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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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कुछ मेडिकल इमर्जेंसी की वजह से इन दिनों व्यस्त हूं दोस्तो और परेशान भी 🥲
समय मिलने पर अपडेट दिया जायेगा और सभी को सूचित किया जाएगा ।
तब तक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं
🙏

 
Last edited:

Raj Kumar Kannada

Good News
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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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💥 अध्याय: 02 💥

UPDATE 11



गाड़ी तेजी से हाइवे से अपने डेस्टिनेशन के लिए आगे बढ़ रही थी और मंजू काफी खुश नजर आ रही थी।
मुरारी को उसका खिलखिलाता चेहरा भा रहा था और वो उसे हसाने से बाज नहीं आ रहा था । उसने नोटिस किया ममता को लेकर मंजू के दिल में काफी उत्सुकता है और जब भी वो मंजू से अपने और ममता के बारे में बात छेड़ता वो बड़े गौर से सुनती थी ।

मुरारी धीरे उसके कान के पास जाकर : अरे अमन की शादी के बाद तो वो भी बड़ी जिद करने लगी थी कि उसे भी हनीमून जाना है
मंजू मुरारी की बातें सुनकर आंखे बड़ी कर ली , कि ये क्या बाते छेड़ रहा है मुरारी । वो सन्न थी मगर उसके चेहरे पर एक छिपी मुस्कुराहट थी जो उसके भीतर की उत्सुकता को झलका रही थी , और वो चकित भी थी कि ममता के बारे में कल्पनाएं गढ़ कर की कैसी कामुक औरत होगी वो जो बेटे की शादी पर खुद हनीमून जाने के ख्वाब देखे ।
मंजू मुस्कुरा कर : धत्त क्या सच में ?
मुरारी : हा सच में , अमन की कसम
मंजू की बेचैनी तो अब और बढ़ गई कि आगे क्या हुआ होगा मगर फिर भी वो झिझक रही थी ।
मंजू खुद को हल्का रखती हुई खिड़की से बाहर देखने लगी और फिर थोड़ा चुप होकर बोली: ठीक तो है फिर घुमा लाना चाहिए था न
मुरारी : फिर तुम्हे कैसे खोजता
मंजू मुस्कुरा कर : अच्छा जी , लेकिन मेरे चक्कर में दीदी अकेली परेशान हो रही होगी न
मुरारी आंखे सिकोड़ कर : उसे भला क्या तकलीफ वहां
मंजू मुरारी के इस बात पर मुंह फेर कर हसने लगी और मुरारी जल्द ही उसकी दोहरी बात समझ गया और मुस्कुराने लगा ।
मुरारी : वैसे बात तो तुम्हारी ठीक ही है , अमन की मां को कहा कोई दोस्त मिल पायेगा वहां
मंजू आंखे बड़ी कर उसकी ओर देखी और मुरारी ने आंखे मार दी उसे ।
मंजू लजा कर : धत्त , चुप रहिए अब आप
मुरारी अंगड़ाई लेता हुआ : सोच रहा हूं जरा हाल खबर ले ही लू उसकी
और मुरारी ने जेब से मोबाइल निकाल कर ममता को फोन घुमा दिया ।
जब तक रिंग जा रही थी वो अपने बैग से एक वायर वाला इयरफोन निकालने लगा जो सफर में कभी कभार वो यूज करता था गाना सुनने के लिए
मंजू उसे देख रही थी और मुस्कुरा कर खिड़की से बाहर देखने लगी
कुछ ही देर में फोन पिक हुआ

मुरारी : कैसी हो भाग्यवान
.......
मुरारी मंजू को देख कर मुस्कुराया : बस पल पल आ रहे है तुम्हारे पास
मुरारी की बात सुनकर मंजू मुस्कुराती रही
मुरारी : हा वो भी ठीक है , नहीं वो तो सो रही है , थक गई है बेचारी
मंजू समझ रही थी मुरारी उसके बारे में ही झूठ बोल रहा था और वो हैरान होकर उसे देख रही थी तो मुरारी ने आंख मारी और मुस्कुराने लगा ।
मुरारी : अह्ह्ह्ह सच कहूं तो तुम बिन ये राहें खत्म ही नहीं हो रही है
मंजू मुस्कुरा कर उसे देख रही थी और मुरारी ने इयरफोन का दूसरा कान वाला बड्स उसकी ओर दिया तो मंजू मुस्कुरा कर ना में सर हिलाने लगी
मुरारी ने आंखे से ही उसको इशारे कर कान में लगाने को कहा, ना जाने कैसा सामंजस्य था कि मंजू चाह कर भी बोल नहीं पा रही थी और न मुरारी के प्रस्ताव को ठुकरा पा रही थी ।
और उसने कान में बड्स लगा कर मुरारी के पास आ गई ।
दोनों एकदूसरे से सर सटाए हुए थे और मुरारी बाते किए जा रहा था, आगे ड्राइवर अपनी धुन में मस्त था ।
मुरारी इयरफोन के माइक वाले हिस्से को मुंह के पास रखता हुआ धीरे से बोला : जानू याद नहीं आ रही क्या ?
ममता एकदम से सिहर उठी : उम्ममम क्या बताऊं, किस कदर आपकी याद आ रही है । वो कमरे के ढोलक वाला तकिया है न
मुरारी : हम्ममम
ममता : उसको कस कर सोई हु
मंजू को अब शर्म आ रही थी और उसने सोचा कि वो कान से निकाल दे लेकिन मुरारी ने उसकी कलाई पकड़ कर उसे रोक दिया
मुरारी : बस आज रात और , फिर तो मै आ जाऊंगा न
ममता : हा तो फिर भी मै तो इसी को पकड़ कर सोऊंगी
मंजू को हंसी आई मुरारी की किरकिरी पर और वो मुंह पर हाथ रख कर खुद को कंट्रोल करने लगी और मुरारी उसको हंसता देख मुस्कुराता हुआ : अच्छा , तो आजकल वही तुम्हारा दोस्त है उम्मम
मंजू ने एकदम से मुरारी को देखा और वो समझ रही थी कि वो जानबूझ कर उसे छेड़ रहा है ।
ममता इठला कर : और क्या ? कल रात से यही मेरा दोस्त है और आगे भी यही रहेगा अब समझे
मुरारी : ओहो, ऐसा क्या किया इसने जो बड़ा करीबी हो गया
ममता : ये मुझसे कभी अलग होकर नहीं सोता , आपके जैसे नहीं कि काम निपटा लो और फिर दूर सो जाओ । ये तो सब कुछ करके भी मेरे पास होता है
ममता की बातें सुनकर मंजू के कान खड़े हो गए और वो आंखे बड़ी कर खुद की हसी रोकती हुई मुरारी को देख रहे थी और मुरारी मुंह पर उंगली रख कर उसको चुप रहने का इशारा किया और बोला : अच्छा फिर तो ये तुम्हे तुम्हारी मनमर्जी भी करने देता होगा
ममता : हा और क्या , जैसे मै चाहूं वैसे , जब चाहूं तो इसको अपने नीचे कर लूं और आप हो कि
मुरारी समझ गया कि अब ममता बहक रही थी और मंजू ने कान से अपने बडस भी निकाल दी और बाहर हसने लगी
मुरारी का लंड भी पजामे में तंबू बनाने लगा था और उसकी नजर मंजू पर थी जो बाहर निहार रही थी मुस्कुराते हुए
मुरारी : ठीक है फिर तुम जरा खेलो उसके साथ लग रहा है मंजू उठ रही है
ममता भुनभुना कर : धत्त जाओ आप हा नहीं तो और इधर मुरारी ने फोन काट दिया ।
इधर गाड़ी एक जगह रुकी और ड्राइवर गुटखा लेने चला गया ।

वही मुरारी अपना लंड पजामे में सेट कर रहा था और मंजू कनआखियो से उसे ऐसे करते देख कर फिर से मुंह फेर ली
मुरारी हस कर : लो अब तो उसे भी दोस्त मिल गया हाहाहाहाहा
मंजू मुस्कुरा कर : हा लेकिन फिर भी उनकी दोस्ती फायदे में है
मुरारी मंजू की बात समझ कर मुस्कुराते हुए : हा भाई बात तो सही है, लेकिन मुझे भी अपनी दोस्ती पर पूरा यकीन है कि वहां मुझे निराशा नहीं मिलेगी
मंजू इस पर एकदम से झेप गई और गाड़ी से बाहर देख कर मुस्कुराने लगी ।
वही दूसरी ओर ममता अपने कमरे में बिस्तर के तड़प रही थी , हर बीतता पल उसको कामोत्तेजना के बहाव में बहा ले जा रहा था । मुरारी से बातें कर उसका चंचल मन खिल उठा और वो अपने जोबनो को मसलने लगी , अभी हफ्ते भर भी नहीं हुए थे कि उस आस पास उसके दीवाने मक्खियों के जैसे भिनभिना रहे थे और अब देखो वो खुद तरस रहे है , पहले उसका नंदोई भोला , कितना सताया बेचारे को और फिर अपने लाडले अमन को उसके लंड के सोचते ही ममता की चूत कुलबुलाने लगी और वो नाइटी के ऊपर से ही बुर रगड़ने लगी और उसके जहन में कभी कभी रागिनी की कही हुई बाते याद आती जब रंगी लाल ने रागिनी को ममता की दी हुई ब्रा पैंटी पहना कर पेला था , वो कहानी सोच कर ममता पागल होने लगी ।इस बात से बेखबर कि बाहर गया हुआ उसका देवर मदन घर में दाखिल हो गया था ।
हाथ में टिकिया-चाट की थैली लिए वो ममता के कमरे की ओर गया और जैसे ही उसने कमरे में झांका ठिठक कर रहा गया


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सामने ममता अपनी नाइटी कमर तक उठा कर तेजी से अपनी बुर के उंगली कर रही थी और आंखे बंद कर सिसक रही थी , उसकी एड़ी टांगे पूरी तरह से अकड़ रहे थे और एकदम से वो उठी और अपने बदन से नाइटी निकालते हुए घूम गई और जांघों के बीच वही ढोलक वाला लंबा मोटा तकिया रखते हुए अपनी बुर उस तकिए पर घिसने लगी
मदन का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था पजामे में उनकी आंखे फटी हुई बस ममता के बड़े भड़कीले चूतड़ों को उस मुलायम गोल तकिए पर आगे पीछे होते हुए देख रही थी


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ममता तेजी से सिसकियां लेती हुई अपनी बुर मसल रही थी और देखते ही देखते वो झड़ने लगी और मदन अपना लंड का सुपाड़े मिज कर पीछे हो गया हाल की तरफ । वही ममता हांफती हुई सो गई ।


प्रतापपुर


राजेश अपने कमरे में बेसुध सोया हुआ था , घड़ी में 3 बजने को हो रहे थे । पास में बैठी बबीता उसे जगा रही थी । सुनीता की दोहरी चुदाई से उसका बदन थक कर चूर था और नीद गहरी थी ।
बबीता के कोमल हाथ उसके दाढ़ी को छू कर उसे अपनी ओर टका रहे थे और हिला रहे थे । लेकिन रह रह कर उसकी नजर अपने पापा के अंडरवियर पर जा रही थी जिसमें उसका बड़ा सा लंड हल्की में नीद ने सोया था ,


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बड़े मोटे आड़ और मूसल जैसा मोटा लंड देख बबीता की आंखे वही जम सी गई , वो तो भूल ही गई थी कि वो अपने पापा को जगाने आई थी ।
एकदम से उसकी आंखे चौक कर खुली और वो उठ कर देखा तो उसकी लाडली टीशर्ट यार शॉट्स के उसके पास बैठी है , जिस तरह से बबीता अपनी टांगे खोल कर बिस्तर पर थी ,


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उसकी शॉर्ट्स कस कर उसके बुर के फांके में चिपक गई थी। पैंटी तो उसने तभी उतार दी थी वो अपने पापा का नाम लेकर झड़ रही थी ।

बबीता : पापा उठो न , देखो गीता मेरे साथ नहीं जा रही है घूमने
राजेश उसकी बाते सुनकर उसकी बुर से नजर हटाते हुए उसके शब्दों पर गौर करते हुए बोला : हा बेटा कहा घूमने जाओगी ?
बबीता: खेत में ट्यूबवेल पर , मीठी नहीं जा रही है
राजेश उसके ओर देखकर : क्यों ?
बबीता : पता नहीं ,
राजेश ने देखा बबीता का मूड कुछ उखड़ा सा है तो वो उसको पीठ पर हाथ रख दिया , उसके मुलायम बदन का स्पर्श और चूत के फांकों में फंसी चड्डी देख कर राजेश का लंड अकड़ने लगा और अंडरवियर के तंबू बनने लगा ।
तो राजेश खड़ा होकर अपना पेंट खोजता हुआ अपने खड़े लंड को अंडरवियर में सेट करने लगा


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और बबीता चुपके से ये सब नजरे चुराती हुई देख रही थीं , जैसे कोई प्यारा खिलौना , जिसे वो हाथों में लेकर दुलारे अपने गालों से लगाए ।

राजेश ने झट से पेंट चढ़ाया और बबीता की ओर देख कर बोला : चल देखता हुआ क्या हुआ है उसे
बबीता ने एकदम से उसको टोका: नहीं वो दादू को मम्मी ने बुलाया है वो आ रहे है
राजेश उलझन में पड़ गया : तो अब ?
बबीता : तो आप चलो मेरे साथ
राजेश चौक कर : क्या ? नहीं नहीं मुझे नहीं नहाना
बबीता बिस्तर पर खड़े होकर उसके पास आ गई और जिद करते हुए अपने बाहों का छल्ला बना कर उसको पकड़ लिया, वो अपने पैरो पर उछलते हुए बोली: नहीं चलो न ,पापा प्लीज , मजा आएगा
राजेश : तुझे ठंड नहीं लगती क्या , मौसम देख कैसा हो रहा है अब , तू भी शाम को नहाना बंद कर दे ठंडी लग जाएगी तुझे
बबीता : अच्छा बंद कर दूंगी , लेकिन आज चलो न आप पापा प्लीज
बबीता उसके आगे अपने एड़ियों पर उछल कर उससे जिद दिखाने लगी और राजेश की नजर उसकी टीशर्ट में उछल रही मौसमियों पर गई और वो खुद से ही मना नहीं कर पाया

राजेश : अच्छा ठीक है , रुक मै कपड़े ले लेता हूं
बबीता : ठीक है , हीहीही
बबीता खुश थी और दोनों निकल गए घर के पीछे से ट्यूबवेल की ओर ।

बबीता राजेश का हाथ पकड़ कर चल रही थी , उसने शॉर्ट के ऊपर से एक लोवर डाल लिया था और झोले में एक गमछा नुमा तौलिया और राजेश ने अपनी एक अंडरवियर रख ली थी ।

कुछ ही देर में दोनों ट्यूबवेल पर थे , राजेश ने अपना पेंट और शर्ट निकाल कर मोटर चालू किया , पहले तो वो थोड़ा नहाने में झिझक रहा था लेकिन गर्म पानी का अहसास होते ही उसका दिल भी ललचा गया ।
राजेश : आजा गुड़िया , पानी गर्म है
बबीता ने ट्यूबवेल से लगे कमरे से बोली : हा पापा रही हूं
राजेश ने लपक कर देखना चाहा कि उसे क्यों समय लग रहा है तो उसने देखा कि वहां कमरे में एक परदे के पीछे बबीता अपने कपड़े निकाल रही थी,


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परदे के पीछे लगे बल्ब की रोशनी से परदे पर उसकी परछाई उभर आई थी ।
राजेश ने देखा कि बबीता ने पहले अपना लोवर निकाला और फिर टीशर्ट निकाल कर ब्रा खोलने लगी और जैसे ही उसके नरम और कड़क संतरे जैसी चूचियां नंगी हुई उसकी परछाई उभर कर पर्दे पर दिखी और राजेश का लंड अकड़ गया , परछाई इतनी स्पष्ट थी कि किशमिश के दाने जैसी उसकी निप्पल की टिप भी नजर आ रही थी और फिर अगले ही पल बबीता ने टीशर्ट पहन लिया और राजेश लपक कर हाते में आ गया

बबीता राजेश को देख कर मुस्कुरा : मजा आ रहा है न हीही
राजेश : तू भी आजा बेटा
बबीता आई और हाते में उतरने लगी और जैसे जैसे उसके पैर भीगते उसके हाथों के रोंगटे खड़े होने लगे, टीशर्ट अभी भीगे नहीं थे लेकिन उसकी छातियों के निप्पल सिहर कर तन गए थे और राजेश इस ताख में था कि कब उसकी बेटी अपने स्तनों को पानी में डूबोएगी और जब उसके निप्पल विजिबल होंगे और अगले ही पल वो सरकती हुई घुटने के बल होकर हाते में बैठ गई और पानी उसके गले तक आ गया
राजेश उसको खुश और चहकता निहार रहा था , गुड़िया की कामुकता उसके मासूम चेहरे और हरकतों से बिलकुल नहीं झलकती थी वो बसी थी कही उसकी आंखों में गहरे ,
जैसे ही उसकी नजरें अपने पापा से टकराई वो असहज होने लगी जिस तरह से उसके पापा उसे घूर रहे थे और जिस तरह से उसके पापा का हाथ पानी में अन्दर था

बबीता ने झट से अंदर डुबकी मारी और बाहर आ गई हांफती हुई खड़ी होकर हाते के दिवाल पर बैठ गई और पैरों से छपकाइया मारने लगी हस्ती हुई
मगर राजेश मुस्कुरा कर उसके टीशर्ट को देख रहा था जो भीगने के बाद अब उसके कड़क छातियों से चिपक गई थी


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और निप्पक विजिबल हो गए थे ,
राजेश भी पानी में खड़ा हो गया और जैसे ही वो खड़ा हुआ उसके भीगा अंडर वियर भी विजिबल पूरी तरह से लंड का शेप तना हुआ और कड़क
बबीता ने आंखे फाड़ कर उसे देखा फिर नजरे फेर ली , उसकी सांसे तेज हो गई थी


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राजेश : क्या हुआ थक गई
बबीता मुस्कुरा कर ना में सर हिलाई , उसके जहन में उसके बाप की करतुते और उसका बड़ा मोटा लंड नाच रहा था और वो पल जब उसके पापा ने उसकी गीली बुर को छुआ था ।
बबीता अभी ख्यालों में घूम थी कि राजेश ने उसको बाहों में उठा कर पानी में बोर कर पानी में सुला दिया और खुद हाते की दिवाल पर बैठ कर हसने लगा
बबीता एकदम से पानी में नीचे गई और ऊपराई हांफते हुए खड़ी हुई उसके टीशर्ट चढ़ गए थे , पेट उघाड़ हो गया था , छोटी सी नाभि उसके गोरे चिकने पेट पर गजब की दिख रही थी और राजेश उसको देख कर हसने लगा तो बबीता पानी के चल कर उसके पास आई और पूरी ताकत लगा कर उसको पानी में खींचने लगी, हाथ पकड़ कर काम नहीं बना तो पैर पकड़ लिया और तभी उसकी उंगलियों ने राजेश के अंडरवियर को छुआ
एकदम से राजेश सतर्क हुआ : नहीं निकल जाएगा
यही राजेश हल्का हुआ और
बबीता दांत पिसती हुई उसकी जांघें पकड़ कर उसको पानी में खींचा तो राजेश ने उल्टे उसे ही पकड़ कर पानी में अपनी गोद में बिठा लिया: अब दिखा बहादुरी हाहाहाहाहा
बबीता ने छोटे चूतड़ राजेश की गोद में थे और उसका लंड बबीता की गाड़ के एक हिस्से में रोड के जैसे था
बबीता : अच्छा रुको मै आपको ऐसे भी डुबो दूंगी
बबीता उसको पीछे की ओर धकेलती हुई पानी में उसके सीने पर अपनी पीठ टिका कर नीचे धकेलने लगी और राजेश ने आस पास हाथ मारा , मगर फिसलन भरी हाते की दिवालो ने उसे सहारा नहीं दिया और बबीता ने उसको पानी में डुबोया
पानी में सर जाते ही राजेश की अफनाहट बढ़ी और उसने अब सहारे के लिए बबीता को पकड़ना चाहा और एक हाथ उसने बबीता के पेट पर रखे तो बबीता खिलखिलाती हुई उठने लगी , राजेश ने सहारे के लिए दूसरे हाथ से उसको पकड़ना चाहा और उसने जैसे ही हाथ आगे बढ़ाया उसके हाथ में बबीता की मौसमी जैसी चुची आई ,इतना नरम और गुदाज चर्बीदार अहसास पाते ही राजेश के हाथों में गुदगुदी हुई और पल में ही बबीता पानी ने उठ खड़ी हुई हस्ती हुई , उसे भी अहसास था कि अभी अभी उसके पापा ने उसके नाजुक चुची को दबोच लिया था मगर उसने मस्ती को वेल्यू दी ताकि माैहौल असहज न हो
राजेश झट से पानी से हांफते हुए बाहर आया और बबीता को हंसता देख मुस्कुरा लगा अपनी हार पर

बबीता : हिही हार गए न
राजेश : तू बड़ी चालाक है , चल आजा फिर से
राजेश ने जिस तरह कहा बबीता के जहन में यही आ रहा था कि जरूर उसके पापा दुबारा से मौका चाह रहे है उसकी नरम चूचियों को छूने का , लेकिन वो इतनी आसानी से देगी नहीं ।
बबीता : नहीं नहीं मेरा हो गया , चलो चलते है शाम को रही है
मगर राजेश को इस मस्ती में मजा आ रहा था और उसने लपक कर फिर से बबीता की कलाई पकड़ी और उसे अपने ऊपर खींच लिया और इस बार बबीता की नर्म चूचियां सीधा उसके नथुने पर जा टकराई।
बबीता सिसकी और राजेश उस पल का भरपूर फायदा लेते हुए पानी में उसके नरम चर्बीदार चूतड़ों को पकड़ लिया और उसको अपनी गोद में बिठा लिया आगे

बबीता इस समय अपने पापा की गोद में उसके बाहों की गिरफ्त में थी और छटपटा रही थी
राजेश : बोल डुबो दु ( बबीता को पीछे की ओर गिराता हुआ बोला)
बबीता हाथ चलाने लगी और उसका टीशर्ट पानी के ऊपर होने लगा , जिसका मतलब रह कि पानी उसके टीशर्ट के नीचे से उसकी संतरे जैसी चूचियो को धूल रहा था और नीचे उसका लंड बबीता की गाड़ के ठीक नीचे ठोकर दे रहा था ।
हर बार राजेश जब बबीता को पीछे गिराने के इरादे से उसको पानी में झटका देता उसका लंड बबीता की बुर के निचले हिस्से पर घर्षण करता और बबीता की सिसकी निकल जाती उस कड़क पाइप के अहसास से

बबीता हस्ते हुए : मै गिरा दु आपको
राजेश : गिरा के दिखा , देखूं तो तेरी ताकत
अगले ही पल राजेश उसको पकड़ कर अपने सीने से कस लिया और बबीता कड़क चूचिया उसके सीने से दब गई , बबीता सिसकी और अपने पापा के सीने की गर्माहट पाकर वो कंपकपा सी उठी ।
राजेश हंसता हुआ : अब लगा ताकत , क्यों हार गई ।
बबीता बेचैन थी उसकी चूत बुरी तरह बिलबिला रही थी , छातियों पर अलग ही खुजली मची थी उसपे से उसके पापा ने उसको अपनी बाहों के कसा हुआ था

बबीता मुस्कुराई और उसकी आंखों में खुमारी उतर रही थी : उम्हू , नहीं तो , फिर भी मै ही जीती हूं
राजेश : वो कैसे
बबीता राजेश के सीने से लिपट गई : ऐसे
राजेश उसके अलिंगन से सिहर उठा एक गजब सी ठंडक उसके बदन में उतरने लगी और उसने अपनी लाडली को कस लिया बाहों में
बबीता : पापा आई लव यू
राजेश : मै भी मेरा बच्चा
उसने बबीता के कान के पास उसके गाल को चूमा और बबीता ने दोनों हाथों से उसके बड़े से दाढ़ी वाले चेहरे को थाम कर उसके लिप्स को चूम लिया
राजेश और बबीता दोनों की सांसे तेज थी और गले तक पानी में भी उसकी प्यास बढ़ रही थी , जिस तरह से बबीता ने उसे चूम लिया था । राजेश एक टक अपनी बेटी को निहार रहा था जिसके गुलाबी होठ अभी भी हल्के खुले हुए थे , नथुने भारी गहराती सांसों से फुले जा रहे थे , धड़कने दुगनी गति उसकी नुकीली मौसमियों को सीने पर कोंच रही थी ।

बबीता : पापा चले , लेट हो रहा है
राजेश गुमसुम सा : अच्छा नहीं लग रहा है क्या तुझे
बबीता उससे लिपट कर : लग रहा है लेकिन
राजेश : लेकिन क्या ?
बबीता : कुछ नहीं
राजेश : बोल न बेटा , क्या हुआ
बबीता : ऊहू कुछ नहीं
राजेश : अरे उदास क्यों हो रही है
बबीता : आप पहले जैसे हो जाओगे तो , डर लग रहा है
राजेश उसको अपनी बाहों के भर कर : नहीं होऊंगा ,पक्का वाला प्रोमिस ।
बबीता चहक कर : ठीक है , आज रात मै आपके साथ सोऊंगी
राजेश अटक कर : लेकिन रात को तो मै गोदाम पर रहूंगा
बबीता : तो क्या हुआ मै भी चलूंगी ,
राजेश : तू क्या करेगी वहां ?
बबीता : आप काम करना मै आपके मोबाइल में फिल्म देखूंगी हीही
मोबाइल की बात सुनकर ही राजेश का लंड एकदम से अकड़ गया
राजेश हस कर : बदमाश कही की , नहीं मिलेगी तुझे अब मोबाइल
बबीता : क्यों ?
राजेश : देखा मैने दुपहर में तू क्या देख रही थी ।
बबीता एकदम से शर्मा गई : तो आपने रखी क्यों थी उसमें , मेरी क्या गलती
राजेश : लेकिन तुझे नही देखना चाहिए था न , बंद करके रख देना चाहिए था न उम्मम
बबीता : और आप उसमें जो कर रहे थे वो बोलूं मम्मी को
बबीता ने सीधे हड़काया
राजेश हस कर : तुझे कैसे पता उसमें मै ही था , कोई और नहीं ?
बबीता : आपकी आवाज सुनी मैने उसमें , हा , झूठ मत बोलो
राजेश का लंड नीचे से पंप हो रहा था और उसकी सांसे तेज थी ।
राजेश : और तू जो कर रही थी वो वीडियो देख कर वो ?
बबीता एकदम से शर्म से गाढ़ हो गई और उसे समझ नहीं आया क्या रिएक्ट करे : मैने क्या किया , मै तो मोबाइल रख कर सो रही थी
राजेश : और सोने से पहले जो किया वो ? कच्छी देखी थी मैने तेरी कितनी गीली थी
बबीता अब और शर्माने लगी : धत्त पापा , गंदे हो आप , मत याद दिलाओ न
राजेश : मै तो दिलाऊंगा , अगर तू तेरी मां को कहेगी तो ऐसे ही याद दिलाऊंगा
बबीता : और नहीं कहूंगी तो , मोबाइल दोगे न ?
राजेश : हम्म्म ठीक है ले लेना , लेकिन बस फिल्म देखने के लिए वो सब के लिए नहीं , ठीक है
बबीता अपने होठ चिपकाए मुस्कुराती हुई हा में सर हिलाई और दोनो उठ कर बाहर आ गए ।

राजेश का लंड एकदम अकड़ा हुआ था हुआ अंडरवियर में तंबू बना हुआ और बबीता ने उसे देखा और उसकी बुर की खुजली और तेज हो गई ।
कबसे वो लंड उसकी बुर के नीचे फुदक रहा था उसको घिस रहा था
राजेश: जा कपड़े बदल ले चल घर चलते है
बबीता न ज्यादा कुछ न बोलते हुए मुस्कुरा कर चली गई

वही दूसरी ओर घर पर बनवारी लाल कमरे में दाखिल हुआ तो देखा गीता पेट के बल होकर सोई हुई है और उसकी हल्की प्लाजो से उसकी गुलाबी ब्लूमर झलक रही थी ।


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उसके बड़े मोटे चूतड़ देख कर बनवारी की नजरे वही जम सी गई मगर वो खुद को शांत करता हुआ कमरा बंद कर गीता के पास गया और उसको दुलारता हुआ उठाने लगा
बनवारी : क्या हुआ मीठी , क्यों घूमने नहीं गई आज
गीता सुबक रही थी : मुझे आपसे बात नहीं करनी
बनवारी उसको पकड़ कर उठाता हुआ बिस्तर पर बिठाया : अरे क्या हो गया मेरी लाडो को , क्यों रो रही है
गीता : आप मुझसे प्यार नहीं करते
बनवारी को समझते देर नहीं लगी कि गीता का इशारा किस तरफ , वो उसको अपने सीने से लगाए उसके माथे चूमता हुआ उसको दुलारने लगा : ऐसा नहीं कहते बेटा , तेरे दादू तुझसे बहुत प्यार करते है
गीता : नहीं करते हो आप
बनवारी उसकी जिद से अंजान नहीं था , वो बचपन से गीता की जिद को जानता था एक बार जो ठान ले वो तो करके ही मानेगी , लेकिन आज की स्थिति अलग थी । जिस नातिन को उसने अपनी गोद में खिलाया कैसे वो उसके नाजुक जिस्मों को मसलेगा , उन्हें नोचेगा। लेकिन उसके जहन में अपनी बेटियों का ख्याल भी आ रहा था ।
बनवारी उसके पीठ पर हाथ फेर रहा था जिससे गीता के जिस्म में गुगुदाहट सी हो रही थी : अच्छा ठीक है अब तुझे देखने के लिए नहीं डाटूंगा ठीक है लेकिन वादा कर इस बारे में तू किसी से नहीं कहेंगी
गीता चहक कर लिपट गई उससे तो बनवारी बिस्तर पर गिरने लगा था , मगर उसने खुद को संभालता : अरे हाहाहा देखो तो कैसे नाटक कर रही थी , अच्छा सुन खाना खाया तूने
गीता मुस्कुरा कर : आपको लगता है मै बिना खाए रह पाउंगी मैने चुपके से खा लिया था पहले ही हीही
बनवारी उसके चब्बी गाल पकड़ता हुए किस करता हुआ : बदमाश कही की , अच्छा ये बता तुझे कब ज्यादा अच्छा लगता है, मुझे अकेले देख कर या किसी के साथ देख कर ।
गीता शर्माने लगी और मुस्कुराकर बनवारी के कांख में दुबकने लगी अपने चेहरे छिपाने लगी ।
बनवारी : अरे अब क्यों शर्मा रही है बोल न ,
गीता बनवारी के सीने पर मुंह लगाए हुए : सब अच्छा लगता है दादू , बस आप वो कमला आंटी से वो सब मत किया करो
बनवारी चौक कर : क्यों ?
गीता : बस वैसे ही , वो कितनी गंदी है सबको आपके बारे में बताती है ।
बनवारी कमला के स्वभाव से परिचित था और ये भी जनता था गोदाम पर काम करने वाले बाकी दूसरे मजदूर भी उसके इस रिश्ते के बारे में जानते थे ।
बनवारी : अरे फिर तो उससे सावधान रहना होगा
गीता हस कर : और थोड़ा पापा से भी
बनवारी : उससे कैसा डर ?
गीता चहक कर : मम्मी से खूब पट रही थी आज उनकी
बनवारी चौक कर : क्या सच में
गीता : हम्ममम , अभी दोपहर में दोनों कर भी रहे थे अपने कमरे में , खूब देर तक
बनवारी का लंड अकड़ने लगा अपनी बहु की चुदाई सुनकर
बनवारी हस कर उसके पेट पर गुदगुदाते हुए : बदमाश कही की , तू सबको देखती है छिपकर
गीता खिलखिलाई : नहीं लेकिन मुझे अच्छा नहीं लग रहा है , आप रहते हो मम्मी के साथ तो अच्छा लगता है ।
बनवारी का लंड फड़का और अपना लंड सहला कर : तुझे अच्छा लगता है जब मै तेरी मम्मी के साथ करता हु
गीता ने शर्मा कर हुंकारी भरी : आप कितने प्यार से करते हो, और पापा बस नोचते है उनको और जल्दी जल्दी करते है
बनवारी पर अब नशा छा रहा था उसका लंड पजामे में तंबू बना चुका था और उसके बाहों में गीता का गुदाज चर्बीदार जिस्म उसको गुदगुदा रहा था उसका एक हाथ जो कुछ देर पहले ही गीता के पेट पर आया था वो वासना के जज्बात में बहने लगा और उसके नरम चर्बीदार मोटी छातियों की ओर बढ़ने लगा और गीता इस अहसास से पिघलने लगी थी, उसकी सांसे तेज हो रही थी ।
बनवारी : सच में क्या , तुझे कुछ नहीं होता जब मै तेरी मम्मी को छूता हूं
गीता सिहर उठी और कुंमुनाने लगी : होता है न , खुजली जैसी होती है
बनवारी का लंड फड़कने लगा उसके हाथों में कठोरता आने लगी और गीता हल्की दर्द से तड़पी।
बनवारी : कहा पर होता है उम्मम
गीता सिहर कर सिसकती हुई कुनमुनाई : सूऊऊ अह्ह्ह्ह वही पर जहां आप दबा रहे हो


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बनवारी का हाथ अबतक उसके टीशर्ट में घुस कर उसके बाएं चूची को ब्रा के ऊपर से मसल रहा था और उसकी किशमिश जैसी निप्पल पर हथेली रेंग रही थी ।
बनवारी उसके गुदाज पाव जैसी फुली हुई चुचियों को टीशर्ट में हाथ घुसा कर सहलाते हुए : अभी भी हो रही है क्या बेटा
गीता सिहर कर: हम्ममम बहुत ज्यादा सीईईईई आह्ह्ह्ह वही पर वो निप्पल के पास
बनवारी ने ब्रा में उभरे हुए उसके किशमिश के दाने जैसे निप्पल को उंगली से रगड़ा और गीता अपनी टांगे फैला कर अकड़ने लगा ।
गीता : अह्ह्ह्ह सीईईईईई दादू उम्ममम अह्ह्ह्ह
बनवारी उसकी छटपटाहट देखकर और भी जोश में आ गया , उसकी गोद में उसकी लाडली नातिन थी जिसके नाजुक किशमिश के दाने को वो अंगूठे और उंगली से पकड़ कर घुमा रहा था ।
बनवारी : यही पर हो रहा है न बेटा रुक जा इसे भी खोल दूं
गीता : अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म दादू अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह क्या कर रहे हो ओह्ह्ह्ह कितना ठंडा है जीभ आपका अह्ह्ह्ह


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बनवारी उसकी दोनों चूचियां ब्रा से बाहर निकाल कर मुंह लगा दिया और उसके दाहिए निप्पल को चुबलाने लगा , गीता पागल होने लगी ।
बनवारी का दूसरा हाथ उसकी बाई छाती पर था जिसे वो अपनी सख्त हथेली में मिज रहा था उसका लंड पजामे में खूब कड़ा हो गया था और गीता ने हाथ बढ़ा कर उसका लंड सहलाने लगी जिससे बनवारी की हालत खराब होने लगी ।


वही घर में ऊपर की छत पर सुनीता कपड़े उतारने पहुंची थी और रंगीलाल ने मौका देख कर दूसरी तरफ वाले जीने से ऊपर चला गया ।
सुनीता उसको ऊपर देखते ही मुस्कुराने लगी और रंगी भी मुस्कुराता हुआ उसके पास चला गया ।
सुनीता अरगन से साड़ी खींचती हुई : अरे ऊपर क्यों चले आए , नीचे आराम करना चाहिए था ।


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रंगीलाल मुस्कुराता कर दूसरे कपड़े उतरता हुआ : अपने प्यार को काम करता देख मुझे आराम कैसे हो सकता है भला
संगीता लाज से गाढ़ होने लगी और हसने लगी : धत्त छोड़िए , कोई देखेगा तो क्या कहेगा
रंगीलाल ने देखा वो दोनों इस दोनों तरफ कपड़ो से घिरे थे , चादर साड़ीयो से
रंगी : यहां हमे कौन देख पाएगा
सुनीता ने आसपास देखा और वो हल्की सी सहम गई और वहां से निकलने का सोचा
रंगी ने लपक कर उसकी कलाई पकड़ ली और सुनीता की धड़कने तेज हो गई और उसकी तेज सांसों से ब्लाऊज में उसकी छातियां ऊपर नीचे होने लगी , पेट अंदर की ओर दबने लगे । रंगी भी उसकी कोमल कलाई को पकड़ कर सिहर उठा था , उसके भी भीतर एक डर सा था कि कही सुनीता इसका विरोध न करे ।
सुनीता : धत्त छोड़ो न , प्लीज , कोई देख लेगा
ये शब्द रंगी के कान में पड़ते ही वो समझ गया कि सुनीता अब उसे नहीं रोकने वाले उसे ही पहल करनी हैं और वो उसको पकड़ कर अपनी ओर खींचा और वो उसकी बाहों में आ गई
उसकी मोटी चूचियां गद्द से उसके सीने से जा लगी और सुनीता की नजरे उसकी आंखों से जा टकराई ।
दोनों की गर्म सांसे आपस में टकरा रही थी और दोनों हाफ रहे थे , धड़कने दोनों की तेज थी ।
सुनीता : आपने तो कहा थे जब तक मै न कहूं आप कुछ नहीं करेंगे
रंगी : कह तो रहे ये तुम्हारे होठ
रंगी ने उसके नरम लिपस्टिक वाले होठों को अपने उंगलियों से छुआ और वो आंखे बंद सिहर उठी
रंगी : ये कह रहे है मुझे चूम लो
सुनीता की सांसे तेज होने लगी और गला सूखने लगा और अगले ही पल रंगी ने अपने होठ उसके होठ से लगा दिए और उस अहसास से दोनों के बदन में कंपकपी सी महसूस हुई और दोनों एक दूसरे के होठ चूसने लगे ।


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रंगी ने सुनीता को अपनी ओर और कस लिया जोश में और सुनीता बिना विरोध के उससे लिपट गई ।

तभी नीचे कुछ दस्तक हुई , कोई बनवारी को आवाज दे रहा था और दोनों अलग हुए और सुनीता लाज से मुस्कुराने लगी : धत्त गंदे , जाओ अब
रंगी हंसता हुआ : अरे सच में हेल्प करने आया था
सुनीता हस्ती हुई : अच्छा जी , बड़े आए
रंगी लाल दूसरे कपड़े खींचने लगा कि एक पेटीकोट खींचते ही उसके नीचे एक लाल जोड़े में उसकी ब्रा और पैंटी चिमटी से तंगी मिली और उसे देखते हुए रंगी वही रुक गया ,


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एकदम से सुनीता की नजरे उस पर गई और वो शर्म से लाल होने लगी ।
रंगी : उफ्फ क्या रंग है , उम्ममम अह्ह्ह्ह क्या खुशबू है
रंगी उसके पास जाकर उसकी पैंटी को सूंघने लगा
तभी सुनीता आई और झट से वो ब्रा पैंटी खींच ली : धत्त गंदे , क्या करते हो
रंगी ने उसको पकड़ कर अपनी ओर खींचा और उसके लिप को छूता हुआ : ये होठ तो चख लिए , दूसरे होठों का स्वाद भी देदो न
सुनीता उसके स्पर्श से पिघलने लगी थी लेकिन जैसे ही रंगी ने इनडायरेक्टली उसके चूत की बात कही वो शर्मा कर हसने लगी : धत्त , नहीं कुछ ज्यादा तेजी नहीं है आपको
रंगी ने उसके कमर के पास उसके कूल्हे सहलाता हुआ : तुम्हे देख कर मेरी सांसे तेज हो जाती है तो क्या करु
सुनीता : अपनी सांसों से कहिए कि अभी सबर करें
रंगी लाल उसको अपनी ओर कसता हुआ : अब नहीं होता मेरी जान , दीदार ही करा दो न
सुनीता : अह्ह्ह्ह्ह छोड़िए , कुछ नहीं मिलेगा अब
सुनीता उससे अलग होकर जल्दी जल्दी चादर नीचे उतार दिए ताकी रंगी की मनमानी थमे और रंगी खुले में आते ही एकदम से नॉर्मल हो गया लेकिन बस हरकतों से , आंखे अभी भी दुनिया को छेड़ने से बाज नहीं आ रही थी ,
वो भी जीने से नीचे उतरने लगा सुनीता के साथ और उसके चौड़े चूतड़ों की थिरकन देखकर उसका लंड पजामे में तंबू बना रहा था ।
सुनीता ने मूड कर पीछे देखा तो रंगी की नजरे अपने चूतड़ों पर पाई और हस कर : लालची कही के ।

फिर वो कमरे में चली गई
रंगीलाल भी बरामदे में आया तो देखा कि बनवारी अपने कमरे के बाहर एक आदमी से बात कर रहा है और उसके साथ एक महिला भी थी जिसके मोटे चौड़े कूल्हे और थन जैसी चूचियां देख कर रंगी का लार टपकने लगा और रंगी अपना लंड सेट करता हुआ बनवारी के पास पहुंचा और बैठ गया ।
थोड़ा चिर परिचय हुआ और इतने देर में सुनीता पानी लेकर आई और उसने देखा उसके पास आने का रंगी पर कोई फर्क नहीं हुआ वो एक टक नजर गड़ाए उस औरत के ब्लाउज में ठूंसे हुए चूचे निहार रहा था जो पल्लू से बाहर निकल कर दिख रही थी ।
सुनीता एकदम से भूनकी और आंखे महीन कर रंगी को घूरा और एकदम से रंगी की नजर उससे टकराई तो उसकी हालत खराब होने लगी ।
बनवारी : लीजिए जमाई बाबू , पानी पीजिए , बहु जरा मेरे लिए भी पानी लाना
सुनीता मुंह बना कर रंगी को घूरती हुई : जी लाती हु बाउजी
रंगी उसके मटकते चूतड़ों को देखकर : नहीं बाउजी , आप पीजिए , मै थोड़ा कुल्ला करके पियूंगा बाथरूम में ही जा रहा हूं और वो उठ कर उधर ही चल सुनीता के पीछे ।
फिर जब सुनीता किचन में गई तो रंगीलाल ने एक नजर बनवारी की ओर देखा और उसे व्यस्त पाकर लपक कर सीधे किचन में घुस गया ।
सुनीता अभी गागर से पानी निकाल रही थी झुक कर कि रंगी ने उसको पीछे से पकड़ लिया और वो एकदम से चौकी : हाय दैय्या , आप छोड़ो मुझे
एकदम से सुनीता ने डांट लगाई और रंगी पीछे हो गया
सुनीता उसको पानी का ग्लास देते हुए : हम्म्म लीजिए , और जाइए
रंगी : अरे नाराज क्यों हो रही हो
सुनीता ने गुस्से से उसे घूरा तो रंगी की हालात खराब होने लगी
सुनीता: आप सारे मर्द एक जैसे होते है , जहां भी औरत दिखी लार टपकने लगती है आप लोगों की
रंगी समझ गया कि अभी भी सुनीता भड़की है
रंगी उसको अपनी बाहों के भर कर : वो मै बस उसके ब्लाउज के डिजाइन देखने की कोशिश कर रहा था
सुनीता उसकी बाहों में कसमसाती हुई मुंह बनाती हुई तुनकी: हूह , तो जाओ न देखो उसी का , मुझे छोड़ो
रंगी उसको अपनी बाहों को छटपटा देख हंसता हुआ : चला जाऊंगा , पहले तुम तो दिखाओ न
और रंगी एक उंगली से उसके पल्लू को सीने से हटाने लगा तो सुनीता मुस्कुराने लगी और उसका हाथ पकड़ कर रोकने लगी : धत्त नहीं रुको , पागल मत बनो कोई आ जाएगा
रंगी : बस थोड़ा सा दिखा दो न
सुनीता : अच्छा ठीक है छोड़ो पहले , उफ्फ
सुनीता अलग हुई और अपने कपड़े सही करते हुए : आप कमरे में चलो मै चाय लेकर आती हूं
रंगी चहक कर : सच में
सुनीता ने आस पास देखा : हा बाबा सच में अब जाओ
रंगी खुश होकर उसके गाल चूम लिया और निकल गया रसोई से , वही सुनीता ने राहत की सांस ली । ना जाने क्या हो जाता है उसे जब रंगी उसके साथ होता है वो बहकने लगती है । तभी बनवारी ने फिर आवाज दी और सुनीता जल्दी जल्दी चाय बनाने लगी

जारी रहेगी ।
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Lajawaab jabrdast hot erotic update

Bahut hi kamukh lika kha, sundar warnan
Murari manju ka..bs ek scene miss h jb wo usko kapde dilane wala tha

Mind blowing... Lagta hai kuch nya dhmaka hone wala hai.. Rajesh or babita geeta ke bich me

इन औरतों के न न के नखरे में हीं ... इनकी हाँ छुपी होती है...
और मर्दों को तो जहाँ मिला वहीँ मुँह मारते हैं...

For the first time I didn't like the update bro not because it's not good but little partiality
When other readers were so eager for anuj ragini you scold them or make them understand your point that you said that if you want just sex you could finish story in only 100 update but you want a build up connection between characters , after so many update there is not much equation of anuj ragini even anuj hadn't seen ragini nude in bathroom which is very common thing a storyline even though there is no sex but in just 2-3 update you made so many scene between Rajesh and babtia that Rajesh touch babitas buttocks babita musterbate thinking her father , where anuj has more sex experience than babita
If you would make anuj ragini scene after 10-20 update I wouldn't say those thing but you always made other characters equation so easily
But what can we do nothing as. Your are the god in your this world

Thank you for the very good update

Nice update

Bahot sahi jawab diya 😂

बहुत ही कामुक और उत्तेजित अपडेट था मित्र खासकर बबीता की उत्सुकता देख बड़ा मज़ा आ रहा है, उधर जीजा सलहज की कहानी भी बहुत रोचक चल रही है। लगे रहिए।

Wow...... fantastic update Bhai......


RAJESH TOH AAG GOLA HAI....

SONAL KA INTEZAR HAI......

Ek number update bhai Babita ki story padh ke aur sunita ki leela dekh ke majaa aagya

Majedar ekdum update bhai , dil khush hogya 🔥

बहुत उत्तेजक और कामुकता से भरपूर कहानी है भाई।
अलग अलग दृश्य जो एक साथ वर्णित करते हों, वह इसे और मजेदार बनाए हुए हैं।

बड़ा ही कामुक अपडेट था भाई DREAMBOY40 ..
हर एक अंश आपके द्वारा कहानी में उत्तेजना भर देता है
एक साथ कई परिस्थितियों को साथ लेके कहानी लिखना आपकी कला का अद्भुत प्रदर्शन दर्शाता है
इस भाग में बबीता को लेके लिखा गया अंश ही उसका सबसे अच्छा उदाहरण है
अपने पिता के प्रति उसकी सोच और एक पिता का उसकी पुत्री के प्रति लगाव जब वह पकड़ी जाए तब उन दोनों का एक साथ मिलन होना भी अधिक उन्माद स्थिति पैदा करेगा जिसे देखने में अत्यधिक आनंद मिलेगा
आपसे उम्मीद है अगला भाग जल्द ही लेकर आयेंगे और अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे
अगले भाग के इंतजार में आपका पाठक insotter धन्यवाद 🙏


बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

इस कहानी में जवान से बुड़े तक सब चुद रहे हैं। परन्तु किशोरो की चुदाई का अलग ही मजा है।

Maaf karna mitra pr is update me utna maza ni aaya mujhe lag rha anuj ragini ya jangi ragini ya ragini ko tum bhot restrict kr rhe ho sex ke lie sonal ko bhi maaf krna dost pr aisa laga tumhari kahani me alag dum h maza aata h dost


Lajawab jabrdast update :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2: :bj2:

Mast update

Jabardast story

Update kab tak aayega

Happy 4th anniversary to this story 🥳

Bro please update do na jaldi

Post Update 11

Mast Update

Next update ka intezar me guruji


कहानी की अगली कड़ी
Update 11 post kar di gayi hai
Padh kar revo jrur karen
 

Arthur Morgan

Member
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124
💥अध्याय: 02💥

UPDATE 11



गाड़ी तेजी से हाइवे से अपने डेस्टिनेशन के लिए आगे बढ़ रही थी और मंजू काफी खुश नजर आ रही थी।
मुरारी को उसका खिलखिलाता चेहरा भा रहा था और वो उसे हसाने से बाज नहीं आ रहा था । उसने नोटिस किया ममता को लेकर मंजू के दिल में काफी उत्सुकता है और जब भी वो मंजू से अपने और ममता के बारे में बात छेड़ता वो बड़े गौर से सुनती थी ।

मुरारी धीरे उसके कान के पास जाकर : अरे अमन की शादी के बाद तो वो भी बड़ी जिद करने लगी थी कि उसे भी हनीमून जाना है
मंजू मुरारी की बातें सुनकर आंखे बड़ी कर ली , कि ये क्या बाते छेड़ रहा है मुरारी । वो सन्न थी मगर उसके चेहरे पर एक छिपी मुस्कुराहट थी जो उसके भीतर की उत्सुकता को झलका रही थी , और वो चकित भी थी कि ममता के बारे में कल्पनाएं गढ़ कर की कैसी कामुक औरत होगी वो जो बेटे की शादी पर खुद हनीमून जाने के ख्वाब देखे ।
मंजू मुस्कुरा कर : धत्त क्या सच में ?
मुरारी : हा सच में , अमन की कसम
मंजू की बेचैनी तो अब और बढ़ गई कि आगे क्या हुआ होगा मगर फिर भी वो झिझक रही थी ।
मंजू खुद को हल्का रखती हुई खिड़की से बाहर देखने लगी और फिर थोड़ा चुप होकर बोली: ठीक तो है फिर घुमा लाना चाहिए था न
मुरारी : फिर तुम्हे कैसे खोजता
मंजू मुस्कुरा कर : अच्छा जी , लेकिन मेरे चक्कर में दीदी अकेली परेशान हो रही होगी न
मुरारी आंखे सिकोड़ कर : उसे भला क्या तकलीफ वहां
मंजू मुरारी के इस बात पर मुंह फेर कर हसने लगी और मुरारी जल्द ही उसकी दोहरी बात समझ गया और मुस्कुराने लगा ।
मुरारी : वैसे बात तो तुम्हारी ठीक ही है , अमन की मां को कहा कोई दोस्त मिल पायेगा वहां
मंजू आंखे बड़ी कर उसकी ओर देखी और मुरारी ने आंखे मार दी उसे ।
मंजू लजा कर : धत्त , चुप रहिए अब आप
मुरारी अंगड़ाई लेता हुआ : सोच रहा हूं जरा हाल खबर ले ही लू उसकी
और मुरारी ने जेब से मोबाइल निकाल कर ममता को फोन घुमा दिया ।
जब तक रिंग जा रही थी वो अपने बैग से एक वायर वाला इयरफोन निकालने लगा जो सफर में कभी कभार वो यूज करता था गाना सुनने के लिए
मंजू उसे देख रही थी और मुस्कुरा कर खिड़की से बाहर देखने लगी
कुछ ही देर में फोन पिक हुआ

मुरारी : कैसी हो भाग्यवान
.......
मुरारी मंजू को देख कर मुस्कुराया : बस पल पल आ रहे है तुम्हारे पास
मुरारी की बात सुनकर मंजू मुस्कुराती रही
मुरारी : हा वो भी ठीक है , नहीं वो तो सो रही है , थक गई है बेचारी
मंजू समझ रही थी मुरारी उसके बारे में ही झूठ बोल रहा था और वो हैरान होकर उसे देख रही थी तो मुरारी ने आंख मारी और मुस्कुराने लगा ।
मुरारी : अह्ह्ह्ह सच कहूं तो तुम बिन ये राहें खत्म ही नहीं हो रही है
मंजू मुस्कुरा कर उसे देख रही थी और मुरारी ने इयरफोन का दूसरा कान वाला बड्स उसकी ओर दिया तो मंजू मुस्कुरा कर ना में सर हिलाने लगी
मुरारी ने आंखे से ही उसको इशारे कर कान में लगाने को कहा, ना जाने कैसा सामंजस्य था कि मंजू चाह कर भी बोल नहीं पा रही थी और न मुरारी के प्रस्ताव को ठुकरा पा रही थी ।
और उसने कान में बड्स लगा कर मुरारी के पास आ गई ।
दोनों एकदूसरे से सर सटाए हुए थे और मुरारी बाते किए जा रहा था, आगे ड्राइवर अपनी धुन में मस्त था ।
मुरारी इयरफोन के माइक वाले हिस्से को मुंह के पास रखता हुआ धीरे से बोला : जानू याद नहीं आ रही क्या ?
ममता एकदम से सिहर उठी : उम्ममम क्या बताऊं, किस कदर आपकी याद आ रही है । वो कमरे के ढोलक वाला तकिया है न
मुरारी : हम्ममम
ममता : उसको कस कर सोई हु
मंजू को अब शर्म आ रही थी और उसने सोचा कि वो कान से निकाल दे लेकिन मुरारी ने उसकी कलाई पकड़ कर उसे रोक दिया
मुरारी : बस आज रात और , फिर तो मै आ जाऊंगा न
ममता : हा तो फिर भी मै तो इसी को पकड़ कर सोऊंगी
मंजू को हंसी आई मुरारी की किरकिरी पर और वो मुंह पर हाथ रख कर खुद को कंट्रोल करने लगी और मुरारी उसको हंसता देख मुस्कुराता हुआ : अच्छा , तो आजकल वही तुम्हारा दोस्त है उम्मम
मंजू ने एकदम से मुरारी को देखा और वो समझ रही थी कि वो जानबूझ कर उसे छेड़ रहा है ।
ममता इठला कर : और क्या ? कल रात से यही मेरा दोस्त है और आगे भी यही रहेगा अब समझे
मुरारी : ओहो, ऐसा क्या किया इसने जो बड़ा करीबी हो गया
ममता : ये मुझसे कभी अलग होकर नहीं सोता , आपके जैसे नहीं कि काम निपटा लो और फिर दूर सो जाओ । ये तो सब कुछ करके भी मेरे पास होता है
ममता की बातें सुनकर मंजू के कान खड़े हो गए और वो आंखे बड़ी कर खुद की हसी रोकती हुई मुरारी को देख रहे थी और मुरारी मुंह पर उंगली रख कर उसको चुप रहने का इशारा किया और बोला : अच्छा फिर तो ये तुम्हे तुम्हारी मनमर्जी भी करने देता होगा
ममता : हा और क्या , जैसे मै चाहूं वैसे , जब चाहूं तो इसको अपने नीचे कर लूं और आप हो कि
मुरारी समझ गया कि अब ममता बहक रही थी और मंजू ने कान से अपने बडस भी निकाल दी और बाहर हसने लगी
मुरारी का लंड भी पजामे में तंबू बनाने लगा था और उसकी नजर मंजू पर थी जो बाहर निहार रही थी मुस्कुराते हुए
मुरारी : ठीक है फिर तुम जरा खेलो उसके साथ लग रहा है मंजू उठ रही है
ममता भुनभुना कर : धत्त जाओ आप हा नहीं तो और इधर मुरारी ने फोन काट दिया ।
इधर गाड़ी एक जगह रुकी और ड्राइवर गुटखा लेने चला गया ।

वही मुरारी अपना लंड पजामे में सेट कर रहा था और मंजू कनआखियो से उसे ऐसे करते देख कर फिर से मुंह फेर ली
मुरारी हस कर : लो अब तो उसे भी दोस्त मिल गया हाहाहाहाहा
मंजू मुस्कुरा कर : हा लेकिन फिर भी उनकी दोस्ती फायदे में है
मुरारी मंजू की बात समझ कर मुस्कुराते हुए : हा भाई बात तो सही है, लेकिन मुझे भी अपनी दोस्ती पर पूरा यकीन है कि वहां मुझे निराशा नहीं मिलेगी
मंजू इस पर एकदम से झेप गई और गाड़ी से बाहर देख कर मुस्कुराने लगी ।
वही दूसरी ओर ममता अपने कमरे में बिस्तर के तड़प रही थी , हर बीतता पल उसको कामोत्तेजना के बहाव में बहा ले जा रहा था । मुरारी से बातें कर उसका चंचल मन खिल उठा और वो अपने जोबनो को मसलने लगी , अभी हफ्ते भर भी नहीं हुए थे कि उस आस पास उसके दीवाने मक्खियों के जैसे भिनभिना रहे थे और अब देखो वो खुद तरस रहे है , पहले उसका नंदोई भोला , कितना सताया बेचारे को और फिर अपने लाडले अमन को उसके लंड के सोचते ही ममता की चूत कुलबुलाने लगी और वो नाइटी के ऊपर से ही बुर रगड़ने लगी और उसके जहन में कभी कभी रागिनी की कही हुई बाते याद आती जब रंगी लाल ने रागिनी को ममता की दी हुई ब्रा पैंटी पहना कर पेला था , वो कहानी सोच कर ममता पागल होने लगी ।इस बात से बेखबर कि बाहर गया हुआ उसका देवर मदन घर में दाखिल हो गया था ।
हाथ में टिकिया-चाट की थैली लिए वो ममता के कमरे की ओर गया और जैसे ही उसने कमरे में झांका ठिठक कर रहा गया


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सामने ममता अपनी नाइटी कमर तक उठा कर तेजी से अपनी बुर के उंगली कर रही थी और आंखे बंद कर सिसक रही थी , उसकी एड़ी टांगे पूरी तरह से अकड़ रहे थे और एकदम से वो उठी और अपने बदन से नाइटी निकालते हुए घूम गई और जांघों के बीच वही ढोलक वाला लंबा मोटा तकिया रखते हुए अपनी बुर उस तकिए पर घिसने लगी
मदन का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था पजामे में उनकी आंखे फटी हुई बस ममता के बड़े भड़कीले चूतड़ों को उस मुलायम गोल तकिए पर आगे पीछे होते हुए देख रही थी


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ममता तेजी से सिसकियां लेती हुई अपनी बुर मसल रही थी और देखते ही देखते वो झड़ने लगी और मदन अपना लंड का सुपाड़े मिज कर पीछे हो गया हाल की तरफ । वही ममता हांफती हुई सो गई ।


प्रतापपुर


राजेश अपने कमरे में बेसुध सोया हुआ था , घड़ी में 3 बजने को हो रहे थे । पास में बैठी बबीता उसे जगा रही थी । सुनीता की दोहरी चुदाई से उसका बदन थक कर चूर था और नीद गहरी थी ।
बबीता के कोमल हाथ उसके दाढ़ी को छू कर उसे अपनी ओर टका रहे थे और हिला रहे थे । लेकिन रह रह कर उसकी नजर अपने पापा के अंडरवियर पर जा रही थी जिसमें उसका बड़ा सा लंड हल्की में नीद ने सोया था ,


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बड़े मोटे आड़ और मूसल जैसा मोटा लंड देख बबीता की आंखे वही जम सी गई , वो तो भूल ही गई थी कि वो अपने पापा को जगाने आई थी ।
एकदम से उसकी आंखे चौक कर खुली और वो उठ कर देखा तो उसकी लाडली टीशर्ट यार शॉट्स के उसके पास बैठी है , जिस तरह से बबीता अपनी टांगे खोल कर बिस्तर पर थी ,


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उसकी शॉर्ट्स कस कर उसके बुर के फांके में चिपक गई थी। पैंटी तो उसने तभी उतार दी थी वो अपने पापा का नाम लेकर झड़ रही थी ।

बबीता : पापा उठो न , देखो गीता मेरे साथ नहीं जा रही है घूमने
राजेश उसकी बाते सुनकर उसकी बुर से नजर हटाते हुए उसके शब्दों पर गौर करते हुए बोला : हा बेटा कहा घूमने जाओगी ?
बबीता: खेत में ट्यूबवेल पर , मीठी नहीं जा रही है
राजेश उसके ओर देखकर : क्यों ?
बबीता : पता नहीं ,
राजेश ने देखा बबीता का मूड कुछ उखड़ा सा है तो वो उसको पीठ पर हाथ रख दिया , उसके मुलायम बदन का स्पर्श और चूत के फांकों में फंसी चड्डी देख कर राजेश का लंड अकड़ने लगा और अंडरवियर के तंबू बनने लगा ।
तो राजेश खड़ा होकर अपना पेंट खोजता हुआ अपने खड़े लंड को अंडरवियर में सेट करने लगा


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और बबीता चुपके से ये सब नजरे चुराती हुई देख रही थीं , जैसे कोई प्यारा खिलौना , जिसे वो हाथों में लेकर दुलारे अपने गालों से लगाए ।

राजेश ने झट से पेंट चढ़ाया और बबीता की ओर देख कर बोला : चल देखता हुआ क्या हुआ है उसे
बबीता ने एकदम से उसको टोका: नहीं वो दादू को मम्मी ने बुलाया है वो आ रहे है
राजेश उलझन में पड़ गया : तो अब ?
बबीता : तो आप चलो मेरे साथ
राजेश चौक कर : क्या ? नहीं नहीं मुझे नहीं नहाना
बबीता बिस्तर पर खड़े होकर उसके पास आ गई और जिद करते हुए अपने बाहों का छल्ला बना कर उसको पकड़ लिया, वो अपने पैरो पर उछलते हुए बोली: नहीं चलो न ,पापा प्लीज , मजा आएगा
राजेश : तुझे ठंड नहीं लगती क्या , मौसम देख कैसा हो रहा है अब , तू भी शाम को नहाना बंद कर दे ठंडी लग जाएगी तुझे
बबीता : अच्छा बंद कर दूंगी , लेकिन आज चलो न आप पापा प्लीज
बबीता उसके आगे अपने एड़ियों पर उछल कर उससे जिद दिखाने लगी और राजेश की नजर उसकी टीशर्ट में उछल रही मौसमियों पर गई और वो खुद से ही मना नहीं कर पाया

राजेश : अच्छा ठीक है , रुक मै कपड़े ले लेता हूं
बबीता : ठीक है , हीहीही
बबीता खुश थी और दोनों निकल गए घर के पीछे से ट्यूबवेल की ओर ।

बबीता राजेश का हाथ पकड़ कर चल रही थी , उसने शॉर्ट के ऊपर से एक लोवर डाल लिया था और झोले में एक गमछा नुमा तौलिया और राजेश ने अपनी एक अंडरवियर रख ली थी ।

कुछ ही देर में दोनों ट्यूबवेल पर थे , राजेश ने अपना पेंट और शर्ट निकाल कर मोटर चालू किया , पहले तो वो थोड़ा नहाने में झिझक रहा था लेकिन गर्म पानी का अहसास होते ही उसका दिल भी ललचा गया ।
राजेश : आजा गुड़िया , पानी गर्म है
बबीता ने ट्यूबवेल से लगे कमरे से बोली : हा पापा रही हूं
राजेश ने लपक कर देखना चाहा कि उसे क्यों समय लग रहा है तो उसने देखा कि वहां कमरे में एक परदे के पीछे बबीता अपने कपड़े निकाल रही थी,


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परदे के पीछे लगे बल्ब की रोशनी से परदे पर उसकी परछाई उभर आई थी ।
राजेश ने देखा कि बबीता ने पहले अपना लोवर निकाला और फिर टीशर्ट निकाल कर ब्रा खोलने लगी और जैसे ही उसके नरम और कड़क संतरे जैसी चूचियां नंगी हुई उसकी परछाई उभर कर पर्दे पर दिखी और राजेश का लंड अकड़ गया , परछाई इतनी स्पष्ट थी कि किशमिश के दाने जैसी उसकी निप्पल की टिप भी नजर आ रही थी और फिर अगले ही पल बबीता ने टीशर्ट पहन लिया और राजेश लपक कर हाते में आ गया

बबीता राजेश को देख कर मुस्कुरा : मजा आ रहा है न हीही
राजेश : तू भी आजा बेटा
बबीता आई और हाते में उतरने लगी और जैसे जैसे उसके पैर भीगते उसके हाथों के रोंगटे खड़े होने लगे, टीशर्ट अभी भीगे नहीं थे लेकिन उसकी छातियों के निप्पल सिहर कर तन गए थे और राजेश इस ताख में था कि कब उसकी बेटी अपने स्तनों को पानी में डूबोएगी और जब उसके निप्पल विजिबल होंगे और अगले ही पल वो सरकती हुई घुटने के बल होकर हाते में बैठ गई और पानी उसके गले तक आ गया
राजेश उसको खुश और चहकता निहार रहा था , गुड़िया की कामुकता उसके मासूम चेहरे और हरकतों से बिलकुल नहीं झलकती थी वो बसी थी कही उसकी आंखों में गहरे ,
जैसे ही उसकी नजरें अपने पापा से टकराई वो असहज होने लगी जिस तरह से उसके पापा उसे घूर रहे थे और जिस तरह से उसके पापा का हाथ पानी में अन्दर था

बबीता ने झट से अंदर डुबकी मारी और बाहर आ गई हांफती हुई खड़ी होकर हाते के दिवाल पर बैठ गई और पैरों से छपकाइया मारने लगी हस्ती हुई
मगर राजेश मुस्कुरा कर उसके टीशर्ट को देख रहा था जो भीगने के बाद अब उसके कड़क छातियों से चिपक गई थी


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और निप्पक विजिबल हो गए थे ,
राजेश भी पानी में खड़ा हो गया और जैसे ही वो खड़ा हुआ उसके भीगा अंडर वियर भी विजिबल पूरी तरह से लंड का शेप तना हुआ और कड़क
बबीता ने आंखे फाड़ कर उसे देखा फिर नजरे फेर ली , उसकी सांसे तेज हो गई थी


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राजेश : क्या हुआ थक गई
बबीता मुस्कुरा कर ना में सर हिलाई , उसके जहन में उसके बाप की करतुते और उसका बड़ा मोटा लंड नाच रहा था और वो पल जब उसके पापा ने उसकी गीली बुर को छुआ था ।
बबीता अभी ख्यालों में घूम थी कि राजेश ने उसको बाहों में उठा कर पानी में बोर कर पानी में सुला दिया और खुद हाते की दिवाल पर बैठ कर हसने लगा
बबीता एकदम से पानी में नीचे गई और ऊपराई हांफते हुए खड़ी हुई उसके टीशर्ट चढ़ गए थे , पेट उघाड़ हो गया था , छोटी सी नाभि उसके गोरे चिकने पेट पर गजब की दिख रही थी और राजेश उसको देख कर हसने लगा तो बबीता पानी के चल कर उसके पास आई और पूरी ताकत लगा कर उसको पानी में खींचने लगी, हाथ पकड़ कर काम नहीं बना तो पैर पकड़ लिया और तभी उसकी उंगलियों ने राजेश के अंडरवियर को छुआ
एकदम से राजेश सतर्क हुआ : नहीं निकल जाएगा
यही राजेश हल्का हुआ और
बबीता दांत पिसती हुई उसकी जांघें पकड़ कर उसको पानी में खींचा तो राजेश ने उल्टे उसे ही पकड़ कर पानी में अपनी गोद में बिठा लिया: अब दिखा बहादुरी हाहाहाहाहा
बबीता ने छोटे चूतड़ राजेश की गोद में थे और उसका लंड बबीता की गाड़ के एक हिस्से में रोड के जैसे था
बबीता : अच्छा रुको मै आपको ऐसे भी डुबो दूंगी
बबीता उसको पीछे की ओर धकेलती हुई पानी में उसके सीने पर अपनी पीठ टिका कर नीचे धकेलने लगी और राजेश ने आस पास हाथ मारा , मगर फिसलन भरी हाते की दिवालो ने उसे सहारा नहीं दिया और बबीता ने उसको पानी में डुबोया
पानी में सर जाते ही राजेश की अफनाहट बढ़ी और उसने अब सहारे के लिए बबीता को पकड़ना चाहा और एक हाथ उसने बबीता के पेट पर रखे तो बबीता खिलखिलाती हुई उठने लगी , राजेश ने सहारे के लिए दूसरे हाथ से उसको पकड़ना चाहा और उसने जैसे ही हाथ आगे बढ़ाया उसके हाथ में बबीता की मौसमी जैसी चुची आई ,इतना नरम और गुदाज चर्बीदार अहसास पाते ही राजेश के हाथों में गुदगुदी हुई और पल में ही बबीता पानी ने उठ खड़ी हुई हस्ती हुई , उसे भी अहसास था कि अभी अभी उसके पापा ने उसके नाजुक चुची को दबोच लिया था मगर उसने मस्ती को वेल्यू दी ताकि माैहौल असहज न हो
राजेश झट से पानी से हांफते हुए बाहर आया और बबीता को हंसता देख मुस्कुरा लगा अपनी हार पर

बबीता : हिही हार गए न
राजेश : तू बड़ी चालाक है , चल आजा फिर से
राजेश ने जिस तरह कहा बबीता के जहन में यही आ रहा था कि जरूर उसके पापा दुबारा से मौका चाह रहे है उसकी नरम चूचियों को छूने का , लेकिन वो इतनी आसानी से देगी नहीं ।

बबीता : नहीं नहीं मेरा हो गया , चलो चलते है शाम को रही है
मगर राजेश को इस मस्ती में मजा आ रहा था और उसने लपक कर फिर से बबीता की कलाई पकड़ी और उसे अपने ऊपर खींच लिया और इस बार बबीता की नर्म चूचियां सीधा उसके नथुने पर जा टकराई।
बबीता सिसकी और राजेश उस पल का भरपूर फायदा लेते हुए पानी में उसके नरम चर्बीदार चूतड़ों को पकड़ लिया और उसको अपनी गोद में बिठा लिया आगे

बबीता इस समय अपने पापा की गोद में उसके बाहों की गिरफ्त में थी और छटपटा रही थी
राजेश : बोल डुबो दु ( बबीता को पीछे की ओर गिराता हुआ बोला)
बबीता हाथ चलाने लगी और उसका टीशर्ट पानी के ऊपर होने लगा , जिसका मतलब रह कि पानी उसके टीशर्ट के नीचे से उसकी संतरे जैसी चूचियो को धूल रहा था और नीचे उसका लंड बबीता की गाड़ के ठीक नीचे ठोकर दे रहा था ।
हर बार राजेश जब बबीता को पीछे गिराने के इरादे से उसको पानी में झटका देता उसका लंड बबीता की बुर के निचले हिस्से पर घर्षण करता और बबीता की सिसकी निकल जाती उस कड़क पाइप के अहसास से

बबीता हस्ते हुए : मै गिरा दु आपको
राजेश : गिरा के दिखा , देखूं तो तेरी ताकत
अगले ही पल राजेश उसको पकड़ कर अपने सीने से कस लिया और बबीता कड़क चूचिया उसके सीने से दब गई , बबीता सिसकी और अपने पापा के सीने की गर्माहट पाकर वो कंपकपा सी उठी ।
राजेश हंसता हुआ : अब लगा ताकत , क्यों हार गई ।
बबीता बेचैन थी उसकी चूत बुरी तरह बिलबिला रही थी , छातियों पर अलग ही खुजली मची थी उसपे से उसके पापा ने उसको अपनी बाहों के कसा हुआ था

बबीता मुस्कुराई और उसकी आंखों में खुमारी उतर रही थी : उम्हू , नहीं तो , फिर भी मै ही जीती हूं
राजेश : वो कैसे
बबीता राजेश के सीने से लिपट गई : ऐसे
राजेश उसके अलिंगन से सिहर उठा एक गजब सी ठंडक उसके बदन में उतरने लगी और उसने अपनी लाडली को कस लिया बाहों में
बबीता : पापा आई लव यू
राजेश : मै भी मेरा बच्चा
उसने बबीता के कान के पास उसके गाल को चूमा और बबीता ने दोनों हाथों से उसके बड़े से दाढ़ी वाले चेहरे को थाम कर उसके लिप्स को चूम लिया
राजेश और बबीता दोनों की सांसे तेज थी और गले तक पानी में भी उसकी प्यास बढ़ रही थी , जिस तरह से बबीता ने उसे चूम लिया था । राजेश एक टक अपनी बेटी को निहार रहा था जिसके गुलाबी होठ अभी भी हल्के खुले हुए थे , नथुने भारी गहराती सांसों से फुले जा रहे थे , धड़कने दुगनी गति उसकी नुकीली मौसमियों को सीने पर कोंच रही थी ।

बबीता : पापा चले , लेट हो रहा है
राजेश गुमसुम सा : अच्छा नहीं लग रहा है क्या तुझे
बबीता उससे लिपट कर : लग रहा है लेकिन
राजेश : लेकिन क्या ?
बबीता : कुछ नहीं
राजेश : बोल न बेटा , क्या हुआ
बबीता : ऊहू कुछ नहीं
राजेश : अरे उदास क्यों हो रही है
बबीता : आप पहले जैसे हो जाओगे तो , डर लग रहा है
राजेश उसको अपनी बाहों के भर कर : नहीं होऊंगा ,पक्का वाला प्रोमिस ।
बबीता चहक कर : ठीक है , आज रात मै आपके साथ सोऊंगी
राजेश अटक कर : लेकिन रात को तो मै गोदाम पर रहूंगा
बबीता : तो क्या हुआ मै भी चलूंगी ,
राजेश : तू क्या करेगी वहां ?
बबीता : आप काम करना मै आपके मोबाइल में फिल्म देखूंगी हीही
मोबाइल की बात सुनकर ही राजेश का लंड एकदम से अकड़ गया
राजेश हस कर : बदमाश कही की , नहीं मिलेगी तुझे अब मोबाइल
बबीता : क्यों ?
राजेश : देखा मैने दुपहर में तू क्या देख रही थी ।
बबीता एकदम से शर्मा गई : तो आपने रखी क्यों थी उसमें , मेरी क्या गलती
राजेश : लेकिन तुझे नही देखना चाहिए था न , बंद करके रख देना चाहिए था न उम्मम
बबीता : और आप उसमें जो कर रहे थे वो बोलूं मम्मी को
बबीता ने सीधे हड़काया
राजेश हस कर : तुझे कैसे पता उसमें मै ही था , कोई और नहीं ?
बबीता : आपकी आवाज सुनी मैने उसमें , हा , झूठ मत बोलो
राजेश का लंड नीचे से पंप हो रहा था और उसकी सांसे तेज थी ।
राजेश : और तू जो कर रही थी वो वीडियो देख कर वो ?
बबीता एकदम से शर्म से गाढ़ हो गई और उसे समझ नहीं आया क्या रिएक्ट करे : मैने क्या किया , मै तो मोबाइल रख कर सो रही थी
राजेश : और सोने से पहले जो किया वो ? कच्छी देखी थी मैने तेरी कितनी गीली थी
बबीता अब और शर्माने लगी : धत्त पापा , गंदे हो आप , मत याद दिलाओ न
राजेश : मै तो दिलाऊंगा , अगर तू तेरी मां को कहेगी तो ऐसे ही याद दिलाऊंगा
बबीता : और नहीं कहूंगी तो , मोबाइल दोगे न ?
राजेश : हम्म्म ठीक है ले लेना , लेकिन बस फिल्म देखने के लिए वो सब के लिए नहीं , ठीक है
बबीता अपने होठ चिपकाए मुस्कुराती हुई हा में सर हिलाई और दोनो उठ कर बाहर आ गए ।

राजेश का लंड एकदम अकड़ा हुआ था हुआ अंडरवियर में तंबू बना हुआ और बबीता ने उसे देखा और उसकी बुर की खुजली और तेज हो गई ।
कबसे वो लंड उसकी बुर के नीचे फुदक रहा था उसको घिस रहा था
राजेश: जा कपड़े बदल ले चल घर चलते है
बबीता न ज्यादा कुछ न बोलते हुए मुस्कुरा कर चली गई

वही दूसरी ओर घर पर बनवारी लाल कमरे में दाखिल हुआ तो देखा गीता पेट के बल होकर सोई हुई है और उसकी हल्की प्लाजो से उसकी गुलाबी ब्लूमर झलक रही थी ।


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उसके बड़े मोटे चूतड़ देख कर बनवारी की नजरे वही जम सी गई मगर वो खुद को शांत करता हुआ कमरा बंद कर गीता के पास गया और उसको दुलारता हुआ उठाने लगा
बनवारी : क्या हुआ मीठी , क्यों घूमने नहीं गई आज
गीता सुबक रही थी : मुझे आपसे बात नहीं करनी
बनवारी उसको पकड़ कर उठाता हुआ बिस्तर पर बिठाया : अरे क्या हो गया मेरी लाडो को , क्यों रो रही है
गीता : आप मुझसे प्यार नहीं करते
बनवारी को समझते देर नहीं लगी कि गीता का इशारा किस तरफ , वो उसको अपने सीने से लगाए उसके माथे चूमता हुआ उसको दुलारने लगा : ऐसा नहीं कहते बेटा , तेरे दादू तुझसे बहुत प्यार करते है
गीता : नहीं करते हो आप
बनवारी उसकी जिद से अंजान नहीं था , वो बचपन से गीता की जिद को जानता था एक बार जो ठान ले वो तो करके ही मानेगी , लेकिन आज की स्थिति अलग थी । जिस नातिन को उसने अपनी गोद में खिलाया कैसे वो उसके नाजुक जिस्मों को मसलेगा , उन्हें नोचेगा। लेकिन उसके जहन में अपनी बेटियों का ख्याल भी आ रहा था ।
बनवारी उसके पीठ पर हाथ फेर रहा था जिससे गीता के जिस्म में गुगुदाहट सी हो रही थी : अच्छा ठीक है अब तुझे देखने के लिए नहीं डाटूंगा ठीक है लेकिन वादा कर इस बारे में तू किसी से नहीं कहेंगी
गीता चहक कर लिपट गई उससे तो बनवारी बिस्तर पर गिरने लगा था , मगर उसने खुद को संभालता : अरे हाहाहा देखो तो कैसे नाटक कर रही थी , अच्छा सुन खाना खाया तूने
गीता मुस्कुरा कर : आपको लगता है मै बिना खाए रह पाउंगी मैने चुपके से खा लिया था पहले ही हीही
बनवारी उसके चब्बी गाल पकड़ता हुए किस करता हुआ : बदमाश कही की , अच्छा ये बता तुझे कब ज्यादा अच्छा लगता है, मुझे अकेले देख कर या किसी के साथ देख कर ।
गीता शर्माने लगी और मुस्कुराकर बनवारी के कांख में दुबकने लगी अपने चेहरे छिपाने लगी ।
बनवारी : अरे अब क्यों शर्मा रही है बोल न ,
गीता बनवारी के सीने पर मुंह लगाए हुए : सब अच्छा लगता है दादू , बस आप वो कमला आंटी से वो सब मत किया करो
बनवारी चौक कर : क्यों ?
गीता : बस वैसे ही , वो कितनी गंदी है सबको आपके बारे में बताती है ।
बनवारी कमला के स्वभाव से परिचित था और ये भी जनता था गोदाम पर काम करने वाले बाकी दूसरे मजदूर भी उसके इस रिश्ते के बारे में जानते थे ।
बनवारी : अरे फिर तो उससे सावधान रहना होगा
गीता हस कर : और थोड़ा पापा से भी
बनवारी : उससे कैसा डर ?
गीता चहक कर : मम्मी से खूब पट रही थी आज उनकी
बनवारी चौक कर : क्या सच में
गीता : हम्ममम , अभी दोपहर में दोनों कर भी रहे थे अपने कमरे में , खूब देर तक
बनवारी का लंड अकड़ने लगा अपनी बहु की चुदाई सुनकर
बनवारी हस कर उसके पेट पर गुदगुदाते हुए : बदमाश कही की , तू सबको देखती है छिपकर
गीता खिलखिलाई : नहीं लेकिन मुझे अच्छा नहीं लग रहा है , आप रहते हो मम्मी के साथ तो अच्छा लगता है ।
बनवारी का लंड फड़का और अपना लंड सहला कर : तुझे अच्छा लगता है जब मै तेरी मम्मी के साथ करता हु
गीता ने शर्मा कर हुंकारी भरी : आप कितने प्यार से करते हो, और पापा बस नोचते है उनको और जल्दी जल्दी करते है
बनवारी पर अब नशा छा रहा था उसका लंड पजामे में तंबू बना चुका था और उसके बाहों में गीता का गुदाज चर्बीदार जिस्म उसको गुदगुदा रहा था उसका एक हाथ जो कुछ देर पहले ही गीता के पेट पर आया था वो वासना के जज्बात में बहने लगा और उसके नरम चर्बीदार मोटी छातियों की ओर बढ़ने लगा और गीता इस अहसास से पिघलने लगी थी, उसकी सांसे तेज हो रही थी ।
बनवारी : सच में क्या , तुझे कुछ नहीं होता जब मै तेरी मम्मी को छूता हूं
गीता सिहर उठी और कुंमुनाने लगी : होता है न , खुजली जैसी होती है
बनवारी का लंड फड़कने लगा उसके हाथों में कठोरता आने लगी और गीता हल्की दर्द से तड़पी।
बनवारी : कहा पर होता है उम्मम
गीता सिहर कर सिसकती हुई कुनमुनाई : सूऊऊ अह्ह्ह्ह वही पर जहां आप दबा रहे हो


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बनवारी का हाथ अबतक उसके टीशर्ट में घुस कर उसके बाएं चूची को ब्रा के ऊपर से मसल रहा था और उसकी किशमिश जैसी निप्पल पर हथेली रेंग रही थी ।
बनवारी उसके गुदाज पाव जैसी फुली हुई चुचियों को टीशर्ट में हाथ घुसा कर सहलाते हुए : अभी भी हो रही है क्या बेटा
गीता सिहर कर: हम्ममम बहुत ज्यादा सीईईईई आह्ह्ह्ह वही पर वो निप्पल के पास
बनवारी ने ब्रा में उभरे हुए उसके किशमिश के दाने जैसे निप्पल को उंगली से रगड़ा और गीता अपनी टांगे फैला कर अकड़ने लगा ।
गीता : अह्ह्ह्ह सीईईईईई दादू उम्ममम अह्ह्ह्ह
बनवारी उसकी छटपटाहट देखकर और भी जोश में आ गया , उसकी गोद में उसकी लाडली नातिन थी जिसके नाजुक किशमिश के दाने को वो अंगूठे और उंगली से पकड़ कर घुमा रहा था ।
बनवारी : यही पर हो रहा है न बेटा रुक जा इसे भी खोल दूं
गीता : अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म दादू अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह क्या कर रहे हो ओह्ह्ह्ह कितना ठंडा है जीभ आपका अह्ह्ह्ह


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बनवारी उसकी दोनों चूचियां ब्रा से बाहर निकाल कर मुंह लगा दिया और उसके दाहिए निप्पल को चुबलाने लगा , गीता पागल होने लगी ।
बनवारी का दूसरा हाथ उसकी बाई छाती पर था जिसे वो अपनी सख्त हथेली में मिज रहा था उसका लंड पजामे में खूब कड़ा हो गया था और गीता ने हाथ बढ़ा कर उसका लंड सहलाने लगी जिससे बनवारी की हालत खराब होने लगी ।


वही घर में ऊपर की छत पर सुनीता कपड़े उतारने पहुंची थी और रंगीलाल ने मौका देख कर दूसरी तरफ वाले जीने से ऊपर चला गया ।
सुनीता उसको ऊपर देखते ही मुस्कुराने लगी और रंगी भी मुस्कुराता हुआ उसके पास चला गया ।
सुनीता अरगन से साड़ी खींचती हुई : अरे ऊपर क्यों चले आए , नीचे आराम करना चाहिए था ।


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रंगीलाल मुस्कुराता कर दूसरे कपड़े उतरता हुआ : अपने प्यार को काम करता देख मुझे आराम कैसे हो सकता है भला
संगीता लाज से गाढ़ होने लगी और हसने लगी : धत्त छोड़िए , कोई देखेगा तो क्या कहेगा
रंगीलाल ने देखा वो दोनों इस दोनों तरफ कपड़ो से घिरे थे , चादर साड़ीयो से
रंगी : यहां हमे कौन देख पाएगा
सुनीता ने आसपास देखा और वो हल्की सी सहम गई और वहां से निकलने का सोचा
रंगी ने लपक कर उसकी कलाई पकड़ ली और सुनीता की धड़कने तेज हो गई और उसकी तेज सांसों से ब्लाऊज में उसकी छातियां ऊपर नीचे होने लगी , पेट अंदर की ओर दबने लगे । रंगी भी उसकी कोमल कलाई को पकड़ कर सिहर उठा था , उसके भी भीतर एक डर सा था कि कही सुनीता इसका विरोध न करे ।
सुनीता : धत्त छोड़ो न , प्लीज , कोई देख लेगा
ये शब्द रंगी के कान में पड़ते ही वो समझ गया कि सुनीता अब उसे नहीं रोकने वाले उसे ही पहल करनी हैं और वो उसको पकड़ कर अपनी ओर खींचा और वो उसकी बाहों में आ गई
उसकी मोटी चूचियां गद्द से उसके सीने से जा लगी और सुनीता की नजरे उसकी आंखों से जा टकराई ।
दोनों की गर्म सांसे आपस में टकरा रही थी और दोनों हाफ रहे थे , धड़कने दोनों की तेज थी ।
सुनीता : आपने तो कहा थे जब तक मै न कहूं आप कुछ नहीं करेंगे
रंगी : कह तो रहे ये तुम्हारे होठ
रंगी ने उसके नरम लिपस्टिक वाले होठों को अपने उंगलियों से छुआ और वो आंखे बंद सिहर उठी
रंगी : ये कह रहे है मुझे चूम लो
सुनीता की सांसे तेज होने लगी और गला सूखने लगा और अगले ही पल रंगी ने अपने होठ उसके होठ से लगा दिए और उस अहसास से दोनों के बदन में कंपकपी सी महसूस हुई और दोनों एक दूसरे के होठ चूसने लगे ।


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रंगी ने सुनीता को अपनी ओर और कस लिया जोश में और सुनीता बिना विरोध के उससे लिपट गई ।

तभी नीचे कुछ दस्तक हुई , कोई बनवारी को आवाज दे रहा था और दोनों अलग हुए और सुनीता लाज से मुस्कुराने लगी : धत्त गंदे , जाओ अब
रंगी हंसता हुआ : अरे सच में हेल्प करने आया था
सुनीता हस्ती हुई : अच्छा जी , बड़े आए
रंगी लाल दूसरे कपड़े खींचने लगा कि एक पेटीकोट खींचते ही उसके नीचे एक लाल जोड़े में उसकी ब्रा और पैंटी चिमटी से तंगी मिली और उसे देखते हुए रंगी वही रुक गया ,


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एकदम से सुनीता की नजरे उस पर गई और वो शर्म से लाल होने लगी ।
रंगी : उफ्फ क्या रंग है , उम्ममम अह्ह्ह्ह क्या खुशबू है
रंगी उसके पास जाकर उसकी पैंटी को सूंघने लगा
तभी सुनीता आई और झट से वो ब्रा पैंटी खींच ली : धत्त गंदे , क्या करते हो
रंगी ने उसको पकड़ कर अपनी ओर खींचा और उसके लिप को छूता हुआ : ये होठ तो चख लिए , दूसरे होठों का स्वाद भी देदो न
सुनीता उसके स्पर्श से पिघलने लगी थी लेकिन जैसे ही रंगी ने इनडायरेक्टली उसके चूत की बात कही वो शर्मा कर हसने लगी : धत्त , नहीं कुछ ज्यादा तेजी नहीं है आपको
रंगी ने उसके कमर के पास उसके कूल्हे सहलाता हुआ : तुम्हे देख कर मेरी सांसे तेज हो जाती है तो क्या करु
सुनीता : अपनी सांसों से कहिए कि अभी सबर करें
रंगी लाल उसको अपनी ओर कसता हुआ : अब नहीं होता मेरी जान , दीदार ही करा दो न
सुनीता : अह्ह्ह्ह्ह छोड़िए , कुछ नहीं मिलेगा अब
सुनीता उससे अलग होकर जल्दी जल्दी चादर नीचे उतार दिए ताकी रंगी की मनमानी थमे और रंगी खुले में आते ही एकदम से नॉर्मल हो गया लेकिन बस हरकतों से , आंखे अभी भी दुनिया को छेड़ने से बाज नहीं आ रही थी ,
वो भी जीने से नीचे उतरने लगा सुनीता के साथ और उसके चौड़े चूतड़ों की थिरकन देखकर उसका लंड पजामे में तंबू बना रहा था ।
सुनीता ने मूड कर पीछे देखा तो रंगी की नजरे अपने चूतड़ों पर पाई और हस कर : लालची कही के ।

फिर वो कमरे में चली गई
रंगीलाल भी बरामदे में आया तो देखा कि बनवारी अपने कमरे के बाहर एक आदमी से बात कर रहा है और उसके साथ एक महिला भी थी जिसके मोटे चौड़े कूल्हे और थन जैसी चूचियां देख कर रंगी का लार टपकने लगा और रंगी अपना लंड सेट करता हुआ बनवारी के पास पहुंचा और बैठ गया ।
थोड़ा चिर परिचय हुआ और इतने देर में सुनीता पानी लेकर आई और उसने देखा उसके पास आने का रंगी पर कोई फर्क नहीं हुआ वो एक टक नजर गड़ाए उस औरत के ब्लाउज में ठूंसे हुए चूचे निहार रहा था जो पल्लू से बाहर निकल कर दिख रही थी ।
सुनीता एकदम से भूनकी और आंखे महीन कर रंगी को घूरा और एकदम से रंगी की नजर उससे टकराई तो उसकी हालत खराब होने लगी ।
बनवारी : लीजिए जमाई बाबू , पानी पीजिए , बहु जरा मेरे लिए भी पानी लाना
सुनीता मुंह बना कर रंगी को घूरती हुई : जी लाती हु बाउजी
रंगी उसके मटकते चूतड़ों को देखकर : नहीं बाउजी , आप पीजिए , मै थोड़ा कुल्ला करके पियूंगा बाथरूम में ही जा रहा हूं और वो उठ कर उधर ही चल सुनीता के पीछे ।
फिर जब सुनीता किचन में गई तो रंगीलाल ने एक नजर बनवारी की ओर देखा और उसे व्यस्त पाकर लपक कर सीधे किचन में घुस गया ।
सुनीता अभी गागर से पानी निकाल रही थी झुक कर कि रंगी ने उसको पीछे से पकड़ लिया और वो एकदम से चौकी : हाय दैय्या , आप छोड़ो मुझे
एकदम से सुनीता ने डांट लगाई और रंगी पीछे हो गया
सुनीता उसको पानी का ग्लास देते हुए : हम्म्म लीजिए , और जाइए
रंगी : अरे नाराज क्यों हो रही हो
सुनीता ने गुस्से से उसे घूरा तो रंगी की हालात खराब होने लगी
सुनीता: आप सारे मर्द एक जैसे होते है , जहां भी औरत दिखी लार टपकने लगती है आप लोगों की
रंगी समझ गया कि अभी भी सुनीता भड़की है
रंगी उसको अपनी बाहों के भर कर : वो मै बस उसके ब्लाउज के डिजाइन देखने की कोशिश कर रहा था
सुनीता उसकी बाहों में कसमसाती हुई मुंह बनाती हुई तुनकी: हूह , तो जाओ न देखो उसी का , मुझे छोड़ो
रंगी उसको अपनी बाहों को छटपटा देख हंसता हुआ : चला जाऊंगा , पहले तुम तो दिखाओ न
और रंगी एक उंगली से उसके पल्लू को सीने से हटाने लगा तो सुनीता मुस्कुराने लगी और उसका हाथ पकड़ कर रोकने लगी : धत्त नहीं रुको , पागल मत बनो कोई आ जाएगा
रंगी : बस थोड़ा सा दिखा दो न
सुनीता : अच्छा ठीक है छोड़ो पहले , उफ्फ
सुनीता अलग हुई और अपने कपड़े सही करते हुए : आप कमरे में चलो मै चाय लेकर आती हूं
रंगी चहक कर : सच में
सुनीता ने आस पास देखा : हा बाबा सच में अब जाओ
रंगी खुश होकर उसके गाल चूम लिया और निकल गया रसोई से , वही सुनीता ने राहत की सांस ली । ना जाने क्या हो जाता है उसे जब रंगी उसके साथ होता है वो बहकने लगती है । तभी बनवारी ने फिर आवाज दी और सुनीता जल्दी जल्दी चाय बनाने लगी


जारी रहेगी ।
बहुत ही उम्दा अपडेट थी मित्र, एक साथ कई जगह इतने उत्तेजित करने वाले दृश्य बन रहे हैं, इससे आगे के लिए तो और उत्सुकता बढ़ गई है
 
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