kamdev99008
आश्लील, पारिवारिक व्यभिचार पर आधारित कहानियों, चित्रों, चल चित्रों को देखना पढ़ना क्या एक सामान्य गृहस्थी में जीवन यापन करने वाले के लिए उचित है???
चाहें वो व्यक्ति किसी भी व्यभिचार सलिंपत् ना हो,? क्या वासना का भी एक दायरा होता??? अविवाहित और विवाहित पुरुष के लिए पर स्त्री की परिभाषा क्या है???
काम वासना वश किये गए व्यभिचार के पापों का नाश कैसे करे????
जिग्यसा का समाधान करे
अश्लील हमारी सामाजिक मर्यादा के अनुसार होता है। व्यक्तिगत रुप से ये आकर्षण है, सभी के लिए प्राकृतिक रुप से
अब चूंकि समाज गृहस्थ से बनता है अविवाहित और गृहत्यागी से नहीं तो अश्लील, विवाहेत्तर सम्बन्ध, पारिवारिक व्यभिचार गृहस्थ के लिए केवल तब तक ही उचित है जब तक समाज से छिपा हुआ, व्यक्तिगत आचरण हो...
लिखना, पढ़ना, देखना, सुनना और करना भी
अविवाहित के लिए परस्त्री/परपुरुष केवल विवाहित, सभी व्यक्ति हैं। दूसरा कोई भी अविवाहित त्याज्य नहीं
जबकि विवाहित के लिए सभी परस्त्री/परपुरुष हैं, केवल अपने पति/पत्नी को छोड़कर
किसने कहा कि सम्भोग, वासना, काम या व्यभिचार पाप हैं?
ये सामाजिक मर्यादा का उल्लंघन है जिसका प्रतिशोध समाज अपने नियम-कानून से लेता है
अन्य कोई प्रश्न?
एक अन्य स्पष्टीकरण:- पाप-पुण्य का नाश नहीं होता केवल प्रतिफल होता है, जो अपरिवर्तनीय है