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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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#107.

माया महल

(19,110 वर्ष पहलेः ऐजीयन सागर, ग्रीक प्रायद्वीप)


नीले रंग का समुद्र का पानी देखने में बहुत सुंदर लग रहा था। बहुत से खूबसूरत जलीय जंतु गहरे समुद्र में तैर रहे थे।


समुद्र का पानी बिल्कुल पारदर्शी और स्वच्छ लग रहा था। मछलियों का विशाल झुंड पानी में बुलबुले बनाते हुए अठखेलियां खेल रहा था।

उसी गहरे पानी में एक बड़ा सा मगरमच्छ तेजी से तैरता हुआ एक दिशा की ओर जा रहा था। उस मगरमच्छ पर एक अजीब सा दिखने वाला जलमानव सवार था।

देखने में वह जलमा नव मनुष्य जैसा ही था, पर उसके हाथ की उंगलियों के बीच मेढक के समान जालीदार संरचना थी। उसके शरीर की चमड़ी का रंग भी हल्के हरे रंग की थी।

उसके कान के पीछे मछलियों की भांति गलफड़ बने हुए थे, जिसके द्वारा वह जलमानव पानी में भी आसानी से साँस ले रहा था।

पानी के सभी जलीय जंतु, उस मगरमच्छ को देखकर उसके रास्ते से हट जा रहे थे।

कुछ ही देर में उस जलमानव को पानी की तली में एक जलमहल दिखाई दिया।
वह महल पूरी तरह से मूंगे और मोतियों से बना हुआ था। महल बनाने में कुछ जगह पर धातुओं का भी प्रयोग किया गया था।

वह महल काफी विशालकाय था। समुद्री रत्न जड़े उस महल की भव्यता देखने लायक थी।

महल के बाहर पहुंचकर वह जलमानव मगरमच्छ से उतरा और तेजी से भागकर महल में दाखिल हो गया।

महल के अंदर भी हर जगह पानी भरा था। महल में कुछ अंदर चलने के बाद उस जलमानव को एक बड़ा सा दरवाजा दिखाई दिया।

उस दरवाजे के बाहर एक घंटा लगा था। जलमानव ने घंटे को 2 बार जोर से बजाया और दरवाजे के बाहर खड़े होकर, सिर झुकाकर दरवाजे के खुलने का इंतजार करने लगा।

कुछ ही देर में वह दरवाजा खुला। दरवाजे के खुलते ही जलमानव अंदर दाखिल हो गया।

दरवाजा एक बहुत बड़े कमरे में खुल रहा था, वह कमरा देखने में किसी राजा के दरबार की मांनिंद प्रतीत हो रहा था।

उस कमरे के एक किनारे पर लगभग 50 सीढ़ियां बनीं थीं। ये सीढ़ियां एक विशालकाय सिंहासन पर जा कर खत्म हो रहीं थीं। वह सिंहासन भी समुद्री रत्नों से बना था।

उस सिंहासन पर एक भीमकाय 7 फिट का मनुष्य बैठा था, जिसने हाथ में एक सोने का त्रिशूल पकड़ रखा था।

यह था समुद्र का देवता- पोसाईडन।

पोसाईडन के घुंघराले बाल पानी में लहरा रहे थे। पोसाईडन की पोशाक भी सोने से निर्मित थी और जोर से चमक बिखेर रही थी।

वह जलमानव पोसाईडन के सामने सिर झुकाकर खड़ा हो गया।

“बताओ नोफोआ क्या समाचार लाये हो?” पोसाईडन की तेज आवाज वातावरण में गूंजी।

पोसाईडन की आवाज सुन नोफोआ ने अपना सिर ऊपर उठाया और फिर धीरे से बोला-

“ऐ समुद्र के देवता मैंने आज अटलांटिक महासागर में, समुद्र की लहरों पर तैरता हुआ एक बहुत खूबसूरत महल देखा। मैंने आज तक वैसा सुंदर महल इस दुनिया में कहीं नहीं देखा। वह नाजाने किस तकनीक से बना है कि पत्थरों से बने होने के बावजूद भी वह पानी पर तैर रहा है।”

“पानी पर तैरने वाला महल?” पोसाईडन की आँखों में भी आश्चर्य के भाव उभरे- “यह कौन सी तकनीक है? और कौन है वह दुस्साहसी जिसने बिना पोसाईडन की अनुमति लिये समुद्र की लहरों पर महल बनाने की
हिम्मत की?”

“मैंने भी यह जानने के लिये, उस महल में घुसने की कोशिश की, पर किसी अदृश्य दीवार की वजह से मैं उस महल में प्रवेश नहीं कर पाया।” नोफोआ ने कहा।

“ठीक है, तुम मुझे वहां की लहरों की स्थिति बता दो, मैं स्वयं जा कर उस महल को देखूंगा।” पोसाईडन ने नोफोआ को देखते हुए कहा।

“ठीक है देवता।” यह कहकर नोफोआ ने उस कमरे में रखे एक बड़े से ग्लोब को देखा।

वह ग्लोब पूर्णतया पानी से बने पृथ्वी के एक मॉडल जैसा था, जो कि पानी में होकर भी अपनी अलग ही उपस्थिति दर्ज कर रहा था।

वह पानी का ग्लोब एक छोटी सी सोने की टेबल पर रखा था। ग्लोब के बगल में लकड़ी में लगे, कुछ लाल रंग के फ्लैग रखे थे। फ्लैग आकार में काफी छोटे थे।

नोफोआ ने पास रखे एक छोटे से फ्लैग को उस ग्लोब में एक जगह पर लगा दिया- “यही वह जगह है देवता, जहां मैंने उस महल को देखा था।”

“ठीक है अब तुम जा सकते हो।” पोसाईडन ने नोफोआ को जाने का इशारा किया।

इशारा पाते ही नोफोआ कमरे से बाहर निकल गया।

“मेरी जानकारी में पानी पर महल बनाने की तकनीक तो पृथ्वी पर किसी के पास भी नहीं है।” पोसाईडन ने मन ही मन में सोचा - “अब तो इस महल के रचयिता से मिलकर, मेरा इस नयी तकनीक के बारे में जानना बहुत जरुरी है।”

यह सोच पोसाईडन अपने स्थान से खड़ा हुआ और सीढ़ियां उतरकर उस पानी के ग्लोब के पास आ गया।

पोसाईडन ने एक बार ध्यान से ग्लोब पर लगे फ्लैग की लोकेशन को देखा और फिर अपने महल के बाहर की ओर चल पड़ा।

महल के बाहर निकलकर पोसाईडन ने अपने त्रिशूल को पानी में गोल-गोल घुमाया।

त्रिशूल बिजली की रफ्तार से पोसाईडन को लेकर समुद्र में एक दिशा की ओर चल दिया।

साधारण इंसान के लिये तो वह दूरी बहुत ज्यादा थी, पर पोसाईडन, नोफोआ के बताए नियत स्थान पर, मात्र आधे घंटे में ही पहुंच गया।

पोसाईडन अब समुद्र की गहराई से निकलकर लहरों पर आकर खड़ा हो गया।

अब वह उस दूध से सफेद महल के सामने था। नोफोआ ने जितना बताया था, वह महल उस से कहीं ज्यादा खूबसूरत था।

समुद्र की लहरों पर एक 400 मीटर क्षेत्रफल का संगमरमर के पत्थरों का गोल बेस बना था, जिसकी आधे क्षेत्र में उन्हीं सफेद पत्थरों से एक शानदार हंस की आकृति बनी थी। उस हंस की पीठ पर सफेद पत्थरों से निर्मित एक बहुत ही खूबसूरत महल बना था।

दूर से देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी हंस ने एक महल को अपनी पीठ पर उठा रखा हो।
हंस अपने पंखों को भी धीरे-धीरे हिला रहा था।

हंस के सिर के ऊपर एक सफेद बादलों की टुकड़ी भी दिखाई दे रही थी, जो उस महल के ऊपर सफेद मखमली बर्फ का छिड़काव कर रही थी।

हंस की चोंच से एक विशाल पानी का झरना गिर रहा था, जो कि हंस के नीचे खड़े एक काले रंग के हाथी पर गिर रहा था।

हाथी के चारो ओर एक पानी का तालाब बना था, हाथी अपनी सूंढ़ से पानी भरकर चारो ओर, हंस के सामने मौजूद बाग में फेंक रहा था।

हंस के सामने बना बाग खूबसूरत फूलों और रसीले फलों से भरा हुआ था, जहां पर बहुत से हिरन और मोर घूम रहे थे।

बाग में एक जगह पर एक विशाल फूलों का बना झूला भी लगा था। उस बाग में कुछ अप्सराएं घूम रहीं थीं।

महल के बाहर समुद्र के किनारे-किनारे पानी में कुछ जलपरियां हाथों में नुकीले अस्त्र लिये घूम रहीं थीं।

उन्हें देखकर ऐसा महसूस हो रहा था, मानों वह महल की रखवाली कर रहीं हों। पोसाईडन इतना शानदार महल देखकर मंत्रमुग्ध रह गया।

“इतना खूबसूरत महल तो मैंने भी आजतक नहीं देखा, ऐसा महल तो समुद्र के देवता के पास होना चाहिये। लेकिन पहले मुझे पता करना पड़ेगा कि ये महल बनाया किसने? और इसको बनाने में किस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है?” यह सोच पोसाईडन उस महल की ओर बढ़ गया।

महल में जाने के लिये सीढ़ियां बनीं हुईं थीं। पोसाईडन जैसे ही सीढ़ियों पर कदम रखने चला, जलपरियों ने
पोसाईडन का रास्ता रोक लिया।

यह देखकर पोसाईडन को पहले तो आश्चर्य हुआ और फिर जोर का गुस्सा आया। वह गर्जते हुए बोला- “तुम्हें पता भी है कि तुम किसका रास्ता रोक रही हो ?”

“हमें नहीं पता?” एक जलपरी ने कहा- “पर हम बिना इजाजत किसी को भी अंदर जाने नहीं दे सकतीं। आपको हमारे स्वामी से महल में प्रवेश करने की अनुमति लेनी पड़ेगी।”

“बद्तमीज जलपरी, मैं सर्वशक्तिमान समुद्र का देवता पोसाईडन हूं, मेरे क्षेत्र में मुझे किसी से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। पर तुम्हें मुझे रोकने की सजा जरुर भुगतनी पड़ेगी।”

इतना कहकर पोसाईडन ने अपना त्रिशूल हवा में लहराया, तुरंत एक पानी की लहर उठी और उस जलपरी को लेकर पानी की गहराई में समा गयी।

“और किसी में है हिम्मत मुझे रोकने की?” पोसाईडन फिर गुस्से से दहाड़ा।

पर इस बार कोई भी जलपरी आगे नहीं आयी, लेकिन सभी जलपरियां अपनी जगह खड़ी हो कर मुस्कुराने लगीं।

पोसाईडन को उन जलपरियों का मुस्कुराना समझ में नहीं आया, पर वह उनकी परवाह किये बिना सीढ़ियों की ओर आगे बढ़ा।

सिर्फ 4 सीढ़ियां चढ़ने के बाद पोसाईडन को अपने आगे एक अदृश्य दीवार महसूस हुई।

पोसाईडन ने दीवार पर एक घूंसा मारा, पर दीवार पर कोई असर नहीं हुआ। यह देख पोसाईडन ने गुस्से से अपना त्रिशूल खींचकर उस दीवार पर मार दिया।

त्रिशूल के उस दीवार से टकराते ही एक जोर की बिजली कड़की, पर अभी भी दीवार पर कोई असर नहीं हुआ।

अब पोसाईडन की आँखों में आश्चर्य उभरा- “ये कैसी अदृश्य दीवार है, जिस पर मेरे त्रिशूल का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा ?”

अब पोसाईडन की आँखें गुस्से से जल उठीं। उसे अब जलपरियों के हंसने का कारण समझ आ गया।
इस बार पोसाईडन ने अपना त्रिशूल उठा कर आसमान की ओर लहराया।

आसमान में जोर से बिजली कड़की और समुद्र का पानी अपना विकराल रुप धारण कर सैकड़ों फिट ऊपर आसमान में उछला और पूरी ताकत से आकर उस महल पर गिरा।

सारी जलपरियां इस भयानक तूफान का शिकार हो गईं, पर एक बूंद पानी भी उस छोटे से महल के ऊपर नहीं गिरा, सारा का सारा पानी उस अदृश्य दीवार से टकरा कर वापस समुद्र में समा गया।

पोसाईडन के क्रोध का पारा अब बढ़ता जा रहा था। अब पोसाईडन ने अपना त्रिशूल पूरी ताकत से उस महल की सीढ़ियों पर मारा, एक भयानक ध्वनि ऊर्जा वातावरण में गूंजी।

महल की 4 सीढ़ियां टूटकर समुद्र में समा गईं, पर उस अदृश्य दीवार ने पूरी ध्वनि ऊर्जा, अपने अंदर सोख ली और महल पर इस बार भी कोई असर नहीं आया।

अब पोसाईडन की आँखें आश्चर्य से सिकुड़ गईं। लेकिन इससे पहले कि पोसाईडन अपनी किसी और शक्ति का प्रयोग उस महल पर कर पाता, तभी महल का द्वार खोलकर एक लड़का और एक लड़की बाहर आये।

उन्होंने झुककर पोसाईडन का सम्मान किया और फिर लड़के ने कहा-
“सर्वशक्तिमान, महान समुद्र के देवता को कैस्पर और मैग्ना का नमस्कार। शांत हो जाइये देवता, उन जलपरियों को आपके बारे में कुछ
नहीं पता था। अच्छा किया जो आपने उन्हें दंड दिया। देवता, हम आपका अपमान नहीं करना चाहते थे, सब कुछ गलती से हो गया। जिसके लिये हम एक बार फिर आपसे क्षमा मांगते हैं और हम आपसे निवेदन करते हैं कि आप हमारे महल का आतिथ्य स्वीकार करें।”

ऐसे विनम्र स्वर को सुनकर पोसाईडन का गुस्सा बिल्कुल ठंडा हो गया।

कैस्पर ने महल से बाहर आकर पोसाईडन के हाथ पर एक रिस्टबैंड बांध दिया- “अब आप अंदर प्रवेश कर सकते हैं देवता।”

पोसाईडन ने एक बार अपने हाथ में बंधे रिस्टबैंड को देखा और फिर कैस्पर और मैग्ना के साथ महल के अंदर की ओर चल दिया।

महल के अंदर जाने का रास्ता हंस के गले के नीचे से था, वहां कुछ सीढ़ियां बनी थीं जो कि एक द्वार तक जा रहीं थीं। द्वार से अंदर जाते ही पोसाईडन मंत्रमुग्ध हो गया।

वह एक बहुत ही खूबसूरत कमरा था। कमरे की एक तरफ की दीवारों पर प्रकृति के बहुत ही सुंदर चित्र बने हुए थे, उन चित्रों में दिख रहे झरने और जानवर चलायमान थे।

कमरे की दूसरी ओर की दीवारों पर रंग-बिरंगे फूलों के पौधे, तितलियां और पंछियों के चित्र बने थे। चित्र में मौजूद तितलियां और पंछी भी आश्चर्यजनक तरीके से चल-फिर रहे थे।

कमरे की छत पर ब्रह्मांड दिखाई दे रहा था, जिसमें अनेकों ग्रह हवा में घूमते हुए दिख रहे थे।
कमरे की जमीन काँच से निर्मित थी, जिसके नीचे जलीय-जंतु तैरते हुए दिख रहे थे।

उसी काँच की जमीन पर एक बहुत बड़ी अंडाकार काँच की टेबल रखी थी, जिस पर हजारों तरीके के पकवान और फल रखे नजर आ रहे थे।

काँच की टेबल के चारो ओर सोने की कुर्सियां रखीं थीं। कैस्पर ने पोसाईडन को बीच वाली बड़ी कुर्सी पर बैठने का इशारा किया।

पोसाईडन उस महल की कारीगरी देख बहुत खुश हुआ।

कैस्पर और मैग्ना ने अपने हाथों से पोसाईडन के लिये कुछ पकवान और फल परोस दिये।

थोड़ी सी चीजें खाने के बाद पोसाईडन ने अपने हाथ उठा दिये, जो अब कुछ ना खाने का द्योतक था।

कैस्पर और मैग्ना अब हाथ बांधकर पोसाईडन के सामने खड़े हो गये और उसके बोलने का इंतजार करने लगे।

“तुम लोग कौन हो? और इस महल का निर्माण किसने किया?” पोसाईडन ने पूछा।

“हम साधारण मनुष्य हैं देवता। हमें हमारी गुरुमाता ‘माया’ ने पाला है।”

कैस्पर ने कहा- “इस महल का निर्माण हम दोनों ने ही मिलकर किया है। यह विद्या हमारी गुरुमाता ने ही हमें सिखाई है, इसलिये हमने अपनी इस पहली रचना का नाम ‘माया महल’ रखा है।”

“मैं तुम्हारी गुरुमाता से मिलना चाहता हूं।” पोसाईडन ने कहा- “उनसे जा कर कहो कि समुद्र का देवता पोसाईडन स्वयं उनसे मिलना चाहता है।”

“क्षमा चाहता हूं देवता, पर हमारी गुरुमाता यहां नहीं रहती हैं। वह यहां से 5000 किलोमीटर दूर समुद्र की अंदर बनी गुफाओं में रहतीं हैं।” इस बार मैग्ना ने कहा।

“समुद्र के अंदर बनी गुफाओं में?” पोसाईडन ने आश्चर्य से कहा- “समुद्र के अंदर ऐसी कौन सी गुफा है, जिसके बारे में मुझे नहीं पता।”

“वह स्थान किसी भी मनुष्य और देवता की पहुंच से दूर है।” कैस्पर ने खड़े हो कर चहलकदमी करते हुए कहा- “वह पिछले लगभग 900 वर्षों से वहीं पर रह रहीं हैं, वह हमारे सिवा किसी से नहीं मिलतीं, पर मैं
आपका यह संदेश उन्हें जरुर दे दूंगा और उन्हें आपसे मिलने के लिये आग्रह भी करुंगा।”

“मैं चाहता हूं कि तुम दोनों मेरे लिये भी, समुद्र के अंदर ऐसा ही एक महल बनाओ।” पोसाईडन ने दोनों को बारी-बारी देखते हुए कहा।

“अवश्य बनाएंगे देवता।” मैग्ना ने कहा- “आपके लिये महल बनाना हमारे लिये सौभाग्य की बात है, पर इसके लिये एक बार हमें गुरुमाता से मिलकर बात करनी होगी।”

“ठीक है कर लो बात।” पोसाईडन ने खड़े होते हुए कहा- “मैं तुम्हें 5 दिन का समय देता हूं, 5 दिन बाद मेरा सेवक नोफोआ आकर तुमसे यहीं पर मिल लेगा। उसके आगे का निर्देश तुम्हें वही देगा।”

“ठीक है देवता।” कैस्पर ने कहा।

इसके बाद कैस्पर और मैग्ना पोसाईडन को सम्मान देते हुए बाहर तक छोड़ आये।


जारी रहेगा________✍️
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत अप्रतिम रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
एक के बाद एक नये नये रोमांचक प्रसंग ,
वाह भाई वाह जबरदस्त अपडेट
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

ARCEUS ETERNITY

असतो मा सद्गमय ||
Supreme
1,963
4,816
144
Updates review 5 to 10
Let's review
Christmas party mein shooting competition organize hota hai . competion winner taukifh ,runnerups lothar aur Jake hote hai .

Taukifh aur jenith relationship mein hai
Taukiff france army mein ka suspended officer hai
Apradhi mein taukiff name shamil hosakta hai kyunki wah kuch chhupa raha hai.

Lothar bhi taukiff ka ek sathi ho sakta hai probably.

Jake aur jonny dono criminal hai ye confirm hai par lagta nahi wah dono mukhya villian ho sakte hai .
Aur jake bhi Jonny ke kandhe par bandook chala raha hai.

Alex bhi Cristina se dosti badhna chahta aur isiliye usne Lauren se milkar se natak kiya .

Yaha jonny nikal chuka hai jenith se ek kiss lene par usee pata nahi lara( ship security in charge) ka Left hand
Brandon uske piche hai .

Ye najar rakhne wala unknown men kon ho sakta hai lets see.

Pancho update ache hai , story mein aur suspense add ho chuka hai .
Story mein shayad shaffali fantasy element add character hai .

Overall all updates are awesomes Raj_sharma bhai
Next review after 20th update
 
Last edited:

ARCEUS ETERNITY

असतो मा सद्गमय ||
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Updates review 11 to 20

Shandaar Raj_sharma bhai shandar
Ye Hollywood level ka story plot hai ,
Atlantis, barmuda triangle, supreme the Cruise

story ke main plot focus samne hai, "story supreme par ghum rahe apradhi ka side plot aur altantic Ki mystery aur shaffali ka Atlantis connection mein focus rahega .

Ab samjh bhi aagaya story prefie thriller mein nahi hokar fantasy mein kyo hai.

Lets review Begin
Shurwat supreme par new party se hoti hai aur party ke dauran laurain ka murder hojata hai , ab sawal aata hai kon laurain ka murder hosakta hai kya wo alex hai , ya laurain ka unmention boy friend , ya unknown man .

Update 13 ke last mein

मैं......मैं......तो उस समय सिक्योरिटी के आदमियों के साथ था।“ एकाएक पूछे गए प्रश्न से ब्रैंडन एकदम हड़बड़ा सा गया उसकी हालत का अंदाजा लगाकर, शैफाली के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।
Bradon kuch chhupa raha hai ,kahi Brendon hi toh nahi lauran ka boyfriend ho .

वो....वो....मैं....सिगरेट पीने के लिए डेक पर गया था।“ अचानक इस तरह का प्रश्न पूछ लेने पर, अलबर्ट थोड़ा हड़बड़ा से गए। पर सुयश को यह महसूस हुआ कि अलबर्ट झूठ बोल रहे हैं। पर क्यों ?.....पता नहीं।
Ab professor Albert bhi kuch chhupa rahe par kya ? Kya ho sakta , qaatil toh nahi hai Albert but baat kuch jaroor hai hai .

Captain Roger aur aslam Ki ek chhoti si galti ke chalte supreme ab rasta bhatak hai aur bhawar se Baal baal bacha hai.

हम लोग सूर्यवंशी राजपूत हैं। इस लिए सूर्य हमारे आराध्य देव हैं। मेरे दादा जी भारत में रहते थे। यह निशान उनके हाथ पर बना था। जो मुझे बहुत अच्छा लगता था। एक बार जब दादा जी अमेरिका आये थे, तो मैंने उनका यह निशान कॉपी करके, एक टैटू वाले से अपनी पीठ पर बनवा लिया था
Captain suyash ki back par ek tattoo hai
Agar iss tattoo ka bhi kuch raaz hua toh captain suyash bhi fantasy world se talukath rakh sakte hai .

Captain Roger ka kuch pata nahi hai Ki unhone uss island par kya dekh Liya aur unka sampark tut gaya.

shaffali ke pass Atlantis Se related gold coin mila jisse bahut raaz samne aate hai .

Ek taraf murder mystery dusri taraf Atlantic island Ki mystery ab dekh ye hoga Ki aage kyaa kyaa raaz samne aate hai .

Overall all ten updates are awesomes,
And a lot of informative about a new fantasy world
.
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
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Supreme
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अविस्मरणीय अपडेट है भाई मजा आ गया
बडा ही जबरदस्त अपडेट
Thank you very much for your valuable review and support bhai :thanx: Sath bane rahiye, agla update bhi aa gaya hai, or ho saka to aaj raat ko ek or update de dunga👍
 

Raj_sharma

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Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....
Thanks bhai for your valuable review and support :hug:Sath bane rahiye, jald hi ek or update aapke saame hoga👍
 

Raj_sharma

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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत अप्रतिम रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
एक के बाद एक नये नये रोमांचक प्रसंग ,
वाह भाई वाह जबरदस्त अपडेट
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Aapko kahani pasand aa rahi hai, ye acchi baat hai bhai, sath bane rahiye, aage aur bhi romanchak safar hone wala hai, Thank you very much for your valuable review and support bhai :hug:
 

Raj_sharma

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Overall all updates are awesomes Raj_sharma bhai
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Thank you very much for your wonderful review and support bhai :hug:Main aapke har sawaal ka jabaab de sakta hu bhai,per dunga nahi, kyuki main aapka maja kharab nahi kar sakta, balki aage ke updates me kaafi aue swaal and jabaab aapko milenge, jaise jaise kahani aage badhegi, Rahasya and Romanch badhta jayega:declare:
Waise wo Taufiq तौफीक hai, Jise aapne taukiff bana diya:laughing:
 

Raj_sharma

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Ab samjh bhi aagaya story prefie thriller mein nahi hokar fantasy mein kyo hai.

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Bradon kuch chhupa raha hai ,kahi Brendon hi toh nahi lauran ka boyfriend ho .


Ab professor Albert bhi kuch chhupa rahe par kya ? Kya ho sakta , qaatil toh nahi hai Albert but baat kuch jaroor hai hai .

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Captain suyash ki back par ek tattoo hai
Agar iss tattoo ka bhi kuch raaz hua toh captain suyash bhi fantasy world se talukath rakh sakte hai .

Captain Roger ka kuch pata nahi hai Ki unhone uss island par kya dekh Liya aur unka sampark tut gaya.

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Ek taraf murder mystery dusri taraf Atlantic island Ki mystery ab dekh ye hoga Ki aage kyaa kyaa raaz samne aate hai .

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.
Thank you very much for your amazing review and superb support bhai :hug:
Fantasy theme rakhne ka reason yahi tha ki iska base wahi hai, jBki isme 70% se jyada baate sach hi hongi, is kahani ko likhne me poore 1 saal ki research samil hai, :approve:
Loren ka unnamed boyfriend hi uska katil hai,:shhhh:Per wo kon hai/hoga ye aapko khud hi padhna hoga, waise mujhe ye bhi nahi batana chahiye tha:nope:
Brendon kaatil nahi hai,
Sayad kuch chal raha ho Albert ke dimaak me,🤔
Suyash ki peeth ka tattoo wakai me Rahasyamayi hai bhai:shhhh:
Sath bane rahiye or maja lijiye is Rahasyamayi safar ka:shakehands:
 

Urlover

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माया महल

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नीले रंग का समुद्र का पानी देखने में बहुत सुंदर लग रहा था। बहुत से खूबसूरत जलीय जंतु गहरे समुद्र में तैर रहे थे।


समुद्र का पानी बिल्कुल पारदर्शी और स्वच्छ लग रहा था। मछलियों का विशाल झुंड पानी में बुलबुले बनाते हुए अठखेलियां खेल रहा था।

उसी गहरे पानी में एक बड़ा सा मगरमच्छ तेजी से तैरता हुआ एक दिशा की ओर जा रहा था। उस मगरमच्छ पर एक अजीब सा दिखने वाला जलमानव सवार था।

देखने में वह जलमा नव मनुष्य जैसा ही था, पर उसके हाथ की उंगलियों के बीच मेढक के समान जालीदार संरचना थी। उसके शरीर की चमड़ी का रंग भी हल्के हरे रंग की थी।

उसके कान के पीछे मछलियों की भांति गलफड़ बने हुए थे, जिसके द्वारा वह जलमानव पानी में भी आसानी से साँस ले रहा था।

पानी के सभी जलीय जंतु, उस मगरमच्छ को देखकर उसके रास्ते से हट जा रहे थे।

कुछ ही देर में उस जलमानव को पानी की तली में एक जलमहल दिखाई दिया।
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महल के बाहर पहुंचकर वह जलमानव मगरमच्छ से उतरा और तेजी से भागकर महल में दाखिल हो गया।

महल के अंदर भी हर जगह पानी भरा था। महल में कुछ अंदर चलने के बाद उस जलमानव को एक बड़ा सा दरवाजा दिखाई दिया।

उस दरवाजे के बाहर एक घंटा लगा था। जलमानव ने घंटे को 2 बार जोर से बजाया और दरवाजे के बाहर खड़े होकर, सिर झुकाकर दरवाजे के खुलने का इंतजार करने लगा।

कुछ ही देर में वह दरवाजा खुला। दरवाजे के खुलते ही जलमानव अंदर दाखिल हो गया।

दरवाजा एक बहुत बड़े कमरे में खुल रहा था, वह कमरा देखने में किसी राजा के दरबार की मांनिंद प्रतीत हो रहा था।

उस कमरे के एक किनारे पर लगभग 50 सीढ़ियां बनीं थीं। ये सीढ़ियां एक विशालकाय सिंहासन पर जा कर खत्म हो रहीं थीं। वह सिंहासन भी समुद्री रत्नों से बना था।

उस सिंहासन पर एक भीमकाय 7 फिट का मनुष्य बैठा था, जिसने हाथ में एक सोने का त्रिशूल पकड़ रखा था।

यह था समुद्र का देवता- पोसाईडन।

पोसाईडन के घुंघराले बाल पानी में लहरा रहे थे। पोसाईडन की पोशाक भी सोने से निर्मित थी और जोर से चमक बिखेर रही थी।

वह जलमानव पोसाईडन के सामने सिर झुकाकर खड़ा हो गया।

“बताओ नोफोआ क्या समाचार लाये हो?” पोसाईडन की तेज आवाज वातावरण में गूंजी।

पोसाईडन की आवाज सुन नोफोआ ने अपना सिर ऊपर उठाया और फिर धीरे से बोला-

“ऐ समुद्र के देवता मैंने आज अटलांटिक महासागर में, समुद्र की लहरों पर तैरता हुआ एक बहुत खूबसूरत महल देखा। मैंने आज तक वैसा सुंदर महल इस दुनिया में कहीं नहीं देखा। वह नाजाने किस तकनीक से बना है कि पत्थरों से बने होने के बावजूद भी वह पानी पर तैर रहा है।”

“पानी पर तैरने वाला महल?” पोसाईडन की आँखों में भी आश्चर्य के भाव उभरे- “यह कौन सी तकनीक है? और कौन है वह दुस्साहसी जिसने बिना पोसाईडन की अनुमति लिये समुद्र की लहरों पर महल बनाने की
हिम्मत की?”

“मैंने भी यह जानने के लिये, उस महल में घुसने की कोशिश की, पर किसी अदृश्य दीवार की वजह से मैं उस महल में प्रवेश नहीं कर पाया।” नोफोआ ने कहा।

“ठीक है, तुम मुझे वहां की लहरों की स्थिति बता दो, मैं स्वयं जा कर उस महल को देखूंगा।” पोसाईडन ने नोफोआ को देखते हुए कहा।

“ठीक है देवता।” यह कहकर नोफोआ ने उस कमरे में रखे एक बड़े से ग्लोब को देखा।

वह ग्लोब पूर्णतया पानी से बने पृथ्वी के एक मॉडल जैसा था, जो कि पानी में होकर भी अपनी अलग ही उपस्थिति दर्ज कर रहा था।

वह पानी का ग्लोब एक छोटी सी सोने की टेबल पर रखा था। ग्लोब के बगल में लकड़ी में लगे, कुछ लाल रंग के फ्लैग रखे थे। फ्लैग आकार में काफी छोटे थे।

नोफोआ ने पास रखे एक छोटे से फ्लैग को उस ग्लोब में एक जगह पर लगा दिया- “यही वह जगह है देवता, जहां मैंने उस महल को देखा था।”

“ठीक है अब तुम जा सकते हो।” पोसाईडन ने नोफोआ को जाने का इशारा किया।

इशारा पाते ही नोफोआ कमरे से बाहर निकल गया।

“मेरी जानकारी में पानी पर महल बनाने की तकनीक तो पृथ्वी पर किसी के पास भी नहीं है।” पोसाईडन ने मन ही मन में सोचा - “अब तो इस महल के रचयिता से मिलकर, मेरा इस नयी तकनीक के बारे में जानना बहुत जरुरी है।”

यह सोच पोसाईडन अपने स्थान से खड़ा हुआ और सीढ़ियां उतरकर उस पानी के ग्लोब के पास आ गया।

पोसाईडन ने एक बार ध्यान से ग्लोब पर लगे फ्लैग की लोकेशन को देखा और फिर अपने महल के बाहर की ओर चल पड़ा।

महल के बाहर निकलकर पोसाईडन ने अपने त्रिशूल को पानी में गोल-गोल घुमाया।

त्रिशूल बिजली की रफ्तार से पोसाईडन को लेकर समुद्र में एक दिशा की ओर चल दिया।

साधारण इंसान के लिये तो वह दूरी बहुत ज्यादा थी, पर पोसाईडन, नोफोआ के बताए नियत स्थान पर, मात्र आधे घंटे में ही पहुंच गया।

पोसाईडन अब समुद्र की गहराई से निकलकर लहरों पर आकर खड़ा हो गया।

अब वह उस दूध से सफेद महल के सामने था। नोफोआ ने जितना बताया था, वह महल उस से कहीं ज्यादा खूबसूरत था।

समुद्र की लहरों पर एक 400 मीटर क्षेत्रफल का संगमरमर के पत्थरों का गोल बेस बना था, जिसकी आधे क्षेत्र में उन्हीं सफेद पत्थरों से एक शानदार हंस की आकृति बनी थी। उस हंस की पीठ पर सफेद पत्थरों से निर्मित एक बहुत ही खूबसूरत महल बना था।

दूर से देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी हंस ने एक महल को अपनी पीठ पर उठा रखा हो।
हंस अपने पंखों को भी धीरे-धीरे हिला रहा था।

हंस के सिर के ऊपर एक सफेद बादलों की टुकड़ी भी दिखाई दे रही थी, जो उस महल के ऊपर सफेद मखमली बर्फ का छिड़काव कर रही थी।

हंस की चोंच से एक विशाल पानी का झरना गिर रहा था, जो कि हंस के नीचे खड़े एक काले रंग के हाथी पर गिर रहा था।

हाथी के चारो ओर एक पानी का तालाब बना था, हाथी अपनी सूंढ़ से पानी भरकर चारो ओर, हंस के सामने मौजूद बाग में फेंक रहा था।

हंस के सामने बना बाग खूबसूरत फूलों और रसीले फलों से भरा हुआ था, जहां पर बहुत से हिरन और मोर घूम रहे थे।

बाग में एक जगह पर एक विशाल फूलों का बना झूला भी लगा था। उस बाग में कुछ अप्सराएं घूम रहीं थीं।

महल के बाहर समुद्र के किनारे-किनारे पानी में कुछ जलपरियां हाथों में नुकीले अस्त्र लिये घूम रहीं थीं।

उन्हें देखकर ऐसा महसूस हो रहा था, मानों वह महल की रखवाली कर रहीं हों। पोसाईडन इतना शानदार महल देखकर मंत्रमुग्ध रह गया।

“इतना खूबसूरत महल तो मैंने भी आजतक नहीं देखा, ऐसा महल तो समुद्र के देवता के पास होना चाहिये। लेकिन पहले मुझे पता करना पड़ेगा कि ये महल बनाया किसने? और इसको बनाने में किस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है?” यह सोच पोसाईडन उस महल की ओर बढ़ गया।

महल में जाने के लिये सीढ़ियां बनीं हुईं थीं। पोसाईडन जैसे ही सीढ़ियों पर कदम रखने चला, जलपरियों ने
पोसाईडन का रास्ता रोक लिया।

यह देखकर पोसाईडन को पहले तो आश्चर्य हुआ और फिर जोर का गुस्सा आया। वह गर्जते हुए बोला- “तुम्हें पता भी है कि तुम किसका रास्ता रोक रही हो ?”

“हमें नहीं पता?” एक जलपरी ने कहा- “पर हम बिना इजाजत किसी को भी अंदर जाने नहीं दे सकतीं। आपको हमारे स्वामी से महल में प्रवेश करने की अनुमति लेनी पड़ेगी।”

“बद्तमीज जलपरी, मैं सर्वशक्तिमान समुद्र का देवता पोसाईडन हूं, मेरे क्षेत्र में मुझे किसी से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। पर तुम्हें मुझे रोकने की सजा जरुर भुगतनी पड़ेगी।”

इतना कहकर पोसाईडन ने अपना त्रिशूल हवा में लहराया, तुरंत एक पानी की लहर उठी और उस जलपरी को लेकर पानी की गहराई में समा गयी।

“और किसी में है हिम्मत मुझे रोकने की?” पोसाईडन फिर गुस्से से दहाड़ा।

पर इस बार कोई भी जलपरी आगे नहीं आयी, लेकिन सभी जलपरियां अपनी जगह खड़ी हो कर मुस्कुराने लगीं।

पोसाईडन को उन जलपरियों का मुस्कुराना समझ में नहीं आया, पर वह उनकी परवाह किये बिना सीढ़ियों की ओर आगे बढ़ा।

सिर्फ 4 सीढ़ियां चढ़ने के बाद पोसाईडन को अपने आगे एक अदृश्य दीवार महसूस हुई।

पोसाईडन ने दीवार पर एक घूंसा मारा, पर दीवार पर कोई असर नहीं हुआ। यह देख पोसाईडन ने गुस्से से अपना त्रिशूल खींचकर उस दीवार पर मार दिया।

त्रिशूल के उस दीवार से टकराते ही एक जोर की बिजली कड़की, पर अभी भी दीवार पर कोई असर नहीं हुआ।

अब पोसाईडन की आँखों में आश्चर्य उभरा- “ये कैसी अदृश्य दीवार है, जिस पर मेरे त्रिशूल का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा ?”

अब पोसाईडन की आँखें गुस्से से जल उठीं। उसे अब जलपरियों के हंसने का कारण समझ आ गया।
इस बार पोसाईडन ने अपना त्रिशूल उठा कर आसमान की ओर लहराया।

आसमान में जोर से बिजली कड़की और समुद्र का पानी अपना विकराल रुप धारण कर सैकड़ों फिट ऊपर आसमान में उछला और पूरी ताकत से आकर उस महल पर गिरा।

सारी जलपरियां इस भयानक तूफान का शिकार हो गईं, पर एक बूंद पानी भी उस छोटे से महल के ऊपर नहीं गिरा, सारा का सारा पानी उस अदृश्य दीवार से टकरा कर वापस समुद्र में समा गया।

पोसाईडन के क्रोध का पारा अब बढ़ता जा रहा था। अब पोसाईडन ने अपना त्रिशूल पूरी ताकत से उस महल की सीढ़ियों पर मारा, एक भयानक ध्वनि ऊर्जा वातावरण में गूंजी।

महल की 4 सीढ़ियां टूटकर समुद्र में समा गईं, पर उस अदृश्य दीवार ने पूरी ध्वनि ऊर्जा, अपने अंदर सोख ली और महल पर इस बार भी कोई असर नहीं आया।

अब पोसाईडन की आँखें आश्चर्य से सिकुड़ गईं। लेकिन इससे पहले कि पोसाईडन अपनी किसी और शक्ति का प्रयोग उस महल पर कर पाता, तभी महल का द्वार खोलकर एक लड़का और एक लड़की बाहर आये।

उन्होंने झुककर पोसाईडन का सम्मान किया और फिर लड़के ने कहा-
“सर्वशक्तिमान, महान समुद्र के देवता को कैस्पर और मैग्ना का नमस्कार। शांत हो जाइये देवता, उन जलपरियों को आपके बारे में कुछ
नहीं पता था। अच्छा किया जो आपने उन्हें दंड दिया। देवता, हम आपका अपमान नहीं करना चाहते थे, सब कुछ गलती से हो गया। जिसके लिये हम एक बार फिर आपसे क्षमा मांगते हैं और हम आपसे निवेदन करते हैं कि आप हमारे महल का आतिथ्य स्वीकार करें।”

ऐसे विनम्र स्वर को सुनकर पोसाईडन का गुस्सा बिल्कुल ठंडा हो गया।

कैस्पर ने महल से बाहर आकर पोसाईडन के हाथ पर एक रिस्टबैंड बांध दिया- “अब आप अंदर प्रवेश कर सकते हैं देवता।”

पोसाईडन ने एक बार अपने हाथ में बंधे रिस्टबैंड को देखा और फिर कैस्पर और मैग्ना के साथ महल के अंदर की ओर चल दिया।

महल के अंदर जाने का रास्ता हंस के गले के नीचे से था, वहां कुछ सीढ़ियां बनी थीं जो कि एक द्वार तक जा रहीं थीं। द्वार से अंदर जाते ही पोसाईडन मंत्रमुग्ध हो गया।

वह एक बहुत ही खूबसूरत कमरा था। कमरे की एक तरफ की दीवारों पर प्रकृति के बहुत ही सुंदर चित्र बने हुए थे, उन चित्रों में दिख रहे झरने और जानवर चलायमान थे।

कमरे की दूसरी ओर की दीवारों पर रंग-बिरंगे फूलों के पौधे, तितलियां और पंछियों के चित्र बने थे। चित्र में मौजूद तितलियां और पंछी भी आश्चर्यजनक तरीके से चल-फिर रहे थे।

कमरे की छत पर ब्रह्मांड दिखाई दे रहा था, जिसमें अनेकों ग्रह हवा में घूमते हुए दिख रहे थे।
कमरे की जमीन काँच से निर्मित थी, जिसके नीचे जलीय-जंतु तैरते हुए दिख रहे थे।

उसी काँच की जमीन पर एक बहुत बड़ी अंडाकार काँच की टेबल रखी थी, जिस पर हजारों तरीके के पकवान और फल रखे नजर आ रहे थे।

काँच की टेबल के चारो ओर सोने की कुर्सियां रखीं थीं। कैस्पर ने पोसाईडन को बीच वाली बड़ी कुर्सी पर बैठने का इशारा किया।

पोसाईडन उस महल की कारीगरी देख बहुत खुश हुआ।

कैस्पर और मैग्ना ने अपने हाथों से पोसाईडन के लिये कुछ पकवान और फल परोस दिये।

थोड़ी सी चीजें खाने के बाद पोसाईडन ने अपने हाथ उठा दिये, जो अब कुछ ना खाने का द्योतक था।

कैस्पर और मैग्ना अब हाथ बांधकर पोसाईडन के सामने खड़े हो गये और उसके बोलने का इंतजार करने लगे।

“तुम लोग कौन हो? और इस महल का निर्माण किसने किया?” पोसाईडन ने पूछा।

“हम साधारण मनुष्य हैं देवता। हमें हमारी गुरुमाता ‘माया’ ने पाला है।”

कैस्पर ने कहा- “इस महल का निर्माण हम दोनों ने ही मिलकर किया है। यह विद्या हमारी गुरुमाता ने ही हमें सिखाई है, इसलिये हमने अपनी इस पहली रचना का नाम ‘माया महल’ रखा है।”

“मैं तुम्हारी गुरुमाता से मिलना चाहता हूं।” पोसाईडन ने कहा- “उनसे जा कर कहो कि समुद्र का देवता पोसाईडन स्वयं उनसे मिलना चाहता है।”

“क्षमा चाहता हूं देवता, पर हमारी गुरुमाता यहां नहीं रहती हैं। वह यहां से 5000 किलोमीटर दूर समुद्र की अंदर बनी गुफाओं में रहतीं हैं।” इस बार मैग्ना ने कहा।

“समुद्र के अंदर बनी गुफाओं में?” पोसाईडन ने आश्चर्य से कहा- “समुद्र के अंदर ऐसी कौन सी गुफा है, जिसके बारे में मुझे नहीं पता।”

“वह स्थान किसी भी मनुष्य और देवता की पहुंच से दूर है।” कैस्पर ने खड़े हो कर चहलकदमी करते हुए कहा- “वह पिछले लगभग 900 वर्षों से वहीं पर रह रहीं हैं, वह हमारे सिवा किसी से नहीं मिलतीं, पर मैं
आपका यह संदेश उन्हें जरुर दे दूंगा और उन्हें आपसे मिलने के लिये आग्रह भी करुंगा।”

“मैं चाहता हूं कि तुम दोनों मेरे लिये भी, समुद्र के अंदर ऐसा ही एक महल बनाओ।” पोसाईडन ने दोनों को बारी-बारी देखते हुए कहा।

“अवश्य बनाएंगे देवता।” मैग्ना ने कहा- “आपके लिये महल बनाना हमारे लिये सौभाग्य की बात है, पर इसके लिये एक बार हमें गुरुमाता से मिलकर बात करनी होगी।”

“ठीक है कर लो बात।” पोसाईडन ने खड़े होते हुए कहा- “मैं तुम्हें 5 दिन का समय देता हूं, 5 दिन बाद मेरा सेवक नोफोआ आकर तुमसे यहीं पर मिल लेगा। उसके आगे का निर्देश तुम्हें वही देगा।”

“ठीक है देवता।” कैस्पर ने कहा।

इसके बाद कैस्पर और मैग्ना पोसाईडन को सम्मान देते हुए बाहर तक छोड़ आये।


जारी रहेगा________✍️
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