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Fantasy विलासपुर राज्य ( क्रूर राजा और उसके राज्य की मजबूर औरतें )

Dear readers, kuch log chahte he ki me ye kahani hinglish me continue karu, aap sabhi ki kya ray he?


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नटखट कहानियां
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प्रकरण सूची

विनम्र निवेदन
बहुत सारे पाठक कहानी को पढ़ कर बिना लाइक और कमैंट्स किये ही चले जाते हैँ, इस बात से हम लेखकों को बहुत हतोत्साहित महसूस होता है, कृपया आप ऐसा ना करें | हमारी आपसे विनम्र विनती है, की कहानी पढ़िए, आनंद लीजिये, फिर अपने कीमती कमैंट्स ज़रूर कीजिये, हमें बताइये आपको क्या पसंद और क्या नापसंद है | पाठकों की पसंद हमारे लिए सर्वोपरि है | हमारी कहानी के आने वाले भागों में और हमारी आने वाली नई कहानियों में, पाठकों की पसंद का खास ध्यान रखा जायेगा | धन्यवाद | 🙏
 
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rajeev13

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श्रीमान | ऐसा कहना आपके विनम्र और कोमल स्वभाव को दर्शाता है |
वैसे भी मित्र, मेरी कविता से आपकी कविता की तुलना हो ही नहीं सकती | क्योंकि आपकी कविता शृंगार रस के अधिक करीब है, पर मेरी वो कविता केवल कामोत्तेजना को प्रज्ज्वलित करने के प्रयोजन से एक नटखटी अंदाज़ में लिखी गई है, जिसे पढ़ कर इस मंच पर मौजूद हमारे शरारती भाई-बहनों को मज़ा आ जाये |

हम सभी आपको भविष्य में और पढ़ना चाहेंगे, मै उत्सुक हूँ पढ़ने के लिए, कि आपकी कलम और क्या-क्या अपने भीतर दबाये बैठी है |
बस एक विनती और सुझाव है, इस बार हम सबने आपकी सहजता देखि, अगली बार हम आपका नटखट अंदाज़ भी देखना चाहेंगे | आप समझ रहे हैं ना, कि मै क्या कहना चाह रहा हूँ श्रीमान ? :wink:





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आपसे विनती है कृपया मुझे फॉलो कर लें, और फॉलो करते समय ऊपर के 3 बॉक्सेस पर टिक ज़रूर कर लें, जिससे मेरा हर अपडेट आप तक उचित समय पर स्वयं ही पंहुच जाये | क्योंकि जैसे जैसे पाठकों की संख्या बढ़ेगी, सभी पाठकों को एक एक करके सूचित करना कठिन होता जायेगा |
आशा करता हूँ आपको मेरा काम आगे भी अच्छा लगेगा | पढ़ें और आनंद लें | धन्यवाद |
'माई ना… अब तू हो गइलू रानी'

भोरहीं के बेला, पसरील सन्नाटा,
अंगना में झाड़ू देत, मुनिया के माई के छटा।
पचास के पार, बाकिर देहवा कस,
साड़ी के भीतर लूके, लहके जवानी के रस।

छोरा बीस बरिस के, देख के चुपचाप रहल,
बाकिर नजरिया ओकरी कमर पे घुमात रहल।
झुकी त साड़ी सरकल, पिघलल दूधिया सेना,
लउकत रहे जइसे भगवान दे दिहले सीना।

“बेटा कह के ना बोलS,” ऊ धीरे से कहली,
“तोहर नजर से कब के जान गइनी, ना बेजाय कहली।”
लउकल ना अब लाज, ना उमिर के फांस,
दूनो देह मांगल बस एकहि साँस।

ओकर कमर पकड़ के, छोरा लगवलसे सीना,
ऊ मुस्काई- “बेटा अब ना, रउआ बन जाईं नसीब के मीना।”
कांपल ओकर देह, चूचियाँ में तनिक फड़फड़ाहट,
साड़ी के फाँक से झाँके गुलाबी लहराहट।

“रउवा चाहत बाड़S त उठाS हमार साया,
ए बूढ़ देह में अबहियों बा वासना के माया।”
लड़िका ना चूकल, चूम लेहल ओकर गाल,
कहलस- “आज ना माई, तू बनबू हमार माल।”

पलंग के कोना में ले गइलस चुपचाप,
चूड़ी खनकली, ओठ पर पसरल ताप।
साड़ी हटली, उफ्फ! दूधिया बदन उजियार,
जइसन पचास साल लुकवले रहले बहार।

लड़का चूमे लागल बड़-बड़ चूचियाँ,
ऊ सिसियाइल- “ए राजा! अब ना रूकीं इ लूचियाँ।”
बुरवा पर उँगरी चलवलस, ऊ करिहाई कँप-कँप,
“घुसा द, अब ना रोकS, चढ़ गइल बा हमार तन-बदन सब।”

धीरे से घुसवलस आपन जवानी के चाबुक,
ऊ तड़प के गइली- “हाय! इ लंडिया त बा एकदम रबड़!”
पेल-पेल के भरलस ओकरे पेट में तान,
जइसे हर अधूरी पियास के मिलल हो नया जान।

बुढ़िया चिचियाइल, “अब रोज करS ई खेल,
ए जवना में तू बाड़S देवता, हम हईं तोहार मेला।”
चूचियाँ चूसलस, बुरवा में घुसल रहल दम,
ऊ बोली- “ई पचास में मिलल जवानी के धरम।”

वैसे तो मेरी मातृभाषा भोजपुरी नहीं है, फिर भी उसमे लिखने का प्रयास किया है vyabhichari भाई से प्रेरणा लेकर!
 
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rajeev13

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बुढ़िया बन गइल मालकिन

अगिला दिने साँझ, घाम ढ़लल,
बेटवा खेत से लउटल, आँखि में जलल।
अम्मा बइठल रहली, लिपिस्टिक के गंध,
बुलइली इशारा से- “आ जा, तू ही बा आज के संबंध।”

ओढ़नी तान के, साड़ी बन्हले ऊ tight,
चूचियाँ बाहर, जैसन मांगत होई fight।
बेटवा झपटल, बोला- “अम्मा, आज त बहुत तपल बानी…”
ऊ हँस के कहली- “हमहूँ त बानी बेशर्म जवानी।”

धक से साड़ी खोल के, फेंक देहलस गद्दा पर,
“बोलS ना राजा, अब कौन हिस्सा चुसब पहिलका बर?”
ऊ बोला- “पहिले चूची, फेर बुरवा के जादू,
तहार देह में लहर मारेला लंडवा के बादू।”

अम्मा चूची पकड़ के खुदे मुहवा में दिहली,
बेटवा चूसे लागल- “आह हाय! दूध आ गइल राजा जी!”
ओकर बुरवा से बह रहल महक,
ऊ चिचियाइल- “घुसा द, बना द हमके एक बेर अउरी बहक!”

बेटवा उँगरी घुसवले, अम्मा सिसियाइल,
“ई कवन झोपड़ी से तू आइल, हम त पिघल गइल।”
ओकरे बुरवा भींज के लसलस करे लागल,
अम्मा के देह दहके लागल, मन कस कस जागल।

घुसलस लंड, आह! पूरा देह हिल गइल,
अम्मा के आँखि घुर गइल, गरदन लरमिल गइल।
“मारS बेटा, मारS जोर से, अब ना रुकS पलभर,
हमार बुढ़ाई लउकत नईखे, भीतर बा जवानी के डर।”

बेटवा धकेले, ओकरे लतिया फैला,
“ले माई… अब ना माई, तू बाड़ू हमार खेला!”
हर ठोकरे पे चिचियाइल, चूची भींच के बोले-
“ऐ चोदा! तहार लंड त जइसे बाघवा डोले!”

घंटा बीतल, पसिना से लथपथ बिछौना,
बुढ़िया मुस्काइल- “अब रोज बनबू हमार सोना।
ना होई रोटी बिना ई लंडवा के स्वाद,
चूसी, चाटी, अब हर घरी देबू हमरा ई ईनाम खास।”
 

rajeev13

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विधवा के अंगनवा में जवानी के झोंका

गाम के छोर पर एगो घर बा सून,
जहँवा चिरई ना चिचियाए, ना बाजे कोई धून।
उहीं रहेली, विधवा ललिता- गोरी, गदराइल,
साड़ी में सिमटल जवानी, आँखिन में बरसात समाइल।

तीस बरिस के उमर, बाकिर देह पचपन के झुठियावे,
हर हरकत में बा आग, जवना के देख के मन डोल जावे।
लिपस्टिक ना, बाकिर ओठ गुलाबी,
घाघरा के फाँक से झाँके जाँघ- हर नजर होखे बेताबी।

पड़ोस के छोरा, नवीन, अभी बीस के भइल,
खेत में काम करत-करत ओकरा नजर उ पर अटकल।
ललिता हर दिन अंगना में झाड़ू दे, झुके,
नवीन के लंड सोच-सोच के टन टन झुलुकें।

एक दिन बरसात आ गइल बिन बोलावल,
ललिता के कपड़ा भींज के चिपक गइल- ऊ कसम से कमाल!
चूचियाँ जैसे नारियल, आ कमर- हाय! बर्फ घुलल,
नवीन बोलल- “चाची, अंदर चलS, तू त पूरा भींज गइल।”

ललिता मुस्काइल, नजर झुकल- “बेटा, तू बहुत अच्छा बा,
बाकिर ई बुढ़िया का अब काम के बा?”
नवीन बोलल- “देह बुढ़ाइल होला, चाह ना होईले कम,
हमरा आँख से देखS, तू बानी एकदम मस्त जवानी के बम।”

ललिता काँप गइल, हाथ पकड़ के अंदर ले गइलस,
भीतर कमरा, अधेरा, ओस से महकलस।
“तू त पागल बा बेटा…” ललिता धीरे से कहली,
नवीन ओकर कमर भींच के कान में फुसफुसइल-
“आज हमार मर्द बनावल जाव, चाची…?”

ललिता के होठ काँपल, आँख में पिघलल बरसात,
ओठवा से चूम लीहलस- “हम त कब से चाहत रहलS बात।”
 

hoodie

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भाई आप जैसे लेखक की इस फोरम पर कहानी वो भी जबरदस्त हैं तो आप कहानी के अध्याय आगे बढायें तो आपके कहानी पर बहुत सारे कमेंट भी मिलेगे वो भी जबरदस्त हौसला बढाने के लिये
अभी कहानी प्रारंभीक अवस्था में हैं जब वो मुख्य धारा में आ गयी तो फिर देखों
खैर अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

प्रशंसा के लिए धन्यवाद मित्र |

अब से हर शनिवार ठीक रात 09:00pm बजे कहानी के नए भाग आएंगे | मतलब हर महीने 4 नए भाग आएंगे |

पाठकों के अनुरोध पर अब से आने वाले अध्याय लम्बे होंगे | विस्तृत, रचनात्मक, और उत्तम लेखन में वक्त लगता ही है, इसलिए मै हर अध्याय के लिए 1 हफ्ते का वक्त लूँगा, और अपनी पूरी जान लगा दूंगा आप लोगों के लिए हर हफ्ते एक नया मनोरंजक, कामोत्तेजक, और रसीला अध्याय लेकर आने के लिए |

पढ़ते रहिये, आनंद लेते रहिये, सुझाव देते रहिये | धन्यवाद | 😊🙏
 

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WAH OUTSTANDING START KEEP IT UP INFORM ME WHEN UPLOAD UPDATE THANK YOU

Thank you so much for the appreciation. 🙏

Sure, I'll message you when I'll upload the next part.
I've a humble request, please follow my account so that you'll get automatic notifications when I'll post any updates or I'll start new stories. Because as the number of readers will increase, it'll become very difficult to inform people in dm. I hope you'll connect with us and love our work. 😊

We'll upload new episodes every Saturday night sharp 09:00pm. Till then, stay happy, stay tuned. 🤗
 

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Hum To Kab Se Ash Lagaye Bethe He

जल्द ही आपका इंतज़ार ख़त्म होगा जनाब | अब से हर शनिवार ठीक रात 09:00pm बजे कहानी के नए भाग आएंगे | मतलब हर महीने 4 नए भाग आएंगे | हमारा आप से यह विनम्र अनुरोध है, कि हमारे अकाउंट को फॉलो कर लें, जिससे हमारे हर मनोरंजक अपडेट की जानकारी आपको उचित समय पर प्राप्त हो जाये |

पाठकों के अनुरोध पर अब से आने वाले अध्याय लम्बे होंगे | विस्तृत, रचनात्मक, और उत्तम लेखन में वक्त लगता ही है, इसलिए मै हर अध्याय के लिए 1 हफ्ते का वक्त लूँगा, और अपनी पूरी जान लगा दूंगा आप लोगों के लिए हर हफ्ते एक नया मनोरंजक, कामोत्तेजक, और रसीला अध्याय लेकर आने के लिए |

पढ़ते रहिये, आनंद लेते रहिये, सुझाव देते रहिये | धन्यवाद | 😊🙏
 

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अगर कोई भूलचूक हो तो क्षमा चाहूंगा, किसी तरह जोड़-तोड़ कर भोजपुरी में ये कविता लिखी है! 🙏

क्या बात है भाई, मज़ा आ गया, समा बांध दिया आपने तो | अच्छा लिखा है आपने | 🤩🥳
पर आपने भोजपुरी भाषा क्यों चुनी ?? हिंदी क्यों नहीं ??
भोजपुरी से मुझे कोई तकलीफ नहीं है, बस जिज्ञासा के कारण पूछ रहा हूँ |
 

rajeev13

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क्या बात है भाई, मज़ा आ गया, समा बांध दिया आपने तो | अच्छा लिखा है आपने | 🤩🥳
पर आपने भोजपुरी भाषा क्यों चुनी ?? हिंदी क्यों नहीं ??
भोजपुरी से मुझे कोई तकलीफ नहीं है, बस जिज्ञासा के कारण पूछ रहा हूँ |
पहला कारण तो ये है की मैं खुद बिहार का रहने वाला हूं, दूसरा मैंने vyabhichari भाई की ये कविता पढ़ी थी, जो भोजपुरी में होने के कारण रोमांचक लगी थी क्योंकि वो माँ-बेटे के अतरंग संबंध पर आधारित थी जो इससे पहले कभी नहीं लिखा गया था और तीसरा मैं भी उसी तरह का प्रयोग करना चाहता था, आपको पसंद आई तो मेरा प्रयोग सफल रहा। :)

 

randibaaz chora

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वैसे तो भाई कविता बढ़िया थी।लेकिन थोड़ी भोजपुरी मुझे कम आती है,इसलिए मजा थोड़ा कम आया ।अगर कोई हिंदी मे लिखदे तो बढ़िया मजा आएगा।
 
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