सुगंधा किसी काम से पड़ोस में गई हुई थी और यह बात उसने अपने बेटे से बताई थी क्योंकि उसे शाम को बाजार जाना था अपने लिए लूज पजामा और कुर्ता लेने के लिए ताकि सुबह की जॉगिंग आराम से हो सके क्योंकि साड़ी में उसे भी उचित नहीं लग रहा था दौड़ना उसे इस बात का डर लगा रहता था कि कहीं पैर फस न जाए और वह गिर ना जाए। गर्मी का महीना होने की वजह से अंकित दोबारा बिस्तर पर नहीं लेटा और वह नहाने के लिए बाथरुम में घुस गया था घर में किसी के न होने की वजह से वह अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा ही नहा रहा था दरवाजे पर कड़ी लगाकर पहले ही वह दरवाजा बंद कर चुका था।

लेकिन जैसे ही बनना शुरू किया था वैसे ही दरवाजे पर 10 तक होने लगी थी और जब उसे एहसास हुआ कि दरवाजे पर कोई और नहीं बल्कि सुमन की मां है तो उसकी आंखों की चमक बढ़ गई पल भर में ही बीती हुई कुछ बातें कुछ यादें एकदम से ताजा हो गई उसे अच्छी तरह से याद था कि वह सुषमा आंटी के घर गया था सुमन से परीक्षा के बारे में कुछ पूछने के लिए तो वहां पर अनजाने में ही वहां बाथरूम के करीब पहुंच गया था और बाथरूम के अंदर सुमन की मां एकदम नंगी होकर नहा रही थी उसे समय उसके नंगे बदन को देखकर अंकित के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी,,, उसे समय सुषमा आंटी की बड़ी-बड़ी चूचियां और झांटो वाली बुर देखकर अंकित का लंड एकदम से खड़ा हो गया था,,, अंकित को अच्छी तरह से याद था कि अपनी आंखों के सामने उसे देखकर सुमन की मन एकदम से हड़बड़ा गई थी और अपने बदन को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी,, लेकिन फिर भी बिना दरवाजे पर जा सकती है वहां तक पहुंच जाने पर उसे एक शब्द नहीं बोली थी इससे अंकित की हिम्मत थोड़ी इस समय बढ़ रही थी,।

आवाज पर गौर करके खुश होते हुए अंकित अपने बदन पर ठंडा पानी डाल रहा था और बाहर से लगातार आवाज आ रही थी।
सुगंधा,,, ओ सुगंधा अरे सच में सो गई क्या दरवाजा तो खोल मुझे काम है,,,।
(सुमन की मां की आवाज सुनकर एक तरफ अंकित मन ही मन बहुत खुश हो रहा था लेकिन दूसरी तरफ थोड़ी घबराहट उसे हो रही थी क्योंकि जो कुछ भी उसके मन में चल रहा था उसे कार्य को अंजाम देने के लिए काफी हिम्मत की जरूरत थी इसलिए उसका दिन जोरों से धड़कता है उसे समझ में नहीं आ रहा था कि जो कुछ उसके मन में चल रहा है उसे करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए लेकिन फिर भी वह अपने मन में ऐसा सोच लिया था कि जो कुछ भी होगा सुषमा आंटी को ऐसा ही लगेगा कि अनजाने में हुआ है,,,, इसलिए वह तुरंत बाथरूम से बाहर आया और कुर्सी पर पड़ी चावल को अपने बदन से लपेट लिया बदन से क्या अपनी कमर से लपेट लिया लेकिन उसके टावल में भी अद्भुत तंबू बना हुआ था क्योंकि बाथरूम के अंदर वह अपनी मां के बारे में ही सोच रहा था जिसके चलते उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था। अंकित सुषमा आंटी को अपने टावल में बने हुए तंबू को दिखाना चाहता था यह एहसास दिलाना चाहता था कि उसके पड़ोस में ही एक लड़का पूरी तरह से जवान हो चुका है जो अगर वह चाहे तो उसकी ख्वाहिश उसकी इच्छा को उसकी प्यास को बुझा सकता है,,,, और किसी भी औरत की प्यास को बुझाने और उसे संतुष्ट करने का हाथ में विश्वास उसे अपनी नानी से मिला था नानी की चुदाई करके वह पूरी तरह से मर्द बन चुका था और आत्मविश्वास से भर चुका था। और यह इस आत्मविश्वास का असर था जो आज वह एक अद्भुत कार्य करने जा रहा था और वह भी किसी गैर औरत के सामने।

अपनी कमर पर टावल लपेटने के बाद वह एक नजर अपनी दोनों टांगों के बीच डालकर अपनी स्थिति का मुआयना कर लेना चाहता था और वाकई में ही समय उसका तंबू काफी आकर्षक लग रहा था उसे पूरा विश्वास था कि सुषमा आंटी अगर इसे देखेगी तो जरूर मस्त हो जाएगी मदहोश हो जाएगी। लगातार दरवाजे के बाहर से आवाज आ रही थी दरवाजे पर दस्तक हो रही थी और वैसे भी दोपहर का समय था इस समय सब लोग अपनी-अपने घरों में आराम कर रहे थे और सबसे फायदे वाली बात यह थी कि इस समय उसकी मां भी घर पर नहीं थी इसलिए वह धीरे से दरवाजे के पास पहुंचा और दरवाजे की कड़ी को खोलकर दरवाजे के दोनों पट को धीरे से खोल दिया सामने सुषमा आंटी थी जिसे देखकर वह मुस्कुराते हुए बोला,,,।)

क्या हुआ आंटी कुछ काम था क्या,,,? मैं नहा रहा था इसलिए दरवाजा खोलने में देर हो गई और वैसे भी मम्मी घर पर नहीं है,,,(अंकित एक ही सांस में उस सारे सवाल भी पूछ ले रहा था और यह भी बता दे रहा था कि घर पर इस समय उसकी मां नहीं है घर पर वह अकेला ही है अगर वाकई में सुषमा आंटी के मन में भी दूसरे औरतों वाली बात होगी तो जरूर इस मौके का फायदा उठाएगी,,, सुषमा आंटी उसकी बात तो सुन रही थी लेकिन वह दरवाजे पर अंकित को खड़ा देखकर न जाने किस एहसास में डूबने लगी थी,,, सुषमा को इस बात का अच्छी तरह से एहसास था की उसकी आंखों के सामने एकदम जवान लड़का खड़ा है जिसे देखकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी वह अच्छी तरह से देख रही थी कि दरवाजे पर खड़ा अंकित नहा कर बाथरूम से पर अभी-अभी बाहर आया था और उसके कमर पर टावल लपटी हुई थी लेकिन अभी तक सुषमा का ध्यान उसके तंबू पर बिल्कुल भी नहीं किया था वह इसकी चौड़ी छाती को देख रही थी पल भर के लिए सुषमा को लग रहा था कि इसकी चौड़ी छाती में एकदम से समा जाए क्योंकि दरवाजे पर खड़ा अंकित उसे पूरा मर्द लग रहा था मोहल्ले में दौड़ता हुआ वह छोटा लड़का अब पूरी तरह से जवान हो चुका था इस बात का एहसास सुषमा आंटी को हो रहा था। कुछ देर तक सुषमा आंटी एकदम खामोश रही उसकी ख़ामोशी देखकर अंकित को इस बात का एहसास हो रहा था कि उसके जवानी का जादू उसकी मर्दानगी का असर सुमन आंटी पर थोड़ा-थोड़ा हो रहा है इसलिए वह फिर से अपनी बात को दोहराते हुए बोला,,,)
क्या हुआ आंटी कुछ काम था क्या,,,?
हां मुझे तेरी मम्मी से काम था लेकिन वह तो है ही नहीं,,,।
तो क्या हुआ आंटी मैं तो हूं ना मुझसे कहिए क्या काम है,,,,।
वह क्या है ना थोड़ा चीनी चाहिए था,,, शाम को बाजार जाऊंगी तो ले आऊंगी अभी है नहीं,,,,,(उसका इतना कहना था कि उसके हाथ से कटोरी गिर गई और वह कटोरी लेने के लिए नीचे जो की लेकिन कटोरी उठते समय उसकी नजर अंकित के टावल पर गई तो उसमे बना हुआ तंबू देखकर उसके एकदम से होश उड़ गए,,, सुषमा को समझते देर नहीं लगी की अंकित की दोनों टांगों के बीच का हथियार कैसा है वह कुछ क्षण तक टॉवल की तरफ अच्छी और फिर सहज बनने का नाटक करते हुए धीरे से उठकर बोली,,,) क्या तु मुझको चीनी देगा,,,।
(अंकित का पूरा ध्यान सुषमा आंटी पर ही था सुषमा की नजरों को अच्छी तरह से देख लिया था वह समझ गया थाकी आंटी उसके तंबू की तरफ देख चुकी हैं और जरूर उनके मन में कुछ चल रहा होगा इस बात की खुशी अंकित के चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी लेकिन वह जताना नहीं चाहता था पानी की बूंदे अभी भी इसकी चौड़ी छाती पर फिसल रही थी जिसे देखकर इस समय ऐसे हालात में जबकि सुषमा की नजरे उसके तंबू पर जा चुकी थी अब उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल होना शुरू हो गया था,,,, अंकित सुषमा आंटी की बात सुनकर बोला।)
क्यों नहीं आंटी यह तो मेरा फर्ज है और वैसे भी चीनी क्या आप यहां से चाय पी कर जाइए,,, मैं अभी बना देताहूं,,,(अंकित चाय के बहाने सुषमा आंटी को अपने घर पर रोकना चाहता था क्योंकि अभी उसकी मां के आने में बहुत समय था अपनी नानी की जी भर कर चुदाई कर लेने के बाद उसकी हिम्मत खुलने लगी थी और यह उसी का नतीजा था जो आज वह सुमन की मां से इस तरह से बातें कर रहा था वरना वह कभी हां और ना से ज्यादा जवाब ही नहीं देता था,,,, अंकित की बात सुनकर सुषमा बोली,,,)
अरे नहीं नहीं अंकित बेटा रहने दे मैं यहां चाय पीने के लिए नहीं आई हूं बल्कि चीनी लेने के लिए आई हूं,,,, और हां तुझे अगर चाय पीना है तो मेरे घर चल मैं तुझे चाय पिलाती हूं,,,,(बात करते हुए अपनी नजरों को हल्के से नीचे करते हुए वह अंकित के टॉवल की तरफ देख रही थी उसमें बने हुए तंबू को देख रही थी और अपने मन में सोच रही थी बाप रे कितना बड़ा लंड है ईसका पूरा हथियार है,,,, सुषमा की बात सुनकर अंकित बोला,,,)
फिर कभी आंटी थोड़ी देर बाद मुझे बाजार जाना है,,,, आप अंदर तो लिए कब से दरवाजे पर खड़ी है,,,,।
(अंकित की बात सुनकर धीरे से सुषमा आंटी घर में आ गई,,, और अंकित आगे बढ़कर दरवाजे के दोनों पल्लो को बंद कर दिया हालांकि उसने दरवाजे पर कड़ी नहीं लगाई,,,, पल भर के लिए सुषमा आंटी के बदन में सनसनी से दौड़ने लगी जब आगे बढ़कर अंकित दरवाजे को बंद कर रहा था तब सुषमा आंटी को ऐसा ही एहसास हो रहा था कि मानो जैसे अंकित उसके साथ कुछ करना चाहता हो इसलिए दरवाजा बंद कर रहा है,,,, दरवाजा बंद करने के बाद अंकित बोला,,)
Nupoor or ankit

आप रुकिए में चीनी लेकर आता हूं,,,(वह ऐसे ही जा रहा था कि सुषमा बोल पड़ी)
अरे ले कटोरी तो लेता जा,,,,।
ओहहह,,,लाईए,,,(ऐसा कहते हुए वापस सुषमा आंटी की तरफ मोडा और अपना हाथ आगे बढ़कर कटोरी लेने लगा सुषमा आंटी भी अपना हाथ आगे बढ़कर कटोरी को अंकित की तरफ बढ़ा दी और अंकित उसके हाथों में से कटोरी लेने का कटोरी लेते समय उसकी उंगलियां सुषमा आंटी की उंगलियों से स्पर्श करने लगी और यह स्पर्श सुषमा आंटी को अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार तक महसूस होने लगी सुषमा आंटी को ऐसा महसूस होने लगा कि जैसे उसकी बुर फुल पिचक कर रही हो,,,, और अंकित कटोरी लेकर रसोई घर की तरफ चल दिया जाते समय उसके पीठ सुषमा की आंखों के सामने एकदम चौड़ी पीठ कमर की तरफ एकदम आकर्षक कमर के नीचे का उसके उभरे हुए नितंब टॉवल में भी सुडौल लग रहे थे,,, जहां एक तरफ मर्द औरतों की गांड देखकर आकर्षित होते हैं वहीं सुषमा आंटी आज अंकित के कसरती बदन के साथ-साथ उसके नितंबों को देखकर भी आकर्षित हो रही थी,,, अंकित रसोई घर में जा चुका था और सुषमा आंटी अंकित के बारे में बहुत सारी बातें सोच रही थी वह अपने मन में सोच रही थी कि अंकित पूरी तरह से जवान मर्द हो चुका है और अपने बदन को आकर्षक बनाने के लिए कितना मेहनत किया है कितना कसरत किया है तभी तो उसे देखते ही उसे न जाने क्या होने लगा था ऐसा उसके साथ पहली बार हो रहा था रह रहकर उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी।
Ankit ki kalpna nupoor k sath

सुषमा अंकित के लंड के बारे में सोच रही थी अपने मन में सोच रही थी कि जब उसका तंबू इतना शानदार है तो बिना कपड़ों के उसका लंड तो औरतों के होश उड़ा देगा,,, काश उसके लंड को देख पाती तो कितना मजा आता,,, सुगंधा कितनी किस्मत वाली है कि उसका बेटा इतना दमदार है। वह तो दिन रात अपने बेटे को देखती होगी उसे बिना कपड़ों के भी देख चुकी है जाने अनजाने में नजर तो पड़ ही जाती होगी,,,, पल भर में सुगंधा के बारे में और बहुत सारी बातें सोचने लगी सुषमा के मन में बहुत सी बातें चल रही थी पल भर में ही सुगंध के जीवन के बारे में सोचने लगी और वह अपने मन में सोचने लगी की सुषमा को तो अपने बेटे के साथ ही शारीरिक संबंध बनाकर संतुष्ट हो जाना चाहिए,,, घर के चार दिवारी के अंदर क्या हो रहा है दूसरों को क्या पता,,,, लेकिन सुगंधा वाकई में एक संस्कारी और मर्यादा वाली औरतें इतने बरस हो गए पति के गुजरे लेकिन वह इतने दिनों में कभी भी कोई ऐसा काम नहीं की जिससे उसकी बदनामी हो वरना एक खूबसूरत और जवान औरत और वह भी जवानी से भरी हुई औरत के पैर फिसल जाते हैं लेकिन सुगंधा के बारे में आज तक ऐसी कोई भी बातें सुनने को नहीं मिली,,, अगर मुझे अंकित के साथ एक ही घर में रहना हो तो शायद एक साथ भी गुजारना मुश्किल हो जाए और ना चाहते हुए कि मुझे अंकित के साथ शारीरिक संबंध बनाना ही पड़ जाए,,,।
क्या अंकित के मर्दाना बदन और उसके अंग का ही कमाल था जो सुषमा उसके बारे में इतना कुछ सोचने लगी थी,,, सुष्मा अपने मन में यह सब बातें सोच रही थी और रसोई घर के अंदर अंकित अपनी ही जुगाड़ में लगा हुआ था अंकित या तो जान चुका था कि सुषमा आंटी उसकी टांगों के पीछे देख रही थी जरूर उनके मन में कुछ ना कुछ चल रहा था और इस समय वह पूरी तरह से सुषमा को अपने लैंड के दर्शन करना चाहता था जिसके चलते वह अपनी टॉवल को कमर पर इतनी देरी बांध लिया था कि 5 6 कदम चलने के बाद ही वह अपने आप ही कमर से छूटकर नीचे गिर जाती और फिर हाथ में चीनी की कटोरी लेकर वह रसोई घर से बाहर आ गया वह जानता था कि उसका टावल उसका ज्यादा देर तक साथ देने वाली नहीं है,,, उसकी उत्तेजना कम भी नहीं हो रही थी उसका तंबु ज्यों का त्यों खड़ा था,,, रसोई घर से बाहर आते हुए अंकित को देखकर सुषमा आंटी मुस्कुराने लगी लेकिन अभी भी उसकी नजर उसके दोनों टांगों के बीच ही थी जो की बेहद आकर्षक और मदहोश कर देने वाला लग रहा था देखते ही देखते अंकित सुषमा आंटी के करीब आ गया। ठीक उसके सामने आकर खड़ा हो गया और हाथ में चीनी की कटोरी लेकर वह अपने हाथ को आगे बढ़ाते हुए बोला।
लीजिए आंटी मैं पूरी कटोरी भरकर लाया हूं,,,( उसका इतना कहना था की वाकई में उसका टॉवल उसकी कमर से छूटकर उसके कदमों में जा गिरा और उसका टनटनाया हुआ लंड एकदम से सुषमा आंटी के सामने लहराता हुआ आ गया जिसे देखकर सुषमा आंटी के सांसे एकदम से रुक गई,,, और आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया,,,, सुषमा अपना हाथ भी आगे नहीं बढ़ा पाई थी कि उसकी आंखों के सामने एक अद्भुत मंजर दिखाई देने लगा था जिसे देखकर उसकी सिटी पिट्टी गुम हो चुकी थी उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल बढ़ने लगी थी और अंकित तो यही चाहता ही था इसलिए वह पूरी तरह से सहज था वह जी भरकर सुमन की मां को अपने लंड के दर्शन करा देना चाहता था,,,, क्योंकि वह लंड के दर्शन करने की महिमा को अच्छी तरह से जानता था जिसके चलते उसकी नानी उसके साथ संभोग करने के लिए आतुर हो चुकी थी,और इस समय वह यही चाहता था,,, अंकित का आत्मविश्वास पूरी तरह से कायम था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि जब उसकी नानी उसके साथ संभोग करने के लिए तैयार हो सकती है तो सुमन तो अभी भी उसकी मां की उम्र की है इसमें भी तो जवान कूट-कूट कर भरी हुई है जिसके दर्शन वह खुद अनजाने में कर लिया था,,,,।
अंकित दोनों हाथ में कटोरी को पकड़े हुए था और वह पूरी तरह से नंगा था उसके बदन पर टावल भी नहीं था टावल के गिरने के साथ ही उसका मर्दाना अंग पूरी तरह से प्रदर्शित हो रहा था जिसे देखकर सुषमा आंटी पूरी तरह से पानी पानी हुए जा रही थी उनकी नज़रें अंकित के लंड से एक पल के लिए भी नहीं है रही थी शायद इस तरह का वह अपने जीवन में पहली बार देख रही थी और वाकई में यह सच भी था क्योंकि वह अपने मन में यही सोच रही थी कि इस तरह का लंड तो वह गंदी फिल्म मेंदेखी थी। और कभी सोची भी नहीं थी कि उसे इस तरह का लंड देखने को मिलेगा लेकिन आज उसकी मुराद पूरी हो रही थी,,, उसकी आंखों के सामने टनटनाया हुआ लंड था जो किसी भी बुर में जाकर बुर का भोसड़ा बनाने के लिए सक्षम था। सुषमा की हालात पूरी तरह से खराब हो चुकी थी वह पागलों की तरह अंकित के लंड को देखे जा रही थी मानो कि जैसे देखकर ही उसे अपने अंदर ले लेगी,,, अंकित पूरी तरह से उसे दिखा देना चाहता था इसलिए अभी कुछ बोल नहीं रहा था लेकिन जब उसे एहसास हो गया कि आप समय को ज्यादा हाय दइया हो गया है सुषमा आंटी जी भर कर उसके लंड के दर्शन कर चुकी है इसलिए वह एकदम से बोला,,,)
Ankit ka mardaana ang dekhkar suman ki ma mast ho gayi

बाप रे यह क्या हो गया यह टावल भी ना,,,,, जल्दी पकड़िए कटोरी आंटी,,,, मुझे शर्म आ रही है जल्दी करिए,,,,।
हाय दइया कैसी बातें कर रहा है सर में तो मुझे आनी चाहिए जो आंखों के सामने यह सब देख रही हूं,,,सहहहहहह,,,, कितना बड़ा है रे तेरा कितना मोटा और लंबा बाप रे तेरा हथियार तो गजब का है,,,,,(बिना कटोरी को अपने हाथ में पकड़े हुए ही सुषमा आंटी इस तरह की बातें बोल रही थी और यह सब सुनकर अंकीत मन ही मन प्रसन्न हो रहा था। लेकिन फिर भी जानबूझकर नाटक करते हुए बोला।)
यह कैसी बातें कर रही हो आंटी जल्दी से कटोरी पकड़ो समझो मेरी हालत को मैं पूरी तरह से नंगा हुं और मुझे शर्म आ रही है,,,,,,।
(अंकित की हालत को देखकर सुषमा के अंदर की औरत पूरी तरह से जाग गई थी वह एक कदम आगे बढ़कर अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाई और अपना हाथ आगे बढ़कर तुरंत अंकित के लंड को अपने हाथ में पकड़ ली उसकी गर्माहट को अपनी हथेली में महसूस करते ही उसे अच्छी तरह से एहसास हुआ कि उसकी बुर से मदन रस की बुंद टपकने लगी थी,,,, सुषमा की सांस एकदम से गहरी चलने लगी थी पहली बार जीवन में वह इतने मोटे तगड़े लंड अपने हाथ में पड़ रही थी उसकी गर्माहट पूरी तरह से उसे पानी पानी कर रही थी,,, अपनी नानी से प्राप्त अनुभव को यहां पर थोड़ा दिखाना चाहता था इसलिए तुरंत अपने हाथ में लिए हुए कटोरी को पास में ही पड़ी कुर्सी पर रख दिया वह सुमन की मां की हरकत को देखकर इतना तो समझ ही गया था कि सुषमा आंटी भी राहुल की मां नुपुर और उसकी नानी से बिल्कुल कम नहीं थी इसलिए वह यहां पर थोड़ा अनुभव दिखा देना चाहता था,,,,,,, बस तुरंत अपना एक हाथ सुमन की मां की कमर में डालकर उसे अपनी तरफ खींच लिया और तुरंत उसके लाल लाल होठों पर अपने होंठ रख दिया,,, यह सब इतनी जल्दबाजी में हुआ था कि सुमन की मां को भी इसका बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था लेकिन वह अंकित की हरकत से पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हो गई थी।
Suman ki ma or Ankit kuch is tarah se

उसे अच्छी तरह से समझ में आ गया था कि मोहल्ले में घूमने वाला वह छोटा सा लड़का अब पूरी तरह से जवान हो चुका था सुषमा आंटी अपने आप को बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही थी वह इस तूफान में पूरी तरह से बहाने को तैयार हो चुकी थी वह पागल हुए जा रही थी अभी भी उनके हाथ में अंकित का मोटा तगड़ा लंड था जिसकी गर्माहट उसे धीरे-धीरे पिघला रही थी। अंकित पागलों की तरह सुमन की मां की लाल लाल होठों का चुंबन का रस पीते हुए उसकी कमर में हाथ हटा लिए हुए उसे एकदम से दीवार से सटा दिया अंकित की हरकत से सुषमा आंटी की बोलती बंद हो चुकी थी वह पागल हुए जा रही थी,,, जिंदगी में पहली बार किसी जवान लड़की के साथ वह पूरी तरह से मस्ती करने के मूड में थी,,, अंकित इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था,,, अपनी नानी की बुर की गर्मी आई है उसे अच्छी तरह से महसूस होती थी जब भी वह अपनी नानी को याद करता था तब तक उसका लंड बुर में जाने के लिए खड़ा पड़ता था और ऐसा लग रहा था कि आज वह अपनी नानी की कमी को पूरा कर लेगा,,,,,।
सुमन की मां को दीवार से सटाकर वह उसके होठों का रसपान करते हुए अपने दोनों हाथों से उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ उठने लगा सुषमा को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें पल भर के लिए उसे घबराहट होने लगी थी कि वह क्या कर रही है वह अंकित को रोकना चाहती थी लेकिन वह कुछ बोल पाती से पहले ही अंकित उसकी साली को कमर तक उठा दिया था और उसकी नसीब इतनी तेज थी कि उसने आज साड़ी के अंदर पेटी भी नहीं पहनी थी इसलिए वह तुरंत अपनी हथेली को उसकी नंगी बुर पर रख दिया जो पूरी तरह से झांटों के झुरमुट के घेरे में थी,,, जिस तरह से अंकित अपनी हथेली को उसकी बुर की रगड़ रहा था उसे देखकर एक बार फिर से सुषमा की बोलती बंद हो चुकी थी वह उसे रोकना चाहती थी लेकिन रोक नहीं पाई थी उसके होठों से शब्द नहीं फूट रहे थे,,,, अंकित पागलों की तरह उसकी बुर को रगड़ रहा था अपनी हथेली से गर्म कर रहा था और अभी भी सुषमा अंकित के लंड को पकड़कर उसे जोर-जोर से दबा रही थी,,,, जिंदगी में पहली बार इतना मोटा तरो ताजा लंड देखकर वह भी अपना आपा खो चुकी थी,,,, अंकित को अपनी हथेली में सुषमा आंटी की बुर से निकला हुआ मदन रस एकदम साफ महसूस हो रहा था वह पूरी तरह से अकेली होती चली जा रही थी,,,,, आगे बढ़ने से पहले फिर भी वह सुषमा आंटी से एक बार पूछ लेना चाहता था अपने मन को तसल्ली दिला देना चाहता था कि वाकई महसूस मानती क्या चाहती है इसलिए वह अपने होठों को एकदम से सुषमा आंटी के होठों से अलग करता हुआ गहरी सांस लेता हुआ सुषमा आंटी के चेहरे को फिर से अपने दोनों हाथों में लेते हुए बोला लेकिन इस दौरान दोनों हाथों को ऊपर उठने से एक बार फिर से सुषमा की साड़ी वापस अपनी स्थिति में आ चुकी थी और उसके कदम में जा गिरी थी खूबसूरत है तेरे से पर पर्दा पड़ चुका था लेकिन अभी भी उसके हाथ में उसका लंड था,,,, अंकित उत्तेजित स्वर में बोला,,,,)
Suman ki ma or Ankit

तुम तो मुझे पागल कर दी आंटी बोलो अब क्या करूं,,,,,।
(अंकित का सवाल सुनकर सुषमा आंटी कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,, वह नजर भर कर अंकित की तरफ देख रही थी अंकित के मासूम चेहरे की तरफ देख रही थी उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि मासूम चेहरा पूरी तरह से जवान हो चुका था वह कुछ बोल नहीं पाई अपने मन की बात अपने होठों पर लाने में उसे शर्म महसूस हो रही थी वह दरवाजे की तरफ देखते हुए सिर्फ इतना ही बोली।)
दरवाजे की कड़ी नहीं लगी है,,,।
(बस सुषमा का इतना कहना उसकी तरफ से पूरी तरह से इजाजत दे रहा था उसकी तरफ से निमंत्रण दे रहा था जिसे सुनकर अंकित एकदम खुश हो गया और तुरंत दरवाजे की तरफ आगे बढ़कर और दरवाजे की कड़ी लगा दिया वह भी मदहोशी में भूल चुका था कि दरवाजा का पल्ला सिर्फ बंद है उसे पर कड़ी नहीं लगी है ऐसे में उसकी मां आ सकती थी कोई भी आ सकता था वह दरवाजे पर कड़ी लग रहा था और सुषमा उसके गोल-गोल नितंबों की तरफ देख रही थी वाकई में वह अंकित के नितंबों को देखकर आकर्षित हो चुकी थी फुर्ती दिखाता हुआ अंकित दरवाजे पर खड़ी लगा चुका था और वापस अपनी जगह पर आ चुका था लेकिन इस बार वह तुरंत सुषमा आंटी को दीवार की तरफ घुमा दिया था औरउनकी पीठ को अपनी तरफ कर दिया था और पीछे से उसे अपनी बाहों में भरकर ब्लाउज के ऊपर से ही दोनों चुचियों का दबाना शुरू कर दिया था इतना तो अंकित को मालूम नहीं था कि उसके पास समय अब ज्यादा नहीं था इसलिए वह जल्दबाजी दिखाता हुआ सुषमा आंटी के ब्लाउज के निचले हिस्से के दो बटन को खोल दिया और दोनों हाथों से चुचियों को बाहर निकाल दिया,,,, सुषमा की दोनों चूचियां भी पपाया की तरह थी,,,, जिसे हम की जोर-जोर से दबा रहा था और इस तरह के स्तन मर्दन में सुषमा को भी बहुत मजा आ रहा था,,, इसदौरान वह लगातार साड़ी के ऊपर से ही सुषमा के पिछवाड़े पर अपना लंड रगड़ रहा था जिससे सुषमा की हालत और ज्यादा खराब हो रही थी वह भी जल्दी से जल्दी अंकित के लंड को अपनी बुर में ले लेना चाहती थी।
समय के अभाव को देखते हुए अंकित भी ज्यादा देर नहीं करना चाहता था वह भी जल्द से जल्द इस खेल को खत्म कर देना चाहता था आज उसके जीवन में सुषमा उसके नीचे आने वाली दूसरी औरत थी और इस पल को वह गंवाना नहीं चाहता था और वह देखते ही देखते एक बार फिर से अपने दोनों हाथों से चश्मा की साड़ी पड़कर कमर तक उठा दिया और उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी तरफ खींच कर उसकी गांड को अपने हिसाब से अपनी स्थिति में लाने लगा,,, सुषमा के मुंह से एक भी शब्द नहीं फूट रहे थे वह इस समय अंकित के हाथों की कठपुतली बन चुकी थी उसका मोटा तगड़ा लंड उसे पूरी तरह से मजबूर कर चुका था उसके सामने घोड़ी बनने के लिए,,, और फिर अंकित अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ कर धीरे से उसे सुषमा की गांड की दोनों आंखों के बीच से अंदर की तरफ ले जाने लगा उसे सुषमा का गुलाबी छेद बराबर दिख नहीं रहा था इसलिए वह अपने हाथों से ही सुषमा की दोनों टांगों को पकड़ कर फैला दिया और अब उसे सुषमा के झांटों की झुरमुट में उसका गुलाबी छेद नजर आने लगा और वह धीरे से अपने लंड पर थूक लगाकर अपने सुपाड़े को उस छेद में प्रवेश कराने लगा।
Sushma aunty ki chudai

सुषमा को अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि वाकई में अंकित का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा है क्योंकि उसकी बुर में घुसने में थोड़ी सी मस्सकत पैस आ रही थी,,, लेकिन अंकित की नानी का अनुभव उसे आगे बढ़ने में मदद कर रहा था,,, सुषमा की हालत खराब हो रही थी और अंकित धीरे-धीरे अपने लंड की सुपाड़े को उसकी बुर की गहराई में उतर रहा था और देखते ही देखते धीरे-धीरे करके अंकित का लंड उसकी बुर में प्रवेश कर गया और फिर वह दोनों हाथों से सुषमा की कमर पकड़ कर ज्यादा जोर लगाकर बाकी काफी लंड उसकी बुर में डाल दिया और फिर दोनों कमर पकड़ कर उसे चोदना शुरू कर दिया अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया। सुषमा पागल हो जा रही थी मदहोश हो जा रही थी क्योंकि यह सुख उसे महीनों बाद महसूस हो रहा था महीनो बाद तो वह चुदवा रही थी बाकी अद्भुत एहसास उसे जीवन में पहली बार महसूस हो रहा था वह पूरी तरह से मत हो रही थी और अंकित जोर-जोर से धक्के लगा रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था।
वह कभी सोचा भी नहीं था कि सुषमा आंटी को इस तरह से छोड़ने का सुख प्राप्त होगा और ना तो सुषमा कभी सोची थी कि चीनी मांगने पर उसे इतना मोटा तगड़ा लंड मिल जाएगा वह भी इस चुदाई से पूरी तरह से मत हो रही थी अंकित बार-बार उसकी कमर पकड़ ले रहा था तो कभी उसकी चूची को दबा दे रहा था वह पूरी तरह से सुषमा को मदहोश कर रहा था उसे मस्त कर रहा था,,,, और फिर देखते ही देखते सुषमा की सांसे उखड़ने लगी क्योंकि वह अपने चरम सुख के करीब पहुंच रही थी और यही हाल अंकित का भी हो चुका था वह जोर-जोर से धक्के लग रहा था और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ने लगे,,,, दोनों का काम बन चुका था सुषमा पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी उसका लाल-लाल चेहरा साफ बता रहा था कि वह पूरी तरह से संतुष्टि का एहसास लेकर यहां से जाने वाली थी वह धीरे से अपने कपड़ों को व्यवस्थित की वासना का तूफान उतर जाने पर अंकित से नजर मिलाने मुझे सब महसूस हो रही थी इसलिए वह बिना कुछ बोले कुर्सी पर से चीनी की कटोरी हाथ मिला और अपने हाथ से ही दरवाजे की कड़ी खोलकर कमरे से बाहर चली गई अंकित उसे जाता हुआ देख रहा था और फिर वापस दरवाजा बंद करके मुस्कुराता हुआ बाथरुम में चला गया और नहाने लगा।
अंकित बहुत खुश था लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह सुषमा आंटी के साथ इतनी हिम्मत दिखा कर पहली बार में ही उससे चुदाई का सुख प्राप्त कर लिया था लेकिन यही हिम्मत हुआ अपनी मां के साथ क्यों नहीं दिखा पता ऐसा क्या हो जाता है कि अपनी मां के सामने वह घबरा जाता है और आगे बढ़ने से डरने लगता है और सब कुछ समय पर छोड़ देता है जबकि अगर वह भी हिम्मत दिखा कर आगे बढ़ जाए तो ऐसा ही सुख उसे अपने घर में भी मिल सकता है,,, यही सब सोचता हुआ नहा कर बाहर निकल गया और कपड़े पहन कर तैयार हो गया तब तक उसकी मां भी आ चुकी थी और दोनों तैयार होकर मार्केट के लिए निकल गए थे।