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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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sex chhodke sab genere padhne me maja aayega ..jaisa aapko sahi lage ..
Waise bhi apun sex nahi likhta, meri kisi bhi story mein nahi hai, main clean story likhna jyada pasand karta hu, waise soch raha hu, iske jaisi hi ek kahani likh du, jaise chandra kanta thi, waise hi Surya kaanta:declare:
Kya sahi rahegi?? Mystery thrill and suspense per
 

Raj_sharma

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Raj_sharma

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Bahut hi shandar update bhai, dekhte h Artemis kya krti h jaha tk h ab to keher barsega greek gods ka
Aage uska kya hoga ye to niyati tay karegi, lekin hirni ka sach aapko aascharya chakit kar dega :approve:
 

ARCEUS ETERNITY

ʀᴇʌᴇɚᴏɟ ᴛᴛᴉ ᴛᴇɹƃᴇᴚ ᴇɔᴎo ᴇɯ ᴛᴇᴜH
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Kya boltti public ? Ho jaye update ?
Per iske liye minimum 3 reply chahiye:approve: Varna kal hi dunga:D
Let me calling my alias for next update
 

Raj_sharma

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#131.

चैपटर-10: ज्वालामुखी

(14 जनवरी 2002, सोमवार, 10:25, मायावन, अराका द्वीप)

शलाका से मिलने के बाद सभी की रात बहुत अच्छी बीती थी।

उन्हें इस बात की कुछ देर के लिये चिंता जरुर हुई थी कि वह अभी भी घर नहीं जा सकते, परंतु शलाका के उत्साहपूर्ण शब्दों को सुनकर सभी में आशा की एक नयी किरण अवश्य जगी थी।

एक नयी सुबह हो चुकी थी, सभी नित्य कर्मों से निवृत हो कर पुनः आगे की ओर बढ़ चले।

कुछ दूरी पर उन्हें एक ऊंचा सा पहाड़ नजर आ रहा था और पहाड़ की चढ़ाई शुरु हो गयी थी।

पहाड़ के रास्ते में कोई भी पेड़ नहीं लगा था और ना ही कहीं कोई छांव दिखाई दे रही थी, पर सुबह का समय होने की वजह से मौसम थोड़ा सुहाना था।

“तुमने सही कहा था शैफाली, कि यहां पर आना हम लोगों की नियति थी, जहाज का रास्ता भटकना तो एक निमित्त मात्र था।” सुयश ने शैफाली को देखते हुए कहा।

“आपको तो यहां आकर खुश होना चाहिये कैप्टेन अंकल।” शैफाली ने मुस्कुराते हुए कहा- “अगर आप यहां नहीं आते, तो आपकी जिंदगी एक साधारण मनुष्य की भांति समाप्त हो जाती और आपको अपने इस दुनिया में आने का उद्देश्य भी नहीं पता चल पाता।”

“सही कहा शैफाली। अगर यहां आने के पहले मुझसे कोई पूर्वजन्म की बातें करता तो मैं उसे कोरी गप्प समझ कर टाल देता, परंतु यहां आने के बाद तो जैसे जिंदगी के मायने ही बदल गये।” सुयश की आवाज में एक ठहराव था।

“मुझे लगता है कैप्टेन कि अब जल्द ही शैफाली की जिंदगी का राज भी खुलने वाला है।” क्रिस्टी ने चलते-चलते कहा।

“ईऽऽऽऽऽऽ! मैं तो पूर्वजन्म में भी किसी से प्यार नहीं करती होंगी। ऐसा मेरा विश्वास है।” शैफाली ने अपना मुंह बनाते हुए कहा।

“मेरी जिंदगी तो जैसे हर जन्म में कोरा कागज ही थी।” इस बार तौफीक ने भी बातों में शामिल होते हुए कहा।

“ऐसा नहीं है तौफीक अंकल, अगर आप अभी तक हम लोगों के साथ जीवित हैं, तो तिलिस्मा में प्रवेश करने का कोई ना कोई उद्देश्य तो आपके पास भी होगा।” शैफाली ने उदास तौफीक का हाथ पकड़ते हुए
कहा।

“सिर्फ उद्देश्य होना ही जरुरी नहीं है, उद्देश्य का बेहतर होना भी जरुरी नहीं है।” जेनिथ के मुंह से जल्दबाजी में तौफीक के प्रति कटाक्ष निकल गया, जिसे तौफीक ने ध्यान से सुना, पर उस पर कोई रिएक्शन नहीं दिया।

“कैप्टेन अंकल!” शैफाली ने कहा- “अचानक से गर्मी कुछ बढ़ गयी लग रही है। प्यास भी बार-बार लग रही है।”

शैफाली की बात पर सभी ने अपनी सहमति जताई क्यों कि सभी हर थोड़ी देर बाद पानी पी रहे थे।

बर्फ के क्षेत्र से निकलने के बाद अचानक से गर्मी का बढ़ जाना किसी को भी समझ में नहीं आ रहा था।

तभी जमीन धीरे-धीरे थरथराने लगी।

“यह जमीन क्यों कांप रही है?” क्रिस्टी ने चारो ओर देखते हुए कहा- “कैप्टेन क्या भूकंप आ रहा है?”

तभी सुयश को पहाड़ की चोटी से धुंआ निकलता हुआ दिखाई दिया।

यह देख सुयश ने चीख कर कहा- “हम पर्वत की ओर नहीं बल्कि एक ज्वालामुखी की ओर बढ़ रहे हैं और वह फटने वाला है।”


सुयश के शब्द सुनकर सभी भयभीत हो गये क्यों कि दूर-दूर तक ज्वाला मुखी से बचने के लिये उनके पास ना तो कोई सुरक्षित स्थान था और ना ही ज्वालामुखी से बचने का कोई साधन।

जमीन की थरथराहट बढ़ती जा रही थी। जमीन के थरथराने की वजह से पहाड़ से कई बड़ी चट्टानें लुढ़ककर इनके अगल बगल से गुजरने लगीं।

“अब क्या करें कैप्टेन? क्या हम सब यहीं मारे जायेंगे?” क्रिस्टी ने घबराते हुए सुयश से कहा।

“नक्षत्रा ! क्या कोई हमारे बचाव का साधन है तुम्हारे पास?” जेनिथ ने नक्षत्रा से पूछा।

“तुम्हें पता है जेनिथ, कल बर्फ के ड्रैगन से बचने में पूरा समय जा चुका है और अभी 24 घंटे भी पूरे नहीं हुए हैं, इसलिये मैं ज्यादा कुछ नहीं कर सकता। हां अगर तुम्हारे ऊपर कोई पत्थर गिरा तो मैं तुम्हारी चोट को सही कर दूंगा, पर बाकी लोगों के लिये मैं वह भी नहीं कर सकता।”

नक्षत्रा की बात सुन जेनिथ का चेहरा उतर गया।

आसपास का तापमान अब बहुत ज्यादा बढ़ गया था।

तभी एक कान फाड़ देने वाला भयानक धमाका हुआ और ज्वालामुखी से हजारों टन लावा निकलकर आसमान में बिखर गया।

कुछ लावा के गोले इनके बिल्कुल बगल से निकले।

लावा की गर्मी अब सभी को साफ महसूस होने लगी थी।

तभी ज्वालामुखी का मैग्मा बहकर इन्हें अपनी ओर आता दिखाई दिया, मैग्मा के पास आने की स्पीड बहुत तेज थी।

किसी के पास अब भाग निकलने का भी समय नहीं बचा था। चारो ओर धुंआ और राख वातावरण में फैल गयी थी।

“सभी लोग मेरा हाथ पकड़ लें।” तभी शैफाली ने चीखकर कहा।

शैफाली की बात सुन सभी ने जल्दी से शैफाली का हाथ पकड़ लिया।

जैसे ही सभी ने शैफाली का हाथ थामा, शैफाली के चारो ओर एक पारदर्शी रबर का बुलबुला बन गया।

तभी मैग्मा आकर बुलबुले से छू गया, पर मैग्मा से बुलबुले पर कोई असर नहीं हुआ।

यह देखकर सभी ने राहत की साँस ली। वह बुलबुला उन्हें किसी कवच की तरह से सुरक्षित रखे हुआ था।

“बाल-बाल बचे।” क्रिस्टी ने अपने दिल की धड़कनों पर काबू पाते हुए कहा- “अगर शैफाली 1 सेकेण्ड की भी देरी कर देती, तो हमारा बचना नामुमकिन था।”

“पर शैफाली अब हम इससे निकलेंगे कैसे? क्यों कि लावा इतनी जल्दी तो ठंडा नहीं होता, फिर हम कब तक इस बुलबुले में बंद रहेंगे।” जेनिथ ने शैफाली से आगे का प्लान पूछा।

“अभी आगे के बारे में तो मुझे भी कुछ नहीं पता, मुझे तो अभी जो कुछ समझ में आया, वो मैने कर लिया। अब लावा थोड़ा ठंडा हो तो हम इससे निकलने की सोचें।” शैफाली ने कहा।

“ज्वालामुखी से निकले लावा की ऊपरी परत को ठंडा होने में कुछ ही घंटे लगते हैं, पर लावा की अंदर की परत को ठंडा होने में 3 महीने से भी ज्यादा का समय लगता है।” सुयश ने सबको समझाते हुए कहा-

“और हम इस समय ज्वालामुखी की ढलान पर खड़े हैं, जहां पर लावा रुक ही नहीं सकता, यहां पर तब तक नया लावा आता रहेगा, जब तक ज्वालामुखी से लावा निकल रहा है।

"हम ये भी नहीं कह सकते कि
ज्वालामुखी से लावा कितने समय तक निकलेगा। यह लावा कुछ महीने तक भी निकल सकता है। यानि की किसी भी तरह से अब हम इस जगह पर कई महीनें तक खड़े होने के लिये तैयार हो जाएं।”

“यानि हम लावा से मरें या ना मरें, भूख और प्यास से अवश्य मर जायेंगे?” तौफीक ने कहा।

“कैप्टेन अगर हम इस बुलबुले को लुढ़काकर यहां से दूर ले चलें तो?” जेनिथ ने सुझाव दिया- “ज्यादा से ज्यादा कुछ घंटों में हम इसे लुढ़काकर ज्वालामुखी की पहुंच से दूर जा सकते हैं।”

जेनिथ का विचार वाकई काबिले तारीफ था।

अभी ये लोग बुलबुले को लुढ़काने के बारे में सोच ही रहे थे, कि यह काम स्वयं ज्वालामुखी ने कर दिया।

हवा में उड़ता हुआ एक पत्थर का काला टुकड़ा आया और बुलबुले से टकरा गया।

जिसकी वजह से बुलबुला लुढकता हुआ ज्वाला मुखी से नीचे की ओर चल दिया।

कोई भी इसके लिये तैयार नहीं था, इसलिये सभी के सिर और शरीर आपस में टकरा गये।

फिर भी सभी खुश थे क्यों कि वह बिना मेहनत ज्वाला मुखी से दूर जा रहे थे।

कुछ ही देर में बुलबुले के घूमने के हिसाब से सभी ने अपने शरीर को एडजेस्ट कर लिया।

जेनिथ की तरकीब काम कर गयी थी। पर वह मुसीबत ही क्या जो इतनी आसानी से चली जाये।

लुढ़कता हुआ उनका बुलबुला एक बड़े से सूखे कुंए में जा गिरा और इससे पहले कि कोई कुंए से निकलने के बारे में सोच पाता, उस कुंए में उनके पीछे से लावा भरने लगा।

कुछ ही देर में लावा किसी सैंडविच की तरह से इनके बुलबुले के चारो ओर फैल गया। अब बुलबुला लुढ़कना तो छोड़ो, हिल भी नहीं सकता था।

यह देख सभी हक्का -बक्का रह गये।

“हां तो जेनिथ तुम क्या कह रही थी?” सुयश ने आशा के विपरीत मुस्कुराते हुए जेनिथ से पूछा- “इसको लुढ़का कर कहीं ले चलें... लो अब लुढ़का लो इसे।”

सुयश को मुस्कुराते देख पहले तो सभी आश्चर्यचकित हो गये फिर उन्हें लगा कि सच में दुखी होने से कौन सा हम इस मुसीबत से बच जायेंगे, इसलिये सभी के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गयी।

“मुझे तो ऐसा लगता है कैप्टेन, कि इस द्वीप का निर्माता हम पर लगातार नजर रखता है, इसलिये जैसे ही हम कोई उपाय सोचते हैं, वह हमारी सोच के विरुद्ध जाकर एक नयी मुसीबत खड़ी कर देता है।” जेनिथ ने कहा।

सभी ने सिर हिला कर अपनी सहमति जताई।

“अब क्या करें कैप्टेन? क्या सच में 3 महीने का इंतजार करना पड़ेगा यहां से निकलने के लिये?” क्रिस्टी ने कहा।

“नहीं...अब हमें बिल्कुल इंतजार नहीं करना पड़ेगा।” सुयश ने कहा- “यह शब्द मैंने ढलान पर खड़े होकर बोले थे, पर अब हम एक कुंए में हैं। अब अगर मैग्मा सूखा तो वह चट्टान में बदल जायेगा और फिर उस
चट्टान के अंदर हमारी जीते जी ही समाधि बन जायेगी।”

सुयश का यह विचार तो बिल्कुल डराने वाला था।

“यानि की हम यहां जितनी ज्यादा देर फंसे रहेंगे, उतना जिंदा रहने की संभावना खोते जायेंगे।” क्रिस्टी ने पूछा।

“जी हां, मैं बिल्कुल यही कहना चाहता हूं।”सुयश ने कहा- “अब चुपचाप सभी लोग बैठ जाओ और शांति से यहां से निकलने के बारे में सोचो।”

सभी को बैठे-बैठे आधा घंटा बीत गया, पर किसी के भी दिमाग में कोई प्लान नहीं आया।

“कैप्टेन ... देवी शलाका ने हमें कहा था कि जब तक आप हमारे साथ हो, हम नहीं हार सकते।” जेनिथ ने सुयश को याद दिलाते हुए कहा-

“सोचो...आप सुयश नहीं आर्यन बनकर सोचो...आप कोई ना कोई
उपाय अवश्य निकाल सकते हो? तिलिस्मा ने यूं ही नहीं आपको चुना है, कुछ तो है आपमें...जो हम सबसे अलग है।”

जेनिथ की बात सुनते ही सुयश को जोश आ गया और वह तेज-तेज बड़बड़ा ने लगा- “अगर मेरी जगह आर्यन होता तो वह क्या करता? ....हमारे पास भी कुछ नहीं है...इस कुंए में भी कुछ नहीं है?”

तभी सुयश की नजर बैठी हुई शैफाली पर पड़ी- “तुम बैठने के बाद तौफीक के बराबर कैसे दिख रही हो शैफाली?”

सभी सुयश की यह अजीब सी बात सुनकर शैफाली की ओर देखने लगे, जो कि सच में बैठकर तौफीक के बराबर दिख रही थी।

“अरे कैप्टेन अंकल....कुंए में नीचे की ओर कुछ है, मैं उस पर ही बैठी हुई हूं।” शैफाली ने हंसते हुए कहा।

“क्या है कुंए के नीचे?” सुयश ने हैरान होते हुए शैफाली को उस जगह से हटा दिया और टटोलकर उस चीज को देखने लगा, पर उसे समझ नहीं आया कि वह चीज क्या है?

“आप हटिये कैप्टेन अंकल, मैं छूकर आप से ज्यादा बेहतर तरीके से बता सकती हूं कि कुंए में नीचे क्या है?” यह कहकर शैफाली सुयश को हटाकर उस चीज को छूकर देखने लगी।

थोड़ी देर के बाद शैफाली ने कहा- “कैप्टेन अंकल, यह चीज कोई धातु की बनी लीवर जैसी लग रही है।”

“लीवर...।” सुयश बुदबुदाता हुआ कुंए की बनावट को ध्यान से देखने लगा और फिर खुशी से चिल्लाया- “मिल गया उपाय, बाहर निकलने का।”

सुयश के शब्द सुन सभी भौचक्के से खड़े सुयश को देखने लगे।

सुयश ने सभी को अपनी ओर देखते हुए पा कर कहा - “दरअसल हम जिसे कुंआ समझ रहे हैं, वह एक पुराने समय का फव्वारा है, जो जमीन के अंदर से इस कुंए जैसी जगह पर जोड़ा गया है। पुराने समय में ज्वालामुखी के पास रहने वाले जमीन के तापमान का नियंत्रण करने के लिये एक हाई प्रेशर वाला फव्वारा बनवाते थे। जिससे जब जमीन का तापमान बढ़ता था, तो वह फव्वारा चलाकर आस-पास की जमीन पर पानी का छिड़काव करते थे। ये वैसा ही एक फव्वारा है। अब अगर हम इस फव्वारे को किसी भी प्रकार से चला दें, तो यहां से पानी बहुत हाई प्रेशर के साथ बाहर आयेगा और इसी हाई प्रेशर से हम भी बुलबुले सहित बाहर निकल जायेंगे।”

“कैप्टेन...पर ये फव्वारा चलेगा कैसे?” क्रिस्टी ने पूछा।

“शैफाली ने जिस लीवर को छुआ, वह अवश्य ही इसी फव्वारे को चलाने वाला लीवर होगा और ऐसे लीवर हमेशा नीचे की ओर दबा कर चलाये जाते हैं।”

यह कहकर सुयश शैफाली की ओर घूमा- “शैफाली क्या तुम बता सकती हो कि तुम्हारा यह बुलबुला कितना प्रेशर झेल सकता है?”

“कैप्टेन यह एक चमत्कारी शक्ति से बना बुलबुला है, जो बुलबुला हजारों डिग्री का तापमान सह सकता है, मुझे नहीं लगता कि वह किसी भी शक्ति से टूट सकता है।” शैफाली के शब्दों में गजब का विश्वास दिख रहा था।

“फिर ठीक है...आप लोग जरा एक दूसरे को कसकर पकड़ लें, हम बस उड़ान भरने ही वाले हैं।” यह कहकर सुयश उस लीवर के ऊपर खड़ा हो गया और उछलकर जोर से लीवर पर कूदा।

परंतु वह लीवर टस से मस नहीं हुआ।

यह देख सुयश ने तौफीक को भी अपने पास बुलाया- “तुम्हें भी मेरे साथ इस लीवर पर कूदना होगा तौफीक...काफी समय से ना चलाये जाने की वजह से शायद लीवर जाम
हो गया होगा।”

तौफीक ने धीरे से सिर हिलाया।

अब सुयश ने गिनती गिनना शुरु कर दिया- “3....2.....1।”

सुयश के 1 बोलते ही सुयश और तौफीक दोनों पूरी ताकत से लीवर पर कूद पड़े।

दोनों की सम्मिलित शक्ति से लीवर एक बार में ही नीचे हो गया। 10 सेकेण्ड तक सभी ने इंतजार किया, परंतु कुछ नहीं हुआ।

जैसे-जैसे समय बीत रहा था, सबके चेहरे लटकते जा रहे थे क्यों कि यह तरीका शायद उन सबकी आखिरी उम्मीद थी।

तभी कुंए के नीचे से कुछ खट-पट की आवाज आनी शुरु हो गयी। सुयश सहित सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।

तभी बहुत ताकत से बुलबुले के नीचे से पानी की फुहार बुलबुले पर पड़ी, जिसकी वजह से बुलबुला कुंए से निकलकर आसमान में बहुत ऊंचे तक चला गया।

वहां से तो ज्वालामुखी भी नीचे लगने लगा था।

यह देख सभी ने जोर का जयकारा लगाया- “तो इसी बात पर बोलो कैप्टेन सुयश जिंदाबाद।”

सभी खुशी से चीख रहे थे। इतनी ऊंचाई से उन्हें पोसाइडन पर्वत भी दिखाई दे गया।

तभी बुलबुला अधिकतम ऊंचाई तक पहुंचकर हवा में धीरे-धीरे किसी पैराशूट की तरह नीचे आने लगा।

हवा में इस तरह नीचे आना भी अपने आप में किसी एडवेंचर से कम नहीं था। सभी के चेहरे खुशी से भरे हुए थे।

उनके चेहरों पर सुयश के लिये सम्मान के भाव नजर आ रहे थे।


जारी रहेगा
________✍️
 
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