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Erotica दोस्त की मम्मी

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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:applause: अद्भुत अविस्मरणीय अनोखी रचनात्मक प्रतिभा है आपकी
Xossip पर एक लेखिका थीं 'सोनी' नाम की....
वो भी कविताओं में ही रिव्यू लिखतीं थीं
उनकी एक कविता 'सैंया जी ने डालकर...' प्रसिद्ध थी Xossip पर

लेकिन आपकी रचनात्मकता अतुलनीय है
 

Seema P Love

New Member
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मैंने अपने कॉलेज के पहले साल में बनाया एक नया यार

नाम था उसका दीपक और था पढने में काफ़ी होशियार

यू एस मैं बस गए थे पिता जी पिछले कोई दस साल से

और यहाँ माँ बेटे को छोड़ दिया जीने को उनके हाल पे

मम्मी उसकी सरकारी दफ्तर में कुछ लगी थी करने जाब

पढ़ लिख कर कुछ बन जाउ दीपक का था अब ये ख्वाब

शुरू में कॉलेज में दीपक संग मेरी यारी मेरी थी मजबूरी

हर साल परीक्षा में पास होना में मेरे लिए था बहुत जरूरी

आये दिन कोई नई चूत ढूंढता हूँ मुझमें थी ये बड़ी ख़राबी

कॉलेज की कन्या हो वो कोई या हो कोई गदराई भाभी

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ब्याही हुई औरत को चोदने में मुझे मिलता था बड़ा सुरूर

लपक लपक के लौड़ा लेती बिस्तर पर मजा देती भरपूर

वही आजकल की ये नई लौंडिया तो शोर मचाती ज्यादा

जोर जोर से वो चिल्लाये जबकी अभी लंड गया हो आधा

IMG-2204 IMG-2097

कई बार दीपक को मैंने ऐसे मौके पर चाहा साथ ले जाना

लेकिन हर बार वो मुझे मना कर देता कर के कोई बहाना

फ़िर धीरे धीरे कॉलेज मैं हम दोनों की गहरी हो गई यारी

पढाई के साथ अब काई विषयों पर होती थी बात हमारी

परीक्षा के दिन पास आ गए तो मेरी चिंता लगी थी बढ़ने

एक दिन अपनी किताब उठा मैं उसके घर जा पहुंचा पढ़ने

उसके कमरे में बैठ कर के हम दोनो फिर करने लगे पढाई

कुछ समय में उसकी मम्मी हाल जानने उस कमरे में आई

मेरे दिल की तो धड़कन रुक गई और आंखें मेरी पथराई

पलक झपकना ही भूल गया मैं जो मुझकोदिया दिखायी

IMG-2161 IMG-1536

गोरा रंग गहरी आंखें और माथे पर एक छोटी सी बिंदिया

देख के रूप का ऐसा सागर कोई भी खो बैठेगा निंदिया

हर एक अंग से टपकता योवन और गांड थी अच्छी चौड़ी

और लाल चोली के पीछे छुपीहुई थी गोरे चूचो की जोड़ी

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देख ऐसा माल करारा मेरा लन अपना सर था लगा उठाने

रख एक तकिया अपनी गोद में अपने लन को लगा दबाने

दे हमको चाय नाश्ता वो मुड़ कर वापस लगी अब जाने

दरवाज़े पर रुक देखा मुझको और धीरे से लगी मुस्काने

घर वापस आकर मैं तो बस दीपक की मम्मी में था खोया

रात बिस्तर पर दो बार मुठ मार कर मैं उस रात को सोया

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So nice dear 😘
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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मैंने अपने कॉलेज के पहले साल में बनाया एक नया यार

नाम था उसका दीपक और था पढने में काफ़ी होशियार

यू एस मैं बस गए थे पिता जी पिछले कोई दस साल से

और यहाँ माँ बेटे को छोड़ दिया जीने को उनके हाल पे

मम्मी उसकी सरकारी दफ्तर में कुछ लगी थी करने जाब

पढ़ लिख कर कुछ बन जाउ दीपक का था अब ये ख्वाब

शुरू में कॉलेज में दीपक संग मेरी यारी मेरी थी मजबूरी

हर साल परीक्षा में पास होना में मेरे लिए था बहुत जरूरी

आये दिन कोई नई चूत ढूंढता हूँ मुझमें थी ये बड़ी ख़राबी

कॉलेज की कन्या हो वो कोई या हो कोई गदराई भाभी

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ब्याही हुई औरत को चोदने में मुझे मिलता था बड़ा सुरूर

लपक लपक के लौड़ा लेती बिस्तर पर मजा देती भरपूर

वही आजकल की ये नई लौंडिया तो शोर मचाती ज्यादा

जोर जोर से वो चिल्लाये जबकी अभी लंड गया हो आधा

IMG-2204 IMG-2097

कई बार दीपक को मैंने ऐसे मौके पर चाहा साथ ले जाना

लेकिन हर बार वो मुझे मना कर देता कर के कोई बहाना

फ़िर धीरे धीरे कॉलेज मैं हम दोनों की गहरी हो गई यारी

पढाई के साथ अब काई विषयों पर होती थी बात हमारी

परीक्षा के दिन पास आ गए तो मेरी चिंता लगी थी बढ़ने

एक दिन अपनी किताब उठा मैं उसके घर जा पहुंचा पढ़ने

उसके कमरे में बैठ कर के हम दोनो फिर करने लगे पढाई

कुछ समय में उसकी मम्मी हाल जानने उस कमरे में आई

मेरे दिल की तो धड़कन रुक गई और आंखें मेरी पथराई

पलक झपकना ही भूल गया मैं जो मुझकोदिया दिखायी

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गोरा रंग गहरी आंखें और माथे पर एक छोटी सी बिंदिया

देख के रूप का ऐसा सागर कोई भी खो बैठेगा निंदिया

हर एक अंग से टपकता योवन और गांड थी अच्छी चौड़ी

और लाल चोली के पीछे छुपीहुई थी गोरे चूचो की जोड़ी

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देख ऐसा माल करारा मेरा लन अपना सर था लगा उठाने

रख एक तकिया अपनी गोद में अपने लन को लगा दबाने

दे हमको चाय नाश्ता वो मुड़ कर वापस लगी अब जाने

दरवाज़े पर रुक देखा मुझको और धीरे से लगी मुस्काने

घर वापस आकर मैं तो बस दीपक की मम्मी में था खोया

रात बिस्तर पर दो बार मुठ मार कर मैं उस रात को सोया

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Shaandar Mast Lajwab 💓🔥🔥🔥
 
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Rajizexy

❣️and let ❣️
Supreme
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मैंने अपने कॉलेज के पहले साल में बनाया एक नया यार

नाम था उसका दीपक और था पढने में काफ़ी होशियार

यू एस मैं बस गए थे पिता जी पिछले कोई दस साल से

और यहाँ माँ बेटे को छोड़ दिया जीने को उनके हाल पे

मम्मी उसकी सरकारी दफ्तर में कुछ लगी थी करने जाब

पढ़ लिख कर कुछ बन जाउ दीपक का था अब ये ख्वाब

शुरू में कॉलेज में दीपक संग मेरी यारी मेरी थी मजबूरी

हर साल परीक्षा में पास होना में मेरे लिए था बहुत जरूरी

आये दिन कोई नई चूत ढूंढता हूँ मुझमें थी ये बड़ी ख़राबी

कॉलेज की कन्या हो वो कोई या हो कोई गदराई भाभी

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ब्याही हुई औरत को चोदने में मुझे मिलता था बड़ा सुरूर

लपक लपक के लौड़ा लेती बिस्तर पर मजा देती भरपूर

वही आजकल की ये नई लौंडिया तो शोर मचाती ज्यादा

जोर जोर से वो चिल्लाये जबकी अभी लंड गया हो आधा

IMG-2204 IMG-2097

कई बार दीपक को मैंने ऐसे मौके पर चाहा साथ ले जाना

लेकिन हर बार वो मुझे मना कर देता कर के कोई बहाना

फ़िर धीरे धीरे कॉलेज मैं हम दोनों की गहरी हो गई यारी

पढाई के साथ अब काई विषयों पर होती थी बात हमारी

परीक्षा के दिन पास आ गए तो मेरी चिंता लगी थी बढ़ने

एक दिन अपनी किताब उठा मैं उसके घर जा पहुंचा पढ़ने

उसके कमरे में बैठ कर के हम दोनो फिर करने लगे पढाई

कुछ समय में उसकी मम्मी हाल जानने उस कमरे में आई

मेरे दिल की तो धड़कन रुक गई और आंखें मेरी पथराई

पलक झपकना ही भूल गया मैं जो मुझकोदिया दिखायी

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गोरा रंग गहरी आंखें और माथे पर एक छोटी सी बिंदिया

देख के रूप का ऐसा सागर कोई भी खो बैठेगा निंदिया

हर एक अंग से टपकता योवन और गांड थी अच्छी चौड़ी

और लाल चोली के पीछे छुपीहुई थी गोरे चूचो की जोड़ी

IMG-2210

देख ऐसा माल करारा मेरा लन अपना सर था लगा उठाने

रख एक तकिया अपनी गोद में अपने लन को लगा दबाने

दे हमको चाय नाश्ता वो मुड़ कर वापस लगी अब जाने

दरवाज़े पर रुक देखा मुझको और धीरे से लगी मुस्काने

घर वापस आकर मैं तो बस दीपक की मम्मी में था खोया

रात बिस्तर पर दो बार मुठ मार कर मैं उस रात को सोया

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Super dupr gazab sexy update cc
💦💦💦💦💦💦
 

arushi_dayal

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Part 2

उस दिन से ही फिर चालू हो गया मेरा दीपक के घर ज़ाना

कोई ना कोई बहाना करके मैं वहां पंहुंच जाता था रोज़ाना

माई फ्रेंड्स हॉट मॉम मूवी लैपटॉप पर रात को रोज़ चलता

रेखा आंटी को सोच अपने ख्यालो में लंड को रोज़ हिलाता

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ना देखु रेखा आंटी तो बढे बेचैनी और देखु तो आये सुकुन

अपने ही दोस्त के माँ के लिए मेरा ऐसा बढ़ता गया जुनून

आंखें मेरी ढूंढे रेखा आंटी को जब भी दीपक के घर जाता

चूत तो लेकर रहूँगा आंटी की जल्दी दिल को मैं समझाता

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आंटी जब ऑफिस से वापस आती तो चुपके से मुझे निहारे

दीपक से नज़र बचा के अक्सर टकरा जाते थे नयन हमारे

बेफिक्री में मैंने देखा था आंटी को साड़ी का पल्लू सरकाते

उन उन्नत सुडोल चुचिओ का जी भर मुझको दीदार कराते


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कई बार जब शाम वो किचन में जाती बनाने रात का खाना

मैं भी जाकर उनके पास खड़ा हो जाता कर के कोई बहाना

चुचो की घाटी में जो घुस जाता माथे से बहता हुआ पसीना

अपने होठों से चाट लू उस को मन करता था मेरा कमीना

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कपडे सुखने जब वो जाती छत पर रहती थी उन पर आँख

लो कट चोली से झलकते मम्मे और बिन बालो की कांख

रहस्मयी नज़रों से देखने लगी थी आंटी मैंने किया था गौर

शायद रेखा आंटी ने मानो भाप लिया था मेरे मन का चोर

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एक बार रेखा आंटी को कंप्यूटर पर कुछ मैं लगा सिखाने

लिखतेलिखते अपनी कोहनी से मैं उनकी चुची लगा दबाने

समझ गई मेरी शरारत उस दिन आंटी और मंद मंद मुस्काई

गिरा के अपनी साड़ी का पल्लू चूचो की घाटी मुझे दिखाई

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ज़्यादा वक़्त लगे ना शायद अब उस को लाइन पे लाइन पे

उनको भीअब शायद मजा लगा था आने ऐसे मुझे सताने में

एक दिन पूछ लिया आंटी ने क्यों आगे पीछे फिरते हो मेरे

सचसच मुझे बता दो विक्रम जो भी चल रहा दिमाग में तेरे

उस दिन मुझको ऐसा लगा मेरे सपनों का महल लगा ढहने

फिर करके मज़बूत इरादा दिल मैं लगाआंटी को सब कहने

काली झुलफ़े नयन शराबी और आपकी कंचन सी काया

सुध बुध अपनी खो दी है मिल केआपसे अपना चैन गवाया

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ये तुम क्या सब बोल रहे हो कितनी घटिया है सोच तुम्हारी

मेरा जिस्म पाने को ही क्या तुमने मेरे बेटे से की थी यारी

आप से मिलने से पहले भी आंटी मैं और दीपक थे यार

लेकिन जब से देखा मैंने आपको आपसे कर बैठा हूं प्यार

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सच कहूँ रह कर दुर अब आपसे आंटी अब मेरा नहीं गुजारा

बस एक बार जोआप ना कह दो मैं आऊंगा ना यहां दोबारा

ये सब कुछ मुमकिन नहीं है विक्रम मैं हूं तेरे दोस्त की माता

हम दोनों के बीच में कोई ऐसा रिश्तामुझे समझ नहीं आता

मेरी आँखों में देख कर बोलो रेखा आंटी थाम के मेरा हाथ

अपनेजीवन में क्या नहीं चाहिए आपकोकिसी मर्द का साथ

दूध का जला इंसान छास भी पीने लगता है मार के फूँक

डर लगताहै फिर किसी को चुनने में मुझसे हो ना जाए चुक

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गलती नहीं थी आपकी कोई अब सोचो ना इससे ज्यादा

खुशिया भर दूंगा जीवन मैं आपकी बस इतना है मेरा वादा

पकड़ आंटी को कंधे से मैंने अपने चेहरे की और को मोड़ा

और उनके लाल सुर्ख गुलाबी होठों सेअपने होठों को जोड़ा

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पहले तो वो चुप खामोश खड़ी रही फिर लगी वो देने साथ

मौका देख मैंने भी उसके दोनों चूचो पे रख दिये अपने हाथ

कहीं सही ग़लत के चक्कर में पढ़ वो बदले ना अपनी सोच

हाथ घुसा कर पैंटी में आंटी की मैंने फुद्दी को लिया दाबोच

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मुझे पता था आंटी का डर और शर्म मिट गई जो एक बार

फ़िर अपने हाथों से पकड़ कर डालेगी चूत में मेरा औज़ार

तेरे साथ पाकरमेरे जीवन का कोरा कागज रंगीन हो रहा है

तुझे नहीं लगता ये इश्क का अपराध बहुत संगीन हो रहा है

रेखा बेश्क इश्क हो रहा है आपसे अब क्या ही किया जाए

तुम्ही बताओ रेखा रोक ले अब खुद को या होने दिया जाए

मेरे चेहरे को थाम के रेखा आंटी ने तब मेरी आँखों में देखा

पहले तो थी मैं तेरी रेखा आंटी थी अब आंटी से सीधी रेखा

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komaalrani

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मम्मी उसकी सरकारी दफ्तर में कुछ लगी थी करने जाब

पढ़ लिख कर कुछ बन जाउ दीपक का था अब ये ख्वाब

शुरू में कॉलेज में दीपक संग मेरी यारी मेरी थी मजबूरी

हर साल परीक्षा में पास होना में मेरे लिए था बहुत जरूरी

आये दिन कोई नई चूत ढूंढता हूँ मुझमें थी ये बड़ी ख़राबी

कॉलेज की कन्या हो वो कोई या हो कोई गदराई भाभी

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ब्याही हुई औरत को चोदने में मुझे मिलता था बड़ा सुरूर

लपक लपक के लौड़ा लेती बिस्तर पर मजा देती भरपूर

वही आजकल की ये नई लौंडिया तो शोर मचाती ज्यादा

जोर जोर से वो चिल्लाये जबकी अभी लंड गया हो आधा

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कई बार दीपक को मैंने ऐसे मौके पर चाहा साथ ले जाना

लेकिन हर बार वो मुझे मना कर देता कर के कोई बहाना

फ़िर धीरे धीरे कॉलेज मैं हम दोनों की गहरी हो गई यारी

पढाई के साथ अब काई विषयों पर होती थी बात हमारी

परीक्षा के दिन पास आ गए तो मेरी चिंता लगी थी बढ़ने

एक दिन अपनी किताब उठा मैं उसके घर जा पहुंचा पढ़ने

उसके कमरे में बैठ कर के हम दोनो फिर करने लगे पढाई

कुछ समय में उसकी मम्मी हाल जानने उस कमरे में आई

मेरे दिल की तो धड़कन रुक गई और आंखें मेरी पथराई

पलक झपकना ही भूल गया मैं जो मुझकोदिया दिखायी

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गोरा रंग गहरी आंखें और माथे पर एक छोटी सी बिंदिया

देख के रूप का ऐसा सागर कोई भी खो बैठेगा निंदिया

हर एक अंग से टपकता योवन और गांड थी अच्छी चौड़ी

और लाल चोली के पीछे छुपीहुई थी गोरे चूचो की जोड़ी

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देख ऐसा माल करारा मेरा लन अपना सर था लगा उठाने

रख एक तकिया अपनी गोद में अपने लन को लगा दबाने

दे हमको चाय नाश्ता वो मुड़ कर वापस लगी अब जाने

दरवाज़े पर रुक देखा मुझको और धीरे से लगी मुस्काने

घर वापस आकर मैं तो बस दीपक की मम्मी में था खोया

रात बिस्तर पर दो बार मुठ मार कर मैं उस रात को सोया

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जबरदस्त लेकिन एक एक पोस्ट पढ़ कर अलग से हर पोस्ट पर कमेंट दूंगी, बहुत ही बढ़िया विषय चुना है आपने
 

komaalrani

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नाम था उसका दीपक और था पढने में काफ़ी होशियार

यू एस मैं बस गए थे पिता जी पिछले कोई दस साल से

और यहाँ माँ बेटे को छोड़ दिया जीने को उनके हाल पे

मम्मी उसकी सरकारी दफ्तर में कुछ लगी थी करने जाब

पढ़ लिख कर कुछ बन जाउ दीपक का था अब ये ख्वाब

शुरू में कॉलेज में दीपक संग मेरी यारी मेरी थी मजबूरी

हर साल परीक्षा में पास होना में मेरे लिए था बहुत जरूरी

आये दिन कोई नई चूत ढूंढता हूँ मुझमें थी ये बड़ी ख़राबी

कॉलेज की कन्या हो वो कोई या हो कोई गदराई भाभी

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ब्याही हुई औरत को चोदने में मुझे मिलता था बड़ा सुरूर

लपक लपक के लौड़ा लेती बिस्तर पर मजा देती भरपूर

वही आजकल की ये नई लौंडिया तो शोर मचाती ज्यादा

जोर जोर से वो चिल्लाये जबकी अभी लंड गया हो आधा

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कई बार दीपक को मैंने ऐसे मौके पर चाहा साथ ले जाना

लेकिन हर बार वो मुझे मना कर देता कर के कोई बहाना

फ़िर धीरे धीरे कॉलेज मैं हम दोनों की गहरी हो गई यारी

पढाई के साथ अब काई विषयों पर होती थी बात हमारी

परीक्षा के दिन पास आ गए तो मेरी चिंता लगी थी बढ़ने

एक दिन अपनी किताब उठा मैं उसके घर जा पहुंचा पढ़ने

उसके कमरे में बैठ कर के हम दोनो फिर करने लगे पढाई

कुछ समय में उसकी मम्मी हाल जानने उस कमरे में आई

मेरे दिल की तो धड़कन रुक गई और आंखें मेरी पथराई

पलक झपकना ही भूल गया मैं जो मुझकोदिया दिखायी

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गोरा रंग गहरी आंखें और माथे पर एक छोटी सी बिंदिया

देख के रूप का ऐसा सागर कोई भी खो बैठेगा निंदिया

हर एक अंग से टपकता योवन और गांड थी अच्छी चौड़ी

और लाल चोली के पीछे छुपीहुई थी गोरे चूचो की जोड़ी

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देख ऐसा माल करारा मेरा लन अपना सर था लगा उठाने

रख एक तकिया अपनी गोद में अपने लन को लगा दबाने

दे हमको चाय नाश्ता वो मुड़ कर वापस लगी अब जाने

दरवाज़े पर रुक देखा मुझको और धीरे से लगी मुस्काने

घर वापस आकर मैं तो बस दीपक की मम्मी में था खोया

रात बिस्तर पर दो बार मुठ मार कर मैं उस रात को सोया

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पता नहीं आप पहले चित्र चुन कर के लिखती हैं या लिख कर के चित्र खोजती हैं लेकिन होता परफेक्ट मैच है और वर्णन भी रीतिकाल के नख शिख परम्परा के अनुरूप

सर से शुरू होके एकदम नीचे तक

गोरा रंग गहरी आंखें और माथे पर एक छोटी सी बिंदिया

देख के रूप का ऐसा सागर कोई भी खो बैठेगा निंदिया

हर एक अंग से टपकता योवन और गांड थी अच्छी चौड़ी

और लाल चोली के पीछे छुपीहुई थी गोरे चूचो की जोड़ी

और चित्र भी एकदम वैसा ही नयनाभिराम और सबसे ज्यादा आँखे और मुस्कान, फिर तीर दोनों तरफ चला और एक लाइन में ही आपने उसका भी चित्र शब्दों में खींच दिया

दे हमको चाय नाश्ता वो मुड़ कर वापस लगी अब जाने

दरवाज़े पर रुक देखा मुझको और धीरे से लगी मुस्काने


लेकिन एक छोटा सा सुझाव, बजाय अलग अलग थ्रेड खोलने के अगर एक अपने नाम से एक थ्रेड बना ले आरुषि की चित्र कथा या ऐसे ही कुछ और पहले पन्ने पर अलग अलग रचनाओं की सूची हो, पृष्ठ संख्या या हायपरलिंक जो भी हो और उसमे वो भी रचनाएँ हो जो आपने डाक्टर साहिबा या अन्य लोगों के थ्रेड में पोस्ट की हैं तो आपके चाहने वालों /वालियों को ज्यादा नहीं भटकना पड़ेगा और अपने नए थ्रेड भी आप उसी में खोल सकती हैं

या ऐसा ही कुछ और जुगाड़ कर सकती हैं
 
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