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Thanks for your support bhaiWe are waiting for next update of this wonderful story....
Here is one of my poems that is based on Holi....
होली आई रे !
टेसू से कुछ रंग चुरा के
उपवन में बहार बिखरा के ।
खेलने रंग-बिरंगी होली
आई है सतरंगी होली ॥
एक गाल पर रंग है पीला
दूजा हरा है माथा नीला ।
चेहरों को कर के रंगोली
फिर आई सतरंगी होली ॥
उड़ते रंग गुलाबी लाल
फटी शर्ट और उलझे बाल ।
मन भी करता आज ठिठोली
आई है सतरंगी होली ॥
गुझिया और पकौड़े खा कर
दही बड़े संग काँझी पी कर ।
मस्ती वाली भाँग की गोली
ले आई सतरंगी होली ॥
बीत गई जो बात वो भूलें
नई आस के सपने झूलें ।
ले किरण प्यार की आज सुनहली
आई है सतरंगी होली ॥
Stay tuned and keep reading
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