा दूगा


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दिशा जो रेडी हो रही थी अभय की बात सुन सर्म से लाल हो जाती है
दिशा - देवर जी सुबह सुबह मस्ती हा अंदर आये तो बहोत मार पड़ेगी आप को
अभय हस्ते हुवे - ना बाबा ना मुझे मार रही खानी मे जा रहा हुई आप रेडी हो जाइये ( अभय निकल परता है

दिशा रेडी होते हुवे हस्ते हुवे - देवर जी भी बरे नटखट है

अभय खेतो से होते हुवे 10 मिनट की दुरी पे एक छोटा सा नदी था वही जाके हल्का होता है फिर घर की तरफ निकल परता है

अभय चलते हुवे मन मे - गाव की सबसे परी प्रोबलम बाथरूम का है मर्द तो खुले मे कर लेते है लेकिन लेडिस् को अंधेरा होने से पेहले उठना परता है मुझे जल्दी ही कोई अच्छी जगह वहा सांती हो एक बंगलो को देखना होगा पैसे हो तो गरीबी मे कियु किये और हा पवन अंकल के हिस्से के पैसे भी तो उसने परिवार के पास देने जाना है लेकिन (अभय रुक जाता है )मे कैसे उनको ये बताऊगा पवन जी नही रही अभय फिर चलना सुरु करता है लेकिन मुझे ये करना ही होगा


अभय घर आ जाता है दिशा खाना बनाने मे लगी हुई थी अदिति कमरे मे रेडी हो रही थी आसा अपने कमरे मे थी

अभय दिशा को देख हस्ते हुवे - मेने कहा था रेडी होने मे मदद करता हु लेकिन आप तो मारने की धमकी दे दी

दिशा अभय की बात सुन अभय की तरफ देख अपना बेलन दिखाते हुवे

दिशा - लगता है मेरे देवर जी को आज सुबह सुबह मार खानी है
अभय जल्दी से अपने कमरे मे भागते हुवे - ना बाबा मे जाता हु

दिशा अभय को भागता देख हसने लगती हैं

अदिति भी रेडी होकर बाहर आती है और दिशा को देख

अदिति - भाभी भाई ने सही तो कहा था भाई थोरा मदद कर देते तो किया हो जाता ( अदिति ने अभय दिशा की बात सुन ली थी )

दिशा अदिति की बात सुन मुह पे हाथ रखते हुवे हाय

दिशा अदिति के पास जाके अदिति के कान पकरते हुवे

दिशा - अच्छा ननद जी मुझे केह रही है खुद अंदर रेडी हो रही थी तो कियु ना बुला लिया अपने प्यारे भाई को देवर जी मदद कर देते

अदिति आह करते हुवे - मे अकेले ही तैयार हो सकती हु अब मेरा कान छोरिये दर्द हो रहा है

दिशा - वाह आप अकेले तैयार हो सकती है मे नही बहोत तेज है आप

दिशा अदिति के कान छोर देती है अदिति अपना कान मलते हुवे हाय मेरी प्यारी कान

तभी अभय टवेल लेके बाथरूम मे नहाने चला जाता है कुछ देर बाद नहा के बाहर आता है तो दिशा अदिति की नजर अभय पे जाती है
लेकिन जब दोनों अपनी नजर नीचे कर देखते है तो देखते ही रेह जाते है अभय का 6 पैक बॉडी दोनों के सामने था


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दिशा अभय के 6 पैक बॉडी को देख मन मे - बाप रे देवर जी ने मिया बॉडी बनाई है मस्त
वही अदिति तो भागते हुवे अभय के पास जाके अभय की बॉडी को टच करते हुवे
अदिति - भाई किया गज़ब बॉडी बनाई है आपने आप तो कमाल लग रहे है
अभय - हस्ते हुवे वो तो है
अभय मन मे - सालों मे जबरदस्ती ट्रेनिंग करवाई थी लेकिन किसी पता था सब ट्रेनिंग मेरे काम आयेगी मुझे ही फायेदा मिलेगा

अभय अदिति से - ठीक है गुरिया मे रेडी होके आता हु
अदिति - ठीक है भाई

अभय कमरे मे रेडी होने लगता है अभय रेडी हो चुका था तभी कमरे मे आसा आती है

अभय पीछे मुर देखता है तो देखता ही रेह जाता है आसा लाल सारी मे कहर धा रही थी होंठो पे लाल लिबिस्टिक ब्लाउस मे कैद सो अनमोल गोरे गोरे चुचे आधा साफ दिख रहे थे आसा की कमर हाय गेहरि धोरी नही दिख नही थी लेकिन आसा की कमर साफ जितनी दिख रही थी उतना की काफी था


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आसा कयामत लग रही अभय अपनी मा को इस रूप मे देख पेहली बार अभय का दिल धक कर रुक जाता है अभय सब भूल आसा को ही देखे जा रहा था आसा आज अपने उपर ध्यान दिया था आज आसा सजी सवरि थी आसा ये नोटिस कर लेती है अपने बेटे को अपने आप को ऐसे देखता देख आसा को सर्म आने लगती है

आसा अभय को देख - बेटा कहा खो गया
अभय होस मे आते हुवे - कही नही मा

अभय चलते हुवे आसा के पास जाके आसा को देख
अभय - मा उमर के साथ लोग बूढ़े होते जाते है खूबसूरती घटती चली जाती है लेकिन आप तो बढ़ती उमर के साथ और जवान खूबसूरत होती जा रही है

अपने बेटे के मुह से ऐसी तारीफ सुन आसा सर्म से लाल हो जाती है
आसा अभय को देख शर्मा के - सच मे खूबसूरत लग रही हु
अभय - आप की कसम मा आप बहोत ही खूबसूरत और h ( अभय मन मे मे ये किया बोलने जा रहा था मा है वो मेरी )

आसा अभय को बीच मे रुकता देख - आगे किया बेटा
अभय बात को बदलते हुवे
अभय - और आप बहोत जवान लग रही है
आसा - हस्ते हुवे तुम भी ना बेटा
अभय अपनी मा के हाथ पकर - मे अपनी खूबसूरत मा के साथ डांस करना चाहता हु करेगी आप मेरे साथ डांस

आसा पूरी तरह हैरान परेसान होते हुवे
आसा - बेटा ये तु किया बोल रहा है मुझे डांस करना नही आता
अभय - हस्ते हुवे मुझे कोन सा आता है बस फिल्मो मे देखा था वैसे ही करेगे ठीक है

आसा सर्म से लाल होते हुवे - ठीक है मे अपने लाल के साथ डांस करुगी
अभय - ठीक है मा मे जैसा कहुंगा जैसा करना ठीक है
आसा शर्मा के - ठीक है बेटा
अभय अपनी मा के उंगली मे अपनी उंगली मिला के हाथ का पकर आसा को देख
अभय - मा जैसा मे करुगा वैसा ही करना
आसा शर्मा के ठीक है
अभय अपना पैर दाय बाय करते हुवे हिलने लगता है आसा अभय जैसा कर रहा था वैसे ही देख करने लगती है दोनों एक दूसरे के हाथो को अपने एक दूसरे से सत् डांस करने लगते है


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अभय आसा को देख - मा आप तो बहोत अच्छा कर रही है एक बार मे ही देख कर
आसा अभय को सर्म से लाल हुवे - लेकिन बेटा मुझे बहोत सर्म आ रही है
अभय - किया आपको अच्छा नही लग रहा
आसा जल्दी से - नही मेरे लाल मुझे सर्म आ रही है लेकिन उसी के साथ मुझे अपने बेटे के साथ डांस करने मे मजा भी आ रहा है ये पेहली बार है लेकिन ये एहसास ये पल बहोत प्यारा है जिसे मे भुलुगी नही कभी
अभय आसा को देख - मे भी नही भुलुगा कभी कियुंकी मेने पेहला डांस अपनी खूबसूरत मा के साथ जो किया है
आसा सर्म से नजरे किये हुवे - तुम भी ना मेरे लाल
आसा मन मे -मेरा पेहला डांस इस उमर मे बेटे के साथ सच कहु तो बहोत खुश हु अपने बेटे के साथ डांस कर के दिल को सुकून मिल रहा है और खुशी भी

2 मिनट बाद अभय रुक जाता है और अपने मा के हाथो पे किस करते हुवे

अभय - सुक्रिया मेरी खूबसूरत मा मेरे साथ डांस करने के लिये
आसा को अपने बेटे पे बहोत प्यार आता है आस अभय को बाहो मे लेके - मुझे भी बहोत मजा आया मेरे लाल तुम्हारा थैंक्स ये पल खुशी देने के लिये

तभी दोनों को तेज तालियां बजाने की आवाजे सुनाई देती है दोनों हैरानी से चौक कर दरवाजे की तरह देखते है तो अदिति दिशा टुकुर टुकुर देख तालियां बजा रहे थे आसा तो दोनों को देख सर्म से लाल अभय के सीने पे अपना चेहरा छुपा लेती है

असल मे अदिति कमरे मे आ रही थी अंदर अभय आसा को डांस करता देख हैरान और चौक भी गई थी फिर अफीति दिशा को भी बताती है तो दिशा भी आके देखने लगती है

अदिति अंदर आते हुवे - सच कहु तो भाई मा आप दोनों डांस करते हुवे कमाल के लग रहे थे और डांस भी कितना अच्छा कर रहे थे

आसा अदिति की बात सुन अदिति को देखने लगती है

दिशा - मा देवर जी सासु मा ननद जि सही कह रही है आप दोनों मस्त डांस कर रहे थे और साथ मे अच्छे भी दिख रहे थे

दोनों की बात सुन आसा को बहोत सर्म भी आ रही थी उसी के साथ अच्छा भी लग रहा था आसा अभय से दूर होकर जाते हुवे

आसा - मे जा रही हु तुम सब बाते करो ( आसा चली जाती है)

अदिति अभय के पास आके भोला सा मुह बना के प्यार से

अदिति - भाई मुझे भी आपके साथ डांस करना है

अभय अदिति को बाहो मे लेके - बाद मे करेगे गुरिया पक्का ( अभय दिशा को देख ) भाभी के साथ भी डांस करुगा

दिशा अभय को देख जिब दिखाते हुवे - देवर जी सपने मे करना डांस मेरे साथ मे तो चली ( दिशा जिब दिखा के चली जाती है)

अभय सभी की सुबह बहोत अच्छा बना दिया था मस्ती मजाक प्यार से और सभी खुश भी थे और अभय यही चाहता भी था


( सुबह 10 बजे )

खाना खाने के बाद आगन मे सभी बैठे हुवे बाते कर रहे थे तभी बाहर से किसी की आवाज आती है ( कोई घर पे है)

आवाज सुन आसा अभय अदिति बाहर आके देखते है तो आसा अदिति हैरान और उसी के साथ घबरा भी जाते है बाहर एक हवलदार खरा था हवलदार कुछ केहता उससे पेहले अभय हवालदार को देख

अभय - मैडम ने बुलाया है ना आप चलिये मे आता हु
हवलदार हैरानी से अभय को देख मन मे - इसे कैसे पता चला मैडम ने बुलावा भेजा है

हवलदार अभय को एक नजर देखता है फिर - ठीक है जल्दी आ जाना ये केह चला जाता है

अभय अपनी मा बेहन को लेके अंदर जाता है अंदर जाते ही आसा अभय के हाथ पकर अभय को देख डरते हुवे

आसा - बेटा ये पुलिस कियु आई थी यहा और तुम्हे कियु बुला रहे है
अदिति - मुझे भी बहोत डर लग रहा है भाई
दिशा आते हुवे - कोन था बाहर ननद जी
अदिति दिशा को देख - भाभी पुलिस आई थी

अदिति की बात सुन दिशा भी घबराते हुवे - पुलिस लेकिन पुलिस यहा कियु आई थी

आसा - मेरे लाल को बुलाने
दिशा - हैरानी से लेकिन कियु

अभय सभी को सांत कराते हुवे - आप लोग बेवजह पुलिस को देख डर जाते है मुझे पता था मैडम मुझे बुलाया जरूर भेजेगी

आसा - लेकिन कियु बेटा
अभय सभी को देख - अरे जायदा कुछ नही बस पूछ ताछ करेगी मे कहा था किसने मुझे किडनैप किया कैसे मे भाग कर आया बाकी सब आप लोग बेकार मे ही डर रहे है मे गया और आया

आसा - अच्छा तो ये बात है तो ठीक है
अभय आसा को देख - हा मा बस यही है जाते जल्दी आ जाउंगा

अभय कमरे मे जाके बैग से dp devil का फाइल निकाल सत् के अंदर दाल बाहर आता है और सभी को देख

अभय - ठीक है आप सभी टेंसन मत लो मे जल्दी ही आ जाउंगा

आसा अदिति दिशा सर हिला के - ठीक है

अभय फिर बाहर आके बाइक पे बैठ पुलिस इस्टेशन निकल परता है


( पुलिस इस्टेशन )

अंदर अपने ऑफिस मे नितिका बैठी फाइल देखने मे लगी हुई थी तभी ऑफिस के दरवाजे पे हवालदार आते हुवे

हवालदार - मे अंदर आ सकता हु मैडम

नितिका बिना देखे फाइल को पढ़ते हुवे - आ जाओ
हवालदार - अंदर आके नितिका को देख आपने जो कहा मेने उस लरके को केह दिया है आपने बुलाया है वो जल्दी ही आ जायेगा

नितका अपनी नजर उपर कर हवालदार को देख - अच्छा काम किया अब तुम जा सकते हो

हवालदार - वो मैडम उस लरके को पेहले से ही पता था आप उसे बुलायेगी

नितिका हैरानी से हवालदार को देखती है और फिर - ठीक है समझ गई

हवालदार फिर बाहर आ जाता है

नितका फाइल नीचे रख अपने हाथो को जोर - तो उसे पता था कही जिसने मुझे फोन कर बताया dp devil के बारे मे ये वही तो नही है दूसरा ये नॉर्मल है किसी को भी पता होगा ऐसे हालत मे पुलिस बुलावा भेजती है लेकिन मुझे ये जानना है आखिर कोन है जिसने dp devil को मारा और उसके सम्राजय को तबाह किया मेरे सारे सवाल का जवाब ( नितिका अभय की फोटो देख) ये लरका ही दे सकता है


( आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏
 
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